Sansar डेली करंट अफेयर्स, 12 February 2021

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 12 February 2021


GS Paper 1 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.

Topic : Swami Dayanand Saraswati 

संदर्भ

12 फरवरी को स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती मनाई जा रही है. विदित हो कि स्वामी दयानंद सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक, महान चिंतक, समाज-सुधारक और देशभक्त थे. 

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दयानंद सरस्वती का जन्म

स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म 1824 ई. में काठियावाड़, गुजरात में हुआ था. उनके बचपन का नाम मूलशंकर था. बालक मूलशंकर को अपने बाल्यकाल से ही सामजिक कुरीतियों और धार्मिक आडम्बरों से चिढ़ थी. स्वामी दयानंद को भारत के प्राचीन धर्म और संस्कृति में अटूट आस्था थी. उनका कहना था कि वेद भगवान् द्वारा प्रेरित हैं और समस्त ज्ञान के स्रोत हैं. उनके अनुसार वैदिक धर्म के प्रचार से ही व्यक्ति, समाज और देश की उन्नति संभव है. अतः दयानंद सरस्वती ने अपने देशवासियों को पुनः वेदों की ओर लौटने का सन्देश दिया. आर्य समाज की स्थापना के द्वारा उन्होंने हिन्दू समाज में नवचेतना का संचार किया.

कुरीतियों पर प्रहार

देश में प्रचलित सभी धार्मिक और सामजिक कुरीतियों के खिलाफ स्वामी दयानंद सरस्वती ने बड़ा कदम उठाया. उन्होंने जाति भेद, मूर्ति पूजा, सती-प्रथा, बहु विवाह, बाल विवाह, बलि-प्रथा आदि प्रथाओं का घोर विरोध किया. दयानंद सरस्वती ने पवित्र जीवन तथा प्राचीन हिन्दू आदर्श के पालन पर बल दिया. उन्होंने विधवा विवाह और नारी शिक्षा की भी वकालत की. सबसे ज्यादा उन्हें जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता से चिढ़ थी और इसे समाप्त करने के लिए उन्होंने कई कठोर कदम उठाए. आर्य समाज की स्थापना कर उन्होंने अपने सारे विचारों को मूर्त रूप प्रदान करने की चेष्टा की. 1877 ई. में लाहौर में आर्य समाज के शाखा की स्थापना की गई थी (a branch was established).

विस्तार से पढ़ें > दयानंद सरस्वती


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : Indo-Pacific Region

संदर्भ

हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र के विकास और क्वाड सहयोग की समीक्षा की.

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हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र

एकल रणनीतिक क्षेत्र के रूप में इंडो-पैसिफिक’ (Indo- Pacific) की अवधारणा, हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के परिणाम है. यह, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के मध्य परस्पर संपर्क तथा सुरक्षा और वाणिज्य के लिए महासागरों के महत्त्व का प्रतीक है.

भारत के लिए ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र’ की भूमिका एवं निहितार्थ

  1. इंडो-पैसिफिक / हिंद-प्रशांत क्षेत्र, जैसा कि, राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में वर्णित है, विश्व के सबसे अधिक आबादी वाले और आर्थिक रूप से गतिमान हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है. यह, भारत के पश्चिमी तट से संयुक्त राज्य के पश्चिमी तट तक विस्तृत है.
  2. भारत, सदैव से गंभीर राष्ट्रीय महत्त्वाकांक्षाओं वाला देश रहा है और “इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी” अवधारणा का सबसे महत्त्वपूर्ण पैरोकार है.
  3. मुक्त अर्थव्यवस्था के साथ, भारत, हिंद महासागर में आने निकटवर्ती देशों और विश्व की प्रमुख समुद्री शक्तियों के साथ संबंध स्थापित कर रहा है.

मुख्य बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि विश्व का लगभग 90% विदेशी व्यापार समुद्र के जरिये किया जाता है और इसके एक बड़े हिस्से का संचालन हिन्द और प्रशांत महासागरों के माध्यम से किया जाता है.
  • 25% विश्व समुद्री व्यापार मलक्का जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है.
  • इसके अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका की वार्षिक रक्षा रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है.
  • इसमें 350 से अधिक जहाज और पनडुब्बी हैं तथा चीन, हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पकड़ का विस्तार करने के अवसरों की खोज कर रहा है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Economics of animal-rearing.

Topic : PRADHAN MANTRI MATSYA SAMPADA YOJANA

संदर्भ

हाल ही में भारत सरकार ने Approved Standardized Deep-Sea Vessels Design and Specifications (ASDDS) को तैयार करने के लिए एक नोडल प्राधिकरण की स्थापना की है. ASDDS, जहाजों के निर्माण के लिए न्यूनतम बुनियादी डिजाइन मापदंडों का एक ढांचा प्रदान करेगा. ज्ञातव्य है कि 10 सितंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) का शुभारंभ किया था.

प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की प्रमुख विशेषताएँ

  1. PMMSY भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत विकास के माध्यम से नीली क्रांति लाने के बनाई गई है. इसके दो अवयव हैं – केंद्रीय क्षेत्र योजना (CS) और केंद्र प्रायोजित योजना (CSS).
  2. यह योजना वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के दौरान लागू की जाएगी.
  3. इस योजना का नोडल मंत्रालय मत्स्य पालनपशुपालन एवं डेयरी मंत्रालयहै.

कार्यान्वयन

केंद्रीय क्षेत्र योजना (CS) : संपूर्ण परियोजना / इकाई लागत केंद्र सरकार (अर्थात् 100% केंद्रीय वित्त पोषण) द्वारा वहन की जाएगी.

इस योजना के केन्द्रीय प्रायोजित योजना अवयव के दो भाग हैं – i) पहला, जिसमें लाभार्थी नहीं होंगे ii) और दूसरा, जो लाभार्थियों के लिए होंगे.

इसके अंतर्गत जो काम होगा वे हैं –

  1. उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि.
  2. अवसंरचना एवं फसल कटने के बाद का प्रबंधन.
  3. मत्स्यपालन और नियामक ढांचा.

PMMSY के मुख्य लाभ

  1. मत्स्यपालन क्षेत्र में जो महत्त्वपूर्ण कमियाँ हैं उनपर ध्यान देना और इसकी पूर्ण क्षमता को साकार करना.
  2. निरंतर औसत वार्षिक विकास दर पर मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता में बढ़ोतरी.
  3. प्रमाणित गुणवत्ता वाले मछली के बीज और दाने की उपलब्धता, मछली कहाँ-कहाँ उपलब्ध हैं यह पता लगाने की प्रक्रिया के साथ-साथ समुद्र आदि में मछुआरों के स्वास्थ्य के कुशल प्रबंधन में सुधार लाना.
  4. आधुनिकीकरण और मूल्य शृंखला के सुदृढीकरण समेत महत्त्वपूर्ण अवसंरचना का सृजन.
  5. 15 लाख मछुआरों, मत्स्य पालकों, मत्स्यकर्मियों, मत्स्य विक्रेताओं एवं मत्स्यपालन एवं सम्बद्ध गतिविधियों में लगे हुए ग्रामीण और शहरी लोगों के लिए प्रत्यक्ष लाभदायी रोजगार के अवसरों का सृजन.
  6. मत्स्यपालन क्षेत्र में निवेश बढ़ाना तथा मछली और मत्स्य उत्पादों में प्रतिस्पर्धा में वृद्धि करना.
  7. मछुआरों और मत्स्यकर्मियों के लिए सामाजिक, शारीरिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना.

ई-गोपाला ऐप

  • ई-गोपाला ऐप किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिए एक समग्र नस्ल सुधार, बाज़ार और सूचना पोर्टल है.
  • ई-गोपाला ऐप निम्नलिखित पहलुओं पर किसानों को समाधान प्रदान करेगा-
  • सभी रूपों (वीर्य, भ्रूण, आदि) में रोग मुक्त जीवाणु (जर्मप्लाज्म) खरीदना और बेचना,
  • गुणवत्तापूर्ण प्रजनन सेवाओं की उपलब्धता (कृत्रिम गर्भाधान, पशु प्राथमिक चिकित्सा, टीकाकरण, उपचार आदि)
  • पशु पोषण के लिए किसानों का मार्गदर्शन करना,
  • उचित आयुर्वेदिक दवा/एथनो पशु चिकित्सा दवा का उपयोग करते हुए जानवरों के उपचार आदि की जानकारी
  • पशु किसानों को टीकाकरण, गर्भावस्था निदान आदि के लिए नियत तारीख पर सूचित करना
  • उन्हें क्षेत्र में विभिन्न सरकारी योजनाओं और अभियानों के बारे में सूचित करना आदि.

GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Role of external state and non-state actors in creating challenges to internal security.

Topic : UNLAWFUL ACTIVITIES (PREVENTION) ACT

संदर्भ

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा संकलित “भारत में अपराध’ रिपोर्ट, 2019 के अनुसार वर्ष 2016 और 2019 के मध्य, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों में से केवल 2% मामलों में ही न्यायालय में अपराध सिद्धि हो सकी है. इसके अतिरिक्त वर्ष 2019 में “देशद्रोह” (आईपीसी की धारा 194) के तहत 96 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन इनमें से मात्र दो व्यक्तियों को ही दोषी सिद्ध किया जा सका.

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम क्या है?

  • यह कानून भारत में गैरकानूनी कार्य करने वाले संगठनों की कारगर रोकथाम के लिए बनाया गया है.
  • इसका मुख्य उद्देश्य देश विरोधी गतिविधियों के लिए कानूनी शक्ति का प्रयोग करना है.
  • इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई राष्ट्रद्रोही आन्दोलन का समर्थन करता है अथवा किसी विदेशी देश द्वारा किये गये भारत के क्षेत्र पर दावे का समर्थन करता है तो वह अपराध माना जाएगा.
  • UAPA 1967 में पारित हुआ था. बाद में यह पहले 2008 में और फिर 2012 में संशोधित हुआ था.

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) विधेयक, 2019 

  • विदित हो कि पिछले वर्ष गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2019 संसद से पारित हुआ.
  • इस विधेयक के माध्यम से 1967 के गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम को संशोधित किया जा रहा है.
  • आंतकवादी किसे कहेंगे? : मूल अधिनियम के अनुसार केंद्र सरकार किसी संगठन को आतंकवादी करार दे सकती है यदि यह : i) आतंक की कार्रवाई करता है अथवा उसमें शामिल होता है ii) आतंकवाद के लिए तैयारी करता है iii) आतंकवाद को बढ़ावा देता है, अथवा iv) किसी भी रूप में आतंकवाद से जुड़ा हुआ है.
  • पारित संशोधन में यह अतिरिक्त प्रावधान किया गया है कि सरकार चाहे तो इन्हीं आधारों पर किसी व्यक्ति विशेष को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है.
  • सम्पत्ति की जब्ती का अनुमोदन: विवेचना यदि राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (NIA) के अधिकारी ने की है तो सम्पत्ति की जब्ती का अनुमोदन NIA का महानिदेशक करेगा. इसके लिए उस सम्पत्ति का आतंकवाद से जुड़ा होना आवश्यक होगा.
  • NIA द्वारा अन्वेषण: मूल अधिनियम के अनुसार मामलों का अन्वेषण उपाधीक्षक अथवा सहायक पुलिस आयुक्त अथवा उससे ऊपर की श्रेणी का अधिकारी करेगा. नए संशोधन के अनुसारइनके अतिरिक्त NIA के अधिकारी भी अन्वेषण का कार्य कर सकते हैं यदि वे निरीक्षक की श्रेणी अथवा उससे ऊपर की श्रेणी के हों.
  • इसका मुख्य उद्देश्य देश विरोधी गतिविधियों के लिए कानूनी शक्ति का प्रयोग करना है.
  • अधिनियम में संधियों की अनुसूची जोड़ना: मूल अधिनियम में ऐसी संधियों की एक अनुसूची दी गई है जिसके उल्लंघन को भी आतंकी कार्रवाई के रूप में परिभाषित किया गया है. इस अनुसूची में सब मिलाकर 9 संधियाँ हैं जिनमें प्रमुख हैं – आतंकी बम विस्फोट को दबाने की संधि (1997) और बंधक बनाने के विरुद्ध संधि (1979). इस अनुसूची में अब एक नई संधि जुड़ गई है जिसका नाम है – आणविक आतंकवाद की कार्रवाई को दबाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संधि (2005) / International Convention for Suppression of Acts of Nuclear Terrorism (2005).

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2019 का विरोध क्यों?

  • आलोचकों का कहना है कि संशोधित अधिनियम में केन्द्रीय मंत्रालय के अधिकारियों को यह शक्ति दे दी गई है कि वे किसी भी व्यक्ति को बिना उचित प्रकिया अपनाए हुए आतंकी घोषित कर सकते हैं. इस घोषणा के पश्चात् उस व्यक्ति का नाम मूल अधिनियम में संशोधित के द्वारा जोड़ी गई “चौथी अनुसूची” में अंकित हो जाएगा. ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति के पास एक ही चारा बचेगा कि वह अपने आप को अनधिसूचित करवाने के लिए केंद्र सरकार को आवेदन दे जिसपर सरकार द्वारा ही गठित समीक्षा समिति विचार करेगी.
  • संशोधन यह नहीं बताता है कि यदि कोई व्यक्ति आतंकी घोषित हो गया तो उसका कानूनी परिणाम क्या होगा क्योंकि चौथी अनुसूची में नाम आ जाने मात्र से वह दंड, कारावास, अर्थदंड, निर्योग्यता अथवा किसी भी प्रकार के नागरिक दंड का भागी हो जाएगा. स्पष्ट है कि यह संशोधन मात्र किसी को आतंकी घोषित करने के लिए सरकार को शक्ति देने हेतु किया गया है.
  • किसी को सरकारी रूप से आतंकी घोषित करना उसे “नागरिक मृत्यु” देने के बराबर होगा क्योंकि इसके फलस्वरूप उसका सामाजिक बहिष्कार हो सकता है, उसे नौकरी से निकाला जा सकता है, मीडिया उसके पीछे पड़ सकती है अथवा किसी स्वघोषित सतर्कता समूह के व्यक्ति के द्वारा उस पर आक्रमण भी हो सकता है.

Prelims Vishesh

FURNACE OIL :-

  • यह एक काला चिपचिपा अवशिष्ट ईंधन है जिसे मुख्य रूप से कच्चे तेल की आसवन इकाई के भारी घटकों, लघु अवशेष एवं कैटेलिटिक क्रैकर यूनिट से प्राप्त क्लेरीफाइड ऑयल (clarified oil) को मिलाकर प्राप्त किया जाता है.
  • यह उपलब्ध सभी ईंधनों में से सबसे सस्ता ईंधन है और उद्योगों में बॉयलर, टर्बाइन इत्यादि चलाने के लिए बिजली उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है.

Meri Saheli Intiative :-

  • दक्षिण पूर्व रेलवे, ने ट्रेनों से यात्रा करने वाले महिला यात्रियों को स्टेशन से गंतव्य स्टेशन तक की पूरी यात्रा के लिए सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से “मेरी सहेली” पहल की शुरुआत शुरू की है.
  • महिला यात्रियों के बीच, सुरक्षा की भावना पैदा करने में इसकी सफलता को ध्यान में रखते हुए, यह पहल 25.10.2020 से पूरे भारतीय रेलवे के नेटवर्क के सभी जोनल रेलवे में लागू की जा रही है.

Wayanad Wildlife Sanctuary :-

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वायनाड वन्यजीव अभयारण्य के आसपास प्रस्तावित इको-सेंसिटिव ज़ोन (Eco-Sensitive Zone-ESZ) को लेकर स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है.
  • वायनाड वन्यजीव अभयारण्य केरल के वायनाड जिले में स्थित है. इसका क्षेत्रफल लगभग 344.44 वर्ग किमी है.
  • विभिन्न प्रकार के बड़े जंगली जानवर जैसे भारतीय बाइसन, हाथी, हिरण और बाघ यहाँ पाए जाते हैं.
  • वायनाड वन्यजीव अभयारण्य केरल का दूसरा सबसे बड़ा वन्यजीव अभयारण्य है.
  • 1973 में स्थापित, वायनाड वन्यजीव अभयारण्य अब नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व का एक अभिन्न अंग है.

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