Sansar डेली करंट अफेयर्स, 15 July 2020

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 15 July 2020


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : The Freedom Struggle – its various stages and important contributors /contributions from different parts of the country.

Topic : Tatya Tope

संदर्भ

बम्बई उच्च न्यायालय ने हाल ही में उस याचिका को निरस्त कर दिया जिसमें नासिक जिले के येवला में स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे के स्मारक के निर्माण को चुनौती दी गयी थी और दावा किया गया था कि वह जमीन कृषि भूमि है.

पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता का दावा था कि परिषद् द्वारा जिस स्थान की पहचान की गयी है, वह कृषि भूमि का भाग है और इसलिए स्मारक के लिए अनुकूल नहीं है.

न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि स्मारक के निर्माण के लिए बोली आमंत्रित करने के लिए परिषद द्वारा विज्ञापन जारी किए जाने के लगभग एक वर्ष पश्चात् यह याचिका दायर की गयी. पीठ ने यह भी कहा कि स्मारक के लिए भूमि का चयन प्रशासनिक अधिकार के अंतर्गत था.

न्यायालय ने कहा कि उस स्थल पर स्मारक के निर्माण की अनुमति दिसंबर 2017 में दी गयी थी. 2018 में महाराष्ट्र के पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्रालय ने प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी और यहाँ तक ​​कि केंद्र सरकार ने अनुमानित लागत की 75% तक धनराशि को स्वीकृति दी थी.

न्यायालय ने कहा कि अब तक निर्माण के लिए 2.5 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं. इस स्तर पर हस्तक्षेप करने से निश्चित रूप से सार्वजनिक धन का अपव्यय होगा जो सार्वजनिक हित में नहीं होगा.

तात्या टोपे

  • तात्या टोपे का जन्म 1814 में एक मराठी परिवार में हुआ था. उनका वास्तविक नाम रामचंद्र पाण्डुरंग राव था, हालांकि लोग उन्हें तात्या टोपे के नाम से बुलाते थे.
  • अंग्रेजों के विरुद्ध हुई 1857 की क्रांति में तात्या टोपे का भी बड़ा योगदान रहा. जब यह लड़ाई उत्तर प्रदेश के कानुपर तक पहुँची तो वहाँ नाना साहेब को नेता घोषित किया गया और यहीं पर तात्या टोपे ने स्वतंत्रता की लड़ाई में अपनी जान लगा दी. इसी के साथ ही उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध कई बार लोहा लिया था. नाना साहेब ने अपना सैनिक सलाहकार भी नियुक्त किया था.
  • कानपुर में अंग्रेजों को पराजित करने के बाद तात्या ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ मिलकर मध्य भारत का मोर्चा संभाला था. क्रांति के दिनों में उन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई एवं नाना साहब का भरपूर सहयोग दिया. हालांकि उन्हें अनेक बार हार का सामना भी करना पड़ा. वे अपने गुरिल्ला तरीके से आक्रमण करने के लिए जाने जाते थे.
  • बताया जाता है कि उन्होंने ब्रिटिश कंपनी में भी काम किया था. कहा जाता है कि कानपुर में ईस्ट इंडिया कम्पनी में बंगाल आर्मी की तोपखाना रेजीमेंट में भी काम किया था और उनके हमेशा अंग्रेजों से मतभेद रहे.
  • भारत के कई भागों में उन्होंने अंग्रेजों के नाक में दम कर दिया और खास बात ये थी कि अंग्रेजी सेना उन्हें पकड़ने में असफल रही थी. तात्या ने लगभग एक वर्ष तक अंग्रेजों के साथ लंबी लड़ाई लड़ी. हालांकि 8 अप्रैल 1859 को वो अंग्रेजों की पकड़ में आ गए और 15 अप्रैल, 1859 को शिवपुरी में तात्या का कोर्ट मार्शल किया गया. उसके बाद 18 अप्रैल को शाम 5 बजे हजारों लोगों की उपस्थिति में खुले मैदान में फांसी पर लटका दिया गया.
  • हालांकि उनकी फांसी पर भी कई सवाल उठाए गए हैं. तात्या टोपे से जुड़े नये तथ्यों का खुलासा करने वाली किताब ‘टोपेज़ ऑपरेशन रेड लोटस‘ के लेखक पराग टोपे ने बताया कि शिवपुरी में 18 अप्रैल 1859 को तात्या को फांसी नहीं दी गयी थी, बल्कि गुना जिले में छीपा बड़ौद के पास अंग्रेजों से लोहा लेते हुए एक जनवरी 1859 को तात्या टोपे शहीद हो गए थे.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian & World Geography – Physical, Social, Economic Geography of India & the World.

Topic : The country’s first underwater tunnel, longer than China, will be built under the Brahmaputra river

संदर्भ

केंद्र सरकार ने ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे चार लेन वाली अंडर वॉटर टनल (सड़क-सुरंग) के निर्माण कार्य को स्वीकृति दे दी है.

अंडर वॉटर टनल (सड़क-सुरंग) से संबन्धित जानकारी

  • ब्रह्मपुत्र नदी के अंदर बनने वाली यह सुरंग असम के गोहपुर और नुमालिगढ़ टाउन को जोड़ेगी.
  • इस सुरंग की लंबाई लगभग 85 किलोमीटर होगी. यह सुरंग चीन के जियांग्‍सू प्रांत के ताइहू झील के नीचे निर्मित हो रही सुरंग से लंबी है.
  • इस सुरंग का निर्माण काम दिसंबर महीने से प्रारम्भ होगा और इसे तीन चरणों में तैयार किया जाएगा.
  • इस अंडरवॉटर सुरंग के निर्माण के लिए नेशनल हाइवेज एंड इफ्रांस्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) ने अमेरिकी कंपनी लुईस बर्जर के साथ समझौता किया है.
  • इसे डिजाइन करने में सुरक्षा के कड़े मानकों का ध्‍यान रखा जाएगा ताकि किसी भी प्रकार से पानी इसके अंदर न जाने पाए. इसके अतिरिक्त इसमें वेंटीलेशन सिस्‍टम, आग से बचाने वाला सुरक्षा तंत्र, फुटपाथ, ड्रेनिंग सिस्‍टम और इमरजेंसी एग्जिट जैसे महत्त्वपूर्ण सुरक्षा उपाय भी किए जाएँगे.

रणनीतिक माहात्म्य

  • यह पहला अवसर है जब भारत किसी नदी के नीचे सुरंग का निर्माण करेगा वो भी चीन सीमा के करीब.
  • यह सुरंग भारत के लिए रणनीतिक तौर पर काफी जरुरी है क्‍योंकि इसकी मदद से असम और अरूणाचल प्रदेश पूरे वर्ष आपस में जुड़े रह सकेंगे.
  • इस सुरंग की सहायता से अरुणाचल प्रदेश में तैनात सेना के लिए रसद और हथियारों की आपूर्ति में भी सहायता मिल सकेगी.
  • चीन सीमा से नजदीकी के चलते युद्ध जैसी परिस्थितियों में पुलों को दुश्‍मन सरलता से निशाना बना सकते हैं परन्तु पानी के अंदर होने के कारण सुरंग को आसानी से निशाना नहीं बनाया जा सकेगा.

ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़ी मुख्य बातें

  • भारत की ब्रह्मपुत्र नदी को ही तिब्बत में यारलुंग जांग्बो के नाम से जाना जाता है. चीन में इसका एक अन्य नाम यारलुंग त्संग्पो (Yarlung Tsangpo) भी है.
  • ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत की मानसरोवर झील के पूर्व तथा सिंधु एवं सतलुज के स्रोतों के काफी नज़दीक से निकलती है. इसकी लंबाई सिंधु से कुछ अधिक है, परंतु इसका अधिकतर मार्ग भारत से बाहर स्थित है. यह हिमालय के समानांतर पूर्व की ओर बहती है. नामचा बारवा शिखर (7,757 मीटर) के पास पहुँचकर यह अंग्रेजी के यू (U) अक्षर जैसा मोड़ बनाकर भारत के अरुणाचल प्रदेश में गॉर्ज के माध्यम से प्रवेश करती है.
  • यहाँ इसे दिहाँग के नाम से जाना जाता है तथा दिबांग, लोहित, केनुला एवं दूसरी सहायक नदियाँ इससे मिलकर असम में ब्रह्मपुत्र का निर्माण करती हैं.
  • तिब्बत के रागोंसांग्पो इसके दाहिने तट पर एक प्रमुख सहायक नदी है.
  • हिमालय के गिरिपद में यह सिशंग या दिशंग के नाम से निकलती है. अरुणाचल प्रदेश में सादिया कस्बे के पश्चिम में यह नदी भारत में प्रवेश करती है. दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहते हुए इसके बाएँ तट पर इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ दिबांग या सिकांग और लोहित मिलती हैं और इसके बाद यह नदी ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus :  Human Resource

Topic : World Youth Skills Day

संदर्भ 

15 जुलाई को प्रधानमंत्री ने विश्व युवा कौशल दिवस और ‘कौशल भारत’ मिशन की पांचवीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित डिजिटल स्किल कॉन्क्लेव में युवाओं से कौशल प्राप्‍त करने, नया कौशल सीखने और कौशल बढ़ाने का आह्वान किया है.

विश्व युवा कौशल दिवस

  • विश्व युवा कौशल दिवस की स्थापना 2014 में संयुक्त राष्ट्र (UN) महासभा द्वारा की गयी थी.
  • सभा ने युवाओं के कौशल विकास में निवेश के महत्त्व के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिए 15 जुलाई को विश्व युवा कौशल दिवस के रूप में अधिसूचित किया.
  • इस दिवस का उद्देश्य वर्ष 2030 के आगामी सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के लिए रोजगार के लिए शिक्षा और कौशल पर निम्न दो लक्ष्यों के प्रस्ताव को बढ़ावा देना है:-

i) सतत विकास लक्ष्य-4 “समावेशी और समान गुणवत्ता की शिक्षा सुनिश्चित करने और सभी के लिए आज़ीवन सीखने के अवसर को बढ़ावा देना.”

ii) सतत विकास लक्ष्य-8 “सभी के लिए, समावेशी और सतत आर्थिक विकास, रोजगार और प्रतिष्ठित काम को बढ़ावा देना.”

  • वर्ष 2020 में इस दिवस का मुख्य विषय (Theme) है:  “सभी परिस्थितियों में आगे बढ़ने वाले युवा के लिए कौशल” / “Skills for a Resilient Youth” है.

कौशल भारत मिशन

  • ‘कौशल भारत’ मिशन की घोषणा भारत के प्रधानमंत्री, नरेंन्द्र मोदी ने 15 जुलाई 2015 को अन्तर्राष्ट्रीय युवा कौशल दिवस पर की थी.
  • इस मिशन के अंतर्गत पूरे भारत में लगभग 40 करोड़ भारतीयों, को विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत, 2022 तक प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया था.
  • इस योजना का लक्ष्य भारत में तकनीकी शिक्षण प्रक्रिया में सुधार लाकर उसे विश्व मांग के अनुरूप ढालना है.
  • “कौशल भारत” मिशन के अंतर्गत आने वाली अन्य योजनाएँ हैं-
  • राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन
  • कौशल विकास एवं उद्यमियता के लिए राष्ट्रीय नीति
  • प्रधानमन्त्री कौशल विकास योजना
  • स्किल लोन स्कीम
  • राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन

मेरी राय – मेंस के लिए

 

वर्तमान समय में भारत में बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है. इस समस्या के पीछे एक सबसे कारण भारत में कौशल विकास की कमज़ोर स्थिति को माना जा सकता है. भारत सरकार के स्किल इंडिया कार्यक्रम ने भी रोज़गार वृद्धि के लिये अपेक्षित परिणाम उत्पन्न नहीं किये हैं. देश में कौशल विकास तथा बेरोज़गारी की समस्या के मूल में स्कूली स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा की अनुपस्थिति तथा विभिन्न कौशल विकास योजनाओं का अप्रभावी क्रियान्वयन है. भारत विभिन्न विकसित देशों एवं पूर्वी एशिया के देशों से भारत प्रेरणा ले सकता है, साथ ही भारत स्थानीय समस्याओं पर ध्यान केंद्रित कर अपनी बड़ी युवा आबादी को जनसांख्यिकीय लाभांश में परिवर्तित कर सकता है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to education.

Topic : PRAGYATA: Guidelines on Digital Education

संदर्भ 

हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा डिजिटल शिक्षा हेतु प्रज्ञाता दिशा निर्देश निर्गत कर दिए गए हैं.

पृष्ठभूमि

कोविड-19 पेंडेमिक के फलस्वरूप सम्पूर्ण देश में शिक्षा बुरी तरह से प्रभावित हुई है. महामारी के प्रभाव को रोकने के लिए पब्लिक गैदरिंग को रोकने हेतु सभी विद्यालयों को बंद रखा गया है. ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा का प्रयोग बढ़ रहा है. प्रज्ञाता इसी डिजिटल व ऑनलाइन शिक्षा को निर्देशित करने के लिए निर्गत की गई है.

दिशा-निर्देश कौन-कौन से हैं?

दिशा निर्देश निम्न विन्दुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं – 

  1. आवश्यक मूल्याङ्कन
  2. ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा की योजना यथा अवधि, स्क्रीन समय, समावेश, संतुलित ऑनलाइन और ऑफ़लाइन गतिविधियों, आदि के सभी स्तर की समझ
  3. संसाधन क्यूरेशन, स्तर-आधारित डिलीवरी,
  4. डिजिटल शिक्षा के दौरान शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान
  5. साइबर सुरक्षा हेतु पर्याप्त उपाय
  6. विभिन्न डिजिटल पहलों (यथा दीक्षा पोर्टल) के साथ सहयोग और अभिसरण

इसके साथ ही यह निर्धारित किया गया है कि –

  • पूर्व प्राथमिक छात्र 30 मिनट की ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करेंगे
  • कक्षा 1 से 8 तक के छात्र 30 से 45 मिनट के 2 सत्र में शिक्षा प्राप्त करेंगे
  • 9 से 12 तक के छात्र 30 से 45 मिनट के 4 सत्र में शिक्षा प्राप्त करेंगे

PRAGYTA के भाग

PRAGYTA को निम्नलिखित भागों में विभक्त किया गया है –

  • P- प्लान (योजना)
  • R- रिव्यु (पुनरावलोकन)
  • A- अर्रेंज ( क्रमबद्धता )
  • G- गाइड ( निर्देशन )
  • Y- याक (टॉक ) – वार्ता
  • T- ट्रैक
  • A- एप्रिसिएशन (प्रशंसा)

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : Chabahar Railway Project

संदर्भ 

हाल ही में ईरान ने एक ठोस निर्णय लेते हुए भारत को चाबहार रेल परियोजना से बाहर कर दिया है.

पृष्ठ्भूमि

  • अफगानिस्तान सहित मध्य एशिया में अपनी पहुंच तथा व्यापार बढ़ाने के उदेश्य से भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित किया था. इसके साथ ही वहां कई विकासात्मक परियोजनाओं सहित चाबहार के एक रेल परियोजना में भारत की भागीदारी थी जिसे अभी हाल ही में ईरान द्वारा निरस्त कर दिया गया. ईरान ने कहा है कि भारत इस परियोजना के वित्तीयन में देर कर रहा था.
  • चाबहार परियोजना भारत सरकार की महत्त्वाकांक्षी परियोजना थी जिसके द्वारा भारत, ईरान और अफ़ग़ानिस्तान के साथ मिलकर एक अंतरराष्ट्रीय यातायात मार्ग स्थापित करना चाहता है.

चाबहार रेलवे परियोजना

  • ईरान और भारत के मध्य चार वर्ष पहले चाबहार पोर्ट से अफ़ग़ानिस्तान सीमा पर ज़ाहेदान तक रेल लाइन बिछाने को लेकर समझौता हुआ था.
  • इस रेल परियोजना द्वारा भविष्य में भारतीय उत्पादों को रेल मार्ग से यूरोप तक बहुत ही कम समय में और कम लागत पर भेजने की महत्त्वकांक्षी योजना थी.
  • इस रेल परियोजना का ठेका सरकारी क्षेत्र की इरकॉन व राइट्स को मिली थी परन्तु अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण यह योजना आगे नहीं बढ़ पाई.
  • ईरान ने अब इस परियोजना को स्वयं ही पूरा करने का निर्णय लिया है.
  • 628 किलोमीटर लंबे इस रेल मार्ग को बिछाने का काम पिछले सप्ताह से शुरू हो गया. इसे मार्च 2022 तक पूर्ण करने को कहा गया है.
  • इसके लिए अब ईरान के नेशनल डेवलपमेंट फंड का प्रयोग किया जाएगा.

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चाबहार बंदरगाह

  • भारत ने ही चाबहार बंदरगाह बनाया है.
  • इसका उद्देश्य है कि चारों तरफ जमीन से घिरे अफगानिस्तान को फारस की खाड़ी (Persian Gulf) तक पहुँचने के लिए एक ऐसा यातायात गलियारा मिले जो पाकिस्तान होकर नहीं गुजरे क्योंकि पाकिस्तान से इसकी अक्सर ठनी रहती है.
  • आशा है कि इस गलियारे के चालू हो जाने से अरबों रुपयों का व्यापार हो सकता है.
  • ईरान का चाबहार बंदरगाह ओमान की खाड़ी पर स्थित उस देश का एकमात्र बन्दरगाह है.
  • चाबहार के बंदरगाह से भारत को मध्य एशिया में व्यापार करने में सुविधा तो होगी ही, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारे (International North-South Transport Corridor) तक उसकी पहुँच भी हो जाएगी.
  • चाबहार बंदरगाह चालू होने के बाद भारत में लौह अयस्कचीनी और चावल के आयात में महत्त्वपूर्ण वृद्धि होगी.
  • इसके अतिरिक्त खनिज तेल के आयात की लागत भी बहुत कुछ घट जायेगी.
  • ज्ञातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारा ईरान से लेकर रूस तक जाता है और इसमें यह एक भूमि मार्ग है जिसमें समुद्र, रेल, सड़क यातायात का सहारा लिया जायेगा.
  • विदित हो कि चीन ने खाड़ी तक अपनी पहुँच बनाने के लिए पाकिस्तान को ग्वादर नामक बंदरगाह बनाने में मदद की है जिससे उसका क्षेत्र में दबदबा हो जाए.
  • चाबहार बंदरगाह भारत को चीन के इस दबदबे का प्रतिकार करने में सक्षम बनाएगा.

Prelims Vishesh

What is Itolizumab that was recently in News? :-

भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने प्रायोगिक डाटा के आधार पर सोराइसिस रोग के लिए प्रयोग में आने वाले Itolizumab नामक एंटीबॉडी को कोविड-19 के रोगियों के लिए आपातकालीन प्रयोग हेतु अनुमति प्रदान कर दी है.

ATL App Development Module :-

नीति आयोग के अटल नवाचार मिशन ने भारतीय स्टार्ट-अप Plezmo के सहयोग से देश-भर के स्कूली छात्रों के लिए एक पूर्णतया निःशुल्क ऑनलाइन पाठ्यक्रम आरम्भ किया है जिसे ATL ऐप डेवेलपमेंट मोड्यूल, यह नाम दिया गया है.

Technology Information, Forecasting and Assessment Council (TIFAC) :-

TIFAC विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत 1988 में स्थापित एक स्वायत्त संगठन है जिसके निम्नलिखित कार्य हैं –

  • तकनीक के क्षेत्र में प्रगति लाना
  • तकनीक की प्रगति किन दिशाओं में हो सकती है उसका आकलन करना
  • राष्ट्रीय महत्त्व के चुनिंदे क्षेत्रों में नेटवर्किंग के द्वारा नवाचार को संबल प्रदान करना.

उल्लेखनीय है कि बौद्धिक संपदा अधिकारों के विषय में प्रशिक्षण देकर अनुसंधान एवं विकास में स्त्रियों को समर्थ बनाने से सम्बंधित इसकी योजना – KIRAN-IPR – को रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार दिया जा चुका है.

Ophiocordyceps sinensis :-

Ophiocordyceps sinensis

  • उत्तराखंड में पाई जाने वाली कीड़ा जड़ी (keeda jadi) नामक फफूंद को IUCN ने संकटग्रस्त श्रेणी (vulnerable) में डाल दिया है.
  • ज्ञातव्य है कि कीड़ा जड़ी विश्व की सबसे महंगी फंफूद है.
  • इसे हिमालयी वियाग्रा भी कहा जाता है.
  • ज्ञातव्य है कि भारत के बाहर यह फफूंद तिब्बत, चीन, भूटान और नेपाल में भी ऊँचाइयों पर मिलती है.

Special parcel train to Bangladesh :

  • पिछले दिनों आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित रेड्डीपलेम स्थान से गुंटूर सन्नम मिर्च एक विशेष पार्सल यान भारतीय रेलवे द्वारा बांग्लादेश के बेनापोल स्टेशन तक पहुँचाया गया.
  • विदित हो कि गुंटूर सन्नम मिर्च को भौगोलिक संकेतक (GI Tag) मिला हुआ है.

Tiger Orchids :-

  • दक्षिण-पूर्व एशिया में एक ऐसा आर्किड का पौधा होता है जो बहुत विशाल होते हैं और उनके रंग-बिरंगे फूल बाघ के चमड़े जैसे दिखते हैं.
  • इसलिए इन पौधों को टाइगर आर्किड नाम दिया गया है.
  • ये एक वर्ष छोड़कर फूल देते हैं.
  • इनका नाम इनकी विशालता के कारण गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अंकित है. कहा जाता है कि परिपक्व हो जाने के पश्चात् इसका भार 2 टन तक हो सकता है.

Ground Orchid :

  • भूमि आर्किड नाम से जाना जाने वाला Eulophia obtusa नामक विरल आर्किड 118 वर्ष के पश्चात् दुधवा व्याघ्र आश्रयणी में फिर से देखा गया है.
  • पिछली बार यह आर्किड 1902 में पीलीभीत में देखा गया था.
  • IUCN की लाल सूची में यह विकट रूप से संकटग्रस्त (critically endangered) प्रजाति की श्रेणी में रखा गया है.
  • CITES के अंतर्गत यह टियर-2 सूची में अंकित है और इसका व्यापार निषिद्ध है.

Swarna Sub1 :-

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् और मनीला के अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्था ने चावल की स्वर्ण सब1 नामक एक ऐसी किस्म तैयार की है जो पानी को झेलने में समर्थ होता है.
  • 2009 से ही असम के किसान बाढ़ वाले क्षेत्रों में इस किस्म के चावल को लगाते आये हैं.

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