Sansar डेली करंट अफेयर्स, 15 May 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 15 May 2020


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Economic Stimulus package

संदर्भ

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सरकार के आत्म निर्भर अभियान के अंतर्गत किये जा रहे उपायों की दूसरी किश्त का अनावरण किया है.

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पृष्ठभूमि

कोरोना वायरस तालेबंदी के कारण क्षतिग्रस्त हुई अर्थव्यवस्था को फिर से सबल बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले 20 लाख करोड़ रु. के एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी.

इस पैकेज की पहली किश्त में वित्त मंत्री ने MSME समेत व्यवसाइयों के लिए 3 लाख करोड़ रु. के बिना बंधक वाले ऋणों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों के लिए 30,000 करोड़ रु. की तरलता सुविधा घोषित की थी.

दूसरी किश्त की घोषणाएँ

  1. मई से लेकर जून 2020 तक प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त अनाज दिया जाएगा.
  2. भारत में कहीं भी प्रवासीजनों को जन वितरण प्रणाली से राशन मिले इससे सम्बंधित एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना को शत प्रतिशत लागू करने के लिए तकनीकी प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा.
  3. केंद्र सरकार प्रवासी मजदूरों और शहरी ग़रीबों को सस्ते किराए पर आवास की सुविधा देने की योजना बनाएगी.
  4. मुद्रा शिशु ऋण (50 हजार से कम का ऋण) लेने वालों में से जो मुस्तैदी से उसकी किश्त लौटा रहे हैं, उनको एक वर्ष तक ब्याज के अन्दर भारत सरकार 2% की सहायता पहुंचाएगी.
  5. सरकार एक महीने के भीतर-भीतर एक योजना आरम्भ करेगी जिसके अन्दर सड़क पर बिक्री करने वालों को सुलभ ऋण दिया जाएगा. अनुमान है कि इस योजना से 50 लाख विक्रेताओं को लाभ मिलेगा और इसमें 5 हजार करोड़ रु. का ऋण दिया जाएगा.
  6. प्रधान मंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत ऋण से सम्बद्ध सब्सिडी योजना को मार्च 2021 तक बढ़ाकर आवासन क्षेत्र और मध्यम आय समूह (middle-income group – MIG) को 70,000 करोड़ रु. दिए जायेंगे.
  7. क्षतिपूरक वनीकरण प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (Compensatory Afforestation Management & Planning Authority – CAMPA) के कोष से 6,000 करोड़ रु. का उपयोग वनीकरण और पौधारोपण (शहरी क्षेत्र समेत) में किया जाएगा जिससे रोजगार के अवसर निर्मित हो सकें.
  8. ग्रामीण सहकारी बैंकों और RRB के फसल ऋण की आवश्यकता पूरी करने के लिए NABARD 30,000 करोड़ रु. का अतिरिक्त पुनः वित्तपोषण की सहायता उपलब्ध कराएगा.
  9. किसान ऋण कार्डों के माध्यम से PM-किसान योजना के लाभार्थियों को रियायती दर पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए एक विशेष अभियान चला जाएगा. इसमें मछुआरों और पशुपालकों को भी जोड़ा जाएगा. अनुमान है कि इससे किसी क्षेत्र में 2 लाख करोड़ की अतिरिक्त तरलता आएगी.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Shanghai Cooperation Organization

संदर्भ

शंघाई सहयोग संगठन की विदेश मंत्रियों के स्तर की बैठक पिछले दिनों विडियो कांफ्रेंसिंग की माध्यम से हुई जिसमें भारत की ओर से एस. जयशंकर सम्मिलित हुए. इस बैठक में COVID-19 के संकट और उसके चलते होने वाले सामाजिक एवं आर्थिक परिणामों पर चर्चा हुई तथा साथ ही अफगानिस्तान की परिस्थिति पर भी विचार किया गया.

शंघाई सहयोग संगठन क्या है?

  • शंघाई सहयोग संगठन एक राजनैतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग संगठन है जिसकी शुरुआत चीन और रूस के नेतृत्व में यूरेशियाई देशों ने की थी. दरअसल इसकी शुरुआत चीन के अतिरिक्त उन चार देशों से हुई थी जिनकी सीमाएँ चीन से मिलती थीं अर्थात् रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और तजाकिस्तान. इसलिए इस संघठन का प्राथमिक उद्देश्य था कि चीन के अपने इन पड़ोसी देशों के साथ चल रहे सीमा-विवाद का हल निकालना. इन्होंने अप्रैल 1996 में शंघाई में एक बैठक की. इस बैठक में ये सभी देश एक-दूसरे के बीच नस्ली और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए आपस में सहयोग करने पर राजी हुए. इस सम्मेलन को शंघाई 5 कहा गया.
  • इसके बाद 2001 में शंघाई 5 में उज्बेकिस्तान भी शामिल हो गया. 15 जून 2001 को शंघाई सहयोग संगठन की औपचारिक स्थापना हुई.

शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य

शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  1. सदस्यों के बीच राजनैतिक, आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को बढ़ाना.
  2. तकनीकी और विज्ञान क्षेत्र, शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र, ऊर्जा, यातायात और पर्यटन के क्षेत्र में आपसी सहयोग करना.
  3. पर्यावरण का संरक्षण करना.
  4. मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे को सहयोग करना.
  5. आंतकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटना.

SCO का विकास कैसे हुआ?

  1. 2005 में कजाकिस्तान के अस्ताना में हुए SCO के सम्मेलन में भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने पहली बार इसमें हिस्सा लिया.
  2. 2016 तक भारत SCO में एक पर्यवेक्षक देश के रूप में सम्मिलित था.
  3. भारत ने सितम्बर 2014 में शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता के लिए आवेदन किया.
  4. जून 2017 में अस्ताना में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान को भी औपचारिक तौर पर पूर्ण सदस्यता प्रदान की गई.
  5. वर्तमान में SCO की स्थाई सदस्य देशों की संख्या 8 है – चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान.
  6. जबकि चार देश इसके पर्यवेक्षक (observer countries) हैं – अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया.
  7. इसके अलावा SCO में छह देश डायलॉग पार्टनर (dialogue partners) हैं – अजरबैजान, आर्मेनिया, कम्बोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका.

SCO क्यों महत्त्वपूर्ण है?

SCO ने संयुक्त राष्ट्र संघ से भी अपना सम्बन्ध कायम किया है. SCO संयुक्त राष्ट्र की महासभा में पर्यवेक्षक है. इसने यूरोपियन संघ, आसियान, कॉमन वेल्थ और इस्लामिक सहयोग संगठन से भी अपने सम्बन्ध स्थापित किये हैं. सदस्य देशों के बीच समन्वय के लिए 15 जनवरी, 2004 को SCO सचिवालय की स्थापना की गई. शंघाई सहयोग संगठन के महत्त्व का पता इसी बात से चलता है कि इसके आठ सदस्य देशों में दुनिया की कुल आबादी का करीब आधा हिस्सा रहता है. इसके साथ-साथ SCO के सदस्य देश दुनिया की 1/3 GDP और यूरेशिया (यूरोप+एशिया) महाद्वीप के 80% भूभाग का प्रतिनिधित्व करते हैं.

इसके आठ सदस्य देश और 4 पर्यवेक्षक देश दुनिया के उन क्षेत्रों में आते हैं जहाँ की राजनीति विश्व राजनीति पर सबसे अधिक असर डालती हैं. श्रम या मानव संसाधन के लिहाज से भारत और चीन खुद को संयुक्त रूप से दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति कह सकते हैं. IT, इंजीनियरिंग, रेडी-मेड गारमेंट्स, मशीनरी, कृषि उत्पादन और रक्षा उपकरण बनाने के मामले में रूस, भारत और चीन दुनिया के कई विकसित देशों से आगे है. ऊर्जा और इंजीनियरिंग क्षेत्र में कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान जैसे मध्य-एशियाई देश काफी अहमियत रखते हैं. इस लिहाज से SCO वैश्विक व्यापार, अर्थव्यवस्था और राजनीति पर असर डालने की क्षमता रखता है. हालाँकि इन देशों के बीच आपसी खीचतान भी रही है. ये सभी देश आतंकवाद से पीड़ित भी रहे हैं. ये देश एक-दूसरे की जरूरतें पूर्ण करने में सक्षम हैं. SCO में शामिल देश रक्षा और कृषि उत्पादों के सबसे बड़ा बाजार हैं. IT, electronics और मशीनरी उत्पादन में इन देशों ने हाल के वर्षों में काफी प्रगति की है.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Important international institutions and groupings.

Topic : G20

संदर्भ

विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पिछले दिनों G20 की दूसरी बैठक में जो आभासी व्यापार एवं निवेश से सम्बंधित मंत्रिस्तरीय बैठक थी उसमें भारत की ओर से केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सम्मिलित हुए.

 

G20 क्या है?

  • G 20 1999 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है जिसमें 20 बड़ी अर्थव्यस्थाओं की सरकारें और केन्द्रीय बैंक गवर्नर प्रतिभागिता करते हैं.
  • G 20 की अर्थव्यस्थाएँ सकल विश्व उत्पादन (Gross World Product – GWP) में 85% तथा वैश्विक व्यापार में 80% योगदान करती है.
  • G20 शिखर बैठक का औपचारिक नाम है – वित्तीय बाजारों एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था विषयक शिकार सम्मलेन.
  • G 20 सम्मेलन में विश्व के द्वारा सामना की जा रही समस्याओं पर विचार किया जाता है जिसमें इन सरकारों के प्रमुख शामिल होते हैं. साथ ही उन देशों के वित्त और विदेश मंत्री भी अलग से बैठक करते हैं.
  • G 20 के पास अपना कोई स्थायी कर्मचारी-वृन्द (permanent staff) नहीं होता और इसकी अध्यक्षता प्रतिवर्ष विभिन्न देशों के प्रमुख बदल-बदल कर करते हैं.
  • जिस देश को अध्यक्षता मिलती है वह देश अगले शिखर बैठक के साथ-साथ अन्य छोटी-छोटी बैठकों को आयोजित करने का उत्तरदाई होता है.
  • वे चाहें तो उन देशों को भी उन देशों को भी बैठक में अतिथि के रूप में आमंत्रित कर सकते हैं, जो G20 के सदस्य नहीं हैं.
  • पहला G 20 सम्मेलन बर्लिन में दिसम्बर 1999 को हुआ था जिसके आतिथेय जर्मनी और कनाडा के वित्त मंत्री थे.
  • G-20 के अन्दर ये देश आते हैं –अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका.
  • इसमें यूरोपीय संघ की ओर से यूरोपीय आयोग तथा यूरोपीय केन्द्रीय बैंक प्रतिनिधित्व करते हैं.

G-20 व्युत्पत्ति

1999 में सात देशों के समूह G-7 के वित्त मंत्रियों तथा केन्द्रीय बैंक गवर्नरों की एक बैठक हुई थी. उस बैठक में अनुभव किया गया था कि विश्व की वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के लिए एक बड़ा मंच होना चाहिए जिसमें विकसित और विकासशील दोनों प्रकार के देशों के मंत्रियों का प्रतिनिधित्व हो. इस प्रकार G-20 का निर्माण हुआ.

इसकी प्रासंगिकता क्या है?

बढ़ते हुए वैश्वीकरण और कई अन्य विषयों के उभरने के साथ-साथ हाल में हुई G20 बैठकों में अब न केवल मैक्रो इकॉनमी और व्यापार पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है, अपितु ऐसे कई वैश्विक विषयों पर भी विचार होता है जिनका विश्व की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जैसे – विकास, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, स्वास्थ्य, आतंकवाद की रोकथाम, प्रव्रजन एवं शरणार्थी समस्या.

G-20 के कार्यों को दो भागों में बाँटा जा सकता है –

  • वित्तीय भाग (Finance Track)– वित्तीय भाग के अन्दर G 20 देश समूहों के वित्तीय मंत्री, केंद्रीय बैंक गवर्नर तथा उनके प्रतिनिधि शामिल होते हैं. यह बैठकें वर्ष भर में कई बार होती हैं.
  • शेरपा भाग (Sherpa Track)– शेरपा भाग में G-20 के सम्बंधित मंत्रियों के अतिरिक्त एक शेरपा अथवा दूत भी सम्मिलित होता है. शेरपा का काम है G20 की प्रगति के अनुसार अपने मंत्री और देश प्रमुख अथवा सरकार को कार्योन्मुख करना.

G-20 का विश्व पर प्रभाव

  • G-20 में शामिल देश विश्व के उन सभी महादेशों से आते हैं जहाँ मनुष्य रहते हैं.
  • विश्व के आर्थिक उत्पादन का 85% इन्हीं देशों में होता है.
  • इन देशों में विश्व की जनसंख्या का 2/3 भाग रहता है.
  • यूरोपीय संघ तथा 19 अन्य देशों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में 75% हिस्सा है.
  • G 20 कि बैठक में नीति निर्माण के लिए मुख्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भी बुलाया जाता है. साथ ही अध्यक्ष के विवेकानुसार कुछ G-20 के बाहर के देश भी आमंत्रित किये जाते हैं.
  • इसके अतिरिक्त सिविल सोसाइटी के अलग-अलग क्षेत्रों के समूहों को नीति-निर्धारण की प्रक्रिया में सम्मिलित किया जाता है.

निष्कर्ष

G-20 एक महत्त्वपूर्ण मंच है जिसमें ज्वलंत विषयों पर चर्चा की जा सकती है. मात्र एक अथवा दो सदस्यों पर अधिक ध्यान देकर इसके मूल उद्देश्य को खंडित करना उचित नहीं होगा. विदित हो कि इस बैठक का उद्देश्य सतत विकास वित्तीय स्थायित्व को बढ़ावा देना है.  आज विश्व में कई ऐसी चुनौतियाँ उभर रही हैं जिनपर अधिक से अधिक ध्यान देना होगा और सरकारों को इनके विषय में अपना पक्ष रखना होगा. ये चुनौतियाँ हैं – जलवायु परिवर्तन और इसका दुष्प्रभाव, 5-G नेटवर्क के आ जाने से गति और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के बीच संतुलन निर्माण और तकनीक से संचालित आतंकवाद.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Important international institutions and groupings.

Topic : Commonwealth Health Ministers’ Meeting

संदर्भ

पिछले दिनों विडियो कांफ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रमंडल के स्वास्थ्य मंत्रियों की 32वीं बैठक सम्पन्न हुई. यह बैठक जिनेवा में हुआ करती है, परन्तु इस बार इसके लिए COVID-19 महामारी के कारण विडियो कांफ्रेंसिंग का सहारा लेना पड़ा.

राष्ट्रमंडल के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में क्या होता है?

  1. प्रत्येक वर्ष होने वाली इस बैठक में राष्ट्रमंडल देशों के स्वास्थ्य मंत्री सम्मिलित होते हैं.
  2. इस बैठक में विगत वर्ष में की गई गतिविधियों और घटनाओं की समीक्षा होती है.
  3. इस बैठक में सदस्य देश अपने-अपने देश में उभरने वाली स्वास्थ्यगत सीमाओं के बारे में एक-दूसरे से जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं.
  4. बैठक के अंत में एक मंत्रिस्तरीय बयान जारी होता है जिसमें बैठक में हुई चर्चा के विषय में संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया जाता है और साथ ही आगामी वर्ष में कौन-कौन काम प्रमुखता से किये जाने हैं उसकी सूचना दी जाती है. इसी समय अगली बैठक की थीम निर्धारित की जाती है.

राष्ट्रमंडल क्या है?

  • पहले ब्रिटिश राष्ट्रमंडल (British Commonwealth) के नाम से ज्ञात वर्तमान राष्ट्रमंडल उन 53 देशों का संगठन है जो मुख्य रूप से कभी ब्रिटेन के उपनिवेश रहे थे.
  • इसकी स्थापना1949 में लंदन घोषणा के द्वारा हुई थी.
  • राष्ट्रमंडल देश स्वतंत्र एवं समान माने जाते हैं. राष्ट्रमंडल संघ की प्रतीक चिन्ह ब्रिटन की रानी एलिजाबेथ II है जिसे राष्ट्रमंडल देशों का मुखिया माना जाता है.
  • राष्ट्रमंडल के सदस्य देश एक दूसरे से कानूनी रूप से उत्तरदायी अथवा बंधे हुए नहीं हैं. इन देशों को जो तत्त्व जोड़ते हैं, वे हैं – भाषा, इतिहास, संस्कृति, प्रजातंत्र, मानवाधिकार और कानून का शासन.
  • राष्ट्रमंडल घोषणापत्र में उनकी मान्यताओं को सूचीबद्ध किया गया है.
  • राष्ट्रमंडल देशों के बीच समरसता बनाए रखने के लिए हर चौथे वर्ष राष्ट्रमंडल खेलकूद का आयोजन होता है.
  • ब्रिटेन के उपनिवेश रहे सभी देश राष्ट्रमंडल के सदस्य नहीं हैं. ऐसे देश हैं – मिस्र, ट्रांसजॉर्डन, इराक, ब्रिटिश फिलिस्तीन, सूडान, ब्रिटिश सोमाली लैंड, ओमान, कुवैत, बहरैन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Disaster and disaster management.

Topic : National Disaster Management Authority (NDMA)

संदर्भ

COVID-19 के चलते लागू तालेबंदी के बाद विनिर्माण और रसायन उद्योग को फिर से आरम्भ करने के विषय में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने नए दिशा-निर्देश निर्गत किये हैं. ये दिशा-निर्देश रासायनिक आपदाओं, रासायनिक आतंकवाद के प्रबंधन तथा POL टैंकरों की आवाजाही की सुरक्षा एवं निरापदता से सम्बंधित हैं.

चिंता का विषय

कई सप्ताह से तालाबंदी जारी रहने और फलस्वरूप औद्योगिक कारखानों के बंद रहने से हो सकता है कि कुछ विनिर्माण प्रतिष्ठानों, पाइपलाइनों, वोल्वों आदि में रसायन बचे रह गये हों जिनसे खतरा हो सकता है. यही स्थिति हानिकारक रसायन और ज्वलनशील पदार्थों के भंडारों के साथ भी हो सकती है.

 राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण

  • National Disaster Management Authority (NDMA) भारत में आपदा प्रबंधन के लिये एक सर्वोच्च निकाय है, जिसका गठन ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005’ के तहत किया गया था.
  • बाद में इस अधिनियम के अनुसार राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (NDMA) तथा राज्यआपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (SDMAs) गठित किये गये जिनके अध्यक्ष क्रमशः प्रधानमन्त्री और सम्बंधित राज्य के मुख्यमंत्री होते हैं. इसका प्रशासनिक नियंत्रण भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन होता है.
  • यह प्राधिकरण आपदा प्रबंधन हेतु नीतियों, योजनाओं एवं दिशा-निर्देशों का निर्माण करता है एवं आपदाओं के दौरान प्रभावी ढंग से आपदा प्रबंधन करता है.
  • उद्देश्य: इस संस्था का उद्देश्य एक समग्र, प्रो-एक्टिव, प्रौद्योगिकी-प्रेरित टिकाऊ विकास रणनीति के माध्यम से एक सुरक्षित और आपदा-प्रबंधन में सक्षम भारत का निर्माण करना है, जिसमें सभी हितधारकों को सम्मिलित किया गया है. यह आपदा की रोकथाम एवं शमन की संस्कृति का सृजन करने में सहयोग करता है.

Prelims Vishesh

Defence Research Ultraviolet Sanitiser (DRUVS) :-

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन DRDO की हैदराबाद में स्थित प्रयोगशाला – अनुसंधान केंद्र इमारत (Research Centre Imarat – RCI) – ने एक स्वचालित सम्पर्कहीन UVC कीटाणु निरोधक डब्बा बनाया है जो मोबाइल फ़ोन, आई-पैड, लैपटॉप, नोट, चेक, चालन, पासबुक, कागज़, लिफाफा आदि को कीटाणु-रहित कर देता है.

CSIR approves project to develop ‘hmAbs’ that can neutralize SARS-CoV-2 in patients :-

  • IIT इंदौर के राष्ट्रीय कोष विज्ञान केंद्र (National Centre for Cell Science – NCCS) तथा PredOmix Technologies Pvt. Ltd. एक परियोजना कार्यान्वित करने जा रही है जिसके लिए CSIR ने अपने New Millennium Indian Technology Leadership Initiative (NMITLI) कार्यक्रम के अंतर्गत मंजूरी दे दी है.
  • इस परियोजना का उद्देश्य COVID-19 से उबरते हुए रोगियों से ऐसे hmAbs उत्पन्न करना है जो कोविड-19 के उपचार में काम आये.
  • परियोजना में कारोना वायरस के संभावित रूपांतरण को भी ध्यान में रखा जा रहा है.

SwasthVayu :

  • बेंगुलुरु की राष्ट्रीय वातांतरिक्ष प्रयोगशाला (National Aerospace Laboratories) ने स्वस्थ वायु नामक Bilevel Positive Airway Pressure – BiPAP) वेंटिलेटर तैयार किया है जिसे COVID-19 के ऐसे रोगियों के लिए प्रयोग किया जा सकता है जो ICU के योग्य नहीं हैं अर्थात् जिनकी दशा उतनी संकटापन्न नहीं है.
  • यह उपकरण शरीर में बिना कोई काट-छांट किये रोगी को साँस लेने में सहायता पहुँचाता है.

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