Sansar डेली करंट अफेयर्स, 18 December 2019

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 18 December 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Parliament and State Legislatures – structure, functioning, conduct of business, powers & privileges and issues arising out of these.

Topic : What is a privilege motion?

संदर्भ

कांग्रेस सांसद माणिकाम टैगोर ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दाखिल किया है. टैगोर का आरोप है कि ईरानी ने 13 दिसंबर को राहुल गांधी की ‘रेप वाली टिप्पणी’ पर झूठ बोलते हुए सदन को ‘गुमराह’ किया है.

विशेषाधिकार का प्रस्ताव क्या है?

संसदीय विशेषाधिकार वे विशिष्‍ट अधिकार और छूतें हैं जो संसद के दोनों सदनों को, उसके सदस्‍यों को और समितियों को प्राप्‍त हैं. विशेषाधिकार इस दृष्‍टि से दिए जाते हैं कि संसद के दोनों सदन, उसकी समितियां और सदस्‍य अपना काम कारगर ढंग से कर सकें. जब इन अधिकारों और छूटों का उल्लंघन होता है तो उसे विशेषाधिकार का उल्लंघन कहा जाता है जो संसदीय कानून के अंतर्गत दंडनीय होता है.

विशेषाधिकार से सम्बंधित नियम कौन से हैं?

विशेषाधिकार का मामला लोक सभा नियमावली के अध्याय 20 के अंतर्गत नियम संख्या 222 तथा राज्य सभा नियमावली के अध्याय 16 के अंतर्गत नियम 187 के अन्दर आता है. इन नियमों के अनुसार, लोक सभा अध्यक्ष अथवा राज्यसभा के सभापति की अनुमति से कोई भी सदस्य यह प्रश्न उपस्थापित कर सकता है कि लोक सभा अथवा राज्य सभा अथवा इन सदनों की किसी समिति के विशेषाधिकार का उल्लंघन हुआ है. परन्तु इन नियमों के अनुसार यह आवश्यक है कि विशेषाधिकार के हनन का मामला तब ही बनेगा जब वह ऐसी घटना से सम्बंधित होगा जो हाल ही में घटी हो और इसके लिए सदन का हस्तक्षेप आवश्यक हो. विशेषाधिकार की सूचना लोकसभा अध्यक्ष अथवा सभापति के समक्ष 10 बजे प्रातः के पहले अवश्य पहुँच जाना चाहिए.

अध्यक्ष/सभापति की भूमिका

किसी विशेषाधिकार प्रस्ताव की जाँच सबसे पहले अध्यक्ष/सभापति ही करते हैं. वे अपने ही स्तर से विशेषाधिकार प्रस्ताव पर निर्णय ले सकते हैं अथवा उसे संसद की विशेषाधिकार समिति को भेज सकते हैं. यदि अध्यक्ष/सभापति नियम 222 के अंतर्गत अनुमति देते हैं तो सम्बंधित सदस्य को एक संक्षिप्त बयान देने का अवसर दिया जाता है.

विशेषाधिकार समिति  क्या है?

लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के गठन के लिए सभी दलों की सदस्य संख्या के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष 15 सदस्यों को  नामित करते हैं. इसके पश्चात् सदन में  इसपर विचार करने के लिए एक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाता है. प्रतिवेदन पर विचार के समय अध्यक्ष चाहें तो आधे घंटे की चर्चा की अनुमति दे सकते हैं. इसके उपरान्त अध्यक्ष अंतिम निर्णय सुना सकते हैं या उस प्रतिवेदन को सदन में रखने का निर्देश दे सकते हैं. तत्पश्चात् विशेषाधिकार उल्लंघन के विषय में एक संकल्प लाया जाता है जिसका सर्वसम्मति से पारित होना अनिवार्य होता है.

जहाँ तक राज्यसभा की बात है वहाँ की विशेषाधिकार समिति में 10 सदस्य होते हैं और उसकी अध्यक्षता उप-सभापति करते हैं.


GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic :  Prevention of Damage to Public Property Act

संदर्भ

नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) पर देश के कई हिस्सों में बवाल पसरा है. लोग इस इस एक्ट के खिलाफ हिंसक विरोध (Violent Protest) प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में हुए विरोध प्रदर्शन में सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति (Public And Government Properties) को नुकसान पहुंचाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्रों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन कोर्ट ने प्रदर्शन के दौरान हुए सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान पर नाखुशी जाहिर की.

सार्वजनिक संपत्ति नुकसान रोकथाम अधिनियम, 1984 क्या है?

  • सार्वजनिक संपत्ति नुकसान रोकथाम अधिनियम, 1984 केंद्रीय कानून है. इसके अलावा अलग-अलग राज्यों ने इस बारे में अपने-अपने कानून बना रखे हैं. केंद्रीय कानून के अलावा राज्यों के कानून के मुताबिक सार्वजनिक संपत्तियों के नुक्सान के मामलों में लिप्त दोषियों को सजा सुनाई जाती है.
  • अगर कोई व्यक्ति सरकारी या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी साबित होता है तो उसे 5 साल की सजा हो सकती है.
  • इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है. ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है.
  • कानून के मुताबिक सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति का नुकसान पहुंचाने के दोषी को तब तक जमानत नहीं मिल सकती, जब तक कि वो नुकसान की 100 फीसदी भरपाई नहीं कर देता है.

आगे की राह

वैसे देखने वाली बात यह भी है कि ऐसे ही कानूनों की आवश्यक्ता कुछ अन्य क्षेत्रों मे भी है. जिस तरह से सार्वजनिक स्थलों व सेवाओं के प्रति हमारी एक लापरवाह व स्वार्थी मानसिकता बन गई है, उसे देखते हुए कानून का भय जरूरी हो गया है. बेशक मन से न सही, कम से कम सजा के भय से तो कुछ अच्छे परिणाम मिलने की संभावना बनेगी. इसलिए अब जरूरत इस बात की है कि इस कानून को यथाशीघ्र सामयिक व सख्त बना कर देश भर मे लागू किया जाए तथा सरकारी संपत्ति के प्रति जो नजरिया बन गया है उसे बदला जाए.


GS Paper 3 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic :  Fuel cell electric vehicles (FCEV)

संदर्भ

पिछले महीने उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केन्द्र को निर्देश दिया कि वायु प्रदूषण की समस्या के स्थाई समाधान के लिए हाइड्रोजन आधारित जापानी प्रौद्योगिकी अपनाने की व्यावहार्यता तलाशी जाए. शीर्ष अदालत ने केन्द्र को इस विषय पर विचार विमर्श तेज करने और न्यायालय को तीन दिसंबर को अपने नतीजों से अवगत कराने का निर्देश दिया.

हाइड्रोजन ईंधन ही क्यों?

  • हाइड्रोजन ईंधन का एक स्वच्छ स्रोत है क्योंकि इसके प्रयोग से सह उत्पाद के रूप में मात्र पानी और ताप का ही सृजन होता है.
  • हाइड्रोजन कई स्रोतों से निकाला जा सकता है, जैसे – मीथेन, कोयला, पानी और यहाँ तक की कचरा भी.
  • बिजली से चलने वाली गाड़ियों को रिचार्ज करने में घंटों लग जाते हैं और वे कुछ सौ किलोमीटर ही चल पाती हैं. किन्तु FCEV को रिचार्ज करने में कम समय लगता है और ये अधिक दूर तक भी जाती हैं.

ग्राहक FCEV से कतरा क्यों रहे हैं?

  • FCEV गाड़ियों में ईंधन भरने के लिए अनेक स्टेशन बनाने पड़ेंगे जिनमें भारी-भरकम खर्च भी होगा.
  • ऐसे स्टेशन लाभप्रद हों उसके लिए आवश्यक है कि बाजार में FCEV काफी संख्या में दौड़ने लगें.
  • ग्राहक डरते हैं कि इन गाड़ियों में विस्फोट हो सकता है.
  • FCEV गाड़ियाँ महंगी होती हैं. अतः इनका दाम गैसोलीन से चलने वाली गाड़ियों के बराबर में लाना तभी संभव होगा जब सरकार इनको भारी-भरकम सब्सिडी दे.

सम्बंधित आँकड़े

  • चीन स्वचालित वाहनों का सबसे बड़ा बाजार है क्योंकि वहाँ प्रति वर्ष 28 मिलियन गाड़ियाँ बिका करती हैं. चीन चाहता है कि 2030 तक उसके यहाँ 10 लाख हाइड्रोजन ईंधन बैटरी वाली गाड़ियाँ चलने लगें. अभी वहाँ ऐसी मात्र 1,500 गाड़ियाँ हैं और वे भी बसें.
  • प्रत्येक वर्ष 5 मिलियन गाड़ियों के बाजार वाले जापान में अभी 3,400 FCEV चला करती हैं. वह चाहता है कि इनकी संख्या 2030 तक बढ़ाकर 800,000 कर दे.
  • जापान की तुलना में एक तिहाई कार बाजार वाले दक्षिणी कोरिया ने 2030 तक 850,000 FCEV गाड़ियों का लक्ष्य रखा है. ज्ञातव्य है कि 2018 के अंत तक वहाँ ऐसी 900 गाड़ियाँ ही बिकी थीं.

GS Paper 3 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Awareness in the fields of IT, Space, Computers, robotics, nano-technology, bio-technology and issues relating to intellectual property rights.

Topic : National Electronic Funds Transfer (NEFT)

संदर्भ

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सप्ताह के सभी सात दिनों और 24 घंटे ( 24 × 7) ऑनलाइन फंड ट्रांसफर की सुविधा देने का ऐलान किया है. इसके तहत राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) के जरिए यह सुविधा मिलेगी. इससे बैंकिंग के लिए लोगों को और ज्यादा वक्त मिल सकेगा.

विदित हो कि अभी तक NEFT में रविवार, महीने के दूसरे और चौथे शनिवार और कैलेंडर वर्ष के लिए घोषित बैंक छुट्टियों में फंड ट्रांसफर की अनुमति नहीं थी. अभी तक एक से दूसरे खाते में पैसे हस्तांतरण करने के लिए NEFT की सुविधा का इस्तेमाल केवल कार्य दिवस पर सुबह 8 बजे से 7 शाम बजे तक किया जा सकता था.

भारत में इस समय बहुत सी भुगतान प्रणालियाँ चलन में हैं जिनमें मुख्य हैं :-

  1. राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (National Electronic Funds Transfer -NEFT)
  2. तत्काल सकल निपटान (Real Time Gross Settlement- ‘RTGS’)
  3. तत्काल भुगतान सेवा (Immediate Payment Service-IMPS)

NEFT क्या है?

  • नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) भारत के सबसे प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक धन हस्तांतरण प्रणालियों में से एक है.
  • इसे नवंबर 2005 में शुरू किया गया था.
  • NEFT एक व्यक्ति के खाते से दूसरे व्यक्ति के खाते में रूपये भेजने की सुविधा है. इसमें रुपया तुरंत ही लाभार्थी के खाते में जमा हस्तांतरित नही किया जा सकता है बल्कि इसको भेजने के लिए प्रति घंटा के हिसाब से टाइम स्लॉट बंटे होते हैं जिनमे ही इस माध्यम से रुपये भेजे जा सकते हैं.

IMPS क्या है?

  • तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) के माध्यम से फंड को चौबीसों घंटे हस्तांतरित किया जा सकता है, लेकिन इसकी अधिकतम राशि 2 लाख रुपये है.
  • इस सेवा को सार्वजनिक रूप से 22 नवंबर, 2010 को शुरू किया गया था.
  • इस सेवा का प्रबंधन राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India –NPCI) द्वारा किया जाता है.

RTGS क्या है?

  • आरटीजीएस (Real-Time Gross Settlement) के माध्यम से 2 लाख के ऊपर के पेमेंट का हस्तांतरण किया जाता है लेकिन कार्यदिवस में ग्राहक लेनदेन के लिए सुबह 8 बजे से शाम 4.30 बजे तक ही यह सुविधा है.
  • RTGS प्रणाली लगभग 16 दिन में देश की जीडीपी के बराबर का लेन-देन कर देती है.
  • RTGS राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली में माध्यम से देश के उच्च मूल्य लेनदेन वाले 95% भुगतान इसी भुगतान प्रणाली के माध्यम से किये जाते हैं.
  • यह भुगतान प्रणाली पूरे विश्व में सबसे ज्यादा प्रयोग की जाती है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Project Dolphin

संदर्भ

सरकार डॉल्फ़िन की आबादी बढ़ाने के लिए “प्रोजेक्ट टाइगर” की तर्ज पर “प्रोजेक्ट डॉल्फिन” नामक एक कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रही है.

विदित हो कि डॉल्फ़िन को भारतीय वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 में शामिल किया गया है और IUCN की लाल सूची में डॉलफिन “लुप्तप्राय” की श्रेणी में हैं.

मुख्य तथ्य

  • वर्तमान में डॉल्फिन भारत, नेपाल एवं बांग्लादेश में गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और करनाफुल्ली नदी में पाई जाती है.
  • गंगा नदी में पांच विशेष प्रकार की डॉल्फिन मिलती हैं. ये प्रजातियां केवल साफ पानी में भी पाई जाती हैं और दुनिया में ये केवल दक्षिण अमेरिका व चीन की नदियों में पाई जाती हैं.
  • 2009 में केंद्र सरकार ने डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया था.
  • देश में गंगा व ब्रह्मपुत्र में ही डॉल्फिन पाई जाती है. गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन एक नेत्रहीन जलीय जीव है, जिसकी घ्राण शक्ति अत्यंत ही तीव्र होती है.

चिंता का विषय

डॉल्फिन की उम्र 30 वर्ष के करीब होती है और यह दस वर्ष तक वयस्क होती है. यह दो से तीन बार प्रजनन करती है. गंगा के बढ़ते प्रदूषण व बांधों की वजह से डॉल्फिन पर खतरा है. कई जगहों पर डॉल्फिन का शिकार भी होता है, जो इस संख्या में आ रही कमी की प्रमुख वजह है. इसका शिकार इसकी चर्बी से एक तेल बनाने के लिए किया जाता है, जिसे अन्य मछलियों के चारे के लिए प्रयोग किया जाता है.


Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA

November, 2019 Sansar DCA is available Now, Click to Download

Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]