Sansar डेली करंट अफेयर्स, 13 March 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 13 March 2020


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Major Port Authorities Bill, 2020

संदर्भ

लोकसभा में बृहद पत्तन प्राधिकरण विधेयक 2020 प्रस्तुत किया गया. यह विधेयक देश के बड़े-बड़े बंदरगाहों के प्रशासन के लिए 1963 में बने कानून के स्थान पर भारत सरकार एक नया कानून लाने पर विचार कर रही है.

पृष्ठभूमि

देश के बड़े-बड़े बंदरगाहों के प्रशासन के लिए 1963 में बने कानून के स्थान पर भारत सरकार एक नया कानून लाने पर विचार कर रही है. अभी बड़े-बड़े पत्तनों का प्रशासन 1963 के पत्तन कानूनों के अंतर्गत होता है. अचल संपत्तियों के सृजन की दिशा में इन पत्तनों में अपेक्षित स्तर का काम नहीं हुआ है और बृहद पत्तन टैरिफ प्राधिकरण (Tariff Authority for Major Ports – TAMP) के पुराने विनियमों के कारण ढुलाई की लागत में भी उछाल देखा गया है.

बृहद पत्तन प्राधिकरण विधेयक में दिए गये प्रस्ताव

  1. प्रस्तावित कानून का उद्देश्य पत्तनों की समग्र कार्यकुशलता में बढ़ोतरी करना है.
  2. अब बड़े-बड़े बन्दरगाह पत्तन से जुड़ी विभिन्न सेवाओं के लिए टैरिफ निर्धारित कर सकेंगे तथा साथ ही उनके साथ काम करने को इच्छुक निजी निर्माताओं के लिए शर्तें रख सकेंगे.
  3. प्रत्येक बंदरगाह का प्रशासन एक पत्तन प्राधिकरण करेगा जिसे विभिन्न पत्तन सेवाओं के लिए टैरिफ निश्चित करने की शक्ति होगी.
  4. विधेयक के अनुसार पत्तन प्राधिकरण के निर्णयों की समीक्षा के लिए सर्वोच्च स्तर पर एक न्याय निर्णय करने वाले बोर्ड का गठन होगा जिसके पास पत्तन प्राधिकरणों तथा PPP ऑपरेटरों के बीच उठने वाले विवादों को सुलझाने की शक्ति होगी.
  5. प्रमुख बंदरगाहों के कर्मचारियों के पेंशन लाभ समेत वेतन और भत्ते और सेवा की शर्तों और प्रमुख बंदरगाहों के तटकर को सुरक्षा देने के लिए प्रावधान किया गया है.

भारत के बड़े बंदरगाह कौन से हैं?

वर्तमान में भारत में ये 12 बड़े बंदरगाह हैं – दीनदयाल (पुराना नाम कांडला), मुंबई, जेएनपीटी, मोरमुगाँव, न्यू मंगलौर, कोचीन, चेन्नई, कामराजार (पहले एन्नोर), वीओ चिदंबरनार, विशाखापट्टनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित).


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : Foreigners Tribunals

संदर्भ

विगत कुछ सप्ताहों में गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने कई न्याय निर्णय दिए जो सभी असम के विदेशी पंचाटों से सम्बंधित थे.

विदेशी पंचाट कैसे काम करते हैं?

विदेशी पंचाट अर्धन्यायिक निकाय (quasi-judicial bodies) होते हैं. इनका काम यह मन्तव्य देना है कि कोई व्यक्ति विदेशी अधिनियम, 1946 (Foreigners Act, 1946) के अनुसार विदेशी है अथवा नहीं.

1964 में केंद्र सरकार ने विदेशी अधिनियम, 1946 के अनुभाग 3 में वर्णित प्रावधान के अनुसार विदेशी (पंचाट) आदेश पारित किया था.

विदेशी पंचाट दो प्रकार के मामलों को देखते हैं – एक मामला वह होता है जब सीमा पुलिस पंचाट के पास प्राथना पत्र समर्पित करती है और दूसरा वे मामले जिनमें चुनाव सूची में किसी के नाम के आगे “संदिग्ध” होता है.

विदेशी पंचाट एकपक्षीय आदेश किस प्रावधान के अन्दर देता है?

विदेशी अधिनियम के अनुभाग 9 में कहा गया है कि कोई व्यक्ति विदेशी है अथवा नहीं है यह सिद्ध करने का भार उसी व्यक्ति पर होता है चाहे भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में इस विषय में कोई भी प्रावधान हो अथवा नहीं हो.

इस प्रकार, आरोपित जन को भी सिद्ध करना होता है कि वह भारतीय है अथवा नहीं. ऐसी स्थिति में यदि वह व्यक्ति पंचाट के समक्ष उपस्थित नहीं होता है तो पंचाट एकपक्षीय आदेश निकाल सकता है.

क्या आरोपित व्यक्ति एकपक्षीय आदेश के विरुद्ध अपील कर सकता है?

विदेशी पंचाट द्वारा दिए गये एकपक्षीय आदेश की समीक्षा वह स्वयं कर सकता है यदि सम्बंधित व्यक्ति इस बात का पर्याप्त कारण दे कि वह अनुपस्थित क्यों हुआ था अथवा उसे मामले की कोई जानकारी नहीं थी.

यदि एकपक्षीय आदेश की समीक्षा नहीं होती है तो क्या होगा?

यदि आदेश पारित होने के पश्चात् पुलिस उस व्यक्ति का पता लगा सकती है तो उसको गिरफ्तार किया जाएगा और एक बंदी शिविर में रखा जाएगा. यदि नहीं तो वह व्यक्ति लापता विदेशी माना जाएगा.

विदेशी पंचाट के द्वारा विदेशी घोषित व्यक्तियों में से कई उच्च न्यायालय और तत्पश्चात् सर्वोच्च न्यायालय में जाकर अपील करते हैं.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Topic : What is a floor test or trust vote?

संदर्भ

मध्य प्रदेश में सियासी घमासान के बीच बीजेपी के सामान्य फ्लोर टेस्ट की मांग पर सुप्रीम कोर्ट अब बुधवार को सुनवाई करेगा. इस सुनवाई के बाद साफ हो जाएगा कि मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट (Madhya Pradesh Floor Test) कब होगा?

सामान्य फ्लोर टेस्ट क्या होता है?

  • सामान्य फ्लोर टेस्ट अर्थात् विश्वासमत एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे पता लगाया जाता है कि मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले व्यक्ति या उसकी पार्टी के पास पद पर बने रहने हेतु पर्याप्त बहुमत है या नहीं. उस व्यक्ति या दल को सदन में बहुमत साबित करना पड़ता है.
  • अगर राज्य में सरकार की बात है तो विधानसभा और यदि केंद्र का मुद्दा है तो लोकसभा में बहुमत साबित करना होता है. फ्लोर टेस्ट में विधायकों या सांसदों को सदन में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होता है और सबके समक्ष अपना वोट देना होता है. विपक्ष सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाती है. इसके पश्चात् फ्लोर टेस्ट किया जाता है.
  • अगर मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री सदन में अपना बहुमत साबित करने में असफल हो जाता है तो सरकार गिर जाती है. विश्वासमत मिलने की स्थिति में सरकार बनी रहती है. 
  • कई बार सरकारें जब यह देखती हैं कि उनके पास पर्याप्त संख्या में विधायक नहीं हैं, तो विश्वास मत से पूर्व ही इस्तीफा हो जाता है, जैसा कि कर्नाटक के मामले में हुआ था. बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा था.
  • फ्लोर टेस्ट में राज्यपाल का किसी भी तरह से कोई हस्तक्षेप नहीं होता. फ्लोर टेस्ट स्पीकर के सामने होता है.
  • फ्लोर टेस्ट का निर्णय स्पीकर करता है. अगर स्पीकर का चुनाव नहीं हुआ है तो पहले प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त किया जाता है. प्रोटेम स्पीकर अस्थायी स्पीकर होता है. किसी भी नई विधानसभा या लोकसभा के चुने जाने पर प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है. यह जिम्मा ज्यादातर सदन के सबसे अनुभवी सदस्य को दिया जाता है. उसका कार्य सदन के सदस्यों को शपथ दिलाना और स्पीकर का चुनाव कराना होता है. स्पीकर के चुनाव के पश्चात् फ़्लोर टेस्ट की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है और बहुमत साबित करना होता है.
  • फ्लोर टेस्ट ध्‍वनिमत, EVM द्वारा या बैलट बॉक्स किसी भी तरह से किया जा सकता है. परन्तु इसमें स्पष्ट होना चाहिए कि बहुमत किस तरफ है. ऐसे में ध्वनिमत अर्थात् जोर से बोलकर पक्ष या विपक्ष में होने का ऐलान करना. परन्तु ध्वनिमत से फ्लोर टेस्ट में गड़बड़ी की शिकायतें होती हैं. ऐसे में पक्ष या विपक्ष के सदस्यों की संख्या जानने के लिए संख्या गिनी जाती है.
  • इस प्रक्रिया के दौरान विधायक दो हिस्सों में विभक्त हो जाते हैं – एक ओर पक्ष वाले और दूसरी तरफ विपक्ष वाले. इसके अतिरिकित लॉबी विभाजन के माध्यम से भी फ्लोर टेस्ट होता है. इसमें विधायक एक-एक करके सदन की लॉबी में आते हैं और एक रजिस्टर में वे हस्ताक्षर करते हैं. रजिस्टर में दो सेक्शन बने होते हैं. एक ओर पक्ष और दूसरी तरफ विपक्ष का सेक्शन होता है. जिस तरफ अधिक वोट होंगे वह सरकार का गठन कर सकती है.

कंपोजिट फ्लोर टेस्ट

  • जब एक से अधिक नेता सरकार बनाने का दावा करते हैं तो इस स्थिति में कंपोजिट फ्लोर का प्रावधान किया जाता है. इसके लिए राज्यपाल विशेष सत्र बुलाते हैं और फिर यह देखा जाता है कि किस नेता के पास बहुमत है. इसके पश्चात् सदन में विधायक खड़े होकर या फिर हाथ उठाकर, ध्वनिमत से या डिविजन के माध्यम से वोट देते हैं.
  • उत्तर प्रदेश में जगदम्बिका पाल और कल्याण सिंह दोनों ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था. इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी असेंबली में कंपोजिट फ्लोर टेस्ट कराने को कहा था. इसके अंतर्गत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया और बहुमत परीक्षण किया गया. इस कंपोजिट फ्लोर टेस्ट में कल्याण सिंह विजेता हुए थे. उन्हें 225 वोट मिले थे जबकि जगदम्बिका पाल को मात्र 196 वोट मिले थे.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : Avian influenza (bird flu)

संदर्भ

कोराना के बीच केरल में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस (बर्ड फ्लू) की आहट ने प्रशासन की मुश्‍किलें बढ़ा दी हैं. केरल में 19 लोगों के कोरोना वायरस के संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है.

एवियन इन्फ्लूएंजा

  • बर्ड फ्लू एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस H5N1 के कारण होती है.
  • यह विषाणु जिसे इन्फ्लूएंजा ए (Influenza- A) या टाइप ए (Type- A) विषाणु कहते हैं, सामान्यतः पक्षियों में पाया जाता है. परन्तु कभी-कभी यह मानव सहित अन्य कई स्तनधारियों को भी संक्रमित कर सकता है. जब यह मानव को संक्रमित करता है तो इसे इन्फ्लूएंजा (श्लेष्मिक ज्वर) कहा जाता है.
  • बर्ड फ्लू संक्रमण चिकन, टर्की, गीस, मोर और बत्तख जैसे पक्षियों में तीव्रता से फैलता है. इसलिए बर्ड फ्लू के दौरान इन पक्षियों को न खाने की सलाह चिकित्सकों द्वारा दी जाती है.
  • विदित हो कि यह इन्फ्लूएंजा वायरस इतना खतरनाक होता है कि इससे इंसान व पक्षियों की बहुत कम समय में ही मौत हो जाती है.
  • वैसे, अभी तक बर्ड फ्लू का मुख्य कारण पक्षियों को ही माना जाता है, परन्तु कई बार यह इंसान से इंसान में फैलता है.

लक्षण

बर्ड फ्लू के लक्षण भी सामान्य फ्लू जैसे ही होते हैं, परन्तु सांस लेने में समस्या और हर वक्त उल्टी होने का अनुभव इसके खास लक्षण हैं.

बचाव

  • बीमारी के प्रकोप से बचाने के लिये सख्त जैव-सुरक्षा (Biosecurity) उपाय अपनाने और अच्छी स्वच्छता व्यवस्था को बनाए रखने की आवश्यकता होती है.
  • यदि जानवरों में इसके संक्रमण का पता चलता है, तो वायरस से संक्रमित और संपर्क वाले जानवरों को चुनकर पृथक करने की नीति का अनुपालन किया जाना चाहिये ताकि वायरस के तीव्रता से प्रसार को नियंत्रित किया जा सके और इसे नष्ट करने के प्रभावी उपाय अपनाए जा सकें.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Challenges to internal security through communication networks, role of media and social networking sites in internal security challenges, basics of cyber security; money-laundering and its prevention.

Topic : Amendments to the Information Technology (IT) Act

संदर्भ

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सूचना प्रौद्योगिकी (अंतरिम दिशानिर्देश) नियमावली 2011 में कतिपय संशोधन करने पर विचार कर रहा है जिससे कि सोशल मीडिया के मंचों को पहले से अधिक उत्तरदायी बनाया जा सके.

स्मरण रहे कि इन संशोधनों का एक प्रारूप दिसम्बर, 2018 में निर्गत कर दिया गया था और उस पर जनसाधारण का मंतव्य आमंत्रित किया गया था.

प्रस्तावित नए नियम क्या हैं?

  • कानून में किये गये परिवर्तन के फलस्वरूप अब ऑनलाइन मंचों कोएंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ना होगा जिससे कि संदेशों के मूल स्रोत का पता लगाया जा सके. इसके लिए उन्हें तकनीक पर आधारित स्वचालित साधनों अथवा समुचित नियंत्रणों से युक्त प्रणालियों का उपयोग करना होगा जिससे गैर-कानूनी सूचना अथवा सामग्री को पकड़ा जा सके अथवा हटाया जा सके अथवा उसकी पहुँच को काम के योग्य नहीं रहने दिया जा सके.
  • संशोधन के अनुसार यदि केंद्र सरकार सोशल मीडिया मंचों से कुछ जानकारी लेनी चाहती है तो उनको 72 घंटे के अन्दर वह जानकारी देनी होगी.
  • सरकार के निर्देश का पालन करने के लिए एक नोडल व्यक्ति होगा जिससे 24×7 सम्पर्क हो सके और कानून को लागू करने वाली एजेंसियों और अधिकारियों के साथ उनका समन्वय हो सके.
  • सोशल मीडिया मंचों को अवैध गतिविधि विशेष पर 180 दिन की अवधि तक नजर रखनी होगी.

संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी?

आजकल देखा जा रहा है कि सोशल मीडिया मंचों का दुरूपयोग कर हिंसा और सामूहिक हत्या की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं. इसलिए अब यह आवश्यकता है कि ऑनलाइन मंच जिम्मेवारी लें और यह सुनिश्चित करें कि उनका उपयोग अशक्त बातों को समाचार बना कर प्रस्तुत करने और लोगों को अपराध करने हेतु प्रोत्साहित करने में नहीं किया जाए.

आलोचना

प्रस्तावित संशोधन के कारण अब इस बात पर फिर से विपक्षी दलों ने विवाद छेड़ दिया है कि सरकार व्यक्तियों की निजता में हस्तक्षेप कर रही है. इसी प्रकार की आशंकाएँ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अनुभाग 66A को लेकर प्रकट की गई थी. उस अनुभाग में अधिकारियों को यह शक्ति दी गई थी कि वे अपमानजनक सामग्री पोस्ट वाले व्यक्ति को बंदी बना सकें. यह अलग बात है कि सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च 24, 2015 को इस कानून को निरस्त कर दिया था.

निहितार्थ

प्रस्तावित संशोधनों का परिणाम यह होगा कि व्हाट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंच सावधान रहने को बाध्य हो जाएँगे और उनके उपयोगकर्ताओं को किसी भी गैर-कानूनी सूचना अथवा सामग्री को पोस्ट करने अथवा साझा करने के पहले सौ बार सोचना होगा. इन संशोधनों से फर्जी समाचारों और अफवाहों के कारण सामूहिक हिंसा (mob violence) की घटनाओं को काबू में रखने में सहायता मिलेगी.


Prelims Vishesh

India becomes first country to suspend visas of all foreign nationals :-

  • नए कोरोना वायरस रोग (COVID-19) के प्रकोप को देखते हुए भारत सरकार ने मार्च 13, 2020 से विश्व-भर के विदेशियों को भारत में आने से रोकने के लिए उनके वीजे स्थगित कर दिए हैं.
  • ज्ञातव्य है कि COVID-19 के मामले अब तक 120 देशों में पाए गये हैं जिनमें यात्रा पर इस प्रकार की रोक लगाने वाला भारत पहला देश हो गया है.
  • साथ ही भारत की समुद्र पार नागरिकता (Overseas Citizenship of India – OCI) कार्ड के धारकों को दी जाने वाली विजमुक्त यात्रा की सुविधा को भी अप्रैल, 2020 तक बंद कर दिया गया है.

Oculudentavis khaungraae :-

  • पिछले दिनों वैज्ञानिकों ने अब तक पाए गये डायनासौरों में सबसे छोटे डायनासौर का पता लगाया है.
  • इस डायनासौर के सिर का जीवाश्म उत्तरी बर्मा में एक 99 मिलियन वर्ष पुराने लकड़ी के अन्दर मिला है.
  • इस सर का आकार हमिंगबर्ड जितना है.  

‘Restaurant’ for vultures in HP wild life sanctuary :-

  • हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा जिले में स्थित पौंग बाँध झील वन्यजीव आश्रयणी में गिद्धों के लिए दाना-पानी हेतु एक स्थान बनाया गया है जो 100×100 मीटर लम्बा-चौड़ा तथा 7 फुट ऊँचा है.
  • इस मंच पर पशुओं के शव बिना चमड़ी के रखे जा रहे हैं जिससे गिद्ध यहाँ आकर भोजन कर सकें.

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