Sansar डेली करंट अफेयर्स, 11 March 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 11 March 2020


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : PM Ujjwala Yojana

संदर्भ

पिछले दिनों प्रधानमन्त्री उज्ज्वला योजना से सम्बंधित संसदीय समिति ने इस योजना की प्रगति के विषय में अपना मंतव्य प्रकट किया है.

समिति के मुख्य मंतव्य

  1. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अन्दर 8 करोड़ LPG कनेक्शन जो लक्ष्य रखा गया था उसे सिरकार ने सितम्बर, 2019 में पूरा कर लिया था.
  2. परन्तु अभी तक मात्र तीन राज्य ही किरासन तेल से मुक्त हो सके हैं. ये राज्य हैं – हरियाणा, पंजाब और आंध्र प्रदेश.
  3. कुछ संघीय क्षेत्र भी किरासिन तेल से मुक्त हो चुके हैं. ये हैं – दिल्ली, चंडीगढ़, दमन एवं दीव, दादर एवं नगर हवेली, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह तथा पुडुचेरी.

समिति की कुछ टीकाएँ

  1. यह योजना अब बंद हो चुकी है. परन्तु समिति का विचार है कि अभी इसे बंद नहीं करना चाहिए था क्योंकि अभी बहुत काम बाकी रह गये हैं. उदाहरणार्थ, शहरी और अर्ध-शहरी स्थानों में सामान्य श्रेणी के निर्धन परिवारों को योजना का लाभ नहीं दिया गया है.
  2. कई राज्यों में बहुत सारे लोग खाना बनाने और घर में बिजली के लिए किरासन तेल पर निर्भर हैं.

प्रधानमन्त्री उज्ज्वला योजना

  • पीएमयूवाई की शुरूआत एक मई 2016 को की गयी. इसके तहत मार्च 2019 तक गरीब परिवार की पांच करोड़ महिलाओं को नि:शुल्क गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य था. बाद में लक्ष्य को बढ़ाकर 2021 तक 8 करोड़ कर दिया गया और अब सभी घर को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है.
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) का शुभारम्भ डॉ. बी.आर.अम्बेडकर की जयंती परतेलंगाना राज्य में किया गया.
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का लक्ष्य गरीब परिवारों तक एलपीजी (लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस) कनेक्शन पहुँचाना है.
  • इस योजना के अंतर्गत सामाजिक-आर्थिक-जाति-जनगणना (SECC) के माध्यम से पहचान किये गए गरीबी रेखा के नीचे आने वाले परिवारों की वयस्क महिला सदस्य को केंद्र सिरकार द्वारा प्रति कनेक्शन 1600 रुपये की वित्तीय सहायता के साथ जमा-मुक्त एलपीजी कनेक्शन दिया जाता है.
  • यह योजनापेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालयद्वारा लागू की जा रही है.

PMUY के फायदे

  • शुद्ध ईंधन के प्रयोग से महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार
  • अशुद्ध जीवाश्‍म ईंधन के प्रयोग न करने से वातावरण में कम प्रदूषण
  • खाने पर धुएं के असिर से मृत्‍यु में कमी
  • छोटे बच्‍चों में स्‍वास्‍थ्‍य समस्या से छुटकारा.

चुनौतियाँ

  • सिलिंडरों की खपत कम है और उनकी आपूर्ति में अच्छी-खासी देरी होती है.
  • इस योजना के अंतर्गत 31 मार्च, 2018 तक जिन उपभोक्ताओं ने योजना का लाभ उठाया है उनकी संख्या 93 करोड़ है. परन्तु एक वर्ष में उन्हें औसत रूप से 3.66 रिफिल ही मिले हैं.
  • 31 दिसम्बर, 2018 की तिथि को 18 करोड़ लाभार्थी इस योजना का लाभ उठा रहे थे, पर उन्हें वार्षिक रूप से मात्र 3.21 रिफिल ही मिले.
  • इस योजना के अंतर्गत कुछ ऐसे लोगों को भी लाभ निर्गत कर दिया गया है जो लाभार्थी नहीं थे. सिरकारी तेल विपणन कंपनियों के सॉफ्टवेर में त्रुटि के चलते ऐसा हुआ है. ये वास्तविक लाभार्थियों की सही पहचान नहीं कर पाते हैं.

CAG के सुझाव

  • LPG डेटाबेस की जाँच होनी चाहिए जिससे विसंगतियों का पता लगाकर उन्हें दूर किया जाए.
  • आपूर्ति में दुहराव को निरस्त करने के लिए वर्तमान के साथ-साथ नए लाभार्थी परिवारों के वयस्क सदस्यों का आधार नंबर भी अंकित किया जाए.
  • पात्रता रहित लाभार्थियों को गैर-निर्गत न हो जाए इससे बचने के लिए वितरकों के सॉफ्टवेर को सुधारने हेतु समुचित उपाय किये जाएँ.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : Sir Creek pact

संदर्भ

वियोन (WION) के द्वारा आयोजित तीसरा वैश्विक शिखर सम्मेलन दुबई में सम्पन्न हुआ. इसकी थीम थी – “विश्व के अत्यावश्यक कार्यों पर विमर्श और समाधान का प्रयास” /Navigating and negotiating global imperatives.

  1. इस सम्मेलन में कई विश्वों के साथ-साथ पाकिस्तान की कूटनीतिक रणनीति को संतुलित एवं पुनर्व्यवस्थित करने और लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने पर चर्चा हुई.
  2. इस अवसर पर पूर्व पाकिस्तानी मंत्री कसूरी ने सिर क्रीक समझौते के लिए योजना की भी चर्चा की.

सिर क्रीक विवाद क्या है?

  • सिर क्रीक मामले पर विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 के दशक में शुरू हुआ था. दोनों देशों की आजादी से पूर्व यह क्षेत्र ब्रिटिश भारत की बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा था.
  • सिर क्रीक विवाद दरअसल 96 किलोमीटर लंबी दलदली ज़मीन का विवाद है जो भारतीय राज्य गुजरात और पाकिस्तान के राज्य सिंध के बीच कच्छ के रान में स्थित है.
  • पहले इसे बन गंगा कहा जाता था.
  • सिर क्रीक पानी के कटाव के कारण बना है और यहाँ ज्वार-भाटे के कारण यह तय नहीं होता कि कितने हिस्से में पानी रहेगा और कितने में नहीं.
  • दूसरे शब्दों में सिर क्रीक दोनों देशों के बीच अस्थिर-सी सीमा है.
  • इस कारण दोनों देशों के मछुआरों के लिए अच्छी-ख़ासी मुसीबत बनी हुई है जो असावधानी से सीमा उल्लंघन कर बैठते हैं.
  • इस क्षेत्र को तेल और प्राकृतिक गैस से समृद्ध माना जाता है और यह क्षेत्र एशिया के सबसे बड़े मछली उत्पादन क्षेत्रों में से एक है.
  • पाकिस्तान पूरे सिर क्रीक पर अपना दावा करता है और इसके लिए 1914 में सिंध सरकार और कच्छ के राव महराज के बीच हुए एक संकल्प के अनुच्छेद 9 और 10 का हवाला देता है.
  • दूसरी ओर, भारत का दावा है कि इस क्रीक के बीचो-बीचदोनों देशों की सीमा पड़ती है जैसा कि 1925 के एक मानचित्र में दिखाया गया था. उल्लेखनीय है कि इसी मानचित्र के अनुसार, समुद्र के बीचो-बीच खम्बे भी गाड़े गये थे.
  • भारत का यह भी तर्क है कि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानून में वर्णित थालवेग सिद्धांत (Thalweg Doctrine) के अनुसार दो देशों के बीच पड़ने वाली नदी में सीमा का अंकन उसके बीचो-बीच होना चाहिए.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : National Mission on Interdisciplinary Cyber Physical Systems

संदर्भ

IIT मंडी को टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (Technology Innovation Hub – TIH) स्थापित करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने 7.25 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है.

यह धनराशि अंत:शाखीय साइबर-भौतिक प्रणालियों से सम्बंधित राष्ट्रीय मिशन (NM-ICPS) के अन्दर मुहैया की गई है.

टेक्नोलॉजी नवाचार हब (TIH) के मुख्य कार्य

  • यह विद्यालयों, महाविद्यालयों और उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण संस्थानों के लिए नवाचार का एक मंच प्रदान करेगा.
  • इस हब के माध्यम से जिन चुनौतियों के लिए तकनीक विकसित की जायेगी उनमें से प्रमुख हैं – भूस्खलन, जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण, कृषि, साइबर सुरक्षा, रक्षा सेनाएँ, स्वास्थ्य की देखभाल और विधि-विज्ञान.
  • टेक्नोलॉजी नवाचार हब (TIH) कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित करके स्नातक, स्नातकोत्तर, PHD और संकाय के स्तर पर कौशल युक्त कार्यबल का सृजन करेगा.
  • यहाँ साइबर से जुड़े शोध किए जाएंगे और देश को साइबर अपराध से बचाया जा सकेगा.
  • प्रमुख रूप से क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोटिव और यूएवी (अनमैंड एरियल व्हीकल) सिक्योरिटी पर शोध होगा.
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस हब का काम देश-विदेश के विश्वविद्यालयों और संगठनों के बीच नए सहयोग गढ़ना और वर्तमान सहयोग को सुदृढ़ करना होगा.
  • टेक्नोलॉजी नवाचार हब IIT मंडी के साथ सहभागिता करते हुए स्टार्ट-अप कम्पनियों के लिए एक परिवेश की रचना करेगा.

NM-ICPS का कार्यान्वयन

  • इस मिशन के अन्दर 15 टेक्नोलॉजी नवाचार हब (TIH), 6 एप्लीकेशन नवाचार हब (Application Innovation Hubs (AIH) तथा 4 टेक्नोलॉजी ट्रांसलेशन रिसर्च पार्क (TTRP) का सृजन होगा.
  • यह सभी हब और पार्क शिक्षा जगत, उद्योग जगत, केंद्र और राज्य सरकारों के साथ मिलकर देश के विभिन्न प्रतिष्ठित शैक्षणिक, अनुसंधानपरक एवं अन्य संगठनों में तकनीकी समाधान विकसित करेंगे.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Preservation of Eastern, Western Ghats

संदर्भ

मद्रास उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका डाली गई है जिसमें अनुरोध किया गया है कि केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए कि वे पूर्वी और पश्चिमी घाट के तमिलनाडु के अन्दर आने वाले क्षेत्रों की वनस्पति, वन्यजीवों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए गंभीर कदम उठाने हेतु एक स्थायी निकाय का गठन करें.

यह याचिका माधव गाडगिल तथा कस्तूरीरंगन समितियों की अनुशंसाओं पर आधारित है.

याचिका में दिए गये तर्क

  1. याचिकाकर्ता का कहना है कि एक तमिलनाडु को छोड़कर प्रायद्वीप के अन्य राज्य पूर्वी और पश्चिमी घाटों के प्राकृतिक संसाधनों का समयक रीति से उपयोग कर रहे हैं. परन्तु तमिलनाडु में ऐसा नहीं हो रहा है और वहाँ के प्रशासक और जनता दोनों इन ससाधनों का दोहन कर रहे हैं.
  2. इसके अतिरिक्त पश्चिमी घाटों में कहवा, चाय और फलों के कई उद्यान लगाये गये हैं. साथ ही इस क्षेत्र में होने वाले चन्दन जैसे सुगन्धित और मूल्यवान पेड़ों को अवैध रूप से काटा जा रहा है.
  3. वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम के होते हुए भी धड़ल्ले से कुछ जगह शिकार चल रहा है.
  4. अवैध रूप से जलावन निकालने, पेड़ों को गिराने और पशुओं को चराने के कारण तमिलनाडु के जंगल का क्षरण हो रहा है.

गाडगिल समिति की अनुशंसाएँ

  • गाडगिल समिति ने पश्चिमी घाटों की परिभाषा दी और यह अनुशंसा की कि पश्चिमी घाट के पूरे क्षेत्र को पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र (ecologically sensitive area – ESA) घोषित किया जाए. इस क्षेत्र के अन्दर भी तीन पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील जोन (ecologically sensitive zones – ESZ) I, II अथवा III बनाए जाएँ जो और यह वर्गीकरण वहाँ की वर्तमान दशा और खतरे की प्रकृति को देखते हुए किया जाए.
  • समिति का प्रस्ताव था कि पश्चिमी घाट को 2,200 ग्रिडों में बाँटा जाए, जिनमें 75% ESZ I अथवा II के अन्दर आएँ अथवा पहले से विद्यमान सुरक्षित क्षेत्रों, जैसे – वन्य-जीवन आश्रयणियों अथवा प्राकृतिक उद्यानों के अन्दर हों.
  • समिति ने पश्चिमी घाटों की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए एक पश्चिमी घाट पर्यावरण प्राधिकरण (Western Ghats Ecology Authority) स्थापित करने का प्रस्ताव भी दिया था.

फिर कस्तूरीरंगन समिति की आवश्यकता क्यों?

गाडगिल समिति का रिपोर्ट अगस्त, 2011 में आया परन्तु उसे किसी भी पश्चिम घाट के राज्य ने स्वीकार नहीं किया. इसलिए अगस्त, 2012 में पर्यावरण मंत्रालय ने एक नई समिति बनाई जिसके अध्यक्ष कस्तूरीरंगन नियुक्त हुए थे. इस समिति को कहा गया कि वह गाडगिल समिति के रिपोर्ट का अध्ययन कर एक नए ढंग का रिपोर्ट दें जो सबके लिए मान्य हो.

कस्तूरीरंगन समिति की अनुशंसाएँ

  • पश्चिमी घाट में कोयले का नया बिजली घर नहीं बनाया जाए, अपितु पनबिजली की परियोजनाएँ लगाई जाएँ.
  • प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग यहाँ प्रतिबंधित हों.
  • 20,000 वर्गमीटर तक के भवन और निर्माण परियोजनाओं को अनुमति मिले पर टाउनशिप पूरी तरह मना हो.
  • जंगल को हटाने की अनुमति मिले परन्तु बहुत अधिक सुरक्षात्मक निर्देशों के साथ.
  • इस समिति ने सुझाव दिया था कि खनन के जो काम चल रहे हैं, उनको धीरे-धीरे पाँच वर्षों में बंद कर देना चाहिए.
  • समिति की यह भी अनुशंसा थी कि यहाँ जो भी निर्माण कार्य हों, उनके लिए पर्यावरण विषयक अनुमति अनिवार्य होनी चाहिए.
  • समिति का यह भी कहना था कि भविष्य में यहाँ जो भी परियोजनाएँ लागू की जाएँ उनके बारे में निर्णय लेते समय क्षेत्र के गाँवों की राय भी ली जाए.

पूर्वी घाट

  • पूर्वी घाट भारत के पूर्वी तट पर स्थित पर्वत श्रेणी है. पूर्वी घाट बंगाल की खाड़ी के सहारे अनियमित पर्वतश्रेणी है.
  • यह उत्तरी उड़ीसा से लेकर तमिलनाडु तक लगभग 3000 किमी तक विस्तृत है.
  • सिरूमलाई और कोल्ली हिल्स यहाँ के हिल स्टेशन हैं.
  • पूर्वी घाट के दक्षिण पश्चिम में शेवराय, जावेडी एंव बिलिगिरी रंगन की पहाडियाँ अवस्थित हैं.
  • कृष्णा और चेन्नई के मध्य इसे कोडाविंडु हिल्स के नाम से जाना जाता है.
  • आँध्रप्रदेश में स्थित अरोयाकोंडा पूर्वी घाट का सबसे ऊँचा शिखर है जिसकी ऊँचाई सागर तल से 16 मीटर है.
  • दूसरा सबसे ऊँचा शिखर देवड़ीमुण्डा समुद्र तल से 1598 मीटर है. इसके अतिरिक्त सिंधूराजू (1516मीटर ) और निमालगिरी (1515मीटर) कोरापुट में स्थित हैं, जबकि महेन्द्रगिरी (1501 मीटर ) गंजम जिले में स्थित है.
  • पूर्वी घाट का उद्भव कैलीडोनियन युगीन कुडप्पा भूसन्नति (Geosyncline) से हुआ है जो विभिन्न नदियों जैसे – महानदी , गोदावरी , कृष्णा , कावेरी इत्यादि द्वारा काट दिया गया है.

पूर्वी घाट से जुड़ी समस्याएँ

  • पूर्वी घाट पर लंबी पर्वत श्रेणियों को पर्यावरणवेत्ता न केवल पर्यावरण, बल्कि जैव भौगोलिक, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी काफी जरूरी मानते हैं.
  • वनों की कटाई, अंधाधुंध उत्खनन, बड़े बांधों का निर्माण, भूमि का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग, वनों में आग, ऊर्जा उत्पादन केंद्र सहित कई कारण हैं, जिनसे पूर्वी घाटों पर पर्यावरण का खतरा मंडरा रहा है.
  • गत दशकों में इन पर्वत श्रेणियों को इतनी क्षति पहुँचाई गई है कि उसकी भरपाई नामुमकिन है.

पश्चिम घाट

  • पश्चिमी घाट पर्वतीय क्षेत्र भारत के पश्चिमी तट के सहारे लगभग 1600 किमी. की लंबाई में महाराष्ट्र व गुजरात की सीमा से लेकर कुमारी अंतरीप तक विस्तृत है. यह दो भागों में बांटी जाती है – उत्तरी सहयाद्रि व दक्षिणी सहयाद्रि.
  • इसे महाराष्ट्र व कर्नाटक में ‘सहयाद्रि’’ और केरल में ‘सहय पर्वतम’ कहा जाता है.
  • पश्चिमी घाट पर्वत श्रेणी को यूनेस्को ने अपनी विश्व विरासत स्थल’ सूची में शामिल किया है और यह विश्व के ‘जैवविविधता हॉटस्पॉट्स’ में से एक है.

पश्चिमी घाट से संबंधित मुद्दे

  • इन क्षेत्रों में भू-संचालन, भूमि उप-विभाजन, पार्श्व प्रसार (दरार) और मिट्टी की कटाई से भूस्खलन का अनवरत खतरा बना रहता है. इस प्रकार की स्थितियांँ केरल के त्रिशूर और कन्नूर ज़िलों में ज्यादा पाई जाती हैं.
  • अत्यधिक वर्षा, अवैज्ञानिक कृषि एवं निर्माण गतिविधियांँ भी भूस्खलन के लिए जिम्मेदार हैं.
  • पश्चिमी घाट के अधिकांश ढलानों का प्रयोग फसलों को उगाने के लिए किया जाता है जिससे कृषि के दौरान प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियांँ अवरुद्ध हो जाती हैं जो भूस्खलन की प्रायिकता में वृद्धि लाते हैं. 
  • पश्चिमी घाट की प्रमुख पारिस्थितिकीय समस्याओं में जनसंख्या और उद्योगों का दबाव सम्मिलित है.
  • पश्चिमी घाट में होने वाली पर्यटन गतिविधियों के चलते भी इस क्षेत्र पर और यहाँ की वनस्पति पर दबाव पड़ा है.
  • नदी घाटी परियोजनाओं के अंतर्गत वन भूमि का डूबना और वन भूमि पर अतिक्रमण भी एक नवीन समस्या है.
  • पश्चिमी घाट की जैव विविधता के ह्रास की बड़ी वजह खनन कार्य है.
  • चाय, कॉफी, रबड़, यूकेलिप्टस की एक फसलीय कृषि व्यवस्था इस क्षेत्र की जैव विविधता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है.
  • रेल और सड़क जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ भी इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर दबाव बना रही हैं.
  • भू-क्षरण और भू-स्खलन जैसे प्राकृतिक तथा मानवीय कारणों से भी पश्चिमी घाट की जैव विविधता प्रभावित हुई है.
  • तापीय ऊर्जा संयंत्रों के प्रदूषण के चलते भी जैव विविधता प्रभावित हो रही है.
  • पश्चिमी घाट की अधिकांश नदियाँ खड़े ढलानों से उतरकर तेज गति से बहती हैं जिसके फलस्वरूप वे पुराने बांधों को सरलता से तोड़ देती हैं साथ ही वनों की कटाई के पश्चात् कमज़ोर हुई ज़मीन को आसानी से काट भी देती हैं.
  • पुराने बांधों की समय पर मरम्मत न होना सदैव बाढ़ को आमंत्रित करता है.

Prelims Vishesh

United for Biodiversity :-

  • 3 मार्च, 2020 को मनाये गये विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर यूरोपीय आयोग ने एक गठबंधन का अनावरण किया जिसका नाम जैव विविधता के लिए एकजुट (United for Biodiversity) रखा गया.
  • इस गठबंधन में विश्व-भर के चिड़ियाघर, मछलीघर, वनस्पति उद्यान, राष्ट्रीय उद्यान तथा प्राकृतिक इतिहास संग्राहलय सम्मिलित होंगे.

What is Shared economy? :-

  • लोग वस्तुओं को खरीदने के स्थान पर उनको भाड़े पर उधार लें, इस अवधारणा को अर्थव्यवस्था में साझेदारी (Shared Economy) का नाम दिया जाता है.
  • इसके अन्दर विभिन्न प्रकार के अवयव आते हैं, जैसे – साथ-साथ काम करना (Awfis, WeWork India), साथ-साथ रहना (Stanza Living, OYO Life, Oxford Caps), साथ-साथ आना-जाना (Uber, Ola, Shuttl) तथा मेज, कुर्सी, सोफे किराए पर लेना (Furlenco, Rentomojo).
  • मेपल कैपिटल एडवाइजर्स के हाल के एक प्रतिवेदन के अनुसार इस वर्ष के अंत तक भारत में साझेदारी वाली अर्थव्यवस्था एक 2 बिलियन डॉलर का उद्योग बनने वाली है.

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