Sansar डेली करंट अफेयर्स, 16 July 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 16 July 2019


GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : Beti Bachao Beti Padhao

संदर्भ

पश्चिम बंगाल को छोड़कर देश के सभी राज्यों और संघीय क्षेत्रों ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के मार्गनिर्देशों के अनुरूप कार्यदलों की स्थापना कर ली है, जिनके अध्यक्ष मुख्य सचिव बनाए गये हैं.

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP)

  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP) जनवरी 2015में आरम्भ की गई थी.
  • इस योजना में केंद्र सरकार के कार्यान्वयन में तीन मंत्रालय सहयोग (tri-ministerial effort) करते हैं. ये मंत्रालय हैं – महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय.
  • इस योजना का उद्देश्य लैंगिक समानता तथा लड़कियों की पढ़ाई के महत्त्व को बढ़ावा देना है.
  • योजना का लक्ष्य शिशु लिंग अनुपात में सुधार लाना है. इसके लिए सरकार की ओर से कई क्षेत्रों में सुधारात्मक प्रयास किये जाएँगे, जैसे – लोगों को यह पता लाने से रोकना कि गर्भस्त शिशु लड़की है या लड़का, बच्चियों की शिक्षा को बढ़ावा देना तथा उनको हर प्रकार से सशक्त करना.

योजना की महत्ता और आवश्यकता 

1961 से भारत में लगातार शिशु लिंग अनुपात (child sex ratio) गिरता जा रहा है. 1991 में यह अनुपात 945 था जो घटकर 2001 में 927 हो गया और आगे चल कर 2011 में 918 हो गया. यह गिरावट खतरनाक है. लिंग अनुपात की इस गिरावट के कई मूलभूत कारण हैं, जैसे – समाज में लड़कियों के प्रति भेदभाव की परम्परा, लिंग के निर्धारण के लिए उपकरणों का सरलता से उपलब्ध होना, उनका सस्ता होना और उनका दुरूपयोग किया जाना.

शिशु लिंग अनुपात

शिशु लिंग अनुपात (Child Sex Ratio – CSR) 0 से 6 वर्ष के बच्चों में प्रत्येक एक हजार लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या को कहते हैं. इसलिए इस अनुपात में गिरावट को स्त्रियों की अशक्तता का एक बहुत बड़ा संकेत माना जाता है. यह अनुपात इस सच्चाई को भी प्रतिबिम्बित करता है कि लिंग निर्णय के द्वारा गर्भ में ही बच्चियों के साथ भेद-भाव होता है और उनके जन्म के उपरान्त भी वे भेद-भाव की शिकार होती हैं.


GS Paper  2  Source: The Hindu

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Topic : Unlawful activities (Prevention) Act

संदर्भ

भारत सरकार ने अलगाववाद के आधार पर Sikhs for Justice नामक समूह को गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित कर दिया है.

पृष्ठभूमि

Sikhs for Justice एक अलगाववादी समूह है जिसकी स्थापना अमेरिका में 2007 में हुई थी. यह समूह सिक्खों के लिए पंजाब में “खालिस्तान” नामक एक अलग देश की माँग करता है. अब यह समूह अन्य देशों में भी सक्रिय है.

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम क्या है?

  • यह कानून भारत में गैरकानूनी कार्य करने वाले संगठनों की कारगर रोकथाम के लिए बनाया गया था.
  • इसका मुख्य उद्देश्य देश विरोधी गतिविधियों के लिए कानूनी शक्ति का प्रयोग करना है.
  • इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई राष्ट्रद्रोही आन्दोलन का समर्थन करता है अथवा किसी विदेशी देश द्वारा किये गये भारत के क्षेत्र पर दावे का समर्थन करता है तो वह अपराध माना जाएगा.
  • UAPA 1967 में पारित हुआ था. बाद में यह पहले 2008 में और फिर 2012 में संशोधित हुआ था.

अधिनियम के कुछ विवादित प्रावधान

  • इसमें आतंकवाद की जो परिभाषा दी गई है वह उतनी स्पष्ट नहीं है. इसलिए अहिंसक राजनैतिक गतिविधियाँ और राजनैतिक विरोध भी आतंकवाद की परिभाषा के अन्दर आ जाता है.
  • यदि सरकार किसी संगठन को आतंकवादी बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा देती है तो ऐसे संगठन का सदस्य होना ही एक आपराधिक कृत्य हो जाता है.
  • इस अधिनियम के अनुसार किसी को भी बिना आरोप-पत्र के 180 दिन बंदी बनाया जा सकता है और 30 दिनों की पुलिस कस्टडी ली जा सकती है.
  • इसमें जमानत मिलने में कठिनाई होती है और अग्रिम जमानत का तो प्रश्न ही नहीं उठता.
  • इसमें मात्र साक्ष्य के बल पर किसी अपराध को आतंकवादी अपराध मान लिया जाता है.
  • इस अधिनियम के अन्दर विशेष न्यायालय बनाए जाते हैं जिनको बंद करने में सुनवाई करने का अधिकार होता है और जो गुप्त गवाहों का उपयोग भी कर सकते हैं.

GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Sutlej Yamuna Link (SYL) Canal

संदर्भ

पिछले दिनों एक मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा और केंद्र सरकार को कहा है कि वे सतलज यमुना लिंक नहर (SYL canal) की समस्या का प्रेमपूर्वक समाधान करें.

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SYL नहर में विवाद क्या है?

  • जब 1966 में पंजाब से कटकर हरियाणा बना तो पंजाब ने रावी और व्यास नदियों का पानी हरियाणा के साथ साझा करने से मना कर दिया. उसका कहना था कि उसके पास हरियाणा को देने के लिए पानी नहीं है और यदि वह ऐसा करता है तो यह नदी से सम्बंधित सिद्धांतों के विरुद्ध भी होगा.
  • फिर भी, 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना निर्गत करके अविभाजित पंजाब के 7.2 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी में से 3.5 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी हरियाणा को आवंटित कर दिया.
  • कालांतर में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश वी.बालकृष्ण एराडी की अध्यक्षता में एक पंचाट गठित (Eradi Tribunal) हुआ जिसका काम पानी की उपलभ्यता का फिर से आकलन करना और उसके बंटवारे के बारे में सुझाव देना था. इस पंचाट 1987 में अपनी अनुशंसा दी जिसके अनुसार अब पंजाब को 5 MAF और हरियाणा को 3.83 MAF देने की बात कही गई थी.
  • सतलज नदी और उसकी सहायक नदी व्यास के पानी को हरियाणा को देने के लिए एक योजना बनाई गई जिसमें सतलज को यमुना से जोड़ने के लिए एक नहर बनाई जानी थी. इसके लिए पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच एक त्रि-पक्षीय समझौता भी हुआ. परन्तु पंजाब में इसके विरुद्ध विरोध प्रदर्शन होने लगे और अंततः पंजाब की विधानसभा ने उस समझौते से पंजाब को अलग करने के लिए एक अधिनियम ही बना दिया जिसका नाम था – पंजाब समझौता समाप्ति अधिनियम, 2004 (The Punjab Termination of Agreements Act, 2004). इस प्रकार सतलज-यमुना लिंक योजना अवरुद्ध हो गई.

हरियाणा क्या चाहता है?

हरियाणा का कहना है कि वहाँ खेतों तक पानी पहुँचाना एक कठिन कार्य है अतः SYL नहर के माध्यम से उसे रावी और व्यास नदियों का पानी मिलना ही चाहिए. वस्तुतः दक्षिणी हरियाणा में पानी भूतल के 1,700 फीट नीचे चला गया है और पेयजल की भी क समस्या खड़ी हो गई है. हरियाणा का दावा है कि केन्द्रीय खाद्य योजना के लिए उसका योगदान बहुत बड़ा है, परन्तु उसे पंचाट द्वारा अनुशंसित पानी की मात्रा नहीं दी जा रही है.


GS Paper  3 Source: Economic Times

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Topic : Hayabusa2

संदर्भ

जुलाई 12, 2019 को जापान का हायाबुसा 2 अन्तरिक्षयान Ryugu क्षुद्रग्रह पर दूसरी बार सफलतापूर्वक उतर गया और इस प्रकार किसी क्षुद्रग्रह की सतह के नीचे से सामग्री उठाने वाला वह पहला अन्तरिक्ष टोही यान बन गया.

HAYABUSA 2 क्या है?

  • Hayabusa 2 एक जापानी खोजी यान है जिसमें आदमी नहीं होता है. यह 2014 में जापान के Tanegashima Space Centre से H-IIA rocket से छोड़ा गया था. यह छह वर्ष तक काम करेगा औरRyugu क्षुद्रग्रह से खनिज नमूने लाएगा.
  • Hayabusa 2 फ्रांस और जर्मनी का एक भूमि पर उतरने वाला वाहन भी छोड़ेगा जिसका नाम MASCOT (Mobile Asteroid Surface Scout) है.
  • इस खोजी यान का आकार एक बड़े फ्रिज इतना है. इसमें सौर पैनल लगे हुए हैं.
  • विदित हो कि Hayabusa 1 पहला ऐसा खोजी यान था जो क्षुद्रग्रह की खोज करने के लिए प्रक्षेपित हुआ था. Hayabusa जापानी भाषा में बाज को कहते हैं. Hayabusa 2 इसी का उत्तराधिकारी है.
  • यदि सबकुछ ठीक रहा तो Hayabusa 2 2020 तक पृथ्वी पर मिट्टी के नमूने लेकर लौट आएगा.

अभियान का माहात्म्य

Ryugu एक C-श्रेणी का क्षुद्रग्रह है जिसे सौर मंडल के प्रारम्भिक काल का अवशेष माना जाता है. वैज्ञानिकों का विचार है कि C-श्रेणी के क्षुद्रग्रहों में जैव-पदार्थ के साथ –साथ फंसा हुआ जल भी होता है. अतः हो सकता है कि इनके माध्यम से ही पृथ्वी पर ये दोनों वस्तुएँ आई हों और इस प्रकार हमारी धरती पर जीवन के उद्भव में सहायता पहुँचाई हो.

Ryugu क्या है?

Ryugu एक C-टाइप क्षुद्रग्रह है जिसके बारे में माना जाता है कि वह सौर प्रणाली के प्रारम्भिक दिनों का बचा हुआ अवशेष है. वैज्ञानिकों के अनुसार C-टाइप क्षुद्रग्रह वे क्षुद्रग्रह होते हैं जिनमें जैव-पदार्थ के साथ-साथ पानी भी छुपा होता है और इन्हीं के कारण पृथ्वी में जीवन की उत्पत्ति के लिए आवश्यक पदार्थ पहुँचे.


GS Paper  3 Source: PIB

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Topic : Neutrino project

संदर्भ

भारत सरकार ने तमिलनाडु राज्य के के थेनी जिले के पोट्टिपुरम में भारत में ही संचालित होने वाली न्यूट्रिनो वेधशाला (Indian Neutrino Observatory – INO) बनाने की परियोजना को मंजूरी दे दी है.

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न्यूट्रिनो वेधशाला परियोजना क्या है?

  • इस परियोजना का उद्देश्य भारत में नॉन-एक्सेलिरेटर आधारित उच्च ऊर्जा और आणविक भौतिकी में अनुसंधान के लिए धरातल की चट्टानों के लगभग 1,200 मीटर अन्दर एक विश्व-स्तरीय प्रयोगशाला बनाना है जिस कार्य में कई संस्थानों की सहायता ली जायेगी. इस परियोजना का मूल उद्देश्य न्यूट्रिनो का अध्ययन करना है.
  • इस विशाल वैज्ञानिक परियोजना के लिए निधि का प्रावधान आणविक ऊर्जा विभाग और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग कर रहे हैं.

न्यूट्रिनो क्या हैं?

न्यूट्रिनो ब्रह्मांड में दूसरा सबसे पाया जाने वाला कण (particle) है जिसकी जानकारी सबसे पहले स्विट्ज़रलैंड के वैज्ञानिक वूल्फगैंग पॉली ने 1930 में दी थी. इससे अधिक पाया जाने वाला कण फोटोन है जिससे प्रकाश बनता है. वास्तव में हमारे बीच न्यूट्रिनो इतनी प्रचुर मात्रा में हैं कि प्रत्येक सेकंड 100 ट्रिलियन से अधिक न्यूट्रिनो हमारे शरीर के आर-पार आते-जाते रहते हैं और हम लोगों को पता भी नहीं चलता.

न्यूट्रिनो के प्रकार

न्यूट्रिनो उनके आयतन के अनुसार तीन प्रकार के होते हैं. अभी तक किये गये प्रयोग बताते हैं कि इनका आयतन बहुत छोटा (tiny mass) होता है, किन्तु इनके आयतन का क्रम अभी तक पता नहीं चला है और यह अभी तक रहस्य बना हुआ है. INO के सामने इस प्रश्न का समाधान सबसे बड़ी चुनौती होगी.

न्यूट्रिनो का महत्त्व

वैज्ञानिकों का विचार है कि ब्रमांड की उत्पत्ति तथा तारों में ऊर्जा की उत्पत्ति का रहस्य इन्हीं न्यूट्रिनों में छुपा हुआ है. इसके अतिरिक्त पृथ्वी के सबसे भीतरी (core) भाग में स्थित पिंड से लेकर धरातल तक की बनावट को समझने में भी न्यूट्रिनो काम आ सकता है क्योंकि ये ही ऐसे एकमात्र कण हैं जो पृथ्वी की गहराइयों में जाकर टोह ले सकते हैं.

प्रयोगशाला भूमि के अन्दर क्यों?

ब्रह्मांडीय किरणें और प्राकृतिक रेडियो-धर्मिता के कारण न्यूट्रिनो का धरती की सतह पर पता लगाना लगभग असंभव होता है इसलिए उनके अध्ययन के लिए बनाई गई सभी वेधशालाएँ धरातल के नीचे ही स्थापित की जाती हैं.


Prelims Vishesh

Operation Thirst :

रेलवे स्टेशनों पर अनधिकृत रूप से बोतलबंद पानी बेचे जाने की समस्या के समाधान के लिए रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने ऑपरेशन प्यास (operation thirst) नामक एक अखिल भारतीय अभियान चलाया है.

Spike missile :

  • भारतीय सेना ने इजराइल से टैंक-निरोधी स्पाइक प्रक्षेपास्त्र के लिए क्रय की मंजूरी दे दी है.
  • ये प्रक्षेपास्त्र टैंकों को नष्ट करते हैं, अपितु छुपे हुए लक्ष्यों पर भी आक्रमण कर सकते हैं.
  • इनकी मारक क्षमता 4 किलोमीटर की है और इन्हें मैदानी और पहाड़ी दोनों क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है.

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