Sansar डेली करंट अफेयर्स, 14 December 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 14 December 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources, issues relating to poverty and hunger.

Topic : India Skills Report

संदर्भ

इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2019-20 प्रकाशित हो चुका है.

इंडिया स्किल्स रिपोर्ट क्या है?

यह भारत कौशल से सम्बंधित एक प्रतिवेदन है जिसे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभा मूल्यांकन कम्पनी PeopleStrong ने भारतीय उद्योग संघ (Confederation of Indian Industry – CII) और उसके भागीदारों जैसे UNDP, AICTE और AIU के सहयोग से तैयार किया है.

इस प्रतिवेदन में कार्यबल में नए-नए सम्मिलित होने वाले प्रत्याशियों की नियुक्ति हेतु योग्यता का गहराई से अध्ययन होता है.

मुख्य निष्कर्ष

  • 2019 में 46.21% विद्यार्थी नियुक्ति के योग्य अथवा नौकरी के लिए तैयार पाए गये. ज्ञातव्य है कि यह प्रतिशत 2014 में 33 और 2018 में 47.38 था.
  • 2019 में नौकरी के लिए 47% लड़कियाँ योग्य पाई गईं. ज्ञातव्य है कि यह प्रतिशत 2017 में 38 और 2018 में 46 था.
  • जहाँ तक पाठ्यक्रमों का प्रश्न है, 54% के साथ MBA के छात्र नियुक्ति के लिए सर्वाधिक योग्य पाए गये. जबकि विगत दो वर्षों में यह प्रतिशत मात्र 40 था.
  • Tech, इंजीनियरिंग, MCA, तकनीकी और कंप्यूटर से सम्बंधित पाठ्यक्रमों के छात्रों की नौकरी हेतु योग्यता में गिरावट देखी गई.

राज्यवार स्थिति

  • वे तीन राज्य जहाँ छात्रों की नियुक्ति की संभावना सर्वाधिक थी – महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश.
  • दो शीर्षस्थ नगर जहाँ रोजगार की संभावना सर्वाधिक थी – मुंबई और हैदराबाद.
  • पश्चिम बंगाल और हरियाणा की रैंकिंग में गिरावट हुई और वे शीर्षस्थ दस राज्यों में नहीं आ सके.

आगे की राह

पिछले छह वर्षों में नौकरी के योग्य प्रतिभा की उपलब्धता बढ़ी है. अभी इसमें और भी सुधार की आवश्यकता है क्योंकि प्रधानमन्त्री का सपना है कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाए. इसके लिए प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी लानी होगी जो तभी संभव होगा जब लोग नौकरी पाएँ.


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Atal Bhujal yojana

संदर्भ

भारत सरकार का जल शक्ति मंत्रालय अटल भूजल योजना नामक एक केन्द्रीय प्रक्षेत्र की योजना चला रहा है जिसके लिए विश्व बैंक से 6,000 करोड़ रु. मिलेंगे.

इसमें भारत सरकार और विश्व बैंक आधा-आधा पैसा लगा रहे हैं. इस योजना का उद्देश्य देश में उन क्षेत्रों में भूजल के प्रबंधन को सामुदायिक सहयोग से सुधारना है जहाँ यह काम अपेक्षाकृत अधिक आवश्यक है.

इस योजना के अंतर्गत चुने गये ऐसे क्षेत्र जिन राज्यों के अन्दर पड़ते हैं, वे हैं – गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश.

ज्ञातव्य है कि देश में जिन प्रखंडों में भूजल का आवश्यकता से अधिक दोहन हुआ है और जहाँ भूजल की स्थिति अत्यंत विकट अथवा मात्र विकट है, उनमें से 25% प्रखंड उन्हीं राज्यों में स्थित हैं.

अटल भूजल योजना का कार्यान्वयन

केंद्र सरकार राज्यों को धनराशि देगी जिससे वे भूजल प्रशासन के लिए उत्तरदायी संस्थानों को सुदृढ़ करने के साथ-साथ भूजल प्रबंधन में सुधार लाने के काम में सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देंगे. इस प्रकार जल के संरक्षण और कुशल उपयोग के लिए समाज के व्यवहार में बदलाव लाया जाएगा.

प्रत्याशित परिणाम

आशा है कि इस योजना के कई सकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, जैसे –

  1. भूजल प्रणाली की बेहतर समझ.
  2. भूजल में कमी से सम्बंधित समस्याओं के समाधान के बारे में समुदाय के दृष्टिकोण में अंतर.
  3. पहले से चल रहीं और नई योजनाओं को एक साथ मिलकर भूजल का सतत प्रबंधन.
  4. सिंचाई के लिए भूजल के प्रयोग में कमी लाने के लिए वैकल्पिक उपायों को अपनाना.
  5. लक्षित क्षेत्रों में भूजल संसाधनों में बढ़ोतरी.

भारत में भूजल की स्थिति

भारत विश्व में सर्वाधिक भूजल का प्रयोग करता है. यहाँ भूजल का 90% पीने के लिए प्रयुक्त होता है. सिंचाई का 60-70% जल भी भूजल से ही आता है. शहरों में पानी की 50% आपूर्ति भी भूजल से ही होती है.

भूजल संकट के मुख्य कारण

  1. जलाशयों का अतिशय दोहन
  2. भूजल का प्रदूषण :- यह प्रदूषण आर्सेनिक और फ्लूराइड जैसे भूगर्भीय पदार्थों के कारण तो होता ही है, इसके लिए कचरे और अपशिष्ट जल का सही निपटारा नहीं होना भी एक प्रधान कारण है.
  3. अन्य उल्लेखनीय कारण हैं – जनसंख्या में वृद्धि, तेज शहरीकरण, औद्योगीकरण आदि.

राज्यों/संघीय क्षेत्रों में भूजल के विकास का नियमन केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण (Central Ground Water Authority – CGWA) करता है. इसने राज्य भूजल विभागों के साथ संयुक्त रूप से देश के भूजल संसाधनों का एक अध्ययन किया है. इसके अनुसार जिन 6584 मूल्यांकन इकाइयों (प्रखंड/तालुक/मंडल/जलच्छादन क्षेत्र/फिरका) में सर्वेक्षण हुआ, उनमें से 1034 इकाइयाँ ऐसी पाई गयीं जिन्हें “आवश्यकता से अधिक दोहन (over-exploited)” वाली श्रेणी में रखा गया.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : Rare Earth Elements

संदर्भ

सैन्य हथियारों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बनाने में काम आने वाले रेयर अर्थ खनिजों (REMs) की घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी सेना रेयर अर्थ निर्माण की सुविधा खड़ी करने के लिए वित्तपोषण की एक योजना बना रही है.

इस प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध के समय पहले परमाणु बम बनाने की मैनहटन परियोजना के पश्चात् पहली बार अमेरिकी सेना वाणिज्यिक स्तर पर रेयर अर्थ के उत्पादन में निवेश करने वाली है.

इसकी आवश्यकता क्यों आ पड़ी?

  • अमेरिकी सेना ने यह कदम इसलिए उठाया है कि चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार युद्ध में चीन ने यह धमकी दी है कि वह अमेरिका को रेयर अर्थ खनिजों का निर्यात रोक देगा.
  • ज्ञातव्य है कि चीन में ही विश्व के 80-90% रेयर अर्थ का प्रसंस्करण होता है और इस प्रकार उसकी आपूर्ति के ऊपर उसका अच्छा-ख़ासा नियंत्रण होता है.

रेयर अर्थ खनिज क्या हैं?

  • रेयर अर्थ खनिज 17 धात्विक तत्त्वों का एक समूह है. इस समूह में 15 लेंथनाइड (lanthanide) के अतिरिक्त स्कैंडियम (scandium) और इट्रियम (yttrium) भी होते हैं जिनके भौतिक और रासायनिक गुणधर्म लेंथनाइड जैसे ही होते हैं.
  • सभी रेयर अर्थ खनिजों में अनूठे कैटलिटिक (catalytic), धातु वैज्ञानिक, आणविक, विद्युतीय, चुम्बकीय और चमक के गुणधर्म होते हैं.
  • रेयर अर्थ का तात्पर्य यह नहीं है कि यह सचमुच में विरले ही होते हैं. सच्चाई यह है कि भूपर्पटी में ये प्रचुर मात्रा में मिल जाते हैं.

रेयर अर्थ खनिज किस काम में आते हैं?

  • दैनिक उपयोग में आने वाले उपकरण बनाने में, जैसे – लाइटर, काँच की पॉलिश, कार का अल्टरनेटर.
  • उन्नत तकनीक में, जैसे – लेजर, चुम्बक, बैटरी, फाइबर ऑप्टिक दूरसंचार तार.
  • भविष्य की तकनीकों में, जैसे – उच्च तापमान के सुपर कंडक्टर, हाइड्रोजन के निरापद भंडारण और परिवहन आदि.
  • अपने अनूठे गुणधर्मों के कारण रेयर अर्थ का प्रयोग उन तकनीकों में होता है जहाँ भार घटाने, उत्सर्जन को कम करने और ऊर्जा की खपत को सीमित करने की आवश्यकता होती है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Climate Change Performance Index (CCPI) 2019

संदर्भ

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (Climate Change Performance Index – CCPI) का नवीनतम संस्करण पिछले दिनों मेड्रिड में हुए जलवायु विषयक शिखर सम्मेलन में उपस्थापित किया गया.

CCPI क्या है?

  • इस सूचकांक की रुपरेखा जर्मनवाच नामक जर्मनी के एक संगठन ने किया है जो पर्यावरण और विकास से जुड़ा हुआ है. इस सूचकांक के प्रकाशन में जर्मनवाच का सहयोग जो संस्थाएँ करती हैं, वे हैं – NewClimate Institute, Climate Action Network International और Barthel Foundation.
  • जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें58 देशों की रैंकिंग की जाती है और ऐसा समझा जाता है कि इससे जलवायु से सम्बन्धित अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पारदर्शिता बढ़ेगी.
  • इस सूचकांक का उद्देश्य उन देशों पर राजनैतिक और सामाजिक दबाव बनाना है जो जलवायु की रक्षा के लिए उपयुक्त कार्रवाइयाँ करने में अभी तक विफल रहे हैं.
  • साथ ही यह सूचकांक जलवायु की नीतियों के सन्दर्भ में प्रचलित उत्कृष्ट प्रथाओं की ओर भी ध्यान खींचता है.
  • इस प्रकार का सूचकांक पहली बार 2005 में प्रकाशित हुआ था. तब से प्रतिवर्ष यह संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रस्तुत किया जाता रहा है.
  • 2017 में इस सूचकांक की कार्यपद्धति में संशोधन करते हुए इसे पेरिस समझौते के अनुरूप ढाला दिया गया है. अब इसमें किसी देश की प्रगति इस सन्दर्भ में मापी जाती है कि उसने 2030 के लक्ष्यों तथा राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों (Nationally Determined Contributions (NDCs) के लिए क्या-क्या काम किये हैं.

राष्ट्रीय प्रदर्शन से सम्बंधित मूल्यांकन का आधार

इस सूचकांक में किसी राष्ट्र का मूल्यांकन 14 संकेतकों के आधार पर होता है, जो निम्नलिखित चार श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं –

  1. GHG उत्सर्जन (40% अंक)
  2. नवीकरणीय ऊर्जा (20% अंक)
  3. उर्जा का उपयोग (20% अंक)
  4. जलवायु नीति (20% अंक)

मुख्य निष्कर्ष

  • इस सूचकांक में शीर्षस्थ दस देशों में भारत का रैंक 9वाँ है.
  • सबसे बुरा प्रदर्शन करने वाले देशों में पहली बार सऊदी अरब का स्थान अमेरिका ने ग्रहण कर लिया है.
  • स्वीडन को पहला स्थान मिला है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate / Conservation related issues.

Topic : IUCN Red List of Threatened Species

संदर्भ

संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature – IUCN) ने 1840 नई प्रजातियाँ जोड़ दी हैं जिस कारण अब इस सूची में 30,000 आ गई हैं.

IUCN की लाल सूची क्या है?

  • IUCN की लाल सूची संकटग्रस्त प्रजातियों की एक ऐसी सूची है जिसमें किसी भी पौधे अथवा प्राणी के वैश्विक संरक्षण की स्थिति दर्शाई जाती है.
  • यह सूची हजारों प्रजातियों के विलुप्त होने के संकट का मूल्यांकन कतिपय मानदंडों के आधार पर करती है. ये मानदंड अधिकांश प्रजातियों और विश्व के समस्त क्षेत्रों के लिए प्रासंगित होते हैं. इसका वैज्ञानिक आधार अत्यंत प्रबल होता है. अतः IUCN की लाल सूची को जैव विविधता की स्थिति से अवगत होने के लिए सर्वाधिक प्रमाणिक दस्तावेज माना जाता है.

लाल सूची की श्रेणियाँ

  • इसमें समस्त प्रजातियों की विलुप्ति से सम्बंधित 9 श्रेणियाँ होती हैं, जो NE (अमूल्यांकित) से लेकर EX (विलुप्त) तक होती हैं.
  • जिन प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है उन्हें अत्यंत सकंटग्रस्त (Critically Endangered), संकटग्रस्त (Endangered) और संकटापन्न (Vulnerable) श्रेणियाँ दी जाती हैं.

विलुप्ति के खतरे की जाँच के आधार

  1. प्रजाति विशेष की संख्या में गिरावट की दर
  2. भौगोलिक प्रसार क्षेत्र
  3. प्रजाति विशेष की संख्या पहले से भी कम है
  4. प्रजाति बहुत छोटी है अथवा एक सीमित क्षेत्र में ही रहती है
  5. क्या संख्यात्मक विश्लेषण यह इंगित करता है कि प्रजाति विशेष पर विलुप्ति का बड़ा खतरा है.

IUCN

  • आईयूसीएन की स्थापना अक्टूबर, 1948 में फ्रांस के फॉन्टेनबेलाऊ शहर में आयोजित हुए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रकृति के संरक्षण के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संघ ( International Union for the Protection of Nature or IUPN) के रूप में की गई थी.
  • 1956 में इस संघ का नाम IUPN से बदलकर IUCN कर दिया गया है अर्थात् अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature and Natural Resources)
  • आईयूसीएन दुनिया का पहला वैश्विक पर्यावरण संगठन है और आज के दिन में यह सबसे बड़ा वैश्विक संरक्षण नेटवर्क है.
  • इसका मुख्यालयस्विट्ज़रलैंड में जेनेवा के निकट Gland में है.
  • IUCN मानव का प्रकृति के साथ जो व्यवहार है उसका अध्ययन करता है और दोनों के बीच संतुलन को संरक्षित करता है.
  • यह जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ टिकाऊ विकास और खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों पर विचार करता है.

ICUN का माहात्म्य

ICUN की लाल सूची पृथ्वी की जैव विविधता के पतन की ओर ध्यान खींचती है और साथ ही यह दर्शाती है कि मानव के चलते धरती किस सीमा तक प्रभावित हो रही है. यह सूची विश्व-भर में स्वीकृत मानदंड पर आधारित होती है जिसके माध्यम से प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति मापी जाती है.

इस सूची के आधार पर वैज्ञानिक किसी श्रेणी विशेष की प्रजातियों के प्रतिशत का विश्लेषण करते हैं और पता लगाते हैं कि समय के साथ यह प्रतिशत कैसे बदलता है. वे प्रजातियों पर मंडराते संकट का विश्लेषण कर सकते हैं और संरक्षण के उन उपायों पर विमर्श कर सकते हैं जो विलुप्ति को रोकने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं.


Prelims Vishesh

Crystal award :-

  • 2020 के 26वें वार्षिक क्रिस्टल अवार्डों की घोषणा हो चुकी है.
  • ये पुरस्कार विश्व आर्थिक मंच (WEF) की ओर से उन अग्रणी कलाकारों और सांस्कृतिक व्यक्तियों को दिए जाते हैं जिनका नेतृत्व समावेशी एवं सतत परिवर्तन को प्रेरित करता है.

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