Sansar डेली करंट अफेयर्स, 16 September 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 16 September 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : India Iodine Survey 2018- 19 report

संदर्भ

न्यूट्रीशन इंटरनेशनल नामक संस्था ने नई दिल्ली के AIIMS और ICCIDD (Indian Coalition for the Control of Iodine Deficiency Disorders) के सहयोग से भारत में आयोडीन के प्रयोग से सम्बंधित सर्वेक्षण का एक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है.

  • इस सर्वेक्षण में अनेक घरों से नमक के नमूने लेकर यह जाँच की गई कि उनमें आयोडीन की मात्रा कितनी है.
  • उल्लेखनीय है कि किसी नमक को आयोडीन युक्त नमक तब कहा जाता है जब उस नमक में प्रति मिलियन 15 अंश आयोडीन हो.

सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष

  • भारत में सबसे अधिक नमक उत्पादित करने वाले राज्य हैं – गुजरात (71%), राजस्थान (17%) और तमिलनाडु (11%).
  • भारत के 3% घरों में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन युक्त नमक खाया जा रहा है.
  • नमक का तीसरा बड़ा उत्पादक होते हुए भी तमिलनाडु के 9% घरों में आयोडीन युक्त नमक खाया जा रहा है जो कि देश में सबसे कम है.
  • तमिलनाडु के पश्चात् आंध्र प्रदेश (63.9%), राजस्थान (65.5%), ओडिशा (65.8%) और झारखंड (68.8%) आयोडीन नमक कम खाने वाले राज्यों में आता है.
  • देश के 36 राज्यों/संघीय क्षेत्रों में से केवल 13 राज्य ऐसे हैं जहाँ नमक का सार्वभौम स्तर पर आयोडीनीकरण हुआ है अर्थात् जहाँ 90% घरों में इस प्रकार का नमक पहुँच चुका है.

आयोडीन नमक आवश्यक क्यों?

  • आदर्श मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए आयोडीन एक अत्यन्त आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्त्व होता है.
  • आयोडीन की कमी से कई प्रकार के रोग और अक्षमताएँ हो सकती हैं, जैसा – घेघा, थायराइड की अल्प सक्रियता, बौनापन, गर्भपात, जातक का मृत होना, मानसिक मंदता और साइकोमोटर दोष.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : UN Peacekeeping

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में विमर्श के दौरान भारत ने शान्ति रक्षक सेनाओं की प्रणाली में सुधार की माँग की है.

सुधार की आवश्यकता क्यों?

  • वर्तमान में शांति स्थापना का कार्य एक ओर जहाँ विकट परिस्थतियों में शान्ति को स्थापित करना है, वहीं दूसरी ओर उस स्थापित शान्ति को बनाये रखना भी है.
  • शान्ति सेना के लिए सैनिक भेजने वाले देशों, सुरक्षा परिषद् और सचिवालय इन तीनों के बीच सहयोग अपेक्षा के अनुरूप नहीं होता है.

क्या-क्या सुधार हो सकते हैं?

  • महिला शान्ति रक्षक सैनिकों को शान्ति सेनाओं में शामिल होने के लिए उत्प्रेरण दिया जा सकता है. विदित हो कि जुलाई 2019 के आँकड़े के अनुसार, शान्ति सेनाओं में महिलाओं का प्रतिशत मात्र 6 है. संख्या की दृष्टि से कहा जाए तो 86,687 शान्ति रक्षकों में से मात्र 5,243 ही महिला रक्षक हैं.
  • शान्ति स्थापित करने के लिए की गई तैनाती में एक ही देश के सैनिकों को नहीं लगाकर कई देशों की मिली-जुली टुकड़ी भेजी जाएँ जिससे कि भागीदारी की वास्तविक भावना उत्पन्न हो सके.
  • भविष्य के कमांडरों और प्रबंधकों की क्षमता को विकसित करने के लिए तथा शान्ति रक्षक सैनिकों को संयुक्त राष्ट्र के आचारगत मानकों के प्रति शान्ति रक्षकों को जागरूक बनाने के लिए नवाचारी पहलों की आवश्यकता प्रतीत होती है.

शान्ति रक्षा और इसका महत्त्व

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा शान्ति रक्षा का कार्य 1948 में संयुक्त राष्ट्र युद्ध विराम पर्यवेक्षण संगठन (UN Truce Supervision Organization – UNTSO) की स्थापना के साथ आरम्भ हुआ था.
  • सबसे पहला मिशन 1948 के अरब-इजराइल युद्ध के समय भेजा गया था.
  • संयुक्त राष्ट्र की शान्ति सेना उन देशों में शान्ति की स्थापना में सहायता पहुँचाने के लिए भेजी जाती है जहाँ गृह संघर्ष चल रहा होता है.
  • इतिहास साक्षी है कि संयुक्त राष्ट्र कई अवसरों पर अपनी शान्ति रक्षक सेनाओं को सम्बंधित देश के आग्रह पर भेजकर शान्ति को स्थापित करने में सफल रहा है.
  • शांति सेनाएँ विश्व के कोने-कोने से सैनिकों और पुलिस को इकठ्ठा करके तथा सम्बंधित देश के अपने घरेलू नागरिक के साथ हर प्रकार से समन्वय करते हुए शान्ति स्थापित करने का कार्य करती है.
  • शान्ति रक्षा का कार्य जिन मूलभूत सिद्धांतों का अनुसरण करता है, वे हैं – i) पक्षकारों की सहमति ii) निष्पक्षता iii) बल का प्रयोग उसी समय करना जब आत्म रक्षा एवं रक्षा की स्थिति उत्पन्न हो.

वैश्विक भागीदारी

संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा वास्तव में एक अनूठी वैश्विक भागीदारी होती है. अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए इसमें न केवल संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद् और संयुक्त राष्ट्र सचिवालय को ही एक स्थान पर लाया जाता है, अपितु इस कार्य में शान्ति सेना के लिए अपने सैनिक भेजने वाले देशों और इस सेना को आमंत्रित करने वाले देशों का भी मिला-जुला प्रयास होता है. शान्ति सेनाओं को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में ही वैधता दे दी गई है.


GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Issues related to direct and indirect farm subsidies and minimum support prices; Public Distribution System objectives, functioning, limitations, revamping; issues of buffer stocks and food security; Technology missions; economics of animal-rearing.

Topic : Pradhan Mantri Kisan Maan Dhan Yojana

संदर्भ

भारत सरकार किसान मान धन नामक एक योजना चालू करने जा रही है. जिसका उद्देश्य होगा देश के छोटे और सीमान्त किसानों के जीवन में सुधार लाना.

मुख्य विशेषताएँ

  1. यह योजना एक स्वैच्छिक एवं अंशदान वाली योजना है जिसमें 18 से 40 वर्ष की आयु के किसान प्रवेश पा सकते हैं.
  2. जब किसान 60 वर्ष का हो जाएगा तो उसको प्रत्येक महीने पेंशन के रूप में 3,000 रु. मिलेंगे.
  3. किसान की पत्नी भी 3,000 रु. की पेंशन अलग से पा सकती है, परन्तु उसे अलग से अपना अंशदान देना होगा.
  4. योजना के लिए गठित पेंशन कोष में किसान को अपनी उम्र के हिसाब से 55 रु. से लेकर 200 रु. तक का मासिक अंशदान तब तक देते रहना होगा जब तक वह 60 वर्ष का नहीं हो जाता है.
  5. पेंशन कोष में केंद्र सरकार भी उतने ही पैसे का अंशदान करेगी जितना कोई किसान अपने लिए करता है.
  6. पेंशन कोष का प्रबंधन भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के हाथ में रहेगा और वही पेंशन देने का भी काम करेगा.
  7. यदि लाभार्थी के पत्नी अथवा पति नहीं है तो उसके मरने के पश्चात् उस व्यक्ति को कुल जमा राशि ब्याज सहित दे दी जायेगी जिसे लाभार्थी ने नामित किया होगा.
  8. 60 वर्ष पूरा होने के बाद यदि किसान का निधन हो जाता है तो उसकी पत्नी अथवा पति को पारिवारिक पेंशन के रूप में पेंशन का 50% मिलेगा.
  9. यदि पति और पत्नी दोनों मर चुके हों तो उनके द्वारा जमा की गई सम्पूर्ण राशि पेंशन कोष में वापस हो जायेगी.
  10. पाँच वर्ष तक नियमित रूप से अंशदान करने के पश्चात् लाभार्थी चाहे तो योजना से बाहर निकल भी सकता है.
  11. यदि लाभार्थी बीच में अंशदान करने में विफल रहता है तो वह ब्याज सहित बकाया चुका करके अपने योगदान को फिर से नियमित कर सकता है.

योजना की महत्ता

आशा की जा रही है कि अगले पाँच वर्षों इस योजना का लाभ दस करोड़ श्रमिकों और असंगठित प्रक्षेत्र में काम करने वालों तक पहुँचेगा. इस प्रकार यह योजना विश्व की सबसे बड़ी पेंशन योजनाओं में से एक योजना हो जायेगी.


GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Issues related to direct and indirect farm subsidies and minimum support prices; Public Distribution System objectives, functioning, limitations, revamping; issues of buffer stocks and food security; Technology missions; economics of animal-rearing.

Topic : National Animal Disease Control Programme (NADCP)

संदर्भ

भारत सरकार राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Animal Disease Control Programme – NADCP) का अनावरण करने जा रही है जिसका उद्देश्य मवेशियों में होने वाले खुरहा और मुंह के रोग तथा ब्रूसेलोसिस (Brucellosis) का उन्मूलन करना है.

Brucellosis disease

NADCP कार्यक्रम क्या है?

यह एक पशु रोग निवारण कार्यक्रम है जिसके तहत पशुओं को खुरहा और मुंह के रोग तथा ब्रूसेलोसिस से बचाने के लिए टीकाकरण किया जाएगा. इस कार्यक्रम के अंतर्गत 500 मिलियन मवेशियों, भैंसों, भेड़ों, बकरियों और सूअरों को खुरहा और मुंह के रोग के लिए टीके दिए जाएँगे. साथ ही ब्रूसेलोसिस को रोकने के लिए प्रत्येक वर्ष 36 मिलियन गाय-भैंसों और बछडों को टीका लगाया जाएगा.

लक्ष्य

  1. 2025 तक रोगों पर नियंत्रण
  2. 2030 तक इन रोगों का उन्मूलन.

वित्तपोषण

इस योजना के लिए शत प्रतिशत वित्त पोषण केंद्र सरकार करेगी. 2024 तक पाँच वर्षों के लिए कुल मिलाकर 12,652 करोड़ रु. का प्रावधान किया जा रहा है.

आवश्यकता

भारत में गाएँ, भैसें, सूअर, सांड, भेड़ें और बकरियाँ खुरहा और मुंह के रोग तथा ब्रूसेलोसिस के बहुधा शिकार हो जाते हैं. इन रोगों का दूध के उत्पादन और और अन्य जैव उत्पादों पर नकारात्मक प्रभाव देखा जाता है.

  • यदि खुरहा और मुंह का रोग किसी गाय या भैंस को हो जाता है तो वह चार-छह महीने तक शत प्रतिशत तक दूध देना बंद कर देती है.
  • ब्रूसेलोसिस होने पर भी दूध देने वाले पशु का दूध जीवन भर के लिए एक तिहाई हो जाता है, बछड़ा-बछड़ी जनना भी बंद हो जाता है.
  • ब्रूसेलोसिस में यह दोष है कि यह गोसाला में काम करने वालों और मवेशी के मालिकों को भी संक्रमित होकर लग सकता है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Economics of animal rearing.

Topic : African Swine Fever (ASF)

संदर्भ

पिछले दिनों चीन के सूअरों में अफ्रीकी शूकर ज्वर (African Swine Fever – ASF) कस के फ़ैल गया है. इसका फल यह हुआ है कि वहाँ लाखों सूअरों को जान से मार दिया गया और सूअर के मांस के दाम में उछाल आ गया है. विदित हो कि सूअर का मांस चीनियों के लिए प्रोटीन का एक लोकप्रिय स्रोत है.

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पृष्ठभूमि

ASF चीन के अलावे एशिया के और देशों में भी देखा गया है. अभी पिछले दिनों ही ASF फैलने के कारण फिलिपीन्स में 7,000 सूअर इसलिए मार दिए गये कि यह ज्वर और सूअरों को नहीं लग जाए.

ASF क्या है?

  • ASF बहुत तेजी से फैलने वाला और पशुओं के लिए घातक रोग है जो पालतू और जंगली दोनों सूअरों को संक्रमित करके उनमें रक्तस्रावी बुखार ला देता है.
  • यह ज्वर पहली बार 1920 में अफ्रीका महादेश में पकड़ा गया था.
  • इस बुखार का कोई उपचार नहीं है और जिस पशु को यह बुखार हो गया तो उसका मरना शत प्रतिशत तय है. अतः यह नहीं फ़ैल जाए इसके लिए रोगग्रस्त पशुओं को जान से मार देना पड़ता है.
  • ASF की विशेषता है कि यह पशु से पशु में फैलता है और मनुष्य पर इससे कोई खतरा नहीं होता.
  • संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) का कहना है कि ASF बहुत तेजी से एक महादेश से दूसरे महादेश तक फैलने की शक्ति रखता है.

Prelims Vishesh

Hurricane Dorian :

  • पिछले दिनों बहामा में डोरियान हरिकेन का आतंक देखा गया.
  • भारत ने घोषणा की है कि वह वहाँ के लोगों की सहायता के लिए एक मिलियन डॉलर देगा.
  • यह हरिकेन अत्यंत सशक्त और विध्वंसकारी था जिसके चलते इसे श्रेणी 5 में रखा गया था. इस वर्ष अटलांटिक में आने वाला यह पहला बड़ा हरिकेन था.

India-Nepal petroleum pipeline :

  • पिछले दिनों भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल जाकर मोतिहारी-अमलेखगंज पेट्रोलियम पाइपलाइन का उद्घाटन किया.
  • 69 किलोमीटर लम्बे इस पाइपलाइन के द्वारा बरौनी शोधयंत्र से दक्षिण-पूर्व नेपाल में स्थित अमलेखगंज तक पेट्रोलियम पहुँचाया जाएगा.

‘ANGAN’- International Conference on Energy Efficiency in Building Sector :

  • भवन निर्माण प्रक्षेत्र में ऊर्जा की बचत को केंद्र में रखकर पिछले दिनों आँगन नामक एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ.
  • इस कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के अधीनस्थ ऊर्जा सक्षमता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency – BEE) द्वारा किया गया.

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