Sansar डेली करंट अफेयर्स, 14 September 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 14 September 2020


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : The Freedom Struggle – its various stages and important contributors /contributions from different parts of the country.

Topic : Punnapara-Vayalar revolt

संदर्भ

हाल ही में, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद् (ICHR) की एक प्रतिवेदन में भारत के स्वतंत्रता संग्राम शहीदों की सूची से पुन्नपारा-वायलार (Punnapra-Vayalar), करिवेलूर (Karivelloor) और कवुम्बयी (Kavumbayi) के कम्युनिस्ट शहीदों को पृथक करने का सुझाव दिया गया है.

पृथक करने का कारण

ICHR के अनुसार, इन कम्युनिस्ट आंदोलनों को स्वतंत्रता संघर्ष के आंदोलन के रूप में नहीं गिना जाना चाहिए, क्योंकि यह आन्दोलन जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकार द्वारा सत्ता संभालने के बाद हुए थे. ये विद्रोह मूल रूप से तत्कालीन अंतरिम सरकार के विरुद्ध थे.

पुन्नपारा-वायलार विद्रोह

यह, ब्रिटिश भारत में, त्रावणकोर रियासत के प्रधानमंत्री  सी. पी. रामास्वामी अय्यर तथा रियासत के विरुद्ध एक संगठित श्रमिक वर्ग का विद्रोह था.

विद्रोह के उद्देश्य

  1. त्रावणकोर के शोषक दीवान को पद से हटाना.
  2. श्रमिक वर्ग को अन्यायपूर्ण कराधान और शासन के शोषणमुक्त करना.

इस विद्रोह का महत्त्व

  1. यह अपनी तरह का एक अनोखा आंदोलन था, जिसमे मजदूर वर्ग सरकार के विरुद्ध खड़ा हो गया.
  2. इस आंदोलन में सभी वर्गों के लोगों ने एक अत्याचारी के विरुद्ध विद्रोह में भाग लिया, और वर्ग और धर्म के भेद को मिटाते हुए लोगों को एक होने के लिए प्रेरित किया.
  3. इस विद्रोह के परिणामस्वरूप, क्षेत्र में लोकतंत्र की स्थापना हुई और राज्य की राजनीति को एक निर्णायक मोड़ दिया गया.

विद्रोह के निहितार्थ

  1. इतिहासकारों का मानना है कि, यह तत्कालीन त्रावणकोर से ‘स्वतंत्र त्रावणकोर‘ की स्थापना के लिए एक विशिष्ट संघर्ष था.
  2. इस आंदोलन के एक नेता टी के वर्गीज वैद्यन ने अधिकारिक रूप से कहा था, कि यह आंदोलन कम्युनिस्ट इंडिया’ की स्थापना के उद्देश्य के लिए एक बड़ी क्रांति के लिए पूर्वाभ्यास था.

GS Paper 1 Source : PIB

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UPSC Syllabus : The Freedom Struggle —  its various stages and important contributors/contributions from different parts of the country.

Topic : Swami Vivekanand

संदर्भ

स्वामी विवेकानंद द्वारा शिकागो में आयोजित धर्म संसद में दिए गए ऐतिहासिक भाषण की 127वीं वर्षगाँठ मनाई जा रही है.

पृष्ठभूमि

स्वामी विवेकानन्द 19वीं सदी के भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली चिंतकों में से एक थे. वे वेदान्त के व्याख्याता तथा एक उच्च कोटि के आध्यात्मिक गुरु थे. उन्होंने हिंदू धर्म तथा अद्वैत वेदान्त की वैज्ञानिक और व्यावहारिक व्याख्या करते हुए भारत में नवजागरण को दिशा प्रदान की. 1893 ई. में शिकागो में आयोजित ‘विश्व धर्म महासभा’ में उन्होंने हिंदू धर्म को सहिष्णु तथा सार्वभौमिक धर्म के रूप में प्रस्तुत किया.

विवेकान्द कौन थे?

  • विवेकानंद का मूलनाम नरेन्द्रनाथ दत्त था.
  • उनका जन्म कलकत्ता में जनवरी 12, 1863 को हुआ था.
  • वे राम कृष्ण परमहँस के परमभक्त थे.
  • उन्होंने शिकागो में 1893 में सम्पन्न विश्व धर्म परिषद् में प्रवचन दिया था.
  • संन्यास के बाद उनका नाम सच्चिदानंद रखा गया था परन्तु 1893 में खेतड़ी के महाराजा अजित सिंह के कहने पर उन्होंने अपना नाम विवेकानंद रख लिया.
  • उन्हें पश्चिम को योग और वेदान्त से परिचित कराने का श्रेय दिया जाता है.
  • उन्होंने 1897 में रामकृष्ण मिशन स्थापित किया जिसका उद्देश्य दरिद्रतम और तुच्छतम लोगों तक उदात्त विचार पहुँचाना था.
  • 1899 में बेलूर मठ बनाया और वहीं स्थायी रूप से रहने लगे.
  • उन्होंने राज योग, ज्ञान योग और कर्म योग आदि पुस्तकें लिखीं.
  • उन्होंने नव वेदान्त की शिक्षा दी जिसमें भारत की आध्यात्मिकता के साथ-साथ पश्चिम के भौतिक प्रगतिवाद का सम्मिश्रण था.
  • नेताजी सुभाष चन्द्र बोस उनको आधुनिक भारत का निर्माता बतलाते थे.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

स्वामी विवेकानंद ने भारतीय समाज में दलितों एवं महिलाओं की दयनीय स्थिति की निन्दा की और समाज कल्याण के लिये इनका उत्थान आवश्यक बताया. उन्होंने इनके उत्थान के लिये शिक्षा को सबसे महत्त्वपूर्ण साधन माना. उनका मत था कि जिस राष्ट्र में महिलाओं का सम्मान नहीं होता, वह राष्ट्र और समाज कभी महान नहीं बन सकता. शिक्षा के माध्यम से ही स्त्री व दलितों को शक्तिशाली, भयविहीन तथा आत्म-सम्मान के साथ जीने के काबिल बनाया जा सकता है.

स्वामी विवेकानन्द ने दरिद्र (गरीब) में ही नारायण देखा (दरिद्र नारायण) और उसके कल्याण में ही ईश्वर की सेवा माना है. उस ‘दरिद्र नारायण’ की अवधारणा द्वारा उन्होंने मानवतावाद को धार्मिकता से जोड़ दिया. शिकागो में दिये गए अपने ऐतिहासिक भाषण में भी उन्होंने सार्वभौमिक भ्रातृभाव को सभी धर्मों का सार तत्त्व कहा था.

स्वामी विवेकानन्द सदैव मनुष्य को कर्मशील बने रहने के लिये प्रेरित करते थे. उनका मत था कि प्रत्येक मनुष्य को अपना कर्म पूरी शक्ति तथा एकाग्रता के साथ करना चाहिये. उनका एक प्रसिद्ध कथन है- ‘प्रत्येक कार्य में अपनी समस्त शक्ति का प्रयोग करो, सभी मरेंगे साधु या असाधु, धनी या दरिद्र, चिरकाल तक किसी का शरीर नहीं रहेगा. अतएव उठो, जागो और तब तक रूको नहीं जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए’.

इस प्रकार, यह विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है कि यद्यपि स्वामी विवेकानन्द वेदान्त के व्याख्याता एवं एक आध्यात्मिक गुरु थे परंतु उनके चिंतन में दलितों, महिलाओं व गरीबों के उत्थान तथा ‘कर्म की प्रधानता’ का विचार विशेष रूप से उपस्थित था.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.

Topic : India, France, Australia hold first trilateral dialogue with focus on Indo-Pacific

संदर्भ

भारत, फ्रांस व ऑस्ट्रेलिया के मध्य प्रथम त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित की गई. तीनों पक्षों ने वार्षिक आधार पर वार्ता आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की. वार्ता का उद्देश्य इन देशों के मध्य साझा सुदृढ़ द्विपक्षीय संबंधों की स्थापना द्वारा भारत-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific region) में सहयोगपूर्ण भागीदारी को बढ़ावा देना है.

  • क्वाड्रीलेटरल (Quadrilateral) (भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका-जापान-ऑस्ट्रेलिया) समूह के अतिरिक्त, भारत अग्रलिखित त्रिपक्षीय समूहों का भी एक भागीदार देश रहा है यथा: भारत-अमेरिका-जापान; भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया; भारत-ऑस्ट्रेलिया-इंडोनेशिया तथा रूस-भारत-चीन.
  • इस वार्ता की रूपरेखा विचार-मंच (थिंक टैंक) विशेषज्ञों द्वारा निर्मित की गई थी, जिसमें इस क्षेत्र में ट्रैक 2 और ट्रैक 1.5 कूटनीति (Track 1.5 diplomacy) का प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर हुआ था.
  • ट्रैक 1 कूटनीति – इस बैठक का आयोजन आधिकारिक स्तर पर किया जाता है.
  • ट्रैक 2 कूटनीति – इस वार्ता में अनौपचारिक प्रतिनिधि भाग लेते हैं न कि सरकारें.
  • ट्रैक 1.5 कूटनीति – इसके अंतर्गत अधिकारी अनौपचारिक रूप से भाग लेते हैं तथा गैर-अधिकारी अभिकर्ताओं के साथ मिलकर किसी राजनयिक वार्ता के लिए एक साथ कार्य करते हैं.

वार्ता में चर्चित रहे प्रमुख मुद्दे

  1. भारत- प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक और भू-रणनीतिक (geo-strategic) चुनौतियां एवं सहयोग: विशेष रूप से कोविड-19 महामारी और इस संकट से निपटने के लिए घरेलू प्रतिक्रिया पर चर्चा की गई.
  2. मरीन ग्लोबल कॉमन्स (Marine Global Commons) पर सहयोग: ब्लू इकोनॉमी (नीली अर्थव्यवस्था), समुद्री जैव विविधता और समुद्री प्रदूषण आदि पर वार्ता की गई.
  3. त्रिपक्षीय और क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग, जिसमें आसियान (ASEAN), इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) और हिंद महासागर आयोग (Indian Ocean Commission) जैसे क्षेत्रीय संगठनों का सहयोग शामिल है.
  4. बहुपक्षीय संस्थानों की प्राथमिकताएं और चुनौतियाँ: उन्हें सुदृढ़ करने और उनमें सुधार करने के उपायों पर चर्चा की गई.
  5. मानवीय सहायता और आपदा राहत, समुद्री प्रक्षेत्र में जागरूकता, पारस्परिक संभारण समर्थन (mutual logistics support) आदि क्षेत्रों में समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Salient features of the Representation of People’s Act.

Topic : Poll campaign expenditure cap

निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव अभियान व्यय सीमा (poll campaign expenditure cap) में 10% बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है. निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में यह तर्क दिया है कि महामारी के दौरान रैलियों और बैठकों पर आयोग के प्रतिबंधों का पालन करने के लिए, एक प्रत्याशी को अतिरिक्त व्यय करना पड़ सकता है.

पृष्ठभूमि

  • निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 (Conduct of Election Rules, 1961) के नियम 90 में यह उपबंध किया गया है कि प्रत्याशी द्वारा किया गया कुल चुनावी व्यय, निर्धारित सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए. (लोकसभा के लिए: 70 लाख रुपये तथा विधानसभा: 28 लाख रुपये).
  • प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापनों, सार्वजनिक बैठकों आदि जैसे सभी व्ययों के लिए भी एक सीमा तय की गई है.
  • निर्वाचन आयोग द्वारा अभियान व्यय पर आरोपित सीमाएं एक प्रत्याशी पर लागू होती हैं, परन्तु किसी राजनीतिक दल पर अधिरोपित नहीं होती.
  • व्यय के लिए सभी प्रत्याशियों के पास अनिवार्य रूप से बैंक खाता होना चाहिए, जिसका भुगतान चेक के माध्यम से किया जाएगा.
  • प्रत्याशियों द्वारा निर्वाचन पूर्ण होने के 30 दिनों के भीतर निर्वाचन आयोग के समक्ष अपना व्यय विवरण प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है.
  • किसी प्रत्याशी द्वारा गलत खाता संख्या वर्णित करने और निर्धारित सीमा से अधिक व्यय करने पर, उसे तीन वर्ष तक के लिए अयोग्य (disqualify) घोषित किया जा सकता है.

व्यय सीमा से संबंधित मुद्दे: प्रत्याशियों द्वारा प्रायः वास्तविक चुनावी व्यय का विवरण प्रदान नहीं किया जाता है, इस व्यय सीमा के अंतर्गत राजनीतिक दलों को शामिल नहीं किया गया है, यह सीमा प्रति-उत्पादक (counter-productive) होती है, क्योंकि विधिक रूप से आय अर्जित करने वाले (white money) ईमानदार प्रत्याशी अधिकतम सीमा से अधिक व्यय करने में अक्षम होते हैं आदि.

रोचक तथ्य

भारत में पहले 3 लोक सभा चुनावों में सरकारी खर्च हर साल लगभग 10 करोड़ रुपये था. यह खर्च 2009 के लोक सभा चुनावों में 1,483 करोड़ था जो कि 2014 में 3 गुना बढ़कर 3,870 करोड़ रुपये हो गया था. एक और रोचक तथ्य यह है कि 1952 में हर एक वोटर पर सरकार को 62 पैसे का खर्च आता था जो कि 2004 में बढ़कर 17 रुपये और 2009 में 12 रुपये प्रति वोटर पर आ गया था.

चुनाव के होने वाले सामान्य खर्चे कौन-कौन से हैं?

चुनाव के दौरान हर पार्टी को प्रतिदिन डीजल, पेट्रोल, बैनर, होर्डिंग्स, पर्चे, और अन्य प्रचार सामग्री, वाहन किराया, टीवी और अखवारों में मार्केटिंग पर होने वाला खर्च पार्टी कार्यालय पर कार्यकर्ताओं के खाने पीने का खर्च, और कुछ मामलों में तो मतदाताओं को सीधे तौर पर नकदी भी उपलब्ध करायी जाती है और अब तो फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से भी प्रचार शुरू हो गया है|

कई राजनीतिज्ञ इस बात को स्वीकार करते हैं कि इन चुनावों में मुख्य खर्च बूथ प्रबंधन (booth management) पर होता है यहाँ पर मतदान केंद्रों पर पार्टी कार्यकर्ताओं के ऊपर बहुत बड़ी मात्रा में रुपया खर्च किया जाता है.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Issues relating to poverty and hunger.

Topic : Village Poverty Reduction Plans– VPRP

संदर्भ

ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (GPDPs) के समेकन के लिए ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (Village Poverty Reduction Plan: VPRP) के निर्माण के लिए स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को सक्षम बनाया जा रहा है.

मुख्य बिंदु

  • वर्ष 2019-19 से दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को वार्षिक ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) प्रक्रिया में भाग लेने और ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (VPRP) तैयार करने के लिए अधिदेशित किया गया है.
  • यह निर्धन परिवारों, जो DAY-NRLM के अंतर्गत गठित SHGs के सदस्य हैं, को भागीदारी प्रक्रिया में अपनी मांगों को उठाने और अपनी अंतिम योजना (final plan) को विचार के लिए ग्राम पंचायतों के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करेगा.
  • DAY-NRLM का उद्देश्य 10-12 करोड़ ग्रामीण परिवारों को SHGs में संगठित करके ग्रामीण निर्धनता को कम करना है.
  • ग्राम पंचायतों को GPDP के निर्माण के लिए संवैधानिक रूप से अधिदेशित किया गया है, ताकि वे अपने गाँव में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को सुनिश्चित कर सकें.
  • VPRP को SHGs और उनके संघों द्वारा तैयार किया जाता है, जिन्हें GPDP के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता होती है.

ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (VPRP) क्या हैं?

नागरिक योजना अभियान (PPC) दिशानिर्देशों एवं पंचायती राज मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से जारी परामर्शी ने स्वयं सहायता समूहों एवं दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के अंतर्गत उनके संघों को वार्षिक GPDP नियोजन प्रक्रिया में भाग लेने एवं ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (Village Poverty Reduction Plans– VPRP) तैयार करने के लिए अधिदेशित किया है.

  1. VPRP स्वयं सहायता समूह (SHG) नेटवर्क एवं उनके संघों द्वारा उनकी मांगों एवं स्थानीय क्षेत्र विकास के लिए एक व्यापक मांग योजना है.
  2. VPRP को प्रत्येक वर्ष अक्टूबर से दिसंबर तक ग्राम सभा बैठकों में प्रस्तुत किया जाता है.

ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (VPRP) के घटक

VPRP के अंतर्गत मांगों को पांच प्रमुख घटकों में वर्गीकृत किया जाता है:

  1. सामाजिक समावेशन – NRLM के अंतर्गत SHG में निर्बल लोगों/परिवारों के समावेशन के लिए योजना.
  2. हकदारी: MGNREGS, SBM, NSAP, PMAY, उज्जवला, राशन कार्ड आदि जैसी विभिन्न योजनाओं के लिए मांग
  3. आजीविकाएं: कृषि, पशुपालन के विकास, उत्पादन एवं सेवा उद्यमों तथा प्लेसमेंट आदि के लिए कुशलता प्रशिक्षण के जरिये आजीविका बढोतरी के लिए विशिष्ट मांग.
  4. सार्वजनिक वस्तुएं एवं सेवाएं: विद्यमान अवसंरचना के पुनरोत्थान एवं बेहतर सेवा प्रदायगी के लिए आवश्यक मूलभूत अवसंरचना के लिए मांग.
  5. संसाधन विकास – भूमि, जल, वन एवं स्थानीय रूप से उपलब्ध अन्य संसाधनों जैसे प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा एवं विकास के लिए मांग.
  6. सामाजिक विकास – जीपीडीपी के निम्न लागत लागत रहित घटक के अंतर्गत ग्रामों के विशिष्ट सामाजिक विकास पर ध्यान देने के लिए योजनाएँ तैयार की गईं है.

दीन दयाल अन्त्योदय योजना

  • दीन दयाल अंत्योदय योजना – जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD), भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय आजीविका मिशन (NRLM) द्वारा शुरू की गई थी.
  • यह मिशन गाँव के गरीब लोगों को आर्थिक रूप से उन्नत होने के लिए एक मंच प्रदान करता है जिससे ग्रामीण व्यक्ति स्वयं सहायता समूह बनाकर विभिन्न प्रकार की आजीविकाएँ चलाते हुए अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं.
  • इस योजना का उद्देश्य यह भी रहा है कि ऐसे समूह बैंकों से भी जुड़े.
  • इस मिशन के अंतर्गत प्रत्येक जिले में हर वर्ष सरस मेला (SARAS MELA) का आयोजन किया जाता है.
  • इस मेले में स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किये गये विभिन्न उत्पादों को प्रदर्शित किया जाता है. यहाँ उनकी बिक्री होती है.
  • आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना भी दीन दयाल अन्त्योदय योजना – NRLM के अंतर्गत आती है. इसमें राज्य सरकारें अपने पिछड़े क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूहों को सार्वजनिक यातायात के सञ्चालन का अवसर प्रदान करती है.
  • इससे यह होगा कि राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में आपसी संपर्क बढ़ेगा और SHGs की आय में वृद्धि होगी.

Prelims Vishesh

White grub (Holotrichia serrata insect larvae) :-

  • व्हाइट ग्रब (श्वेत गिडार) एक कृषि कीट है, जो गन्ने की फसल को क्षति पहुँचाता है.
  • यह गन्ने की जड़ों का भक्षण करता है जिसके चलते पौधे के लिए नमी और पोषक तत्त्वों की आपूर्ति बाधित हो जाती है.
  • इससे पत्तियों में पीलापन आ जाता है और वे गिरने लगती हैं.
  • शुरुआत में इन कीटों ने गन्ने एवं मूंगफली की फसलों को क्षति पहुँचाई थी, पर अब ये कीट सोयाबीन, कपास और हल्दी की फसलों को भी क्षति पहुँचा रहे हैं.
  • हालांकि इसके संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए रासायनिक कीटनाशक उपलब्ध है.

International Literacy Day 2020 :-

  • अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के आयोजन का उद्देश्य मानवीय गरिमा और मानवाधिकार के आलोक में साक्षरता के महत्त्व के प्रति लोगों को जागरूक बनाना है.
  • यूनेस्को द्वारा वर्ष 1966 में अपने सम्मेलन के 14वें सत्र के दौरान 8 सितम्बर को औपचारिक रूप से एक अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में आयोजित करने की घोषणा की गई थी.  

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