Sansar डेली करंट अफेयर्स, 10 September 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 10 September 2020


GS Paper 1 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Major crops-cropping patterns in various parts of the country, – different types of irrigation and irrigation systems storage, transport and marketing of agricultural produce and issues and related constraints; e-technology in the aid of farmers.

Topic : National Bamboo Mission

संदर्भ

हाल ही में कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय ने 9 राज्यों (मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, नागालैंड, त्रिपुरा, ओडिशा, गुजरात, उत्तराखंड व महाराष्ट्र) के 22 बांस क्लस्टरों की शुरूआत की है . इसके साथ ही मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission – NBM) के लोगो का भी विमोचन किया.

NBM का लोगो (logo)

  • लोगो (logo) में बांस की छवि भारत के विभिन्न हिस्सों में बांस की खेती को चित्रित करती है.
  • लोगो के चारों ओर औद्योगिक पहिया बांस क्षेत्र के औद्योगीकरण के महत्व को दर्शाता है. लोगो में सुनहरे पीले व हरे रंग का संयोजन दर्शाता है कि बांस ‘हरा सोना‘ है. आधा औद्योगिक पहिया और आधा किसान सर्कल किसानों और उद्योग दोनों के लिए बांस के महत्व को दर्शाता है.

राष्‍ट्रीय बांस मिशन के उद्देश्य

  • यह मिशन बाँस क्षेत्र के पूर्ण विकास पर ध्यान देता है और इसके लिए किसानों और उद्योगों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है. इस प्रकार इस योजना का उद्देश्य किसानों को अतिरिक्त आय उपलब्ध कराना भी है.
  • दो वर्षों में 1,05,000 हेक्टेयर में बाँस की खेती लगाना और इसके लिए उत्तम कोटि के पौधों को चुन-चुन कर उपलब्ध कराना.
  • बाँस के विकास और उससे बनने वाले उत्पादों में विविधता को प्रोत्साहित करना एवं इसके लिए छोटे-बड़े प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करना.
  • बाँस की बिक्री के लिए ऑनलाइन व्यापार की सुविधा देने के अतिरिक्त उसके लिए मंडी/बाजार/ग्रामीण हाट के तंत्र को सुदृढ़ करना.
  • बाँस के बारे में अनुसंधान, सम्बंधित तकनीक उत्पादनों का विकास, आवश्यक मशीन, व्यापार से सम्बंधित सूचना और ज्ञान के वितरण लिए मंच का निर्माण आदि कार्यों से देश में, विशेषकर पूर्वोत्तर राज्यों में, आपसी सहयोग की वृद्धि करना.

कार्यान्वयन

इस योजना का कार्यान्वयन उन राज्यों के खेतों और गैर-जंगली सरकारी भूमि में होगा जहाँ बाँस की अच्छी पैदावार होती है, जैसे – पूर्वोत्तर क्षेत्र, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, तमिलनाडु और केरल.

वित्तीय सहायता

  • जहाँ तक पूर्वोत्तर राज्यों का प्रश्न है वहाँ इस योजना के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता का वहन केंद्र और राज्य सरकार क्रमशः 90:10 के अनुपात में करती है.
  • अन्य राज्यों में केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली निधि का अनुपात 60:40 होगा.
  • संघीय क्षेत्रों, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों, बाँस तकनीक सहयोग समूहों (BTSGs) और राष्ट्र-स्तरीय एजेंसियों के लिए निधि का 100% केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms,
Literature and Architecture from ancient to modern times.

Topic : ICC Vs ICJ

संदर्भ

अफगानिस्तान में युद्ध अपराधों की जाँच कर रहे अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court : ICC) के अधिकारियों को अमेरिका द्वारा यह कहते हुए प्रतिबंधित कर दिया कि ICC की जाँच से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है.  

पृष्ठभूमि

जून, 2020 में राष्ट्रपति ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया था. इस आदेश के तहत कुछ ICC अधिकारियों पर अनेक प्रतिबंध आरोपित किए गए हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, युद्ध अपराध वस्तुतः अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन है. ये अपराध अंतर्राष्ट्रीय या घरेलू सशस्त्र संघर्ष के दौरान नागरिकों या शत्रु सैनिकों के विरुद्ध किए जाते हैं. चूँकि अफगानिस्तान ICC का एक सदस्य देश है, इसलिए ICC अपने विधिक अधिकारों के तहत वहां होने वाले अपराधों की जांच कर सकती है.

The International Criminal Court building is seen in The Hague, Netherlands, January 16, 2019. REUTERS/Piroschka van de Wouw

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC)

  • यह फौजदारी का अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय है जो हेग में स्थित है.
  • अंतर्राष्ट्रीय फौजदारी न्यायालय को 1998 में घोषित रोम कानून (Rome Statute) के द्वारा स्थापित किया गया था.
  • यह संसार का ऐसा पहला अंतर्राष्ट्रीय स्थाई फौजदारी न्यायालय है जो किसी संधि पर आधारित है.
  • इसकी स्थापना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के विरुद्ध जघन्य और परम चिंतनीय अपराध करने वालों को सजा दिलवाना है.
  • इस न्यायालय का काम है – जनसंहार, युद्ध-अपराध, मानवता के प्रति अपराध तथा आक्रमण के अपराध के आरोपी व्यक्तियों का अपराध तय करना और उनके खिलाफ मुकदमा चलाना.
  • भारत ने अभी तक रोम कानून पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं और इसलिए वह अंतर्राष्ट्रीय फौजदारी न्यायालय सदस्य नहीं है.
  • वैसे तो इस न्यायालय का खर्चा मुख्य रूप से सदस्य देश देते हैं किन्तु इसको अन्य स्रोतों से भी स्वैच्छिक वित्तीय सहायता मिलती है, जैसे – सरकारें, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, व्यक्ति, निगम और अन्य इकाइयाँ.

न्यायालय का स्वरूप और मतदान की शक्ति

  • न्यायालय का प्रबंधन और पर्यवेक्षण एक विधायी निकाय द्वारा किया जाता है जिसका नाम असेम्बली ऑफ़ स्टेट्स पार्टीज है जिसमें प्रत्येक देश का एक प्रतिनिधि होता है. इस असेंबली में एक अध्यक्ष और दो उपाध्यक्ष होते हैं जो सदस्यों द्वारा तीन वर्ष के लिए चुने जाते हैं.
  • प्रत्येक देश के पास एक वोट होता है. प्रयास किया जाता है कि जो भी निर्णय हो वह सर्वसहमति से हो. यदि सर्वसहमति नहीं होती है तभी मतदान होता है.

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) का मुख्यालय हॉलैंड शहर के  हेग में स्थित है. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में वैधानिक विवादों के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना की गई है. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का निर्णय परामर्श माना जाता है एवं इसके द्वारा दिए गये निर्णय को बाध्यकारी रूप से लागू करने की शक्ति सुरक्षा परिषद् के पास है. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के द्वारा देशों के बीच उप्तन्न विवादों को सुलझाया जाता है, जैसे – सीमा विवाद, जल विवाद आदि. इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न एजेंसियाँ अंतर्राष्ट्रीय विवाद के मुद्दों पर इससे परामर्श ले सकती हैं.

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न्यायालय की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है. किसी एक राज्य के एक से अधिक नागरिक एक साथ न्यायाधीश नहीं हो सकते. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं जिनका कार्यकाल 9 वर्षों का होता है. ये 15 न्यायाधीश निम्नलिखित क्षेत्रों से चुने जाते हैं –

  • अफ्रीका से तीन.
  • लैटिन अमेरिका और कैरीबियाई देशों से दो.
  • एशिया से तीन.
  • पश्चिमी यूरोप और अन्य देशों में से पाँच.
  • पूर्वी यूरोप से दो.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability, e-governance applications, models, successes, limitations, and potential; citizens charters, transparency & accountability and institutional and other measures.

Topic : Digital Divide

संदर्भ

हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (National Statistical Organisation-NSO) की हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में विभिन्न राज्यों, शहरों और गांवों तथा विभिन्न आय समूहों में डिजिटल डिवाइड (Digital Divide) काफी अधिक है.

पृष्ठभूमि

  • भारत में शिक्षा क्षेत्र से संबंधित घरेलू सामाजिक उपभोग( household social consumption) का सर्वेक्षण जुलाई 2017 से जून 2018 तक आयोजित राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) के 75 वें दौर का हिस्सा था. जिसकी अंतिम प्रतिवेदन हाल ही में निर्गत की गई है .
  • इस रिपोर्ट में भारत में डिजिटल डिवाइड की स्थिति के संबंध में कई महत्वपूर्ण आंकड़े दिये गए हैं.

रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में, दस में से केवल एक घर में एक कंप्यूटर(डेस्कटॉप, लैपटॉप या टैबलेट) है .
  • भारत के में सभी घरों में से लगभग एक चौथाई घरों में इंटरनेट की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो एक निश्चित(fixed) या मोबाइल नेटवर्क के माध्यम से एक्सेस की जाती हैं .
  • भारत के इन इंटरनेट-सक्षम घरों (Internet-enabled homes) में से अधिकांश घर शहरों में ही स्थित हैं. जहां शहरों के कुल घरों में से 42% घरों में इंटरनेट का उपयोग होता है, तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र के कुल घरों में से केवल 15% ही घर इंटरनेट से जुड़े हैं.
  • राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सबसे अधिक इंटरनेट का उपयोग होता है, यहाँ लगभग 55% घरों में इंटरनेट की सुविधाएं हैं. दिल्ली के अतिरिक्त , हिमाचल प्रदेश और केरल ही ऐसे राज्य हैं जहाँ आधे से अधिक घरों में इंटरनेट है.
  • इंटरनेट के मामले में ओडिशा की स्थिति काफी चिंताजनक है , यहाँ दस घरों में से केवल एक में ही इंटरनेट है.
  • 20% से कम इंटरनेट की पहुंच वाले दस अन्य राज्य हैं, जिनमें कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे सॉफ्टवेयर हब शामिल हैं.
  • एनएसओ ने रिपोर्ट में बताया है कि देश में डिजिटल डिवाइड का सर्वप्रमुख कारक आर्थिक स्थिति है.
  • राष्ट्रीय स्तर पर केरल राज्य में सबसे कम डिजिटल डिवाइड की स्थिति दिखती है जबकि असम में यह सबसे अधिक है.
  • एनएसओ की रिपोर्ट बताती है कि 5 वर्ष से अधिक आयु के 20% भारतीयों में बुनियादी डिजिटल साक्षरता है, जबकि 15 से 29 वर्ष के महत्वपूर्ण आयु समूह में यह 40% है.

डिजिटल डिवाइड

  • इंटरनेट और संचार प्रौद्योगिकियों के उपयोग और प्रभाव के संबंध में आर्थिक और सामाजिक असमानता को ‘डिजिटल डिवाइड’ की संज्ञा दी जाती है.
  • सामान्यतया ‘डिजिटल डिवाइड’, इंटरनेट व संचार प्रौद्योगिकियों के उपयोग को लेकर विभिन्न सामाजिक, आर्थिक स्तरों या अन्य जनसांख्यिकीय श्रेणियों में व्यक्तियों, घरों, व्यवसायों या भौगोलिक क्षेत्रों के बीच असमानता का उल्लेख करता है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (National Statistical Organization – NSO)

  • राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ), भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MoSPI) के अंतर्गत आता है.
  • यह देश में सांख्यिकीय क्रियाकलापों में समन्‍वय करता है और सांख्यिकीय मानक तैयार करता है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian economy – growth and development.

Topic : Ease of Doing Business

संदर्भ

राज्यों के लिए व्यवसाय करने में सुगमता (Ease of Doing Business: EODB) रैंकिंग जारी की गई.

मुख्य बिंदु

  • इसका प्रकाशन राज्यों में समग्र व्यावसायिक परिवेश में सुधार करने के लिए विश्व बैंक के सहयोग से उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (Department of Industrial Promotion and Internal Trade :DPIIT) द्वारा किया गया हैं. वर्ष 2015 से आरंभ होने के उपरांत यह इसका चौथा वार्षिक संस्करण है.
  • यह रैंकिंग व्यवसाय-उद्यमों के संदर्भ में सरकारी विनियामक कार्यों की वर्धित पारदर्शिता, दक्षता और प्रभावशीलता के साथ राज्यों मे व्यवसाय करने की सुगमता (EODB) को अभिव्यक्त करती है.
  • राज्यों की रैंकिंग निवेश को आकर्षित करने, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और प्रत्येक राज्य में EODB में वृद्धि करने में सहायता करेगी.
  • वर्ष 2019 हेतु राज्यों की रैंकिंग, व्यवसाय सुधार कार्य योजना (Business Reform Action Plan : BRAP) के कार्यान्वयन पर आधारित है.
  • DPIIT द्वारा जारी किए गए BRAP 2018-19 में 12 व्यावसायिक विनियामक क्षेत्रों जैसे कि सूचना तक पहुंच, सिंगल विंडो सिस्टम, श्रम, पर्यावरण आदि को शामिल करने वाले 180 सुधार बिंदु शामिल हैं.
  • श्रेणीवार रैंकिंग: टॉप अचीवर्स (95 प्रतिशत से अधिक अनुपालन); अचीवर्स (90-95 प्रतिशत); फास्ट मूवर्स (80-90 प्रतिशत) तथा एस्पायर्स (80 प्रतिशत से कम).

वर्ष 2019 की रैंकिंग के निष्कर्ष

  • आंघ्र प्रदेश शीर्ष पर है, इसके उपरांत उत्तर प्रदेश का स्थान है.
  • उत्तर भारत से उत्तर प्रदेश, दक्षिण भारत से आंध्र प्रदेश, पूर्वी भारत से पश्चिम बंगाल, पश्चिम भारत से मध्य प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत से असम शीर्ष स्थान पर रहे.
  • वहीं संघ शासित प्रदेशों में दिल्‍ली ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया है.
  • त्रिपुरा 36वें स्थान पर (अंतिम स्थान पर) रहा.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Awareness in space.

Topic : Chandrayaan-1

संदर्भ

चंद्रयान-1 द्वारा प्रेषित चित्र चंद्रमा पर पृथ्वी क॑ वातावरण के संभावित प्रभाव को इंगित करते हैं. प्रेषित चित्र प्रदर्शित करते हैं कि अपने ध्रुवों पर चंद्रमा जंग लगा हुआ प्रतीत हो रहा है. इसके अतिरिक्त, चंद्रयान-1 के डाटा से संकेत प्राप्त हुआ है कि चंद्रमा के ध्रुवों पर जल विद्यमान है.  

चूँकि चंद्रमा की सतह लौह समृद्ध चट्टानों के लिए जानी जाती है, परन्तु वहां जल और ऑक्सीजन की उपस्थिति ज्ञात नहीं है. इसलिए नासा का मानना है कि इसके लिए पृथ्वी का वातावरण आंशिक रूप से उत्तरदायी हो सकता है.

चन्द्रयान 1 से सम्बंधित तथ्य

  • चन्द्रयान 1 अक्टूबर 22, 2008 को छोड़ा गया था पर एक साल के बाद ही अगस्त 29, 2009 को ISRO का इससे सम्पर्क टूट गया था.
  • इसके साथ 11 वैज्ञानिक उपकरण संलग्न थे, जिनका निर्माण भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, स्वीडन और बुल्गारिया में किया गया था.
  • चंद्रयान 1 ने चंद्रमा के इन्फ्रारेड, कम ऊर्जा वाले X-ray तथा अधिक ऊर्जा वाले X-ray के पास स्थित द्रष्टव्य क्षेत्रों की high resolution रिमोट सेंसिंग की थी.
  • Chandrayaan-1 का एक लक्ष्य चंद्रमा के निकटवर्ती और दूरवर्ती क्षेत्रों का त्रिआयामी (3D) मानचित्र तैयार करना था.
  • चंद्रयान 1 मिशन का एक काम चंद्रमा में विभिन रासायनिक तत्त्वों और उच्च आणविक संख्या वाले तत्त्वों की खोज करना भी था.

भारतीय उपकरण

भू-खंड (Terrain) मैपिंग कैमरा, हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजर, लूनर लेजर रेंजिंग उपकरण, हाई एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर तथा मून इम्पैक्ट प्रोब.

विदेशी उपकरण

चंद्रयान-1 एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर, नियर इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रीमीटर, सब केवी (keV) एटम रिफ्लेक्टिंग एनालाइजर, मिनिएचर सिंथेटिक एपर्थर रडार, मून मिनरलॉजी मैपर तथा रेडिएशन डोज मॉनिटर.

प्रमुख निष्कर्ष

अल्प मात्रा में वाष्प के रूप में विद्यमान जल का पता लगाया, ओशन मैग्मा परिकल्पना की पुष्टि की, अशक्त सौर चमक के दौरान एक्स-रे संकेतों का पता लगाया, जिससे चंद्रमा की सतह पर मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन और कैल्शियम की उपस्थिति का संकेत प्राप्त हुआ है. ‘ केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री ने स्पष्ट किया है कि चंद्रयान -3 का प्रक्षेपण वर्ष 2021 के आरंभ में हो सकता है.


Prelims Vishesh

Hutti Gold Mines :-

  • यह खदान कर्नाटक के रायचूर जिले में स्थित है.
  • हट्टी गोल्ड माइन्स कंपनी लिमिटेड (कर्नाटक सरकार के स्वामित्वाधीन) देश में प्राथमिक स्वर्ण की एकमात्र उत्पादक कंपनी है.
  • भारत में स्वर्ण की कार्यरत खदानें हैं- कर्नाटक में कोलार, हट्टी और उटी, झारखंड में हीराबुदीनी खदान तथा आंध्र प्रदेश में रामगिरी गोल्ड फील्ड.
  • वर्ष 1902 में परिचालन आरंभ करने वाली हट्टी खदान विश्व की सबसे प्राचीन खदानों में से एक है.
  • शोधकर्ताओं के अनुसार इस क्षेत्र में खनन-गतिविधि लगभग 1900 वर्ष पूर्व से परिचालित रही है.

Indian Merchants’ Chamber (IMC) :-

  • हाल ही में IMC चैंबर ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडस्ट्री के 114वें स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया है.
  • यह देश का सबसे पुराना चैंबर ऑफ कॉमर्स है, जिसके सदस्यों में महात्मा गांधी भी शामिल थे.
  • इसे “स्वदेशी आंदोलन’ के अंतर्गत भारतीय व्यवसायियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए वर्ष 1907 में स्थापित किया गया था.
  • इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है.

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