Sansar डेली करंट अफेयर्स, 11 February 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 11 February 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Forest Rights Act

संदर्भ

ओडिशा राज्य खाद्य आयोग ने ओडिशा सरकार को वन अधिकार अधिनियम, 2006 को शीघ्र लागू करने का अनुरोध किया है जिससे वहाँ के समाज के वंचित वर्गों को खाद्य एवं पोषण से सम्बंधित सुरक्षा मिल से.

वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006

यह वनों पर अधिकार-आधारित, लोकतांत्रिक और विकेंद्रीकृत नियंत्रण प्रदान करता है. FRA के अंतर्गत मान्यता प्राप्त अधिकार हैं :

  • व्यक्तिगत वन अधिकार (IFR) :- यह कानूनी रूप से वनभूमि का स्वामित्व धारण करने का अधिकार है जिस पर वनवासी समुदाय 13 दिसम्बर, 2005 के पहले से निवास और कृषि कर रहे हैं.
  • सामुदायिक अधिकार (CRs), लघु वन उत्पाद (Minor Forest Produce) :- इन्हें गैर-काष्ठ वन उत्पाद (non-timber forest produce : NTFP) भी कहा जाता है. CRs में चराई, ईंधन की लकड़ी, जल निकायों से मछली और अन्य उत्पाद एकत्रित करने के साथ ही पारम्परिक ज्ञान से सम्बंधित बौद्धिक सम्पदा और जैव विविधता अधिकार आदि सम्मिलित हैं.
  • सामुदायिक वन संसाधन (CFR) अधिकार : धारा 3(1)(i) के अंतर्गत वनों पर सामुदायिक शासन के लिए सामुदायिक वन संसाधनों की सुरक्षा, पुनरुद्धार, संधारणीय उपयोग हेतु वन संसाधनों के संरक्षण या प्रबंधन सम्बन्धी प्रावधान किये गये हैं.

अधिकारों के लिए अर्हता

  • वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अनुसार इसमें वर्णित अधिकार केवल उन्हीं लोगों के लिए हैं जो मुख्य रूप से जंगलों में रहते हैं और जो जंगल और जंगल की भूमि पर अपनी रोजी-रोटी के लिए निर्भर होते हैं.
  • इसके अतिरिक्त, इन अधिकारों का उपभोग करने के लिए आवश्यक है कि वह व्यक्ति अनुसूचित जनजाति का हो अथवा जंगल में कम-से-कम 75 वर्षों से रह रहा हो.
  • अधिनियम में यह प्रावधान है कि किस व्यक्ति को किस संसाधन का अधिकार मिलेगा, इसका निर्णय ग्राम-सभा के द्वारा पारित अनुशंसा के अनुसार किया जाएगा. ग्राम सभा की अनुशंसा को बाद में जिला-स्तर पर अनुमोदित किया जाएगा.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Open Acreage Licensing Policy

संदर्भ

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने खुला एकड़ लाइसेंस नीति (Open Acreage Licensing Policy – OALP) के तहत तीसरी बार बोली लगाई है जिसमें 31,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के 23 हाइड्रोकार्बन ब्लॉकों को तेल आदि की खोज के लिए आवंटित किया जाएगा.

इस प्रकार OALP के अंतर्गत पिछले एक वर्ष में कुल एक लाख बीस हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में तेल आदि की खोज के लिए बोली लगाई जा चुकी है.

वर्तमान बोली जिन 23 ब्लॉकों के लिए लगाई गई हैं, वे ब्लाक इन राज्यों में फैले हुए हैं – राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, झारखंड और मध्य प्रदेश. इसके अतिरिक्त कुछ ब्लॉक पूर्वी और पश्चिमी तटों के समीप भी हैं.

OALP

  • OALP भारत सरकार की हाइड्रोकार्बन अन्वेषण एवं लाइसेंस नीति (Hyrdrocarbon Exploration and Licensing Policy- HELP) का एक हिस्सा है.
  • यह नीति भारत में तेल//प्राकृतिक गैस के नए भंडार खोजने और उसके दोहन से सम्बंधित है.
  • इसमें यह सुविधा दी गई है कि तेल खोजने वाली कम्पनी भारत सरकार द्वारा बोली लगाने के पहले ही अपने मन का ब्लॉक चुन सकती है.
  • उसके पश्चात् कम्पनी सरकार को अपना आवेदन देगी जिसमें उस ब्लॉक पर बोली लगाई जायेगी.
  • इस नई नीति से भारत की अवसादी घाटियों (sedimentary basins) के लगभग 2.8 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तेल के अन्वेषण तथा अंततोगत्वा उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा.

HELP

  • HELP (Hyrdrocarbon Exploration and Licensing Policy) में ऐसा प्रावधान किया गया है जिससे भारत की समस्त अवसादी घाटियों में घरेलू और विदेशी कम्पनीयाँ निवेश करें और निवेश की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हो तथा वित्तीय एवं प्रशासकीय तन्त्र निवेशकों के लिए अनुकूल हो.
  • इस नई नीति का उद्देश्य निवेशकों को राष्ट्रीय डाटा संग्रह (National Data Repository – NDR) में उपलब्ध भूकम्प विषयक विशाल डाटा उपलब्ध कराना है.

HELP की आवश्यकता क्यों?

भारत कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. यहाँ जो ऊर्जा खपत होती है उसका 34.4% खनिज तेल और गैस से आता है. 2015-16 में कच्चे तेल के आयात पर भारत की निर्भरता 81% हो गई थी जबकि पहले यह निर्भरता 78.5% थी. दूसरी ओर विगत पाँच वर्षों में भारत में तेल की खोज और उत्पादन में समग्र रूप से गिरावट देखी गई है.विदित हो कि भारत सरकार ने यह लक्ष्य निर्धारित किया है कि खनिज तेल के आयात में 2022 तक 10% की कमी लाई जाए. इसी को ध्यान में रखकर खनिज तेल के अन्वेषण की नीति बनाई गई है. अन्वेषण की प्रक्रिया को सरल करने से इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा तथा अंततः तेल और गैस के नए-नए कुओं के मिलने से हमारा उत्पादन बढ़ेगा.


GS Paper 3 Source: PIB

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Topic : Sela Tunnel

संदर्भ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में सेला टनल प्रोजेक्ट की आधारशिला सेला दर्रे के समीप रखी.

Sela_Tunnel

सेला दर्रा

  • सेला दर्रा भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य में तवांग और पश्चिमी कामेंग जिले के मध्य अवस्थित एक उच्च तुंगता वाला पहाड़ी दर्रा है.
  • इसकी ऊँचाई 4,170 मीटर (13,700 फुट) है और यह तिब्बती बौद्ध शहर तवांग को दिरांग और गुवाहाटी से जोड़ता है.
  • इस दर्रे से होकर ही तवांग शेष भारत से एक मुख्य सड़क के जरिये जुड़ा हुआ है.
  • इस दर्रे के आस-पास वनस्पतियाँ अल्प मात्रा में उगती हैं तथा यह क्षेत्र ज्यादातर सालों-भर बर्फ से आच्छादित होता है.
  • इस दर्रे के शिखर के निकट स्थित सेला झील इस क्षेत्र में स्थित लगभग 101 पवित्र तिब्बती बौद्ध धर्म के झीलों में से एक है.

सेला सुरंग परियोजना के प्रमुख तथ्य

  • इस सुरंग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा किया जाएगा.
  • इस परियोजना की घोषणा केन्द्रीय बजट 2018 में अरुण जेटली द्वारा की गई थी.
  • इस परियोजना को 687 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जायेगा और अनुमानतः इस परियोजना को अंजाम देने में तीन साल लगेंगे.
  • इस परियोजना के अंतर्गत 12.04 किलोमीटर की दूरी की सड़क का निर्माण किया जायेगा जिसमें 1790 मीटर तथा 475 मीटर की दो सुरंगे भी सम्मिलित हैं.

परियोजना के लाभ

  • इस परियोजना के पूरा होने के पश्चात् तेजपुर और तवांग के मध्य यात्रा के समय एक घंटे की कमी हो जाएगी.
  • यह सुरंग परियोजना सेना के लिए भी बहुत उपयोगी है.
  • इससे आल-वेदर कनेक्टिविटी के साथ यात्रा के समय में भी कमी होगी.
  • इस सुरंग से उत्तर-पूर्वी राज्यों में पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा और आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आ सकेगी.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : RBI restructuring package for small businesses

संदर्भ

विगत महीने भारतीय रिज़र्व बैंक ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए ऋणों की संरचना बदलने के लिए एक पैकेज की घोषणा की. इस घोषणा के अनुसार, सात लाख अर्हता पास MSMEs इकाइयों के लिए एक लाख करोड़ के ऋण के भुगतान में बदलाव लाया जाएगा.

यह पैकेज क्या है?

  • यह पैकेज केवल 25 करोड़ रु. तक के मानक अग्रिमों के लिए ही उपलब्ध होगी.
  • इससे अतिरिक्त संसाधन उद्यमियों को उपलब्ध होंगे जिनसे माँग में बढ़ोतरी होगी और उद्योग में नए अवसरों का सृजन होगा.
  • इस बदलाव को मार्च 31, 2020 तक पूरा कर लिया जाना अनिवार्य होगा.
  • बैंकों को इन नए सिरे से गठित ऋणों का 5% प्रावधान करना होगा. इस विषय में प्रत्येक बैंक अथवा गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी (NBFC) इस योजना के लिए अपने बोर्ड के अनुमोदन से एक नीति बनाएगी.
  • जिन MSME को GST से छूट नहीं मिली हुई है, उनको GSTN पर ऋण के पुनर्गठन की तिथि के दिन पंजीकृत होना अनिवार्य होगा.

ऐसा क्यों किया जा रहा है?

विदित हो कि नोटबंदी और GST के बाद MSME कंपनियाँ सबसे अधिक कष्ट में पड़ी थीं. IL&FS (Infrastructure Leasing & Financial Services) भुगतान संकट के पश्चात् इन कंपनियों को ऋण मिलने में और भी समस्या होने लगी. इसके फलस्वरूप उन्हें बैंकों अथवा गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों से ऋण मिलना बंद होने लगा. वैसे भी बुरे ऋणों की समस्या के चलते ये बैंक ऋण देने की जोखिम से बचने लगे थे. इसलिए ऋणों के पुनर्गठन की आवश्यकता अनुभव की गई.

MSMEs की महत्ता

  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) विश्व की अधिकांश अर्थव्यस्थाओं का मेरुदंड होते हैं और विकासशील देशों में प्रमुख भूमिका निभाते हैं.
  • अंतर्राष्ट्रीय लघु व्यवसाय परिषद् (International Council for Small Business – ICSB) के द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़ों के अनुसार इस प्रकार के उद्योग सभी उद्योगों का 90% होते हैं. साथ ही इनसे सम्पूर्ण रोजगार का 60-70% रोजगार आता है और GDP का 50% आता है.
  • MSME में काम करने वाले लोग अधिकतर वंचित क्षेत्रों से आते हैं, जैसे – स्त्रियाँ, गरीब घरों के युवा और अन्य लोग. कई बार तो ऐसा देखा जाता है कि छोटे उद्योग गाँवों में आजीविका के एकमात्र स्रोत होते हैं.
  • MSME द्वारा किये गये उत्पादन भारत के निर्यात और औद्योगिक उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा भी होते हैं.

GS Paper 3 Source: PIB

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Topic : Strategic Petroleum Reserve (SPR) facility

संदर्भ

हाल ही में देश की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, प्रधानमंत्री ने भारतीय सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (आईएसपीआरएल) की 1.33 एमएमटी क्षमता वाले विशाखापत्तनम स्थित रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (Strategic Petroleum Reserves – SPR) का लोकार्पण किया है.

  • परियोजना की लागत 1125 करोड़ रूपये है.
  • यह देश की सबसे बड़ी भूमिगत भंडारण सुविधा है.

रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार

ज्ञातव्य है कि भारत ने तीन स्थानों पर भूमिगत भंडार बना रखे हैं जिसमें 5.33 मिलियन टन कच्चा तेल सुरक्षित कर दिया गया है. इन भंडारों से देश की तेल सम्बन्धी आवश्यकताएँ 9.5 दिन तक पूरी की जा सकेंगी. जिन स्थानों में भंडारण किया गया है, वे हैं – विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), मंगलौर (कर्नाटक) और पुदुर (कर्नाटक). इन तीनों भंडारों के अतिरिक्त भारत में कच्चे तेल के और पेट्रोलियम उत्पादों के कई और भंडार भी हैं जो तेल कम्पनियों के पास हैं. यदि कभी विदेश से आपूर्ति में बाधा होगी तो ये भंडार काम आयेंगे.

  • भारत सरकार ने 2017-18 बजट में यह घोषणा की थी कि ऐसे ही दो और भंडार अगले चरण में बीकानेर (राजस्थान) और उड़ीसा के जयपुर जिले में चंडीखोल में निर्मित किये जायेंगे.

भंडारों के लिए निर्माण एजेंसी

कच्चे तेल के भंडारण के लिए SCOS सुविधाओं का निर्माण जो एजेंसी करेगी, उसका नाम है – भारतीय रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार लिमिटेड (Indian Strategic Petroleum Reserves Limited – ISPRL). यह कम्पनी इसी उद्देश्य के लिए विशेष रूप से बनाई गई है और इसका पूर्ण स्वामित्व पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीनस्थ तेल उद्योग विकास बोर्ड (Oil Industry Development Board – OIDB) के पास है.

तेल भंडारों का सामरिक महत्त्व

  • 1990 में जब पश्चिमी एशिया में खाड़ी युद्ध हुआ था तो उस समय भारत के समक्ष खनिज तेल को लेकर एक बहुत बड़ा संकट आ गया था. उस समय भारत के पास बस इतना ही तेल बचा हुआ था जिससे मात्र तीन दिन काम चलाया जा सकता था. उस समय तो किसी प्रकार से संकट टल गया था परन्तु आज भी इस प्रकार के संकट की आशंका बनी हुई है.
  • भारत की ऊर्जा मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधनों (fossil fuels) पर पूर्णतया निर्भर है और भविष्य में इस परिदृश्य में कोई विशेष परिवर्तन होने की सम्भावना नहीं है. इन इंधनों का 80% आयात से, विशेषकर पश्चिम एशिया से आता है. यदि युद्ध छिड़ जाए तो आपूर्ति का संकट तो छाएगा ही, देश का चालू खाता घाटा (Current Account Deficit – CAD) भी बड़े पैमाने पर बढ़ सकता है.
  • इन तथ्यों को ध्यान में रखकर अटल बिहारी वाजपयी सरकार 1998 में SPR की अवधारणा लायी थी. आज भारत प्रत्येक दिन 4 मिलियन बैरल कच्चे तेल की खपत करता है. यह सब देखते हुए इसका जितना भी भण्डारण किया जाए, वह कम होगा.

Prelims Vishesh

In News- Vat Cau festival :-

  • Vat Cau एक सदियों पुराना खेल है जो वियतनाम में खेला जाता है.
  • मूलरूप से यह एक सैन्य-अभ्यास है और इसमें कुश्ती और रग्बी दोनों के तत्त्व विद्यमान होते हैं.

Abu Dhabi includes Hindi as third official court language :-

  • अबू धाबी ने देश के न्यायालयों में प्रयोग होने वाली भाषा के रूप में हिंदी को चुन लिया है.
  • ज्ञातव्य है कि पहले अरबी और अंग्रेजी ही यहाँ के न्यायालयों के लिए औपचारिक भाषाएँ हुआ करती थीं.
  • विदित हो कि संयुक्त अरब अमीरात में 6 मिलियन भारतीय रहते हैं जो वहाँ की जनसंख्या का 30% है.

DD Arunprabha :-

  • DD अरुणप्रभा एक दूरदर्शन चैनल है जो हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के लिए खोला गया है.
  • यह दूरदर्शन का 24वाँ चैनल है. अरुणप्रभा चैनल 24 घंटे सप्ताह भर चलेगा.

Film and Television Institute (FTI) :-

  • फिल्म एवं टेलीविज़न संस्थान अरुणाचल प्रदेश में अपना एक स्थाई परिसर स्थापित करने जा रहा है. पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह ऐसा पहला संस्थान होगा.
  • यह अरुणाचल प्रदेश के जोलांग-रकाप (जोत) में स्थापित होगा.

E-cocoon :-

ई-कोकून भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय द्वारा आरम्भ किया गया एक मोबाइल ऐप है जो रेशमी कीड़े के प्रजनन के लिए गुणवत्ता से सम्बंधित प्रमाण-पत्र देगा.

Helina-Anti Tank Missile :-

  • भारत ने ओडिशा के बालासौर जिले के चाँदीपुर में स्थित अपने समेकित परीक्षण-स्थल से हेलिना नामक एक टैंक-रोधी मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया.
  • विदित हो कि यह मिसाइल हेलिकॉप्टर से छोड़ी जायेगी और इसकी पहुँच 7-8 किलोमीटर तक होगी.

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