Sansar डेली करंट अफेयर्स, 12 February 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 12 February 2020


GS Paper 2 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Parliament and State Legislatures – structure, functioning, conduct of business, powers & privileges and issues arising out of these.

Topic : What is ‘unparliamentary’ speech and conduct?

संदर्भ

बजट सत्र के दौरान संसद में कई बार असंसदीय भाषण एवं आचरण (“unparliamentary” speech and conduct) को लेकर कहा-सुनी हुई.

सांसदों के भाषण पर कौन-सी रोकें लागू हैं?

संविधान के अनुच्छेद 105(2) के प्रावधान के बावजूद कोई सांसद कुछ भी कहता है तो उसपर संसदीय नियमावली का अनुशासन, सदस्यों की भद्र बुद्धि और अध्यक्ष द्वारा कार्यवाही पर नियंत्रण लागू होते हैं.

ये वैसी रोकें हैं जिनसे सुनिश्चित होता है कि कोई सांसद मानहानिपूर्ण अथवा अभद्र अथवा गरिमाहीन अथवा असंसदीय शब्दों (defamatory or indecent or undignified or unparliamentary words) का सदन में प्रयोग नहीं कर सके.

सम्बंधित नियम

लोकसभा प्रक्रिया एवं कारोबार संचालन नियमावली का नियम 380 विलोपन से सम्बंधित है. यदि अध्यक्ष सोचता है कि विवाद में प्रयुक्त शब्द मानहानिपूर्ण अथवा अभद्र अथवा असंसदीय अथवा गरिमाहीन है तो वह अपना विवेक का प्रयोग करते हुए उस शब्द को सदन की कार्यवाही से विलोपित कर सकता है.

नियम 381 कहता है कि सदन की कार्यवाही से विलोपित अंश पर तारक चिन्ह लगा दिए जाते हैं और पृष्ठ के नीचे यह लिख व्याख्यात्मक पादटिप्पणी लिख दी जाती है – “अध्यक्ष के आदेश से विलोपित (Expunged as ordered by the Chair).”

असंसदीय कथन क्या हो सकते हैं?

  • कौन-सा शब्द असंसदीय है यह लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति के विवेक पर निर्भर है. परन्तु लोकसभा सचिवालय ने एक मोटी पुस्तक ही निकाली है जिसका शीर्षक है – “असंसदीय अभिव्यक्तियाँ”. इस पुस्तक के 2004 वाले संस्करण में 900 पृष्ठ थे.
  • इसी पुस्तक से राज्य विधायिकाओं का काम भी चलता है क्योंकि इस पुस्तक में विधानसभाओं और विधानपरिषदों में प्रयोग हुए असंसदीय शब्दों और मुहावरों की भी सूची दी हुई है.
  • “scumbag”“शिट”, “बदमाशी”, “बुरा” (उदाहरण – अमुक सांसद बुरा आदमी है). इस सूची में “bandicoot” भी है जिसका प्रयोग यदि कोई सांसद अपने लिए करता है तो वह चलेगा, परन्तु यदि वह दूसरे सांसद के लिए करता है तो वह असंसदीय माना जाएगा.
  • यदि अध्यक्षता कोई महिला कर रही है तो सांसद उसको प्रिय अध्यक्षा (beloved Chairperson) कह कर संबोधित नहीं कर सकता है.
  • सरकार या किसी सांसद पर इन चीजों का आरोप नहीं लग सकता है – “bluffing”, “Bribe”, “blackmail”, “bribery”, “thief”, “thieves”, “dacoits”, “bucket of shit”, “damn”, “deceive”, “degrade”, और “darling”.
  • सांसदों या अध्यक्षों पर इस प्रकार के आरोप नहीं लग सकते हैं – “double minded”, “double standards”, “doubtful honesty”, “downtrodden”, “double talk”, “lazy”, “lousy”, “nuisance” या “loudmouth”.
  • सरकार को यह नहीं कहा जा सकता – अंधी-गूंगी, अली बाबा और 40 चोर, अंगूठाछाप, अजायबघर के लायक आदि.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Awareness in space.

Topic : NASA’s Voyager 2 spacecraft

संदर्भ

नासा के Voyager 2 खोजी अन्तरिक्षयान में हाल में हुई गड़बड़ी को ठीक कर लिया गया है. विदित हो कि यह अन्तरिक्षयान धरती से लगभग 11 . 5 बिलियन मील पर है.

समस्या क्या थी?

जनवरी 25, 2020 को इस अन्तरिक्षयान से जो काम लेने की योजना थी वह काम यह नहीं कर पा रहा था. अन्तरिक्षयान के त्रुटिसंधान सॉफ्टवेर में भी एक दिक्कत का NASA को पता चला था.

VOYAGER 2 की उपलब्धियाँ

  • Voyager 2 एकमात्र ऐसा टोही अन्तरिक्षयान है जिसने अरुण एवं वरुण उपग्रहों का अध्ययन किया है.
  • यह सौर मंडल से बाहर निकलने वाली दूसरी मानव-निर्मित वस्तु है.
  • अब तक Voyager 2 ने सौर मंडल के सभी चार गैस के बने विशाल उपग्रहोंवृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण – की यात्रा कर ली है.
  • इसने कुल मिलकर 16 चन्द्रमाओं का पता लगाया है.
  • Voyager 2 ने वरुण में पाए जाने वाले विचलनशील रहस्मय वृहद् कृष्ण धब्बे को भी ढूँढ़ निकाला है. इसके अतिरिक्त इसने यूरोपा के हिम-शेल में पड़ी दरार और प्रत्येक ग्रह के रिंगों का भी पता लगाया है.

अंतर-तारकीय अन्तरिक्ष क्या है?

अंतर-तारकीय अन्तरिक्ष का वह हिस्सा है जो तारों के बीच स्थित है. अंतर-तारकीय अन्तरिक्ष कहाँ से शुरू होता है इसके लिए वैज्ञानिक हेलिओपॉज का सहारा लेते हैं. परन्तु सौर मंडल की परिभाषा भिन्न-भिन्न होती है अतः यह हेलिपपॉज Oort Cloud तक फैला हुआ माना जा सकता है. ज्ञातव्य है कि Oort Cloud सूर्य से पृथ्वी की कक्षा की तुलना में 1,000 गुना दूरी पर शुरू होता है.

हेलियोस्फियर (Heliosphere) क्या है?

सूरज से बाहर की ओर निकलने वाले सौर पवनों के कारण तथा उसके उलट अन्दर की ओर प्रवाहित होने वाले अंतर तारकीय पवनों के कारण सूर्य के चारों ओर एक बुलबुला बन जाता है जिसे हेलियोस्फियर कहते हैं.

यह वह क्षेत्र है जो सूर्य के गतिशील गुणधर्मों से प्रभावित होता है, जैसे – चुम्बकीय क्षेत्र, ऊर्जा कण और सौर पवन प्लाज्मा. जिस जगह हेलियोस्फियर समाप्त हो जाता है और जहाँ से अंतर तारकीय अन्तरिक्ष शुरू होता है उस जगह को हेलिओपाउज (heliopause) कहते हैं.

वोयाजर मिशन क्या है?

  • वोयाजर मिशन नासा का एक मिशन है जिसका उद्देश्य सौर मंडल से भी आगे जाकर आस-पास के उन बाहई उपग्रहों का पता लगाना है जो हेलियोस्फियर की बाहरी सीमाओं पर या उसके भी आगे स्थित हैं. इस काम के लिए पहले Pioneers 10 और 11 अन्तरिक्षयान छोड़े गये थे.
  • Voyager 1 और Voyager 2 क्रमशः 5 सितम्बर, 1977 और 20 अगस्त, 1977 को प्रक्षेपित किये गये थे. इनमें से Voyager 1 फ़रवरी 17, 1998 को Pioneers 10 से भी आगे निकल गया और इस प्रकार अन्तरिक्ष में मानव द्वारा भेजी गई सबसे दूरस्थ वस्तु बन गया.
  • Voyager 2 अभी तक सौरमंडल के सभी विशाल गैसीय उपग्रहों – वृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण – तक जा चुका है और अभी तक 16 चन्द्रमाओं का पता लगा चुका है. इसके द्वारा पता किये कुछ अन्य वस्तुएँ इस प्रकार हैं – वरुण पर रहस्यमय रूप से इधर-उधर विचलित होने वाला ग्रेट डार्क स्पॉट, यूरोपा के हिम कवच की दरारें (Europa’s ice shel) तथा प्रत्येक उपग्रह के वलयों की विशेषताएँ.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to biotechnology.

Topic : Genome India project

संदर्भ

भारत सरकार ने जीनोम इंडिया परियोजना नामक जीनों का मानचित्र बनाने वाली महत्त्वाकांक्षी परियोजना को हरी झंडी दे दी है.

जीनोम इंडिया पहल से सम्बंधित मुख्य तथ्य

  • इसके पहले चरण में देश के हर कोने में रहने वाले दस हजार भारतीयों के जीनोमों को पूर्णतः क्रमबद्ध किया जाएगा और भारत की जैव-विविधता का पता लगाया जाएगा.
  • दूसरे चरण में ऐसे 10,000 लोगों के जीनोम क्रमबद्ध होंगे जो रोगग्रस्त हैं.
  • इस योजना से प्राप्त होने वाले विशाल डाटा भंडार को मशीनी ज्ञान तकनीकों का उपयोग करते हुए मिलान किया जाएगा और उन जीनों का पता लगाया जाएगा जो कैंसर अथवा अन्य रोगों का पूर्वानुमान दे सकते हैं.

महत्त्व

  • जीनोम इंडिया कार्यक्रम से प्राप्त डाटा किसी भी शोधकर्ता के लिए विश्लेषण हेतु उपलब्ध रहेगा क्योंकि यह डाटा एक प्रस्तावित राष्ट्रीय जैव वैज्ञानिक डाटा केंद्र में संचित किया जाएगा.
  • जीनोम इंडिया पहल के माध्यम से सामन्य रोगों के लिए जीनों और आनुवंशिक विविधताओं को पहचाने में सहायता मिलेगी. साथ ही इससे मेंडेलियन विकारों (Mendelian disorders) का उपचार करने में भी सहयोग मिलेगा. इसके अतिरिक्त भारत में प्रीसिजन मेडिसिन (Precision Medicine) के माध्यम से उपचार का मार्ग भी प्रशस्त होगा और फलतः देश के जनसामान्य के स्वास्थ्य की देखभाल में सुधार आएगा.

जीनोमिक्स क्या है?

  • किसी प्राणी के जीन सहित उसके पूरे DNA के क्रम को जीनोम कहते हैं.
  • जीनोमिक्स (Genomics) विज्ञान का वह बहु-शाखीय अध्ययन क्षेत्र है जिसमें जीनोमों की बनावट, कार्य, क्रमिक विकास, मानचित्रण और सम्पादन का अध्ययन होता है.
  • जीनोमिक्स में जीनोमों को क्रमबद्ध कर के उनका विश्लेषण किया जाता है.
  • जीनोमिक्स में हुई प्रगति के कारण मनुष्य को जटिल जैव-वैज्ञानिक प्रणालियों, यहाँ तक की मस्तिष्क को समझने में सहयता मिली है.

जीनोम को क्रमबद्ध करना आवश्यक क्यों?

मानव जीनोम को सबसे पहले 2003 में क्रमबद्ध किया गया था. तब से वैज्ञानिकों को यह पता है कि हर व्यक्ति की आनुवांशिक बनावट अनूठी होती है और उसका रोग से सम्बन्ध होता है. सिस्टिक फाब्रोसिस और थेलसिमिया जैसे लगभग 10,000 रोग इसलिए होते हैं कि कोई एक अकेला जीव ठीक से काम नहीं कर रहा होता है. जीनोम को क्रमबद्ध करने से यह सिद्ध हुआ है कि कैंसर भी कुछ अंगों का रोग न होकर आनुवांशिक भी हो सकता है.

विश्व-भर में चल रही जीनोम परियोजनाएँ

Genome Sequencing To Map Population Diversity

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (CSIR) पूरे भारत वर्ष से लगभग 1,000 ग्रामीण युवाओं के जीनोमों को क्रमबद्ध करेगा जिससे कि देश की जनसंख्या का एक आनुवांशिक मानचित्र तैयार हो सके. इस परियोजना का उद्देश्य छात्रों को जीनोमिक्स की उपादेयता के विषय में जागरूक करना है. भारत सरकार पहले से एक वृहद् कार्यक्रम चला रही है जिसमें कम से कम दस हजार भारतीय जीनोमों को क्रमबद्ध किया जाना है. वर्तमान परियोजना उसी वृहद् परियोजना का एक अंश है. इस परियोजना के लिए जिन व्यक्तियों से जीनोमों के नमूने जमा किये जा रहे हैं वे देश की जनसांख्यिक विविधता को प्रदर्शित करते हैं. अधिकांश जीनोम महाविद्यालय के उन छात्र-छात्राओं से लिए जा रहे हैं जो जीव विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं. परियोजना का लक्ष्य है अधिक से अधिक महाविद्यालय के छात्रों तक पहुंचना और उन्हें जीनोमिक्स के सम्बन्ध में शिक्षित करना. इस परियोजना के फलस्वरूप वे अपनी जीनोम से प्रकट हुई सूचना के बारे में जान सकेंगे.

Earth Biogenome Project

अंतर्राष्ट्रीय जीव वैज्ञानिकों ने अर्थ बायो-जीनोम प्रोजेक्ट (BioGenome Project – EBP) नामक परियोजना आरम्भ की है. यह एक बड़े सोच वाली परियोजना है जिसमें अगले 10 वर्षों तक विश्व के एक-एक ज्ञात पशु, पौधे और फंफूद प्रजाति (fungal species) के DNA का अध्ययन किया जाएगा. इसके लिए 1.5 मिलियन अलग-अलग जिनेमों को क्रमबद्ध किया जाएगा जिसपर अनुमानतः 4.7 बिलियन डॉलर का व्यय आएगा.

EBP परियोजना में काम करने के लिए विश्व के 19 शोध संस्थानों ने अब तक अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं और कुछ अन्य इसमें सम्मिलित होने की सोच रहे हैं. जिन प्राणियों की DNA शृंखला का अध्ययन होने वाला है, उनमें बैक्टीरिया और archaea जैसे अ-जटिल सूक्ष्म जीवाणुओं को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के प्राणी होंगे, जैसे – पशु, पौधे, फंफूद, प्रोटोजोआ आदि. इस परियोजना के लिए धनराशि सरकारों, फाउंडेशनों, धार्मादा प्रतिष्ठानों (charities) से प्राप्त की जायेगी. इस परियोजना के पहले चरण में 9,000 यूकेरियोटिक (eukaryotic) प्राणिवर्गों, अर्थात् उन प्राणियों जिनके कोषों में झिल्ली से घिरा एक नाभिक होता है, का रेफरेन्स जीनोम तैयार किया जाएगा. इसमें 600 मिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी और अभी तक 200 मिलियन डॉलर का प्रबंध हो भी चुका है. इस परियोजना में सम्मिलित ब्रिटेन के प्रतिभागी Wellcome Sanger Institute के नेतृत्व में देश में रहने वाले सभी 66,000 ज्ञात प्रजातियों के जेनेटिक कोड को क्रमबद्ध करेंगे. 100 मिलियन पौंड (£100m) वाले इस राष्ट्र-स्तरीय कार्यक्रम को Darwin Tree of Life का नाम दिया गया है.

100K Genome Asia Project

सिंगापुर-स्थित नान्यांग प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (Nanyang Technological University – NTU) के नेतृत्व में एक परियोजना चल रही है जिसमें 50 हजार भारतीयों सहित एक लाख एशियाई लोगों के सम्पूर्ण जीनोम को क्रमबद्ध किया जाएगा. इस योजना का नाम 100k जीनोम एशिया प्रोजेक्ट है. इसमें भारत के वैज्ञानिक और कंपनियाँ भी काम कर रही हैं. यह एक लाभ रहित परियोजना है जिसमें एशिया के एक लाख लोगों के जीनोम को इस उद्देश्य से क्रमबद्ध किया जा रहा है कि इससे एशिया महादेश के लोगों को सही-सही औषधि देना संभव हो जाएगा. इस परियोजना में डाटा विज्ञान एवं कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence – AI) के क्षेत्र में हुई प्रगतियों तथा डाटा विश्लेषण का भी सहारा लिया जाएगा. इसके लिए दक्षिण एशिया के 12 देशों तथा उत्तरी एवं पूर्वी एशिया के कम-से-कम 7 देशों के लोग चुने जाएँगे. प्रथम चरण में परियोजना में एशिया की सभी प्रमुख प्रजातियों के लिए चरणबद्ध reference genomes बनाने पर बल होगा. इससे एशिया की विभिन्न आबादियों के इतिहास और उसकी भीतरी बनावट को समझने में बहुत बड़ी सहायता मिलेगी. एक लाख व्यक्तिगत जीनोम को क्रमबद्ध करने के समय उससे माइक्रो-बायोम, चिकित्सकीय और फेनोटाइप सूचनाएँ भी जोड़कर रखी जायेंगी. इससे लाभ यह होगा कि स्थानीय समुदायों के मरे हुए और स्वस्थ जीवित व्यक्तियों के विषय में गहनतर विश्लेषण संभव हो सकेगा.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Security challenges and their management in border areas; linkages of organized crime with terrorism. Public Safe

Topic : Public Safety Act

संदर्भ

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्रिगण महबूबा मुफ़्ती और उमर अब्दुल्ला के साथ-साथ नेशनल कांफ्रेंस एवं पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के दो बड़े राजनेताओं पर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (Public Safety Act – PSA) लगा दिया है.

सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम लगाये जाने का निहितार्थ

  • PSA लगाये जाने के अंतर्गत गिरफ्तारी के आदेश पारित होने के चार सप्ताह के भीतर सरकार को मामले को एक परामर्शी बोर्ड में भेजना पड़ता है. यह बोर्ड आदेश पारित होने के आठ सप्ताह के भीतर अपनी अनुशंसा देता है. यदि बोर्ड समझता है कि बंदीकरण के पीछे ठोस कारण है तो सरकार गिरफ्तारी की अवधि दो वर्ष तक बढ़ा सकती है.
  • PSA में गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के विरुद्ध कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार होता है, परन्तु परामर्शी बोर्ड के समक्ष उसे ऐसा अधिकार नहीं मिला हुआ है. यदि उसके पास ऐसे पर्याप्त आधार हैं जिससे गिरफ्तारी को अवैध सिद्ध किया जा सकता है, तभी वह इस बोर्ड के समक्ष जा सकता है.
  • PSA के कुछ ऐसे भी मामले हुए हैं जिनमें उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया है और गिरफ्तारी को निरस्त कर दिया है.
  • PSA के अनुभाग 13(2) के अनुसार, गिरफ्तार करते समय व्यक्ति को इसका कारण बताना आवश्यक नहीं होता यदि यह निर्णय हो कि ऐसा करना लोकहित के विरुद्ध है.

 जम्मू-कश्मी जन सुरक्षा अधिनियम क्या है?

  • जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम अप्रैल 8, 1978 से लागू है.
  • यह अधिनियम विशेषकर इसलिए पारित किया गया था कि इमारती लकड़ियों की तस्करी को रोका जा सके.
  • इस अधिनियम के अनुसार सरकार चाहे तो 16 वर्ष से ऊपर की आयु वाले किसी भी व्यक्ति को बिना मुक़दमे के दो वर्ष तक बंदी बना सकती है.
  • अधिनियम के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति राज्य की सुरक्षा के विरुद्ध कार्य कर रहा है तो उसे दो वर्ष तक प्रशासनिक बंदी के रूप से बंदी बनाया जा सकता है. साथ ही यदि कोई व्यक्ति विधि-व्यवस्था के लिए खतरा हो तो उसे एक वर्ष के लिए बंदी बनाया जा सकता है.
  • अधिनियम के अंतर्गत किसी को बंदी बनाने के लिए आदेश प्रमंडल आयुक्त अथवा जिला मजिस्ट्रेट द्वारा निर्गत किया जा सकता है.
  • अधिनियम के अनुभाग 22 के अनुसार बंदी बनाए गये व्यक्ति के विरुद्ध न्यायालय में कोई वाद नहीं चलाया जा सकता.
  • अधिनियम के अनुभाग 23 में सरकार को यह शक्ति दी गई है कि वह अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप नियमावली बना सकती है.

इस कानून को “निर्मम” (DRACONIAN) क्यों कहा जाता है?

जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम का प्रारम्भ से दुरूपयोग होता रहा है. अलग-अलग सरकारों ने अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदियों के विरुद्ध इस कानून का बार-बार दुरूपयोग किया है. अगस्त, 2018 में इस कानून को और भी कठोर करते हुए यह व्यवस्था की गई कि राज्य के बाहर का कोई भी व्यक्ति बंदी बनाया जा सकता है. बंदी बनाते समय अधिकारी चाहे तो अपनी कार्रवाई का कारण नहीं बता सकता है और कह सकता है कि ऐसा करना जनहित में नहीं है.

अधिनियम में बंदी बनाने के लिए जो आधार दिए गये हैं, वह अस्पष्ट हैं. इस कारण अधिकारियों की शक्ति बेलगाम हो जाती है. अधिनियम किसी बंदीकरण की न्यायिक समीक्षा का प्रावधान भी नहीं करता है. यदि उच्च न्यायालय किसी बंदी को छोड़ने का आदेश देता है तो सरकार उसे दुबारा बंदी बना कर के उसे कारावास में डाल देती है. इस अधिनियम का प्रयोग मानवाधिकार कर्मियों, पत्रकारों आदि के विरुद्ध होता रहा है.


Prelims Vishesh

Chindu Yakshaganam :-

  • चिंडु यक्षगानम् अपर नाम चिंडु भागवतम् तेलंगाना में रहने वाले घुमन्तू चिंडु मडिगा समुदाय के लोगों की एक नाट्य कला है.
  • इसमें चिंडु मडिगा समुदाय के लोग शिकार, युद्ध और अन्य वीरता से जुड़े कृत्यों का रंगमंचन करते हैं और महाभारत, रामायण की कहानियों का रंगमंचन करके लोगों का मनोरंजन करते हैं.

Gagarin Research and Test Cosmonaut Training Centre (GCTC) :

  • भारत की योजना 2022 में गगनयान के माध्यम से मनुष्य को पृथ्वी की कक्षा में भेजना है.
  • इसके लिए चार अन्तरिक्षयात्री चुने गये हैं जिनका प्रशिक्षण रूस की राजधानी मॉस्को में स्थित गागरिन अनुसंधान एवं परीक्षण अन्तरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में होगा.
  • इन चारों व्यक्तियों में से अंततः दो चुने जाएँगे जो गगनयान का संचालन करेंगे.

Integrated Air Defence Weapon System :

  • अमेरिका के विदेश विभाग ने भारत को IADWS नामक हथियार (Integrated Air Defence Weapon System) देने का अनुमोदन कर दिया है.
  • अनुमान है कि इसे खरीदने में भारत को 1.867 बिलियन डॉलर भुगतान करना होगा.
  • इस प्रणाली में ये सारी वस्तुएँ शामिल हैं – राडार, प्रक्षेपक, लक्ष्य भेदन, लक्ष्य तक पहुँचने के उपकरण, उन्नत मध्यम दूरी के हवा-से-हवा मार करने वाले मिसाइल (AMRAAM), स्टिंगर मिसाइल और सम्बंधित उपकरण आदि.

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