Sansar डेली करंट अफेयर्स, 17 September 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 17 September 2018


GS Paper 1 Source: PIB

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Topic : ‘Swachhata Hi Seva’ movement

‘Swachhata Hi Seva’ movement

संदर्भ

सितम्बर 15, 2018 को देश भर में “स्वच्छता ही सेवा” नामक आन्दोलन का अनावरण किया गया.

उद्देश्य : स्वच्छता ही सेवा आन्दोलन का उद्देश्य अगले दो हफ्ते में महात्मा गाँधी की जयंती दिवस 2 अक्टूबर तक पूरे भारत में स्वच्छता का उच्च स्तर सुनिश्चित करना है क्योंकि महात्मा गाँधी का यह सपना था कि देश में स्वच्छता हो.

अभियान का महत्त्व

  • स्वच्छ भारत अभियान चार वर्ष पहले शुरू हुआ था और आज यह एक राष्ट्रव्यापी आन्दोलन बन गया है.
  • अक्टूबर 2, 2018 से महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती मनाने का आरम्भ होगा. सरकार चाहती है कि उस दिन सपनों को साकार किया जाए.

स्वच्छ भारत अभियान क्या है?

  • स्वच्छ भारत अभियान का समन्वय पेय जल एवं स्वच्छता मंत्रालय के द्वारा किया जा रहा है.
  • इस अभियान का लक्ष्य है लोगों को स्वच्छता के लिए प्रेरित करना जिससे कि महात्मा गाँधी की स्वच्छ भारत की कल्पना साकार हो सके.
  • इस अभियान के अंतर्गत समाज के सभी वर्ग के लोगों को स्वच्छता हेतु श्रमदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है. इसके अतिरिक्त देश को खुले शौच से मुक्त कराने के लिए शौचालय का निर्माण भी किया गया है.
  • अभियान में सार्वजनिक एवं पर्यटन स्थलों की साफ़-सफाई पर विशेष बल दिया गया है.
  • इस अभियान में भारत सरकार और राज्य सरकार ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
  • इस अभियान का एक महत्त्वपूर्ण पहलू यह था कि इसमें गरीबों और वंचित लोगों तक पहुँचा गया और उन्हें स्वच्छता सम्बंधित टिकाऊ सेवाएँ उपलब्ध कराई गईं.

पृष्ठभूमि

स्वच्छ भारत अभियान 2 अक्टूबर, 2014 को आरम्भ किया गया था और इसका लक्ष्य था 2019 तक खुले शौच को समाप्त कर देना. यह एक राष्ट्रीय अभियान है जिसके अंदर 4,041 बड़े शहरों और कस्बों में काम हुआ. इस अभियान को शहरी और ग्रामीण दो भागों में बाँटा गया था. इस प्रकार यह अभियान पहले भी चलाए गये थे पर वे उतने सफल नहीं हुए, जैसे – “निर्मल भारत अभियान” और “पूर्ण स्वच्छता अभियान”.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Members of Parliament Local Area Development Scheme (MPLADS)

संदर्भ

केन्द्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission – CIC) ने हाल ही में यह पाया कि MPLADS अर्थात् सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना में दी गई 12,000 करोड़ रुपये की राशि का व्यय नहीं हो सका है. यह देखते हुए आयोग ने लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से अनुरोध किया है कि एक ऐसा कानूनी ढाँचा बनाएँ जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना में पारदर्शिता आये तथा दी गई राशि के व्यय के विषय में सांसदों और राजनैतिक दलों को उत्तरदायी बनाया जा सके.

लंबित व्यय की स्थिति

सांख्यिकी एवं योजना कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSP) के एक प्रतिवेदन के अनुसार फरवरी, 2018 में जो राशि MPLADS के अंदर आवंटित तो हुई थी पर खर्च नहीं हो पाई थी, वह थी ₹4,773.13 करोड़. इसके अतिरिक्त ₹ 2.5 करोड़ की 2,920 किश्तें निर्गत ही नहीं हुई थीं. फलस्वरूप कुल मिलाकर ₹ 12,073.13 करोड़ का बैकलॉग था.

कानूनी ढाँचे का संभावित स्वरूप

  • नए ढाँचे में पूरी पारदर्शिता अपनाई जानी चाहिए. सभी सांसद और दल संसद और जनता को बताएँ कि उन्हें अपने चुनाव क्षेत्र से कितने आवेदन मिले थे, उनमें कितने पर अनुशंसा हुई, कितने काम अस्वीकृत कर दिए गये (कारण साहित), कार्य की प्रगति क्या है और किस-किस को योजना का लाभ मिला.
  • इस बात पर रोक लगे कि सांसद MPLADs के कोष को अपने निजी कामों में न लगाएँ अथवा कोष से अपने सम्बन्धियों अथवा निजी न्यासों में खर्च न करें. इस विषय में यदि चूक होती है तो उसके लिए उन्हें उत्तरदायी बनाया जाए.
  • जिला प्रशासन को भी नियमित रूप से सांख्यिकी एवं योजना कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSP) और जनसामान्य को योजना के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध जानकारी करानी चाहिए. इस जानकारी में किये गये कामों का सांसदवार (MP-wise) और वर्षवार (work-wise) ब्यौरा होना चाहिए.

चुनौतियाँ

MPLAD योजना के क्रियान्वयन में जो बड़ी समस्या आती है वह यह है कि मंत्रालय तक जिला स्तर से आवश्यक दस्तावेज समय पर नहीं पहुँचते हैं, जैसे – अंकेक्षण प्रमाण पत्र (Audit Certificate), उपयोग प्रमाण पत्र (Utilization Certificate), अनंतिम उपयोग प्रमाण पत्र (Provisional Utilization Certificate), मासिक प्रगति प्रतिवेदन (Monthly Progress Report), बैंक विवरण एवं ऑनलाइन मासिक प्रगति प्रतिवेदन (Bank Statement and Online Monthly Progress Report) आदि.

MPLAD योजना क्या है?

  • यह योजना 1993 के दिसम्बर में आरम्भ की गई थी. इसका उद्देश्य सांसदों की ओर से विकासात्मक कार्यों के लिए अनुशंसा प्राप्त कर टिकाऊ सामुदायिक संपदा का सृजन एवं स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर बुनियादी सुविधाएँ (सामुदायिक संरचना निर्माण सहित) प्रदान करना था.
  • इस योजना के तहत अग्रलिखित कार्यों के लिए राशि खर्च की जा सकती है – पेयजल, सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, सड़क आदि. यह राशि सांसद अपने ही चुनाव क्षेत्र के लिए खर्च कर सकता है.
  • MPLAD के लिए निर्गत राशि सीधे जिला अधिकारियों को अनुदान के रूप में निर्गत की जाती है. यह राशि वित्त वर्ष के साथ समाप्त (non-lapsablee) नहीं होती है, अपितु बाद के वर्षों में भी इसका उपयोग हो सकता है.
  • इस योजना में सांसदों की भूमिका एक अनुशंसक की होती है. वे अपने संसदीय क्षेत्र के लिए ही कार्य करा सकते हैं, परन्तु राज्य सभा के सांसद को यह अधिकार है कि वे अपने पूरे राज्य में कहीं भी काम करने के लिए अनुशंसा कर सकते हैं. सांसद अपनी पसंद के कार्यों की अनुशंसा जिला अधिकारियों को करते हैं और जिला अधिकारी राज्य सरकार द्वारा विहित प्रक्रिया के अनुसार उन कार्यों का क्रियान्वयन करते हैं. जिला अधिकारी ही यह देखते हैं कि प्रस्तावित कार्य करने योग्य हैं या नहीं और वे ही कार्यान्वयन करने वाली एजेंसियों का चयन करते हैं. कौन काम पहले होगा, उसका निर्धारण भी यही करते हैं. हो रहे काम का निरीक्षण और जमीनी स्तर पर उसके क्रियान्वयन की निगरानी भी उन्हीं का काम है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : International Day for the Preservation of the Ozone Layer

संदर्भ

ओजोन परत के संरक्षण के लिए हर वर्ष 16 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस अथवा विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है. इसके लिए इस वर्ष की theme है – ‘Keep Cool and Carry On: The Montreal Protocol’.

इस दिवस का महत्त्व

संयुक्त राष्ट्र महासभा में 1994 में 16 सितम्बर को ओजोन परत के संरक्षण का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने का निर्णय लिया था. ज्ञातव्य है कि इसी तिथि को 1987 में मोंट्रियल प्रोटोकॉल में हस्ताक्षर हुए थे जो ओजोन परत को घटाने वाले पदार्थों से सम्बन्धित था.

ओजोन परत क्या है?

वायुमंडल में ओजोन की एक परत होती है जो मनुष्य और अन्य जीवों को हानि पहुँचाने वाली सूरज की 97-99% पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है और इस प्रकार धरती को हानिकारक UV-B विकरण से बचाती है. वातावरण में विशेष तापमान और दबाव पर कितना ओजोन होता है यह नापने के लिए जिस इकाई का प्रयोग होता है उसे डॉबसन इकाई (Dobson unit) कहते हैं.

मोंट्रियल संधि (Montreal Protocol)

  • मोंट्रियल संधि (Montreal Protocol) उन पदार्थों का उत्पादन और खपत घटाने के विषय में हुई थी जिनके कारण ओजोन परत में कमी आती है. इस संधि पर सभी देशों की सहमति 16 सितम्बर, 1987 को प्राप्त हुई और इसे 1 जनवरी, 1989 से लागू किया गया.
  • इस संधि में कई रसायनों को ओजोन परत को क्षति पहुँचाने के लिए उत्तरदाई माना गया. इसमें यह व्यवस्था भी की गई कि यदि भविष्य में किसी नए हानिकारक रसायन की जानकारी मिलती है तो वह स्वतः ही इस संधि के अन्दर आ जाएगा.
  • मोंट्रियल संधि (Montreal Protocol) में यह कहा गया था कि ओजोन परत को हानि पहुँचाने वाले रसायनों – Chlorofluorocarbons (CFCs), halons, carbon tetrachloride और methyl chloroform – का उत्पादन धीरे-धीरे 2000 तक बंद कर दिया जाए (methyl chloroform के लिए 2005 तक का समय दिया गया था).

ये जरुर पढ़ें > पराबैंगनी किरण ओजोन परत को किस तरह प्रभावित कर रही है? 

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Man Portable Anti-Tank Guided Missile (MPATGM)

MPATGM

संदर्भ

हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा देश में ही निर्मित तीसरी पीढ़ी के मानव द्वारा ले जाने योग्य टैंक निरोधी दिशा निर्दिष्ट मिसाइल अर्थात् Man Portable Anti-Tank Guided Missile (MPATGM) के सफल परीक्षण किये गये.

MPATGM क्या है?

  • MPATGM एक तीसरी पीढ़ी का टैंक विरोधी दिशा निर्दिष्ट मिसाइल है जिसे DRDO भारतीय रक्षा संवेदक VEM Technologies Ltd. के साथ 2015 से तैयार कर रहा था.
  • MPATGM में एक बहुत ही विस्फोटक एंटी टैंक निरोधी (high-explosive anti-tank – HEAT) अस्त्र लगा हुआ है जो 2.5 km तक लक्ष्य भेद सकता है.

MPATGM की माँग

भारतीय सेना को आज अपने पैदल सेना और यांत्रिक इकाइयों के लिए 40,000 से अधिक मिसाइल चाहिएँ. वैसे मिसाइलों के लिए दूसरे देशों से भी बात चल रही है. हाल ही में अमेरिका में बने जेवलिन प्रणाली (Javelin system) पर विचार हुआ पर उसे अस्वीकृत कर दिया गया. वर्तमान में इजरायल की स्पाइक प्रणाली को खरीदने की बात चल रही है पर इसपर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : ISRO launches two U.K. satellites

संदर्भ

ISRO ने सतीश धवन अन्तरिक्ष केंद्र से अपने प्रक्षेपणास्त्र PSLV-C42 के माध्यम से इंग्लैंड के दो उपग्रहों – NovaSAR एवं S1-4 – को हाल ही में अन्तरिक्ष में स्थापित कर दिया. सरे उपग्रह तकनीक लिमिटेड अर्थात् Surrey Satellite Technology Ltd (SSTL) के स्वामित्व वाले इन दो उपग्रहों को ध्रुवों के आस-पास 583 किमी. ऊपर वृत्ताकार कक्ष में स्थापित किया गया है.

  • इस प्रक्षेपण से ISRO की व्यावसायिक शाखा – Antrix Corporation – को ₹220 करोड़ की कमाई हुई है.
  • यह प्रक्षेपण ISRO का इस वर्ष का तीसरा प्रक्षेपण है और यह PSLV की 44वीं उड़ान थी. ज्ञातव्य है कि PSLV-C42, PSLV का सबसे हल्का संस्करण है जो बिना छह – स्ट्रैप – ओन मोटरों के चलता है.

प्रक्षेपित उपग्रहों के बारे में

NovaSAR – एक कम लागत वाले S-band SAR मंच की क्षमताओं को जाँचने के लिए तैयार किया गया है. इसका प्रयोग जहाज़ों का पता लगाने, समुद्री यातायात पर निगरानी रखने, बाढ़ पर नजर रखने एवं कृषि और वानिकी में किया जाएगा.

S1-4 – एक अत्यंत साफ़ (high-resolution) चित्र खींचने वाला उपग्रह है जिसका प्रयोग संसाधनों के संरक्षण, पर्यावरण की निगरानी, शहरों के प्रबंधन तथा आपदा पर नजर रखने के लिए किया जायेगा.


Prelims Vishesh

Paryatan Parv :-

  • पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार केंद्र के अन्य मंत्रालयों, राज्य सरकारों एवं हितधारकों के सहयोग से पर्यटन पर्व मनाया करता है.
  • इस वर्ष इसका दूसरा संस्करण आरम्भ हो गया है.

Pacific Asia Travel Association gold awards :-

  • मकाऊ सरकार के पर्यटन कार्यालय के द्वारा सम्पोषित तथा Pacific Asia Travel Association (PATA) द्वारा वितरित पर्यटन से सम्बन्धित प्रतिष्ठित दो स्वर्ण पुरस्कार इस वर्ष केरल पर्यटन को मिला है.
  • यह पुरस्कार विपणन अभियानों में अपनाए जाने वाले नवाचार के लिए दिया जाता है.

Jharkhand government introduces electric cars for official use :-

झारखण्ड सरकार ने सरकारी उपयोग के लिए बिजली की गाड़ियों का अनावरण किया है और इस प्रकार यह राज्य देश का ऐसा पाँचवा और पूर्वी भारत का पहला राज्य बन गया है.

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