Sansar डेली करंट अफेयर्स, 15 August 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 15 August 2018


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Uttarakhand High Court appoints itself legal guardian of cows in state

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संदर्भ

उत्तराखंड उच्च न्यायालय अपनी तरह का पहला आदेश दिया है. उच्च न्यायालय ने स्वयं को राज्य में गायों का कानूनी अभिभावक (लीगल गार्जियन) घोषित कर दिया है.

इस निर्णय की विशेषता

ऐसा भारतीय न्यायालय-संबंधी इतिहास में पहली बार हुआ है कि एक अदालत ने गाय संरक्षण के लिए ‘parens patriae‘ सिद्धांत को लागू किया है. अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने कई सन्दर्भों का सहारा लिया है, जिनमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले, उपनिषदों के ज्ञानी, अर्थशास्त्र के ज्ञाता, जैन और बौद्ध धर्म में दिए गए सन्देश, महात्मा गाँधी के वचन, दलाई लामा की जानवरों के प्रति चिंता की बातें शामिल हैं. इसके साथ उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देशों की एक श्रृंखला प्रदान की है.

Parens Patriae सिद्धांत क्या है?

यह एक लैटिन वाक्यांश है. लैटिन में Parens Patriae का मतलब है ‘देश के माता-पिता’ और यह एक सिद्धांत है जो न्यायालय को असमर्थ लोगों के लिए अभिभावक के रूप में कार्य करने की शक्ति देता है.

निर्णय के प्रभाव

अदालत अब राज्य में गायों के कानूनी अभिभावक के रूप में कार्य कर सकती है और गायों से सम्बंधित सभी मामलों पर विशेषरूपेण उनके संरक्षण के संबंध में निर्देश सकती है. साथ ही साथ यदि गायों के संबंध में कानूनों और नियमों का यदि कोई उल्लंघन होता है तो अदालत स्वयं संज्ञान ले सकती है और यथोचित दंड का प्रावधान कर सकती है.

यह निर्णय क्यों लिया गया?

उच्च न्यायालय का यह निर्णय सार्वजनिक हित के लिए की गई एक याचिका के प्रत्युत्तर के रूप में आया था. याचिका में यह कहा गया था कि कुछ लोग मवेशियों को मारकर या मारे गए मवेशियों को जल निकायों में बहा रहे हैं. ऐसा करने से ग्रामीणों के स्वास्थ्य बिगड़ रहा है. याचिकाकर्ताओं ने इस कृत्य को कानून के खिलाफ भी बताया है.

हाई कोर्ट ने पशु कल्याण कानून, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों और हिंदू धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा कि पशु कल्याण “मानवता की समानता” का एक अंग है. (Article 14)

न्यायालय द्वारा जारी महत्वपूर्ण निर्देश

  • राज्य के सभी नगर निकाय एक वर्ष के भीतर गायों और अन्य भटके हुए मवेशियों के लिए “गोशाला” या “आश्रयों / घरों” का निर्माण करेंगे.
  • गोशाला / आश्रयों को बिजली और जल कनेक्शन की आपूर्ति के लिए कोई वाणिज्यिक शुल्क नहीं लगाया जाएगा.
  • राज्य सरकार उन मवेशियों के मालिकों के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम ,1960 और उत्तराखंड गौ-संतति संरक्षण अधिनियम 2007 के तहत मुकदमा दायर करेगी जिनके द्वारा सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर ये असहाय छोड़ दी जाती हैं.
  • खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि राज्य में कोई भी व्यक्ति गाय, बैल, बछिया या बछड़े का वध नहीं करेगा और न ही उनका सीधे, किसी एजेंट या नौकर के माध्यम से वध के लिए निर्यात करेगा.
  • गौमांस और उसके उत्पादों की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया.
  • राज्य सरकार कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में गायों की रक्षा के लिए एक पशु चिकित्सक के साथ पुलिस उपाधीक्षक पद के एक अधिकारी की अध्यक्षता में एक विशेष दल की स्थापना भी करेगी.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Mahadayi verdict

संदर्भ

महादेयी जल विवाद ट्रिब्यूनल ने कर्नाटक-गोवा के बीच महादयी जल को लेकर 50 साल पुराने विवाद पर अपना अंतिम फैसला दे दिया है.

अंतिम फैसला

  • ट्रिब्यूनल ने कर्नाटक को अपने उपभोग्य उपयोग के लिए (5.4 टीएमसी) और  बिजली उत्पादन के लिए (8.02 टीएमसी) के लिए कुल 13.4 टीएमसी पानी लेने के लिए इजाजत दे दी है.
  • गोवा को राज्य की नगरपालिका जल जरूरतों, सिंचाई के लिए जल आवश्यकताओं और उद्योग-कार्यों के लिए जरुरी जल हेतु 24 TMC लेने की अनुमति मिली.
  • महाराष्ट्र को अपनी बेसिन जरूरतों को पूरा करने के लिए मात्र 1.33 टीएमसी जल लेने की अनुमति मिली.
  • ट्रिब्यूनल ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह अपनी रिपोर्ट और अंतिम निर्णय को लागू करने के लिए महादायी जल प्रबंधन प्राधिकरण स्थापित करे.

महादेयी विवाद क्या है?

  • गोवा में महादयी नदी को मंडोवी नदी के नाम से भी जाना जाता है. राज्य की राजधानी पणजी मंडोवी के तट पर स्थित है जो भारत की सबसे छोटी नदियों में से एक है.
  • यह बरसाती नदी कर्नाटक के बेलगाम जिले के भीमघाड़ से प्रवाहित होती है. अरब सागर में गिरने से पूर्व यह नदी कर्नाटक में 35 किलोमीटर एवं गोवा में 52 किलोमीटर बहती है.
  • कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाके अपने जल की आवश्यकताओं के लिए महादयी पर ही निर्भर हैं.
  • विवाद तब शुरू हुआ जब कर्नाटक ने महादयी की दो सहायक नदियों कलासा और बंदौरी के बीच बाँध बनाना चाहा. जब कर्नाटक ने इसपर काम शुरू किया था तो गोवा में बीजेपी सरकार के नेतृत्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने इसका विरोध किया था.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : NITI Aayog launches “Pitch to MOVE”

सन्दर्भ

नीति आयोग ने देश के उभरते उद्यमियों के लिए ‘पिच टू मूव’ नाम से एक प्रतियोगिता शुरू करने की घोषणा की है.

Pitch to Move के बारे में

“पिच टू मूव” प्रतियोगिता का आयोजन नीति आयोग ने इंडियन इंडिया एंड सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के सहयोग से किया है.

उद्देश्य

यह प्रतियोगिता उभरते उद्यमियों को समर्पित है. इसका उद्देश्‍य स्‍टार्टअपों को कारोबार से जुड़े नये विचार निर्णायक मंडल (जूरी) के समक्ष पेश करने का अवसर प्रदान करना है. इसके तहत निवेश आकर्षित करने के लिए मोबिलिटी के अनेक क्षेत्रों में कार्य करने वाले स्‍टार्ट-अपों उद्योगपतियों एवं उपक्रम पूंजी उपलब्‍ध कराने वालों के समक्ष अपने विचार रख सकते हैं.

21वीं सदी में स्वयं प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नवाचार को रोजगार सृजन, आर्थिक विकास और सामाजिक बदलाव के लिए एक सशक्‍त माध्‍यम के रूप में बतलाया गया है. विदित हो कि नीति आयोग के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत हैं. उन्होंने पिच टू मूव प्रतियोगिता के सन्दर्भ में कहा कि यह प्रतियोगिता स्‍टार्टअपों को अपने नवीन विचारों को बढ़ावा देने का सुनहरा अवसर प्रदान करेगी.

फायदे

  • ‘पिच टू मूव’ प्रतियोगिता के माध्‍यम से ऐसे स्‍टार्ट-अपों की पहचान और उनके लिए आर्थिक सहयोग की व्‍यवस्‍था की जा सकेगी जो सरकार को एक अंतर मॉडल और पर्यावरणीय मापदंडों को ध्यान में रखते हुए गतिमान भारत के Vision को प्राप्त करने में सहायता प्रदान करेगा.
  • इसके जरिए देश में उपलब्ध संसाधनों के सहयोग से रोजगार के अवसर सृजन करने का कार्य किया जा सकेगा.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी वैश्विक गतिशीलता शिखर सम्‍मेलन के अवसर पर प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्‍कार देंगे.

स्‍टार्टअप इन क्षेत्र से हो सकते हैं –  पब्लिक मोबिलिटी, इलेक्ट्रिक वाहन, साझा परिवहन, अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी, यात्री परिवहन, बैटरी प्रौद्योगिकी, आटोमोटिव आईओटी, माल और परिवहन सेवा, पावर और ड्राइवर ट्रेन, यात्रा, मोबिलिटी अवसंरचना तथा आटोमोटिव इलेक्‍ट्रानिक आदि.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Australia recommences its adoption programme with India

सन्दर्भ

ऑस्‍ट्रेलिया सरकार ने हेग संधि की व्‍यवस्‍थाओं के अंतर्गत भारत से बच्‍चों को गोद लेने की प्रक्रिया बहाल करने का निर्णय लिया है. विदित हो कि बच्‍चों को दूसरे देशों में गोद देने का कार्य करने वाली कुछ पंजीकृत भारतीय एजेंसियाँ बच्‍चों की तस्‍करी में लिप्‍त थीं. जब ऑस्ट्रेलिया के सरकार को यह पता चला तो उसने भारत से बच्‍चों को गोद लेने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी. यह रोक आठ साल से चला आ रहा था.

महत्त्व

गोद लेने की प्रक्रिया बहाल हो जाने से ऑस्‍ट्रेलिया में बसे भारतीय मूल के निसंतान दंपतियों के साथ-साथ बच्‍चों को गोद लेने के इच्‍छुक कई लोग भारत से बच्‍चे गोद लेने की अपनी इच्छाओं को पूरी कर पायेंगे.

भारत द्वारा सुरक्षा के लिए किये गये उपाय

किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और गोद लेने के नियम, 2017 अधिसूचना का अधिनियमन कर भारत सरकार द्वारा अंतर-देशीय गोद लेने से सम्बद्ध विनियमन को सख्त किया गया है.

केंद्रीय दत्तक-ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority – CARA) के साथ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इन कानूनों के कार्यान्वयन की लगातार निगरानी कर रहा है.

CARA क्या है?

  • केन्द्रीय दत्तकग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का एक वैधानिक निकाय है.
  • CARA देशंतारीय दत्तक ग्रहण विषयक 1993 की हेग संधि, जिसे भारत ने 2003 में अंगीकृत किया था, में CARA को ऐसे मामलों के लिए केन्द्रीय प्राधिकरण घोषित किया गया था.
  • CARA का मुख्य कार्य अनाथ, त्यक्त और समर्पित किये गये बच्चों के दत्तकग्रहण को विनियमित है.
  • हेग संधि (Hague Convention) का कार्य बच्चों और उनके परिवारों को विदेश में अवैध, अनियमित, समय-पूर्व अथवा अविचारित दत्तक ग्रहण से रक्षा करना है.
  • हाल ही में अवैध दत्तकग्रहण के बढ़ते मामलों को देखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को यह निर्देश दिया था कि एक महीने के अन्दर वे सभी बाल देखभाल संस्थानों को पंजीकृत करें और उन्हें CARA से जोड़ दें.
  • ज्ञातव्य है कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और सुरक्षा) अधिनियम, 2015 में यह प्रावधान है कि बाल देखभाल की सभी संस्थाएँ पंजीकृत की जाएँ और उन्हें CARA से जोड़ दिया जाए.

हेग कन्वेंशन से सम्बंधित तथ्य

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जो उन बच्चों की त्वरित वापसी को सुनिश्चित करता है, जिनका “अपहरण” कर उन्हें उस जगह पर रहने से वंचित कर दिया गया है, जहाँ वे रहने के अभ्यस्त हैं.
  • आजकल अंतर-देशीय विवाह बहुत होते हैं. बहुधा कोई भारतीय विदेश में जाता है और वहाँ की लड़की से विवाह करता है. वहाँ उसके बच्चे होते हैं और बाद में तलाक या अलगाव हो जाता है. उस हालत में बच्चे को लेकर माता-पिता में विवाद हो जाता है.
  • ऐसा देखा गया है कि पति बच्चों को लेकर भारत चला आता है और उसकी पत्नी विदेश में ही रह जाती है.
  • यह स्थिति बच्चों के लिए मानसिक यंत्रणा का कारण बनती है.
  • माता-पिता में मारपीट तो होती ही है, साथ ही बच्चा अपने-आप को एक अनजान संस्कृति के बीच पाता है.
  • यद्यपि यह कोई अपहरण का मामला नहीं है फिर भी यह एक गंभीर विषय अवश्य है.
  • ऐसे मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक समझौता हो चुका है जिसे “Hague Abduction Convention” कहते हैं.
  • भारत ने इस समझौते पर अभी हस्ताक्षर नहीं किये गये हैं.
  • वर्तमान में सरकार ने Hague समझौते का अध्ययन कर कानूनी राय लेने के लिए न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी.
  • इस समिति (Justice Rajesh Bindal Committee) ने अपनी अनुसंशा प्रस्तुत कर दी है.
  • इसके अनुसार भारत में एक ऐसा निकाय बनाया जाए जो अंतर-देशीय अभिवावकों द्वारा किये गये बाल अपहरण के मामलों पर सुनवाई कर निर्णय दे सके.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Aerogel- Super-insulating gel

 

संदर्भ

वैज्ञानिकों ने एक पारदर्शी ऊष्मा प्रतिरोधी जेल विकसित किया है जिसे एरोजेल (aerogel) कहा जाता है. यह बियर (beer) के अवशिष्ट से बनाया जाता है.

एरोजेल की विशेषताएँ

  • एरोजेल एक चपटे प्लास्टिक कांटेक्ट लेंस की तरह दिखता है.
  • पारदर्शी जेल ऊष्मा प्रतिरोधी है.
  • इसके उत्पादन में लागत कम आती है क्योंकि यह बियर के अवशिष्ट बचे पदार्थ से बनाया जाता है.
  • इसके कुल वजन के 90% में गैस का हिस्सा है. इसके ऊपरी परत में अरबों छोटे छिद्र होते हैं जो अंदर आने वाली हवा को फँसाने की क्षमता रखते हैं.
  • हवा को फँसाने की क्षमता इसे एक अच्छा इंसुल्युलेटर बनाती है.

संभावित अनुप्रयोग

  • इसका प्रयोग एक दिन मंगल ग्रह पर ग्रीनहाउस का निर्माण करने के लिए किया जा सकता है जिसमें मानव भी रह सकें.
  • इसका प्रयोग दैनिक उपयोग में ऊर्जा लागत पर भारी बचत करने के लिए किया जा सकता है.

Prelims Vishesh

Pie :-

  • एण्ड्रॉयड (Android) के नवीनतम संस्करण का नाम पाइ (Android Pie) रखा गया है.
  • Pie को एण्ड्रॉयड 9 (Android 9) के नाम से भी जाना जाता है.
  • यह गूगल के विश्व-भर में काफी लोकप्रिय operating system एण्ड्रॉयड का latest version है जिसे कम्पनी ने 6 अगस्त 2018 को आधिकारिक तौर पर जारी किया.
  • दरअसल, पाइ (Pie) एक पेस्ट्री जैसी मिष्टान्न का नाम है. विदित हो कि एंड्राइड हमेशा से अपने नए version का नाम किसी खाद्य-पदार्थ पर ही रखता है चाहे वह ओरियो (Oreo), नॉगेट (Nougat), मार्शमेलो (Marshmellow) या लॉलीपॉप (Lollypop) हो.
  • इसके अतिरिक्त ये नाम अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम का अनुसरण भी करते हैं जैसे last version Oreo था जो “O” वर्ण से शुरू होता था. Next version में P से “Pie” रखा गया जो English alphabet में O के बाद आता है.

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