Sansar Daily Current Affairs, 12 June 2020
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Agricultural produce and issues and related constraints; e-technology in the aid of farmers.
Topic : Genetically Modified-GM
संदर्भ
चालू खरीफ फसलों के मौसम में, किसान मक्का, सोयाबीन, सरसों बैगन और एचटी कपास आदि फसलों बुवाई के लिए गैर-प्रमाणित जीन संवर्द्धित (Genetically Modified-GM) बीजों का उपयोग किया जाएगा.
इसलिए, इस संबंध में, एक किसान संघ – शेतकरी संगठन – ने जीन संवर्द्धित (GM) बीजों के उपयोग के लिए नए सिरे से आंदोलन हेतु योजना की घोषणा की है.
आंदोलन का कारण
- शेतकरी संगठन द्वारा घोषणा की गई है कि इस साल वे पूरे महाराष्ट्र में मक्का, एचटी बीटी कपास, सोयाबीन और बैगन जैसी अप्रमाणित जीएम फसलों की विस्तृत पैमाने पर बुआई करेंगे.
- इस प्रकार की फसलें उगाने वाले किसानों के लिए अपने खेतों में फसल की जीएम प्रकृति के विवरण का बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा.
- यह कार्यक्रम खेतों में नवीनतम तकनीक के प्रारम्भ की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित करेगा.
GM फसल क्या है?
संशोधित अथवा परिवर्तित फसल (genetically modified – GM Modified crop) उस फसल को कहते हैं जिसमें आधुनिक जैव-तकनीक के सहारे जीनों का एक नया मिश्रण तैयार हो जाता है.
ज्ञातव्य है कि पौधे बहुधा परागण के द्वारा जीन प्राप्त करते हैं. यदि इनमें कृत्रिम ढंग से बाहरी जीन प्रविष्ट करा दिए जाते हैं तो उन पौधों को GM पौधा कहते हैं. यहाँ पर यह ध्यान देने योग्य है कि वैसे भी प्राकृतिक रूप से जीनों का मिश्रण होता रहता है. यह परिवर्तन कालांतर में पौधों की खेती, चयन और नियंत्रित सम्वर्धन द्वारा होता है. परन्तु GM फसल में यही काम प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से किया जाता है.
GM फसल की चाहत क्यों?
- अधिक उत्पादन के लिए.
- खेती में कम लागत के लिए.
- किसानी में लाभ बढ़ाने के लिए.
- स्वास्थ्य एवं पर्यावरण में सुधार के लिए.
GM फसल का विरोध क्यों?
- यह स्पष्ट नहीं है कि GM फसलों (GM crops) का मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर कैसा प्रभाव पड़ेगा. स्वयं वैज्ञानिक लोग भी इसको लेकर पक्के नहीं हैं. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी फसलों से लाभ से अधिक हानि है. कुछ वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि एक बार GM crop तैयार की जायेगी तो फिर उस पर नियंत्रण रखना संभव नहीं हो पायेगा. इसलिए उनका सुझाव है कि कोई भी GM पौधा तैयार किया जाए तो उसमें सावधानी बरतनी चाहिए.
- भारत में GM विरोधियों का यह कहना है कि बहुत सारी प्रमुख फसलें, जैसे – धान, बैंगन, सरसों आदि की उत्पत्ति भारत में ही हुई है और इसलिए यदि इन फसलों के संशोधित जीन वाले संस्करण लाए जाएँगे तो इन फसलों की घरेलू और जंगली किस्मों पर बहुत बड़ा खतरा उपस्थित हो जाएगा.
- वास्तव में आज पूरे विश्व में यह स्पष्ट रूप से माना जा रहा है कि GM crops वहाँ नहीं अपनाए जाएँ जहाँ किसी फसल की उत्पत्ति हुई हो और जहाँ उसकी विविध किस्में पाई जाती हों. विदित हो कि भारत में कई बड़े-बड़े जैव-विविधता वाले स्थल हैं, जैसे – पूर्वी हिमालय और पश्चिमी घाट – जहाँ समृद्ध जैव-विविधता है और साथ ही जो पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है. अतः बुद्धिमानी इस बात में होगी कि हम लोग किसी भी नई तकनीक के भेड़िया-धसान में कूदने से पहले सावधानी बरतें.
- यह भी डर है कि GM फसलों के द्वारा उत्पन्न विषाक्तता के प्रति कीड़ों में प्रतिरक्षा पैदा हो जाए जिनसे पौधों के अतिरिक्त अन्य जीवों को भी खतरा हो सकता है. यह भी डर है कि इनके कारण हमारे खाद्य पदार्थो में एलर्जी लाने वाले तत्त्व (allergen) और अन्य पोषण विरोधी तत्त्व प्रवेश कर जाएँ.
भारत में जीन संवर्द्धित फसलों की वैधानिक कानूनी स्थिति
भारत में, जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee -GEAC) जीएम फसलों की वाणिज्यिक खेती की अनुमति देने के लिए शीर्ष निकाय है.
GEAC क्षेत्र परीक्षण प्रयोगों सहित पर्यावरण में आनुवंशिक रूप से संवर्द्धित किये गए जीवों और उत्पादों को जारी करने संबंधी प्रस्तावों की मंज़ूरी के लिये भी उत्तरदायी है.
जुर्माने का प्रावधान
अप्रमाणित GM संस्करण का उपयोग करने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1989 के अंतर्गत 5 साल की जेल तथा 1 लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है.
किसान जीएम फसलों को क्यों महत्त्व दे रहे हैं?
कम लागत: किसानों द्वारा बीटी कपास के उगाने पर तथा ग्लाइफोसेट का उपयोग करने पर खरपतवार-नाशक की लागत काफी कम हो जाती है.
बीटी बैंगन के संबंध में भी कीटनाशक-लागत कम हो जाने से उत्पादन लागत में कमी हो जाती है.
मेरी राय – मेंस के लिए
पर्यावरणविदों का तर्क है कि जीएम फसलों के लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाना बाकी है तथा अभी इन्हें व्यावसायिक रूप से अनुमति नही दी जानी चाहिए. इनका मानना है, कि जीन संवर्धन से फसलों में किये गए परिवर्तन लंबे समय में मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकते हैं.
हर बार अवैध जीएम फसलों को इसी तरह से भारत समेत दुनिया के कई देशों में प्रवेश दिया जाता है. उसके बाद सरकार उस अवैध खेती को मंजूरी दे देती है. जीएम बीज बनाने वाली कंपनी पर यह जिम्मेदारी सुनिश्चत होनी चाहिए कि यदि बिना मंजूरी उसका बीज कहीं बाहर मिलता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. अवैध बीटी बैंगन के इस समूचे खेत को नष्ट कर दिया जाना चाहिए. वहीं, इस कृत्य में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी होनी चाहिए. यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसानों को इसके लिए प्रताड़ित किया जाए. ज्यादातर किसानों को वैध और अवैध बीजों की जानकारी नहीं होती. फसल नष्ट करने के बाद किसानों को इसका मुआवजा भी दिया जाना चाहिए.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Athirappally Hydel Power
संदर्भ
भारी जन विरोध के बीच केरल सरकार ने त्रिशूर ज़िले में चालक्कुडी नदी (Chalakudy River) पर प्रस्तावित विवादास्पद ‘अथिरापल्ली जल विद्युत’ (Athirappally Hydel Power) परियोजना पर फिर से आगे बढ़ने का निर्णय लिया है.
प्रमुख बिंदु
- ज्ञातव्य है कि ‘अथिरापल्ली जल विद्युत’ परियोजना हेतु पहले से प्राप्त पर्यावरणीय मंज़ूरी और तकनीकी-आर्थिक मंज़ूरी समेत सभी वैधानिक मंज़ूरियों की अवधि समाप्त हो चुकी थीं.
- ऐसे में केरल राज्य विद्युत बोर्ड (KSEB) ने राज्य सरकार को पत्र लिखते हुए परियोजना पर आगे बढ़ने और केंद्र सरकार से नए सिरे से पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करने की बात कही थी.
- केरल राज्य विद्युत बोर्ड (KSEB) द्वारा किये गए आग्रह पर विचार करते हुए केरल सरकार ने केरल राज्य विद्युत बोर्ड (KSEB) को आगामी 7 वर्षों की अवधि के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र (No-Objection Certificate-NOC) निर्गत किया है.
‘अथिरापल्ली जल विद्युत’ परियोजना
- 163 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाली इस परियोजना को केरल के त्रिशूर ज़िले में पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील चलक्कुडी नदी पर स्थापित करने की योजना सर्वप्रथम वर्ष 1979 में बनाई गई थी.
- इस परियोजना के अंतर्गत 23 मीटर ऊँचाई और 311 मीटर लंबाई का एक गुरुत्वाकर्षण बांध (Gravity Dam) प्रस्तावित किया गया था.
- ज्ञातव्य है कि चलक्कुडी नदी पर पहले से ही जल विद्युत से संबंधित छह बाँध और सिंचाई से संबंधित एक बाँध निर्मित किया गया है.
चालक्कुडी नदी (Chalakudy River)
- चालक्कुडी नदी केरल की चौथी सबसे लंबी नदी है.
- इस नदी का कुल बेसिन क्षेत्र तकरीबन 1704 किलोमीटर लंबा है, जिसमें से 1404 किलोमीटर का भाग केरल में पड़ता है और शेष 300 किलोमीटर का हिस्सा तमिलनाडु में पड़ता है.
- यह नदी केरल के पलक्कड़, त्रिशूर और एर्नाकुलम ज़िलों से होकर निकलती है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Adjusted Gross Revenue Dispute
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications -DoT) द्वारा शीर्ष न्यायालय के निर्णय का दुरूपयोग करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (Public Sector Undertakings-PSU) से समंजित समग्र राजस्व (Adjusted Gross Revenue -AGR) हेतु 4 लाख करोड़ रु. की माँग करना पूर्णतयः अस्वीकार्य है.
न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों द्वारा 1.42 लाख करोड़ रुपये की समंजित समग्र राजस्व (AGR) चुकाने के लिए सरकार के बीस वर्षीय फार्मूला की व्यवहार्यता पर भी सवाल खड़ा किया है.
न्यायालय ने क्या कहा?
न्यायालय ने कहा कि 2019 के निर्णय को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से बकाया माँगने का आधार नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि अक्टूबर 2019 का निर्णय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के संबंध में विचार नहीं करता है.
सरकार का पक्ष
सरकार ने न्यायायलय से शपथपत्र दायर करने की अनुमति माँगी है, जिसमे वह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) के लिए समंजित समग्र राजस्व (AGR) में वृद्धि करने के कारणों को स्पष्ट करेगी.
पृष्ठभूमि
पिछले वर्ष, सर्वोच्च न्यायालय ने दूरसंचार विभाग द्वारा निर्धारित समंजित समग्र राजस्व (AGR) गणना की परिभाषा पर अपना समर्थन दिया था.
सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार दूरसंचार कंपनियों को लगभग 1.47 करोड़ रुपये की बकाया AGR राशि को तत्काल चुकाना था.
समंजित समग्र राजस्व क्या है?
समंजित समग्र राजस्व (AGR) वह लाइसेंस शुल्क है जो दूरसंचार संचालकों द्वारा दूरसंचार विभाग को जमा करना होता है. इसमें 3-5% स्पेक्ट्रम उपयोग का शुल्क होता है और 8% लाइसेंस का शुल्क होता है.
AGR की गणना कैसे होती है?
दूरसंचार विभाग AGR की गणना करते समय दूरसंचार कम्पनी द्वारा अर्जित पूर्ण राजस्व को आधार बनाता है. इसका तात्पर्य यह है कि इसमें दूरसंचार से पृथक स्रोतों, जैसे – जमा ब्याज और सम्पदा विक्रय, से प्राप्त आय को भी जोड़ा जाता है. दूसरी ओर, टेलिकॉम कंपनियों की माँग है कि AGR में केवल दूरसंचार सेवा से जनित राजस्व को ही आधार बनाया जाए.
दूरसंचार क्षेत्र के लिए चुनौतियाँ
दूरसंचार क्षेत्र की लाभप्रद स्थिति को देखते हुए, AGR विवाद ने बैंकिंग उद्योग में दहशत पैदा कर दी है. अकेले वोडाफोन आइडिया पर 2.2 लाख करोड़ रुपये का बकाया है, जिसका उपयोग उसने वर्षों से बुनियादी अवसंरचना का विस्तार करने तथा स्पेक्ट्रम भुगतान के लिए किया है. म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के पास वोडाफोन आइडिया के लिए लगभग 4,000 करोड़ रुपये की राशि का ऋण जोखिम है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Rythu Bandhu Scheme
संदर्भ
तेलंगाना के किसानों के बैंक खाते में 10 दिन के अंदर रयथू बंधु योजना की राशि जमा की जाएगी.
- रयथू बंधु योजना के तहत तेलंगाना सरकार प्रत्येक लाभार्थी किसान को हर फसल के मौसम से पहले प्रति एकड़ 4,000 रुपए का “निवेश सहायता” प्रदान करती है.
- इसका उद्देश्य किसान को बीज, उर्वरक, कीटनाशकों और खेत की तैयारी पर आने वाली लागत संबंधी खर्चों में सहायता प्रदान करना है.
- इस योजना के अंतर्गत राज्य के 31 ज़िलों की 1.42 करोड़ एकड़ कृषि भूमि को शामिल किया गया है और कृषि भूमि का मालिक प्रत्येक किसान यह लाभ पाने हेतु पात्र है.
- सरकारी आँकड़ों के मुताबिक, राज्य में 92% लाभार्थियों के पास 5 एकड़ से कम, 5% के पास 5-10 एकड़ तथा शेष 3% के पास 10 एकड़ से अधिक ज़मीन है.
- राज्य सरकार का मानना है कि चार या पाँच साल की अवधि में तेलंगाना के किसान रयथू बंधु योजना के द्वारा सभी ऋणों से मुक्त हो जाएंगे.
- तेलंगाना के किसानों में ऋणग्रस्तता की समस्या बहुत अधिक है. किसान ऋण के लिये बैंकों में आवेदन करते हैं लेकिन बैंक उसे स्वीकृति प्रदान करने में देरी करते हैं.
- रयथू बंधु योजना के तहत प्राप्त धन से किसान बीज और उर्वरक खरीद सकते हैं तथा बुवाई शुरू कर सकते हैं. अब उन्हें महाजनों के पास रुपए उधार लेने के लिये नहीं जाना पड़ेगा.
मेरी राय – मेंस के लिए
इससे किसान उन फसलों की खेती करेंगे, जिनकी बाजार में मांग है. इससे खेती किसानों के लिए लाभदायक बनेगी. नियमित खेती करने से प्रदेश में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे.
रयथू बंधु योजना की दो बिंदुओं पर आलोचना की गई है. पहला, यह अमीर किसानों और अमीर ज़मींदारों को बाहर नहीं करता है. हालाँकि, इस योजना में एक प्रावधान है जिसके अंतर्गत स्थानीय अधिकारियों को चेक वापस किया जा सकता है.सभी मंत्रियों और शीर्ष आईएएस एवं आईपीएस अधिकारियों, जिनके पास वास्तव में कृषि भूमि है, ने चेक को वापस कर दिया है.दूसरी आलोचना है कि यह योजना बँटाईदार किसानों को छोड़ देती है. तेलंगाना की अनुमानित 40% कृषक आबादी ज्यादातर गरीब और वंचित पृष्ठभूमि से आती है. बँटाईदार किसानों को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है क्योंकि वे कृषि भूमि का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सकते हैं, इसका निर्धारण ज्यादातर अनौपचारिक और मौखिक पट्टा व्यवस्था के आधार पर किया जाता है. एक साल ये लोग एक गाँव की कृषि भूमि पर खेती करते हैं और अगले वर्ष एक अन्य अलग गाँव में चले जाते हैं. उन्हें पहचानना बहुत मुश्किल है. अगर उन्हें इस योजना में शामिल किया जाता है तो यह अनावश्यक मुकदमेबाजी का कारण बन जाएगा.यदि बँटाईदारों को किसान और विस्तारित सहायता का हक़दार माना जाता है तो ज़मीन के असली मालिक अदालत का शरण लेंगे.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : Rights Issue
संदर्भ
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, महिंद्रा फाइनेंस, टाटा पावर, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस समेत कई कंपनियों द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान राइट्स इश्यू के माध्यम से लगभग 10,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि जुटाने की योजना बनाई गयी है.
राइट्स इश्यू (Rights Issue) क्या है?
राइट्स इश्यू किसी शेयर धारक को कंपनी में उसके मौजूदा शेयर के अनुपात में और बाज़ार की तुलना में कम मूल्य पर जारी किये जाते हैं. इसके अंतर्गत कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को कंपनी में अतिरिक्त शेयर खरीदने का अधिकार प्रदान करती है.
- सामान्यतः कंपनियां अपने शेयरों को राइट्स इश्यू के माध्यम से बाजार मूल्य से कम कीमतों पर जारी करती है.
- कंपनियों द्वारा ऋण में वृद्धि किये बिना पूंजी जुटाने के लिये राइट्स इश्यू का प्रयोग किया जाता है.
- शेयरधारकों को कंपनी द्वारा राइट्स इश्यू के अंतर्गत दिये गए शेयरों को खरीदने की बाध्यता नहीं होती है.
कंपनियां वर्तमान में राइट्स इश्यू का उपयोग क्यों कर रही हैं?
- राइट्स इश्यू निर्गत करने हेतु शेयरधारकों की बैठक आवश्यक नहीं होती है तथा केवल निदेशक मंडल का अनुमोदन पर्याप्त होता है.
- इसलिए, इस उपकरण से पूंजी जुटाने में कम समय लगता है जो कि मौजूदा परिस्थितियों में पूंजी जुटाने के अन्य माध्यमो की तुलना में बहुत अनुकूल है.
- इस प्रकार राइट्स इश्यू पूंजी जुटाने का एक अधिक प्रभावी तथा कुशल तंत्र है.
कोविड –19 के मद्देनजर सेबी (SEBI) द्वारा कौन सी अस्थायी छूटें प्रदान की गई हैं?
- सेबी ने फास्ट ट्रैक राइट्स इश्यू के लिए सार्वजनिक शेयरधारिता की औसत बाजार पूंजीकरण (Market Capitalization) की सीमा को 250 करोड़ रुपये से घटाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया है.
- सेबी ने न्यूनतम सदस्यता (minimum subscription) आवश्यकता को भी 90 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत कर दिया है.
- इसके अतिरिक्त, राइट्स इश्यू के जरिये 25 करोड़ रुपये तक की धनराशि जुटाने वाली (पूर्व में सीमा 10 करोड़ रुपये थी) सूचीबद्ध संस्थाओं को सेबी के पास ड्राफ्ट ऑफर डाक्यूमेंट्स जमा करने की आवश्यकता नहीं है.
मेरी राय – मेंस के लिए
सरल भाषा में कहा जाए तो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनी पूंजी जुटाने के लिए राइट्स इश्यू लाती है. राइट्स इश्यू के जरिए कंपनी अपने शेयरधारकों को अतिरिक्त शेयर खरीदने का मौका देती है. राइट्स इश्यू के तहत शेयरधारक निश्चित अनुपात में ही अतिरिक्त शेयर खरीद सकते हैं. कंपनी यह अनुपात तय करती है. अगर कंपनी ने राइट्स इश्यू के लिए 1:4 का अनुपात तय किया है तो इसका मतलब है कि शेयरधारक को पहले से उसके पास मौजूद हर 4 शेयर पर 1 अतिरिक्त शेयर खरीदने का मौका होगा. राइट्स इश्यू के लिए समय का एलान कंपनी करती है. तय अवधि में ही वह निवेशकों को अतिरिक्त शेयर खरीदने का अवसर देती है.
प्रीलिम्स बूस्टर
लिक्विडिटी बढ़ती है या घटती है? – राइट्स इश्यू के बाद कंपनी का इक्विटी बेस बढ़ जाता है. इसके चलते स्टॉक एक्सचेंज में कंपनी के शयरों की लिक्विडिटी बढ़ जाती है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.
Topic : RBI proposes comprehensive framework for sale of loans
संदर्भ
भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘ऋण एक्सपोज़र की बिक्री के लिए व्यापक रूपरेखा मसौदा’ (Draft Comprehensive Framework for Sale of Loan Exposures) जारी किया है.
इसका उद्देश्य बैंक ऋणों के लिए एक मजबूत द्वितीयक बाजार का निर्माण करना है. यह बैंक ऋणों की बिक्री के लिए उचित कीमतों की खोज सुनिश्चित करेगा तथा बाजार में आसन्न तनाव की स्थिति बनने पर एक संकेतक के रूप में कार्य करेगा.
ऋण बिक्री क्या हैं?
ऋण बिक्री का उपयोग ऋणदाताओं द्वारा कई प्रकार से किया जा सकता है: ऋण के पुनर्संयोजन करने हेतु अथवा तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के निपटान हेतु साधन के रूप में ऋणदाताओं द्वारा ऋण बिक्री का सहारा लिया जाता है.
ड्राफ्ट की मुख्य विशेषताएं
- मानक परिसंपत्तियों की ऋणदाताओं द्वारा समर्पण-पत्र (assignment), नवीनता (novation) अथवा ऋण भागीदारी अनुबंध के माध्यम से बिक्री करने की अनुमति होगी.
- तनावग्रस्त संपत्तियों को केवल समर्पण-पत्र या नवीनता (novation) के माध्यम से बेचने की अनुमति होगी. इन संपत्तियों को वैधानिक या नियामक ढांचे द्वारा ऋण जोखिम पर लेने की अनुमति प्राप्त किसी भी इकाई को बेचा जा सकता है.
- ड्राफ्ट में परिसंपत्ति पुनर्निमाण कंपनी (Asset Reconstruction Companies-ARC) द्वारा गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (Read about : NPA in Hindi) की खरीद हेतु मानदंडो का निर्धारण किया गया है.
- ड्राफ्ट में ऋणदाताओं द्वारा ऋण बिक्री के लिए न्यूनतम प्रतिधारण आवश्यकता (Minimum Retention Requirement -MRR) की जरूरत को दूर करने का प्रस्ताव है.
प्रासंगिकता
- ये दिशा-निर्देश वाणिज्यिक बैंकों, सभी वित्तीय संस्थानों, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों और छोटे वित्त बैंकों पर लागू होंगे.
- यह दिशा-निर्देश सभी प्रकार की ऋण बिक्री पर लागू होंगे, जिसमें ऋण बिक्री से लेकर विशेष प्रयोजन इकाईयों को प्रतिभूतिकरण के उद्देश्य से ऋण बिक्री सम्मिलित है.
इन दिशानिर्देशों का महत्त्व
बैंक ऋणों के लिए एक गतिशील द्वितीयक बाजार साख जोखिम से सुरक्षा सुनिश्चित करेगी तथा यह दिशानिर्देश बाजार में बैंक ऋणों से संबंधित आसन्न तनाव की स्थिति होने पर एक प्रमुख संकेतक के रूप में उपयोगी होंगे.
प्रीलिम्स बूस्टर
MANI APP : MANI ऐप को इसलिए लॉन्च किया गया है ताकि दृष्टिबाधितों लोगों को करंसी नोट पहचानने में किसी तरह की कोई परेशानी ना हो. इसका पूरा नाम है – मोबाइल एडेड नोट आईडेंटिफायर.
Prelims Vishesh
Important places and events from Chhattisgarh in News :-
- “देखो अपना देश” नामक शृंखला के अन्दर पर्यटन मंत्रालय 30वाँ वेबिनार का आयोजन कर रहा है जिसमें छत्तीसगढ़ के छुपे हुए खजानों पर प्रकाश डाला जा रहा है.
- इस सन्दर्भ में जिन स्थलों, प्रथाओं आदि पर प्रकाश डाला जा रहा है उनमें प्रमुख हैं – करकाभात (बड़ी चट्टानों का बना कब्र स्थल), दिपाडीह (सातवीं सदी का मंदिर), घोटुल (प्राचीन जनजातीय शिक्षा प्रणाली), सोनाबाई (उत्कीर्ण सजावट) आदि.
World Accreditation Day (WAD):
- व्यापार एवं अर्थव्यवस्था में अभिप्रमाणन की भूमिका को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी 9 जून को विश्व अभिप्रमाणन दिवस मनाया गया.
- इस बार की थीम थी – अभिप्रमाणन: खाद्य सुरक्षा में सुधार / “Accreditation: Improving Food Safety”.
Daulat Beg Oldie :–
- भारत द्वारा लद्दाख में दार्बुक-श्योख-दौलत बेग ओल्डी नामक 255 किलोमीटर लम्बी हर मौसम में काम आने वाली सड़क के निर्माण के सन्दर्भ में दौलत बेग ओल्डी पिछले दिनों चर्चा में रहा.
- यह स्थान लद्दाख में भारतीय भूमिक्षेत्र का सबसे उत्तरी कोना है जहाँ विश्व की सबसे ऊँची हवाई पट्टी है.
- भारत द्वारा यहाँ सड़क बनाने के बाद से चीन और भारत में तनाव उत्पन्न हो गया है.
Operation Desert Chase :–
- 2019 में शुरुआत में सैन्य गुप्तचर सेवा (Military Intelligence – MI) ने एक जासूसी विरोधी अभियान चलाया था जो जून 2020 में पूरा हो गया.
- इसमें दो जासूसों को पकड़ा गया. ये जासूस जयपुर के नागरिक रक्षाकर्मी थे जो पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी (ISI) को संवेदनशील सूचनाएँ भेज रहे थे.
CPCB to classify railway stations based on waste water generation :–
- केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) इस आधार पर रेलवे स्टेशनों को लाल, नारंगी और हरी श्रेणियों में बाँटने जा रहा है कि वहाँ कितना अपशिष्ट पानी निकलता है.
- जहाँ प्रतिदिन 100 किलो लीटर अपशिष्ट पानी निकलेगा उसको लाल श्रेणी में रखा जाएगा.
- जिस स्टेशन से 100 किलो से कम परन्तु 10 किलो लीटर से अधिक प्रतिदिन अवशिष्ट निकलेगा उसे नारंगी श्रेणी मिलेगी.
- जिस स्टेशन में 10 किलो लीटर प्रतिदिन से कम अपशिष्ट पानी पैदा होगा उसे हरी श्रेणी दी जायेगी.
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