Sansar डेली करंट अफेयर्स, 18 April 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 18 April 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : Special Drawing Rights (SDR)

संदर्भ

पिछले दिनों अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने निर्णय किया कि वह अपने सभी 189 सदस्यों को काविड-19 से उत्पन्न संकट से लड़ने के लिए बिना शर्त के निकासी के विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDR) प्रदान करेगा.

परन्तु, भारत इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर रहा है क्योंकि उसे लगता है कि इससे महामारी-जन्य वित्तीय संकट को दूर करने में सहायता नहीं मिलेगी. भारत को डर है कि कुछ देश इस कोष का प्रयोग महामारी से अलग कार्यों के लिए कर सकते हैं जिसके फलस्वरूप आवंटन का महंगा दुष्परिणाम भी हो सकता है.

विशेष आहरण अधिकार 

(Special Drawing Rights-SDRs)

  • SDR को IMF द्वारा 1969 में अपने सदस्य देशों के लिये अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति के रूप में बनाया गया था.
  • आरंभ में SDR को 0.888671 ग्राम सोने के बराबर परिभाषित किया गया था, जो उस समय एक डॉलर के बराबर था, परंतु ब्रेटन वुड्स प्रणाली (Bretton Woods System) के पतन के बाद SDR को मुद्राओं की एक बास्केट के रूप में फिर से परिभाषित किया गया था.
  • इस बास्केट में पाँच देशों की मुद्राएँ शामिल हैं- अमेरिकी डॉलर (Dollar), यूरोप का यूरो (Euro), चीन की मुद्रा रॅन्मिन्बी (Renminbi), जापानी येन (Yen), ब्रिटेन का पाउंड (Pound).

विशेष आहरण अधिकार की भूमिका

  • SDR की स्थापना ब्रेटन वुड्स निश्चित विनिमय दर प्रणाली (Breton Woods fixed exchange rate system) के सन्दर्भ में पूरक अंतर्राष्ट्रीय भंडार संपदा (supplementary international reserve asset) के रूप में की गई थी.
  • SDR अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं कुछ अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की इकाई के खाते की एक इकाई के रूप में काम करता है.
  • SDR कोई मुद्रा नहीं है और न ही यह अंतर्राष्ट्रीय पर कोई दावा ही है.
  • वस्तुतः यह एक संभाव्य दावा है जो IMF के सदस्यों की प्रयोज्य मुद्राओं पर किया जा सकता है.
  • इन मुद्राओं के लिए विशेष आहरण अधिकार (SDR) का विनिमय हो सकता है.

समीक्षा

विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDR) की प्रत्येक पांच वर्ष पर समीक्षा होती है. यह समीक्षा आवश्यकता पड़ने पर पहले भी हो सकती है. समीक्षा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि SDR Basket विश्व की व्यापारिक और आर्थिक प्रणालियों में विभिन्न मुद्राओं के सापेक्ष महत्त्व को प्रतिबिम्बित करे.

समीक्षा में SDR की पद्धति मूल्यांकन पद्धति के  मुख्य तत्त्वों पर विचार किया जाता है, जैसे – SDR बास्केट की मुद्राओं के चयन में प्रयोग होने वाले मानदंड एवं संकेतक तथा SDR बास्केट की प्रत्येक मुद्रा के लिए राशि निर्धारित करने में प्रयोग होने वाले प्रारम्भिक मुद्रा वेटेज (initial currency weights).

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GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : World heritage day

संदर्भ

18 अप्रैल को हर साल दुनिया भर में विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है, ताकि वैश्विक समुदायों के बीच विरासत के बारे में जागरूकता पैदा हो सके.

विश्व धरोहर स्थल क्या है?

  • विश्व धरोहर स्थल उस स्थल को कहते हैं जो या तो प्राकृतिक है अथवा मनुष्यकृत है. इसके अतिरिक्त कोई भी ऐसा ढाँचा जिसका अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व है अथवा ऐसी जगह जिसके लिए विशेष सुरक्षा की आवश्यकता है, वह विश्व धरोहर स्थल (world heritage site) कहलाता है.
  • ऐसे धरोहर स्थलों को संयुक्त राष्ट्र संघ और UNESCO की ओर से औपचारिक मान्यता दी जाती है. UNESCO का विचार है कि विश्व धरोहर स्थल मानवता के लिए महत्त्वपूर्ण हैं और इनकी सांस्कृतिक एवं भौतिक सार्थकता ही है.
  • विदित हो कि भारत में कुल 36 (1 मिश्रित, 7 प्राकृतिक और 28 सांस्कृतिक) यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व विरासत स्थल हैं जो विशेष रूप से सांस्कृतिक या भौतिक महत्व रखते है.
  • भारत दुनिया में सर्वाधिक धरोहर स्थलों में छठे स्थान पर है.

एक विरासत स्थल होने के लाभ

  • UNESCO के विरासत स्थल टैग से स्थल के पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलता है. रोम, पेरिस, काहिरा और एडिनबर्ग इसके अच्छे उदाहरण हैं.
  • पर्यटन को बढ़ावा मिलने से आम तौर पर सम्बद्ध उद्योगों में रोजगार का विकास होता है.
  • UNESCO की वेबसाइट के मुताबिक, “विरासत शहर के स्थलों के संरक्षण के लिए विश्व धरोहर समिति की ओर से वित्तीय सहायता और विशेषज्ञ सलाह भी मिलती है.”

पृष्ठभूमि

1982 में ICOMOS (अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद्) ने 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस घोषित किया था एवं 1983 में UNESCO की जनरल असेंबली ने इसका अनुमोदन कर दिया था.


GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.

Topic : How the RBI is handling ‘The Great Lockdown’?

संदर्भ

लॉकडाउन (Lockdown) ने भारत के साथ-साथ दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं की कमर तोड़ दी है. दुनिया के सभी बड़े बैंक अपने देश की अर्थव्यवस्था को बचाने में लगे है. भारत में भी रिजर्व बैंक यथासक्षम भूमिका निभा रहा है.

RBI ने अब तक क्या-क्या कदम उठाये हैं?

  1. रिर्जव बैक  इस समय देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर रहा है. जिसका फायादा सीधे आम लोगों को और बैंको को होगा. अब लोगों को कर्ज आसानी से मिलेगा और ब्याज के रुप में कम पैसा चुकाना होगा. 
  2. इस प्रकार आज की तिथि में रिवर्स रेपो रेट 3.75% तथा रेपो रेट 4.40% हो गया है.
  3. बैंकों को ये सलाह दी गई कि तीन महीने तक ईएमआई पर राहत दें. कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती करके 3 प्रतिशत कर दिया गया. सभी कमर्शियल बैंकों को ब्याज और कर्ज अदा करने में तीन माह की छूट दी गई.
  4. भारतीय रिज़र्व बैंक ने 50 हजार करोड़ बैंकों को देने का लक्ष्य रखा है, परन्तु इसमें यह शर्त रख दी है कि इस राशि की आधी राशि (50%) इन बैंकों को लघु एवं मध्यम गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों तथा लघु-वित्त संस्थानों को देना होगा.
  5. RBI नाबार्ड को 25 हजार करोड़ रुपये, सिडबी को 15 हजार करोड़ रुपये और हाउसिंग फाइनेंस बैंक को 10 हजार करोड़ रुपये की मदद देगा ताकि नकदी की दिक्कत को दूर किया जा सके. 
  6. इसके अतिरिक्त भारतीय रिज़र्व बैंक राज्य सरकारों को भी वेज एंड मीन्स एडवांस की सुविधा प्रदान करेगा जिससे कि वे इस राशि को आर्थिक संकट को दूर करने में खर्च कर सकेंगी.
  7. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों को यह छूट दी है कि वे अपने तरलता कवरेज अनुपात (Liquidity Coverage Ratio) 100% से 80% तत्काल प्रभाव से घटा सकते हैं.

वर्तमान परिदृश्य

  • वर्ष 2020 -21 में वैश्विक कारोबार में 13 से 32% गिरावट का अनुमान है. दुनिया में 9 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है. परन्तु जब कोरोना का दौर चला जाएगा तो भारत की जीडीपी एक बार फिर 7.4% से अधिक की रफ्तार से बढ़ेगी.
  • मार्च में ऑटोमोबाइल के उत्पादन और बिक्री में गिरावट देखी गई है और साथ ही बिजली की मांग में भी कमी आई है. लॉकडाउन के कारण बिजली की मांग में 25-30% गिरावट देखी गई है.
  • मार्च 2020 में निर्यात में भारी गिरावट आई है, इसके बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार 476 अरब डॉलर का है जो 11 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है.
  • दुनिया में कच्चे तेल के दाम लगातार घट रहे हैं, जिससे सभी देशों को लाभ हो सकता है.
  • भारत में इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से अच्छा काम हो रहा है और बैंक भी अच्छा काम कर रहे हैं एवं चुनौतियों के बावजूद एटीएम का भी अच्छा संचालन किया जा रहा है.
  • आईएमडी ने 2020 में अच्छे मॉनसून का अनुमान लगाया है. इससे अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है. अब भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है.
  • कोरोना वायरस लॉकडाउन को आईएमएफ इकोनॉमिक काउंसलर ने इसे ‘द ग्रेट लॉकडाउन’ (The Great lockdown) नाम दिया है जिसमें 2020-21 में वैश्विक जीडीपी को लगभग 9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर नुकसान का अनुमान है. दूसरी ओर, भारत में इस समय भी अर्थव्यवस्था 1.9 % की दर से आगे बढ़गी यह G20 में सबसे ज्यादा होगा. उम्मीद है कि इसके बाद भारत फिर से 7% की रफ्तार से गति करेगा.

GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Disaster and disaster management.

Topic : How India will tackle its water woes amid ‘wash your hands’ directive?

संदर्भ

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य सरकारों को यह परामर्श दिया कि वे मई 3 तक बढ़ाई गई राष्ट्रव्यापी तालाबंदी के समय निरापद पेयजल की आपूर्ति एवं प्रबंधन सुनिश्चित करें.

राज्य सरकारों को यह भी कहा गया है कि वे गांवों में फिल्ड टेस्ट किट भेज दे जिससे कि जल संसाधनों का समय-समय पर परीक्षण हो सके और जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 24 घंटे निगरानी हो सके.

इसकी आवश्यकता क्यों?

वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए सबसे कारगर उपाय झाग वाले साबुन से बार-बार हाथ धोने को माना गया है.

भारत में जल की समस्या

  • भारत के चेन्नई जैसे कई शहरों में पानी की भयंकर कमी ने हमारे देश में जल संकट की ओर एक बार फिर से लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. हालांकि जानकार, पर्यावरणविद् और स्वयंसेवी संगठन बहुत समय से भारत में आने वाले जल संकट के बारे में ज़ोर-शोर से बता रहे थे. परन्तु, उनकी चेतावनी को तब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया, जब तक देश के बड़े शहरों के नलों का पानी सूख नहीं गया.
  • सच्चाई यह है कि स्वयं सरकार के संगठन नीति आयोग ने पिछले वर्ष जून में आने वाले जल संकट के प्रति आगाह करने वाली एक प्रतिवेदन जारी किया था, जिसका नाम था — “कंपोज़िट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स (CWMI), अ नेशनल टूल फॉर वाटर मेज़रमेंट, मैनेजमेंट ऐंड इम्प्रूवमेंट.”
  • इस प्रतिवेदन में नीति आयोग ने माना था कि भारत अपने इतिहास के सबसे भयंकर जल संकट से जूझ रहा है और भारत के लगभग 60 करोड़ लोगों (यह जनसंख्या लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई द्वीपों की कुल आबादी के बराबर है) यानी 45% जनसंख्या को पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है.
  • इस प्रतिवेदन में आगे चेतावनी दी गई कि वर्ष 2020 तक देश के 21 अहम शहरों में भूगर्भ जल (जो कि भारत के लगभग सभी शहरों में पानी का महत्त्वपूर्ण स्रोत है) ख़त्म हो जाएगा.
  • वर्ष 2030 तक देश की 40% जनसंख्या को पीने का पानी उपलब्ध नहीं होगा और 2050 तक जल संकट की वजह से देश की सकल घरेलू उत्पाद को 6% की क्षति होगी.
  • इस प्रतिवेदन के निर्गत होने के ठीक एक साल पश्चात् अब सरकार ने 2024 तक देश के सभी ग्रामीण घरों तक पाइप से पीने का साफ़ पानी पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की. 

जल से सम्बंधित संवैधानिक प्रावधान

  1. भारत राज्यों का संघ है. राज्य और केन्द्र के बीच दायित्वों के आबंटन के सम्बन्ध में संवैधानिक प्रावधान तीन श्रेणियों में आते हैं: संघ सूची (सूची-I), राज्य सूची (सूची-II) तथा समवर्ती सूची (सूची-III).
  2. संविधान के अनुच्छेद 246 का सम्बन्ध संसद और राज्यों के विधानमण्डलों द्वारा बनाई जाने वाली विधियों की विषय-वस्तु के साथ है.
  3. क्योंकि देश में अधिकांश नदियां अन्तर्राज्यीय हैं, इन नदियों के जल का विनियमन एवं विकास अन्तर्राज्यीय मतभेदों और विवादों का कारण है.
  4. संविधान में जल सूची-II अर्थात् राज्य सूची की प्रविष्टि 17 में सम्मिलित है. यह प्रविष्टि सूची-I अर्थात् संघ सूची की प्रविष्टि 56 के प्रावधान के अधीन है. इस सम्बन्ध में विशिष्ट प्रावधान निम्नानुसार हैः-

अनुच्छेद 246

  1. खंड (2) और खंड (3) में किसी बात के होते हुए भी , संसद का सातवीं अनुसूची की सूची 1 में (जिसे इस संविधान में “संघ सूची” कहा गया है) प्रगणित किसी भी विषय के सम्बन्ध में विधि बनाने की अनन्य शक्ति है.
  2. खंड (3) में किसी बात के होते हुए भी, संसद को और खंड (1) के अधीन रहते हुए, किसी राज्य के विधान-मंडल को भी, सातवीं अनुसूची की सूची III में (जिसे इस संविधान में “समवर्ती सूची” कहा गया है) प्रगणित किसी भी विषय के सम्बन्ध में विधि बनाने की शक्ति है.
  3. खंड (1) और खंड (2) के अधीन रहते हुए, किसी राज्य के विधान-मंडल को सातवीं अनुसूची की सूची II में (जिसे इस संविधान में “राज्य सूची” कहा गया है) प्रगणित किसी भी विषय के सम्बन्ध में उस राज्य या उसके किसी भाग के लिए विधि बनाने की अनन्य शक्ति है.
  4. संसद को भारत के राज्यक्षेत्र के ऐसे भाग के लिए जो किसी राज्य के अंतर्गत नहीं है, किसी भी विषय के सम्बन्ध में विधि बनाने की शक्ति है, चाहे वह विषय राज्य सूची में प्रगणित विषय ही क्यों न हो.

सातवीं अनुसूची की सूची I की प्रविष्टि 56

सातवीं अनुसूची की सूची I की प्रविष्टि में यह प्रावधान है कि उस सीमा तक अंतरराज्यिक नदियों और नदी-घाटियों का विनियमन और विकास, जिस तक संघ के नियंत्रण के अंतर्गत ऐसे विनियमन और विकास को संसद विधि द्वारा, लोकहित में समीचीन घोषित करें.

सातवीं अनुसूची की सूची II

सातवीं अनुसूची की सूची II के अधीन प्रविष्टि 17 में यह प्रावधान है कि ‘सूची I की प्रविष्टि 56 के अधीन रहते हुए जल अर्थात् जल प्रदाय, सिंचाई और नहरें, जल निकास और तटबन्ध, जल भंडारकरण और जलशक्ति.

इस प्रकार केन्द्रीय सरकार को सातवीं अनुसूची की सूची I की प्रविष्टि 56 के अधीन केन्द्रीय सरकार को उस सीमा तक अन्तरराज्यिक नदियों का विनियमन और विकास करने की शक्ति प्राप्त है जिस तक संसद, विधि द्वारा लोकहित में समीचीन घोषित करे.

साथ ही उसे संविधान के अनुच्छेद 262 के अधीन अन्तर्राज्यीय नदी अथवा नदी घाटी से सम्बन्धित किसी विवाद के अधिनिर्णय के लिए विधियां बनाने की शक्ति भी प्राप्त है.


GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.

Topic : Ways And Means Advances

संदर्भ

काविड-19 की संकट को दूर करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने घोषणा की है कि राज्य सरकारों के लिए लागू वेज एंड मीन्स एडवांस की सीमा में 60% की वृद्धि की जा रही है.

इस निर्णय का महत्त्व

कोरोना वायरस के प्रकोप से लड़ने में राज्य सरकारों को विशेष खर्च करना पड़ेगा. अतः वेज एंड मीन्स एडवांस की सीमा बढ़ जाने से इन सरकारों को अतिशय सुविधा होगी. इस राशि से सरकारें कुछ अल्पावधि व्यय कर पाएगी जो उनकी दीर्घावधि बाजार उधारी के अतिरिक्त होगा.

वेज एंड मीन्स एडवांस क्या है?

  1. यह भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा सरकार को दी गई तात्कालिक ऋण सुविधा है जिससे सरकार को राजस्व एवं व्यय के बीच की खाई को तत्काल रूप से पाटने में सहायता मिलती है.
  2. इस ऋण पर सरकार को भारतीय रिज़र्व बैंक को ब्याज भरना पड़ता है.
  3. ब्याज की दर वही होती है जोरेपो की होती है.
  4. इस प्रकार का ऋणतीन महीने के लिए लिया जाता है.
  5. वेज एंड मीन्स एडवांस (WMA) के लिए ऋण सीमा कितनी हो इसका निर्णय भारतीय रिज़र्व बैंक और भारत सरकार परस्पर विचार करके लेती है.

पृष्ठभूमि

वेज एंड मीन्स एडवांस केन्द्रीय सरकार की योजना है जो सबसे पहले अप्रैल 1, 1997 में आई थी. इसके पहले केंद्र सरकार के घाटे को पूरा करने के लिए तदर्थ कोषागार विपत्रों की पुरानी प्रणाली अपनाई जाती थी.

यदि सरकार को अतिरिक्त धन अतिरिक्त समय के लिए चाहिए तब क्या होगा?

जब WMA की सीमा पार हो जाती है तो सरकार ओवरड्राफ्ट का सहारा लेती है. परन्तु यह ओवरड्राफ्ट अधिकतम 10 लगातार कार्य दिवसों तक के लिए ही स्वीकृत होता है. ओवरड्राफ्ट पर ब्याज की दर रेपो दर की तुलना में 2% अधिक होती है.

WAYS AND MEANS ADVANCES – WMA के प्रकार

  • वेज एंड मीन्स एडवांस के दो प्रकार होते हैं – सामान्य (normal) एवं विशेष (special).
  • विशेष WMA को स्पेशल ड्राइंग फैसिलिटी (SDM) भी कहते हैं. यह सुविधा सरकार को उसकी सिक्यूरिटियों पर मिलती है.
  • जब SDM की सीमा समाप्त हो जाती है तो सरकार सामान्य WMA प्राप्त करती है.
  • SDM के लिए ब्याज दर रेपो दर से 1% कम होती है.
  • सामान्य WMA के अन्दर सरकार एक से अधिक बार ऋण ले सकती है. इसके लिए वास्तविक राजस्व एवं पूंजी व्यय की तीन वर्षों की औसत देखी जाती है.

Prelims Vishesh

Reserve Tranche :-

रिज़र्व ट्रेन्च वह मुद्रा होती है जिसे प्रत्येक सदस्य देश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) को प्रदान किया जाता है और जिसका उपयोग वे देश अपने स्वयं के प्रयोजनों के लिये कर सकते हैं. इस मुद्रा का प्रयोग सामान्यतः आपातकाल की स्थिति में किया जाता है.

Central Administrative Tribunal :-

  • संविधान के 42वें संशोधन के द्वारासंविधान में अनुच्छेद 323A की प्रविष्टि की गई थी. इसे देखते हुए 1985 में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल अधिनियम पारित हुआ था. इसके तहत गठित केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का कार्य लोक सेवाओं और पदों में नियुक्ति तथा सेवा शर्तों से जुड़े विवादों का निष्पादन करना है.
  • इसमें एक अध्यक्ष और 65 सदस्य होते हैं. सदस्यों में 33 न्यायिक क्षेत्र से (अध्यक्ष सहित) और 33 प्रशासनिक क्षेत्र से आते हैं.
  • सामान्यतः अध्यक्ष किसी उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश होता है.

YUKTI portal :-

  • युक्ति पोर्टल का पूरा नाम है – Young India Combating COVID with Knowledge, Technology and Innovation..
  • इस पोर्टल का उद्देश्य कोविड-19 को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के द्वारा किये गये प्रयासों और पहलों को अभिलिखित करना और उन पर निगरानी रखना है.

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