Sansar डेली करंट अफेयर्स, 14 October 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 14 October 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Women and women related issues.

Topic : Kanyashree scheme

संदर्भ

विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं का मानना है कि कन्याश्री वृत्ति (Kanyashree stipends) मानव तस्करी को रोकने में सक्षम सिद्ध नहीं हो रही है. उनका कथन है कि मानव तस्करी एक जटिल समस्या है जिसका समाधान बालिकाओं को पाठशालाओं में बनाए रखने के लिए केवल आर्थिक सहायता देने से नहीं होगा.

कन्याश्री योजना क्या है?

कन्याश्री शशर्त नकद हस्तांतरण की एक योजना है जिसका उद्देश्य बालिकाओं की स्थिति और कल्याण में सुधार लाना है. इस उद्देश्य को पाने के लिए बालिका को पाठशाला में पढ़ते रहने के लिए और उसके विवाह को 18 वर्ष की उम्र तक टालने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. इस योजना को पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार मिला था.

योजना का प्रदर्शन

इस योजना के माध्यम से बालिकाओं के बैंक खातों में प्रत्येक वर्ष तब तक नकद जमा किया गया जब तक वे पाठशाला में पढ़ती रहीं और जब तक वे अविवाहित रहीं. इस योजना के फलस्वरूप बाल विवाह में अच्छी-खासी कमी देखी गई और साथ ही स्त्री-शिक्षा और स्त्री-सशक्तीकरण में वृद्धि हुई.

उल्लेखनीय है कि 2017 में कन्याश्री योजना के अंतर्गत सरकारी सुविधाएँ देने के मामले में संयुक्त राष्ट्र ने पश्चिम बंगाल सरकार को प्रथम स्थान दिया था.


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.

Topic : POSHAN Atlas

संदर्भ

भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन तथा दीन दयाल अनुसंधान संस्थान मिल कर पोषण अभियान के अंतर्गत एक पोषण मानचित्र तैयार कर रहे हैं.

पोषण मानचित्र का उद्देश्य

पोषण मानचित्र का उद्देश्य देश के विभिन्न क्षेत्रों में उपजाए जाने वाली अनाजों का मानचित्र तैयार करना है जिससे कि स्थानीय क्षेत्रों में पोषणयुक्त प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों को प्रोत्साहन दिया जा सके.

इस मानचित्र की आवश्यकता क्यों?

विश्व बैंक के 2018 से सम्बंधित वैश्विक पोषण प्रतिवेदन (Global Nutrition Report – 2018) के अनुसार, भारत में कुपोषण के चलते प्रतिवर्ष कम से कम 10 बिलियन डॉलर की क्षति हो रही है क्योंकि इसके कारण एक ओर जहाँ उत्पादकता घट रही है और रोग एवं मृत्यु की घटनाएँ घटित हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर मानव विकास में सुधार का मार्ग कुंठित हो रहा है तथा साथ ही बाल मृत्यु दर को घटाना कठिन हो रहा है.

कुपोषण को दूर करने के लिए समाधान इसमें है कि क्षेत्रीय फसल पद्धतियों को बढ़ावा दिया जाए तथा प्रोटीन से समृद्ध स्थानीय भोजन को अपनाया जाए. पोषण मानचित्र की सहायता से कुपोषण को दूर करने में सहायता मिलेगी.

सामुदायिक प्रबंधन और पोषण

अतिकुपोषण (acute malnutrition) से लड़ने के लिए यह आवश्यक है कि पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में हर प्रकार के कुपोषण पर ध्यान दिया जाए. इसके लिए यह आवश्यक होगा कि समुदाय के जो बच्चे अत्यधिक कुपोषण के शिकार हैं उनका पता लगाया जाए और साथ ही जिन बच्चों में कुपोषण का स्तर उतना नहीं है अर्थात् जिनको अभी उपचार की आवश्यकता नहीं है, उन सभी को घर पर पौष्टिक भोज्य पदार्थ दिए जाएँ.


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : Surakshit Matritva Aashwasan (Suman)

संदर्भ

पिछले दिनों भारत सरकार ने शून्य लागत पर गर्भवती महिलाओं, नई माताओं और नवजात शिशुओं को उत्तम स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए एक योजना आरम्भ की है जिसे “सुमनअर्थात् सुरक्षित मातृत्व आश्वासन नाम दिया गया है.

सुमन योजना क्या है?

  • सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर पहुँचने वाली प्रत्येक महिला और नवजात शिशु को उच्च कोटि की निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएँ देने के लिए यह योजना बनाई गई है. ये सुविधाएँ सभी गर्भवती महिलाओं, नवजातों और प्रसूति के बाद सभी महिलाओं को छह महीने तक दी जाएँगी.
  • इस योजना के अन्दर, सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर आने वाले सभी लाभार्थियों को विभिन्न प्रकार की निःशुल्क सेवाएँ दी जाती हैं, जैसे – गर्भ की पहली तिमाही समेत गर्भावस्था के समय कम से कम चार बार जाँच, लोहे और फोलिक अम्ल की गोलियाँ देना, धनुषटंकार (tetanus) और दिपथेरिया की सूई देना.
  • गर्भ के समय और गर्भ के पश्चात् होने वाली समस्या का निःशुल्क उपचार इस योजना में किया जाएगा.
  • सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में आने के लिए गर्भवती महिलाओं को सुविधा दी जायेगी और प्रसूति के बाद उन्हें 48 घंटों में घर पहुँचा भी दिया जायेगा.
  • प्रसूति में महिलाओं को कोई खर्च नहीं होगा चाहे यह प्रसूति सिजेरियन ही क्यों न हो.
  • यह योजना लागू होने पर गर्भवती महिलाओं और नई माँओं को उपचार की सेवा से कोई वंचित नहीं कर पाएगा.

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर से सम्बंधित वर्तमान आँकड़े

सरकार कह कहना है कि जहाँ 2004-06 में एक लाख बच्चों के जन्म के समय 254 माँएँ मृत्यु को प्राप्त हो जाती थीं, अब इनकी संख्या 2014-16 में 130 रह गई थी. जहाँ तक शिशु मृत्यु दर का प्रश्न है, जहाँ 2001 में यह दर 66 प्रति 1,000 जन्म थी, वह 2016 में घटकर 34 हो गई थी.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : ‘Green wall’ of India

संदर्भ

भारत सरकार भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में एक हरित भित्ति (green wall) बनाने की योजना पर विचार कर रही है.

प्रस्तावित हरित भित्ति क्या है?

  • जलवायु परिवर्तन से निपटने और मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए अफ्रीका में डाकर (Dakar) (सेनिगल) से लेकर जिबौती तक ग्रेट ग्रीन वाल बनाई गई है. इसी तर्ज पर प्रस्ताव है कि भारत में गुजरात से लेकर दिल्ली-हरियाणा सीमान्त तक 1,400 किलोमीटर लम्बी और 5 किलोमीटर चौड़ी हरित पट्टी बनाई जाए. इसे ही “हरित भित्ति” का नाम दिया गया है.
  • यदि यह प्रस्ताव अनुमोदित हो जाता है तो भारत में भूमि क्षरण को रोकने और थार मरुभूमि को पूर्व की ओर बढ़ने से रोकने की दिशा में यह एक युगांतरकारी कार्यक्रम सिद्ध होगा.
  • भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर भूक्षरण की शिकार भूमि को फिर से सामान्य बनाया जाए. यह प्रस्तावित कार्यक्रम इसी लक्ष्य की पुष्टि करेगा.
  • यह हरित भित्ति आवश्यक नहीं है कि लगातार सटी हो, परन्तु यह मोटे तौर पर समूची भूक्षरित अरावली श्रेणी को आच्छादित करेगी और इसके लिए वन लगाने का काम जोर-शोर से किया जाएगा.

अरावली श्रेणी और उसका महत्त्व

  • अरावली पहाड़ियाँ विश्व की प्राचीनतम शृंखलाओं में से एक है. 
  • अरावली पहाड़ियाँ गुजरात, राजस्थान और हरियाणा होती हुईं दिल्ली तक जाती हैं. अरावली की बनावट कुछ ऐसी है कि यह पश्चिमी भारत और पाकिस्तान की मरुभूमियों से आती हुईं धूल को रोकने का काम करती हैं.
  • हरियाणा में इन पहाड़ियों पर 400 से अधिक प्रजातियों के देशी पेड़, झाड़ियाँ और घास-पात हैं. साथ ही यहाँ 200 देशी और बाहर से उड़कर आने वाली चिड़ियों की प्रजातियाँ रहती हैं. इसके वन्यक्षेत्र में तेंदुएं, सियार, लकड़बग्घे, नेवले और सीवेट बिल्लियाँ पाई जाती हैं.
  • अरावली पहाड़ियाँ भूमिजल के फिर से भर जाने में बड़ी भूमिका निभाती हैं. विदित हो कि यह क्षेत्र पानी के अभाव के लिए जाना जाता है और यहाँ गर्मियों में भीषण गर्मी पड़ती है.
  • अरावली पहाड़ियों के जंगल हवा को प्राकृतिक रूप से शुद्ध करते हैं. विदित हो कि वाहनों एवं उद्योगों से उत्पन्न यहाँ की हवा वर्ष-भर प्रदूषित रहती है. ऐसे में अरावली का माहात्म्य समझा जा सकता है.

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चिंताएँ

  • 2017 के एक प्रतिवेदन में भारतीय वन्यजीव संस्थान ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित किया था कि हरियाणा में अरावली शृंखला के जंगल भारत के सबसे अधिक जीर्ण-शीर्ण जंगल हैं और यहाँ के अधिकांश देसी पौधे विलुप्त हो गये हैं.
  • जंगलों के तेजी से काटे जाने और निर्माण की गतिविधियों के कारण अरावली का अनूठा परिदृश्य नष्ट हो रहा है और इसके संरक्षण पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है.
  • पिछले वर्ष उत्तर भारत में असामान्य धूल की आंधियाँ और बवंडर चले थे और कभी-कभी साथ में ओले भी पड़े थे. ऐसा विशेषकर उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हुआ था. ऐसी आँधियों का बार-बार आना और तीव्रता से आना इस बात का संकेत है कि अरावली क्षेत्र में मरुभूमि का विस्तार हो रहा है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Awareness in space.

Topic : NASA ICON Mission

संदर्भ

पृथ्वी के आयन मंडल के सक्रिय जोनों का पता लगाने के लिए नासा ने ICON नामक एक उपग्रह छोड़ा है. यह उपग्रह फ्लोरिडा तट के निकट अटलांटिक महासागर के ऊपर एक विमान से छोड़ा गया.

ICON मिशन क्या है?

  • ICON का पूरा नाम है – Ionosphere Connection Explorer.
  • यह उपग्रह पृथ्वी के आयन मंडल का अध्ययन करेगा. ज्ञातव्य है कि आयन मंडल वायुमंडल की सबसे उपरी परत है जहाँ मुक्त इलेक्ट्रान प्रवाहित होते रहते हैं.
  • ICON मिशन का संचालन केलिफोर्निया विश्वविद्यालय करता है. Pegasus XL रॉकेट द्वारा इस बार प्रक्षेपित उपग्रह इस शृंखला का 39वाँ उपग्रह है.
  • इस उपग्रह में 780 वॉट सौर बिजली उपकरण लगे हुए हैं.

वायुमंडल की विभिन्न परतें

वायुमंडल की संरचना के सम्बन्ध में 20वीं शताब्दी में विशेष अध्ययन किये गए हैं. इस दिशा में तिज्रांस-डि-बोर, सर नेपियर शौ, फ्रैडले, कैनली, फेरेब आदि वैज्ञानिकों का विशेष योगदान रहा है. तापमान के उर्ध्वाधर वितरण के आधार पर वायुमंडल के प्रमुख परतें (important layers) निम्नलिखित हैं –

क्षोभमंडल (TROPOSPHERE)

  • ट्रोपोस्फियर/विक्षोभ प्रदेश/Troposphere नामक शब्द का प्रयोग तिज्रांस-डि-बोर ने सर्वप्रथम किया था.
  • वायुमंडल की इस सबसे नीचली परत (bottom layer) का भार सम्पूर्ण वायुमंडल का लगभग 15% है.
  • धरातल से इस परत की औसत ऊँचाई 10 कि.मी. है. भूमध्य रेखा पर ऊँचाई 18 कि.मी. और ध्रुवों पर 8-10 कि.मी. है.
  • ग्रीष्म ऋतु में इस स्तर की ऊँचाई में वृद्धि और शीतऋतु में कमी पाई जाती है.
  • इस मंडल की प्रमुख विशेषता है प्रति 165 मी. की ऊँचाई पर तापमान में 1 डीग्री सेल्सियस की गिरावट आना. इसमें सर्वाधिक क्षैतिज और लम्बवत तापान्तर होता है.
  • इस भाग में गर्म और शीतल होने का कार्य विकिरण, संचालन और संवहन द्वारा होता है.
  • इस मंडल को परिवर्तन मंडल भी कहते हैं. समस्त मौसमी घटनाएँ भी इसी मंडल में घटित होती हैं.
  • इस मंडल की एक और विशेषता यह है कि इसके भीतर ऊँचाई में वृद्धि के साथ वायुवेग में भी वृद्धि होती है.
  • संवहनी तरंगों तथा विक्षुब्ध संवहन के कारण इस मंडल को कर्म से संवहनी मंडल और विक्षोभ मंडल भी कहते हैं.

समताप मंडल (STRATOSPHERE)

  • क्षोभ सीमा से ऊपर 50 कि.मी. की ऊँचाई तक समताप मंडल का विस्तार है.
  • कुछ विद्वान् ओजोन मंडल को भी इसी में समाहित कर लेते हैं.
  • इस मंडल में तापमान में कोई परिवर्तन नहीं होता और संताप रेखाएँ समानंतर न होकर लम्बवत होते हैं.
  • यहाँ संघनन से विशिष्ट प्रकार के “मुकताभ मेघ” की उत्पत्ति होती है और एवं गिरने वाले बूदों को Noctilucent कहते हैं.
  • इस मंडल की मोटाई ध्रुवों पर सर्वाधिक और विषुवत रेखा पर सबसे कम होती है.
  • शीत ऋतु में 50 डिग्री से 60 डिग्री अक्षाशों के बीच समताप मंडल सर्वाधिक गर्म होता है.
  • यह मंडल मौसमी घटनाओं से मुक्त होता है, इसलिए वायुयान चालकों के लिए उत्तम होता है.
  • 1992 में समताप मंडल (stratosphere) की खोज एवं नामाकरण तिज्रांस-डि-बोर ने किया था.

मध्य मंडल (MESOPHERE)

  • 50 से 85 कि.मी. की ऊँचाई वाला वायुमंडलीय भाग मध्य मंडल (mesophere) कहलाता है जिसमें तापमान में ऊँचाई के साथ ह्रास होता है.
  • 85 कि.मी. की ऊँचाई पर तापमान -80 डिग्री सेल्सियस हो जाता है, इस न्यूनतम तापमान की सीमा को “मेसोपास” कहते हैं.

थर्मोस्फीयर

  • यह मध्य मंडल के ठीक ऊपर शुरू होता है और 600 किलोमीटर की ऊँचाई तक जाता है.
  • इसी परत में Aurora अर्थात् प्रकाश पुंज दीखते हैं.

आयन मंडल (IONOSPHERE)

  • धरातल से 80-640 कि.मी. के बीच आयन मंडल का विस्तार है.
  • यहाँ पर अत्यधिक तापमान के कारण अति न्यून दबाव होता है. फलतः पराबैगनी फोटोंस (UV photons) एवं उच्च वेगीय कणों के द्वारा लगातार प्रहार होने से गैसों का आयनन (Ionization) हो जाता है.
  • आकाश का नील वर्ण, सुमेरु ज्योति, कुमेरु ज्योति तथा उल्काओं की चमक एवं ब्रह्मांड किरणों की उपस्थिति इस भाग की विशेषता है.
  • यह मंडल कई आयनीकृत परतों में विभाजित है, जो निन्मलिखित हैं :–

i) D का विस्तार 80-96 कि.मी. तक है, यह पार्ट दीर्घ रेडियो तरंगों को परावर्तित करती है.

ii) E1 परत (E1 layer) 96 से 130 कि.मी. तक और E2 परत 160 कि.मी. तक विस्तृत हैं. E1 और E2 परत मध्यम रेडियो तरंगों को परावर्तित करती है.

iii) F1 और F2 परतों का विस्तार 160-320 कि.मी. तक है, जो लघु रेडियो तरंगो (radio waves) को परावर्तित करते हैं. इस परत को एप्लीटन परत (appleton layer) भी कहते हैं.

iv) G परत का विस्तार 400 कि.मी. तक है. इस परत (layer) की उत्पत्ति नाइट्रोजन के परमाणुओं व पराबैगनी फोटोंस (UV photons) की प्रतिक्रिया से होती है.

बाह्य मंडल (EXOSPHERE)

  • सामान्यतः 640 कि.मी. के ऊपर बाह्य मंडल का विस्तार पाया जाता है.
  • यहाँ पर हाइड्रोजन एवं हीलियम गैसों की प्रधानता है.
  • अद्यतन शोधों के अनुसार यहाँ नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीलियम तथा हाइड्रोजन की अलग-अलग परतें (different layers) भी होती हैं.
  • लेमन स्पिट्जर ने इस मंडल पर विशेष शोध किया है.

Prelims Vishesh

World Mental Health Day 2019 :-

  • प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी अक्टूबर 10 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया.
  • इस बार की थीम थी – “मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा और आत्महत्या की रोकथाम.”
  • विदित हो कि यह दिवस 1992 से मनाया जाता है.

Gagan Enabled Mariner’s Instrument for Navigation and Information (GEMINI) :-

  • GEMINI एक ऐसा उपाय है जिससे मछुआरों को आकस्मिक आपदा की चेतावनी दी जाती है.
  • जब मछुआरे समुद्र तट से 10 से 12 किलोमीटर अन्दर चले जाते हैं तो एक ब्लूटूथ के माध्यम से उनके बारे में आवश्यक जानकारियों का आदान प्रदान होता है.
  • ये सूचनाएँ नौ प्रादेशिक भाषाओं में उपलब्ध होती हैं.

Carpet Export Promotion Council (CEPC) :

  • कालीन निर्यात प्रोत्साहन परिषद् (CEPC) भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के द्वारा संचालित एक लाभ रहित संगठन है जिसकी स्थापना 1982 में इन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए हुई थी – कालीन, रग, फर्श आवरण और सम्बद्ध हस्तशिल्प.
  • विदित हो कि भारत के हाथ से बने कालीनों का उद्योग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में शीर्षस्थ श्रेणी का माना जाता है.

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