Sansar डेली करंट अफेयर्स, 12 December 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 12 December 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Topic : Anglo- Indians in Lok Sabha and Assemblies

संदर्भ

संविधान संशोधन (126वाँ) विधेयक राज्यसभा से भी पास हो गया है. यह विधेयक लोकसभा से पहले ही पास हो चुका है. विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति समुदायों के आरक्षण को दस वर्ष बढ़ाने का प्रावधान है.

फिलहाल आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा है. विधेयक में इसे 25 जनवरी, 2030 तक बढ़ाने का प्रावधान है. वहीं संसद में एंग्लो इंडियन कोटे के तहत 2 सीटों पर नामांकन खत्म करने का विधेयक में प्रावधान है. विदित हो कि 70 वर्ष से इस समुदाय के दो सदस्य सदन में प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं.

पृष्ठभूमि

संविधान की धारा 334 के अनुसार यह आरक्षण शुरूआत में दस साल के लिए किया गया था और उसके बाद से हर दस साल बाद इसे बढ़ाया जाता रहा है. वर्तमान आरक्षण 25 जनवरी 2020 को खत्म हो रहा है.

एंग्लो-इंडियन कौन हैं?

अनुच्छेद 366(2) के अनुसार एंग्लो– इंडियन का अर्थ है एक ऐसा व्यक्ति जिसके पिता या उसके कोई भी पुरुष पूर्वज पुरुष पक्ष का हो या यूरोपीय वंश का, लेकिन जो भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर अधिवासित हो या ऐसे राज्य क्षेत्र में उसका जन्म हुआ हो और जिसके माता– पिता भारत में रहते थे और यहां अस्थायी उद्देश्य के लिए नहीं आए थे, एंग्लो– इंडियन कहलाता है.

संसद एवं विधान सभाओं में एंग्लो-इंडियन का नामांकन

अनुच्छेद 331 में उल्लेख है कि राष्‍ट्रपति महोदय, यदि ऐसा मानते हैं कि आंग्‍ल भारतीय समुदाय को सभा में उचित प्रतिनिधित्‍व नहीं मिला है तो उस समुदाय से अधिकतम 2 सदस्‍यों को नामित कर सकते हैं. नामित होने के बाद एंग्लो-इंडियन सदस्य चाहें तो छह महीने के भीतर किसी भी राजनीतिक दल का सदस्य बन सकते हैं (दसवीं अनुसूची के अनुसार).

विधान सभाओं में भी राज्यपाल एक एंग्लो-इंडियन को नामित करते हैं. अब यह नामांकन बंद हो जाएगा.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Topic : 6th Schedule of the Constitution

संदर्भ

केंद्र सरकार ने कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 के प्रावधानों से संविधान में अधिसूचित उन राज्यों के स्वायत्त जनजातीय क्षेत्रों को अलग रखा जाएगा जहाँ इनर लाइन परमिट प्रणाली लागू है. ये राज्य हैं – असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम.

इसका अभिप्राय यह होगा कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भागकर आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता तो मिल जायेगी परन्तु इन राज्यों के स्वायत्त क्षेत्रों में वे कोई जमीन नहीं ले सकेंगे अथवा व्यापार कर सकेंगे. इस प्रकार के स्वायत्त जिलों की संख्या 10 है.

दूसरे शब्दों में, शरणार्थी इन जिलों में बस नहीं पायेंगे और न ही उन्हें जनजातियों को मिलने वाले लाभ ही मिलेंगे.

भारतीय संविधान की छठी अनुसूची

संविधान की छठी अनुसूची (अनुच्छेद 244) देश के चार पूर्वोत्तर राज्यों – असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम – के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से सम्बंधित है.

छठी अनुसूची के मुख्य प्रावधान

  1. जनजातीय क्षेत्रों में राज्यपाल को स्वायत्त जिलों का गठन और पुनर्गठन करने का अधिकार है. राज्यपाल स्वशासी क्षेत्रों की सीमा घटा या बढ़ा सकता है तथा नाम भी परिवर्तित कर सकता है.
  2. यदि किसी स्वायत्त जिले में एक से अधिक जनजातियाँ हैं तो राज्यपाल इस जिले को अनेक स्वायत्त क्षेत्रों में बाँट सकता है.
  3. प्रत्येक स्वायत्त जिले में 30 सदस्यों की एक जिला परिषद् होती है जिसमें 4 जन राज्यपाल नामित करता है और शेष 26 व्यस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाते हैं.
  4. जिला परिषद् के सदस्यों का कार्यकाल पाँच वर्ष होता है और नामी सदस्य तब तक सदस्य बने रहते हैं जब तक राज्यपाल की इच्छा हो.
  5. प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र का अपनी एक अलग क्षेत्रीय परिषद् होती है.
  6. जिला और क्षेत्रीय परिषदें अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्र का प्रशासन देखती हैं.
  7. जिला व क्षेत्रीय परिषदें अपने अधीन क्षेत्रों में जनजातियों के आपसी मामलों के निपटारे के लिये ग्राम परिषद या न्यायालयों का गठन कर सकती हैं. वे अपील सुन सकती हैं. इन मामलों में उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का निर्धारण राज्यपाल द्वारा किया जाता है.
  8. जिला परिषद अपने जिले में प्राथमिक विद्यालयों, औषधालय, बाजारों, फेरी, मत्स्य क्षेत्रों, सड़कों आदि को स्थापित कर सकती है या निर्माण कर सकती है. जिला परिषद साहूकारों पर नियन्त्रण और गैर-जनजातीय समुदायों के व्यापार पर विनियम बना सकती है, लेकिन ऐसे नियम के लिये राज्यपाल की स्वीकृति आवश्यक है.
  9. जिला व प्रादेशिक परिषद को भू-राजस्व का आकलन व संग्रहण करने का अधिकार है. वह कुछ विनिर्दिष्ट कर भी लगा सकता है.
  10. संसद या राज्य विधानमण्डल द्वारा निर्मित नियम को स्वशासी क्षेत्रों में लागू करने के लिये आवश्यक बदलाव किया जा सकता है.
  11. राज्यपाल, स्वशासी जिलों तथा परिषदों के प्रशासन की जांच और रिपोर्ट देने के लिये आयोग गठित कर सकता है. राज्यपाल, आयोग की सिफारिश पर जिला या परिषदों को विघटित कर सकता है.

125वाँ संशोधन विधेयक

भारत सरकार ने राज्य सभा में 125वाँ संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया है जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर भाग के छठी अनुसूची वाले क्षेत्रों में कार्यरत 10 स्वायत्त परिषदों की वित्तीय और कार्यकारी शक्तियां बढ़ाना है. इस संशोधन का प्रभाव असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में रहने वाले एक करोड़ जनजातीय लोगों पर पड़ेगा.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources, issues relating to poverty and hunger.

Topic : Human Development Index

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा हाल ही में मानव विकास सूचकांक 2019 जारी किया गया.

मानव विकास सूचकांक 2019 से जुड़े मुख्य तथ्य

  • मानव विकास सूचकांक में नॉर्वे पहला स्थान पर रहा.
  • उसके बाद स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और जर्मनी का स्थान रहा.
  • रिपोर्ट के अनुसार, 1990-2018 में दक्षिण एशिया मानव विकास की प्रगति में सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र रहा, जिसके बाद पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 43% की वृद्धि हुई.
  • वैश्विक स्तर पर, 1.3 अरब लोग गरीब हैं.
  • इन गरीबों में से लगभग 661 मिलियन लोग एशिया और प्रशांत क्षेत्र में रहते हैं.
  • दक्षिण एशिया में दुनिया के 41% लोग गरीब हैं.

भारत का प्रदर्शन

  • इस सूचकांक में भारत ने एक पायदान का सुधार करते हुए 129वाँ स्थान हासिल किया है.
  • पिछले वर्ष 189 अर्थव्यवस्थाओं में भारत का स्थान 2018 में 130वाँ रहा था जबकि 2017 में 131वाँ स्थान था.

भारत के पड़ोसी देशों का प्रदर्शन

  • श्रीलंका = 71
  • चीन = 85
  • भूटान = 134
  • बांग्लादेश = 135
  • म्यांमार = 145
  • नेपाल = 147
  • पाकिस्तान = 152
  • अफगानिस्तान = 170

मानव विकास सूचकांक क्या है?

  • मानव विकास को मानव विकास सूचकांक (Human Development Index, HDI) के रूप में मापा जाता है.
  • इसे मानव विकास की आधारभूत उपलब्धियों पर निर्धारित एक साधारण समिश्र सूचक (composite indicator) के रूप में मापा जाता है और विभिन्न देशों द्वारास्वास्थ्य, शिक्षा तथा संसाधनों तक पहुँच  के क्षेत्र में की गई उन्नति के आधार पर उन्हें श्रेणी (rank) प्रदान करता है.
  • यह श्रेणी 0 से 1 के बीच के स्कोर पर आधारित होता है, जो एक देश, मानव विकास के महत्त्वपूर्ण सूचकों में अपने रिकॉर्ड से प्राप्त करता है.
  • मानव विकास सूचकांक UNDP (United Nation Development Programme) द्वारा नापा जाता है.
  • UNDP का headquarter न्यूयॉर्क में है.
  • इसकी स्थापना 1965 को हुई थी.

इसको मापने के लिए निम्नलिखित पैमानों (measures) का प्रयोग किया जाता है –

  • स्वास्थ्य
  • शिक्षा
  • संसाधनों तक पहुँच
  • जन्म के समय जीवन प्रत्याशा
  • सामान्य साक्षरता दर
  • प्रतिव्यक्ति वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (PPP)
  • प्राप्तियाँ और कमियाँ (Attainment and Shortfalls)

मानव विकास सूचकांक के लिए यहाँ विस्तार से पढ़ें > HDI in Hindi


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : Hong Kong marks half-year protest anniversary

संदर्भ

हांगकांग में लोकतंत्र के समर्थन में हो रहे प्रदर्शन के छह महीने पूरे होने के अवसर पर रविवार (8 दिसंबर) को लाखों लोगों ने विशाल रैली निकालकर आंदोलन के प्रति समर्थन व्यक्त किया. इस मौके पर उन्होंने चीन समर्थक नेताओं को चेतावनी दी कि इस राजनीतिक संकट को हल करने के लिए उनके पास आखिरी मौका है.

पृष्ठभूमि

वर्तमान में हॉन्ग कॉन्ग में एक व्यापक आन्दोलन छिड़ा हुआ है. आन्दोलनकर्ता चीन में एक कानून में परिवर्तन के विरुद्ध रैलियाँ निकाल रहे हैं. संशोधित नियमों के अनुसार जिस व्यक्ति पर हत्या एवं बलात्कार का आरोप होगा उसको मुकदमे के लिए चीन भेज दिया जाएगा. एक बार यह कानून लागू हो गया तो बाद में इसे मकाऊ पर भी चीन लागू करना चाहेगा क्योंकि हॉन्ग कॉन्ग की भाँति मकाऊ भी चीन का विशेष स्वायत्तर्ण प्रशासनिक क्षेत्र माना जाता है.

चीन की प्रतिक्रिया

चीनी सरकार का कहना है कि वर्तमान कानून में कुछ ऐसे छिद्र हैं जिनके कारण अपराधी हॉन्ग कॉन्ग शहर का लाभ उठाने में समर्थ हो जाते हैं. चीन का कहना है कि ऐसे छिद्र को बंद करना आवश्यक है. उसने यह आश्वासन भी दिया है कि देश निकाला कर चीन भेजने के बारे में अंतिम निर्णय हॉन्ग कॉन्ग के न्यायालय ही लेंगे. इस प्रकार के देश निकला विशेष श्रेणी के आरोपितों पर ही लागू होगा अर्थात् राजनीतिक और धार्मिक अपराधों के आरोपित व्यक्तियों को मुकदमे के लिए चीन नहीं भेजा जाएगा.

आन्दोलनकारियों की चिंता

आन्दोलनकारियों को डर है कि कानून में इस परिवर्तन का लाभ उठाकर चीन हॉन्ग कॉन्ग में रहने वाले राजनैतिक विरोधियों को परेशान करेगा. उनका विचार है कि जिन आरोपित व्यक्तियों को ले जाया जाएगा उनको यातना दी जायेगी. उनका एक तर्क यह भी कि हॉन्ग कॉन्ग की स्वायत्तता पहले से डगमग चल रही है, अतः इस संशोधन से वह और भी कमजोर हो जायेगी.

हॉन्ग कॉन्ग और चीन में क्या रिश्ता है?

हॉन्ग कॉन्ग पहले ब्रिटेन का उपनिवेश था. ब्रिटेन ने उसे चीन से 99 वर्ष की लीज पर लिया था. यह लीज 1997 में पूरी हो गयी तो ब्रिटेन ने इसे चीन को लौटा दिया. परन्तु “एक देश दो प्रणालियाँ” इस सिद्धांत के अंतर्गत हॉन्ग कॉन्ग को अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र का दर्जा दे दिया गया. फलतः हॉन्ग कॉन्ग के पास अपने कानून और अपने न्यायालय हैं. इसके अतिरिक्त यहाँ के निवासियों को कई प्रकार की नागरिक स्वतंत्रता मिली हुई है. हॉन्ग कॉन्ग और चीन के बीच प्रत्यर्पण से सम्बंधित कोई समझौता नहीं है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : WTO’s dispute settlement mechanism

संदर्भ

विश्व व्यापार संगठन के सात सदस्यीय अपीलीय निकाय में शेष 3 सदस्यों में से 2 का कार्यकाल समाप्त होने से निकाय का अस्तित्व समाप्ति के कगार पर है.

अपीलीय निकाय के पूर्ण गठन में समस्या क्या है?

पिछले दो वर्षों से अपीलीय निकाय के सदस्यों की संख्या घटकर 3 रह गई है जबकि इसमें 7 सदस्य चाहिएँ. ऐसा इसलिए है कि अमेरिका समझता है कि WTO उससे भेदभाव करता है और इसलिए अमेरिका नए सदस्यों की नियुक्ति और पुराने सदस्यों की फिर से नियुक्ति में अड़चन डाल रहा है. स्थिति यह है कि आने वाले दिसम्बर में इसके दो सदस्य अपनी कार्यावधि पूरी कर लेंगे और उसके बाद इस निकाय में मात्र एक सदस्य रह जाएगा. विदित हो कि अपील की सुनवाई के लिए कम-से-कम 3 सदस्य होना आवश्यक है.

WTO का अपीलीय निकाय क्या है?

यह अपीलीय निकाय सात सदस्यों की एक स्थायी समिति है जिसकी स्थापना 1995 में हुई थी. इस निकाय में WTO सदस्यों  के द्वारा लाये गये व्यापार से सम्बंधित विवादों पर किये गये न्याय-निर्णयों के विरुद्ध अपील सुनी जाती है. 1995 से अब तक इस निकाय के पास 500 विवाद आये जिसमें 350 मामलों में न्याय-निर्णय दिया गया. यह निकाय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के मामले में सर्वोच्च संस्था है.

इस संस्था के पास वे देश आते हैं जिन्हें लगता है कि WTO समझौते का उल्लंघन हुआ है. अपीलीय निकाय निम्नस्थ संस्थाओं द्वारा दिए गये निर्णयों को यथावत् रख सकता है अथवा उन्हें संशोधित कर सकता है अथवा आदेश को पलट सकता है.

भारत पर इसका प्रभाव क्या होगा?

सदस्यों की कमी के कारण अपीलीय निकाय 2 से 3 महीने के भीतर निर्णय देने की अपनी समय-सीमा को पूरा करने में असमर्थ रहा. भारत अब तक 54 विवादों में प्रत्यक्ष भागीदार रहा है और 158 मामलों में तीसरे पक्ष के रूप में सम्मिलित रहा है. फरवरी 2019 में निकाय ने कहा कि वह जापान और भारत के बीच एक विवाद में भारत द्वारा लोहे और इस्पात उत्पादों के आयात पर लगाए गए सुरक्षा मानकों पर अमल करने में असमर्थ होगा. निकाय अभी तक जुलाई 2018 से दायर की गई कम से कम 10 अपीलों की समीक्षा नहीं कर पाया है.

WTO अपीलीय निकाय का निष्क्रिय होना भारत के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि इस देश के द्वारा सामना किये जाने वाले विवादों की संख्या बढ़ती जा रही है, विशेषकर कृषि उत्पादों के मामलों में. पिछले चार महीनों में ही भारत के विरुद्ध WTO में चार वाद दायर किये गये हैं जिनमें भारत द्वारा चीनी और गन्ना उत्पादकों को समर्थन देने का आरोप लगाया गया है.

क्या किया जाए?

यद्यपि अपीलीय निकाय के लिए नियुक्ति WTO सदस्यों की सर्वसम्मति से होता है, परन्तु यदि सर्वसम्मति नहीं होती है तो मतदान का एक प्रावधान है. यदि चाहें तो 17 अल्प-विकसित और विकासशील देश मिलकर मतदान के लिए प्रस्ताव दे सकते हैं और बहुमत के आधार पर नए सदस्यों की नियुक्ति कर सकते हैं. परन्तु यह उपाय सफल हो जाएगा इसकी गारंटी नहीं है क्योंकि अमेरिका इस पर अपना वीटो दे सकता है.


Prelims Vishesh

‘Iron Union 12’ :-

  • यह एक संयुक्त सैन्य अभ्यास है जो संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका की स्थल सेनाएँ आयोजित करती हैं.
  • इस बार यह आयोजन संयुक्त अरब अमीरात में हो रहा है.

National Financial Reporting Authority :-

  • कम्पनी अधिनियम 2013 में एक नियामक स्थापित करने का प्रस्ताव है जो लेखा और अंकेक्षण के मानकों को लागू करेगा.
  • NFRA को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी त्रुटि करने वाले अंकेक्षक अथवा अंकेक्षक प्रतिष्ठान को 10 वर्ष के लिए प्रतिबंधित करते हुए भारी-भरकम जुर्माना लगाये.
  • NFRA में एक अध्यक्ष के अतिरिक्त 15 सदस्य होंगे जिनमें 3 पूर्णकालिक होंगे. इनके अतिरिक्त एक सचिव भी होगा.

Global High-Resolution Atmospheric Forecasting System (GRAF) :

  • अंतर्राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कम्पनी IBM मौसम पूर्वानुमान के लिए एक उन्नत रेजोल्यूशन वाले GRAF नामक मॉडल को बनाने जा रहा है जो भारत में पूर्वानुमान की सटीकता में बढ़ोतरी लाएगा.
  • ज्ञातव्य है कि इस मॉडल के माध्यम से तीन किलोमीटर के रेजोल्यूशन का पूर्वानुमान संभव होगा.

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