Sansar डेली करंट अफेयर्स, 14 September 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 14 September 2018


GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : District Disability Rehabilitation Centre (DDRC)

संदर्भ

सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग “जिला दिव्यांग पुनर्निवास केंद्र” (DDRC) विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है.

  • इस एकदिवसीय सम्मलेन में उन 263 जिलों के जिला दंडाधिकारी प्रतिभागिता कर रहे हैं जहाँ जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र स्थापित किये गये हैं.
  • इनके अतिरिक्त इसमें राज्यों के समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव, प्रतिष्ठित गैर-सरकारी संगठन, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, सुप्रसिद्ध चिकित्सक आदि भी शामिल होंगे.
  • सम्मेलन का उद्देश्य है जिला दिव्यांग पुनर्निवास केन्द्रों के महत्त्व को समझाना, सम्बंधित योजनाओं के बारे में यथोचित स्पष्टीकरण देना एवं इन केन्द्रों की सफलता की कहानियों से सब को अवगत कराना.

DDRC क्या है?

  • जिला दिव्यांग पुनर्निवास केंद्र” (DDRC) दिव्यांग जनों को व्यापक सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं और जिला स्तर पर उनके पुनर्वास तथा पुनर्वास कर्मियों को  प्रशिक्षण देने का काम करते हैं. अभी तक 263 ऐसे केंद्र बन चुके हैं.
  • जिस अधिनियम  के अंतर्गत ये केंद्र आते हैं उसका नाम है – SIPDA 1995. SIPDA का full form है – “Scheme for implementation of Persons with Disabilities (Equal Opportunities, protection of Rights and Full Participation) Act 1995 (SIPDA)”.

DDRC के लक्ष्य

DDRC के लक्ष्य निम्नलिखित हैं –

  • जागरूकता बढ़ाना, दिव्यान्गता का ससमय उपचार तथा दिव्यांग जनों के लिए सहायक उपकरणों की आवश्यकता का मूल्यांकन करना.
  • पुनर्वासकर्मियों के माध्यम से दिव्यांगजनों को फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी इत्यादि उपचारात्मक सेवाएँ उपलब्ध कराना.
  • पुनर्वास सेवाओं के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराना.

राज्य सरकार की भूमिका

  • DDRC के सफल संचालन के लिए राज्य सरकारों से एक सकारात्मक भूमिका की आशा की जाती है. उन्हें यह छूट दी गई है कि वे DDRC को दिए जाने वाले मानदेय (honorarium) और अन्य आवश्यकताओं के लिए अपनी ओर से अतिरिक्त धनराशि दे सकती हैं जिससे ये केंद्र सकुशल ढंग से अपना काम कर सकें.
  • राज्य सरकारों को यह भी छूट है कि वे जिला दंडाधिकारियों को DDRC के कुशल संचालन हेतु छोटे-मोटे परिवर्तन करने के लिए प्राधिकृत कर सकती हैं.
  • राज्य सरकारें जिला अधिकारीयों को स्थानीय कोष से इन केन्द्रों को अंतरिम अग्रिम देने का निर्देश दे सकती हैं जिससे केन्द्रीय कोष के निर्गत होने में प्रक्रियात्मक विलम्ब के कारण इन केन्द्रों का काम न रुके.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Section 498A

संदर्भ

भारतीय दंड संहिता के अनुभाग 498A के  दुरूपयोग को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी है कि आरोपित व्यक्ति अब अग्रिम जमानत की माँग कर सकता है.

नवीनतम निर्णय

इस विषय में पूर्व  में दो जजों की एक बेंच द्वारा दिए गये आदेश में सुधार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि दंड विधान में संवैधानिक  रूप से  अंतराल भरने की न्यायालय को शक्ति प्राप्त  नहीं है. ज्ञातव्य है कि पुराने आदेश में दहेज़ उत्पीड़न की शिकायतों से  निपटने के लिए एक समिति की स्थापना का प्रावधान  किया गया था.

इस प्रकार सर्वोच्च नयायालय ने दहेज़ उत्पीड़न के मामलों में NASLA अर्थात् राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण तथा गैर सरकारी संगठनों की भूमिका समाप्त कर दी गई है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि पति और उसके सम्बन्धियों, जो वैवाहिक क्रूरता से दूर से भी जुड़े हुए नहीं हैं, को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उन्हें अग्रिम जमानत दी जा सकती है.

अनुभाग 498A क्या है?

भारतीय दंड संहिता के अनुभाग 498A में उन पतियों और पति के सम्बन्धियों के लिए दंड की व्यवस्था है जिन्होंने किसी स्त्री के साथ क्रूरता की है. इस अनुभाग के अन्दर अधिकतम तीन वर्ष का कारावास विहित है और इसलिए अभी तक यह गैर-जमानती अपराध था.

498A का दुरूपयोग

हाल ही में यह देखा जा रहा था कि वैवाहिक अनबन के मामलों में स्त्रियाँ अनुभाग 498A का दुरूपयोग करते हुईं अपने पति के माता-पिता, नाबालिग बच्चों, भाइयों-बहनों और दादा-दादियों/नाना-नानियों को अपराधिक मामलों में घसीट लिया करती हैं. इस प्रकार मनगढ़ंत मामले चलाकर निर्दोष व्यक्तियों के मानवाधिकार का हनन हो रहा था. इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने इस विषय में हस्तक्षेप करना उचित समझा.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : ‘Exporting Corruption Report’

संदर्भ

भ्रष्टाचार विरोधी संगठन Transparency International ने एक्सपोर्टिंग करप्शन रिपोर्ट अर्थात् भ्रष्टाचार निर्यात प्रतिवेदन का 2018 संस्करण निर्गत किया है.

प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य

  • विदित हो कि घूस विरोधी संधि OECD पर चीन, हॉन्ग कॉन्ग, भारत और सिंगापुर (जो सब मिलकर विश्व निर्यात का 2% निर्यात करते हैं) ने हस्ताक्षर नहीं किये हैं. फिर भी पहली बार इन देशों को इस प्रतिवेदन में शामिल किया गया है. प्रतिवेदन के अनुसार यह सभी देश निम्नतम स्तर पर हैं अर्थात् इनमें नियमों को कम या नहीं के बराबर लागू किया गया है.
  • इन देशों के बुरे प्रदर्शन से इस बात को बल मिलता है कि इन देशों को OECD घूस विरोधी संधि में शामिल हो जाना चाहिए. Transparency International इन देशों से इसी आशय का अनुरोध भी किया है.
  • प्रतिवेदन में भारत को कहा गया है कि वह विदेशी घूसखोरी को अपराध घोषित करे और ऐसा सक्षम कानून बनाए जिससे निजी क्षेत्र के खबरियों (whistleblowers) को सुरक्षा मिले.

OECD घूस विरोधी संधि क्या है?

  • OECD घूस विरोधी संधि को 1997 में अंगीकृत किया गया था.
  • इसका उद्देश्य है कि OECD देशों में अपराध के मानकों में एकरूपता हो.
  • इस संधि के पहले अमेरिका ही मात्र ऐसा OECD देश था जहाँ कंपनियों को विदेशी अधिकारियों को घूस देने से निषिद्ध किया गया था.
  • इस संधि में 44 देश शामिल हैं जिनमें 36 OECD के सदस्य हैं.
  • OECD का full form है – Organisation for Economic Cooperation and Development अर्थात् आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Nuclear Suppliers Group (NSG)

संदर्भ

अमेरिका ने फिर इस बात पर बल दिया है कि यह आणविक आपूर्ति समूह (NSG) की सदस्यता के लिए भारत की वकालत करता रहेगा क्योंकि यह देश इसके लिए सभी शर्तें पूरी करता है.

ज्ञातव्य है कि अमेरिका पहले ही भारत को STA 1 (Strategic Trade Authorisation)  का दर्जा दे चुका है जिसके फलस्वरूप भारत अमेरिका के निकटतम मित्र देशों में शामिल हो गया है.

पृष्ठभूमि

NSG एक ऐसा विशिष्ट आणविक क्लब है जो आणविक व्यापार को नियंत्रित करता है इसमें 48 देश शामिल हैं. भारत इसका सदस्य बनना चाहता है पर चीन उस प्रयास पर बार-बार कुठाराघात करता आया है.

NSG क्या है?

  • आणविक आपूर्ति समूह (Nuclear Suppliers Group) एक बहुराष्ट्रीय निकाय है जिसका मुख्य उद्देश्य आणविक प्रसार को रोकना है.
  • विदित हो कि इसकी स्थापना 1974 में भारत द्वारा आणविक विस्फोट करने पर की गई थी.
  • आज की तिथि में इस समूह में 48 सदस्य हैं.
  • भारत 2008 से इस समूह का सदस्य बनने के लिए प्रयासरत है. पर हर बार उसके आवेदन को इस आधार पर रद्द कर दिया जाता है कि उसने आणविक अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए.
  • ज्ञातव्य है कि इस समूह की सदस्यता के लिए आणविक अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है.
  • परन्तु भारत को एक विशेष छूट दे दी गई है कि वह आणविक निर्यातक देशों से व्यापार कर सकता है.
  • भारत इस आधार पर NSG का सदस्य बनने का दावा करता है कि उसका आणविक कार्यक्रम शुद्ध रूप से शान्तिपूर्ण कार्यों के लिए है.

भारत का दावा इसलिए भी मजबूत दिखता है कि उसने आणविक परीक्षण पर स्वेच्छा से प्रतिबंध घोषित कर रखा है. उसका कहना है कि उसने आणविक हथियार शत्रुओं को युद्ध से रोकने के लिए निर्मित किये हैं और वह उनका प्रयोग तभी करेगा जब उसपर विनाशकारी हथियारों से आक्रमण किया जाएगा. इस प्रकार भारत ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह एक जिम्मेवार आणविक शक्ति वाला देश है.

No First Use Policy के बारे में हमारा Sansar Editorial वाला यह आर्टिकल जरुर पढ़ें >> No First Use Policy

GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : “Dairy Processing & Infrastructure Development Fund”

संदर्भ

हाल ही में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (National Dairy Development Board – NDDB) को अपने दुग्ध प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास कोष (Dairy Processing and Infrastructure Development Fund – DIDF) से 440 करोड़ रु. का एक चेक दिया. इस राशि से दुग्ध सहकारी संस्थाओं को आधुनिक बनाने और उनकी क्षमता को बढ़ाने के लिए सस्ता ऋण दिया जाएगा.

DIDF क्या है?

NABARD ने 8,004 करोड़ रु. की पूँजी से DIDF की स्थापना की है. इसका उद्देश्य सहकारी संस्थाओं के माध्यम से अधिक-से-अधिक दुग्ध उत्पादकों को संगठित दुग्ध विपणन के अंतर्गत लाना है. इस कोष का संचालन  राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (National Dairy Development Board – NDDB) और राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम (National Cooperative Development Corporation – NCDC) करते हैं.

DIDF की गतिविधयाँ

DIDF एक कुशल दुग्ध क्रय की प्रणाली के निर्माण पर बल देता है. इसके लिए यह निम्नलिखित अवसंरचनाएँ बनाता है –

  • दूध को ठंडा करने के लिए अवसंरचना
  • दूध में मिलावट की जाँच करने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का अधिष्ठापन
  • प्रसंस्करण हेतु अवसंरचना का निर्माण/आधुनिकीकरण/विस्तार
  • दुग्ध संघों/दुग्ध उत्पादक कंपनियों के लिए मूल्य-वर्धित उत्पादों के निमित्त सुविधाओं का निर्माण

DIDF के लाभ

  • सरकार द्वारा किये गए निवेश के फलस्वरूप 50 हजार के गाँवों के साढ़े नौ लाख किसान लाभान्वित होंगे.
  • दुग्ध प्रसंस्करण की क्षमता में अतिरिक्त 126 लाख लीटर प्रतिदिन की बढ़ोतरी होगी.
  • दूध सुखाने की क्षमता भी 210 मेट्रिक टन प्रतिदिन के हिसाब से बढ़ जायेगी.
  • प्रतिदिन दूध को ठंडा करने की क्षमता में भी 140 लाख लीटर की वृद्धि होगी.
  • 28,000 थोक दुग्ध शीतक (Bulk Milk Coolers – BMCs) का अधिष्ठापन किया जायेगा.

Prelims Vishesh

NASA’s Orion spacecraft :-

  • नासा ने चंद्रमा और उसके पार मनुष्य को भेजने के अपने अभियान के अंतर्गत मानव सहित उड़ान के लिए Orion के अंतिरक्ष कैप्सूल की पैराशूट प्रणाली की अंतिम जाँच सफलतापूर्वक पूरी कर ली है.
  • नासा का Orion अन्तरिक्षयान इसलिए बनाया गया है कि मनुष्य को अन्तरिक्ष में उतनी दूर भेजा जा सके जहाँ वह आज तक नहीं गया है.

National Water Awards :-

  • भारत के जलसंसाधन मंत्रालय ने राष्ट्रीय जल पुरस्कार शुरू किये हैं.
  • यह पुरस्कार 13 श्रेणियों के लिए दिए जायेंगे, जैसे – गैर सरकार संगठन, ग्राम पंचायत, नगर निकाय, जल उपभोक्ता संघ, संस्थाएँ आदि.
  • ये पुरस्कार उन्हें दिया जायेंगे जिन्होंने जल के उपयोग, रीसाइक्लिंग तथा उसके पुनः उपयोग के क्षेत्र में काम किया है अथवा भूमि जल संसाधन विकास तथा पर्याप्त क्षमता निर्माण के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है.

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