Sansar डेली करंट अफेयर्स, 10 September 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 10 September 2019


GS Paper 1 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues

Topic : Dadabhai Naoroji

संदर्भ

गत सितम्बर 4 को दादाभाई नौरोजी की 194वीं वर्षगाँठ मनाई गई. ज्ञातव्य है कि दादाभाई नौरोजी उन पहले नेताओं में से थे जिन्होंने देश की राष्ट्रीय चेतना को आंदोलित किया. उन्हें ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ़ इंडिया भी कहा जाता है. इनका जन्म वर्तमान गुजरात राज्य के नवसारी में 1825 में हुआ था.

मुख्य योगदान

  • वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से उसके प्रारम्भिक दौर से ही जुड़े हुए थे.
  • वे ब्रिटिश संसद में चुने गये पहले भारतीय सदस्य थे.
  • 1859 में उन्होंने पहला आन्दोलन छेड़ा था जो भारतीय सिविल सेवा में नियुक्ति में से सम्बंधित था.
  • क्रमशः 1865 और 1866 नौरोजी ने लन्दन इंडियन सोसाइटी तथा ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना में सहयोग दिया. ये दोनों संगठन राष्ट्रवादी भारतीयों और भारतीयों से सहानुभूति रखने वाले ब्रिटेन के निवासियों को एक मंच पर लाने में सहायक सिद्ध हुए.
  • ईस्ट इंडिया एसोसिएशन के सचिव के रूप में भारत आये और धनराशि संग्रह करने के अतिरिक्त राष्ट्रीय जागरूकता को बढ़ावा भी दिया.
  • 1885 में नौरोजी बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बन गये.
  • गवर्नर लॉर्ड रे (Lord Reay) के द्वारा वे बॉम्बे विधायी परिषद् में नामित हुए.
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में उनका सहयोग रहा. वे इसके तीन बार अध्यक्ष चुने गये (1886, 1893 और 1906).
  • 1893 में उन्होंने भारतीय संसदीय समिति के गठन में सहायता की.
  • 1895 में वे रॉयल कमीशन ऑन इंडियन एक्स्पेंडीचर के सदस्य बने.
  • दादाभाई नौरोजी ने 1901 में छपी अपनी पुस्तक ‘Poverty and Un-British Rule in India’ के माध्यम से धन-निष्कासन सिद्धांत (Drain Theory) को प्रतिपादित किया.

धन-निष्कासन सिद्धांत क्या है?

ब्रिटिश शासक भारतीयों को बलपूर्वक बहुत-सी वस्तुएँ यूरोप (ब्रिटेन छोड़कर) को निर्यात के लिए बाध्य करते थे. इस निर्यात से बहुत मात्रा में आमदनी  होती थी क्योंकि अधिक से अधिक माल निर्यात होता था. पर इस अतिरिक्त आय (surplus income) से ही अंग्रेज़ व्यापारी ढेर सारा माल खरीदकर उसे इंग्लैंड और दूसरी जगहों में भेज देते थे. इस प्रकार अंग्रेज़ दोनों तरफ से संपत्ति प्राप्त कर रहे थे. इन व्यापारों से भारत को कोई भी धन प्राप्त नहीं होता था. साथ ही साथ भारत से इंग्लैंड जाने वाले अंग्रेज़ भी अपने साथ बहुत सारे धन ले जाते थे. कंपनी के कर्मचारी वेतन, भत्ते, पेंशन आदि के रूप में पर्याप्त धन इकठ्ठा कर इंग्लैंड ले जाते थे. यह धन न केवल सामान के रूप में था, बल्कि धातु (सोना, चाँदी) के रूप में भी पर्याप्त धन इंग्लैंड भेजा गया. इस धन के निष्कासन (Drain of Wealth) को इंग्लैंड एक “अप्रत्यक्ष उपहार” समझकर हर वर्ष भारत से पूरे अधिकार के साथ ग्रहण करता था. भारत से कितना धन इंग्लैंड ले जाया गया, उसका कोई हिसाब नहीं है क्योंकि सरकारी आँकड़ो (ब्रिटिश आँकड़ो) के अनुसार बहुत कम धन-राशि भारत से ले जाया गया. फिर भी इस धन के निष्कासन (Drain of Wealth) के चलते भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा. धन निष्कासन (Drain of Wealth) के प्रमुख स्रोत की पहचान निम्नलिखित रूप से की गई थी :

  1. ईस्ट इंडिया कम्पनी के कर्मचारियों का वेतन, भत्ते और पेंशन
  2. बोर्ड ऑफ़ कण्ट्रोल एवं बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स का वेतन व भत्ते
  3. 1858 के बाद कंपनी की सारी देनदारियाँ
  4. उपहार से मिला हुआ धन
  5. निजी व्यापार से प्राप्त लाभ
  6. साम्राज्यवाद के विस्तार हेतु भारतीय सेना का उपयोग किया जाता था, जिससे रक्षा बजट का बोझ भारत पर ही पड़ता था (20वीं सदी की शुरुआत में यह रक्षा बजट 52% तक चला गया था)
  7. रेल जैसे उद्योग में में धन लगाने वाले पूंजीपतियों को निश्चित लाभ का दिया जाना आदि.

GS Paper 1 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Population and associated issues, poverty and developmental issues, urbanization, their problems and their remedies.

Topic : Global Liveability Index

संदर्भ

The Economist Intelligence Unit (EIU) ने हाल ही में वैश्विक निवास योग्यता सूचकांक, 2019 (Global Liveability Index) निर्गत किया है. इस सूचकांक में निवास योग्य दशाओं के आधार पर विश्व के 140 नगरों को रैंक प्रदान किया गया है.

इस सूचकांक के अनुसार विश्व के सबसे अधिक निवास-योग्य 10 नगर निम्नलिखित हैं –

  1. वियना, ऑस्ट्रिया (99.1)
  2. मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया (98.4)
  3. सिडनी, ऑस्ट्रेलिया (98.1)
  4. ओसाका, जापान (97.7)
  5. कैलगरी, कनाडा (97.5)
  6. वैंकूवर, कनाडा (97.3)
  7. टोक्यो, जापान (97.2 टाई)
  8. टोरंटो, कनाडा (97.2 टाई)
  9. कोपेनहेगन, डेनमार्क (96.8)
  10. एडिलेड, ऑस्ट्रेलिया (96.6)

वैश्विक निवास योग्यता सूचकांक के मुख्य मापदंड

सूचकांक में निम्नलिखित मुख्य कारकों पर विचार किया गया है

  • राजनीतिक एवं सामाजिक स्थिरता
  • अपराध
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता
  • संस्कृति एवं पर्यावरण
  • आधारभूत संरचना

मुख्य निष्कर्ष

  • लगातार दूसरे वर्ष इस वर्ष भी ऑस्ट्रिया का वियना नगर विश्व में सर्वाधिक निवास योग्य नगर माना गया.
  • जहाँ तक भारत का प्रश्न है, नई दिल्ली की रैंकिंग इस सूची में 6 स्थान घटकर 118 पर पहुँच गई. मुंबई भी पिछले वर्ष की तुलना दो स्थान नीचे आकर 119वीं रैंकिंग पर पहुँच गई.

भारतीय नगरों की रैंकिंग घटने के कारण

  1. पत्रकारों पर अत्याचार
  2. अपराध दरों में वृद्धि
  3. जलवायु परिवर्तन
  4. निवास के लिए आवश्यक दशाओं में कमी.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Food processing and related industries in India- scope and significance, location, upstream and downstream requirements, supply chain management.

Topic : Ethanol

संदर्भ

आर्थिक मामलों के मंत्रिपरिषदीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs – CCEA) ने 2019-20 आपूर्ति वर्ष के अन्दर दिसम्बर 1 से सार्वजनिक उपक्रम की तेल विपणन कम्पनियों के द्वारा चीनी मिलों से पेट्रोल में मिश्रित करने के लिए ख़रीदे गये एथनोल के दाम को बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. साथ ही उसने पुरानी चीनी (old sugar) को एथनोल में बदलने की अनुमति भी दे दी है.

एथनोल क्या है?

एथनोल मूलतः 99% से अधिक शुद्धता वाला अल्कोहल ही होता है जिसका प्रयोग पेट्रोल में मिलाने के लिए होता है. एथनोल मुख्य रूप से चीनी मिलों के सह-उत्पाद खांड (molasses) से तैयार होता है.

तेल में एथनोल मिलाने के लाभ

आजकल एथनोल के उत्पादन को बहुत प्रोत्साहन मिला हुआ है. सरकार ने भी ऊपर से निर्देश दे दिया है कि पेट्रोल में 10% एथनोल मिलाया जा सकता है. यह सच है कि जितना एथनोल बनेगा चीनी का उत्पादन उतना ही कम हो जाएगा. परन्तु यह भी सच है कि भारत में चीनी का उत्पादन अत्यधिक है और हमें खनिज तेल आयात करना पड़ता है. अतः एथनोल को पेट्रोल में मिश्रित करने का कार्यक्रम मिलों के लिए भी लाभकारी है और देश की आर्थिक स्थिति के लिए भी. विदित हो कि चीन और अमेरिका के बाद ऊर्जा की सबसे अधिक खपत भारत में ही होती है. वस्तुतः यह देश अपनी आवश्यकता का 82.1% कच्चा तेल आयात से प्राप्त करता है तथा 44.4% प्राकृतिक गैस के लिए भी आयात पर निर्भर रहता है.

भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक पेट्रोल में एथनोल का मिश्रण 20% तक कर दिया जाए. परन्तु वर्तमान में प्रत्येक वर्ष 1.55 बिलियन लीटर एथनोल उत्पादित होता है.

2030 के लक्ष्य को पाने के लिए एथनोल का वार्षिक उत्पादन बढ़ाकर 10 बिलियन लीटर करना होगा.

एथनोल मिश्रण से कृषि क्षेत्र को सहारा मिलेगा और किसानों की आय बढ़ेगी. साथ ही एथनोल-मिश्रित पेट्रोल पर्यावरण की दृष्टि भी अनुकूल रहेगा.

एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम

  • एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम को कार्यान्वित करने के लिए भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों के द्वारा होने वालीएथनॉल की खरीद की प्रक्रिया निर्धारित की है.
  • इस योजना के तहत एथनॉल की खरीद अच्छे दामों पर की जायेगी जिससे सम्बंधित मिल गन्ना किसानों के बकायों का भुगतान करने में सक्षम हो जायेंगे.
  • C heavy खांड़ (गुड़ का एक रूप) से बनने वाले एथनॉल का दाम ऊँचा होने तथाB heavy खांड़ एवं गन्ने के रस से उत्पन्न एथनॉल की खरीद की सुविधा के कारण EBP कार्यक्रम के तहत एथेनॉल की उपलब्धता बहुत बढ़ने की संभावना है.

विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन

  • बायो ऐथनॉल :यह कार्बोहाइड्रेट और फसलों एवं अन्य पौधों व घासों के रेशेदार (cellulosic) सामग्री के किण्वन से उत्पादित अल्कोहल है. सामान्यतः ईंधन की ऑक्टेन संख्या बढ़ाने के लिए इसका योजक के रूप में प्रयोग किया जाता है.
  • जैव डीजल :यह पौधों और पशुओं से प्राप्त तेलों और वसा के ट्रांस एस्टरीफिकेशन द्वारा उत्पादित फैटी एसिड का मिथाइल या मिथाइल एस्टर है. इसका प्रत्यक्ष रूप से ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है.
  • बायो गैस :बायो गैस अवायवीय जीवों द्वारा कार्बनिक पदार्थों के अवायवीय पाचन के माध्यम से उत्पादित मीथेन है. इसे पूरक गैस प्राप्ति करने के लिए एनारोबिक डाइजेस्टर में या तो जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ डालकर अथवा ऊर्जा फसलों का उपयोग करके उत्पादन किया जा सकता है.

राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति – 2018 से संभावित लाभ

आयत पर निर्भरता कम करती है – बड़े पैमाने पर जैव ईंधन के उत्पादन से कच्चे तेल पर आयात निर्भरता में कमी आएगी और विदेशी मुद्रा की बचत होगी.

स्वच्छ पर्यावरण – फसलों को जलाने में कमी लाने और कृषि अवशेषों/अपशिष्ट के जैव ईंधन में रूपांतरण में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और अन्य कणिकीय पदार्थों में कमी आएगी.

नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन – एक अनुमान के अनुसार, प्रतिवर्ष भारत में 62 MMT नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (Municipal Solid Waste : MSW) उत्पन्न होता है. यह नीति अपशिष्ट/प्लास्टिक, MSW का ड्राप इन फ्यूल (ठोस अपशिष्ट से हाइड्रोकार्बन ईंधन) में रूपांतरण को बढ़ावा देती है.

ग्रामीण क्षेत्रों में अवसंरचना संबंधी निवेश – पूरे देश में दूसरी पीढ़ी की जैव रिफाइनरियों की संख्या बढ़ने से ग्रामीण इलाकों में अवसंरचना सम्बन्धी निवेश को बढ़ावा मिलेगा.

रोजगार सृजन – जैव रिफ़ाइनरियों की स्थापना से संयंत्र परिचालनों, ग्रामीण स्तर के उद्यमों और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन में रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

किसानों के लिए अतिरिक्त आय – किसान कृषि अवशेषों/अपशिष्ट का लाभ उठा सकते हैं जिन्हें अक्सर उनके द्वारा जला कर नष्ट कर दिया जाता है. कीमत गिरने पर वे अपने अधिशेष उत्पाद उचित दाम में इथेनॉल बनाने वाली इकाइयों को बेच सकते हैं.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Awareness in space.

Topic : ANDREX Project

संदर्भ

वैज्ञानिकों को पता चला है कि, वर्तमान धारणाओं के उलट, महासागर किस प्रकार कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं इसके निर्धारण में महत्त्वपूर्ण कारक सुदूर समुद्र में घटित होने वाली जैविक प्रक्रियाएँ  (biological processes) होती हैं.

  • इस खोज से अन्टार्कटिका के निकटवर्ती दक्षिणी महासागर और वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर के बीच की कड़ी को समझने में सहायता मिलेगी.
  • ज्ञातव्य है कि अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने ANDREX परियोजना (अन्टार्कटिक गहन जल निर्यात दर / Antarctic Deep water Rates of Export) के अंतर्गत 2008 से 2010 तक इस क्षेत्र में वेडल जायर (Weddell gyre) नामक घूर्णित जलराशि (waters in the gyre) के भौतिक, जैविक और रासायनिक गुणों का आकलन किया था.

महत्त्व

महासागरों की सतह पर कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित होता रहता है और धीरे-धीरे सैंकड़ों-हजारों वर्षों में समुद्रों की तलहटी में जमा हो जाता है. यह कार्बन डाइऑक्साइड कालांतर में वायुमंडल में प्रवेश कर जाता है. यह प्रक्रिया दक्षिणी महासागर में प्रमुखता से देखी जाती है. इसलिए वैज्ञानिक चाहते हैं कि इस पूरी प्रक्रिया को समझ लें और उसके आधार पर हिम युगों जैसे भूतकाल के नाटकीय जलवायु परिवर्तनों में इसकी भूमिका को बेहतर ढंग से जान सकें और इसके आधार पर वर्तमान और भविष्य के जलवायु परिवर्तनों का पूर्वानुमान कर सकें.

ANDREX परियोजना क्या है?

  • ANDREX का पूरा नाम है – Antarctic Deep water Rates of Export.
  • यह एक परियोजना है जिसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि वेडल जायर की दक्षिणी जल-चक्रण (meridional overturning circulation) में क्या भूमिका होती है. साथ ही इसका उद्देश्य यह भी पता लगाना है कि विश्व के महासागरों के गहन भागों में वायु का प्रवेश किस प्रकार होता है और किस प्रकार महासागरों की तलहटी में कार्बन और पोषक तत्त्व पृथक होकर इधर-उधर हो जाते हैं.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Awareness in space.

Topic : Asteroid Impact Deflection Assessment

संदर्भ

नासा (National Aeronautics and Space Administration – NASA) और यूरोपीय अन्तरिक्ष एजेंसी (European Space Agency – ESA) में काम करने वाले क्षुद्रग्रहों के शोधकर्ताओं एवं अन्तरिक्षयान इंजिनियरों ने मिलकर AIDA अभियान की प्रगति की जाँच करने का निर्णय लिया है.

AIDA क्या है?

  • AIDA का पूरा नाम है – Asteroid Impact Deflection Assessment.
  • यह एक संयुक्त शोध मिशन है जिसमें NASA और ESA के दल सम्मिलित हैं.
  • AIDA का उद्देश्य इस संभावना का पता लगाना है कि पृथ्वी की ओर आते हुए किसी क्षुद्रग्रह की दिशा को पृथ्वी से अन्तरिक्षयान भेजकर और उसे उस क्षुद्रग्रह से टकराकर बदला जा सकता है अथवा नहीं.
  • इस परियोजना के अंतर्गत पृथ्वी और मंगल ग्रह के बीच स्थित दो डीडीमोस क्षुद्रग्रहों में से एक के परिक्रमा पथ की दिशा को बदलने की योजना है. इस कार्य में एक पर्यवेक्षक यान भी भेजा जाएगा जो धरती पर स्थित पर्यवेक्षकों की तुलना में अधिक कारगर ढंग से क्षुद्रग्रह से अन्तरिक्षयान के टकराने के प्रभाव का आकलन कर सकेगा.

डीडीमोस क्या है?

डीडीमोस क्षुद्रग्रहों का एक जोड़ा है जिसमें बड़े छुद्रग्रह का व्यास 780 मीटर है और परिक्रमा का समय 2.26 घंटा है. विदित हो कि डिडीमोस के चारों ओर डीडीमून (Didymoon) नामक चाँद परिक्रमा लगाता है जिसे डीडीमोस B भी कहा जाता है. इसका आकार मिस्र के गीज़ा पिरामिड के लगभग बराबर है और जिसका व्यास मात्र 160 मीटर है.


Prelims Vishesh

Maritime Route between Chennai and Vladivostok :-

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी रूस की यात्रा के क्रम में वहाँ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलकर चेन्नई ब्लाडीवोस्टक (रूस के सुदूर पूर्व में स्थित) के बीच समुद्री संचार के विकास से सम्बंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किये.  

Colour-coded alerts by IMD :-

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग अलग-अलग रंगों की चेतावनियाँ निर्गत किया करता है जिनका अलग-अलग अभिप्राय होता है.

  1. इनमें हरी चेतावनी का अर्थ होता है कि कोई कार्रवाई अपेक्षित नहीं है.
  2. पीली चेतावनी का अर्थ होता है कि मौसम पर नज़र रखा जाए और नवीनतम स्थिति की जानकारी ली जाए.
  3. नारंगी चेतावनी का तात्पर्य है कि भारी वर्षा होने वाली है इसलिए अधिकारीगण तैयार रहें.
  4. लाल चेतावनी वास्तविक चेतावनी वास्तविक चेतावनी होती है जिसमें अधिकारियों को कार्रवाई करनी पड़ जाती है.

Nuakhai: Harvesting festival of Odisha :-

  • नुआखाई परब अथवा नुआखाई भेटघाट ओडिशा का एक कृषि उत्सव है जो वैदिक काल से चला आता है.
  • यह समारोह नए फसल की कटाई से सम्बंधित है और इसमें माँ देवी को नई फसल का नैवेद्य चढ़ाया जाता है.

India among top 10 nations in gold reserves :-

  • विश्व स्वर्ण परिषद् द्वारा प्रकाशित नवीनतम प्रतिवेदन के अनुसार स्वर्ण भंडार के मामले में अमेरिका सभी देशों में प्रथम (8,133.5 टन) और जर्मनी द्वितीय (3,366.8 टन) है.
  • तीसरे स्थान पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) है और उसके पश्चात् क्रमशः इटली, फ़्रांस, रूस, चीन, स्विट्ज़रलैंड और जापान का स्थान आता है.
  • इस बार नेदरलैंड (612.5 टन) को अपदस्थ करके भारत दसवें स्थान (618.2 टन) पर पहुँच गया है.

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