Sansar डेली करंट अफेयर्स, 16 October 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 16 October 2018


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Special courts to try politicians

संदर्भ

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने उन राज्यों तथा उच्च न्यायालयों, जिन्होंने अभी तक अपने विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक वादों का विवरण प्रस्तुत नहीं किया है, के मुख्य सचिवों एवं महापंजीयकों को ये चेतावनी दी है कि उन्हें इसके लिए व्यक्तिगत रूप से दोषी माना जाएगा.

भूमिका

पिछले वर्ष दिसम्बर, 2014 को सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि सांसदों एवं विधायकों के विरुद्ध लम्बे समय से लंबित मुकद्दमों की सुनवाई के लिए विशेष त्वरित सुनवाई वाले न्यायालय स्थापित किये जाएँ जिससे राजनीति में भ्रष्टाचार और अपराध का उन्मूलन हो सके. अभी तक केंद्र ने ऐसे मामलों के लिए 12 विशेष न्यायालय गठित किये हैं.

विशेष न्यायालय क्यों?

ऐसा देखा गया है कि सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के विरुद्ध मामले चल रहे हैं, चाहे वे दल राष्ट्रीय स्तर के हों चाहे क्षेत्रीय स्तर के. ये सभी मामलों वर्षों से चल रहे हैं और नेतागण जेल जाने से बचते रहे हैं. इनके लिए विशेष न्यायालय गठित होने पर मुकदमों के निपटारे में तेजी आएगी क्योंकि ये न्यायालय केवल ऐसे ही मामलों को देखेंगे.

ज्ञातव्य है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र-शाषित क्षेत्रों को यह कहा था कि दिसम्बर, 2018 को कहा था कि वे पूरे देश में विशेष रूप से राजनीतिक अपराधियों के विरुद्ध मुकदमों की सुनवाई करने के लिए विशेष न्यायालयों की संख्या निर्धारित करने के निमित्त आँकड़े सर्वोच्च न्यायालय को मुहैया करें. इस आदेश की प्रतिक्रिया में कुछ राज्यों ने आवश्यक आँकड़े जमा कर दिए हैं. परन्तु कुछ राज्य अभी तक ऐसा नहीं कर सके हैं, ये राज्य हैं – गोवा, हिमाचल प्रदेश मेघालय, मिजोरम, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, चंडीगढ़, दादर और नगर हवेली, दमन और दीव और लक्षद्वीप.


GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : Strategic Petroleum Reserves

संदर्भ

भारत सरकार की योजना है कि वह आगामी वर्ष के अन्दर अपने सामरिक महत्त्व के कच्चे तेल के भंडारों (Strategic Crude Oil Storage – SCOS) के निर्माण में निजी कंपनियों के साथ भागीदारी करेगी.

  • इसके लिए सरकार वैश्विक तेल उत्पादकों एवं व्यापारियों से 1.5 बिलियन डॉलर का निवेश प्राप्त करेगी और उससे अतिरिक्त आपातकालीन क्रूड भंडार बनाएगी. ये भंडार तेल के दामों के बढ़ने पर एक बफर के रूप में कार्य करेंगे. इसके लिए भारत में दो स्थानों में कुल मिलाकर 6.5 मिलियन टन कच्चा तेल भूमि के अन्दर विशेष रूप से निर्मित गुफाओं में जमा किया जाएगा.

पृष्ठभूमि

इसके पहले भारत ने तीन स्थानों पर भूमिगत भंडार बना रखे हैं जिसमें 5.33 मिलियन टन कच्चा तेल सुरक्षित कर दिया गया है. इन भंडारों से देश की तेल सम्बन्धी आवश्यकताएँ 9.5 दिन तक पूरी की जा सकेंगी. जिन स्थानों में भंडारण किया गया है, वे हैं – विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), मंगलौर (कर्नाटक) और पुदुर (कर्नाटक). इन तीनों भंडारों के अतिरिक्त भारत में कच्चे तेल के और पेट्रोलियम उत्पादों के कई और भंडार भी हैं जो तेल कम्पनियों के पास हैं. यदि कभी विदेश से आपूर्ति में बाधा होगी तो ये भंडार काम आयेंगे.

 

  • भारत सरकार ने 2017-18 बजट में यह घोषणा की थी कि ऐसे ही दो और भंडार अगले चरण में बीकानेर (राजस्थान) और उड़ीसा के जयपुर जिले में चंडीखोल में निर्मित किये जायेंगे.

भंडारों के लिए निर्माण एजेंसी

कच्चे तेल के भंडारण के लिए SCOS सुविधाओं का निर्माण जो एजेंसी करेगी, उसका नाम है – भारतीय रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार लिमिटेड (Indian Strategic Petroleum Reserves Limited – ISPRL). यह कम्पनी इसी उद्देश्य के लिए विशेष रूप से बनाई गई है और इसका पूर्ण स्वामित्व पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीनस्थ तेल उद्योग विकास बोर्ड (Oil Industry Development Board – OIDB) के पास है.

तेल भंडारों का सामरिक महत्त्व

1990 में जब पश्चिमी एशिया में खाड़ी युद्ध हुआ था तो उस समय भारत के समक्ष खनिज तेल को लेकर एक बहुत बड़ा संकट आ गया था. उस समय भारत के पास बस इतना ही तेल बचा हुआ था जिससे मात्र तीन दिन काम चलाया जा सकता था. उस समय तो किसी प्रकार से संकट टल गया था परन्तु आज भी इस प्रकार के संकट की आशंका बनी हुई है.

भारत की ऊर्जा मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधनों (fossil fuels) पर पूर्णतया निर्भर है और भविष्य में इस परिदृश्य में कोई विशेष परिवर्तन होने की सम्भावना नहीं है. इन इंधनों का 80% आयात से, विशेषकर पश्चिम एशिया से आता है. यदि युद्ध छिड़ जाए तो आपूर्ति का संकट तो छाएगा ही, देश का चालू खाता घाटा (Current Account Deficit – CAD) भी बड़े पैमाने पर बढ़ सकता है.

इन तथ्यों को ध्यान में रखकर अटल बिहारी वाजपयी सरकार 1998 में SPR की अवधारणा लायी थी. आज भारत प्रत्येक दिन 4 मिलियन बैरल कच्चे तेल की खपत करता है. यह सब देखते हुए इसका जितना भी भण्डारण किया जाए, वह कम होगा.


GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : Youth road safety learners licence programme

संदर्भ

हाल ही में भारत सरकार ने युवा पथ सुरक्षा शिक्षार्थी लाइसेंस कार्यक्रम (Youth Road Safety Learners Licence Programme) का अनावरण किया है.

यह कार्यक्रम क्या है?

  • यह एक सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) वाली पहल है जिसका कार्यान्वयन Diageo India तथा पथ यातायात शिक्षण संस्थान (Road Traffic Education – IRTE) संयुक्त रूप से करेंगे.
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत जो व्यक्ति पहली बार मोटर संचालन सीखने के लाइसेंस के लिए आवेदन कर रहा है, उसके लिए एक औपचारिक एवं ढाँचाबद्ध प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध कराया जाएगा.
  • इस प्रशिक्षण में मोटर संचालन से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा, जैसे – सुरक्षात्मक मोटर चालन, शराब पीकर गाड़ी चलाने के दुष्प्रभाव, तेजी से गाड़ी चलाने के खतरे और हेलमेट पहनने की आवश्यकता. ये कार्यक्रम दो दिनों का होगा.
  • आरम्भ में इस प्रकार के 400 कार्यक्रम देश के 20 विश्वविद्यालयों में चलाये जाएँगे.

कार्यक्रम का महत्त्व

हाल ही में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती हुई संख्या को देखकर भारत सरकार ने इस कार्यक्रम की संकल्पना की है. 2020 तक ऐसी दुर्घटनाओं को आधा करने का संकल्प लिया गया है. इस संकल्प को पूरा करने में यह कार्यक्रम सहायक सिद्ध होगा.


GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : ‘Saubhagya’ scheme

संदर्भ

भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने सौभाग्य योजना के अंतर्गत एक पुरस्कार घोषित किया है. इस पुरस्कार का उद्देश्य बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs), राज्यों के ऊर्जा विभागों एवं उनके कर्मचारियों को अपने-अपने कार्यक्षेत्र में घर-घर में बिजली पहुँचाने के लक्ष्य को शत-प्रतिशत प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहित करना है. इस पुरस्कार के अन्दर नकद पुरस्कार के अतिरिक्त एक प्रशंसा प्रमाण पत्र भी दिया जायेगा.

यह पुरस्कार योजना क्या है?

अर्हता : देश के आठ राज्य सौभाग्य योजना के आरम्भ के पहले से ही 99% घरों को बिजली दे चुके हैं. ये राज्य हैं – आंध्र प्रदेश, गुजरात, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, पंजाब और तमिलनाडु. इसलिए प्रस्तावित पुरस्कार योजना इन राज्यों के लिए नहीं है अपितु उन DISCOM के लिए हैं जहाँ घर-घर बिजली पहुँचाने का काम बचा हुआ है.

पुरस्कार की विभिन्न श्रेणियाँ

पुरस्कार के लिए राज्यों के तीन वर्ग बनाए गए हैं –

i) विशेष श्रेणी के राज्य

ये राज्य हैं – पूर्वोत्तर राज्य, सिक्किम, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड.

ii) विशेष श्रेणी से इतर वैसे राज्य जहाँ बिजली के घरों की संख्या 5 लाख से अधिक है

बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल. इन राज्यों में अभी भी पाँच लाख से अधिक ऐसे घर हैं जहाँ बिजली नहीं पहुँची है.

iii) विशेष श्रेणी से इतर वैसे राज्य जहाँ बिजली के घरों की संख्या 5 लाख से कम है

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि ये पुरस्कार राज्यों के ऊर्जा विभागों और ऊर्जा वितरक कंपनियों (DISCOMs) एवं कर्मचारियों को दिए जाएँगे.

सौभाग्य योजना क्या है?

  • SAUBHAGYA का full form है – (प्रधानमन्त्री) सहज बिजली हर घर योजना.
  • इस योजना का उद्घाटन सितम्बर, 2017 में हुआ था.
  • इस योजना के अंदर ग्रामीण क्षेत्रों के हर घर (APL और BPL दोनों) तथा शहरी क्षेत्रों के गरीब परिवारों को निःशुल्क बिजली कनेक्शन दिया जाता है.
  • सौभाग्य योजना के संचालन के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (Rural Electrification Corporation – REC) को सूत्रधार एजेंसी (nodal agency) बनाया गया है.
  • इस योजना का उद्देश्य देश के हर घर में बिजली पहुँचाना है.
  • इस योजना पर कुल मिलाकर 16,320 करोड़ का खर्च आएगा.
  • इस योजना में सरकारी कुल खर्च = 16, 320 करोड़ रू. – – – सरकारी बजटीय सहायता = 12, 320 करोड़ रू.
  • ग्रामीण आवास व्यय = 14025 करोड़ रु. – – – सरकारी बजटीय सहायता = 10, 587.50 करोड़ रु.
  • शहरी आवास व्यय = 1732.50 करोड़ रु. – – – सरकारी बजटीय सहायता = 2295 करोड़ रु.
  • इस योजना के लिए सभी DISCOMs को अर्थात् बिजली वितरक कंपनियों, राज्य ऊर्जा विभागों एवं ग्रामीण विद्युतीकरण सहकारी सोसाइटियों को सहायता दी जायेगी.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : IMF Quotas

संदर्भ

यह सर्वविदित है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक संस्था है जो सदस्य देशों के द्वारा दिए गये चंदे से चलती है. जिस देश की जितनी आर्थिक शक्ति होती है उसी हिसाब से उसके द्वारा दिए जाने वाले चंदे की राशि निर्धारित होती है. उस देश को उसी हिसाब से समय पड़ने पर IMF से ऋण भी मिलता है.

हाल ही में भारत ने यह आह्वान किया है कि उभरते हुए देशों की बढ़ती हुई आर्थिक शक्ति को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में चंदे की राशि (quota) में परिवर्तन लाया जाए.

IMF कोटा का महत्त्व

  • कोटा चंदे की उस अधिकतम राशि को कहते हैं जो एक सदस्य को देना होता है.
  • जिस देश का कोटा जितना अधिक होता है, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के निर्णयों में उसका हस्तक्षेप उतना ही अधिक होता है अर्थात् उसके वोट के अनुसार तदनुसार ही होती है.
  • विदित हो कि सभी सदस्यों के लिए जो आधारभूत मत निर्धारित हैं, उनके अतिरिक्त प्रत्येक Special Drawing Rights (SDRs) 1 लाख पर एक अतिरिक्त मत और भी मिलता है.
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से कोई देश कितना अधिकतम वित्त सामान्यतः प्राप्त कर सकता है, यह उस देश के quota पर निर्भर होता है.
  • किसी सदस्य देश का SDR का सामान्य आवंटन में कितना हिस्सा होगा, यह भी उसके कोटे से ही तय होता है.

कोटा समीक्षा

कोटा समीक्षा के लिए नियमित अंतराल पर (5 साल से अधिक का नहीं) IMF का बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स समीक्षा करता है. कोटा में बदलाव का अनुमोदन तभी होता है जब इसपर 85% मत मिलते हैं.

किसी सदस्य देश का कोटा तब तक नहीं बदला जा सकता है जब तक इसके लिए उसकी सहमति नहीं हो. समीक्षा के समय कोटा में बदलाव के लिए इस बात पर ध्यान रखा जाता है कि कुल मिलाकर कोटा में कितनी वृद्धि की आवश्यकता है और इसी के अनुसार बढ़े हुए कोटे का आवंटन होता है.

IMF के बारे में

  • अमेरिका के राज्य न्यू हेम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान में 1944 में एक सम्मलेन हुआ था जिसमें विश्व बैंक के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की भी संकल्पना की गई थी.
  • इस कोष का उद्देश्य विश्व में आर्थिक स्थिरता लाना और वित्तीय संकट को टालना तथा संभालना दोनों है.
  • कालांतर में IMF का मुख्य ध्यान विकासशील देशों की ओर केन्द्रित हो गया है.
  • IMF के लिए निधि सदस्य देशों द्वारा दिए गये कोटे से आती है जो कि उस देश की सम्पदा के अनुरूप होता है.
  • IMF ऋण देने का भी काम करता है पर यह काम वह एक अंतिम उपाय के रूप में ही करता है. यदि कोई देश कठिनाई से गुजर रहा है तो उसको छोटी अवधि के लिए अपने कोष से IMF विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराता है.

Prelims Vishesh

Lhotshampa :-

  • Lhotshampa भूटानियों की एक प्रजाति है जिनका उद्भव नेपाल से हुआ है.
  • मूलतः यह दक्षिणी भूटान के रहने वाले हैं पर ये नेपाली बोलते हैं.
  • 1985 में भूटान के राजा ने इन लोगों को आव्रजक मानते हुए इनकी नागरिकता छीन ली थी.
  • ये लोग हाल में चर्चा में इसलिए आये कि भूटान में चुनाव होने वाले हैं और ये लोग मुँह ताकते रह जाएँगे.

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