Sansar डेली करंट अफेयर्स, 14 December 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 14 December 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : Havana syndrome

संदर्भ

लगभग चार वर्ष पूर्व, हवाना सिंड्रोम (Havana syndrome) नामक एक रहस्यमय न्यूरोलॉजिकल बीमारी से, क्यूबा, ​​चीन और अन्य देशों में तैनात अमेरिकी राजनयिक और खुफिया अधिकारी, ग्रसित हो गए थे.

अब, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (NAS) की एक रिपोर्ट में, इस बीमारी का संभावित कारण ‘निर्देशित’ माइक्रोवेव विकिरण (directed microwave radiation) बताया गया है.

हवाना सिंड्रोम’ क्या है?

  1. वर्ष 2016 के अंत में, हवाना में तैनात कई अमेरिकी राजनयिक और अन्य कर्मचारी, अपने होटल अथवा घरों में अजीबोगरीब ध्वनियां सुनाई देने और शरीर में अजीब सनसनी महसूस होने के बाद, बीमार हो गए थे.
  2. इसके अतिरिक्त, मतली आने, गंभीर सिरदर्द, थकान, चक्कर आने, नींद की समस्या और श्रवण-ह्रास आदि लक्षण पाए गए. इस बीमारी को तब से हवाना सिंड्रोम” के रूप में जाना जाता है.

हवाना सिंड्रोम’ के कारण

  1. समिति द्वारा जांच किए गए मामलों की व्याख्या करने पर, निर्देशित’ स्पंदित रेडियो आवृत्ति ऊर्जा (Directed pulsed Radio Frequency energy) को ‘हवाना सिंड्रोम’ का सर्वाधिक संभावित कारण पाया गया है.
  2. इस बीमारी से संक्रमित होने पर, रोगी को पीड़ादायक सनसनाहट और भिनभिनाहट की आवाज का अनुभव होता है, और ये एक विशेष दिशा से या कमरे में एक विशिष्ट स्थान से उत्पन्न होती है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Climate Change Performance Index : CCPI

संदर्भ

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (Climate Change Performance Index – CCPI) के 2020 का संस्करण प्रकाशित कर दिया गया है.

सूचकांक के निष्कर्ष

  • वैश्विक स्तर पर कोई भी देश सदी के अंत तक वैश्विक तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे बनाए रखने के पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूर्ण करने की दिशा में अग्रसर नहीं है.
  • जी 20 देशों में से, केवल यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम और भारत को ही उच्च प्रदर्शन करने वालों में रैंक प्राप्त हुई है.
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन श्रेणी में किसी भी देश को अत्यधिक उच्च रैंक प्रदान नहीं की गई है.
  • जी 20 देशों में से 11 देशों को नवीकरणीय ऊर्जा श्रेणी में उनके प्रदर्शन के लिए कम या बहुत कम रैंक प्रदान की गई है. इससे यह प्रदर्शित होता है कि नवीकरणीय ऊर्जा के त्वरित उपयोग के माध्यम से उत्सर्जन को कम करने में सुधार की बहुत आवश्यकता है.
  • भारत ने “नवीकरणीय ऊर्जा” के अतिरिक्त सभी CCPI संकेतकों पर उच्च स्थान प्राप्त किया है.

CCPI क्या है?

  • इस सूचकांक की रुपरेखा जर्मनवाच नामक जर्मनी के एक संगठन ने किया है जो पर्यावरण और विकास से जुड़ा हुआ है. इस सूचकांक के प्रकाशन में जर्मनवाच का सहयोग जो संस्थाएँ करती हैं, वे हैं – New Climate Institute, Climate Action Network International और Barthel Foundation.
  • CCPI, वर्ष 2005 से प्रतिवर्ष प्रकाशित किया जा रहा है. यह 90 प्रतिशत से भी अधिक वैश्थिक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन करने वाले 57 देशों और यूरोपीय संघ (EU) का मूल्यांकन करता है.
  • यह अंतर्राष्ट्रीय जलवायु संबंधी राजनीति में पारदर्शिता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण साधन है. साथ ही, यह विभिन्‍न देशों द्वारा किए गए जलवायु संरक्षण प्रयासों और प्रगति की तुलना करने में सक्षम भी बनाता है.
  • जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें 58 देशों की रैंकिंग की जाती है और ऐसा समझा जाता है कि इससे जलवायु से सम्बन्धित अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पारदर्शिता बढ़ेगी.
  • इस सूचकांक का उद्देश्य उन देशों पर राजनैतिक और सामाजिक दबाव बनाना है जो जलवायु की रक्षा के लिए उपयुक्त कार्रवाइयाँ करने में अभी तक विफल रहे हैं.
  • साथ ही यह सूचकांक जलवायु की नीतियों के सन्दर्भ में प्रचलित उत्कृष्ट प्रथाओं की ओर भी ध्यान खींचता है.
  • इस प्रकार का सूचकांक पहली बार 2005 में प्रकाशित हुआ था. तब से प्रतिवर्ष यह संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रस्तुत किया जाता रहा है.
  • 2017 में इस सूचकांक की कार्यपद्धति में संशोधन करते हुए इसे पेरिस समझौते के अनुरूप ढाला दिया गया है. अब इसमें किसी देश की प्रगति इस सन्दर्भ में मापी जाती है कि उसने 2030 के लक्ष्यों तथा राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों (Nationally Determined Contributions (NDCs) के लिए क्या-क्या काम किये हैं.

राष्ट्रीय प्रदर्शन से सम्बंधित मूल्यांकन का आधार

इस सूचकांक में किसी राष्ट्र का मूल्यांकन 14 संकेतकों के आधार पर होता है, जो निम्नलिखित चार श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं –

  1. GHG उत्सर्जन (40% अंक)
  2. नवीकरणीय ऊर्जा (20% अंक)
  3. उर्जा का उपयोग (20% अंक)
  4. जलवायु नीति (20% अंक)

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.

Topic : India Post Payments Bank (IPPB)

संदर्भ

हाल ही में इंडिया पोस्ट पेमेन्ट्स बैंक (India Post Payments Bank) ने देश के प्रत्येक व्यक्ति को अत्याधुनिक बैंकिंग सुविधाओं का अनुभव कराने के उद्देश्य से अपनी डिजिटल भुगतान सेवा “डाकपे” (DakPay) की शुरुआत की है. देशभर के प्रत्येक नागरिक और विशेषरूप से अंतिम छोर पर विद्यमान लोगों तक वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराने के अपने प्रयासों के अंतर्गत “डाकपे” (DakPay) का अनावरण किया गया है.

‘डाकपे’ (DakPay) के बारे में

  • डाक विभाग (Department of Posts -DoP) और इंडिया पोस्ट पेमेन्ट्स बैंक (India Post Payments Bank -IPPB) ने ‘डाकपे’(DakPay) नाम के एक नए डिजिटल पेमेन्ट ऐप को लॉन्च किया है.
  • अपने प्रियजनों को पैसा भेजना (डोमेस्टिक मनी ट्रांसफर-डीएमटी), क्यूआरकोड को स्कैन कर विभिन्न सेवाओं के लिए दुकानदार को भुगतान करना (यूपीआई सुविधा और वर्चुअल डेबिट कार्ड), बायोमेट्रिक के माध्यम से नकदरहित व्यवस्था को सक्षम बनाना, किसी भी बैंक के ग्राहकों को अंतर-बैंकिंग सेवाएं प्रदान करना(एईपीएस), ज़रूरी सेवाओं के बिलों का भुगतान जैसी तमाम सेवाओं का लाभ इस ऐप के माध्यम से लिया जा सकता है.
  • ‘डाकपे’ एक डिजिटल पेमेन्ट ऐप के अतिरिक्त देशभर में फैले डाक विभाग के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से इंडिया पोस्ट और आईपीपीबी द्वारा प्रदान की जाने वाली डिजिटल वित्तीय और सहायक बैंकिंग सेवाओं का एक समूह है, जिसका उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों की वित्तीय ज़रूरतों (Pay) को पूरा करना है.
  • इस नई सेवा से न केवल बैंकिंग और डाक उत्पादों की ऑनलाइन सुविधा तक पहुंच बढ़ेगी, बल्कि इसकी एक खासियत यह भी है कि इसके माध्यम से ग्राहक डाक विभाग की वित्तीय सेवाओं का ऑनलाइन ऑर्डर करने के अतिरिक्त अपने घर पर ही इन सेवाओं का लाभ ले सकते हैं.
  • डाकपे ऐप ‘वास्तविक समावेशी वित्तीय व्यवस्था’ को कारगर बनाने की दिशा में समग्र वित्तीय समावेशन को दृढ़ता प्रदान करेगा.

IPPB क्या है?

  • भारत डाक भुगतान बैंक (IPPB) एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी होगी जो संचार मंत्रलाय के डाक विभाग के अधीनस्थ होगी. इसपर भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व होगा और RBI इसका प्रशासी निकाय (governed by) होगा.
  • इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के ज़रिये बैंकिंग सेवाएँ देश भर में दूरस्थ स्थानों और वहाँ रहने वाले लोगों तक बड़ी आसानी से पहुँच जाएंगी, जिसे वित्तीय समावेश की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है.
  • उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने इससे पूर्व वित्तीय समावेश सुनिश्चित करने के लिये ‘जन धन योजना’ शुरू की थी. इस अवसर पर 650 ज़िलों में IPPB की शाखाएँ खोली गईं.
  • देश भर में 1.5 लाख से भी अधिक डाकघर और तीन लाख से भी ज्यादा डाकिये या ‘ग्रामीण डाक सेवक’ हैं जो देश के लोगों से जुड़े हुए हैं.

मुख्य तथ्य

  • भारत डाक भुगतान बैंक ने 30 जनवरी, 2017 से काम का आरम्भ कर दिया था. आरम्भ में इसकी दो प्रायोगिक शाखाएँ खुली थीं, एक रायपुर और एक राँची में.
  • IPPB बचत खाते पर 4% का ब्याज देगा.
  • यह बैंक बेकिंग से सम्बंधित अन्य कार्य भी करेगा, जैसे – बचत और चालू खाते, धन स्थानान्तरण, प्रत्यक्ष लाभ स्थानान्तरण, बिल एवं यूटिलिटी भुगतान तथा मर्चेंट भुगतान.

Payment Bank की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें >> Payment Bank


GS Paper 4 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Public/Civil service values and Ethics in Public administration: Status and problems;

Topic : Hate Speech vs Free Speech

संदर्भ

उच्चतम न्यायालय के अनुसार घृणापूर्ण भाषण (hate speech) बहुलता के प्रति प्रतिबद्ध राजनीति में समानता के अधिकार को हानि पहुँचाती है.

अमीश देवगन बनाम भारत संघ वाद में दिए गए निर्णय में ‘हेट स्पीच’ की अवधारणा पर विस्तृत चर्चा की गई है.

मुख्य अवलोकन

हेट स्पीच” बनाम “फ्री स्पीच’: फ्री स्पीच में सरकारी नीतियों पर टिप्पणी करने, पक्ष लेने या आलोचना करने का अधिकार शामिल है; तथा हेट स्पीच में “किसी लक्षित समुदाय या समूह के विरुद्ध घृणा का सृजन या प्रचार करना शामिल है.

हेट स्पीच’ के अपराधीकरण का उद्देश्य: किसी व्यक्ति की गरिमा की रक्षा करना तथा जाति, पंथ, धर्म, लिंग, लैंगिक पहचान आदि की उपेक्षा करते हुए विभिन्‍न वर्गों और समूहों के मध्य राजनीतिक एवं सामाजिक समानता सुनिश्चित करना.

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि गरिमा” समाज के सदस्य के रूप में किसी व्यक्ति के बुनियादी अधिकारों को संदर्भित करती है, जो समाज में अच्छी स्थिति में है. साथ ही, किसी व्यक्ति के रूप में सम्मान या प्रतिष्ठा के किसी विशेष स्तर को संदर्भित नहीं करती है”, जैसा कि मानहानि के मामले में व्यक्तिपरक होती है.

घृणापूर्ण भाषण की पहचान करने के लिए परीक्षण

  • सर्वोच्च न्यायालय ने तीन भिन्न-भिन्न तत्त्वों को स्पष्ट किया है, जिनका विधायिका और न्यायालय द्वारा डेट स्पीच को परिभाषित करने व पहचानने के लिए प्रयोग किया जा सकता है.
  • भारत में किसी भी कानून में हेट स्पीच को परिभाषित नहीं किया गया है| हालांकि, हेट स्पीच से भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं यथा 155A, 295 आदि (सामान्यतः व्यक्तियों के एक समूह के विरुद्ध घृणा को उकसाने जैसे कृत्यों के विरुद्ध दंड) के तहत निपटा जाता है.

घृणा स्पीच का निर्धारण करने वाले तीन विशिष्ट तत्त्व

सामग्री-आधारित तत्त्व :-

इसमें सामान्यतः विशेष रूप से किसी समुदाय हेतु घृणास्पद और समाज के लिए निष्यक्ष रूप से अपकारक माने जाने वाले शब्दों एवं वाक्यांशों का प्रत्यक्ष उपयोग शामिल है. इसमें कुछ प्रतीकों और आइकोनोग्राफी (दृश्य कला में प्रतीकों का प्रयोग) का उपयोग भी सम्मिलित हो सकता है.

आशय-आधारित तत्त्व :-

इस श्रेणी में किसी भी वैध सन्देश को सम्प्रेषित किये बिना किसी विशेष वर्ग या समूह के विरुद्ध केवल घृणा, हिंसा या आक्रोश को बढ़ावा देने के लिए वक्ता को शामिल किया गया है.

क्षति-आधारित तत्त्व (या प्रभाव-आधारित तत्त्व) :-

‘हेट स्पीच’ के परिणामों को संदर्भित करता है, अर्थात्, पीड़ित को नुकसान जो हिंसक हो सकता है या जैसे आत्म-सम्मान की हानि आर्थिक या सामाजिक अधीनता, शारीरिक व मानसिक तनाव, पीड़ित को दबाना और राजनीतिक क्षेत्र से प्रभावी अपवर्जन आदि.


Prelims Vishesh

National Mission for Sustaining the Himalayan Ecosystem : NMSHE :-

  • हाल ही में, कश्मीर, सिक्किम और तेजपुर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में NMSHE के तहत 3 उत्सकृष्टता केंद्रों का उद्घाटन किया गया.
  • NMSHE को जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan on Climate Change) के तहत आरंभ किया गया था. इसका उद्देश्य हिमालय के हिमनदों और पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने तथा उनकी सुरक्षा के लिए प्रबंधन उपायों को विकसित करना है.
  • NMSHE में हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी में वृद्धि, समुदाय आधारित प्रबंधन को बढ़ावा देना, मानव संसाधन विकास और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना शामिल है.
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) इसके कार्यान्वयन का समन्वय करता है.

Eco-ducts or eco-bridges :-

  • हाल ही में, रामनगर वन प्रभाग (उत्तराखंड) ने सरीसृप और छोटे स्तनपायी जीवों के लिए अपना प्रथम इको-ब्रिज निर्मित किया है.
  • इको वाहिनी या इको-ब्रिज का उद्देश्य वन्यजीवों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करना है, जो राजमार्गों के निर्माण या वनों की कटाई के कारण बाधित हो जाती है.
  • इनमें कैनोपी ब्रिज (सामान्यतया बंदरों, गिलहरियों और अन्य वृक्षवासी प्रजातियों के लिए); कंक्रीट अंडरपास या ओवरपास सुरंगें या पुल (आमतौर पर बड़े जानवरों के लिए) तथा उभ्मयचर हेतु सुरंग या पुलिया शामिल हैं. सामान्यतः: इन पुलों को ऊपर से पादप आवरण से आच्छादित किया जाता है तथा ये वन परिदृश्य के समान हो जाते हैं.

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