Sansar डेली करंट अफेयर्स, 14 December 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 14 December 2018


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic :  Telecom Disputes Settlement & Appellate Tribunal (TDSAT)

संदर्भ

विवाद निष्पादन एवं अपील पंचाट (Telecom Disputes Settlement & Appellate Tribunal – TDSAT) ने भारतीय टेलिकॉम नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India – TRAI) के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें “महत्त्वपूर्ण बाजार शक्ति” (significant market power – SMP) की परिभाषा को बदल दिया गया था. विदित हो कि SMP का प्रयोग प्रीडेटरी मूल्य (predatory pricing) की पहचान करने के लिए होता है. प्रीडेटरी मूल्य से अभिप्राय किसी कम्पनी द्वारा दाम को बहुत कम करके अन्य कंपनियों को क्षति पहुँचाना होता है. पंचाट के इस निर्णय से भारत के पुराने टेलिकॉम कंपनियों को बड़ी राहत मिली है.

TDSAT ने प्रीडेटरी मूल्य विनियम से सम्बंधित एक नियम को भी निरस्त कर दिया है जिसमें शीर्षस्थ टेलिकॉम कंपनियों को अपनी सभी शुल्क प्रतिवेदित करना होता है. यह नियम पारदर्शिता लाने और भेद-भाव समाप्त करने के उद्देश्य से बनाया गया था.

TDSAT क्या है?

  • नियामक ढाँचे में कार्य से सम्बंधित स्पष्टता लाने और उसे सुदृढ़ करने के उद्देश्य से तथा दूरसंचार प्रक्षेत्र के विवाद निष्पादन तन्त्र को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से वर्ष 2000 में TRAI अधिनियम, 1997 को संशोधित करते हुए TDSAT का गठन किया गया था. इसका काम दूरसंचार से सम्बंधित विवादों का निर्णय करने एवं अपील का निष्पादन करना है जिससे कि टेलिकॉम सेवा प्रदान करने वालों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके.
  • जनवरी, 2004 में सरकार ने TRAI अधिनियम के क्षेत्राधिकार में प्रसारण एवं केबल सेवाओं को भी सम्मिलित कर लिया था.
  • TDSAT का क्षेत्राधिकार उन विषयों पर भी है जो साइबर अपीलीय पंचाट (Cyber Appellate Tribunal) तथा वायुपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण के समक्ष विचाराधीन हैं.

TDSAT का स्वरूप

  • इस पंचाट में एक अध्यक्ष और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो सदस्य होते हैं.
  • पंचाट का अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय का सेवारत अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीश अथवा किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश होता है.
  • इसका सदस्य उस अधिकारी को बनाया जाता है जो भारत सरकार में सचिव के पद पर अथवा उसी के समकक्ष केन्द्रीय सरकार के किसी पद पर रहा हो.
  • राज्य सरकार का जो अधिकारी केंद्र सरकार के सचिव के समकक्ष पद पर कम से कम दो वर्ष रहा हो तो वह भी इस पंचाट का सदस्य हो सकता है. इसके अतिरिक्त वह व्यक्ति भी इस पंचाट का सदस्य हो सकता है जिसे प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, उद्योग, वाणिज्य अथवा प्रशासन का अच्छा ज्ञान और अनुभव हो.

TDSAT की शक्तियाँ और क्षेत्राधिकार

  • TRAI (संशोधन) अधिनियम 1997, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2008 एवं भारतीय वायुपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण अधिनयम, 2008 के अनुसार TDSAT को दूरसंचार, प्रसारण, सूचना प्रौद्योगिकी एवं वायुपत्तन शुल्क के मामलों से सम्बंधित अपील सुनने का अधिकार है.
  • दूरसंचार, प्रसारण एवं वायुपत्तन शुल्क के मामलों में इस पंचाट को मूल सुनवाई और अपीलीय सुनवाई दोनों का अधिकार है.
  • साइबर मामलों के लिए इस पंचाट के पास केवल अपीलीय क्षेत्राधिकार होता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic :  Dam Safety Bill 2018

संदर्भ

हाल ही में सरकार ने लोक सभा में बाँध सुरक्षा विधयेक (Dam Safety Bill) प्रस्तुत किया जिसका उद्देश्य बाँधों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारों के अधीन एक सुदृढ़ कानूनी एवं संस्थागत ढाँचे का प्रावधान करना है जिससे राज्य एवं केंद्र शाषित क्षेत्र जलाशयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समरूप प्रक्रियाओं को अपना सकें.

इस संदर्भ में ज्ञातव्य है कि बाँध एवं जलाशय केंद्र की कार्यसूची में नहीं अपितु राज्यों की कार्यसूची में आते हैं, परन्तु फिर भी केंद्र इस मामले में पहल इसलिए कर रहा है कि बाँध सुरक्षा पूरे देश के लिए चिंतनीय विषय है और इस प्रकार की सुरक्षा के लिए अभी तक कोई कानूनी उपाय नहीं हुए हैं.

बाँध सुरक्षा विधयेक, 2018 के मुख्य तथ्य

  • यह विधेयक देश के सभी चिन्हित बांधों की उचित देख-रेख, ​​निरीक्षण, संचालन और रख-रखाव का प्रावधान करता है जिससे कि बांधों का सुरक्षित संचालन सुनिश्चित किया जा सके.
  • इस विधेयक (Dam Safety Bill, 2018) के अनुसार एक राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा समिति बनाई जो बाँधों की सुरक्षा के लिए नीतियों का निर्माण करेगी और आवश्यक नियमों की अनुशंसा करेगी.
  • यह भी प्रावधान है कि एक राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकार का गठन किया जायेगा जो आयोग द्वारा बनाई गई नीतियों का अनुपालन सुनिश्चित करेगा.
  • इस विधयेक में कहा गया है कि राज्य सरकारें भी अपनी-अपनी बाँध सुरक्षा समिति गठित करेंगी.

विधेयक आवश्यक क्यों?

पिछले 50 वर्षों में भारत ने बाँधों एवं सम्बन्धित निर्माण कार्यों में अच्छा-ख़ासा पैसा लगाया है. बड़े बाँधों की संख्या के मामले में यह अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है. आज की तिथि में यहाँ 5,254 बड़े-बड़े बाँध चल रहे हैं और अन्य 447 निर्माणाधीन हैं. इनके अतिरिक्त माध्यम और छोटे आकार के हजारों बाँध भी हैं.

  • भारत में तीव्र एवं सतत कृषि-वृद्धि एवं विकास में बाँधों की बड़ी भूमिका रही है. बाँधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बहुत दिनों से अनुभव किया जा रहा था कि इनकी सुरक्षा के लिए एक समरूप कानून और प्रशासनिक ढाँचा होना चाहिए.
  • इस दिशा में केन्द्रीय जल आयोग (CWC) कुछ अन्य संस्थानों, जैसे – राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा समिति (NCDS), केंद्रीय बाँध सुरक्षा संगठन (CDSO) और राज्य बाँध सुरक्षा संगठनों (SDSO) की सहायता से कार्य करता रहा है. परन्तु ये सभी संगठन मात्र परामर्श दे सकते हैं क्योंकि इनके पास कोई वैधानिक शक्ति नहीं है.
  • भारत में बाँध की सुरक्षा एक महत्त्वपूर्ण विषय है क्योंकि यहाँ के 75% बड़े बाँध 25 वर्ष से अधिक पुराने हैं और 164 बाँध तो 100 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं. यदि इनकी देख-रेख नहीं की जाए तो भविष्य में कभी-भी मानव-जीवन, वनस्पति, पशु-जगत, सार्वजनिक एवं निजी सम्पत्तियों तथा पर्यावरण को खतरा हो सकता है.
  • यहाँ यह ज्ञातव्य है कि भूतकाल में भारत में 36 बार बाँध टूटने की घटनाएँ हुई हैं.

GS Paper 2 Source: Times of India

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Topic :  Partners’ Forum

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संदर्भ

हाल ही में नई दिल्ली में भागीदार मंच (Partners’ Forum) का चौथा सम्मेलन सम्पन्न हुआ. इसका आयोजन भारत सरकार ने मातृ, नवजात एवं बाल-स्वास्थ्य भागीदारी (Partnership for Maternal, Newborn and Child Health – PMNCH) नामक संगठन के साहचर्य से किया.

भारत में इस मंच का सम्मेलन दूसरी बार हो रहा है. 2007 में  यह सम्मेलन तंजानिया के दार-एस-सलाम में, 2010 में नई दिल्ली में और 2014 में द.अफ्रीका के जोहानेसबर्ग में हुआ था.

भागीदार मंच क्या है?

  • सितम्बर, 2005 में आरम्भ किया गया भागिदार मंच एक वैश्विक स्वास्थ्य भागीदारी का मंच है जिसका उद्देश्य बच्चे-जच्चे की मृत्यु दर को घटाना तथा साथ ही माताओं, किशोरों, बच्चों और नवजातों के स्वास्थ्य में सुधार लाना है.
  • इस मंच से 92 देशों के 10 विभिन्न क्षेत्रों के एक हजार से अधिक सदस्य जुड़े हुए हैं जो इन क्षेत्रों से आते हैं – अनुसंधान एवं शिक्षण संस्थान; धनदाता एवं फाउंडेशन, स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े पेशेवर लोग; बहुपक्षीय एजेंसियाँ; गैरसरकारी संगठन; भागीदार देश; वैश्विक वित्त पोषण तंत्र और निजी क्षेत्र.

PMNCH मिशन क्या है?

यह एक मिशन है जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य से सम्बंधित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में सफलतापूर्वक काम करने के लिए वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय को सहयोग देना है.


GS Paper 2 Source: PIB

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Topic :  Shyama Prasad Mukherji Rurban Mission

संदर्भ

2016 से आरम्भ हुआ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण-शहरी मिशन (SPMRM) पूरे देश में चल रहा है. यह एक ऐसा अनूठा कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत वृद्धि की दहलीज पर खड़े ग्रामीण क्षेत्रों को इस प्रकार सहायता पहुँचाना है कि उस वृद्धि को उत्प्रेरणा मिल सके.

वित्तीय सहायता

इस मिशन के अदंर अनुमानित निवेश का 30% प्रत्येक ग्रामीण-शहरी संकुल को क्रिटिकल गैप फंडिंग (CGF) के रूप में उपलब्ध कराया जाता है. अनुमानित निवेश का शेष 70% राज्यों को जुटाना होता है. राज्य सरकारें इसके लिए पैसा सम्बद्ध राज्य एवं केन्द्रीय कार्यक्रमों से तथा निजी निवेश एवं संस्थागत वित्त पोषण के माध्यम से जुटाती हैं.

वर्तमान में CGF में केंद्र और राज्य के हिस्सों का अनुपात मैदानी राज्यों के लिए 60:40 तथा हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10 कर दिया गया है.

विभिन्न प्रावधान

बुनियादी सुविधाएँ

  • सातों दिन सभी घरों को जल की आपूर्ति.
  • घर और संकुल के स्तर पर ठोस एवं द्रव कचरे के प्रबंधन की सुविधा

गाँव के अन्दर एवं गाँवों के बीच सड़क

हरित तकनीक का प्रयोग करते हुए सड़कों में प्रकाश एवं सार्वजनिक परिवहन की पर्याप्त सुविधा.

आर्थिक सुविधाएँ

कृषि सेवाएँ एवं प्रसंस्करण, पर्यटन तथा लघु-माध्यम पैमाने के अध्यव्यवसाय को प्रोत्साहन देने के लिए कौशल विकास.

पृष्ठभूमि

  • जनगणना के अनुसार भारत के गाँवों में 833 मिलियन जन रहते हैं जो कि देश की सम्पूर्ण जनसंख्या का 68% है.
  • 2001 से 2011 के बीच की अवधि में गाँवों की जनसंख्या 12% बढ़ी और साथ ही गाँवों की संख्या में भी उस अवधि में वृद्धि हुई.
  • ग्रामीण क्षेत्रों में कई बस्तियाँ अलग-थलग न होकर बस्तियों के किसी संकुल का भाग होती हैं और एक-दूसरे से अत्यंत निकट होती हैं. गाँवों के ऐसे संकुल में वृद्धि की सम्भावना होती है. अतः इन पर यदि ध्यान दिया गया तो तेजी से यहाँ विकास हो सकता है.
  • विकसित होने पर इन संकुलों को “ग्रामीण-शहरी”/Rurban की श्रेणी में रखा जा सकता है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic :  Atacama Large Millimeter Array (ALMA)

संदर्भ

चिली में स्थित अटाकामा वृहद् दूरबीन (Atacama Large Millimeter/submillimeter Array – ALMA) का प्रयोग करते हुए खगोलवेत्ताओं ने 20 निकटस्थ गोल पिंडों के ऐसे छायाचित्र प्राप्त किये हैं जो आश्चर्यजनक रूप से साफ़ हैं और उनसे ग्रहों के जन्म के विषय में पता लगाया जा सकता है.

इन छायाचित्रों का महत्त्व

  • अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इन छायाचित्रों को देखने से पता चलता है कि वरुण अथवा शनि जैसे आकार और स्वरूप के बड़े ग्रह बहुत तेजी से बनते हैं. पहले यह धारणा थी कि इनका निर्माण उतनी तेज गति से नहीं होता है.
  • वैज्ञानिकों के निष्कर्ष से यह समझने में सहायता मिलेगी कि नव-निर्मित प्रणालियों की अव्यवस्था के बीच अधिक छोटे चट्टानी उपग्रह बच जाने में कैसे सफल होते हैं.

ALMA दूरबीन क्या है?

  • ALMA एक एकल दूरबीन है जो कई संस्थाओं के द्वारा संयुक्त रूप से चिली देश में स्थापित किया गया है. इसके निर्माण में भागीदारी करने वाली संस्थाएँ हैं – यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला (ESO), संयुक्त राज्य राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (NSF), जापान का राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संस्थान (NINS), कनाडा का NRC, ताइवान के NSC और ASIAA तथा दक्षिणी कोरिया  का KASI. दूरबीन के निर्माण में चिली का भी सहयोग रहा है.
  • ALMA एकल दूरबीन की रुपरेखा अंत्यंत क्रांतिकारी है. इसमें 66 उच्च सटीकता वाले एंटेना हैं जो उत्तरी चिली के Chajnantor पठार पर पाँच किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं.
  • ALMA के माध्यम से वैज्ञानिक समुदाय बड़े-बड़े खगोलीय रहस्यों को समझने और ब्रह्मांड की उत्पत्ति की खोज में लगे रहते हैं.

Prelims Vishesh

Nasa’s ICESat-2 :-

तीन महीने पहले NASA द्वारा प्रक्षेपित ICESat-2 उपग्रह ने अन्टार्कटिका के पिघलते हुए हिमखंडों तथा उसके कारण पूरे विश्व में समुद्र-स्तर में होने वाली वृद्धि के आँकड़े भेजे हैं जिनके आधार पर जलवायु से सम्बंधित पूर्वानुमान को अधिक सटीक बनाने में सहायता मिलेगी.


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