Sansar डेली करंट अफेयर्स, 14 November 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 14 November 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability.

Topic : Chief Justice of India’s office under RTI Act

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले दिनों यह व्यवस्था दी कि भारत का मुख्य न्यायाधीश सूचना अधिकार अधिनियम के तहत एक लोक अधिकारी है.

सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय मुख्य न्यायाधीश रंजन गगोई की अध्यक्षता में गठित एक पंचसदस्ययीय संवैधानिक बेंच ने किया है.

आदेश के पीछे का तर्क यह दिया कि सर्वोच्च न्यायालय एक “लोक प्राधिकार” (public authority) है और भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद इस संस्था का एक अंग है. अतः सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद भी एक लोक प्राधिकार है.

पृष्ठभूमि

पूर्व में दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी थी कि मुख्य न्यायाधीश सूचना अधिकार की परिधि में आता है. इस आदेश को कुछ लोगों ने चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. इसी प्रसंग में उपर्युक्त निर्णय आया है.

सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य टिप्पणियाँ

  • पारदर्शिता से न्यायिक स्वतंत्रता को आँच नहीं आती.
  • गोपनीयता और निजता का अधिकार को बनाये रखना आवश्यक है. अतः सूचना अधिकार का प्रयोग निगरानी के एक साधन के रूप में नहीं किया जा सकता.

सूचना अधिकार अधिनियम क्या कहता है?

सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत प्रत्येक लोक प्राधिकार को अधिनियम के अंतर्गत किसी व्यक्ति से मांगी गई सूचना देना अनिवार्य है.

अधिनियम में लोक प्राधिकार को संविधान के अधीन अथवा संविधान के द्वारा स्थापित निकाय के रूप में परिभाषित किया गया है. विदित हो कि संविधान की धारा 124 सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना से सम्बंधित है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Green Climate Fund

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की भागीदारी में भारत सरकार ने देश के तीन समुद्र तटीय राज्यों में जलवायु प्रतिरोध को बढ़ावा देने के लिए 43 मिलियन डॉलर की ग्रीन क्लाइमेट फण्ड द्वारा वित्तपोषित एक परियोजना का अनावरण किया है जिसका वहाँ रह रहे 10 मिलियन लोगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशा है.

विवरण

  • यह एक छह-वर्षीय परियोजना है.
  • इससे आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा के 1.7 मिलियन लोगों की आजीविका को जलवायु प्रभाव से रहित बनाया जाएगा.
  • परियोजना के माध्यम से 3.5 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जित नहीं होने दिया जाएगा. संकट प्रवण पारिस्थितिकी को सुरक्षित किया जाएगा तथा तटीय सुरक्षा सुधार कर 10 मिलियन और लोगों को लाभ पहुँचाया जाएगा.
  • पारिस्थितिकी को पहले की दशा में लाने के लिए और मिट्टी में पाए जाने वाले केंकड़ों की खेती जैसे जलवायु से अप्रभावित होने वाले आजीविका के विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए इस परियोजना में समुदायों का सहयोग लिया जाएगा.

हरित जलवायु कोष (GCF) क्या है?

हरित जलवायु कोष की स्थापना 2010 में विकसित देशों से धन लेकर विकासशील देशों को मुहैया करवाने के विषय में UNFCCC (United Nations Framework Convention on Climate Change) के द्वारा विकसित वित्तीय प्रणाली के तहत जलवायु परविर्तन से सम्बंधित संकट को कम करने के लिए की गई थी. यह 2015 में हस्ताक्षरित पेरिस जलवायु समझौते का एक प्रमुख अंग था.

GCF के कार्य

  • GCF का मुख्य कार्य विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित परियोजनाओं, कार्यक्रमों, नीतियों एवं अन्य गतिविधियों के लिए कोष की व्यवस्था करना है.
  • इसका लक्ष्य है 2020 तक जलवायु के लिए 100 बिलियन डॉलर की राशि जमा करना.
  • यह कोष ऐसे विकास को बढ़ावा देता है जिसमें उत्सर्जन कम हो और जिसमें जलवायु परिवर्तन को झेलने की क्षमता हो और इसके लिए यह विकासशील देशों को ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को रोकने अथवा घटाने में सहायता देता है.
  • यह कोष उन विकासशील देशों की आवश्यकताओं का विशेष ध्यान रखता है जहाँ जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव होने की सम्भावना कम अधिक रहती है.

कोष का प्रशासी बोर्ड

इस कोष का प्रशासन एवं पर्यवेक्षण एक बोर्ड द्वारा किया जाता है जो कोष मुहैया करने से सम्बंधित निर्णयों के लिए उत्तरदायी होता है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Pamba-Achankovil-Vaippar river link project

संदर्भ

नदी संयोजन परियोजना के अंतर्गत अभिकल्पित पम्बा-अचनकोविल-वैप्पर परियोजना का केरल सरकार विरोध कर रही है और इसके कार्यान्यवन को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. वह नहीं चाहती है कि इस परियोजना में तमिलनाडु की वैप्पर नदी को सम्मिलित किया जाए क्योंकि उसके विचार से पम्बा और अचनकोविल में अधिकाई जल का अभाव है.

ज्ञातव्य है कि इस परियोजना के अनुसार केरल की पम्बा और अचनकोविल नदियों से 634 क्यूबिक जल की दिशा मोड़ते हुए उसे तमिलनाडु की वैप्पर घाटी तक पहुँचाया जाना है.

नदी संयोजन के लाभ

  • इससे सुखाड़-उन्मुख तथा जल की कमी वाले क्षेत्रों को पानी मिलेगा और फसल की पैदावार बढ़ेगी.
  • नदी संयोजन परियोजनाओं को लागू करने से हिमालय से निकलने वाली नदियों में उपलब्ध अतिरिक्त पानी प्रायद्वीपीय भारत की ओर स्थानांतरित किया जायेगा, जहाँ पानी की कमी रहती है. प्रायद्वीपीय नदियों का भी बहुत सारा पानी समुद्र में चला जाता है और उसका कोई उपयोग नहीं होता है. ऐसे पानी को प्रायद्वीप के कम पानी वाले क्षेत्रों की ओर नदी संयोजन परियोजनाओं के माध्यम से ले जाया जायेगा.
  • विदित हो कि गंगा घाटी और ब्रह्मपुत्र घाटी में लगभग हर वर्ष बाढ़ आती है. नदी संयोजन परियोजनाओं के माध्यम से इन घाटियों में बह रही नदियों के जल की दिशा दूसरे कम पानी वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित करने से बाढ़ की समस्या का समाधान सम्भव है.
  • नदियों को जोड़ने से घरेलू जलमार्ग के रूप में इनका उपयोग हो सकता है. ऐसा करने से सार्वजनिक यातायात और माल ढुलाई पहले से तीव्र हो जायेगी.
  • नदी संयोजन से यह लाभ होगा बनाई गई नई नहरों के आस-पास रहने वाले लोगों को रोजगार मिलेगा और मछली पालन का काम भी बड़े पैमाने पर हो सकेगा.

नदी संयोजन के संभावित दुष्प्रभाव

  • नदियों को जोड़ने से वर्तमान पर्यावरण में बहुत बड़ी उथल-पुथल होगी. इसके लिए नहरें और जलाशय बनाए जायेंगे जिनके चलते बहुत बड़े पैमाने पर जंगलों की सफाई की जायेगी. इसका प्रभाव वर्षा पर पड़ेगा और अंततः सम्पूर्ण जीवन चक्र प्रभावित हो जायेगा.
  • नदियों को जोड़ा भी जाए तो ऐसा अनुमान है कि 100 वर्ष के अन्दर ये अपना रास्ता और दिशा फिर से बदल सकते हैं.
  • नदियों के संयोजन से एक हानि यह है कि समुद्र में प्रवेश करने वाले मीठे जल की मात्रा घट जाएगी जिसके कारण सामुद्रिक जीवन तंत्र पर गंभीर संकट उत्पन्न हो जाएगा और यह एक महान् पर्यावरणिक आपदा सिद्ध होंगे.
  • बहुत सारी नहरों और जलाशयों के निर्माण से लोगों को विस्थापित करना आवश्यक हो जायेगा और इनका पुनर्वास करना एक समस्या हो जाएगी.
  • नदी संयोजन के परियोजनाओं पर संभावित खर्च बहुत विशाल होगा और इसके लिए सरकार को विदेशी स्रोतों से ऋण लेना होगा. फलतः देश ऋण के जाल में फँस सकता है.

GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Awareness in the fields of IT, Space, Computers, robotics, nano-technology, bio-technology and issues relating to intellectual property rights.

Topic : BHIM UPI goes international

संदर्भ

सिंगापुर में चल रहे फिनटेक उत्सव 2019 में पिछले दिनों BHIM UPI QR-आधारित भुगतान का प्रायोगिक डेमो चलाया गया और इस प्रकार भीम ऐप अंतर्राष्ट्रीय ऐप बन गया.

  • QR कोड पर आधारित इस प्रणाली के चलते BHIM ऐप का कोई भी धारक सिंगापुर के NETS भुगतान टर्मिनलों पर SGQR को स्कैन कर सकता है.
  • इस परियोजना का निर्माण NPCI और सिंगापुर के NETS ने मिलकर किया है और फरवरी 2020 से इसे सक्रिय बनाने का लक्ष्य रखा गया है.

BHIM क्या है?

  • इसका पूरा नाम Bharat Interface for Money (BHIM) है.
  • इसमें UPI आधारित भुगतान की सुविधा होती है.
  • इसका निर्माण राष्ट्रीय भारतीय भुगतान निगम (NPCI) ने किया है और इसका अनावरण दिसम्बर, 2016 में हुआ था.
  • इसके अंतर्गत होने वाला निधि हस्तांतरण तत्क्षण होता है.

UPI क्या है?

समेकित भुगतान इंटरफ़ेस (UPI) NPCI और RBI द्वारा निर्मित एक प्रणाली है जो एक नकद रहित प्रणाली का उपयोग करते हुए धन का तत्काल स्थानान्तरण करने में सहायक होती है. UPI का उपयोग करने के लिए एक स्मार्टफ़ोन और एक बैंकिंग एप की आवश्यकता होती है जिसके माध्यम से धन को तत्काल भेजा या पाया जा सकता है अथवा व्यापारी खुदरा खरीद के लिए भुगतान कर सकता है. आगे चलकर, UPI संभवतः आज के NEFT, RTGS और IMPS का स्थान ग्रहण कर लेगी.

यह कैसे काम करता है?

IMPS पर आधारित UPI के माध्यम से बैंक खाते से तुरंत और प्रत्यक्ष रूप से भुगतान हो जाता है. इसके लिए वॉलेट में पहले से पैसा भरना आवश्यक नहीं होता है. इसके माध्यम से एक से अधिक व्यवसाइयों को कार्ड का ब्यौरा टाइप किये बिना अथवा नेट बैंकिंग का पासवर्ड लिखे बिना भुगतान किया जाता है. UPI 2.0 हाल ही में भारत के राष्ट्रीय भुगतान निगम ने (National Payments Corporation of India – NPCI) UPI 2.0 को आरम्भ किया है जो UPI अर्थात् समेकित भुगतान इंटरफ़ेस का एक उत्क्रमित एवं नवीकृत संस्करण है. UPI के इस नवीनतम संस्करण में 4 नई विशेषताएँ हैं जिनसे यह उपभोक्ताओं के लिए अधिक आकर्षक एवं सुरक्षित बन गया है. अब उपभोक्ता अपने ओवरड्राफ्ट खाते को UPI से जोड़ सकेंगे. साथ ही इसमें एककालिक मेनडेट की सुविधा होगी तथा बाद की तिथि में भुगतान करने के लिए पहले ही प्राधिकृत करने की सुविधा भी होगी. इस UPI की चौथी विशेषता यह है कि उपभोक्ता व्यवसायी के द्वारा भेजे गये invoice को भुगतान करने के पहले जाँच सकेंगे.

UPI अनूठा कैसे है?

  • इसमें 365 दिन 24×7 अवधि में मोबाइल से धन तुरंत हस्तांतरित हो जाता है.
  • यह ऐसा एकल मोबाइल ऐप है जिसकी पहुँच अलग-अलग बैंक खातों तक होती है.
  • इसमें एक क्लिक से भुगतान हो जाता है.
  • ग्राहक को कार्ड नंबर, खाता नंबर, IFSC जैसे विवरण नहीं देने होते हैं.
  • इसके माध्यम से दोस्तों के साथ बिल साझा हो जाता है.
  • UPI ATM जाने से बचाता है और घर बैठे काम हो जाता है.
  • इससे मर्चेंट और इन-ऐप भुगतान भी हो जाता है.

UPI के प्रतिभागी

  • भुगतान करने वाला PSP
  • भुगतान पाने वाला PSP
  • पैसा भेजने वाला बैंक
  • पैसा पाने वाला बैंक
  • NPCI
  • बैंक खाता धारक
  • व्यापारी

भारत का राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI)

  • भारत का राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) भारत में सभी खुदरा भुगतान प्रणाली के लिए एकछत्र संगठन है.
  • दस बैंक इसके प्रोमोटर हैं.
  • निगम का प्रमुख उद्देश्य नकद रहित लेन-देन को बढ़ावा देना है.
  • इसे सफलतापूर्वक RuPay नामक घरलू कार्ड भुगतान नेटवर्क ने विकसित किया है जिसके कारण विदेशी कार्डों पर निर्भरता घटी है.
  • NPCI को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) के मार्गदर्शन और समर्थन के साथ स्थापित किया गया था.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Climate change is damaging health of children, says Lancet report

संदर्भ

लैंसेट नामक संस्था ने एक प्रतिवेदन प्रकाशित किया है जिसका शीर्षक है – स्वास्थ्य एवं जलवायु परिवर्तन की उलटी गिनती (Countdown on Health and Climate Change).

इस प्रतिवेदन में 41 मुख्य संकेतकों के अंतर्गत हुई प्रगति का वर्षवार व्यापक विश्लेषण किया गया है और यह दर्शाया गया है कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पाने के लिए क्या कार्रवाई अपेक्षित होगी.

इस प्रतिवेदन को तैयार करने में 35 संस्थाओं के 120 विशेषज्ञों के अतिरिक्त जिन संस्थाओं का सहयोग मिला है, वे हैं – विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन और बीजिंग का सिंगुआ विश्वविद्यालय.

मुख्य निष्कर्ष

  • जलवायु परिवर्तन से अभी ही विश्व के बच्चों के स्वास्थ्य को क्षति पहुँच रही है और यह पक्का है कि एक समूची पीढ़ी का कल्याण प्रभावित हो कर रहेगा यदि 2 डिग्री सेल्सियस के वैश्विक तापमान को नीचे रखने का लक्ष्य पूरा नहीं किया गया.
  • जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा शिशुओं को कुपोषण और भोजन के बढ़ते दामों का बोझ वहन करना होगा. विदित हो कि 1960 के दशक से भारत में मकई और धान की औसत उत्पादन क्षमता लगभग 2% घटी है.
  • पाँच वर्ष के कम के बच्चों में होने वाली दो तिहाई मृत्यु का उत्तरदायी कुपोषण ही है.
  • जलवायु से सामंजस्य बनाने में समर्थ विब्रियो (vibrio) बैक्टीरिया के कारण 80 के दशक से ही भारत में 3% की दर से हैजा बढ़ रहा है. अन्य संक्रामक रोग भी बढ़ेंगे ऐसी संभावना है.
  • बच्चों के मरने का प्रधान कारण अतिसार नए-नए क्षेत्रों में फ़ैल जाएगा.
  • 2015 जैसी लू का आना सामान्य बात हो जायेगी. स्मरण रहे कि उस वर्ष भारत में हजारों लोग इसके प्रकोप से दिवंगत हो गये थे.

भारत के लिए चुनौतियाँ

  • पिछले दो दशकों में भारत सरकार ने यूँ तो कई कार्यक्रम चलाए हैं, परन्तु इन कार्यक्रमों से लोक स्वास्थ्य को होने वाले लाभ जलवायु परिवर्तन के कारण व्यर्थ होते दिख रहे हैं.
  • यदि विश्व चाहता है कि वह संयुक्त राष्ट्र जलवायु लक्ष्य पाले और अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य को बचा ले तो उसको ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े-बड़े कदम उठाने पड़ेंगे और वह भी शीघ्र ही.
  • 2019 से 2050 तक जीवाश्म CO2 उत्सर्जन में प्रत्येक वर्ष लगातार 7.4% कटौती किये बिना वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक लाना संभव नहीं हो पायेगा.

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