Sansar डेली करंट अफेयर्स, 17 December 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 17 December 2020


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Indian Port Bills 2020

संदर्भ

हाल ही में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने भारतीय पत्तन विधेयक, 2020 (Indian Port Bills 2020) का प्रारूप जारी किया है. यह विधेयक भारत में पत्तनों को प्रमावी ढंग से विनियमित और नियंत्रित करेगा. साथ ही, पत्तनों की ढांचागत प्रगति एवं सतत विकास को सुविधाजनक बनाने हेतु भारतीय पत्तन अधिनियम, 1908 को प्रतिस्थापित करेगा.

इस विधेयक की मुख्य विशेषताएँ

  • राज्य समुद्री बोडों और अनुसूचित पत्तनों का विनियमन केंद्रीय समुद्री पत्तन विनियामक प्राधिकरण (Central Maritime Port Regulatory Authority: MPRA) द्वारा किया जाएगा.
  • इसका लक्ष्य एक बेहतर व व्यापक विनियामक ढांचे के निर्माण के माध्यम से भारतीय समुद्री और पत्तन क्षेत्र में अधिक निवेश सुनिश्चित करना है. इससे नए पत्तनों के निर्माण और मौजूदा पत्तनों के प्रबंधन में सहायता प्राप्त होगी.
  • इस विधेयक के अंतर्गत पत्तन क्षेत्र में किसी भी गैर-प्रतिस्पर्धी गतिविधि पर अंकुश लगाने के लिए समुद्री पत्तन प्राधिकरण (MPT) और समुद्री पत्तन अपीलीय अधिकरण (Maritime Ports Appellate Tribunal) का गठन किया जाएगा.
  • तटीय राज्यों और केंद्रीय समुद्री पत्तन विनियामक प्राधिकरण (MPRA) के परामर्श से पत्तनों के सतत विकास हेतु एक रूपरेखा तैयार करने के लिए राष्ट्रीय पत्तन नीति (National Port Policy) तैयार की जाएगी.
  • MPRA द्वारा राष्ट्रीय पत्तन नीति के अनुसार एक राष्ट्रीय पत्तन योजना निर्मित की जाएगी.
  • विधेयक में उन सभी नवीनतम सम्मेलनों / प्रोटोकॉल्स को शामिल किया गया है, जिनका भारत एक पक्षकार देश है. ये सम्मेलन व प्रोटोकॉल्स पत्तनों की सुरक्षा, संरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण, प्रदर्शन मानकों और स्थिरता को सुनिश्चित करने में सहायता प्रदान करेंगे.
  • हाल ही में मंत्रालय ने भारतीय पोत परिवहन उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिए वाणिज्य पोत परिवहन विधेयक, 2020 (Maritime Shipping Bill, 2020) और तटीय नौवहन विधेयक, 2020 (Coastal Shipping Bill, 2020) के प्रारूप भी जारी किए हैं.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

भारत के बड़े बंदरगाह कौन से हैं?

वर्तमान में भारत में ये 12 बड़े बंदरगाह हैं – दीनदयाल (पुराना नाम कांडला), मुंबई, जेएनपीटी, मोरमुगाँव, न्यू मंगलौर, कोचीन, चेन्नई, कामराजार (पहले एन्नोर), वीओ चिदंबरनार, विशाखापट्टनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित).

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GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions.

Topic : Withdraw plea on water use, Centre tells Telangana

संदर्भ

हाल ही में, केंद्र ने स्पष्ट किया है कि, तेलंगाना द्वारा जल बंटवारे को लेकर उच्चतम न्यायालय में दायर की गयी याचिका को वापस लेने के बाद, केंद्र सरकार, अन्तर्राज्यीय नदी-जल विवाद अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच कृष्णा नदी-जल के पुनर्वितरण मामले को एक नए न्यायाधिकरण अथवा न्यायमूर्ति बृजेश कुमार की अध्यक्षता में मौजूदा कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण- II को सौंपने पर विचार करेगी.

संबंधित प्रकरण

  1. तेलंगाना सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में एक ‘विशेष अनुमति याचिका’ (Special Leave Petition- SLP) दायर की गयी है, जिसमे आंध्र प्रदेश सरकार कोरायलसीमा लिफ्ट सिंचाई परियोजना’ (Rayalaseema Lift Irrigation Scheme) हेतु निविदा संबंधी प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए निर्देश दिए जाने की मांग की गयी है.
  2. तेलंगाना सरकार का कहना है कि, आंध्रप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के प्रावधानों के अंतर्गत, कृष्णा नदी पर किसी भी नई परियोजना के प्रस्ताव को पहलेकृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड के सामने रखा जाना चाहिए और फिर इसके अनुमोदन हेतु शीर्ष परिषद के समक्ष रखा जाना चाहिए.

पृष्ठभूमि

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, दोनों राज्यों में प्रवाहित होने वाली कृष्णा और गोदावरी नदियों तथा इनकी सहायक नदियों के जल को परस्पर साझा करते हैं.

इन राज्यों के द्वारा, आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 द्वारा अनिवार्य की गयी, नदी जल बोर्डकेंद्रीय जल आयोग और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री एवं मुख्यमंत्रियों की शीर्ष परिषद की अनुमति के बगैर कई नई परियोजनाएँ शुरू की गयी हैं.

कृष्णा नदी

  • यह नदी बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली एक बड़ी नदी है.
  • इसकी उत्पत्ति महाराष्ट्र में महाबलेश्वर की पहाडियों से होती है तथा महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से प्रवाहित होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है.
  • सहायक नदियाँ: तुंगभद्रा, मल्लप्रभा, कोयना, भीम, घटप्रभा, एरला, वारणा, डिंडी, मूसी तथा दूधगंगा.
  • अपनी सहायक नदियों के साथ कृष्णा नदी एक बहुत विशाल घाटी बनाती है जिसके अन्दर चारों राज्यों के कुल क्षेत्रफल का 33% भूभाग आ जाता है.

संबंधित विवाद

कृष्णा नदी जल विवाद की शुरुआत पूर्ववर्ती हैदराबाद और मैसूर रियासतों के बीच हुई थी, जोकि बाद में गठित महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों बीच जारी है.

अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 के अंतर्गत वर्ष 1969 में  कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण (Krishna Water Disputes Tribunal– KWDT) का गठन किया गया था, जिसके द्वारा वर्ष 1973 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी.

कृष्णा नदी जल विवाद न्यायाधिकरण की रिपोर्ट वर्ष 1976 में प्रकाशित की गयी, इसमें कृष्णा नदी जल के 2060 TMC (हजार मिलियन क्यूबिक फीट) को 75 प्रतिशत निर्भरता के आधार पर तीन भागों में पर विभाजित किया गया था:

  1. महाराष्ट्र के लिए 560 TMC
  2. कर्नाटक के लिए 700 TMC
  3. आंध्र प्रदेश के लिए 800 TMC

संशोधित आदेश

  1. राज्यों के मध्य असंतोष व्यक्त किये जाने परवर्ष 2004 में दूसरे कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण (KWDT) का गठन किया गया.
  2. दूसरे KWDT द्वारा वर्ष 2010 में अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी. इस रिपोर्ट में 65 प्रतिशत निर्भरता के आधार पर कृष्णा नदी के अधिशेष जल का 81 TMC महाराष्ट्र को, 177 TMC कर्नाटक को तथा 190 TMC आंध्र प्रदेश के लिये आवंटित किया गया था.

वर्ष 2014 में तेलंगाना को एक अलग राज्य के रूप में गठित किये जाने के पश्चात, आंध्र प्रदेश द्वारा तेलंगाना को KWDT में एक अलग पक्षकार के रूप में शामिल करने और कृष्णा नदी-जल को तीन के बजाय चार राज्यों में आवंटित किये जाने की मांग की जा रही है.

आंध्र प्रदेश द्वारा बृजेश कुमार ट्रिब्यूनल के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी है.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Infrastructure: Energy, Ports, Roads, Airports, Railways etc.

Topic : Hybrid Renewable Energy Park of Kutch

संदर्भ

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया. इन परियोजनाओं में दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क भी शामिल है. इसके साथ उन्होंने अलवणीकरण संयंत्र, स्वचालित दूध प्रसंस्करण और पैकेजिंग संयंत्र सहित कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी.

कच्छ का हाइब्रिड अक्षय ऊर्जा पार्क (Hybrid Renewable Energy Park) के बारे में

  • गुजरात के कच्छ जिले में भारत-पाकिस्‍तान सीमा के पास खावड़ा गांव में बनने वाला यह अक्षय ऊर्जा पार्क दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा पार्क है, जिसकी उत्पादन क्षमता 30 GW होगी. यह हाइब्रिड अक्षय ऊर्जा पार्क अंतर्राष्ट्रीय सीमा से मात्र 6 किमी की दूरी पर स्थित होगा.
  • यह परियोजना भारत सरकार के वर्ष 2022 तक 175 GW अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के दृष्टिकोण के अनुरूप है.
  • यह अक्षय ऊर्जा पार्क 72, 600 हेक्टेयर भूमि पर बनाया जाएगा, जिसमें 49,600 हेक्टेयर भूमि पर हाइब्रिड पार्क ज़ोन और 24,800 मेगावाट क्षमता के पवन और सौर ऊर्जा संयंत्र होंगे तथा 23,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला एक विशेष पवन ऊर्जा क्षेत्र होगा.

इस हाइब्रिड अक्षय ऊर्जा पार्क क्षेत्र निम्नलिखित विद्युत उत्पादन कंपनियों के प्लांट लगेंगे:

  • अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (19,000 हेक्टेयर; 9,500 मेगावाट)
  • सरजन रियलिटीज लिमिटेड (सुजलॉन, 9,500 हेक्टेयर; 4,750 मेगावाट)
  • एनटीपीसी लिमिटेड (9,500 हेक्टेयर; 4,750 मेगावाट)
  • गुजरात इंडस्ट्रीज पावर कंपनी लिमिटेड (4,750 हेक्टेयर; 2,375 मेगावाट)
  • गुजरात राज्य विद्युत निगम (6,650 हेक्टेयर; 3,325 मेगावाट).

72, 600 हेक्टेयर भूमि पर बनने वाले इस पार्क के अंतर्गत विशेष पवन पार्क क्षेत्र के लिए आरक्षित संपूर्ण 23,000 हेक्टेयर भूमि सौर ऊर्जा निगम (SECI) को आवंटित की गई है.

ऊर्जा सुरक्षा क्या है?

  • ऊर्जा सुरक्षा को 3A, अवेलेबिलिटी (उपलब्धता), एक्सेस (पहुँच) तथा अफाॅर्डेबिलिटी (वहनीयता) के तौर पर परिभाषित किया जाता है.
  • वस्तुतः सस्ती कीमतों पर ऊर्जा की निर्बाध उपलब्धता ही ऊर्जा सुरक्षा है. यानी सस्ती एवं वहनीय दर पर बिना किसी रुकावट के सभी तक ऊर्जा की उपलब्धता ही ऊर्जा सुरक्षा है.
  • ऊर्जा सुरक्षा के दो आयाम हैं, पहला दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा (Long Term Energy Security) तथा दूसरा लघुकालिक ऊर्जा सुरक्षा (Short Term Energy Security).
  • दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा का संबंध आर्थिक विकास और पर्यावरणीय जरूरतों के अनुरूप ऊर्जा की आपूर्ति के दीर्घकालिक निवेश से है. 
  • लघुकालिक ऊर्जा  सुरक्षा का संबंध ऊर्जा आपूर्ति एवं मांग संतुलन में अचानक किसी परिवर्तन का यथाशीघ्र समाधान करने की ऊर्जा प्रणाली क्षमता से है.

क्यों आवश्यक है ऊर्जा सुरक्षा?

  • जैसा कि हम प्रारंभ में चर्चा कर चुके हैं कि किसी भी देश के मानव विकास सूचकांक एवं ऊर्जा उपभोग में पूरक संबंध होता है. वस्तुतः ऊर्जा ही किसी भी देश के आर्थिक सामाजिक विकास की धुरी है.
  • ऊर्जा संसाधनों के आधार पर ही किसी राष्ट्र का आर्थिक विकास संभव है. अतः ऊर्जा सुरक्षा का मजबूत होना अत्यधिक आवश्यक है.
  • जनांकिकीय लाभांश को प्रतिफल में बदलने तथा वैश्विक महाशक्ति बनने हेतु भारत को ‘ऊर्जा सुरक्षा’ के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है.
  • इसके अलावा बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ऊर्जा सुरक्षा आवश्यक है.
  • आधारभूत ढांचे की मज़बूती के लिये भी ‘ऊर्जा सुरक्षा’ आवश्यक है.
  • कौशल विकास सृजन एवं विनिर्माण क्षमता के विकास के लिये ऊर्जा सुरक्षा महत्त्वपूर्ण है.

और भी विस्तार से पढ़ें :- ऊर्जा के स्रोत

मेरी राय – मेंस के लिए

 

भारत द्वारा 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने के लक्ष्य को लेकर प्रश्न चिन्ह लग गया है. नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन को आगे बढ़ाने के लिए आज यह आवश्यक हो गया है कि इससे सम्बंधित व्यवसाय और निवेश के लिए वे नवाचार विकसित किये जाएँ जिनसे छत पर लगने वाले सौर संयंत्रों को लोग अपने-अपने घरों में लगाने की पहल करें. नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने एक नीति बनाई है जिसके अंतर्गत सरकार पवन-सौर संकर परियोजनाओं के लिए प्रतिस्पर्धात्मक बोली लगाएगी. इससे आशा की जाती है कि इनसे उत्पन्न बिजली सस्ती होगी और लोग इसकी ओर झुकेंगे.

संभावित गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की खोज तथा उन्हें किफायती एवं सुलभ बनाने के लिये अनुसंधान की आवश्यकता है. ऊर्जा अवसंरचना का विकास करने के साथ-साथ स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम भंडारण को और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयान मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2017-18 में प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपलब्धता (भारत में) को 23355 मेगाजूल बढ़ाने की आवश्यकता है.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : In India, over 75% districts hotspots of extreme weather events, finds study

संदर्भ

एक अध्ययन क॑ अनुसार भारत में, 75 प्रतिशत से अधिक जिलों में चरम मौसम की घटनाओं के हॉटस्पॉट विद्यमान हैं. यह प्रथम अवसर है, जब किसी अध्ययन ने देश में चरम मौसम की घटना वाले हॉटस्पॉट का मानचित्रण किया. यह निष्कर्ष, एक गैर-लाभकारी नीति अनुसंधान संस्थान काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) द्वारा किए गए अध्ययन का एक हिस्सा है.

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • देश के 75 प्रतिशत से अधिक जिले चक्रवात, बाढ़, सूखा, गर्मी और शीत लहरों जैसी चरम जलवायु घटनाओं के हॉटस्पॉट हैं. उल्लेखनीय है कि इन जिलों में 688 मिलियन से अधिक लोग निवास करते हैं.
  • हाल के दशकों में चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति, तीव्रता और अप्रत्याशितता में वृद्धि हुई है.
  • देश के 40% से अधिक जिलों में चरम जलवायुवीय घटनाओं के प्रारूप में परिवर्तन हुआ है. उदाहरणार्थ बाढ़-प्रवण क्षेत्र सूखा-प्रवण क्षेत्रों में और सूखा-प्रवण क्षेत्र बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में बदल गए हैं.
  • विगत 100 वर्षों में केवल 0.6 डिग्री सेल्सियस तापमान में वृद्धि के परिणामस्वरूप ये वर्तमान विनाशकारी जलवायु घटनाएं हुई हैं.
  • भारत विश्व की बाढ़ राजधानी (flood capital) बनने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है. हालाँकि मानसून के दौरान वर्षा के दिनों की संख्या में कमी हुई है, परन्तु एक दिवसीय चरम वर्षा की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है. इसके कारण बाढ़ की प्रवृत्ति में वृद्धि हुई है. विगत दशक में भारत के आठ सर्वाधिक बाढ़ प्रवण जिलों में से छह जिले असम में दर्ज किए गए थे.
  • विगत एक दशक में, चक्रवातों से प्रभावित हुए सभी हॉटस्पॉट्स वाले जिले पूर्वी तट पर स्थित हैं.

मुख्य अनुशंसाएँ

  • समुद्र-तट, शहरी उष्ण तनाव, जल तनाव और जैव विविधता के हझस जैसी महत्वपूर्ण सुभेद्यता का मानचित्रण करने के लिए एक जलवायु जोखिम एटलस (Climate Risk Atlas) विकसित करना आवश्यक है.
  • आपात स्थिति के प्रति एक व्यवस्थित और निरंतर प्रतिक्रिया की सुविधा के लिए एक एकीकृत आपातकालीन निगरानी प्रणाली (Develop an Integrated Emergency Surveillance System) विकसित करनी चाहिए.
  • स्थानीय, उप राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की योजनाओं में एकीकृत जोखिम मूल्यांकन (Integrate risk assessment) करना चाहिए.

Prelims Vishesh

Ramanujan Prize for Young Mathematicians :-

  • ब्राजील की गणितज्ञ डॉ. कैरोलिना अरुजो को बीजगणितीय ज्यामिति (algebraic geometry) में उनके विशिष्ट योगदान के लिए वर्ष 2020 का यह पुरस्कार प्रदान किया गया है.
  • डॉ. कैरोलिना यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली प्रथम गैर-भारतीय हैं.
  • यह पुरस्कार वर्ष 2005 से प्रदान किया जा रहा है. यह पुरस्कार विकासशील देश के 45 वर्ष से कम आयु के महिला/ पुरुष शोधकर्ताओं को गणित के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान हेतु प्रदान किया जाता है.
  • इस पुरस्कार की स्थापना श्रीनिवास रामानुजन की स्मृति में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा की गई है.
  • श्रीनिवास रामानुजन भारतीय गणितज्ञ थे. उन्होंने दीर्घवृत्तीय फलनों, सतत भिन्‍न, अनंत श्रेणी और संख्याओं के विश्लेषणात्मक सिद्धांत में अपना बहुमूल्य योगदान दिया था.

India’s indigenous mRNA vaccine :-

  • भारत के स्वदेशी mRNA टीके (HGCO19) को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा मनुष्यों पर प्रथम/द्वितीय चरण के चिकित्सीय परीक्षण हेतु स्वीकृति प्रदान कर दी गई है.
  • यह टीका पुणे स्थित कंपनी जेनोवा द्वारा विकसित किया गया है.
  • टीका, वायरस के संश्लेषित RNA के माध्यम से शरीर में प्रोटीन बनाने के लिए आणविक निर्देशों का उपयोग करता है. मेजबान शरीर इसका उपयोग अभिनिर्धारित वायरल प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए करता है. यह प्रोटीन शरीर को रोग के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बनाए रखने में सक्षम बना देता है.

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