Sansar डेली करंट अफेयर्स, 19 October 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 19 October 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Rural India holds key to enhancing per-capita steel usage in the country

संदर्भ

इस्‍पात मंत्रालय भारतीय उद्योग परिसंघ के साथ मिलकर 20 अक्‍टूबर, 2020 को एक वेबिनार ‘आत्‍मनिर्भर भारत: ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था, कृषि, ग्रामीण विकास, डेयरी एवं खाद्य प्रसंस्‍करण में इस्‍पात के इस्‍तेमाल को प्रोत्‍साहन’ का आयोजन करेगा.

वेबिनार का उद्देश्य

  • इस वेबिनार का उद्देश्‍य ग्रामीण विकास क्षेत्र में इस्‍पात और इस्‍पात उत्‍पादों की मौजूदा एवं भविष्‍य की जरूरतों की पहचान करना तथा समुदाय में इस्‍पातोन्‍मुखी ढांचों/ सामान्‍य सुविधा क्षेत्र, जल भंडारण सुविधाओं, अन्‍न भण्‍डारण साइलो, अन्‍न भंडारण सुविधाओं और घरेलू जल भंडारण ड्रम इत्‍यादि में इस्‍पात उत्‍पादों के इस्‍तेमाल और फायदे से लोगों को जागरूक करना है.
  • इस वेबिनार में इस्‍पात उत्‍पादों को हासिल करने में आ रही चुनौतियों, देश में मौजूदा इस्‍पात मांग को पूरा करने में भारतीय लौह एवं इस्‍पात उद्योग की क्षमताओं, भविष्‍य की विस्‍तार योजना, विनिर्माण एवं नए उत्‍पादों के विकास के लिए शोध एवं अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने जैसे विषयों पर विचार किया जाएगा.
  • इस वेबिनार में ‘पैनल एवं स्‍टेट्स’ में सचिव स्‍तर की चर्चा होगी जिसमें केन्‍द्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालयों के सचिवों और राज्‍यों के सचिवों तथा महत्‍वपूर्ण ग्रामीण विकास एजेसिंयों के प्रतिनिधि भी अपने विचार साझा करेंगे.

आत्मनिर्भर भारत 

  • आत्मनिर्भर भारत भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की भारत को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने सम्बन्धी एक दृष्टि (विजन) है. इसका पहली बार सार्वजनिक उल्लेख उन्होने 12 मई 2020 को किया था जब वे कोरोना-वाइरस विश्वमारी सम्बन्धी एक आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहे थे. आशा की ज रही है कि यह अभियान कोविड-19 महामारी संकट से लड़ने में निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और एक आधुनिक भारत की पहचान बनेगा. इसके तहत प्रधानमन्त्री पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की है जो देश की सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10 प्रतिशत है. इसकी खास बात यह है कि उन्होंने किसी को भी नगद बहुत कम दिया, लेकिन अर्थव्यवस्था के सम्यक संचालन का जो अभूतपूर्व दृष्टिकोण दिया, उससे न तो देश घाटे में रहेगा, न ही किसी को आगे वित्तीय मनमानी करने की छूट मिलेगी, जैसा कि अब तक बताया जाता रहा है.
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के कल्याण के लिए कुल 16-घोषणाएं की गईं ; गरीबों, श्रमिकों और किसानों के लिए अनेक घोषणाएं की गईं जिनमें किसानों की आय दोगुनी करने के लिए की गई 11 घोषणाएं भी शामिल हैं.
  • ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्कार नहीं किया जाएगा अपितु दुनिया के विकास में मदद की जाएगी. मिशन को दो चरणों में लागू किया जाएगा. प्रथम चरण में चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके. द्वितीय चरण में रत्न एवं आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

देश में निर्माण, आधारभूत ढांचा, विनिर्माण, रेलवे, तेल एवं गैस, रक्षा और ग्रामीण तथा कृषि क्षेत्रों में इस्‍पात की अहम भूमिका है और भारत के 5 ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्‍य को हासिल करने में इस्‍पात एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा. विश्‍व में इस्‍पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्‍पादक देश होने के बावजूद भारत की वार्षिक प्रति व्‍यक्ति इस्‍पात खपत 74.1 किलोग्राम है जो वैश्विक औसत 224.5 किलोग्राम का मात्र एक तिहाई है. देश के शहरी क्षेत्रों में इस्‍पात का इस्‍तेमाल ज्‍यादा हो रहा है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह बहुत ही कम देखा गया है. वर्ष 2019 में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्‍यक्ति इस्‍पात खपत 19.1 किलोग्राम थी और राष्‍ट्रीय औसत 74.1 किलोग्राम था. एक अनुमान के मुताबिक देश में ग्रामीण क्षेत्रों में इस्‍पात की खपत का 54 प्रतिशत आवास निर्माण, 10 प्रतिशत सामुदायिक निर्माण, 20 प्रतिशत पेशेवर इस्‍तेमाल (प्राथमिक कृषि सुविधाएं), फर्नीचर, वाहनों और घरेलू सामानों (शेष 16 प्रतिशत) होता है. अत: क्षमता विस्‍तार को बढ़ावा देने के अलावा इस्‍पात मंत्रालय ने देश में इस्‍पात की मांग में वृद्धि के लिए उपाय किए हैं और संबद्ध मंत्रालयों के साथ इस दिशा में लगातार काम चल रहा है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests; India and its neighbourhood- relations

Topic : QUAD Group

संदर्भ

संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्य उप-सचिव स्टीफन बेजगन (Stephen Biegun) ने कहा है कि सहयोग संबंधी मापदंडों को समझने के बाद अंततः क्वाड (QUAD) देशों के समूह को अधिक औपचारिक हो जाना चाहिए.

औपचारिकता की आवश्यकता

नवीकृत प्रयासों के बावजूद, क्वाड (QUAD) समूह को किसी औपचारिक संरचना के न होने कारण  आलोचना का सामना करना पड़ा है. इस समूह को संस्थागत (Institutionalisation) किये जानेएक अपराजेय ‘चीन-विरोधी’ गुट में रूपांतरित होने के लिए एक औपचारिक समझौते की आवश्यकता है.

पिछले कुछ वर्षों के दौरान वैश्विक राजनीतिक स्थितियों में बहुत कुछ परिवर्तित हुआ है. क्वाड समूह के प्रत्येक सदस्य देश ने चीन की बढ़ती आक्रामकता का सामना किया है.

  1. चीन की ताकत और प्रभाव में वृद्धि हुई है और वह किसी भी प्रकार के मुठभेड़ के लिए उत्सुक है.
  2. ऑस्ट्रेलिया की घरेलू नीतियों को प्रभावित करने के प्रयासों के पश्चात, चीन द्वारा देश पर दंडात्मक कर (Punitive Tariffs) आरोपित लगा दिये गए है.
  3. चीन, भारत के साथ अक्सर सीमा विवादों में उलझता रहता है.
  4. चीन के सेनकाकू द्वीपों के संबंध में जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद भड़का हुआ है.
  5. संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ चीन व्यापार युद्ध में पूरी तरह से लिप्त है.

क्वाड समूह पर भारत का रवैया

भारत, हालांकि, ऐतिहासिक रूप से अपने चीन-विरोधी नजरिए व संगठनों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने से हिचकिचाता रहा है, लेकिन, लद्दाख में चीन के साथ हुई हालिया सीमा-मुठभेड़ ने इस प्रकार के औपचारिक समूह से जुड़ने संबंधी लाभ और नुकसान का आंकलन करने हेतु पर्याप्त कारण प्रदान किये है.

QUAD क्या है?

  • Quad एक क्षेत्रीय गठबंधन है जिसमें ये चार देश शामिल हैं – ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका.
  • ये चारों देश प्रजातांत्रिक देश हैं और चाहते हैं कि समुद्री व्यापार और सुरक्षा विघ्नरहित हो.
  • Quad की संकल्पना सबसे पहले जापान के प्रधानमन्त्रीShinzo Abe द्वारा 2007 में दी गई थी. परन्तु उस समय ऑस्ट्रेलिया के इससे निकल जाने के कारण यह संकल्पना आगे नहीं बढ़ सकी.

QUAD का महत्त्व

  • मुक्त, खुला, समृद्ध और समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र: भारत-प्रशांत वैश्विक व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति के केंद्र के रूप में उभरा है.
  • विश्व का दो-तिहाई कंटेनर व्यापार इस क्षेत्र से होता है.
  • आर्थिक रूप से, इस रणनीति को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के प्रति प्रतिक्रिया के रूप में माना जाता है, जो चीन-केंद्रित व्यापार मार्ग स्थापित कर रहा है.
  • क्वाड चीन की बढ़ती हठधर्मिता और वर्धित वैश्विक घुसपैठ को नियंत्रित करने हेतु एक सशक्त समूह सिद्ध हो सकता है.

अमरीका के लिए QUAD का महत्त्व

चीन इस क्षेत्र में एकतरफ़ा निवेश और राजनैतिक संधियाँ कर रहा है. अमेरिका इसे अपने वर्चस्व पर खतरा मानता है और चाहता है कि चीन की आक्रमकता को नियंत्रित किया जाए. चीन के इन क़दमों का प्रत्युत्तर देने के लिए अमेरिका चाहता है कि Quad के चारों देश आपस में सहयोग करते हुए ऐसी स्वतंत्र, सुरक्षात्मक और आर्थिक नीतियाँ बनाएँ जिससे क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व को रोका जा सके. भारत-प्रशांत सागरीय क्षेत्र में चीन स्थायी सैन्य अड्डे स्थापित करना चाह रहा है. चारों देशों को इसका विरोध करना चाहिए और चीन को यह बता देना चाहिए कि वह एकपक्षीय सैन्य उपस्थिति की नीति छोड़े और क्षेत्र के देशों से विचार विमर्श कर उनका सहयोग प्राप्त करे. चारों देश अपने-अपने नौसैनिक बेड़ों को सुदृढ़ करें और अधिक शक्तिशाली बाएँ तथा यथासंभव अपनी पनडुब्बियों को आणविक प्रक्षेपण के लिए समर्थ बानाएँ.

भारत का दृष्टिकोण

भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते क़दमों को नियंत्रित करना न केवल अमेरिका के लिए, अपितु भारत के लिए उतना ही आवश्यक है. भारत चीन का पड़ोसी है और वह चीन की आक्रमकता का पहले से ही शिकार है. आये दिन कोई न कोई ऐसी घटनाएँ घटती रहती हैं जो टकराव का कारण बनती हैं. इसके अतिरिक्त यदि चीन भारत-प्रशांत क्षेत्र में हावी हो गया तो वह भारत के लिए व्यापारिक मार्गों में रुकावटें खड़ी करेगा और साथ ही इस क्षेत्र के अन्य देशों को अपने पाले लाने में का भरसक प्रयास करेगा. अंततोगत्वा भारत को सामरिक और आर्थिक हानि पहुँचेगी. सैनिक दृष्टि से भी भारत कमजोर पड़ सकता है. अतः यह उचित ही है कि Quad के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका से मिलकर भारत भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए ऐसी नीति तैयार करे और ऐसे कदम उठाये जिससे चीन को नियंत्रण के अन्दर रखा जाए. कुल मिलाकर यह इन चारों देशों के लिए ही नहीं, अपितु यह पूरे विश्व की शांति के लिए परम आवश्यक है.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Related to Space. Science and Technology.

Topic : Brahmos

संदर्भ

सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का हाल ही में अरब सागर में एक लक्ष्य को भेदते हुए भारतीय नौसेना के स्वदेशी तरीके से निर्मित स्टील्थ डेस्ट्रॉयर, आईएनएस चेन्नई से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. मिसाइल ने उच्च-स्तरीय एवं अत्यधिक जटिल युक्तियों का प्रदर्शन करने के बाद सुनिदेशित सटीकता के साथ सफलतापूर्वक लक्ष्य को भेदा.

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ब्रह्मोस

  1. इस का विकास ब्रह्मोस कोर्पोरेशन ने किया है.
  2. यह भारत के DRDO और रूस केNPO Mashinostroeniya का संयुक्त उपक्रम है.
  3. ब्रह्मोस नाम भारत की नदी ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी के नाम पर पड़ा है.
  4. रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करा रहा है.
  5. उड़ान के दौरान मार्गदर्शन की इसकी क्षमता (navigation power) भारत ने विकसित की है.

विशेषताएँ

  1. यह मिसाइल 3700km/hr के हिसाब से मार सकती है. आमतौर पर इतनी रफ़्तार से उड़ान भरने वाली मिसाइल रडार के कवरेज में नहीं आती है. रडार की कवरेज में नहीं आने की एक और वजह है – इसके अग्र-भाग का non-metallic होना.
  2. इसकी गति ध्वनि की गति से तीन गुणा ज्यादा है.
  3. यह दुनिया की सबसे तेज मारक मिसाइल मानी जाती है.
  4. इसकी गति की दर 2.8 मैक है.
  5. ब्रह्मोस मिसाइल का वजन 3000 kg है.
  6. इसकी लम्बाई 8.4 मीटर है और व्यास 0.6 मीटर है.
  7. इसकी मारक क्षमता 290 km तक है और यह 300 km विस्फोटक अपने साथ ले जा सकता है.
  8. BrahMos एक नियंत्रित क्रूज प्रक्षेपास्त्र है.
  9. BrahMos को जमीन, विमान, पनडुब्बी से छोड़ा जा सकता है.
  10. यह pin point accuracy के साथ टारगेट पर हमला कर सकता है.

भारत ने MTCR यानी अंतर्राष्ट्रीय मिसाइल तकनीक नियंत्रण संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने के चलते भारत इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किमी. से अधिक नहीं रख सकता था. लेकिन जून 2016 में भारत ने इस संधि पर हस्ताक्षर कर दिया जिसके चलते अब भारत ब्रह्मोस की मारक क्षमता अपनी जरुरत के अनुसार बढ़ा सकता है.

तकनीक

  1. ब्रह्मोस दो चरणों पर आधारित प्रोपल्शन तकनीक (propulsion technique) के जरिये संचालित किया जाता है.
  2. पहले चरण में ठोस प्रोपेलेंट बूस्टर द्वारा इसे गति दी जाती है.
  3. इसके बाद दूसरे चरण में तरल ईंधन वाली रैमजेट प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है जिससे इसे सुपरसोनिक गति मिलती है.
  4. परम्परागत राकेट प्रोपल्शन की तुलना में रैमजेट प्रोपल्शन तकनीक में ईंधन की तकनीक कम होती है.
  5. ब्रह्मोस में आधुनिक सैटेलाईट नेविगेशन के लिए लम्बी दूरी की KH-555 और KH-101 मिसाइल के साथ GPS Glonass के तकनीक का भी प्रयोग किया गया है.
  6. इसका ईंजन, प्रोपल्शन और लक्ष्य खोजने का सिस्टम रूस ने विकसित किया है.
  7. जबकि डायरेक्शन, सॉफ्टवेर, एयरफ्रेम और फायर कण्ट्रोल सिस्टम का विकास भारत ने किया है.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

मेनुवरेबल तकनीक क्या होता है?

कुछ मिसाइल lessuire-guided तकनीक से लैस होती हैं जो लेजर किरणों के आधार पर अपने लक्ष्य को निशाना बनाती हैं. लेकिन अगर लक्ष्य लगातार घूम रहा है या यूँ कहें कि वह स्थिर नहीं है या जगह बदल रहा है तो उसे निशाना बनाने में काफी दिक्कत आती है. ऐसी परिस्थिति में मेनुवरेबल तकनीक काफी मददगार साबित होती है और इसमें ब्रह्मोस अचूक है. इस तकनीक का प्रयोग करके ब्रह्मोस हवा में ही मार्ग बदलने में सक्षम है और गतिमान लक्ष्य को भी यह भेद सकता है.

मेनुवरेबल तकनीक (maneuverable technique) के कारण ब्रह्मोस को vertical और horizontal दोनों तरीके से छोड़ा जा सकता है. भारत में अग्नि 5 और शौर्य मिसाइल में मेनुवरेबल तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. लेकिन ब्रह्मोस चूँकि हवा, पानी और जमीन कहीं से भी दागी जा सकती है, इसलिए यह तकनीक BrahMos को ख़ास बना देती है.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment

Topic : Rashtriya Jal Mission

संदर्भ

राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के साथ साझेदारी में गांव स्तर पर लगाने के लिए ‘स्मार्ट वाटर सप्लाई मेजरमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम’ को विकसित करने के लिए नवाचार, सुव्यवस्थित और कम लागत वाले समाधान के लिए एक आईसीटी ग्रैंड चैलेंज शुरू किया था. यह महत्वाकांक्षी मिशन महज बुनियादी ढांचे को बनाने तक नहीं, बल्कि सेवाओं के वितरण पर भी केंद्रित है. ऐसी तकनीकी चुनौती ग्रामीण क्षेत्रों में जल आपूर्ति प्रणालियों के  दीर्घकालिक टिकाऊपन को सुनिश्चित करने के लिए शानदार अवसर उपलब्ध कराती हैं.

जल जीवन अभियान क्या है?

  • यह अभियान 2024 तक सभी ग्रामीण और शहरी घरों (हर घर जल) में नलके से पानी पहुँचाने के लिए तैयार किया गया है.
  • जल जीवन अभियान की घोषणा अगस्त, 2019 में हुई थी.
  • इसके अतिरिक्त इस अभियान का उद्देश्य है वर्षा जल संग्रह, भूजल वापसी और घर से निकलने वाले अपशिष्ट जल को खेती में प्रयोग करने से सम्बंधित स्थानीय अवसंरचनाओं का निर्माण करना.
  • जल जीवन अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण के अनेक कार्य किये जाएँगे, जैसे – पॉइंट रिचार्ज, छोटे सिंचाई जलाशयों से गाद निकालना, अपशिष्ट जल को खेती में डालना और जल स्रोतों को टिकाऊ बनाना.
  • सतत जल आपूर्ति के लक्ष्य को पाने के लिए जल जीवन अभियान में अन्य केन्द्रीय और राज्य योजनाएँ समाहित की जाएँगी.

अभियान के लाभ

  1. घर-घर में नलके द्वारा पानी की आपूर्ति
  2. स्वच्छ एवं पीने योग्य जल
  3. भूजल का स्तर ऊपर लाना
  4. स्थानीय अवसंरचना को बेहतर बनाना
  5. जल से होने वाले रोगों में कमी
  6. जल की बर्बादी में कमी

मेरी राय – मेंस के लिए

 

ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर तक नल से पेयजल आपूर्ति की योजना में पानी की गुणवत्ता एक गंभीर चुनौती बनकर उभरी है. इसीलिए शुद्ध जल की आपूर्ति के लिए अनुसंधान पर विशेष बल दिया जा रहा है. इसके लिए शुरू किए गए राष्ट्रीय जल जीवन मिशन में शोध, स्टार्टअप, शिक्षाविदों और उद्यमियों के साथ इनोवेशन को प्रोत्साहन देने की योजना है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने जलापूर्ति की गुणवत्ता के लिए अलग-अलग क्षेत्रों की योजना तैयार की है. देश के विभिन्न हिस्सों में पानी गुणवत्ता की समस्या भी अलग तरह की है.

ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में सामाजिक, पर्यावरण संबंधी और तकनीकी चुनौतियाँ हैं. अधिकांश हिस्सों में जल की आपूर्ति भूजल के माध्यम से की जाती है. प्रत्येक हिस्से में भूजल का स्तर, उसकी गुणवत्ता वहां की जलवायु के हिसाब से परिवर्तित हो जाती है. पेयजल आपूर्ति को लेकर देश के कई हिस्सों में अजीब तरह की सोच है, जिसके लिए जनजागरुकता की भी आवश्यकता है. ग्रामीण जल सुरक्षा को लेकर सरकार बहुत सतर्क है.

गुणवत्तायुक्त पानी की आपूर्ति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएंगे. जल जीवन मिशन को निर्धारित समय में पूरा करने की चुनौती से निपटने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी के अपनाए जाने पर भी बल दिया गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से फिर दुहराया कि हर परिस्थिति में 2024 तक ग्रामीण जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद से मंत्रालय में युद्ध स्तर पर कार्य होने लगा है. सभी राज्यों के साथ साप्ताहिक समीक्षाएं होती हैं. मिशन की प्रगति की लगातार समीक्षा भी हो रही है. जल जीवन मिशन को लागू करने में राज्यों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है. मिशन के अंतर्गत प्रत्येक ग्रामीण को रोजाना 55 लीटर गुणवत्तायुक्त पेयजल की आपूर्ति की जानी है. वर्ष-भर के अन्दर दो करोड़ परिवारों को नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित कर दी गई है.


Prelims Vishesh

Vessel traffic services (VTS) and Vessels Traffic Monitoring Systems (VTMS) :-

  • हाल ही में, पोत परिवहन मंत्रालय द्वारा VTS और VTMS के लिए एक स्वदेशी सॉफ्टवेयर समाधान का ई-शुभारंभ किया गया है.
  • यह इस मुद्दे पर विदेशी मुद्रा के व्यय को कम करेगा तथा VTS सॉफ्टवेयर के लिए विदेशी समर्थन पर निर्भरता को भी कम करेगा.
  • VTS और VTMS सॉफ्टवेयर बंदरगाह या जलमार्ग पर पोत की स्थिति, अन्य यातायात की अवस्था या मौसम संबंधी खतरे की चेतावनी और यातायात के व्यापक प्रबंधन को निर्धारित करता है.
  • VTMS, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन कन्वेंशन (IMOC) एस.ओ.एल.ए.एस. (SOLAS) के तहत अनिवार्य है.

Aldabra’s coral reefs :-

  • अल्दाब्रा, सेशल्स में स्थित एक यूनेस्को (UNESCO) विश्व घरोहर स्थल है, जो हिंद महासागरीय क्षेत्र में अवस्थित है.
  • यह स्थानिक विशाल अल्दाब्रा कछुओं की आश्रय स्थली है.
  • नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक नए शोध से ज्ञात हुआ है कि गर्मी के दबाव को सहन करने के कारण वर्ष 2015–2016 में हुए विरंजन की घटना के पश्चात्‌ अल्दाब्रा एटॉल अपनी पूर्वावस्था (विरंजन से पूर्व की अवस्था) को तीव्रता से पुनः प्राप्त कर रहा है.

Monoclonal antibodies :-

  • हाल ही में, टोसिलिजुमैब (Tocilizumab) (जो गठिया रोग की एक दवा है) को कुछ अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 रोगियों के उपचार में प्रयोग किया गया है.
  • टोसिलिजुमैब, मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज (mABs) नामक औषधि के एक वर्ग से संबंधित है.
  • mABs मानव निर्मित प्रोटीन हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली में मानवीय एंटीबॉडीज की भांति कार्य करते हैं.
  • इसे समान प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा निर्मित किया जाता है, जिसमें विशिष्ट मूल कोशिका के सभी क्लोन शामिल होते हैं.
  • एंटीबॉडीज ऐसे प्रोटीन होते हैं, जिन्हें रोगजनकों से संघर्ष करने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा प्राकृतिक रूप से निर्मित किया जाते हैं.
  • mABs में अधिक क्षमता होती है, क्योंकि वे एकल स्वस्थ हो चुकी कोशिका से व्यत्पन्न होते हैं और इनकी एक लक्षित प्रतिक्रिया होती है.

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