Sansar डेली करंट अफेयर्स, 09 June 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 09 June 2020


GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Disaster and disaster management.

Topic : Sixth mass extinction

संदर्भ

हाल ही में किए गए कई शोध अध्ययन में यह दावा किया है कि पृथ्वी छठे व्यापक विलोपन घटना की गिरफ्त में है. यह शोध यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका (PNAS) के नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के जर्नल प्रोसीडिंग्स में प्रकाशित हुआ है.

व्यापक विलोपन किसे कहते हैं?

  • व्यापक जैविक विलोपन ऐसी वैश्विक घटना को कहते हैं जिसके दौरान अल्प काल में पृथ्वी के 75 प्रतिशत से अधिक वन्य जीव विलुप्त हो जाते हैं.
  • विदित हो कि पिछले 50 करोड़ वर्षों में, इस तरह के व्यापक विलोपन की पांच घटनाएं हुई हैं. इनमें से सबसे हालिया विलोपन ने डायनासौर को हमेशा के लिए खत्म कर दिया था.

शोधकर्ताओं का मंतव्य

  • शोधकर्ताओं ने इसे “सबसे गंभीर पर्यावरणीय समस्या” के रूप में वर्णित किया है क्योंकि इसमें प्रजातियों स्थाई विनाश होगा.
  • अध्ययन ने स्थलीय कशेरुकाओं की 29,400 प्रजातियों का विश्लेषण किया और निर्धारित किया कि इनमें से कौन विलुप्त होने के कगार पर है क्योंकि उनके पास 1,000 से कम संख्या शेष है. अध्ययन की गई प्रजातियों में से, उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि उनमें से 515 से अधिक विलुप्त होने के पास हैं, और प्रजातियों का वर्तमान नुकसान, जो कि उनके घटक आबादी के लापता होने पर आधारित है, 1800 के दशक से होता रहा है.
  • इन 515 प्रजातियों में से अधिकांश दक्षिण अमेरिका (30 प्रतिशत), इसके बाद ओशिनिया (21 प्रतिशत), एशिया (21 प्रतिशत) और अफ्रीका (16 प्रतिशत) हैं.
  • इसके अलावा, मनुष्यों के लिए इस बड़े विलुप्त होने को जिम्मेदार ठहराते हुए, उन्होंने कहा कि कई जीवित जीवों के लिए मानवता एक “अभूतपूर्व खतरा” है, क्योंकि उनकी बढ़ती संख्या है. प्रजातियों का नुकसान तब हुआ है जब मानव पूर्वजों ने 11,000 साल पहले कृषि का विकास किया था. तब से, मानव आबादी लगभग 1 मिलियन से 7.7 बिलियन तक बढ़ गई है.
  • अध्ययन से ज्ञात होता है कि पिछली सदी में 400 से अधिक कशेरुक प्रजातियां विलुप्त हो गई थीं, विलुप्त होने के विकास के सामान्य पाठ्यक्रम में 10,000 से अधिक वर्षों का समय लगा होगा. बड़े स्तनधारियों की 177 प्रजातियों के नमूने में, अधिकांश ने पिछले 100 वर्षों में अपनी भौगोलिक सीमा का 80 प्रतिशत से अधिक खो दिया, और 2017 में एक ही पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, 27,000 कशेरुक प्रजातियों में से 32 प्रतिशत आबादी में गिरावट आई है.
  • विदित हो कि अध्ययन वन्यजीवों के व्यापार पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का आह्वान करता है क्योंकि वर्तमान में लुप्तप्राय या विलुप्त होने की कगार पर आ रही कई प्रजातियों को कानूनी और अवैध वन्यजीव व्यापार द्वारा नष्ट किया जा रहा है.
  • शोधकर्ताओं का कहना है कि मौजूदा COVID-19 महामारी, जबकि पूरी तरह से समझा नहीं गया है, भी वन्यजीव व्यापार से जुड़ा हुआ है. “इसमें कोई संदेह नहीं है, उदाहरण के लिए, कि अगर हम आवास और वन्यजीवों को मानव उपभोग के लिए खाद्य और पारंपरिक दवाओं के रूप में नष्ट करना.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

दरअसल, पिछले 100 वर्षों में, रीढ़धारी प्राणियों की 200 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं. प्रजातियों के विलुप्त् होने की यह दर 2% (प्रति वर्ष 2 प्रजातियां) है. पहला व्यापक विलोपन, जो मनुष्य के अस्तित्व में आने से बहुत पहले हुआ था, वह भी उल्काओं की बौछार या ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण नहीं बल्कि  जीवों के द्वारा ही हुआ था. पिछले बीस लाख वर्षों में विलोपन की दर को देखें तो 200 प्रजातियों को विलुप्त होने में सौ नहीं बल्कि दस हजार साल लगना चाहिए थे. दूसरे शब्दों में, विलुप्त होने की दर पहले के युगों की तुलना में पिछले मात्र 100 वर्षों में लगभग 100 गुना बढ़ गई है.

पारिस्थितिक तंत्र में विभिन्न जीव एक दूसरे पर निर्भर हैं, श्रृंखला प्रभाव की तरह मनुष्यों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. उदाहरण के लिए कीट-पतंगों को ही लीजिए. पर्यावरण कीटों की अनुपस्थिति के अनुकूल हो पाए यदि उससे पहले ही कीटों की हजारों प्रजातियां विलुप्त् हो जाएं, तो पेड़ों की हजारों प्रजातियां भी गायब हो जाएंगी, क्योंकि पेड़ों की कई प्रजातियां परागण के लिए कीटों पर निर्भर होती हैं. अगर पेड़ गायब हो जाते हैं, तो मानव जाति के लिए यह मौत की दस्तक होगी. हमारी धरती की हवा गंदी और जहरीली तो होगी ही, पृथ्वी का तापमान कई डिग्री बढ़ जाएगा. भू-क्षरण की दर बढ़ेगी जिससे कृषि योग्य भूमि का नुकसान होगा. वर्षा गंभीर रूप से प्रभावित होगी, जिसके फलस्वरूप मीठे पानी के स्रोतों की गुणवत्ता पर भी असर होगा. निश्चित रूप से, मानव पर नकारात्मक वार होगा.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : China issues white paper on COVID-19 fight

संदर्भ

चीन पर लगातार अमेरिका सहित कई देश कोरोना वायरस (Coronavirus) फैलाने का आरोप लगाते रहे हैं. इस बीच चीन ने इस बारे में “फाइटिंग कोविड -19: चीन इन एक्शन” शीर्षक वाला एक श्वेतपत्र जारी कर स्वयं को निर्दोष बताया है.

स्वयं को निर्दोष साबित करने हेतु चीन का तर्क

  • चीन का कहना है कि विषाणु संक्रमण का पहला मामला वुहान (Wuhan) में 27 दिसंबर को सामने आया था, जबकि विषाणुजनित निमोनिया और मानव से मानव में संक्रमण फैलने के बारे में 19 जनवरी को पता चला जिसके बाद इस पर अंकुश लगाने के लिए इसने त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी.
  • श्वेतपत्र के अनुसार वुहान में 27 दिसंबर 2019 को एक अस्पताल द्वारा कोरोना वायरस की पहचान किए जाने के बाद स्थानीय सरकार ने स्थिति को देखने के लिए विशेषज्ञों की मदद ली. श्वेतपत्र में कहा गया है कि निष्कर्ष यह था कि ये विषाणुजनित निमोनिया के मामले थे.श्वेतपत्र में कहा गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ टीम ने 19 जनवरी को पहली बार पुष्टि की कि विषाणु मानव से मानव में फैल सकता है.
  • चीन के अग्रणी श्वसन रोग विशेषज्ञ वांग गुआंगफा ने कहा कि 19 जनवरी से पहले इस बारे में पर्याप्त सबूत नहीं थे कि विषाणु मानव से मानव में फैल सकता है. श्वेतपत्र में बीजिंग ने कहा है कि जब कोरोना वायरस के मानव से मानव में फैलने का पता चला तो इसकी रोकथाम के लिए त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी गई.

अभी की स्थिति

कोरोनावायरस ने 68,00,000 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है और दुनिया भर में लगभग 4,00,000 लोग मारे गए हैं. 1.9 मिलियन से अधिक मामलों और 1,09,000 से अधिक मौतों के साथ अमेरिका सबसे अधिक प्रभावित देश है, जबकि चीन में मामलों की कुल संख्या 84,177 है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

चीन को कोरोनावायरस (Coronavirus) के मामले में पूरे विश्व में प्रबल विरोध का सामना करना पड़ रहा है. उसे कोरोना साजिश का प्रमुख सूत्रधार माना जा रहा है. अमेरिका (America) और यूरोप के प्रमुख देश (European Countries) चीन पर साजिश और मुआवजे दोनो का दबाव डाल रह हैं. चीन की कंपनियों और चीनी कारोबार दोनों पर अंकुश लगाने की वैश्विक कोशिशें शुरू हो चुकी हैं. इस बीच भारत की कूटनीति को वैश्विक समर्थन और मजबूत होता जा रहा है. एशिया में भारत एक अग्रणी देश बनकर उभरा है. भारत और चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद में भी भारत को विश्व की मजबूत शक्तियों का खुला समर्थन मिल रहा है. भारत-चीन की सीमा पर लगातार बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने खुलकर नई दिल्ली का समर्थन किया है. अमेरिका ने चीन की विस्तारवादी नीति का विरोध किया है. दक्षिण एशिया मामलों की जिम्मेदार अमेरिका की एक शीर्ष राजनयिक ने चीन पर आरोप लगाया है कि वो अपने आक्रामक और परेशान करने वाले व्यवहार से यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है और ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. चीन इसके चलते भारी दबाव में है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : IHBT, Himachal govt join hands to increase heeng, saffron production in country

संदर्भ

हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी ने देश में हींग और केसर की पैदावार बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग के साथ रणनीतिक साझेदारी की है.

मुख्य बिंदु

  • CSIR-IHBT ने केसर उत्पादन की तकनीक विकसित की है, जिसका उपयोग उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के गैर-परंपरागत केसर उत्पादक क्षेत्रों में किया जा रहा है.
  • देश में अब तक केसर की खेती के लिए जम्मू-कश्मीर ही चर्चित रहा है, लेकिन अब हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे गैर-परंपरागत उत्पादक राज्यों में भी केसर की क्यारियां महकेंगी.
  • CSIR-IHBT ने नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज (एनबीपीजीआर), नई दिल्ली के सहयोग से हींग से संबंधित छह पादप सामग्री पेश की है, और उसके उत्पादन की पद्धति को भारतीय दशाओं के अनुसार मानक रूप प्रदान करने का प्रयास किया है.
  • इन दोनों फसलों की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए अत्याधुनिक टिश्यू कल्चर लैब की स्थापना की जाएगी.

संभावित लाभ

  • इन फसलों की पैदावार बढ़ती है तो इनके आयात पर निर्भरता कम हो सकती है.
  • सीएसआईआर-आईएचबीटी किसानों को इसके बारे में तकनीकी जानकारी मुहैया कराने के साथ-साथ राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों एवं किसानों को प्रशिक्षित भी करेगा.
  • राज्य में केसर और हींग के क्रमश: जिमीकंद और बीज उत्पादन केंद्र भी खोले जाएंगे.

टिश्यू कल्चर तकनीक क्या है?

  • टिश्यू कल्चर पौधे तैयार करने की वैज्ञानिक तकनीक है, जो पुरातन काल की भारतीय पद्घति जैसी है. पुराणों में रक्त बीज की कथा आती है कि रक्त की एक बूंद से सैकड़ों रक्त बीज तैयार हो जाते थे.
  • सकारात्मक अर्थ में ऐसा ही टिश्यू कल्चर में होता है. कहीं से भी किसी अच्छे पेड़ के टिश्यू लेकर लाखों पौधे तैयार किए जा सकते हैं. यह काम कम समय में और अधिक कुशलता से हो जाता है. गुणवत्ता में भी कोई फर्क नहीं पड़ता.
  • टिश्यू कल्चर से तैयार केले के पौधे से फसल 11-12 माह में मिल जाती है और किसान को उसी साल से इसका फायदा मिलने लगता है.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

किसान सभा एप: हाल ही में देश के दूरदराज के इलाकों में आपूर्ति श्रृंखला एवं माल परिवहन प्रबंधन प्रणाली से किसानों को जोड़ने के लिये नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर-केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CSIR-CRRI) ने किसान सभा एप (Kisan Sabha App) विकसित किया है.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : Oil spill in Russia’s Arctic region

संदर्भ

रूस के साइबेरिया में नोर्लिस्क निकिल नामक एक पॉवर प्लांट से 20 हजार टन डीजल के रिसाव के बाद नजदीक से बहने वाली अंबरनाया नदी का रंग सफेद से लाल हो गया है. विदित हो कि इस रिसाव के भयावहता को देखते हुए राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने स्टेट इमरजेंसी का ऐलान किया था. जिस प्लांट से तेल का रिसाव हुआ है वह साइबेरिया के नोर्लिस्क शहर में स्थित है.

कैसे हुआ यह रिसाव?

बताया जा रहा है कि प्लांट में तेल का रिसाव फ्यूल टैंक का एक पिलर धंसने से कारण शुरू हुआ था. यह टैंक बर्फीली कठोर जमीन पर बना हुआ था जो तापमान बढ़ने के बाद पिघलने लगी. हालांकि साइबेरिया क्षेत्र में ऐसी घटना कम ही देखने को मिलती है.

चिंता का विषय

  • कई पर्यावरण विशेषज्ञों ने दावा किया है कि इस नदी को साफ करने की लागत 1.16 बिलियन यूरो तक पहुंच सकती है.
  • ऐसी आशंका है कि प्रदूषण ग्रेट आर्कटिक स्टेट नेचर रिजर्व में फैल सकता है. अंबरनाया नदी का पानी एक झील से मिलता है, जिसका पानी दूसरी नदियों से होते हुए आर्कटिक सागर तक पहुंचता है.
  • इस रिजर्व में प्रदूषण के पहुंचने से जलीय जीवन को भारी नुकसान हो सकता है.
  • विशेषज्ञों ने आने वाले दिनों में साइबेरिया क्षेत्र में जल और मृदा संकट की आशंका जताई है.

अंबरनाया नदी

अंबरनाया नदी प्यासिनो झील (Pyasino lake) से होकर बहती है तथा पाइसीना (Pyasina) नदी इसे आर्कटिक महासागर में स्थित ‘कारा सागर’ (Kara sea) से जोड़ती है.


Prelims Vishesh

Amery Ice Shelf (AIS) :-

  • एमरी आइस शेल्फ (AIS) विश्व की सबसे बड़ी हिमानी ग्लेशियर प्रवाह घाटी है जो अन्टार्कटिका के पूर्वी तट पर 70ºद. अक्षांश और 70ºपू. देशांतर पर स्थित है.
  • यह पिछल दिनों इसलिए चर्चा में आया कि राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागरीय अनुसंधान केंद्र (NCPOR) ने भविष्यवाणी की है कि AIS की सीमाओं में 2021 तक 24% की बढ़ोतरी होगी एवं साथ ही 2026 तक फिर इतने ही प्रतिशत का विस्तार होगा.

Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy (PCIM&H) :-

  • केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आयुष मंत्रालय के अधीनस्थ कार्यालय के रूप में PCIM&H आयोग की स्थापना को स्वीकृति दी है. विदित हो कि यह आयोग 2010 से एक स्वायत्त निकाय के रूप में काम करता आया है.
  • इस आयोग के अन्दर आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होमियोपेथिक चिकित्सा से सम्बंधित फार्माकोपिया समितियाँ आती हैं.
  • PCIM&H के काम में सहायता प्रदान करने वाली कुछ प्रयोगशालाएँ भी आती हैं, जैसे – भारतीय औषधि फार्माकोपियल प्रयोगशाला (PLIM) और होमियोपेथिक फार्माकोपिया प्रयोगशाला (HPL).

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