Sansar डेली करंट अफेयर्स, 12 August 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 12 August 2020


GS Paper 1 Source : Down to Earth

down to earth

UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc., geographical features and their location- changes in critical geographical features.

Topic : Geothermal springs in Himalayas release large amount of carbon dioxide: Study

संदर्भ

हाल ही में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) द्वारा किये एक शोध से पता चला है कि हिमालय में विद्यमान जियोथर्मल स्प्रिंग्स बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण में छोड़ रहे हैं, जिससे वहाँ के वातावरण और जलवायु पर प्रभाव पड़ रहा है.  

विदित हो कि वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्वायत्त संस्थान है.

शोध के मुख्य निष्कर्ष

शोध के अनुसार इन सोतों से वायुमंडल में लगभग 7.2 × 106 एमओएल प्रति वर्ष की दर से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्‍सर्जन हो सकता है.

  • शोध के अनुसार इन थर्मल स्प्रिंग्स में कार्बन डाइऑक्साइड, हिमालय की गहराई में विद्यमान कार्बोनेट चट्टानों के मेटामोर्फिक डेकार्बोनाइजेशन और मैग्मा एवं ग्रेफाइट चट्टानों के ऑक्सीकरण के चलते आ रही है. 
  • इसके वैज्ञानिकों ने हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग्स का अध्ययन किया है.
  • वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय में विभिन्न तापमान और रासायनिक स्थितियों वाले लगभग 600 जियोथर्मल स्प्रिंग्स (गर्म पानी के सोते) हैं जिनको समझना जरुरी है क्योंकि यह ने केवल स्थानीय बल्कि वैश्विक जलवायु पर भी असर डाल रहे हैं. इसके साथ ही कार्बन चक्र और ग्लोबल वार्मिंग पर भी इनके पड़ रहे असर को समझना जरुरी है. 
  • वैज्ञानिकों ने गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में मौजूद लगभग 20 गर्म पानी के सोतों का अध्ययन किया है जिससे उत्सर्जित होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने इन सोतों से लिए पानी के नमूनों का विस्तृत रासायनिक और आइसोटोपिक विश्लेषण किया है.
  • आइसोटोपिक माप की सहायता से कार्बनिक और अकार्बनिक यौगिकों के भीतर स्थिर आइसोटोप और रासायनिक तत्वों की प्रचुरता की पहचान की जा सकती है. 

वर्तमान स्थिति

  • वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड पहले ही रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है. एनओएए द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, मई 2020 में वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 417.1 पीपीएम पर पहुँच गया था. इससे पहले मई 2019 में कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) का स्तर 414.8  भाग प्रति मिलियन रिकॉर्ड किया गया था जोकि मई 2020 से करीब  2.4 पीपीएम कम था. ऐसे में मौना लोआ वेधशाला में दर्ज कार्बन डाइऑक्साइड के आँकड़ों से यह स्पष्ट हो जाता है कि वैश्विक सीओ2 के स्तर में लगातार बढ़ रही है. ऐसे में कार्बन डाइऑक्साइड के सभी स्रोतों को जानना और समझना आवश्यक है. 
  • वैज्ञानिकों का मानना है कि इस शोध की मदद से हिमालय क्षेत्र में विद्यमान गर्म पानी के सोतों से प्रति वर्ष उत्‍सर्जित हो रही कार्बन डाइऑक्‍साइड की मात्रा का अनुमान लगाया जा सकता है. जिससे वातावरण और जलवायु पर इसके पड़ने वाले असर को समझा जा सकता है.

भूतापीय जल के पीछे विज्ञान

  1. जैसा कि हम जानते हैं, पृथ्वी की गहराई में जाने पर तापमान बढ़ता जाता है और पृथ्वी की बाहरी कोर में मैग्मा की प्राप्ति होती है. इस मैग्मा (8001300°C) के चारो ओर पृथ्वी की विभिन्न परतें होती हैं.
  2. पृथ्वी की परतों में भूगार्भिक संचालनों के कारण दरार या भ्रंश उत्पन्न होने पर, पृथ्वी की मैग्मा परत से ऊपर की ओर भारी मात्रा में ऊष्मा का प्रवाह होता है.
  3. यह ऊष्मा भ्रंशो/दरारों के माध्यम से पृथ्वी की सतह की ओर स्थानांतरित होती है तथा भू-गर्भ में स्थित जल को गर्म करती है.
  4. जैसे-जैसे पानी का तापमान बढ़ता है, इसका घनत्व कम हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप भ्रंशो से होकर तप्त पानी ऊपर उठकर सतह पर गर्म झरनों के रूप स्फुटित होता है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

हिमालय के क्षेत्रीय विभाजन को समझाइये. क्या हिमालय पर्वत में उत्थान अब भी जारी है? तर्क प्रस्तुत करें.

Explain the regional divisions of the Himalayas. Are the Himalayas still rising? Comment logically.


GS Paper 1 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Indian Culture will cover the salient aspects of Art forms, Literature and Architecture from ancient to modern times. Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present.

Topic : Paryushana Festival

संदर्भ

मुंबई उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में पर्युषण पर्व के दौरान जैन मंदिरों को खोलने की अनुमति मांगी गई है.

पर्युषण पर्व

  • यह पर्व जैन धर्मावलंबियों द्वारा मनाया जाता है.
  • दिगंबर जैन समाज पर्युषण पर्व को दस दिनों तक मनाता है, इसलिए इस पर्व को दशलक्षण पर्व भी कहते है. वही श्‍वेतांबर संप्रदाय द्वारा यह पर्व आठ दिनों तक मनाया जाता है. जैन धर्मावलंबियों द्वारा प्रति वर्ष भाद्रपद मास में इस महान पर्व को बड़े उत्‍साह के साथ मनाया जाता है. दो संप्रदायों में यह पर्व अलग-अलग तिथियों से प्रारंभ होते है.
  • जैन धर्म में अहिंसा एवं आत्‍मा की शुद्धि को सबसे महत्त्वपूर्ण स्‍थान दिया जाता है. प्रत्‍येक समय हमारे द्वारा किये गये अच्‍छे या बुरे कार्यों से कर्म बंध होता है, जिनका फल हमें अवश्‍य भोगना पड़ता है. शुभ कर्म जीवन व आत्‍मा को उच्‍च स्‍थान तक ले जाता है, वही अशुभ कर्मों से हमारी आत्‍मा मलिन होती जाती है.
  • पर्युषण पर्व के दौरान विभिन्‍न धार्मिक क्रियाओं से आत्‍मशुद्धि की जाती व मोक्षमार्ग को प्रशस्त्र करने का प्रयास किया जाता है, ताकि जनम-मरण के चक्र से मुक्ति पायी जा सकें. जब तक अशुभ कर्मों का बंधन नहीं छुटेगा, तब तक आत्मा के सच्‍चे स्‍वरूप को हम नहीं पा सकते हैं.
  • इस पर्व के दौरान दस धर्मों – उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्‍तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्‍य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्‍याग, उत्तम आकिंचन एवं उत्तम ब्रह्मचर्य को धारण किया जाता है. समाज के सभी पुरूष, महिलाएं एवं बच्‍चे पर्युषण पर्व को पूर्ण निष्‍ठा के साथ मनाते है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

‘हमें ईमानदारी से यह बात स्वीकार कर लेनी चाहिये कि हमारा ज्ञान सीमित और सापेक्ष है.’ इस कथन के संदर्भ में महावीर के स्यादवाद के सिद्धांत का विश्लेषण करें तथा वर्तमान में इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा करें.

“We should honestly accept that our knowledge is limited and relative.” In the light of this statement analyse the Syadwad theory of Mahavir and discuss its relevance today.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Medical Council of India (MCI)

संदर्भ

भारत के शीर्ष चिकित्सा शिक्षा नियामक ने कहा है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर और लद्दाख (पीओजेकेएल) स्थित मेडिकल कॉलेजों से शिक्षा प्राप्त करने वाला कोई भी व्यक्ति भारत में आधुनिक चिकित्सा की प्रैक्टिस करने के योग्य नहीं होगा. पाकिस्तान द्वारा 1600 कश्मीरी छात्र को स्कॉलरशिप देने के निर्णय करने के बाद यह कदम उठाया गया है.

भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) की जगह लाए गए ‘बोर्ड ऑफ गवर्नर्स’ (बीओजी) ने 10 अगस्त को एक सार्वजनिक सूचना में कहा कि समूचा जम्मू कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है. नोटिस में कहा गया, ‘‘पाकिस्तान ने क्षेत्र के एक हिस्से पर अवैध और जबरन कब्जा कर रखा है. तदनुसार, पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र स्थित किसी भी चिकित्सा संस्थान को भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 के अंतर्गत अनुमति और मान्यता की आवश्यकता है.”

पृष्ठभूमि

MCI की यह घोषणा जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के निर्देश के कई महीनों पश्चात् आई है जिसमें MCI और विदेश मंत्रालय से इस बात पर विचार करने को कहा गया था कि क्या इन क्षेत्रों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को प्रैक्टिस की अनुमति दी जा सकती है. न्यायालय ने दिसंबर 2019 में एक युवा कश्मीरी महिला की याचिका पर यह आदेश दिया था, जिसने पीओके में चिकित्सा की पढ़ाई की थी परन्तु उसे विदेश से डिग्री प्राप्त करने वालों के लिए आयोजित परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया था. इसके बाद फरवरी में पाकिस्तान सरकार ने 1600 कश्मीरी छात्रों के लिए स्कॉलरशिप की घोषणा की. 

भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI)

  • यह एक सांविधिक निकाय है. इसकी स्थापना भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 के अंतर्गत की गई है.
  • यह निम्नलिखित का विनियमन करती है-
  1. चिकित्सा शिक्षा के मानक.
  2. महाविद्यालयों या पाठ्यक्रमों को आरंभ करने अथवा सीटों की संख्या बढ़ाने की अनुमति प्रदान करना.
  3. चिकित्सकों के पेशेवर आचार-मानकों, जैसे चिकित्सकों का पंजीकरण इत्यादि का निर्धारण.

MCI से सम्बंधित मुद्दे

वर्ष 2016 में, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर गठित संसदीय स्थायी समिति ने निम्नलिखित मुद्दों को चिन्हित कियाः

  • यह परिषद पर्याप्त संख्या में चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में विफल रही है. उदाहरण के लिए, भारत मैं प्रति 1,674 व्यक्तियों पर एक डॉक्टर उपलब्ध है जबकि WHO के मानकों के अनुसार प्रति 1000 व्यक्तियों पर एक डॉक्टर उपलब्ध होना चाहिए.
  • मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी एवं स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों का निम्नस्तरीय विनियमन.
  • जवाबदेही की कमी, भ्रष्टाचार के आरोप एवं सौंपे गए उत्तरदायित्वों के सफलतापूर्वक निर्वहन में विफलता.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर चर्चा करते हुए बताइये कि आम लोगों को इस क्षेत्र में कौन-सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है? साथ ही, भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हेतु कुछ उपाय भी सुझाइये.

Discuss the status of health services in India and describe the difficulties faced by the public in this field. Besides, suggest some measures for improving health services in India.


GS Paper 3 Source : Economic Times

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UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc.

Topic : ‘Transparent Taxation – Honoring the Honest’: PM Modi unveils ‘fundamental reforms’ for taxpayers

संदर्भ

हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने ‘पारदर्शी कराधान – ईमानदार का सम्मान’ (Transparent Taxation – Honoring the Honest) के लिए मंच का अनावरण किया. यह मंच, प्रत्यक्ष कर सुधारों को और भी आगे ले जाएगा.

कर सुधार की दिशा में सरकार के प्रयास

  • सीबीडीटी ने हाल के वर्षों में प्रत्यक्ष करों में कई प्रमुख या बड़े कर सुधार लागू किए हैं. कर सुधारों के तहत टैक्‍स की दरों में कमी करने और प्रत्यक्ष कर कानूनों के सरलीकरण पर ध्यान दे रहा है. आयकर विभाग के कामकाज में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए सीबीडीटी द्वारा कई पहल की गई हैं.
  • गत वर्ष कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया गया एवं नई विनिर्माण इकाइयों के लिए इस दर को और भी अधिक घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया. ‘लाभांश वितरण कर’ को भी हटा दिया गया है.
  • हाल ही में शुरू की गई ‘दस्तावेज पहचान संख्या (DIN)’ के माध्यम से आधिकारिक संचार में अधिक पारदर्शिता लाना भी इन पहलों में सम्मिलित है जिसके अंतर्गत विभाग के हर संचार या पत्र-व्यवहार पर कंप्यूटर सृजित एक अनूठी दस्तावेज पहचान संख्या अंकित होती है.
  • करदाताओं के लिए अनुपालन को अधिक सरल करने के लिए आयकर विभाग अब ‘पहले से ही भरे हुए आयकर रिटर्न फॉर्म’ प्रस्‍तुत करने लगा है, ताकि व्यक्तिगत करदाताओं के लिए अनुपालन को और भी अधिक सुविधाजनक बनाया जा सके.
  • भारत में कारोबार को आसान करने के लिए आयकर विभाग ने स्टार्ट-अप के लिए भी अनुपालन मानदंडों को सरल बना दिया गया है.
  • लंबित कर विवादों का समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से आयकर विभाग ने प्रत्यक्ष कर ‘विवाद से विश्वास अधिनियम, 2020’ भी प्रस्‍तुत किया है जिसके तहत वर्तमान में विवादों को निपटाने के लिए घोषणाएं दाखिल की जा रही हैं.
  • करदाताओं की शिकायतों/मुकदमों में प्रभावकारी रूप से कमी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न अपीलीय न्यायालयों में विभागीय अपील दाखिल करने के लिए आरंभिक मौद्रिक सीमाएँ बढ़ा दी गई हैं.
  • आयकर विभाग ने ‘कोविड काल’ में करदाताओं के लिए अनुपालन को सरल बनाने के लिए भी अनेक तरह के प्रयास किए हैं जिनके अंतर्गत रिटर्न दाखिल करने के लिए वैधानिक समयसीमा बढ़ा दी गई है और करदाताओं के हाथों में तरलता या नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए तीव्रता से रिफंड जारी किए गए हैं.

आयकर विभाग

  • आयकर विभाग, भारत सरकार का प्रत्यक्ष कर संग्रह करने वाला एक विभाग है. यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन कार्य करता है.
  • आयकर विभाग को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा शासित किया जाता है.
  • आयकर विभाग की मुख्य जिम्मेदारी विभिन्न प्रत्यक्ष कर कानूनों को लागू करना है, इनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण है आयकर अधिनियम, 1961 है. इसके अतिरिक्त, यह बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988 और काला धन अधिनियम, 2015 जैसे अन्य आर्थिक कानूनों को भी लागू करता है.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxation)

  • वर्ष 1963 में केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963 (Central Board of Revenue Act, 1963) के माध्यम से केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन दो संस्थाओं का गठन किया गया था, जो निम्नलिखित हैं-
  1. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxation)
  2. केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Excise and Customs)
  • ये दोनों ही संस्थाएँ सांविधिक निकाय (Statutory Body) हैं.
  • इनमें से CBDT प्रत्यक्ष करों से संबंधित नीतियों एवं योजनाओं के संबंध में महत्त्वपूर्ण इनपुट प्रदान करने के साथ-साथ आयकर विभाग की सहायता से प्रत्यक्ष करों से संबंधित कानूनों को प्रशासित करता है. वहीं CBEC भारत में सीमा शुल्क (Custom Duty), केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Central Excise Duty), सेवा कर (Service Tax) तथा नारकोटिक्स (Narcotics) के प्रशासन के लिये उत्तरदायी नोडल एजेंसी है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

दोहरे कराधान से आप क्या समझते हैं? उदाहरण के साथ चर्चा करें.

What do you understand by double taxation? Discuss with examples.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Biodiversity 

Topic : Forest cover loss threatens hornbills in Arunachal

संदर्भ

हाल ही में उपग्रह डेटा पर आधारित एक अध्ययन से पता चला है कि अरुणाचल प्रदेश में उन वनों की कटाई अधिक हुई है जहां सुप्रसिद्ध हॉर्नबिल पक्षी का निवास स्थान है.

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • उपर्युक्त अध्ययन में कुछ पारिस्थितिकीविदों ने उपग्रह आधारित डेटा के द्वारा यह निष्कर्ष निकाला है कि पापुम आरक्षित वन (Papum Reserve Forest), पक्के टाइगर रिजर्व (Pakke Tiger Reserve) आदि में वनों की कटाई की दर उच्च रही है. इसका प्रमुख कारण वनों की अवैध कटाई और नृजातीय संघर्ष रहा है.
  • पापुम आरक्षित वन (आरएफ), अरुणाचल प्रदेश में एक महत्त्वपूर्ण पक्षी और जैव विविधता क्षेत्र (Important Bird and Biodiversity Area – IBA) है. इसके पूर्व दिशा में ईटानगर वन्यजीव अभयारण्य और पश्चिम में पक्के वन्यजीव अभयारण्य स्थित है.
  • पक्के टाइगर रिजर्व को पखुई (Pakhui) टाइगर रिज़र्व के नाम से भी जाना जाता है. यह पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश के पक्के-केसांग (Pakke-Kessang) जिले में स्थित है.
  • पापुम आरक्षित वन (आरएफ) में हॉर्नबिल की तीन प्रजातियां पायी जाती हैं. जबकि पक्के टाइगर रिजर्व में चौथी प्रजाति पायी जाती है.
  • वनों की कटाई अधिक होने से हॉर्नबिल पक्षी पर प्रतिकूल प्रभावों के सन्दर्भ में पारिस्थितिकीविदों द्वारा चिंता व्यक्त की गयी है.

हॉर्नबिल के बारे में

  • हॉर्नबिल (Hornbill) उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अफ्रीका, एशिया और मेलनेशिया (Melanesia) में पाए जाने वाला एक पक्षी है. इसे भारत में धनेश के नाम से भी जाना जाता है.
  • हॉर्नबिल की विशेषता लंबे, घुमावदार और चमकीले होती है.
  • भारत में हार्नबिल की लगभग 9 प्रजातियाँ पाई जाती हैं ; जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-भारतीय ग्रे हॉर्नबिल (भारत का स्थानिक), मालाबार ग्रे हॉर्नबिल (पश्चिमी घाट का स्थानिक), मालाबार पाइड हॉर्नबिल (भारत व श्रीलंका का स्थानिक), व्यापक रूप से पाया जाने वाला ग्रेट हॉर्नबिल (अरुणाचल प्रदेश और केरल का राजकीय पक्षी) इत्यादि.
  • भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में रफस-नेक्ड हॉर्नबिल, ऑस्टेन ब्राउन हॉर्नबिल आदि अन्य हॉर्नबिल की प्रजातियाँ पाई जाती हैं.
  • भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के नर्कोन्दम द्वीप में हॉर्नबिल पक्षी की नर्कोन्दम प्रजाति पायी जाती है. इसकी संख्या बहुत ही कम बची है.
  • हॉर्नबिल पक्षी के अवैध शिकार ने इसे संकटग्रस्त कर दिया है. भारत सरकार ने इनके संरक्षण के लिए कई कार्यक्रम चलाये हैं.

हॉर्नबिल फेस्टिवल

  • हॉर्नबिल फेस्टिवल वर्ष 2000 में भारतीय पर्यटन विभाग की ओर से आरम्भ किय गया था. नागालैंड की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष इसे राज्य दिवस यानी 1 दिसम्बर से लेकर अगले कई दिनों तक मनाया जाता है.
  • दरअसल हॉर्नबिल नागा जनजाति का पूजनीय पक्षी है जिसके कारण ही इस त्यौहार का नाम हॉर्नबिल फेस्टिवल है.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

BNHS के बारे में

  • बम्बई प्राकृतिक इतिहास सोसाइटी (Bombay Natural History Society – BNHS) की स्थापना 15 सितम्बर, 1883 में हुई थी.
  • यह भारत के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठनों में से एक है जो संरक्षण तथा जैव विविधता पर अनुसंधान किया करता है.
  • यह संस्था भारत में BirdLife International का भागीदार है.
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इसे एक वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसन्धान संगठन घोषित किया है.
  • वृहदाकार हॉर्नबिल (great hornbill) BNHS का logo है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

हालिया भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) के आलोक में वन संरक्षण की चुनौतियों को स्पष्ट करते हुए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिये.

In the light of the recent India State of Forest Report (ISFR) explain the challenges faced in forest protection and mention steps taken up by the Government in this regard.


Prelims Vishesh

Maharashtra okays speed boat ambulance service :-

  • महाराष्ट्र सरकार ने प्रायोगिक आधार पर मुंबई और रायगढ़ के बीच बोट एम्बुलेंस-कम-मोबाइल मेडिकल यूनिट सेवा शुरू करने के लिए स्वीकृति दे दी है.
  • यह नाव सेवा (सर्विस) गेटवे ऑफ इंडिया (मुंबई) और मांडवा जेट्टी (रायगढ़) के बीच चलेगी.
  • नाव एम्बुलेंस एक स्पीडबोट होगी, जो मुंबई के अस्पतालों में तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता वाले रोगियों को रायगढ़ या रत्नागिरि से स्थानांतरित करने के लिए एक एम्बुलेंस के तौर पर सहायक होगी.
  • नाव के जरिए रोगियों को अस्पताल पहुंचाने में यह सेवा काफी लाभदायक साबित होगी, क्योंकि इन इलाकों से मुंबई स्थित अस्पताल जाने में सड़क मार्ग से जहां दो से तीन घंटे का समय लग जाता है, वहीं नाव सेवा के जरिए इस सफर को एक घंटे में ही पूरा किया जा सकेगा. इससे तत्काल उपचार की जरूरत वाले रोगियों को खासकर सबसे अधिक लाभ होगा.

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