Sansar डेली करंट अफेयर्स, 19 August 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 19 August 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Village volunteer system

संदर्भ

आंध्र प्रदेश में वार्ड एवं ग्राम स्वयंसेवक प्रणाली का अनावरण किया गया है. इस प्रणाली का उद्देश्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को लाभार्थी परिवारों तक कुशलतापूर्वक एवं भ्रष्टाचार रहित ढंग से पहुँचाया जाए.

मुख्य विशेषताएँ

  • ग्राम स्वयंसेवक प्रणाली शासन-तन्त्र को जनता के द्वार तक पहुँचाएगी.
  • इस कार्यक्रम के लिए 8 लाख स्वयंसेवक लिए जाएँगे.
  • ये स्वयंसेवक द्वार-द्वार जाकर पात्रता प्राप्त लाभार्थियों को विभिन्न कार्यक्रमों का लाभ पहुँचायेंगे.
  • ये स्वयंसेवक अपने कार्यक्षेत्र में रहने वाले लोगों की समस्याओं को जानेंगे और उनके समाधान के लिए कार्रवाई करेंगे.
  • प्रत्येक ग्राम में एक ग्राम सचिवालय बनेगा जो लोगों को 72 घंटे के भीतर योजनाओं का लाभ देना सुनिश्चित करेगा.
  • प्रत्येक स्वयंसेवक प्रत्येक गाँव के 50 परिवारों के लिए काम करेगा.
  • स्वयंसेवकों को पहचान पत्र दिए जाएँगे और उनको प्रतिमाह 5,000 रू. का मानदेय मिलेगा.
  • स्वयंसेवक सबसे पहले लाभार्थियों की पहचान करेंगे, उनकी समस्याएँ सुनेंगे और तब उनको बतलायेंगे कि सरकार ने उनके लिए कौन-कौन-सी योजनाएँ बना रखी हैं.

योजना का माहात्म्य

इस योजना के पीछे मूलभूत विचार यह है कि लोगों में भरोसा उत्पन्न किया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि उनकी मूल आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा है. इस योजना के माध्यम से सरकार निर्धनों में निर्धनतम व्यक्ति तक पहुँचेगी और इस प्रकार गाँव स्वावलंबी होने के मार्ग पर चल निकलेगा.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : India’s NFU Policy

संदर्भ

पिछले दिनों भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बड़ा संकेत दिया कि आणविक अस्त्रों को पहले प्रयोग नहीं करने से सम्बंधित भारत की नीति (no first use) की समीक्षा हो सकती है और यह भविष्य की परिस्थितियों पर निर्भर होगी.

पृष्ठभूमि

भारत ने पोखरण 2 योजना के अंतर्गत 1998 में आणविक परीक्षण किये थे. आगे चलकर 2003 में भारत ने अपना आणविक सिद्धांत (nuclear doctrine) घोषित किया गया जिसमें कहा गया कि भारत अपनी रक्षा के लिए न्यूनतम आणविक हथियार रखेगा और किसी युद्ध में इन हथियारों का प्रयोग पहले नहीं करेगा, अपितु किसी दूसरे देश द्वारा आणविक आक्रमण के प्रतिकार में ही करेगा.

इस सिद्धांत में यह भी अंकित किया गया कि आणविक अस्त्र के प्रयोग का निर्णय प्रधानमंत्री अथवा उसके द्वारा नामित उत्तराधिकारी ही करेगा.

क्या भारत को आणविक अस्त्रों को पहले प्रयोग नहीं करने की नीति पर बने रहना चाहिए?

भारत के पड़ोस में दो ऐसे देश हैं जिनके पास आणविक अस्त्र हैं. चीन पहले ही यह नीति चला रहा है कि वह केवल प्रतिकार में ही आणविक अस्त्रों का प्रयोग करेगा. संभावना है कि वह अपनी इस नीति को बदलेगा नहीं. इसलिए यदि भारत अपनी नीति बदल देता है तो संभव है कि चीन इसका लाभ उठाकर पहले आक्रमण करने की नीति अपना ले और इसके लिए भारत पर आरोप मढ़ दे. इसका लाभ उठाकर चीन अमेरिका और रूस के प्रति भी अपना सिद्धांत बदल ले.

भारत सदा अपने-आप को एक उत्तरदायी आणविक शक्ति-सम्पन्न देश के रूप में विश्व के समक्ष रखता आया है. अतः यदि वह पहले आक्रमण की नीति अपनाएगा तो उसकी इस छवि को आघात पहुंचेगा. भारत की वर्तमान नीति के कारण ही पाकिस्तान और भारत अपने-अपने आणविक अस्त्रों को युद्ध स्तर पर सुसज्जित नहीं रखते हैं और अर्थात् ये अस्त्र डिलीवरी प्रणाली से जुड़े हुए नहीं हैं. इस कारण पाकिस्तान में आणविक आतंकवाद की सम्भावना कम रहती है और इस बात का भी खतरा कम होता है कि संयोगवश कोई आणविक हथियार चल नहीं जाए.

यदि भारत यह नीति (first-strike policy) अपनाता है कि वह पहले भी आणविक हथियार चला सकता है तो पाकिस्तान भारत के आणविक आक्रमण को रोकने के लिए मिसाइल छोड़ सकता है.

इस पॉलिसी के बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें > No First Use Policy in Hindi


GS Paper 3 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Various Security forces and agencies and their mandate.

Topic : Chief of Defence Staff (CDS)

संदर्भ

भारत के 73वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा यह घोषणा की गई कि सेना में रक्षा प्रमुख (Chief of Defence Staff – CDS) पद का सृजन किया जाएगा.

रक्षा प्रमुख का पद क्या होता है?

रक्षा प्रमुख का पद सेना का वह सबसे ऊँचा पद होता है जिस पर कार्यरत सैनिक अधिकारी सेना के तीनों अंगों का पर्यवेक्षण करता है और उनके कार्यकलाप का समन्वयन करता है.

रक्षा प्रमुख की भूमिका और कार्य

रक्षा प्रमुख दीर्घकालिक रक्षा योजना एवं प्रबंधन के विषय में देश की कार्यपालिका को परामर्श देता है. वह कार्यबल, उपस्करों (equipment), रणनीति और संयुक्त सैन्य कार्रवाई पर अपनी सलाह सीधे कार्यकारी प्रमुख अर्थात् प्रधानमन्त्री अथवा राष्ट्रपति आदि को देता है.

वर्तमान व्यवस्था

भारत में अभी रक्षा प्रमुख का कोई पद नहीं है. इसके स्थान पर अध्यक्ष, रक्षा समिति (Chiefs of Staff Committee – CoSC) की व्यवस्था है. परन्तु इसकी शक्तियाँ नगण्य हैं. इस पद तीनों सेना प्रमुखों में से जो वरिष्ठतम होते हैं उनकी नियुक्ति की जाती है. यह नियुक्ति चुने गये अध्यक्ष की सेवा निवृत्ति के साथ-साथ समाप्त हो जाती है.

परिवर्तन की आवश्यकता क्यों?

  • CoSC की व्यवस्था असंतोषजनक मानी गई है क्योंकि इसके अध्यक्ष का पद मात्र आलंकारिक पद है.
  • यह व्यवस्था तीनों सेनाओं को एकात्म बनाने में असफल रही है जिस कारण कुशलता का अभाव देखा गया है और साथ ही महँगी परिसंपत्तियों का दुबारा क्रय भी हुआ है.
  • वस्तुतः CoSC प्रणाली औपनिवेशिक युग की एक विरासत है जिसमें इतने वर्षों में थोड़े-बहुत ही परिवर्तन हुए हैं.
  • समीक्षकों का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ है कि राजनैतिक वर्ग को यह भय है कि यदि रक्षा प्रमुख को सशक्त बनाया गया तो उनके वर्चस्व को आघात पहुँच सकता है.

CDS के विरुद्ध तर्क

  • CDS के विषय में अभी तक कोई स्पष्ट कार्ययोजना नहीं बनाई गई है.
  • देश की राजनीतिक व्यवस्था रक्षा विषयों के प्रति उदासीन है, अतः यह CDS की कार्यकुशलता सुनिश्चित कर पाएगी यह संदेहास्पद है.
  • सेना स्वभाव से ही परिवर्तन विरोधी होती है.
  • यदि दूरदृष्टि और समझ के साथ काम नहीं किया गया तो सम्भव है कि CDS एक आलंकारिक पद ही रह जाएगा.

GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Single-use plastics

संदर्भ

भारत के 73वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा किये गये आह्वान के अनुसार देश को एकल उपयोग वाले प्लास्टिक (Single-use plastics) से मुक्त करने के लिए एक व्यापक जन-अभियान चलाया जाएगा.

एकल उपयोग वाले प्लास्टिक क्या हैं?

प्लास्टिक की वे सामग्रियाँ जिनका एक बार ही उपयोग होता है उन्हें एकल प्रयोग वाला प्लास्टिक कहा जाता है, जैसे – थैलियाँ, कप, प्लेट, खाने-पीने के बर्तन, सींक और थर्मोकोल उत्पाद. वस्तुतः ऐसी सामग्रियों की अभी तक कोई निश्चित परिभाषा नहीं की गई है जिस कारण उनपर लगाया हुआ प्रतिबंध इतना सफल नहीं हो पाता है.

अलग-अलग सरकारों में इसके लिए अलग-अलग परिभाषा प्रचलित है. तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने प्लास्टिक की बोतलों, टैट्रा पैकों, सींकों, चाय के कपों, बर्तनों आदि पर रोक लगाई गई है. परन्तु बिहार ने मात्र पोलीथिन थैलियों को ही प्रतिबंधित किया है.

प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम के लिए भारत द्वारा किये गये प्रयास

  • अभी तक प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए भारत के 22 राज्यों और संघीय क्षेत्रों ने कमर कस ली है. इसके लिए उन्होंने प्लास्टिक के एकल प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है.
  • हाल ही में पुडुचेरी ने मार्च 1, 2019 से एकल प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है.
  • इन सभी प्रयासों के सकारात्मक परिणाम हुए हैं. उदाहरण के लिए, बेंगलुरु में जहाँ पहले प्रत्येक दिन दो टन प्लास्टिक कचरे जमा होते थे, अब वहाँ 100 किलो से भी कम ऐसे कचरे निकलते हैं.
  • लोगों ने स्वेच्छा इस दिशा में काम किये हैं, जैसे – प्लास्टिक कचरा कम करना, प्लास्टिक की चीजों को फिर से उपयोग में लाना और कचरे को छाँटना आदि.
  • प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम के लिए किये गये भारत के संकल्प को विश्व-भर में सराहना मिली है. विदित हो कि विगत वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर भारत ने यह संकल्प लिया था कि वह 2022 तक एकल प्रयोग वाले प्लास्टिक का पूर्ण उन्मूलन कर देगा.

चुनौतियाँ

  • अभी भी भोज्य पदार्थों, प्रसाधनों और दैनंदिन की सामग्रियों तथा साथ-ही ऑनलाइन प्रतिष्ठानों द्वारा भेजी गई सामग्रियों में प्लास्टिक से डिब्बाबंदी का काम चल ही रहा है.
  • यद्यपि प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2016 में स्पष्ट कहा गया था कि उत्पादक, निर्यातक और ब्रांडों के स्वामी यह सुनिश्चित करें कि पर्यावरण में वे जो प्लास्टिक डालते हैं, उसको वापस ले लेने की व्यवस्था वे अवश्य करें. परन्तु इस दिशा में बहुत कम काम हुआ है.
  • एक ओर जहाँ प्लास्टिक के छोटे-मोटे उत्पादक प्रतिबंध का सामना कर रहे हैं, वहीँ दूसरी ओर इससे बड़ी इकाइयाँ बच कर निकल रही हैं और पहले के समान ही अपना व्यवसाय चला रही हैं.

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के उद्देश्य

  • प्लास्टिक थैलियों की न्यूनतम मोटाई को 40 से 50 माइक्रोन से बढ़ाना.
  • प्लास्टिक शीटों के लिए कम-से-कम 50 माइक्रोन की मोटाई का नियम रखना.
  • प्लास्टिक कचरे के संग्रह और पुनः उपयोग की व्यवस्था करना.
  • प्लास्टिक से सम्बंधित निर्देशों को गाँवों में भी लागू करना क्योंकि ये कचरे नगरों के अतिरिक्त अब गाँवों में भी मिलते हैं.
  • उत्पादकों और ब्रांड के स्वामियों को यह उत्तरदायित्व देना कि वे प्लास्टिक कचरे को वापस लेने की व्यवस्था करें.
  • प्लास्टिक कचरे के संग्रह के लिए शुल्क का प्रावधान करना.
  • सड़क बनाने में प्लास्टिक कचरे के प्रयोग को बढ़ावा देना.
  • प्लास्टिक कचरे का फलदायी प्रयोग करना.
  • कचरे के निपटान की समस्या का समाधान करना.

Prelims Vishesh

2 new species of freshwater fish found :-

  • भारतीय जन्तु विज्ञान सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों ने पिछले दिनों भारत के पूर्वोत्तर और उत्तरी भागों में मीठे पानी की मछली की दो नई प्रजातियों का पता लगाया है.
  • ये मछलियाँ कैट फिश प्रजाति की मछलियाँ हैं जिनका नाम होगा – Glyptothorax gopii और Garra simbalbaraensis. ये मछलियाँ क्रमशः मिजोरम के कालन्दन नदी और हिमाचल प्रदेश की सिम्बलबाड़ा नदी में मिली हैं.

National Sports Awards :-

  • पिछले दिनों प्रतिवर्ष की भाँति 2019 के लिए राष्ट्रीय खेलकूद पुरस्कार घोषित किये गये.
  • खेलकूद का सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार इस बार पहलवान बजरंग पुनिया को दिया गया और महिला पारा-एथलीट दीपा मलिक को दिया गया.

Odisha to Set Up Maritime Board :-

  • पिछले दिनों ओडिशा के मंत्रिमंडल ने छोटे-छोटे बंदरगाहों तथा अराजकीयकृत आंतरिक जलमार्गों (non-nationalised inland waterways) के प्रशासन, नियंत्रण एवं प्रबंध के लिए ओडिशा सामुद्रिक बोर्ड की स्थापना के प्रस्ताव पर अपना अनुमोदन दे दिया है.
  • विदित हो कि ओडिशा में 480 किलोमीटर की एक लम्बी तटरेखा है जिसमें बड़े-बड़े बंदरगाहों के अतिरिक्त कई छोटे-मोटे बंदरगाह भी हैं. साथ ही यहाँ ऐसी कई नदियाँ हैं जिनमें वर्ष-भर पानी रहता है.

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