Sansar डेली करंट अफेयर्स, 11 September 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 11 September 2018


GS Paper 1 Source: The Hindu

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Topic : UN sees 70% chance of El Nino event this year

संदर्भ

विश्व ऋतु विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation) ने भविष्यवाणी की है कि इस वर्ष के अंत-अंत तक 70% संभावना है कि एक अल-नीनो (Al Nino) विकसित हो. ENSO के गरम होने वाले चरण को अल-नीनो कहते हैं.

संगठन का अनुमान है कि इस कारण अधिकांश एशिया-प्रशांत क्षेत्र, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका के तटीय प्रदेशों में धरातलीय तापमान ऊँचा रहेगा. इस लक्षण से दक्षिणी अमेरिका के अन्दरूनी हिस्से, ग्रीनलैंड, कई दक्षिण प्रशांत महासागरीय द्वीप और कुछ कैरीबियाई द्वीप बचे रहेंगे.

ENSO क्या है?

ENSO का full form है – El Nino Southern Oscillation. जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है कि यह पवनों और समुद्र-तल के तापमान में होने वाले उस अनियमित और सामयिक परिवर्तन का नाम है जो उष्ण कटिबंधीय पूर्वी प्रशांत सागर में होता है. ENSO का प्रभाव भूमध्यरेखा के आस-पास के क्षेत्रों और उष्ण कटिबंध के समीप स्थित क्षेत्रों पर पड़ता है. ENSO के गरम होने वाले चरण को अल-नीनो और ठन्डे होने वाले चरण को ला नीना (La Nina) कहते हैं.

El Nino क्या है?

El Nino के एक जलवायवीय चक्र है जिसके अंतर्गत प्रशांत महासागर के पशिमी क्षेत्र में हवा का दबाव ऊँचा होता है और पूर्वी प्रशांत सागर में हवा का दबाव कम होता है. अल नीनो के प्रभाव से एशियाई समुद्र तल के तापमान में 8 डिग्री सेल्सियस का उछाल आ सकता है. साथ ही पूर्वी प्रशांत महासागर क्षेत्र में स्थित देशों – इक्वेडोर, पेरू और चिली के तटों पर ठंडा पानी उठकर समुद्र तल पर आ जाता है. गहराई से पानी के ऊपर आने के इस प्रक्रिया से एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में सहायता मिलती है.

El Nino के प्रभाव

  • El Nino वैश्विक मौसम को प्रभावित करता है. इसके कारण पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में Hurricane और ऊष्ण कटिबंधीय आंधियाँ उत्पन्न होती हैं. इसके चलते पेरू, चिली और इक्वेडोर में अभूतपूर्व एवं असामान्य वृष्टिपात होता है.
  • अल नीनो के कारण ठन्डे पानी का ऊपर आना घट जाता है और परिणामस्वरूप समुद्र तल के पोषक तत्त्व ऊपर नहीं आ पाते हैं. इससे समुद्री जीवों और पक्षियों के जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ता है. मत्स्य उद्योग को भी क्षति पहुँचती है.
  • अल नीनो के कारण द. अफ्रीका, भारत, द.पू. एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागरीय द्वीपों में सूखा पड़ जाता है. अतः खेती को क्षति पहुँचती है.
  • ऑस्ट्रेलिया और द.पू. एशिया पहले से अधिक गर्म हो जाते हैं.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में सूचित किया है कि अल-नीनो के कारण मच्छरों से होने वाले रोग फैलते हैं.

La Nina का प्रभाव

La Nina का प्रभाव El Nino के ठीक उल्टा होता है. इसके कारण द.पू. एशिया और ऑस्ट्रेलिया में सामान्य से अधिक वृष्टिपात होता है और द. अमेरिका तथा अमेरिका के खाड़ी तट में सामान्य से अधिक तापमान उत्पन्न होता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Article 161 of the Constitution

संदर्भ

तमिलनाडु सरकार बहुत दिनों से यह प्रयास करती आई है कि राजीव गांधी की हत्या के आरोपित सात वक्तियों की सजा कम की जाए. अपने इस उद्देश्य में अभी तक यह असफल रही है. किन्तु हाल ही में इसने निर्णय लिया है कि वह संविधान के अनुच्छेद 161 के अंतर्गत राज्यपाल को दी गई दया करने की शक्ति का प्रयोग कर इन आरोपियों को दंड से बचाएगी.

अनुच्छेद 161 क्या है?

  • अनुच्छेद 161 में राज्यपाल को प्राप्त क्षमादान आदि करने की शक्ति का वर्णन है. वह कुछ मामलों में दंड को लंबित, विलोपित अथवा कम-बेसी कर सकता है.
  • अनुच्छेद 161 में संविधान यह नहीं बताता है कि राज्यपाल क्षमादान के मामले में कितने समय में निर्णय ले सकता है. इसका अभिप्राय यह हुआ कि वह चाहे तो मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्तावित क्षमादान के किसी मामले को अनंतकाल तक के लिए टाल सकता है.
  • क्षमादान की शक्ति के प्रयोग करते समय केंद्र की सहमति आवश्यकता नहीं है, इसके लिए राज्य मंत्रिमंडल का परामर्श ही पर्याप्त होता है.

राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति में अंतर

  • राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति का वर्णन अनुच्छेद 72 में है जबकि इस विषय में शक्ति का वर्णन अनुच्छेद 161 में है.
  • राष्ट्रपति को यह शक्ति है कि कोर्ट मार्शल के द्वारा दिए गये दंड को भी वह क्षमता कर सकता है जबकि राज्यपाल ऐसा नहीं कर सकता है.
  • राष्ट्रपति मृत्युदंड को भी क्षमा कर सकता है परन्तु राज्यपाल को मृत्युदंड से सम्बंधित मामलों पर कोई अधिकार नहीं है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Animal Welfare Board of India

संदर्भ

केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गाँधी ने यह आरोप लगाया है कि भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (Animal Welfare Board of India – AWBI) उन नियमों को कड़ाई से लागू नहीं कर रहा है जिनमें बताया गया है कि फिल्मों और टेलीविज़न कार्यक्रमों में वन्य पशुओं का चित्रण किस प्रकार हो.

आरोप क्या है?

ज्ञातव्य है कि AWBI की उप-समिति फिल्म निर्माताओं के आवेदनों की छंटनी करता है. मेनका गाँधी का कहना है कि इन आवेदनों में यह समिति उन विवरणों को नहीं मानती जिनसे पता चले कि सम्बन्धित जीव संरक्षित है अथवा नहीं.

उप-समिति ने कई बार ऐसे चित्रण को भी अनुमति दे दी है जिसके कारण पशुओं के प्रति क्रूरता को प्रोत्साहन मिलता है. इस प्रकार AWBI सर्वोच्च न्यायालय के एतद्विषयक आदेशों का उल्लंघन कर रही है.

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) क्या है?

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) एक वैधानिक परामर्शदाता निकाय है जिसका गठन पशु क्रूरता निषेध अधिनियम, 1960 के अनुभाग 4 के तहत 1962 में किया गया था. यह बोर्ड भारत सरकार को पशु कल्याण कानूनों के बारे में परामर्श देता है और देश में पशु कल्याण को बढ़ावा देता है. इस बोर्ड का आरम्भ प्रसिद्ध मानवतावादी Smt. Rukmini Devi Arundale के तत्त्वाधान में हुआ था.

  • आरम्भ में यह बोर्ड भारत सरकार के खाद्य एवं कृषि मंत्रालय के अधीन था, परन्तु 1990 से यह पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन है.
  • इस बोर्ड में 28 सदस्य होते हैं जिनका कार्यकाल तीन वर्षों का होता है.
  • भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) देश के सभी पशु कल्याण संगठनों को मान्यता देने का काम करता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Historians oppose Monuments Bill

संदर्भ

इतिहासकारों ने प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल तथा अवशेष (संशोधन) अधिनियम, 2017 (Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act, 2017) में वर्णित नए प्रावधानों का सशक्त विरोध किया है. उनका कहना है कि ऐसा करने पर ऐतिहासिक स्मारकों पर भयंकर दुष्प्रभाव पड़ेगा. यह संशोधन राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल तथा अवशेष अधिनियम, 1958 में किया गया है.

इतिहासकारों की चिंताएँ

  • संशोधन अधिनियम के अनुसार भारतीय पुरातत्व सर्वे (Archaeological Survey of India – ASI) के द्वारा संरक्षित स्मारकों की 100 मीटर की परिधि के भीतर केंद्र द्वारा अनुमोदित सार्वजनिक आधारभूत संरचना के निर्माण की अनुमति दी जायेगी. विद्वानों का कहना है कि विकास के नाम पर उठाये गये इस कदम से प्राचीन स्मारकों को क्षति पहुँच सकती है.
  • CAG के द्वारा 2013 में दिए गये एक प्रतिवेदन के अनुसार भारत के एक तिहाई राष्ट्रीय स्मारक अतिक्रमण के शिकार हैं और उनमें से अधिकांश कर्मचारियों की कमी के कारण ठीक से संरक्षित नहीं हैं.
  • प्रदूषण,  मानवीय हस्तक्षेप और विकास सम्बन्धी गतिविधियों के कारण स्मारकों को पहले से ही क्षति पहुँच रही है. नए अधिनियम के कारण इन पर खतरा पहले से बढ़ जाएगा.
  • केंद्र सरकार द्वारा निर्माण कार्य करने से स्मारकों और आने-जाने वाले पर्यटकों को कष्ट होता है.
  • निर्माण कार्य में प्रयुक्त तरीकों और उपकरणों के कारण कुछ ऐसे स्मारकों को बहुत क्षति पहुँच सकती है जो स्थापत्य और बनावट की दृष्टि से कमजोर हो चुके हैं. विदित हो कि निर्माण करने से कम्पन होता है और साथ ही प्रदूषक तत्त्व वायुमंडल में मिल जाते हैं.

प्राचीन स्मारकों की परिभाषा

प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल तथा अवशेष अधिनियम, 1958 में प्राचीन स्मारकों को कुछ इस तरह परिभाषित किया गया है – कोई संरचना, निर्माण, स्मारक, स्तूप, कब्रगाह, गुफा, शैल मूर्तिकला, ऐतिहासिक शिलालेख या केवल पत्थर का खंभा, जो पुरातात्त्विक या कलात्मक रुचि का है और जो कम से कम सौ वर्षों से विद्यमान है, प्राचीन स्मारक कहलायेगा.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Kartarpur Sahib pilgrim corridor

संदर्भ

पाकिस्तान में स्थित करतारपुर साहिब गुरूद्वारे से जुड़ी सिखों की प्रबल भावनाओं का उल्लेख करते हुए Navjot Singh Sidhu ने केंद्र सरकार से तीर्थ यात्रियों के लिए करतारपुर साहिब गलियारा बनाने हेतु प्रयास करने का अनुरोध किया है.

करतारपुर गुरुद्वारा

करतारपुर का गुरुद्वारा रावी नदी के तट पर लाहौर से 120 किमी. उत्तर-पूर्व में स्थित है. यह वह स्थान है जहाँ गुरु नानक ने सिख समुदाय को जमा किया था और 1539 में अपनी मृत्यु तक 18 वर्ष तक रहे थे. यह गुरुद्वारा भारतीय भूभाग से दिखाई पड़ता है. पढ़ें : (गुरु नानक की जीवनी)

पाकिस्तान के प्रसिद्ध गुरूद्वारे

पाकिस्तान में करतारपुर गुरुद्वारे के अतिरिक्त, डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा भी एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है. भारत के सिख हर वर्ष चार बार जत्था बनाकर इन गुरुद्वारों का तीर्थाटन करते हैं. जिन अवसरों पर ऐसे जत्थे पाकिस्तान जाते हैं, वे हैं – वैशाखी, गुरु अर्जन देव शहीदी दिवस, महराजा रंजित सिंह की पुण्यतिथि तथा गुरु नानक देव की जयंती.

गलियारा निर्माण से सम्बंधित समस्याएँ

कुछ दिनों से पाकिस्तान में खलिस्तान समर्थक लोग गुरुद्वारों का प्रयोग कर रहे हैं. हाल ही में, एक गुरुद्वारे में “सिख जनमत संग्रह 2020” के लिए पोस्टर लगाये गये थे और पैम्फलेट बाँटे गये थे. जब भारत के राजदूत और राजनयिक वहाँ जा रहे थे तो पाकिस्तान ने उन्हें रोक दिया था. इस प्रकार इस बात की प्रबल सम्भावना है कि यदि करतारपुर साहिब गलियारा बनता है तो पाकिस्तान उसका दुरूपयोग भारत के विरुद्ध करेगा.


Prelims Vishesh

Indo – Mongolian Joint Exercise: Nomadic Elephant :

  • मंगोलिया की राजधानी Ullanbaatar में भारत और मंगोलिया की सेनाओं का एक संयुक्त सैन्य अभ्यास हो रहा है जिसका नाम नोमेडिक एलीफैंट 2018 है.
  • यह अभ्यास 2016 से हर वर्ष होता आया है.
  • ज्ञातव्य है कि मंगोलिया एक पूर्वी एशिया का एक ऐसा देश है जो चारों ओर से भूमि से घिरा हुआ (landlocked) है अर्थात् इसका कोई समुद्री तट नहीं है.
  • इसके दक्षिण में चीन और उत्तर में रूस है.
  • विदित हो कि भूमि से घिरा हुआ विश्व का सबसे बड़ा देश कजाकिस्तान है जिसके बाद मंगोलिया का ही नंबर आता है.

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