Sansar डेली करंट अफेयर्स, 10 December 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 10 December 2019


GS Paper 1 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.

Topic : Paika Rebellion

संदर्भ

पिछले दिनों राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 1817 के पइका विद्रोह को समर्पित स्मारक की आधारशीला रखी.

पइका विद्रोह क्या है?

आज से 202 वर्ष पहले 1817 में ओडिशा राज्य के खुर्दा में सैनिकों का एक विद्रोह हुआ था जिसका नेतृत्व बक्शी जगबंधु (बिद्याधर महापात्र) ने किया था. इस विद्रोह को पइका विद्रोह कहते हैं.

विद्रोह के कारण

  • ओडिशा के पारम्परिक जमींदार सैनिकों को पइका कहा जाता था. जब 1803 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस राज्य के अधिकांश भाग को कब्जे में ले लिया तो खुर्दा के राजा का प्रभुत्व समाप्त हो गया और इसके साथ पइका जनों की शक्ति और प्रतिष्ठा में भी गिरावट आ गई. अंग्रेज़ लोग इन आक्रामक और योद्धा लोगों से चिंतित रहा करते थे और इसलिए इनको रास्ते पर लाने के लिए उन्होंने वाल्टर एवर के अन्दर एक आयोग का गठन किया.
  • इस आयोग ने सुझाव दिया कि पइका जनों के पास जो लगान रहित पैत्रिक भूमि दी गई थी उसे ब्रिटिश शासन अपने कब्जे में ले ले. इस सुझाव का कठोरता से पालन किया जाने लगा. इस पर पइका लोगों ने विद्रोह कर दिया.
  • इस विद्रोह के कुछ अन्य कारण भी थे, जैसे – नमक के मूल्य में वृद्धि, कर के भुगतान के लिए दी जाने वाली कौड़ी मुद्रा को समाप्त करना और भूमि लगान को वसूलने के लिए अपनाई गई शोषणकारी नीति.
  • विद्रोह के आरम्भ में कंपनी को मुश्किलों का सामना करना पड़ा, परन्तु मई 1817 तक विद्रोह को दबाने में सफल रही. कई पइका नेताओं को फाँसी दे दी गई अथवा देश निकाला दे दिया गया. आठ वर्षों के बाद जगबंधु ने भी 1825 में आत्मसमर्पण कर दिया.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation/ Employment related issues.

Topic : Kannadigas to get priority in the private sector

संदर्भ

कर्नाटक सरकार ने नियमों में संशोधन कर उन सभी औद्योगिक प्रतिष्ठानों को समूह “C” और “D”  श्रेणी की नौकरियों में राज्य के निवासियों को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है जो सरकार से कुछ भी सहायता प्राप्त करते हैं.

मुख्य तथ्य

  • सरकार से उत्प्रेरण पाने वाले उद्योगों को “C” और “D” श्रेणियों में शत प्रतिशत आरक्षण देना होगा और जो प्रतिष्ठान सरकार से कोई लाभ प्राप्त नहीं करते हैं, उनसे अपेक्षा की जायेगी कि वे राज्य के निवासियों को प्राथमिकता देंगे.
  • संशोधित नियमों के अनुसार यदि निजी कम्पनियाँ इन नियमों को सच्चे हृदय से लागू नहीं करतीं तो सरकार हस्तक्षेप कर सकती है.

नए नियमों की आवश्यकता क्यों?

विगत कुछ वर्षों से देश के हर कोने से अनेक लोग नौकरियों के लिए आये हैं जिससे स्थानीय और बाहरी लोगों का जनसांख्यिक संतुलन गड़बड़ा गया है और आर्थिक कारणों से सामाजिक मनमुटाव भी जन्म ले चुका है.

उधर, नई नौकरियाँ भी बहुत अधिक सृजित नहीं हो रही हैं. इसलिए निकट भविष्य में इस समस्या का ठोस समाधान दिखाई नहीं पड़ता. यही सोचकर सरकार ने यह कदम उठाया है.

चिंता के विषय

  • निजी क्षेत्र को स्थानीय लोगों को नौकरी पर रखने के लिए विवश करना यह दर्शाएगा की कर्नाटक के लोग मेधा अथवा परिश्रम के बल पर नौकरी करने लायक नहीं हैं.
  • हो सकता है नए नियम से कर्नाटकवासियों को लाभ हो जाए परन्तु सर्वोत्तम प्रत्याशी का चयन नहीं होने से निजी क्षेत्रों को धक्का भी पहुँच सकता है.
  • ऐसा होने से कर्नाटक की नक़ल में दूसरे राज्य भी मेधा और उत्पादकता की बलि चढ़ाकर ऐसे लोकप्रिय नियम बनाने लगें.
  • यदि उद्योग जगत इस प्रकार के आरक्षण से कमजोर होता है तो उसका अपने ऊपर भरोसा घट सकता है और वह अपना प्रतिष्ठान किसी दूसरे राज्य में ले जाने की सोच सकता है. इससे ले-देकर कर्नाटक के निवासियों को ही हानि पहुँचेगी.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Topic : Creamy layer principle in SC, ST quota for promotion

संदर्भ

सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि एससी/एसटी समुदाय के क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभ से बाहर रखने का अपने आदेश पर पुनर्विचार के लिए कोर्ट इसे 7 सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजे.

पृष्ठभूमि

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में जरनैल सिंह मामले की सुनवाई के दौरान पांच जजों की एक खंडपीठ ने साल 2006 के एक फैसले से सहमति जताई थी. 2006 का ये मामला एम नागराज का है. इस फैसले में अदालत ने एससी/एसटी में नौकरियों में प्रमोशन के दौरान क्रीमी लेयर सिद्धांत को लागू करने को सही बताया था. 2018 में भी ऐसा ही फैसला देते हुए अदालत ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण में भी क्रीमी लेयर का नियम लागू होगा. लेकिन अब केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट ने अनुरोध किया है कि इस फैसले को 7 जजों की बेंच के पास भेजा जाए.

क्रीमी लेयर क्या है?

क्रीमी लेयर शब्द का इस्तेमाल मंडल आयोग के प्रावधानों के मुताबिक किया जाता है. इस वक्त इसका सीधा मतलब ओबीसी वर्ग के बीच संपन्न लोगों से है. ओबीसी में क्रीमी लेयर के तहत आने वाले लोगों को आरक्षण के लाभ से वंचित रखा जाता है. ऐसा कानूनी प्रावधान के आधार पर किया जाता है. ओबीसी समूह के वे उम्मीदवार क्रीमी लेयर में माने जाते हैं जिनके परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपये या उससे कम होती है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies/ Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : International Financial Services Centres Authority Bill, 2019

संदर्भ

संसद में अगले सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 के उपस्थापन की सम्भावना है.

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण क्या है?

वर्तमान में भारतीय निगम और वित्तीय संस्थानों (FI) की विदेश में स्थित शाखाओं को वित्तीय सेवाओं और लेन-देन के लिए विदेश में स्थित वित्तीय केन्द्रों पर निर्भर रहना पड़ता है. इसलिए देश में वित्तीय बाजार भागीदारको को विश्व स्तरीय नियामक वातावरण प्रदान करने के लिए एकीकृत वित्तीय नियामक की आवश्यकता महसूस की जा रही थी. इसके साथ ही यह व्यापार करने में सुगमता के उद्देश्य से भी आवश्यक था. एकीकृत प्राधिकरण देश में आईएफसीएस के विकास के लिए वैश्विक कार्यप्रणाली के अऩुरूप समकालीन आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करेगा.

विधेयक के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं  :-

प्राधिकरण का प्रबंधन

प्राधिकरण में एक अध्यक्ष, रिजर्व बैंक, आईआरडीएआई,सेबी और पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा नामित एक-एक सदस्य, केंद्र सरकार द्वारा नामित दो सदस्य और दो अन्य पूर्णकालिक या पूर्ण या अंशकालिक सदस्य होंगे.

प्राधिकरण के कार्य

प्राधिकरण वित्तीय सेवा प्राधिकरण द्वारा आईएफएससी के लिए पहले से अनुमति प्राप्त सभी वित्तीय सेवाओ और उत्पादो का नियमन करेगा. प्राधिकरण इसके साथ ही समय-समय पर केंद्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित ऐसे अन्य वित्तीय  उत्पाद, वित्तीय सेवा और एफआई का नियमन भी करेगा. प्राधिकरण इसके साथ ही केंद्र सरकार को ऐसे अन्य वित्तीय उत्पाद और सेवा तथा वित्तीय संस्थान जिन्हें आईएफएससी में अनुमति दी जा सकती हो की सिफारिश कर सकता है.

प्राधिकरण की शक्ति

वित्तीय क्षेत्र के संबधित नियामक जैसे आरबीआई, सेबी, आईआरडीएआई और पीएफआरडीए द्वारा प्रयोग की जा रही सभी शक्तियों का प्रयोग पूरी तरह से प्राधिकरण द्वारा आईएफएससी में किया जाएगा. इसमें आईएफएससी से संबधित अनुमति प्राप्त वित्तीय उत्पाद, वित्तीय सेवा और एफआई का नियमन सम्मिलित है.

प्राधिकरण की प्रक्रिया और कार्यप्रणाली

प्राधिकरण की प्रक्रिया और कार्यप्रणाली संसद द्वारा बनाए गए संबधित अधिनियमो के अनुरूप होंगी, जो ऐसे वित्तीय उत्पादो,सेवाओ और संस्थानो में परिस्थिति अनुरूप मान्य होगी.

केन्द्र सरकार द्वारा वित्तीय अनुदान

केंद्र सरकार संसद द्वारा उचित विनियोजन के बाद प्राधिकरण के प्रयोग के लिए वित्तीय अनुदान प्रदान कर सकती है. 

विदेशी मुद्रा में लेनदेन

आईएफएससी में वित्तीय सेवा में लेनदेन प्राधिकरण द्वारा केंद्रीय सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद निर्धारित विदेशी मुद्रा में किया जाएगा.

लाभ

आईएफएससी के लिए एकीकृत वित्तीय नियामक की स्थापना से व्यापार करने में सुगमता के बिंदु से बाजार में भागीदारी करने वालो को विश्व स्तरीय नियामक वातावरण मिलेगा. इससे भारत में आईएफएससी के अग्रिम विकास को और गति मिलेगी और विदेशो में वित्तीय केंद्रो में होने वाली वित्तीय सेवाओ ओर लेनदेन को वापिस लाने में सहायता मिलेगी. आईएफएससी में विशेष तौर पर रोजगार सृजन में अहम वृद्धि के साथ-साथ संपूर्ण वित्तीय क्षेत्र में रोजगार के अवसरो में भी वृद्धि होगी.


GS Paper 3 Source: Down to Earth

down to earth

UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Adaptation fund

संदर्भ

नवीनतम आँकड़े बताते हैं कि 2010 से अनुरूपण कोष (adaptation fund) के द्वारा 80 अनुरूपण परियोजनाओं के लिए 532 मिलियन डॉलर भेजे गये हैं. ये सारी परियोजनाएँ विकासशील देशों के सर्वाधिक संकटग्रस्त समुदायों के लिए चलाई जा रही हैं और इनसे 5.8 मिलियन लाभार्थियों को प्रत्यक्ष फायदा हो रहा है.

अनुरूपण कोष क्या है?

यह जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित संयुक्त राष्ट्र की अवसंरचना संधि के क्योटो प्रोटोकॉल के अंतर्गत स्थापित कोष है जो उन परियोजनाओं और कार्यक्रमों को निधि मुहैया करता है जिनसे विकासशील देशों के संकटग्रस्त समुदायों को जलवायु परिवर्तन के अनुरूप बनाने में मदद मिलती है.

इसके लिए देश की आवश्यकताओं, विचारों और प्राथमिकताओं के अनुसार कदम उठाये जाते हैं.

वित्तपोषण

अनुरूपण कोष में पैसा सरकारें और निजीदाता डालते हैं. इसके अतिरिक्त क्योटो प्रोटोकॉल की स्वच्छ विकास तंत्र परियोजनाओं के अंतर्गत निर्गत अभिप्रमाणित उत्सर्जन न्यूनीकरण (Certified Emission Reductions – CERs) से होने वाली कमाई में इस कोष का 2% हिस्सा होता है.

प्रशासन

अनुरूपण कोष का प्रशासन अनुरूपण कोष बोर्ड (Adaptation Fund Board – AFB) द्वारा किया जाता है. इस बोर्ड में 16 सदस्य और 16 अल्टरनेट होते हैं जो प्रत्येक वर्ष दो बार बैठक करते हैं.

विश्व बैंक इस कोष का अंतरिम आधार पर न्यासी (trustee) होता है.

चुनौतियाँ

वैसे तो अनुरूपण कोष का आकार सीमित है, परन्तु यह वित्त के ऐसे गिने-चुने स्रोतों में से एक है जिसके लिए धन तो विकसित देश देते हैं, किन्तु इसपर अच्छा-ख़ासा नियंत्रण विकासशील देशों का होता है. यह व्यवस्था आगे भी चले इसपर ध्यान देना आवश्यक होगा. इसके लिए इसमें ऐसे देशों का प्रतिनिधित्व अधिक रखना होगा जो जलवायु परिवर्तन के सबसे अधिक निशाने पर होते हैं.


Prelims Vishesh

Serious Fraud Investigation Office (SFIO) :-

  • सरकार ने गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों की प्रमुख असफलता, गायब होने वाली कंपनियों संबंधी घटनाओं, प्लानटेशन कंपनियों और हाल के शेयर बाजार घोटाले की पृष्ठ भूमि में कारपोरेट धोखाधड़ियों की जाँच हेतु एक बहु-विषयक संगठन गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) स्थापित किया था.
  • इसने 01 अक्टूबर, 2003 से काम करना प्रारंभ कर दिया है.
  • इसे कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत वैधानिक शक्तियाँ प्राप्त हुईं.

Green good deeds :-

  • यह अभियान पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आरम्भ किया गया है.
  • इस मंत्रालय 500 पर्यावरण अनुकूल कार्यों (green good deeds) की सूची बनाई है.
  • यह अभियान जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के विषय में लोगों और विशेषकर छात्रों को अवगत कराएगा और उन्हें इस समस्या के प्रति संवेदनशील बनाएगा.
  • इसके लिए “Dr Harsh Vardhan” नामक एक app तैयार किया गया है जिसमें पर्यावरण के संरक्षण के दिशा में किए जाने वाले अच्छे कार्यों की जानकारी उपलब्ध रहेगी.

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