Sansar Daily Current Affairs, 19 October 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Parliament and State Legislatures – structure, functioning, conduct of business, powers & privileges and issues arising out of these.
Topic : Legislative Council
संदर्भ
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुभाग 57 के द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य को संघीय क्षेत्र बना दिया गया है और वहाँ की विधान परिषद् को भंग कर दिया गया है.
विधान परिषद्
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 169 में राज्यों में विधान परिषद् के गठन का उल्लेख है.
- संविधान के अनुसार इस परिषद् के सदस्यों की कुल संख्याविधान सभा के कुल सदस्य संख्या के एक-तिहाई भाग से ज्यादा नहीं हो सकती, लेकिन कम-से-कम 40 सदस्य होना अनिवार्य है.
- यह एक स्थायी सदन है, जिसका कभी भी विघटन नहीं होता है.
- इसके प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष होता है.
- प्रत्येक 2 वर्ष पर इसके एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं.
- इस परिषद् के एक-तिहाई सदस्य स्थानीय संस्थाओं, नगरपालिका, जिला परिषद् आदि के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं. एक-तिहाई सदस्य विधान सभा के सदस्यों के द्वारा चुने जाते हैं. 1/12 सदस्य राज्य के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों एवं कॉलेजों में कम-से-कम तीन वर्ष का अनुभव रखने वाले अध्यापकों के द्वारा चुने जाते हैं. 1/12 सदस्य सम्बंधित राज्य के वैसे निवासी जो भारत के किसी विश्वविद्यालय से स्नातक हों एवं जिन्होंने स्नातक की उपाधि कम-से-कम तीन वर्ष पहले प्राप्त कर ली हो, के द्वारा चुने जाते हैं. शेष 1/6 सदस्य राज्यपाल के द्वारा कला, साहित्य, विज्ञान, सहकारिता तथा समाज सेवा के क्षेत्र में राज्य के ख्याति प्राप्त व्यक्तियों से मनोनीत किये जाते हैं.
- विधान परिषद् का अधिवेशन आरम्भ होने के लिए इसके कुल सदस्यों का 1/10 भाग या कम-से-कम 10 सदस्य (जो भी ज्यादा हों) का होना आवश्यक है.
- इस परिषद् के सदस्यों को सदन में वक्तव्य देने की पूर्ण स्वतंत्रता है एवं उनके द्वारा दिए गये किसी भी वक्तव्य के लिए किसी न्यायालय में किसी भी प्रकार का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है.
- इस परिषद् के सदस्यों को सदन का सत्र प्रारभ होने के 40 दिन पहले एवं सत्र समाप्त होने के 40 दिन के बाद के बीच में दीवानी मुकदमों के लिए बंदी नहीं बनाया जा सकता है.
- विधान परिषद् का सत्र राज्यपाल द्वारा बुलाया जाता है. किसी एक वर्ष में इसका कम-से-कम दो सत्र होना आवश्यक है एवं एक सत्र के अंतिम दिन तथा दूसरे सत्र के प्रथम दिन के बीच 6 महीने से ज्यादा का समयांतर नहीं होना चाहिए.
विधान परिषद् सदस्य बनने की योग्यताएँ
- वह भारत का नागरिक हो एवं कम-से-कम 30 वर्ष के उम्र का हो.
- उसका नाम सम्बंधित राज्य की मतदाता सूची में दर्ज हो.
- वह भारत या राज्य सरकार के किसी लाभ का पद धारण नहीं किये हुए हो.
- वह पागल या दिवालिया न हो.
- चुनाव सम्बन्धी किसी अपराध के कारण उसे इस परिषद् के सदस्य चुने जाने के अधिकार से वंचित न कर दिया हो.
विधान परिषद् के कार्य
इस परिषद् के निम्न प्रकार के कार्य हैं –
वित्तीय कार्य
राज्य के वित्त मामलों की वास्तविक शक्तियाँ विधान सभा के पास होती है. कोई भी धन विधेयक पहले विधान सभा में पेश किया जाता है. विधान सभा में पास होने के बाद धन विधेयक को विधान परिषद् में पेश किया जाता है. यह परिषद् इस विधेयक को 14 दिनों तक रोक सकती है. यदि 14 दिनों की अवधि तक यह परिषद् सम्बंधित विधेयक पर कोई कार्रवाई न करे या कोई संशोधन की सिफारिश करे तो सम्बंधित विधान सभा को यह अधिकार है कि उस संशोधन को माने या न माने एवं विधेयक दोनों सदन से पारित समझा जाता है.
विधायी कार्य
इस परिषद् में साधारण विधेयकों को पेश किया जा सकता है लेकिन विधेयक को राज्यपाल के पास भेजे जाने से पहले आवश्यक है कि उसे विधान सभा से पारित किया जाए. अगर कोई विधेयक विधान सभा से पारित किया जा चुका हो परन्तु विधान परिषद् में उस पर कोई गतिरोध हो तो यह परिषद् उस विधेयक को नामंजूर कर सकती है, बदल सकती है या तीन महीने तक रोक कर रख सकती है. इसके बाद यदि विधान सभा इस विधेयक को विधान परिषद् के किये गये संशोधन के साथ या उसके बिना अगर पारित कर देती है तो विधेयक दुबारा इस परिषद् के पास भेजा जाता है. इस बार यदि यह परिषद् विधेयक को पुनः मंजूरी न दे या ज्यादा से ज्यादा एक महीने तक रोक कर रखे तब भी यह विधेयक दोनों सदनों से पारित समझा जाएगा.
संवैधानिक अधिकार
भारत के संविधान के किसी संशोधन में विधान परिषद् विधान सभा के साथ मिलकर भाग लेती है अगर वह संशोधन विधेयक सम्बंधित राज्य पास स्वीकृति के लिए भेजा जाता हो. राज्य का मन्त्रिमंडल केवल विधान सभा के प्रति उत्तरदायी होता है. यह परिषद् मन्त्रिमण्डल को अविश्वास प्रस्ताव द्वारा नहीं हटा सकती है.
विधान परिषद् के सभापति एवं उप-सभापति
विधान परिषद् के सभापति एवं उप-सभापति का चुनाव सम्बंधित विधान परिषद् के सदस्यों द्वारा किया जाता है. सभापति या उप-सभापति को सदस्यों के द्वारा कम-से-कम 14 दिन पूर्व सूचना देकर प्रस्ताव लाकर बहुमत के द्वारा हटाया जा सकता है. इनका वेतन राज्य के संचित निधि कोष से दिया जाता है.
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विधान सभा और विधान परिषद् में अंतर
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : What Is in the New Brexit Deal?
संदर्भ
पिछले दिनों ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच एक नई ब्रेक्सिट डील सम्पन्न हुई. अभी इसपर यूरोपीय संघ का अनौपचारिक अनुमोदन होना शेष है. अंत में इसपर यूरोपीय संघ और ब्रिटेन की संसंदों की स्वीकृति लेनी होगी तब जाकर यह डील सही अर्थ में अस्तित्व में आएगी.
नई ब्रेक्सिट डील के मुख्य तत्त्व
- ब्रिटेन 2020 तक यूरोपीय संघ के नियमों का पालन करता रहेगा.
- यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए ब्रिटेन को 39 मिलियन टन पौंड चुकाना होगा.
- ब्रिटेन में रहने वाले यूरोपीय संघ के नागरिकों तथा तथा यूरोपीय संघ में रहने वाले ब्रिटेन के नागरिकों के अधिकारों की गारंटी दी जायेगी.
- उत्तरी आयरलैंड यूरोपीय संघ से वैधानिक रूप से अलग हो जाएगा, परन्तु यह सामानों (goods) के लिए यूरोपीय संघ के एकल बाजार से जुड़ा रहेगा.
- ब्रिटेन और आयरलैंड के बीच चुंगी सीमाएँ (custom borders) होंगी.
BREXIT का इतिहास
इंग्लैंड का EU में बने रहने का समर्थन करने वालों का मानना था कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था EU के निर्णयों से ही फलती-फूलती है. यूरोपियन यूनियन के अन्दर रहकर Britain का लोकतंत्र सुरक्षित है एवं इससे यूरोपीय अर्थव्यवस्था को भी संबल मिलता है. जबकि विरोध करनेवालों का मानना है कि यूरोपीय संघ अपनी वर्तमान राजनैतिक क्षमताओं एवं सीमाओं से बाहर जा रहा है जो ब्रिटेन या किसी भी देश के हित में नहीं है. यूरोपियन संघ (यूरोपियन यूनियन) मुख्यत: यूरोप में स्थित 28 देशों का एक राजनैतिक एवं एवं आर्थिक मंच है जिनमें आपस में प्रशासकीय साझेदारी होती है जो संघ के कई या सभी राष्ट्रो पर लागू होती है. ब्रिटेन की प्रगति एक तरह से रुकी हुई थी. मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री काफी दिनों से सुस्त पड़ी थी. लोगों को घुटन महसूस हो रहा था. लोगों को लगने लगा था कि European Union का कैपिटल Brussels ही ब्रिटेन के अंदरूनी और बाहरी मामलों के सभी निर्णय ले रहा है. इसलिए ब्रिटेन की जनता में एक ऐसी सोच उत्पन्न हो रही थी कि शायद इससे अलग हो जाने (Brexit) में ही ब्रिटेन की भलाई है. ब्रिटेन ने एक जमाने में Commonwealth of nations (राष्ट्रमंडल) बनाया था. Commonwealth of nations 53 स्वतंत्र राज्यों का एक संघ है जिसमें सारे राज्य अंग्रेजी राज्य का हिस्सा थे. अभी के समय में राष्ट्रमंडल भी अधिक सक्रीय नहीं रहा. जिन आर्थिक उद्देश्यों से इस राष्ट्रमंडल का निर्माण हुआ था, ब्रिटेन को इन देशों से उतना आर्थिक फायदा नहीं हो रहा था जितना होना चाहिए. भले ही ब्रिटेन की इन देशों में इन्वेस्टमेंट की गति बरकरार रही हो मगर कई देश 1-2 उत्पाद से अधिक ब्रिटेन को एक्सपोर्ट नहीं करते थे. पिछले चार सालों से ब्रिटेन में Commonwealth nations को पुनर्जीवित करने की चर्चा हो रही थी. मगर इतने महत्त्वपूर्ण निर्णय में भी European Union का शिकंजा था.
ब्रिटेन में आव्रजकों की संख्या सदैव बढ़ती ही रही है. इससे स्थानीय लोग अपनी नौकरी को लेकर चिंतित रहते हैं. साथ ही अंग्रेजों के रहने-सने के ढंग पर भी दुष्प्रभाव देखा जा रहा था. अतः ब्रिटेन के निवासी चाहते थे कि यूरोपीय संघ के पूर्वी देशों सीरिया और तुर्की के शरणार्थियों का ब्रिटेन में आना रोक दिया जाए. पर ऐसा होना यूरोपीय संघ की नीतियों के कारण कठिन प्रतीत हो रहा था. इसलिए ब्रिटेनवासी यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के लिए छटपटा रहे थे.
Brexit के बारे में विस्तारपूर्वक यहाँ पढ़ें > Brexit Explained in Hindi
BREXIT का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
European Union से ब्रिटेन का बाहर निकल जाना ब्रिटेन का अपना अन्दरुनी मामला है. आज इसका असर (impact) जरुर विश्व और भारत (India and rest of the world) पर पड़ेगा. ब्रिटेन एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था है और एक बहुत पावरफुल देश भी है.
- Brexit का यदि सबसे अधिक असर पड़ेगा तो वह असर टाटा मोटर्स, टाटा स्टील व आईटी कंपनियों पर पड़ेगा. ब्रिटेन में भारत की जिन कंपनियों का सबसे ज्यादा निवेश है उनमें टाटा शामिल है. टाटा मोटर्स के स्वामित्व वाले जगुआर लैंड-रोवर्स व टाटा स्टील का ब्रिटेन के बाजार में मजबूत हिस्सेदारी है. ये कंपनियां वहां पौंड (pound) में कमाएगी. Brexit के बाद पौंड की वैल्यू वैसे ही गिर रही है. तो इन कम्पनी के फायदे पर जोरदार झटका लगेगा.
- मॉरिशस और सिंगापुर के बाद ब्रिटेन भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है (third largest investor). यदि Brexit के बाद ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था कमजोर होती है तो उसके निवेश (investment) में भी कमी आ सकती है. आखिर क्यों कोई देश कमजोर देश पर इन्वेस्ट करना चाहेगा?
- पौंड (ब्रिटेन की मुद्रा) के कमजोर होने से डॉलर मजबूत बनेगा. ऐसी परिस्थिति में रु.का $ के मुकाबले कमजोर होने की आशंका बढ़ेगी.
- यह सब सिर्फ शोर्ट-टर्म के लिए होगा, लॉन्ग-टर्म भारत को कोई नुक्सान नहीं पहुंचेगा.
GS Paper 3 Source: PIB
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : India Innovation Index 2019
संदर्भ
नीति आयोग ने Institute for Competitiveness के साथ मिलकर 2019 का भारत नवाचार सूचकांक (III) प्रकाशित कर दिया है.
नवाचार सूचकांक के मुख्य निष्कर्ष
- बड़े राज्यों में कर्नाटक सबसे अधिक नवाचारी राज्य है.
- इस सूचकांक के शीर्ष पर जो अन्य 10 राज्य हैं, वे हैं – तमिलनाडु, महाराष्ट्र, तेलंगाना, हरियाणा, केरल, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात और आंध्र प्रदेश.
- इस प्रकार नवाचार के मामले में जो 10 शीर्षस्थ राज्य हैं, वे सभी या तो दक्षिण में हैं, नहीं तो पश्चिम भारत में हैं.
- पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में सिक्किम का स्थान सर्वोच्च है.
- संघीय क्षेत्रों/नगर राज्यों/छोटे राज्यों में दिल्ली सबसे ऊपर है.
- इनपुट को आउटपुट में बदलने में सबसे कुशल राज्य हैं – दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश.
भारत नवाचार सूचकांक क्या है?
- यह लगातार चलने वाली एक मूल्यांकन प्रक्रिया है जिसमें 29 राज्यों और 7 संघीय क्षेत्रों में नवाचार के वातावरण की पड़ताल होती है.
- सूचकांक के लिए गणना दो आयामों में की जाती है. ये आयाम हैं – कारक और प्रदर्शन.
- “कारक” के अंतर्गत ये तत्त्व आते हैं – i) मानव पूँजी ii) निवेश iii) ज्ञानवान् कर्मी iii) व्यावसायिक परिवेश iv) सुरक्षा एवं कानूनी परिवेश.
- “प्रदर्शन” को दो दृष्टियों से मापा जाता है – i) ज्ञान से निकलने वाला आउटपुट ii) ज्ञान का प्रसार.
सूचकांक का महत्त्व
इस सूचकांक का ध्येय भारत में नवाचार के वातावरण में सुधार लाना है. इस दृष्टि से इसके प्रेरक महत्त्व को कम करके नहीं आँका जा सकता है. यह सूचकांक सतत रूप से प्रकाशित होता है. इसके कारण राज्य एक-दूसरे से स्पर्धा करके अपने प्रदर्शन को सुधारने की चेष्टा करते हैं जिसका परिणाम अंततः नवाचार के स्तर में वृद्धि के रूप में सामने आता है.
GS Paper 3 Source: PIB
UPSC Syllabus : Economics of animal-rearing.
Topic : 20th Livestock Census
संदर्भ
भारत सरकार के पशुपालन एवं गव्य विभाग ने पिछले दिनों 20वें मवेशी गणना के विवरण प्रकाशित किये.
मवेशी गणना के मुख्य निष्कर्ष
- 2012 की मवेशी गणना की तुलना में मवेशियों की संख्या 4.6% बढ़कर 535.78 मिलियन हो गई है.
- पिछली मवेशी की तुलना में 2019 में गोवंश की संख्या 1% बढ़कर 79 मिलियन हो चुकी है. विदित हो कि गोवंश के अन्दर आने वाले पशु हैं – गाय, बैल, भैंस, मिथुन और याक.
- भारत के स्वदेशी/गौण मवेशियों की संख्या पिछली मवेशी गणना की तुलना में 6% घटी है.
मवेशी गणना क्या है?
- 1919-20 से समय-समय पर मवेशियों की गणना भारत में होती आई है.
- इस गणना में सभी पालतू पशुओं की गिनती होती है.
गरीबी उन्मूलन में मवेशियों का महत्त्व
- छोटे और सीमान्त किसानों, विशेषकर जो वर्षा पर निर्भर क्षेत्रों में रहते हैं, के लिए पशुपालन आजीविका का एक मुख्य साधन है.
- 2006-07 में कृषि एवं सम्बद्ध गतिविधियों के पूर्ण मूल्य का 32% भाग मवेशी उत्पादन से हुआ था. ज्ञातव्य है कि 1980-81 में यह प्रतिशत 14 और 1999-2000 में 27 था. इस प्रकार कृषि में मवेशियों की भागीदारी बढ़ती ही जा रही है.
पशुपालन और भारतीय अर्थव्यवस्था
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि और पशुपालन का कितना विशेष महत्त्व है, यह इसी से समझा जा सकता है कि सकल घरेलू कृषि उत्पाद में पशुपालन का 28-30 प्रतिशत का सराहनीय योगदान है. इसमें भी दुग्ध एक ऐसा उत्पाद है जिसका योगदान सर्वाधिक है.
मवेशी पालन में मुख्य रूप से महिलाओं की भूमिका होती है. इसलिए गाय-भैंसों से होने वाली आय और पशुपालन के प्रबंधन से सम्बंधित निर्णयों में इनका बड़ा हाथ होता है. अतः पशुपालन महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक ठोस कदम कहा जा सकता है.
भारत में कई क्षेत्रों में कृषि वर्षा पर निर्भर होती है. जब वर्ष पर्याप्त नहीं होती है तो छोटे किसान कष्ट में पड़ जाते हैं. ऐसे में पशुपालन उनको आर्थिक सहायता देने का काम करता है. इसलिए पशुपालन को बढ़ावा देना आवश्यक प्रतीत होता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Awareness in the fields of IT, Space, Computers, robotics, nano-technology, bio-technology and issues relating to intellectual property rights.
Topic : Project Soli
संदर्भ
पिछले दिनों गूगल पिक्सेल 4 का अनावरण हुआ जिसमें राडार पर आधारित सोली चिप लगा हुआ है.
सोली चिप क्या है?
- गूगल ने अपने फ़ोन में एक ऐसी तकनीक का विकास किया है जिसमें बिना छुए ही टीवी या स्मार्टफोन या फिर अन्य गैजेट चलाना संभव है.
- सोली चिप में लगा सेंसर उंगलियों की हरकतों को प्रति सेकंड 10,000 फ्रेम दर से रिकार्ड कर सकता है. इसके जरिए इंसान का हाथ एक वर्चुअल डायल मशीन की तरह काम करने लगता है. इससे हम स्पीकर की आवाज को घटा-बढ़ा सकते हैं, स्मार्टवॉच या स्मार्टफोन स्क्रीन एक आभासी टचपैड से नियंत्रित कर सकते हैं.
- यह छोटी सी चिप वास्तव में एक छोटा सा जेस्चर रडार है जोकि अविश्वसनीय हाइपर स्पीड पर सबसे जटिल हाथ के इशारों को समझता है.
- अत्यंत छोटे आकार (8mm x 10 mm) होने के कारण यह किसी भी जगह फिट हो सकती है.
- इसमें बहुत कम ऊर्जा लगती है और साथ ही यह प्रकाश की दशा से प्रभावित नहीं होती है.
प्रोजेक्ट सोली क्या है?
यह परियोजना गूगल ने 2015 में शुरू की थी. तब से गूगल का ATAP (Advanced Technology and Projects) प्रभाग सोली चिप को विकसित करने में लगा हुआ था. अंततः उस प्रभाग ने एक ऐसे चिप का निर्माण कर ही लिया जो फ़ोन, कंप्यूटर, गाड़ी, इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (IoT) आदि में सरलता से प्रयुक्त हो सकता है.
Prelims Vishesh
2019 UNESCO Asia-Pacific Awards for Cultural Heritage Conservation :-
- सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए दिया जाने वाला UNESCO एशिया-प्रशांत पुरस्कार इस वर्ष घोषित हो चुका है.
- इस बार संरक्षण विशेषज्ञों के अंतर्राष्ट्रीय निर्णायकों ने इन पाँच देशों की 16 परियोजनाओं का पुरस्कार हेतु चयन किया – ऑस्ट्रेलिया, भूटान, चीन, भारत और न्यूजीलैंड.
- भारत में जिन संस्थाओं को पुरस्कार दिया गया, वे हैं – विक्रम साराभाई पुस्तकालय, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (Award of Distinction), केनेसेथ एलियाहू सिनगॉग, मुंबई (Award of Merit), ऑवर लेडी ऑफ़ ग्लोरी चर्च, मुंबई (Award of Merit), फ्लोर फाउंटेन, मुंबई (Honourable Mention).
Maritime States Development Council :-
सामुद्रिक राज्य विकास परिषद् (MSDC) 1997 की मई में गठित एक परामर्शी निकाय है जो बड़े और छोटे बंदरगाहों के समेकित विकास के लिए काम करता है.
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