Sansar डेली करंट अफेयर्स, 17 July 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 17 July 2020


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to women.

Topic : India registers a steep decline in maternal mortality ratio

संदर्भ

केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मातृ मृत्यु दर (MMR) के मामले में भारत द्वारा प्राप्त सफलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल के प्रतिवेदन के अनुसार भारत की मातृ मृत्यु दर में 1 वर्ष में 9 अंको की गिरावट देखी गई है. 2015-17 के 122 की तुलना में 2016-18 में यह 113 रह गई.

मुख्य तथ्य

  • मातृ मृत्यु दर के मामले में भारत 2011-13 से लगातार गिरावट दर्ज कर रहा है. इस प्रगति के चलते भारत सतत विकास लक्ष्यों तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति में शीघ्र ही सफलता प्राप्त करेगा.

सत्र

2011-13

2014-16

2015-17

2016-18

मातृ मृत्यु दर

167

130

122

113

अन्य तथ्य

वर्ग

संख्या

राज्य का नाम

2030 तक सतत विकास लक्ष्य के तहत निर्धारित लक्ष्य (70 / लाख जीवित बच्चों के जन्म) को प्राप्त करने वाले राज्य

5

 केरल (43), महाराष्ट्र (46) तमिलनाडु (60), तेलंगाना (63) और आंध्र प्रदेश (65) 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2020 के लक्ष्य (100 / लाख जीवित बच्चों के जन्म) को प्राप्त करने वाले राज्य

11

 केरल (43), महाराष्ट्र (46) तमिलनाडु (60), तेलंगाना (63) और आंध्र प्रदेश (65) झारखंड (71), गुजरात (75), हरियाणा (91), कर्नाटक (92), पश्चिम बंगाल (98) और उत्तराखंड (99)

मातृ मृत्यु  दर 100-150 वाले राज्य

3

 (पंजाब) (129), बिहार (149), ओडिशा (150) 

मातृ मृत्यु  दर 150 से अधिक वाले राज्य

5

छत्तीसगढ़ (159), राजस्थान (164), मध्य प्रदेश के लिए (173), उत्तर प्रदेश (197) और असम (215),

  • इस वर्ष राजस्थान में मातृ मृत्यु दर में 22 अंको अधिकतम गिरावट दर्ज की गई. इसके पश्चात् उत्तर प्रदेश में 19 अंकों, ओडिशा में 18 अंकों, बिहार में 16 अंकों और मध्य प्रदेश में 15 अंको की गिरावट दर्ज हुई है.

मातृ मृत्यु दर

  1. मातृ मृत्यु दर को गर्भवती होने पर या गर्भावस्था के समाप्त होने के 42 दिनों के भीतर महिला की मौत के रूप में परिभाषित किया जाता है.
  2. प्रसव के दौरान जटिलता आ जाने पर महिलाओं की मृत्यु हो जाती है.
  3. मातृ मृत्यु दर प्रसूति से सम्बंधित जोखिमों को दिखलाती है.

मातृ मृत्यु दर में कमी के कारण

  • संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के साथ-साथ सेवाओं की गुणवत्ता और उनकी [पहुँच पर ध्यान केन्द्रित करने के सरकार के अथक प्रयास.
  • एनएचएम के अधीन जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम और जननी सुरक्षा जैसी योजनाएँ और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान और लक्ष्य जैसी नई पहलों की सफलता.
  • सरकार ने प्रसव के बाद तथा प्रसव-पूर्व की देखभाल के लिए मिडवाइफ की व्यवस्था करने के साथ ही सुमन कार्यक्रम को लागू करने की भी योजना बनाई है जिससे जच्चा और बच्चा के लिए निःशुल्क और गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की व्यापक पहुँच हो पाए. इससे निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहयोग प्राप्त होगा.

सतत विकास लक्ष्य तथा मातृ मृत्यु दर

  • पर्यावरणीय उपेक्षा न करते हुए संधारणीय विकास द्वारा मानव की प्रगति को सुनिश्चित करने हेतु 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की 70वीं बैठक में 17 सतत विकास लक्ष्यों को 169 प्रयोजनों के साथ स्वीकार कर 2030 तक इन्हें वैश्विक स्तर पर प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित हुआ था.
  • इन्हीं लक्ष्यों में 2030 तक मातृ मृत्यु दर को 70 (प्रति 1 लाख जीवित बच्चे) करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति तथा मातृ मृत्यु दर

  • 15 वर्षों के पश्चात् देश के स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी पहलुओं को बेहतर करने के उद्देश्य से 2017 में भारत सरकार द्वारा नई स्वास्थ्य नीति लाई गई थी.
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में 2020 तक मातृ मृत्यु दर को 100 (प्रति 1 लाख जीवित बच्चे) करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.      

Topic : Judicial review can’t be available prior to Speaker’s decision

संदर्भ

राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष सीपी जोशी ने सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 विधायकों को सूचना देकर पूछा है कि क्यों नहीं उन्हें निर्योग्य घोषित कर दिया जाए. विधायकों को इसका उत्तर जुलाई 17 तक देना है.

अध्यक्ष ने यह कार्रवाई कांग्रेस पार्टी की इस शिकायत पर की है कि उसके 19 विद्रोही विधायक दल बदलने वाले हैं.

अध्यक्ष की कार्रवाई का संवैधानिक आधार

अध्यक्ष ने जो कार्रवाई की है वह संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत आती है. इस सूची को दल बल विरोधी नियम के रूप में अधिक जाना है.

इस विषय में न्यायपालिका का दृष्टिकोण क्या रहा है?

  1. 10वीं अनुसूची में अध्यक्ष को दी गई शक्तियों में हस्तक्षेप करने से न्यायालय कतराते हैं क्योंकि अध्यक्ष जो भी करता है उसके लिए उसे संविधान ने शक्ति दी है.
  2. पिछले वर्ष कर्नाटक के ऐसे मामले की न्यायालय में चुनौती दी गई थी. उस समय भी न्यायालय ने अध्यक्ष को सुझाव दिया था कि वह सम्बंधित आवेदनों पर स्वयं ही निर्णय लें.

किहोटो होलोन बनाम जचिल्लहू बनाम अन्य, 1992 (Kihoto Hollohan vs Zachillhu And Others) दी गई सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्थाएँ

  1. विधायकों को निर्योग्य घोषित करने के मामलों में अध्यक्ष को व्यापक विवेकाधिकार दिया गया है.
  2. यदि अध्यक्ष कोई निर्णय लेता है तो उसको न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है. परन्तु न्यायालय प्रक्रिया को स्थगित अथवा अवरुद्ध नहीं कर सकता है. इस प्रकार यह स्पष्ट है कि ऐसे मामलों में न्यायिक समीक्षा तभी होगी जब अध्यक्ष ने कोई निर्णय पारित कर दिया हो.
  3. समीक्षा करते समय न्यायालय कोई व्यापक आदेश नहीं दे सकता है, अपितु मात्र इन आधारों पर न्याय निर्णय पारित कर सकता है – संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन, कुत्सित उद्देश्य से की गई कारवाई, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का अनुपालन नहीं करना तथा भ्रष्टाचरण.

विद्रोही विधायकों की याचिका में दिया गया तर्क

सचिन पायलट और 18 विद्रोही विधायकों ने राजस्थान उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में 10वीं अनुसूची के अनुच्छेद 2(1)(a) की संवैधानिकता को चुनौती दी है. विदित हो कि इस अनुच्छेद में यह प्रावधान है कि यदि कोई विधायक स्वेच्छा से अपने दल की सदस्यता छोड़ देता है तो वह निर्योग्य हो जायेगा.

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह प्रावधान मतभेद व्यक्त करने के उनके अधिकार का हनन करता ही है, अपितु यह विधायकों के स्वतंत्र अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन करता है.


GS Paper 2 Source: The Hindu 

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UPSC Syllabus :  Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation. 

Topic : Chardham Road Project

संदर्भ

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री श्री नितिन गडकरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये उत्तराखंड में ‘चारधाम सड़क परियोजना’ की समीक्षा की.

पृष्ठभूमि

  • गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को चार लेन वाले राजमार्ग से जोड़ने की योजना उत्तराखंड के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की एक मूर्धन्य योजना है.
  • परन्तु क्योंकि इसके लिए बनाई जाने वाली 900 किलोमीटर की सड़क उत्तराखंड के संवेदनशील पहाड़ों से होकर गुजरेगी, इस कारण कई पर्यावरणवादियों ने यह चिंता जताई है कि राजमार्ग बनने से और क्षेत्र में पर्यटकों के आने से पर्यावरण को क्षति पहुँच सकती है. 

चारधाम परियोजना क्या है?

  • इस परियोजना के अंतर्गत 900 किलोमीटर का राजमार्ग बनाया जाएगा जो हिंदू तीर्थ –गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ – को जोड़ेगा. इस पर अनुमानित खर्च 12,000 करोड़ रु. होगा.
  • इस राजमार्ग कोचारधाम महामार्ग कहा जाएगा और इसके निर्माण की परियोजना का नाम चारधाम महामार्ग विकास परियोजना (Char Dham Highway Development Project) होगा.
  • इस परियोजना के अन्दर वर्तमान सड़कों की चौड़ाई को 12 मीटर से बढ़ाकर 24 मीटर किया जाएगा. इसके अतिरिक्त कई स्थानों पर सुरंग, बाइपास, पुल, भूमिगत मार्ग एवं जल-निकास बनाए जाएँगे.

चारधाम तीर्थयात्रा परियोजना

  • भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की एक मूर्धन्य परियोजना है उत्तराखंड में स्थित तीर्थस्थानों – गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ – को जोड़ने वाला एक चार मार्गों वाला एक्सप्रेस वे का निर्माण करना.
  • इस एक्सप्रेस वे की सम्पूर्ण लम्बाई 900 किलोमीटर की होगी. परन्तु कुछ पर्यावरणवादियों ने इस योजना का यह कहते हुए विरोध किया है कि इससे प्रदेश का पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ जायेगा. इसके लिए इन पर्यावरणवादियों ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दे रखी थी.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

Chardham tunnel :-

  • बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) ने प्रतिष्ठित चारधाम परियोजना के तहत ऋषिकेश-धरासू हाईवे (NH-94) पर घनी आबादी वाले चंबा शहर के नीचे सुरंग निर्माण में सफलता हासिल कर ली है.
  • सुरंग बनाने का कार्य जनवरी 20019 में शुरू हुआ था. निर्धारित तिथि जनवरी 2021 से तीन माह पहले यातायात के लिए यह सुरंग खुल जाएगी सुरंग यानी अक्टूबर 2020 में सुरंग से यातायात शुरू हो जाएगा.
  • ऋषिकेश-धरासू राष्ट्रीय राजमार्ग पर चंबा नगर में आमतौर पर जाम जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. जाम से निपटने के लिए चंबा शहर के ठीक नीचे से चारधाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत सुंरग का निर्माण किया जा रहा है.
  • इस टनल के बनने से न केवल गंगोत्री, यमुनोत्री का सफर आसान होगा, बल्कि चंबा को जाम से मुक्ति भी मिलेगी.
  • चारधाम परियोजना से उत्तराखंड में दुनिया भर के सैलानियों की सालभर चहलकदमी बनी रहेगी, जिससे राज्य वासियों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Education. Human Resource and Government Policies & Interventions.

Topic : (NISHTHA– National Initiative for School Heads and Teachers Holistic Advancement)

संदर्भ

हाल ही में, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा आंध्र प्रदेश के 1200 प्रमुख ज्ञानवर्धक व्यक्तियों (रिसोर्स पर्सन) के लिए पहला ऑनलाइन निष्ठा- शिक्षकों एवं विद्यालय प्रमुखों की समग्र उन्नति के लिए एक राष्ट्रीय पहल (National Initiative for School Heads and Teachers Holistic Advancement- NISHTHA) कार्यक्रम शुरू किया गया है.

ये रिसोर्स पर्सन आंध्र प्रदेश के शिक्षकों के लिए मार्दर्शन में सहयोग करेंगे, तथा उसके उपरान्त इन्हें दीक्षा (DIKSHA) प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन निष्ठा प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा.

NISHTHA क्या है?

  • NISHTHA योजना का पूरा नाम है – “विद्यालय प्रधानों एवं शिक्षकों की समग्र प्रगति हेतु राष्ट्रीय पहल / National Initiative for School Heads’ and Teachers’ Holistic Advancement.
  • यह पूरे विश्व में शिक्षकों के प्रशिक्षण का एक विशालतम कार्यक्रम है.
  • इसका उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर ज्ञानार्जन में सुधार लाना है.
  • यह कार्यक्रम छात्रों में आलोचनात्मक चिंतन को बढ़ावा देने और संपोषित करने के लिए शिक्षकों को प्रेरित करेगा.
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत सभी राज्यों और संघीय क्षेत्रों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मानकीकृत प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाये जाएँगे. राज्य और संघीय क्षेत्र चाहें तो इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों को अपने-अपने क्षेत्र के सन्दर्भ में संशोधित कर सकते हैं और अपने-अपने प्रशिक्षकों और सामग्रियों का उपयोग कर सकते हैं.
  • इस समेकित कार्यक्रम में कई गतिविधियाँ शामिल होंगी, जैसे – शैक्षणिक खेल और पहेली, सामाजिक-भावनात्मक ज्ञानार्जन, प्रेरणादाई संवाद, दल निर्माण, विद्यालय-आधारित मूल्यांकन की तैयारी, फीडबैक की सतत व्यवस्था, ऑनलाइन अनुश्रवण, प्रशिक्षण की आवश्यकता और प्रभाव का प्रशिक्षण से पहले और बाद में विश्लेषण.

यह कार्यक्रम आवश्यक क्यों?

समय की माँग है कि आज हमारे शिक्षक इन प्रावधानों की जानकारी रखें – लैंगिक समानता , दिव्यांग अधिकार अधिनियम और यौन अपराधों से बाल संरक्षण अधिनियम (POCSO).

NISHTHA कार्यक्रम सभी शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को ऐसा प्रशिक्षण देना चाहता है जिससे कि वे छात्रों की आवश्यकताओं के प्रति ध्यान दें और उन्हें उचित मंत्रणा दें. साथ ही वे ऐसा वातावरण बनाएँ कि बच्चे हँसते-हँसते ज्ञान अर्जित करें और निःशक्त बच्चों की आवश्यकताओं का विशेष ध्यान रखें.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : United Nations Economic and Social Council- ECOSOC

संदर्भ

प्रधानमंत्री, ‘संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद’ (United Nations Economic and Social Council- ECOSOC) के उच्च-स्तरीय अनुभाग को संबोधित करेंगे.

वार्षिक उच्च-स्तरीय अनुभाग में सरकार, निजी क्षेत्र एवं सिविल सोसायटी के उच्चस्तरीय प्रतिनिधियों और शिक्षाविदों का एक विविध समूह सम्मिलित है.

इस वर्ष के उच्च-स्तरीय अनुभाग की थीम है– ‘कोविड-19 के बाद बहुपक्षवाद: 75वीं वर्षगांठ पर हमें किस तरह के संयुक्त राष्ट्र की जरूरत है.’

संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद क्या है?

  • संयुक्त राष्ट्र आर्थिक तथा सामाजिक परिषद (ECOSOC) संयुक्त राष्ट्र संघ के कुछ सदस्य राष्ट्रों का एक समूह है, जो सामान्य सभा को अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग एवं विकास कार्यक्रमों में सहायता करता है.
  • यह परिषद सामाजिक समस्याओं के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति को प्रभावी बनाने में प्रयासरत है. इसके अनुसार विश्व में शांति बनाये करने का एकमात्र हल राजनीतिक नहीं है.
  • इसकी स्थापना 1945 की गयी थी. आरंभिक समय में इस परिषद में मात्र 18 सदस्य होते थे. 1965 में संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र को संशोधित करके इसके सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 27 कर दी गई और 1971 में सदस्यों की संख्या बढ़कर 54 हो गई.
  • प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है. एक-तिहाई सदस्य प्रतिवर्ष पदमुक्त होते हैं, अर्थात् प्रतिवर्ष 18 सदस्य बदले जाते हैं. पदमुक्त होने वाला सदस्य पुन: निर्वाचित भी हो सकता है. आर्थिक तथा सामाजिक परिषद में प्रत्येक सदस्य राज्य का एक ही प्रतिनिधि होता है.
  • अध्यक्ष का कार्यकाल एक वर्ष के लिए होता है और उसका चयन ईसीओएसओसी के छोटे और मंझोले प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है.
  • वर्तमान में इसके अध्यक्ष सिल्वी ल्सूकस है.
  • 1992 में आर्थिक और सामाजिक परिषद के अधिकारों को बढ़ाया गया. अल्जीरिया, चीन, बेलारुस, जापान, सूडान, न्यूजीलैंड इसके सदस्य हैं. यहां के निर्णय उपस्थित एवं मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत द्वारा लिए जाते हैं. किसी विशेष राज्य के विषय पर विचार करने के लिए जब परिषद की बैठक होती है, तो वह उस राज्य के प्रतिनिधि को आमंत्रित करती है. इस बैठक विशेष में उस प्रतिनिधि को मत देने का अधिकार नहीं होता है.
  • परिषद हर वर्ष जुलाई में चार सप्ताह के लिए मिलती है और 1998 के बाद से वह अप्रैल में विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक निधि के वित्तीय मंत्रियों के साथ एक और सम्मेलन होता है.
  • आर्थिक एवं सामाजिक परिषद विश्व की जनसंख्या के जीवन में सुधार हेतु गरीबों, घायलों एवं अशिक्षितों की सहायता करके अंतर्राष्ट्रीय शांति बहाली के प्रयास करती है. यह अंतर्राष्ट्रीय मामलों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य आदि मामलों का अध्ययन करती है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Employment, e-governance. 

Topic : PM Svanidhi Mobile App

संदर्भ

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा स्ट्रीट वेंडरों के लिए माइक्रो-क्रेडिट सुविधा उनके घर तक पहुंचाने के लिए पीएम स्वनिधि का मोबाइल ऐप जारी किया गया.

पीएम स्वनिधि मोबाइल ऐप

  • प्रधानमंत्री स्वनिधि मोबाइल ऐप, डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है.
  • इस ऐप का उद्देश्य, स्ट्रीट वेंडरों के ऋण आवेदनों की सोर्सिंग और प्रोसेसिंग के लिए, ऋण प्रदाता संस्थानों (एलआई) और उनके फील्ड कार्यकर्ताओं को अनुकूल डिजिटल इंटरफेस प्रदान करना है.
  • यह ऐप ऋण प्रदाता संस्थानों (एलआई) के फील्ड कार्यकर्ताओं/एजेंटों को योजना का अधिकतम कवरेज सुनिश्चित करने के लिए सक्षम बनाएगा.
  • मोबाइल ऐप जारी करने से, स्ट्रीट वेंडरों तक कागज-रहित माइक्रो-क्रेडिट सुविधाओं की डिजिटल पहुंच को बढ़ावा देने के अलावा, इस योजना की कार्यान्वयन रणनीति को भी गति मिलेगी.
  • इस ऐप में, पीएम स्वनिधि के वेब पोर्टल के जैसी ही सभी सुविधाएं हैं, जिसे आसान पोर्टेबिलिटी की सुविधा के साथ जोड़ा गया है.

पीएम स्वनिधि योजना के बारे में मुख्य तथ्य

  • यह योजना मार्च 2022 तक वैध है.
  • इस योजना के लिये सरकार द्वारा 5,000 करोड़ रुपए की राशि मंज़ूर की गई है.
  • कोरोना वायरस की वजह से लड़खड़ाई देश की अर्थव्यवस्था से सबसे अधिक प्रभावित फेरीवालों, रेहड़ी-पटरी पर काम करने वालों (स्ट्रीट वेंडर) को अब पीएम स्वनिधि स्कीम के तहत 10 हजार का कर्ज दिया जाएगा.
  • इस राशि को रेहड़ी-पटरी वाले वर्ष के भीतर किस्त में लौटा सकते हैं.
  • यह ऋण बहुत ही आसान शर्तों के साथ दिया जाएगा. इसमें किसी ज़मानत या कोलैट्रल (Collateral) की आवश्यकता नहीं होगी.
  • इस ऋण को समय पर चुकाने वाले छोटे दुकानदारों, फेरीवालों को 7% का वार्षिक ब्याज सब्सिडी के तौर पर उनके खाते में सरकार की ओर से स्थानान्तरण किया जाएगा.
  • इस योजना के तहत जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Growth & Development.

Topic : ASPIRE Portal for Automotive Industry: ICAT

संदर्भ

इंटरनेशनल सेंटर आफ ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी द्वारा मोटर वाहन उद्योग हेतु एस्पायर – ऑटोमोटिव सोलूशन्स पोर्टल फॉर इंडस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन तैयार किया गया है.

पृष्ठभूमि

  • भारत सरकार के भारी उद्योग विभाग (Department of Heavy Industry – DHI) द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के लिए देश में नवाचार, अनुसन्धान एवं विकास और उत्पाद विकास को प्रोत्साहन देने हेतु एक मिशन का प्रारम्भ किया है.
  • इस मिशन के अंतर्गत प्रौद्योगिकी मंच के रूप में ई-पोर्टल का निर्माण किया जा रहा है जहाँ प्रौद्योगिकी विकास, सूचना विनिमय और नवाचार की सुविधा प्राप्त होगी. इन पोर्टलों पर समस्या का निदान चाहने वाले तथा समस्या निदान में सक्षम व्यक्ति मंच साझा करेंगे.
  • विशिष्ट क्षेत्रों के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा पांच पोर्टल विकसित किए जा रहे हैं, जैसे बिजली क्षेत्र के उपकरणों के लिए बीएचईएल, मशीन टूल्स के लिए एचएमटी, विनिर्माण प्रौद्योगिकी के लिए सीएमएफटीआई तथा मोटर वाहन क्षेत्र के लिए आईसीएटी और एआरएआई. इसी कड़ी में आईसीएटी एस्पायर का निर्माण कर रहा है.

एस्पायर पोर्टल क्या है?

  • इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य भारतीय मोटर वाहन उद्योग को आत्मनिर्भर बनाना है. इसके अंतर्गत विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाकर नवाचार और वैश्विक तकनीकी प्रगति को आत्मसात करने में भारतीय मोटर वाहन उद्योग को सहयोग प्रदान किया जाएगा .
  • इसमें उद्योग गतिविधियों के लिए अनुसंधान और विकास, उत्पाद प्रौद्योगिकी विकास, तकनीकी नवाचार, तकनीकी और गुणवत्ता समस्या समाधान, विनिर्माण और प्रक्रिया प्रौद्योगिकी विकास, प्रौद्योगिकी विकास की चुनौतियां और भारतीय मोटर वाहन उद्योग के बाजारी रुझानों की पहचान के लिए बाजार अनुसंधान और प्रौद्योगिकी सर्वेक्षण किया जायेगा.
  • ई-पोर्टल एक प्रौद्योगिकी मंच के रूप में काम करेगा जो भारतीय मोटर वाहन उद्योग के लिए लगभग सभी समाधान उपलब्ध कराएगा. इसके अंतर्गत ऑटोमोटिव ओईएम कंपनियों, आरएंडडी संस्थानों और शिक्षाजगत (कॉलेजों और विश्वविद्यालयों) को प्रौद्योगिकी विकास के लिए एक प्लेटफार्म पर लाया जायेगा.
  • एस्पायर पोर्टल के प्रथम चरण के अंतर्गत 15 जुलाई, 2020 को इसके प्रथम संस्करण को लाइव किया गया है.

Prelims Vishesh

Nagorno-Karabakh region :-

  • अजरबैजान में स्थित नागोर्नो-काराबाख (अपर नाम अर्तसाख/Artsakh) पर पड़ोसी देश आर्मेनिया का दावा इस आधार पर रहता है कि वहाँ की जनसंख्या में आर्मेनियों का बहुमत है.
  • विदित हो कि नागोर्नो-काराबाख चारों ओर भूमि से बंद क्षेत्र है जो काराबाख पर्वत शृंखला के अन्दर दक्षिण कोकेसस में पड़ता है.

Dal lake :-

  • जम्मू-कश्मीर संघीय क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी झील का नाम डल झील है. इस झील को कश्मीर की चूड़ामणि (Jewel in the crown of Kashmir) अथवा श्रीनगर का गहना (Srinagar’s Jewel) भी कहा जाता है.
  • यह झील ज़बरवान पर्वतीय घाटी में शंकराचार्य पहाड़ियों से तीन ओर से घिरी हुई है.
  • इस झील में तैरते हुए बागीचे देखे जा सकते हैं. कश्मीर में इन्हें राड कहा जाता है और इसमें जुलाई-अगस्त में कमल के फूलों की शोभा देखते ही बनती है.

Kaziranga National Park :-

  • काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में स्थित है.
  • 1974 में इसे राष्ट्रीय उद्यान की पदवी मिली.
  • 2007 एन यह व्याघ्र आश्रयणी घोषित किया गया.
  • 1985 में इसे UNESCO वैश्विक धरोहर स्थल घोषित किया गया.
  • बर्ड लाइफ इंटरनेशनल ने इसको महत्त्वपूर्ण पक्षी स्थल के रूप में मान्यता दी है.
  • काजीरंगा में जिन चार पशुओं के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाता है, वे हैं – गैंडा, हाथी, रॉयल बंगाल टाइगर और एशियाई जल भैंसा. इनके अतिरिक्त भारत में पाए जाने वाले 14 बड़े बंदरों में से यहाँ 9 बंदर पाए जाते हैं.

World Youth Skills Day :-

  • 2014 से संयुक्त राष्ट्र महासभा में 15 जुलाई को विश्व युवा कौशल दिवस घोषित कर रखा है.
  • इस बार इस दिवस कि थीम थी – संघर्षसक्षम युवा के लिए कौशल्य/ Skills for a Resilient Youth.
  • विदित हो कि 15 जुलाई, 2020 को भारत के स्किल इंडिया मिशन के अनावरण की पाँचवी वर्षगाँठ भी थी.

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