Sansar डेली करंट अफेयर्स, 18 June 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 18 June 2021


GS Paper 1 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms from ancient to modern times.

Topic : Trirashmi Buddhist Caves

संदर्भ

नासिक के त्रिरश्मी बौद्ध गुफा परिसर में 3 नई गुफाएं खोजी गई हैं. नई खोजी गई गुफाओं की प्राचीनता अभी तक स्थापित नहीं हुई है. माना जा रहा है कि वे त्रिरश्मी गुफाओं से भी प्राचीन हैं.

सभी गुफाओं में बरामदे हैं और उनमें भिक्षुओं के लिए पाषाण निर्मित एक वर्गाकार चबूतरा भी है.

Trirashmi Buddhist Caves

त्रिरश्मी बौद्ध गुफा

  • त्रिरश्मी गुफाएं पांडव लेनी के नाम से भी विख्यात हैं. यह गुफा परिसर 24 गुफाओं का एक समूह है, जिसे दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व और छठी शताब्दी ईस्वी के मध्य त्रिरश्मी पहाड़ी पर निर्मित किया गया था.
  • गुफाओं के परिसर की खोज वर्ष 1823 में कैप्टन जेम्स डेलामाइन द्वारा की गई थी.
  • गुफाएं विहार और चैत्य दोनों हैं. विहार मठ हैं और चैत्य प्रार्थना सभाएं हैं.
  • ये बौद्ध धर्म के हीनयान मत (जो बुद्ध की प्रतीकों के रूप में उपासना करते थे) और महायान मत (जो बुद्ध की मूर्ति रूप में आराघना करते थे) दोनों से संबंधित हैं.

भारत में अन्य प्रमुख बौद्ध गुफाएं हैं  

  • महाराष्ट्र- अजंता, एलोरा, कन्हेरी गुफाएं आदि.
  • ओडिशा- धौली, ललितगिरी, रत्नागिरी गुफाएं आदि.
  • आंध्र प्रदेश- नागार्जुनकोंडा गुफाएं.
  • बिहार- बाराबर गुफाएं.
  • मध्य प्रदेश- बाग गुफाएँ.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

ज्यादातर जिस वस्तु, रूप अथवा तत्त्व का निर्माण किया जाता है, उसी के नाम पर उस कला का प्रकार जाना जाता है, जैसे –

  1. वास्तुकला या स्थापत्य कला – अर्थात् भवन-निर्माण कला जैसे दुर्ग, प्रासाद, मंदिर, स्तूप, चैत्य, मकबरे आदि.
  2. मूर्तिकला – पत्थर या धातु के बनी मूर्तियाँ.
  3. चित्रकला – भवन की भित्तियों, छतों या स्तम्भों पर अथवा वस्त्र, भोजपत्र या कागज़ पर अंकित चित्र.
  4. मृदभांडकला – मिट्टी के बर्तन.
  5. मुद्राकला – सिक्के या मोहरें.

कभी-कभी जिस पदार्थ से कलाकृतियों का निर्माण किया जाता है उस पदार्थ के नाम पर उस कला का प्रकार जाना जाता है, जैसे –

  1. प्रस्तरकला – पत्थर से गढ़ी गई आकृतियाँ
  2. धातुकला – काँसे, तांबे अथवा पीतल से निर्मित मूर्तियाँ
  3. दंतकला – हाँथी के दांतों से बनाई गई कलाकृतियाँ
  4. मृत्तिका कला – मिट्टी से बनाई गई कलाकृतियाँ या खिलौने.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus :  Infrastructure- waterways.

Topic : Inland Vessels Bill

संदर्भ

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘अंतर्देशीय पोत विधेयक’, 2021 (Inland Vessels Bill, 2021) को स्वीकृति दे दी है. यह विधेयक ‘अंतर्देशीय पोत अधिनियम’, 1917 को प्रतिस्थापित करेगा.

इस विधेयक में अंतर्देशीय जहाजों की सुरक्षा और पंजीकरण को विनियमित करने से सम्बंधित प्रावधान किये गए हैं.

विधेयक की विशेषताएँ

  • अंतर्देशीय पोत विधेयक की मुख्य विशेषता विभिन्न राज्यों द्वारा बनाए गए पृथक्-पृथक् नियमों के बदले अखिल देश के लिये एक संयुक्त कानून का प्रावधान करना है.
  • प्रस्तावित कानून के अंतर्गत दिया गया पंजीकरण प्रमाण पत्र सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में मान्य होगा तथा इसके लिये राज्यों से अलग से अनुमति लेने की कोई जरूरत नहीं होगी.
  • विधेयक में एक इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल पर पोत, पोत पंजीकरण, चालक दल के विवरण दर्ज करने हेतु एक केंद्रीय डेटाबेस का प्रावधान है.
  • सभी गैर-यांत्रिक रूप से चालित जहाज़ों को ज़िला, तालुक या पंचायत या ग्राम स्तर पर नामांकित कराना होगा.
  • यह केंद्र सरकार द्वारा घोषित ज्वारीय जल सीमा और राष्ट्रीय जलमार्गों को सम्मिलित करते हुए ‘अंतर्देशीय जल‘ की परिभाषा को व्यापक बनाता है.
  • यह विधेयक अंतर्देशीय जहाज़ों के प्रदूषण नियंत्रण उपायों से भी संबंधित है तथा केंद्र सरकार को रसायनों, पदार्थों आदि की सूची को प्रदूषकों के रूप में नामित करने का निर्देश देता है.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI)

  • भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) एक वैधानिक प्राधिकरण है जो 27 अक्टूबर, 1986 में अस्तित्व में आया था. यह भारत में जलमार्ग का काम देखता है.
  • इसका मुख्यालय उत्तर प्रदेश केनोयडा शहर में स्थित है.
  • यह जलमार्गों में आवश्यक निर्माण कार्य करता है तथा साथ ही नई परियोजनाएँ आर्थिक रूप से हाँथ में लेने लायक हैं या नहीं इसकी जाँच करता है.

भारत में ‘अंतर्देशीय जल परिवहन’ (Inland Water Transport-IWT)

  1. भारत में नौगम्य जलमार्ग की लम्बाई लगभग 14,500 किलोमीटर हैं, और इसमें नदियाँ, नहरें, अप्रवाही जल या बैकवाटर (Backwaters), खाड़ियाँ आदि शामिल हैं.
  2. अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT) एक ईंधन-किफायती और पर्यावरण अनुकूल परिवहन माध्यम है.
  3. राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016 के अनुसार, 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग (National Waterways- NW) घोषित किया गया है.
  4. भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा, विश्व बैंक की तकनीकी और वित्तीय सहायता से, गंगा के हल्दिया-वाराणसी विस्तार (राष्ट्रीय जलमार्ग (NW)-1 का भाग) पर नौपरिवहन क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग ₹5369.18 करोड़ की लागत के साथ जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP) का कार्यान्वयन किया जा रहा है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Indigenization of technology and developing new technology.

Topic : Deep Ocean Mission

संदर्भ

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा काफी समय से लंबित ‘गहरे समुद्र अभियान’ (Deep Ocean Mission) के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी गई है.

विदित हो कि भारत के ‘डीप ओशन मिशन’ (Deep Ocean Mission) के तहत, 35 साल पूर्व ISRO द्वारा शुरू किये गए अंतरिक्ष अन्वेषण की भांति, गहरे महासागर में अन्वेषण करने का प्रस्ताव किया गया है.

यह मिशन, गहरे समुद्र में खनन, समुद्री जलवायु परिवर्तन संबंधी सलाहकारी सेवाओं, अन्तर्जलीय वाहनों एवं अन्तर्जलीय रोबोटिक्स संबंधी प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित होगा.

DOM अभियान के मुख्य तत्त्व

इस अभियान में इन विषयों पर बल दिया जाएगा – गहन समुद्र खनन (deep-sea mining), सामुद्रिक जलवायु में परिवर्तन विषयक पूर्वसूचना सेवाएँ (ocean climate change advisory services), समुद्र-तल से नीचे चलने वाले वाहन (underwater vehicles ) एवं समुद्र-तल के भीतर रोबोटिक तकनीक प्रयोग (underwater robotics related technologies).

इसके अतिरिक्त इस अभियान के दो प्रमुख परियोजनाएँ हैं – ज्वारीय ऊर्जा से संचालित समुद्री जल से लवण को दूर करने वाले एक संयंत्र का निर्माण तथा एक ऐसा वाहन बनाना जो समुद्र-तल के कम से कम 6000 मीटर भीतर जाकर अन्वेषण कार्य सकेगा.

अभियान का महत्त्व

गहन समुद्र अभियान (Deep Ocean Mission – DOM) से भारत ऐसी क्षमता विकसित कर सकेगा जिससे कि वह केन्द्रीय हिन्द महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin – CIOB) में उपलब्ध संसाधनों का दोहन कर सके.

ज्ञातव्य है संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (International Seabed Authority) ने भारत को केन्द्रीय हिन्द महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin – CIOB) के अन्दर 75,000 वर्ग किलोमीटर आवंटित किया है. यह आवंटन इस क्षेत्र में बहु-धात्विक अयस्कों (Polymetallic nodules – PMN) की खोज करने के लिए दिया गया है. इस बेसिन में लोहा, मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट जैसी धातुओं का 380 मिलियन मेट्रिक टन का भंडार हैं.

क्षमता

अनुमान है कि यदि भारत इन भंडारों के 10% भाग का भी दोहन कर ले तो देश की अगले 200 साल की ऊर्जा आवश्यकताएँ पूरी हो जायेंगी.

सम्भावनाएँ

भारत को मध्य हिंद महासागर बेसिन (CIOB) में पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स (Polymetallic nodules– PMN) अन्वेषण के लिये संयुक्त राष्ट्र सागरीय नितल प्राधिकरण (UN International Sea Bed Authority for exploration) द्वारा 75,000 वर्ग किलोमीटर का आवंटन किया गया है.

  1. मध्य हिंद महासागर बेसिन क्षेत्र में लोहामैंगनीजनिकल और कोबाल्ट जैसी धातुओं के भण्डार हैं.
  2. अनुमानित है कि, इस विशाल भण्डार के केवल 10% दोहन से भारत की अगले 100 सालों के लिए ऊर्जा की जरूरत पूरी हो सकती है.

PMN क्या होता है?

बहु-धात्विक अयस्क, (Polymetallic nodules – PMN) जिसे मैंगनीज नोड्यूल भी कहते हैं, एक आलू के आकर का छिद्रमय अयस्क होता है जो पूरे विश्व में समुद्र-तल बहुत ही सघनता से पाया जाता है. इनमें मैंगनीज के साथ-साथ लोहा, निकल, तांबा, कोबाल्ट, रांगा, मोलिब्डेनम, कैडमियम, वैनेडियम, टाइटेनियम आदि होते हैं. इनमें से निकल, कोबाल्ट और तांबे का बहुत ही बड़ा आर्थिक एवं रणनीतिक महत्त्व है.

अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (ISA) क्या है?

यह एक संयुक्त राष्ट्र (UN) का निकाय है जिसकी स्थापना समुद्रों के अंतर्राष्ट्रीय भागों में उपलब्ध अजैव संसाधनों के अन्वेषण तथा दोहन को नियंत्रित करने के लिए की गई थी. गत वर्ष भारत इस प्राधिकरण की परिषद् का फिर से सदस्य चुना गया था. इसके अलावा इस निकाय के अधीनस्थ विधिक एवं तकनीकी आयोग तथा वित्तीय समिति में भारत के प्रतिनिधियों का चयन हुआ था.

पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स (PMN)

  1. पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स (जिन्हें मैंगनीज नॉड्यूल भी कहा जाता है) आलू के आकार के तथा प्रायः छिद्रयुक्त होते हैं. ये विश्व महासागरों में गहरे समुद्र तलों पर प्रचुर मात्रा में बिछे हुए पाए जाते हैं.
  2. अवगठन: पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स में मैंगनीज और लोहे के अलावा, निकल, तांबा, कोबाल्ट, सीसा, मोलिब्डेनम, कैडमियम, वैनेडियम, टाइटेनियम पाए जाते है, जिनमें से निकल, कोबाल्ट और तांबा आर्थिक और सामरिक महत्त्व के माने जाते हैं.

GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Role of external state and non-state actors in creating challenges to internal security.

Topic : Unlawful Activities Prevention Act

संदर्भ

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act- UAPA), 1967 की एक अन्य रूप से “अस्पष्ट” धारा 15 की रूपरेखा को परिभाषित करते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने एक निर्णय देते हुए, अधिनियम की धारा 18, 15, 17 को लागू करने पर कुछ महत्त्वपूर्ण सिद्धांत निर्धारित किए हैं.

संबंधित प्रकरण

नागरिकता विरोधी (संशोधन) अधिनियम, 2019 का विरोध के दौरान किसी “बड़ी साजिश” का हिस्सा होने के आरोपों का सामना करने वाले, दिल्ली-दंगों के आरोपियों को जमानत देते समय यह मुद्दा सामने आया. इनमें से कुछ विरोध-प्रदर्शन हिंसक रूप में परिवर्तित हो गए थे, जिसके परिणामस्वरूप उत्तर-पूर्वी दिल्ली में कई मौतें हो गयी थीं.

UAPA की धारा 15, 17 और 18

  1. यूएपीए ऐक्ट के सेक्शन 15 के अनुसार भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को संकट में डालने या संकट में डालने की संभावना के इरादे से भारत में या विदेश में जनता या जनता के किसी तबक़े में आतंक फैलाने या आतंक फैलाने की संभावना के इरादे से किया गया कार्य ‘आतंकवादी कृत्य’ है.
  2. धारा 17 के तहत आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाने पर दण्डित करने का प्रावधान किया गया है.
  3. धारा 18, के अंतर्गत ‘आतंकवादी कृत्य करने हेतु साजिश आदि रचने’ या आतंकवादी कृत्य करने हेतु तैयारी करने वाले किसी भी कार्य’ संबंधी अपराधों के लिए आरोपित किया जाता है.

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम क्या है?

  • यह कानून भारत में गैरकानूनी कार्य करने वाले संगठनों की कारगर रोकथाम के लिए बनाया गया है.
  • इसका मुख्य उद्देश्य देश विरोधी गतिविधियों के लिए कानूनी शक्ति का प्रयोग करना है.
  • इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई राष्ट्रद्रोही आन्दोलन का समर्थन करता है अथवा किसी विदेशी देश द्वारा किये गये भारत के क्षेत्र पर दावे का समर्थन करता है तो वह अपराध माना जाएगा.
  • UAPA 1967 में पारित हुआ था. बाद में यह पहले 2008 में और फिर 2012 में संशोधित हुआ था.

न्यायालय द्वारा की गई प्रमुख टिप्पणियां

  1. “आतंकवादी अधिनियम” (Terrorist Act) को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए.
  2. न्यायालय ने ‘हितेंद्र विष्णु ठाकुर मामले’ में सर्वोच्च न्यायालाय के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि, ‘आतंकवादी गतिविधियां’ वे होती हैं, जिनसे निपटना, सामान्य दंड कानूनों के तहत कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता से बाहर होता है. .
  3. हर आतंकवादी एक अपराधी हो सकता है लेकिन हर अपराधी को आतंकवादी नहीं कहा जा सकता (हितेंद्र विष्णु ठाकुर निर्णय).
  4. आतंकवादी कृत्यों की तुलना, राज्य में सामान्य कानून व्यवस्था की समस्या से नहीं की जानी चाहिए.
  5. “आतंकवादी अधिनियम” को आईपीसी के तहत पारंपरिक अपराधों के अंतर्गत आने वाले मामलों में लापरवाही से लागू नहीं किया जा सकता है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

“यूएपीए में ‘आतंकवादी कृत्य’ की परिभाषा अस्पष्ट है और ‘आकंतवादी कृत्य’ का प्रयोग किसी भी आपराधिक कृत्य के लिए नहीं किया जा सकता, विशेषतः ऐसे कृत्यों के लिए, जिनकी परिभाषा पहले से अन्य क़ानूनों में तय है.”

इसे “भारत की रक्षा’ पर गहन प्रभाव के मामलों से निपटने के लिए बनाया गया था, ये इससे कम या ज्यादा कुछ नहीं है. आतंकवाद को अन्य अपराधों से अलग करना होगा, भले ही वे अपनी  प्रकृति और सीमा में कितने भी “गंभीर या जघन्य” क्यों न हो. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, और जैसा कि अक्सर कहा जाता है, सभी आतंकवादी अपराधी होते हैं लेकिन सभी अपराधी आतंकवादी नहीं होते. जब कड़े क़ानूनी दंड का प्रावधान हो तो विशेष सावधानी बरतकर सब चीज़ों को समझना चाहिए. आतंकवाद, बढ़ी हुई अराजकता और हिंसा का परिणाम है. क़ानून व्यवस्था को बिगाड़ने से ही आतंकवादी गतिविधि नहीं होती. यह ऐसी गतिविधि होनी चाहिए, जिससे निपटने में क़ानूनी एजेंसियाँ सामान्य क़ानूनों को असमर्थ पाएँ.

ऐसे में अदालत को यूएपीए के सेक्शन 15 में प्रयोग ‘आतंकवादी कृत्य’ शब्दावली को इस्तेमाल करते हुए सावधानी बरतनी चाहिए वरना इस बेहद घृणित अपराध की गंभीरता ख़त्म हो जाएगी.


Prelims Vishesh

State of India’s Enviornment Report 2021 by Centre for Science and Environment (CSE) :-

  • 17 सतत विकास लक्ष्यों (500) में भारत की रैंक विगत वर्ष से दो स्थान नीचे 117 पर आ गई है.
  • इस गिरावट के कारणों में कई चुनौतियां विद्यमान हैं, जैसे:-

i) भुखमरी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना (SDG 2)

ii) लैंगिक समानता हासिल करना (SDG 5) तथा

iii) लचीले बुनियादी ढांचे का निर्माण, सतत औद्योगीकरण और नवाचार (SDG 9)

  • भारत चार दक्षिण एशियाई देशों यथा- मूटान, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश से नीचे है.
  • भारत का कुल 500 स्कोर 100 में से 61.9 है.
  • CSE नई दिल्‍ली में स्थित एक जनहित अनुसंधान और पक्षपोषण संगठन है.

Bose Einstein condensation : BEC :-

  • हाल ही में, भौतिकविदों को प्रकाश कणों के BEC में एक नया चरण दृष्टिगोचर हुआ.
  • कभी-कभी “पदार्थ की पांचवी अवस्था के रूप में वर्णित BEC पदार्थ की एक अवस्था होती है.
  • इसका निर्माण कण (जिन्हें बोसॉन कण कहा जाता है) को लगभग परम शून्य तापमान (-273.15 डिग्री सेल्सियस) तक ठंडा किये जाने पर होता है.
  • “इतने कम तापमान पर कणों के लिए उन स्थितियों में जाने हेतु अपर्याप्त ऊर्जा होती है, जो उनकी विशिष्ट क्वांटम विशेषताओं का एक दूसरे के साथ हस्तक्षेप करने का कारण बन सकती है.
  • इसलिए, इस अवस्था में ये कण एक विशाल सुपर पार्टिकल की भांति व्यवहार करते हैं.

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