Sansar डेली करंट अफेयर्स, 11 June 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 11 June 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : Sikkim-Tibet Convention of 1890

संदर्भ

मई, 2020 में सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) के एक क्षेत्र नाकुला में भारतीय और चीनी सैनिकों के मध्य मुठभेड़ एवं गतिरोध ने वर्ष 1890 के ऐतिहासिक सिक्किम-तिब्बत संधि (Sikkim-Tibet Convention of 1890) की चर्चा गरमा गई है.

मुख्य तथ्य

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, साल 1890 के सिक्किम-तिब्बत अभिसमय के अनुसार, नाकुला क्षेत्र का रिश्ता भारतवर्ष से है और साल 1975 में सिक्किम के भारत में विलय से पूर्व चीन ने आधिकारिक रूप से इस सीमांकन को स्वीकार कर लिया था.

1890 का सिक्किम-तिब्बत संधि

  • वर्ष 1890 के सिक्किम-तिब्बत संधि को ‘कलकत्ता संधि’ (Convention of Calcutta) भी कहते हैं.
  • इस संधि को अंजाम यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एवं आयरलैंड तथा तिब्बत से संबंधित किंग (Qing) राजवंश एवं सिक्किम के बीच 19वीं सदी में दिया गया था.
  • कलकत्ता संधि पर भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लैंसडाउन (Lord Lansdowne) एवं चीनी अम्बान (Chinese Amban) या तिब्बत के निवासी शेंग ताई (Sheng Tai) ने 17 मार्च, 1890 को हस्ताक्षर किये थे.
  • यदि देखा जाए तो इस संधि में वर्णित आठ अनुच्छेदों में सबसे जरूरी जो अनुच्छेद है वह अनुच्छेद (1) है.
  • अनुच्छेद-1 के अनुसार, सिक्किम और तिब्बत की सीमा को पर्वत श्रृंखला के रूप में परिभाषित किया गया था जो सिक्किम में तीस्ता एवं इसकी सहायक नदियों को तिब्बती मोचू नदी एवं इसके उत्तर में बहने वाली अन्य नदियों से पृथक करती थी.  
  • इस संधि के अंतर्गत गठित सीमा भूटान के माउंट गिपमोची (Mount Gipmochi) से प्रारम्भ होकर संबंधित नदियों के जलक्षेत्र से गुजरते हुए नेपाल सीमा से मिल जाती है.
  • वैसे तिब्बत ने साल 1890 के समझौते की वैधता को मान्यता देने से इनकार कर दिया और इसके अतिरिक्त उपर्युक्त समझौते के प्रावधानों को लागू करने से भी मना कर दिया.

वर्ष 1904 की संधि

  • वर्ष 1904 में ल्हासा में ग्रेट ब्रिटेन और तिब्बत के मध्य एक समझौते के रूप में एक अन्य संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे.
  • इस संधि के अनुसार, तिब्बत ने वर्ष 1890 के संधि का सम्मान करने और सिक्किम एवं तिब्बत के मध्य सीमा को मान्यता देने के लिए सहमति प्रकट किया जैसा कि उपर्युक्त संधि के अनुच्छेद (1) में परिभाषित किया गया है.

वर्ष 1906 की संधि 

  • 27 अप्रैल, 1906 को पेकिंग (चीन) में ग्रेट ब्रिटेन और चीन के मध्य एक संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे जिसने ग्रेट ब्रिटेन और तिब्बत के मध्य साल 1904 में हुई संधि की पुष्टि की थी.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का प्रारम्भ 17 मार्च, 1890 से माना जा सकता है जब ब्रिटिश भारत और चीन ने एक संधि कर तिब्‍बत और सिक्किम के मध्य की सीमा तय की थी. हालांकि इस मौके पर तिब्‍बत या भूटान का कोई भी प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था. ‘ग्रेट ब्रिटेन एवं चीन के मध्य सिक्किम और तिब्बत से संबंधित सम्मेलन’ नामक इस संधि के कारण कॉलोनी ताकत को सिक्किम हड़पने का अवसर मिल गया. पाकिस्तान जहाँ अपने कब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) का भारत के विरुद्ध आतंकवाद के लॉन्च पैड के रूप में प्रयोग कर रहा है, वहीं चीन ने सीपीईसी के अंतर्गत तिब्बत को प्रवेश द्वार मानते हुए वहाँ आधारभूत संरचनाएँ खड़ी की हैं. भारत को चीन को बता देना चाहिए कि उसकी ये परियोजनाएँ अवैध हैं और भारत को उपयुक्त समय पर उचित कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है. तिब्बत में बांधों के निर्माण और जलधारा को मोड़े जाने से जल संसाधन संबंधी अतीव पर्यावरणीय क्षति से निचले प्रवाह के देशों – भारत से लेकर हिंद-प्रशांत के विभिन्न तटीय देशों तक – को गंभीर चिंता सता रही है. एक नई हिंद-प्रशांत संरचना में इन देशों तथा हांगकांग और ताइवान जैसे वित्तीय केंद्रों के साथ सम्मिलित किया जा सकता है, जो अनिवार्यत: ‘एक चीन’ नीति की समीक्षा पर बल दे.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : International relations

Topic : PM Modi, Tanzania President Discuss Bilateral Ties

संदर्भ

2 जून, 2020 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तंज़ानिया के राष्‍ट्रपति जोसफ मगुफूली (Joseph Magufuli) से दूरभाष के माध्यम से बातचीत की और समग्र द्विपक्षीय संबंधों के विषय में चर्चा एवं समीक्षा किया. विदित हो कि तंजानिया इस दशक के सबसे तेजी से विकास करने वाले अफ्रीकी देशों में से एक है और भारत-अफ्रीका संबंधों में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

भारत और तंजानिया के मध्य हुई इस वार्ता के दौरान दोनों देशों ने अपने-अपने देशों के मध्य बढ़ती विकास साझेदारी, शैक्षिक संपर्क एवं व्यापार एवं निवेश प्रवाह पर समीक्षा किया और यह भी चर्चा की कि किस प्रकार दोनों देशों के बीच व्यापार एवं निवेश में गति लाई जा सकती है.

भारत और तंजानिया के बीच मुख्य मुद्दे

भारत और तंज़ानिया के बीच निम्नलिखित मुद्दे बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं –

समुद्री सुरक्षा 

समुद्री सुरक्षा को लेकर भारत एवं तंज़ानिया के मध्य समान हित हैं. भारत ने तंजानिया के साथ समुद्री सुरक्षा ढाँचे को सहयोग देने के लिए औपचारिक प्रारूप तैयार किया है क्योंकि समुद्र मार्ग के माध्यम से समुद्री डकैती, सशस्त्र डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी, आतंकवाद से सम्बंधित गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है.

ऊर्जा क्षेत्र

भारत ने तंज़ानिया को यह वादा किया है कि वह तंजानिया के प्राकृतिक गैस क्षेत्र के विकास में अधिक से अधिक सहयोग देगा. तंज़ानिया में प्राकृतिक गैस की खोज सर्वप्रथम वर्ष 1974 में सोंगो सोंगो ऑफशोर ब्लॉक (Songo Songo offshore Block) में की गई थी. मगर बहुत बाद में जाकर (वर्ष 2010) ज्ञात हुआ कि तंज़ानिया के हिंद महासागरीय क्षेत्र में प्राकृतिक गैस का विशाल भंडार विद्यमान है.

ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि तंज़ानिया के पास प्राकृतिक गैस भंडार 46.5 ट्रिलियन क्यूबिक फीट से भी ज्यादा है. गत कुछवर्षों में पूर्वी अफ्रीकी देश तंजानिया में प्राकृतिक गैस के नए भंडार मिले हैं. भारत के लिए यह एक सकारात्मक स्थिति है क्योंकि तंजानियाई तेल कंपनी को खड़ा करने में उसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है. तंजानिया की भी इच्छा है कि उसके प्राकृतिक गैस भंडारों के दोहन में भारत सहयोग करे और एक अग्रणी भूमिका निभाये.

तंजानिया के विषय में जानकारी

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  • तंज़ानिया अफ्रीकी ग्रेट लेक्स क्षेत्र (African Great Lakes Region) के भीतर पूर्वी अफ्रीका का एक देश है.
  • इसकी चौहद्दी की बात करें तो इसके उत्तर में युगांडा, पूर्वोत्तर में केन्या, पूर्व में कोमोरो द्वीप और हिंद महासागर, दक्षिण में मोज़ाम्बिक एवं मलावी, दक्षिण-पश्चिम में ज़ाम्बिया, पश्चिम में रवांडा, बुरुंडी एवं कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य स्थित हैं.
  • अफ्रीकी महाद्वीप का सर्वोच्च पर्वत माउंट किलिमंजारो तंज़ानिया के उत्तर-पूर्व में अवस्थित है.
  • अफ्रीकी महाद्वीप की तीन बड़ी झीलें आंशिक रूप से तंज़ानिया के भीतर अवस्थित हैं. इन झीलों के नाम हों – उत्तरी एवं पश्चिम में विक्टोरिया झील (अफ्रीका महाद्वीप की सबसे बड़ी झील), टैंगानिका झील ( अफ्रीका महाद्वीप की सबसे गहरी झील एवं यह मछली की अनोखी प्रजातियों के लिये जानी जाती है) और दक्षिण-पश्चिम में न्यासा झील.
  • दार-एस-सलाम (Dar-es-Salaam) तंज़ानिया का सर्वाधिक विशाल शहर एवं बंदरगाह भी है.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

SITA – SITA का पूरा नाम है Supporting Indian Trade and Investment for Africa. यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र द्वारा समर्थित एक परियोजना है. इसका उद्देश्य भारत और कुछ पूर्वी अफ्रीका के देशों, जैसे – इथियोपिया, केन्या, रवांडा, यूगांडा और तंजानिया के बीच व्यापार से सम्बंधित लेन-देन के मूल्य में वृद्धि करना है. इसका मुख्य उद्देश्य पूर्वी अफ्रीका के लोगों के लिए रोजगार एवं आय के अवसर का सृजन करना है.


GS Paper 2 Source : Times of India

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : Social Bubble

संदर्भ

हाल ही में ‘नेचर ह्यूमन बिहेवियर’ (Nature Human Behaviour) नामक एक पत्रिका ने एक प्रतिवेदन निर्गत किया जिसमें कहा गया कि COVID-19 के प्रसार को “सोशल बबल” के द्वारा स्थिर किया जा सकता है और यह भी कहा गया कि अनिश्चित लॉकडाउन के दौरान इस परिकल्पना (Social Bubbles) से लोगों के मानसिक तनाव को भी कम किया जा सकता है.

मुख्य तथ्य

  • COVID-19 के चलते संसार के अलग-अलग देशों में लागू लॉकडाउन के मध्य अपने गृहों में बंद लोगों में आर्थिक और मनोवैज्ञानिक बोझ हो जाता है. इस बोझ को कम करने हेतु सम्बंधित देश की सरकार पर लॉकडाउन को खत्म करने के लिए दबाव पड़ता है.
  • ऐसा भी देखा गया कि COVID-19 के प्रसार के बावजूद भी कई देशों की सरकारों ने दबाव में आकर तालाबंदी खोल दी.
  • ऐसे में सरकारों द्वारा COVID-19 संक्रमण की दूसरी लहर से बचने के लिए अनेक रणनीतियाँ अपनाई गयीं. उन्हीं में से एक ‘सोशल बबल’ का विकल्प है जिसे प्रभावी बताया जा रहा है.

होता क्या है ‘सोशल बबल?   

  • सोशल बबल न्यूज़ीलैंड देश की परिकल्पना है जिसके अंतर्गत कुछ ऐसे विशेष सामाजिक समूहों का चयन किया जाता है जिन्हें COVID-19 या लॉकडाउन के अंतराल अपनों से मिलने की छूट दी जाती है. 
  • यहाँ “बबल” का अर्थ उन परिवार जनों से है जो एक साथ निवास करते हैं.
  • इसके अंतर्गत कुछ अलर्ट का प्रावधान है जिसमें तीसरे अलर्ट मिलने पर लोगों को अपने ‘बबल’ के दायरे में तनिक वृद्धि की इजाजत दी जाती है. यदि लोग चाहें तो तीसरे अलर्ट मिलने पर अपने घर पर सेवकों या अपने बच्चों, जिनकी देखभाल कोई और कर रहा है, को सम्मिलित कर सकते हैं.
  • वे लोग भी सोशल बबल का लाभ उठा सकते हैं जो अकेले रहते हैं या एक-दो लोगों के संपर्क में आना चाहते हैं.
  • साथ ही यह उन लोगों पर भी लागू होगा जो अकेले रहते हैं अथवा ऐसे लोग जो किसी एक या दो लोगों के संपर्क में रहना चाहते हैं.
  • जो लोग एक घर में एक साथ रहते हैं वे सोशल बबल के लिए पात्र नहीं हैं. यदि वे एक ही क्षेत्र में रहते हैं तो वह सोशल बबल के योग्य हो सकते हैं.
  • सोशल बबल मॉडल के अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति में COVID-19 के लक्षण पाए जाते हैं तो वैसी परिस्थिति में संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिये समूह के सभी लोगों को क्वारंटीन कर दिया जाएगा.   
  • दरअसल, सोशल बबल द्वारा दी जाने वाली इस छूट के पीछे COVID-19 संक्रमण की श्रृंखला के खतरे को सीमित करना है और इसकी वजह से होने वाले मानसिक दुष्प्रभावों को कम करना है. 
  • गत महीने इंग्लैंड में भी लॉकडाउन को समाप्त कर के लोगों को अपने अतिरिक्त एक अन्य परिवार के लोगों को अपने समूह में जोड़ने की इजाजत दी गई.

सोशल बबल्स का लाभ

व्यक्तियों का समूह बना देने से कोरोना की जाँच में आसानी होगी. जैसे यदि किसी समूह के एक व्यक्ति को COVID-19 हो गया तो उस समूह के अन्य लोगों की पहचान सरलता से की जा सकेगी अर्थात् दूसरे शब्दों में कहें तो इस बीमारी के कम्युनिटी स्प्रेडिंग से बचा जा सकता है जहाँ पता चलना बहुत कठिन होता है कि कोई व्यक्ति किसकी वजह से संक्रमित हुआ है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

एक शोध के अनुसार, सोशल बबल की परिकल्पना न्यूजीलैंड में कारगर सिद्ध हुई क्योंकि इसके जरिये अलग-थलग पड़े कमजोर अथवा किसी दुविधा में रह रहे लोगों को अपने परिवार या अपनों से जुड़ने का मौका मिला जिससे उनकी देखभाल संभव हो सकी. आज की तिथि में कोविड-19 को रोकने में सबसे बड़ी चुनौती है इस बीमारी के प्रसार को रोकना.  अभी तक तो विश्व के हर देश ने इसके प्रसार को रोकने के लिए अथक प्रयास किये जिसमें सबसे महत्त्वपूर्ण लॉकडाउन है. पर सच तो यह है कि मानव एक सामाजिक प्राणी है. निरंतर होने वाले लॉकडाउन से लोग अपनों से दूर हो गये और उन्हें मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ऐसी परिस्थिति में सोशल बबल के जरिये प्रसार के खतरों को कम भी किया जा सकता है और साथ ही साथ लोगों को मानसिक राहत भी प्रदान की जा सकती है.


GS Paper 3 Source : Down to Earth

down to earth

UPSC Syllabus : Infrastructure: Energy, Ports, Roads, Airports, Railways etc.

Topic : Kerala government gives go-ahead to Athirappally hydel power project

संदर्भ

भारी जन विरोध के मध्य केरल सरकार ने त्रिशूर ज़िले में चालक्कुडी नदी (Chalakudy River) पर प्रस्तावित विवादास्पद ‘अथिरापल्ली जल विद्युत परियोजना ’ (Athirappally Hydel Power Project) पर पुनः आगे बढ़ने का फैसला लिया है.

पृष्ठभूमि

  • विदित हो कि ‘अथिरापल्ली जल विद्युत’ परियोजना के लिये पूर्व से प्राप्त पर्यावरणीय स्वीकृति और तकनीकी-आर्थिक स्वीकृति समेत सभी वैधानिक स्वीकृतियों का समय खत्म हो चुका था.
  • ऐसे में केरल राज्य विद्युत बोर्ड (KSEB) ने राज्य सरकार को पत्र लिखते हुए परियोजना पर आगे बढ़ने और केंद्र सरकार से फिर से नए सिरे से पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करने की बात कही थी.
  • केरल राज्य विद्युत बोर्ड (KSEB) द्वारा किये गए आग्रह पर केरल सरकार ने विचार किया और उसने केरल राज्य विद्युत बोर्ड (KSEB) को आने वाले 7 सालों की अवधि हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र (No-Objection Certificate-NOC) निर्गत किया है.

अथिरापल्ली जल विद्युत’ परियोजना

  • इस परियोजना की स्थापित क्षमता 163 मेगावाट के लगभग है.
  • इस परियोजना को केरल के त्रिशूर ज़िले में पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील चलक्कुडी नदी पर स्थापित करने की योजना सबसे पहले वर्ष 1979 में बनाई गई थी.
  • इस परियोजना के अंतर्गत 23 मीटर ऊँचाई और 311 मीटर लंबाई का एक गुरुत्वाकर्षण बांध (Gravity Dam) प्रस्तावित किया गया था.
  • उल्लेखनीय है कि चलक्कुडी नदी पर पूर्व से ही जल विद्युत से संबंधित छह बाँध और सिंचाई से संबंधित एक बाँध निर्मित किया गया है.

चालक्कुडी नदी (Chalakudy River) 

  • चालक्कुडी नदी केरल की चौथी सबसे लंबी नदी है। 
  • इस नदी का कुल बेसिन क्षेत्र लगभग 1704 किलोमीटर लंबा है, जिसमें से 1404 किलोमीटर का भाग केरल में पड़ता है और शेष 300 किलोमीटर का भाग तमिलनाडु में पड़ता है.
  • चालक्कुडी नदी केरल के पलक्कड़, त्रिशूर और एर्नाकुलम ज़िलों से होती हुई निकलती  है.

Prelims Vishesh

NHAI has gone ‘fully digital’ :-

  • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधीन आने वाले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने घोषणा की है कि यह पूरी तरह से डिजिटल हो गया है. पूर्ण रूप से डिजिटल होने वाला वह देश का पहला निर्माण क्षेत्र संगठन बन चुका है.
  • NHAI का डिजिटलीकरण निर्माण कार्य को त्वरित करने के साथ-साथ सटीक एवं सही समय पर निर्णय लिये जाने की क्षमता को भी सरल बनाएगा.

Biswajit Dasgupta :-

  • हाल ही में वाइस एडमिरल बिश्वजीत दासगुप्ता (Biswajit Dasgupta) ने पूर्वी नौसेना कमान (Eastern Naval Command-ENC) में चीफ ऑफ स्टाफ (Chief of Staff) के रूप में कार्यभार संभाला है.
  • वह वाइस एडमिरल एस. एन. घोरमाडे (S N Ghormade) का स्थान लेंगे.
  • वाइस एडमिरल बिश्वजीत दासगुप्ता राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy) के पूर्व छात्र रहे हैं.

Gulzar Dehlavi :-

  • हाल ही में प्रसिद्ध उर्दू शायर गुलज़ार देहलवी (Gulzar Dehlavi) का 93 वर्ष की उम्र में मृत्यु हो गई.
  • भारतीय स्वतंत्रता के बाद जब भारत सरकार ने अंग्रेज़ी में साइंस रिपोर्टर (Science Reporter) और हिंदी में विज्ञान प्रगति (Vigyan Pargati) नाम से पत्रिकाएँ प्रारम्भ कीं, तो गुलज़ार देहलवी ने ही उर्दू में विज्ञान पत्रिका शुरू करने के पक्ष में आवाज़ उठाई और तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने भी उनकी इस माँग का समर्थन किया था.

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