Sansar डेली करंट अफेयर्स, 17 November 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 17 November 2018


GS Paper 1 Source: The Hindu

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Topic : Maternity Benefit Act

संदर्भ

मातृत्व अवकाश को 26 सप्ताह करने के विषय में बनाए गये संशोधित कानून के कार्यान्वयन को बल देने के लिए भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने एक योजना बनाई कि वह उन महिला कर्मचारियों के सात सप्ताह के वेतन के बराबर की राशि वापस लौटा देगा जिनकी मासिक आय 15,000 रु. तक है. इस योजना से नियुक्ति देने वाले कार्यालयों, विशेषकर निजी क्षेत्र के कार्यालयों को विस्तारित मातृत्व अवकाश को लागू करने में प्रोत्साहन मिलेगा.

इस योजना के लिए मंत्रालय 400 करोड़ रु. की उत्प्रेरण की योजना के लिए बजट में अनुमोदन प्राप्त करने की प्रक्रिया में लगा हुआ है.

भूमिका

मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 में पारित हुआ था. इस अधनियम का उद्देश्य कुछ कार्यालयों काम कर रहीं महिलाओं को प्रसव के पहले और बाद में कतिपय लाभ देना है. जिन कार्यालयों पर यह अधिनियम लागू होना था, वे ऐसे कार्यालय थे जिनमें 10 अथवा 10 से अधिक लोग काम करते हों. इन कार्यालयों में कारखाने, खदानें, बगान, दुकान आदि शामिल थे.

कालांतर में 2017 में इस अधिनियम में संशोधन हुआ जिसे मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 कहा जाता है.

संशोधित कानून में क्या है?

  • संशोधन में मातृत्व लाभ की अवधि को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया. इसमें भी यह प्रावधान किया गया है कि प्रत्याशित प्रसव की तिथि के पहले अधिकतम 8 सप्ताह की छुट्टी मिल सकेगी. ज्ञातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने न्यूनतम 14 सप्ताह के मातृत्व लाभ का मानक रखा है. इस प्रकार का संशोधित कानून एक बहुत ही सकारात्मक प्रावधान है. जिस स्त्री को पहले से ही दो या दो से अधिक बच्चे हैं तो उनको मात्र 12 सप्ताह की मातृत्व छुट्टी मिलेगी जिसमें प्रसव के पहले अधिकतम 6 सप्ताह की अनुमान्य होगी. जिस स्त्री ने कानूनी ढंग से तीन महीने से कम के आयु वाले बच्चे को गोद लिया है उसको उस तिथि से 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश मिलेगा जिस दिन उसे यह बच्चा सौंपा गया था. यह प्रावधान उन माताओं पर भी लागू होगा जिन्होंने अपने अंडाणु को किसी दूसरी स्त्री के गर्भ में डालकर भ्रूण तैयार करवाया हो.
  • संशोधित मातृत्व लाभ के अनुसार कामकाजी स्त्री चाहे तो मातृत्व लाभ की अवधि के पश्चात् घर से काम से कर सकती है यदि इसके लिए उसे नियुक्ति देने वाला कार्यालय सहमति देता है. यह देखना नियुक्ति देने वाले का काम है कि जो काम वह स्त्री कर रही है, उसे घर से करना उचित होगा अथवा नहीं.
  • संशोधित कानून के अनुसार कार्यालयों को यह दायित्व दिया गया है कि यदि उनके यहाँ 50 या उससे अधिक कर्मचारी हैं तो वे शिशु की देख-रेख की सुविधा (crèche facility) दें. यह सुविधा या तो अलग से हो सकती है अथवा पहले से बने हुए किसी शिशु गृह के माध्यम से दी जा सकती है. साथ ही नियुक्ति देने वाले व्यक्ति उस महिला को दिन-भर में चार बार शिशु-गृह जाने की छूट देगी.
  • संशोधन में यह प्रावधान है कि प्रत्येक कार्यालय किसी स्त्री को नियुक्त करते समय अनुमान्य मातृत्व लाभों के बारे में जानकारी अवश्य देगा जो लिखित अथवा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्रेषित हो सकता है.

GS Paper 1 Source: Science Daily

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Topic : How the Antarctic Circumpolar Current helps keep Antarctica frozen?

संदर्भ

जैसे-जैसे विश्व की जलवायु गर्म हो रही है, वैसे-वैसे अन्टार्कटिक ध्रुवीय प्रवाह (Antarctic Circumpolar Current – ACC) में परिवर्तन आ रहा है. वैज्ञानिक यह पता लगाने के लिए अध्ययन कर रहे हैं कि ध्रुवीय प्रवाहों में परिवर्तन का भविष्य में अन्टार्कटिका की हिम-पट्टी और विश्व के समुद्रों के स्तर पर क्या प्रभाव पड़ सकता है.

ACC क्या है?

  • अन्टार्कटिक में ध्रुव के चारों पर चलने वाली धारा पूरे विश्व की सर्वाधिक प्रबल सामुद्रिक धारा होती है. यह धारा समुद्र की गहरी सतह से लेकर उपरी सतह तक चलती है और अन्टार्कटिका को चारों ओर से घेर लेती है. इसी धारा के चलते अन्टार्कटिका हिमाच्छादित रहता है और इसलिए यह पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है.
  • ये ध्रुवीय जलधाराएँ पश्चिम से पूरब की ओर चलती हैं और प्रत्येक सेकंड में इसमें 165 मिलियन से लेकर 182 मिलियन क्यूबिक मीटर जल होता है. इस जलमात्रा को “Sverdrup” नाम दिया गया है जिसकी गति धरती की अन्य सभी नदियों के प्रवाह से सौ गुना से भी अधिक होती है. यह ध्रुवीय जलप्रवाह हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर को जोड़ने वाली मुख्य कड़ी है.
  • ACC जलधारा दक्षिणी महासागर के इस ओर से उस ओर तक चलने वाली प्रबल पछुआ हवाओं तथा भूमध्य रेखा और ध्रुवों के बीच सतही तापमान में विशाल अंतर के कारण उत्पन्न होती है.

ACC और जलवायवीय परिवर्तन

  • ACC जलवायवीय परिवर्तन से वंचित नहीं है. प्रशांत, अटलांटिक और हिन्द महासागर के दक्षिणी छोर के उपरी 2 किलोमीटर तक का भाग पहले से गरम और कम नमकीन हो चुका है. साथ ही अन्टार्कटिक के निम्न तल का पानी भी तेजी से गरम और कम नमकीन होता जा रहा है.
  • एक ओर ध्रुवीय क्षेत्र के दक्षिण का पानी बढ़े हुए वृष्टिपात के कारण कम नमकीन हो रहा है तो दूसरी ओर इसके उत्तर की ओर का पानी बढ़े हुए वाष्पीकरण के चलते पहले से अधिक नमकीन हो रहा है. यह परिवर्तन मानवीय गतिविधियों, जैसे – ग्रीनहाउस गैसों का वायुमंडल में उत्सर्जन तथा ओजोन परत के क्षरण के कारण हो रहा है. ओजोन छिद्र तो अब भर रहा है पर पूरे विश्व में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता ही जा रहा है.
  • पिछले 40 वर्षों में महासागरों के दक्षिणी छोर पर चलने वाली वायु 40% अधिक प्रबल हो गई है. आश्चर्य है कि फिर भी ACC जलधाराओं की शक्ति में तदनुसार वृद्धि नहीं हुई है. इसके विपरीत उन लहरों में बढ़ोतरी हुई है जो तापमान को ध्रुव की ओर ले जाती हैं, विशेषकर इन क्षेत्रों में – ड्रेक पैसेज, केरगुएलेन प्लेटो तथा तसमानिया और न्यूज़ीलैण्ड के बीच का भाग.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Ramayana Express

Ramayana-Express

संदर्भ

हाल ही में दिल्ली के सफ़दरजंग रेलवे स्टेशन से श्री रामायण एक्सप्रेस नामक एक विशेष पर्यटन ट्रेन को हरी झंडी दिखलाई गई. यह ट्रेन रामायण सर्किट पर चलेगी और उन प्रमुख स्थानों को जायेगी जिनका सम्बन्ध रामायण महाकाव्य से है. इस ट्रेन का अंतिम गंतव्य तमिलनाडु में रामेश्वरम तक है. दिल्ली से रामेश्वरम तक की इस यात्रा में ट्रेन को 16 दिन लगेंगे.

रामायण सर्किट क्या है?

  • रामायण सर्किट उन 15 विशेष सर्किटों में से एक है जिनका चयन पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत किया गया है.
  • इस सर्किट से जो 15 गंतव्य स्थल सम्बंधित होंगे, वे हैं – उत्तर प्रदेश के अयोध्या, श्रृंगवेरपुर और चित्रकूट, बिहार के सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा, मध्य प्रदेश का चित्रकूट, पश्चिम बंगाल का नंदीग्राम, ओडिशा का महेंद्रगिरि, छत्तीसगढ़ का जगदलपुर, तेलंगाना का भद्राचलम, तमिलनाडु का रामेश्वरम, कर्नाटक का हम्पी, महाराष्ट्र  के नासिक और नागपुर.
  • ज्ञातव्य है कि ये सभी स्थल भगवान् राम की जीवन-यात्रा से सम्बन्धित हैं. कहा जाता है कि अपने वनवास के समय वे इन स्थानों से गुजरे थे.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : OSIRIS-Rex

संदर्भ

अपनी दो वर्षों से अधिक की अन्तरिक्ष यात्रा में OSIRIS-Rex अन्तरिक्षयान ने पहली बार अपनी रोबोटिक बाँह बाहर निकाली है. यह बाँह और इसका अग्रभाग, जिसे TAGSAM जाता है, का कारगर होना अन्तरिक्षयान के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अति-आवश्यक है. TAGSAM का फुल फॉर्म है – Touch-and-Go Sample Acquisition Mechanism.

विदित हो कि इस अन्तरिक्षयान का लक्ष्य Bennu नामक क्षुद्रगृह की सतह से कम-से-कम 60 ग्राम सामग्री उठाना और उसे लेकर 2030 तक पृथ्वी लौट आना है.

OSIRIS-REx अभियान क्या है?

  • OSIRIS-REx का full form है – Origins, Spectral Interpretation, Resource Identification, Security-Regolith Explorer.
  • यह NASA के New Frontiers program का तीसरा अभियान है.
  • इसके पहले इस कार्यक्रम के तहत प्लूटो और वृहस्पति की ओर क्रमशः New Horizons और Juno नामक अन्तरिक्षयान छोड़े गये थे.

अभियान के वैज्ञानिक लक्ष्य

  • यह अन्तरिक्ष यान Bennu की कक्षा में तीन वर्ष रहेगा और उस क्षुद्रग्रह की थाह लेने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग करेगा.
  • OSIRIS-REx Bennu उल्कापिंड का नक्शा तैयार करेगा और वह जगह चुनेगा जहाँ से वह नमूने जमा करेगा.
  • यह अन्तरिक्ष यान उस उल्कापिंड की सतह पर फैले regolith नामक मिट्टी जैसे पदार्थ का नमूना लेगा.
  • रेगोलिथ का नमूना लेने के लिए यह अन्तरिक्षयान मात्र 5 सेकंड के लिए उल्कापिंड की सतह पर आएगा और नाइट्रोजन गैस का विस्फोट करके regolith में हलचल पैदा करेगा जिससे कि वह उसको चूसकर अपने अन्दर संगृहीत कर सके.
  • इसके लिए अन्तरिक्षयान में इतना nitrogen जमा कर दिया गया है जिससे तीन बार विस्फोट किया जा सके.
  • NASA को आशा है कि वह 60 से लेकर 2000 ग्राम रेगोलिथ धरती पर लाया सकेगा.

Bennu ही क्यों?

OSIRIS-REx मिशन के लिए Bennu को 5 लाख ज्ञात क्षुद्रग्रहों में से चुना गया था जिसके मुख्य कारण ये हैं –

  • पृथ्वी से निकटता
  • Bennu की कक्षा पृथ्वी की कक्षा के समान है. ज्ञातव्य है कि पृथ्वी से अपेक्षाकृत निकट 7,000 क्षुद्रग्रहों में से 200 ही ऐसे क्षुद्रग्रह पृथ्वी के समान हैं और उनमें Bennu एक है.
  • छोटे-छोटे क्षुद्र का व्यास 200 meter से कम का है जिसके कारण ये बड़े क्षुद्र ग्रहों की तुलना में अधिक तेजी से घूमते हैं. परिणामतः इसका regolith पदार्थ अन्तरिक्ष में बिखर सकता है. किन्तु दूसरी ओर Bennu का व्यास 500 meter का है, इसलिए यह इतना धीरे घूमता है कि इसकी रेगोलिथ उसके भूमि-तल पर टिका रह जाता है.
  • Bennu की बनावट : – Bennu एक प्राथमिक क्षुद्रग्रह है अर्थात् 4 बिलियन वर्ष पहले सौरमंडल के बनने के समय से इसमें कोई ख़ास परिवर्तन नहीं आया है. इसमें कार्बन भी बहुत है जिसका अभिप्राय यह हुआ है कि इसमें ऐसे जैव-अणु (organic molecules) भी हो सकते हैं.
  • Bennu के बारे में एक और रोचक तथ्य यह है कि यह पृथ्वी के लिए खतरनाक है. प्रत्येक छठे वर्ष Bennu की कक्षा उसको पृथ्वी के 2 लाख मील के अन्दर ले आती है. इसका अर्थ यह हुआ है कि 22वीं शताब्दी के अंतिम भाग में बहुत करके यह हो सकता है कि यह क्षुद्र ग्रह पृथ्वी से टकरा जाए.

GS Paper 3 Source: Times of India

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Topic : Experimental Advanced Superconducting Tokamak (EAST)

संदर्भ

चीन ने हाल ही में घोषणा की है कि वह जो रिएक्टर विकसित कर रहा है उसमें 180 मिलियन डिग्री फारेनहाइट का तापमान पैदा कर लिया गया है. विदित हो कि सूर्य के अन्दुरुनी भाग में अधिकतम 27 मिलियन डिग्री फारेनहाइट की गर्मी होती है. इसका अभिप्राय यह हुआ कि चीन जो रिएक्टर बना रहा है वह सूर्य से भी छह गुना गर्म हो चुका है. स्मरण रहे कि चीन जो रिएक्टर बना रहा है, उसका नाम EAST रखा गया है.

EAST क्या है?

  • EAST का फुल-फॉर्म है – Experimental Advanced Superconducting Tokamak.
  • यह चीन के Hefei शहर में बन रहा है एक चुम्बकीय मेल ऊर्जा रिएक्टर (magnetic fusion energy reactor) प्रयोग है. यह प्रयोग Hefei में स्थित Institute of Plasma Physics के द्वारा 2006 से किया जा रहा है. इस रिएक्टर को कृत्रिम सूरज भी कहा जाता है.
  • East reactor ग्यारह मीटर ऊँचा और 360 टन भारी है. इसका व्यास 8 मीटर है.
  • इस रिएक्टर में हाइड्रोजन के आइसोटोप – deuterium और tritium होते हैं. इन आइसोटोपों को टोकामक (tokamak) के अन्दर शक्तिशाली विद्युत् धाराओं से गरम किया जाता है जिससे इलेक्ट्रान अपने अणुओं से निकल जाते हैं और हाइड्रोजन आयनों के आविष्ट प्लाज्मा (charged plasma) का निर्माण करते हैं.
  • रिएक्टर की अंदरूनी दीवारों पर शक्तिशाली चुम्बक लगे रहते हैं जो इस प्लाज्मा को एक अत्यंत ही छोटी जगह ले जाते हैं जिससे इनका आपस में मेल हो सके.
  • जब इन आयनों का मेल हो जाता है तो इससे विशाल मात्रा में ऊर्जा पैदा होती है जिससे एक बिजलीघर चलाया जा सकता है और बिजली पैदा की जा सकती है.

Prelims Vishesh

Central and State Statistical Organizations (COCSSO) :-

  • हाल में केन्द्रीय राज्य सांख्यिकी संगठनों (Central and State Statistical Organizations – COCSSO) का 26वाँ सम्मेलन हुआ.
  • इस सम्मेलन का आयोजन सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के द्वारा हिमाचल सरकार के अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी निदेशालय के सहयोग से धर्मशाला में हुआ.
  • इस आयोजन की थीम थी – “Quality Assurance in Official Statistics”.
  • COCSSO सम्मेलन प्रत्येक वर्ष होता है जिसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के सांख्यिकी विशेषज्ञ एकत्र होकर सांख्यिकी गतिविधियों से सम्बंधित विषयों पर चर्चा करते हैं और विचारों का आदान-प्रदान करते हैं.

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