Sansar डेली करंट अफेयर्स, 09 July 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 09 July 2019


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : What is a privilege motion?

संदर्भ

तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने लोक सभा में एक निजी हिंदी समाचार चैनल और उसके सम्पादक के विरुद्ध विशेषाधिकार के हनन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है क्योंकि उनका दावा है कि उन्होंने उनके द्वारा संसद में दिए गये पहले भाषण को चोरी का बताया था.

विशेषाधिकार का प्रस्ताव क्या है?

संसदीय विशेषाधिकार वे विशिष्‍ट अधिकार और छूतें हैं जो संसद के दोनों सदनों को, उसके सदस्‍यों को और समितियों को प्राप्‍त हैं. विशेषाधिकार इस दृष्‍टि से दिए जाते हैं कि संसद के दोनों सदन, उसकी समितियां और सदस्‍य अपना काम कारगर ढंग से कर सकें. जब इन अधिकारों और छूटों का उल्लंघन होता है तो उसे विशेषाधिकार का उल्लंघन कहा जाता है जो संसदीय कानून के अंतर्गत दंडनीय होता है.

विशेषाधिकार से सम्बंधित नियम कौन से हैं?

विशेषाधिकार का मामला लोक सभा नियमावली के अध्याय 20 के अंतर्गत नियम संख्या 222 तथा राज्य सभा नियमावली के अध्याय 16 के अंतर्गत नियम 187 के अन्दर आता है. इन नियमों के अनुसार, लोक सभा अध्यक्ष अथवा राज्यसभा के सभापति की अनुमति से कोई भी सदस्य यह प्रश्न उपस्थापित कर सकता है कि लोक सभा अथवा राज्य सभा अथवा इन सदनों की किसी समिति के विशेषाधिकार का उल्लंघन हुआ है. परन्तु इन नियमों के अनुसार यह आवश्यक है कि विशेषाधिकार के हनन का मामला तब ही बनेगा जब वह ऐसी घटना से सम्बंधित होगा जो हाल ही में घटी हो और इसके लिए सदन का हस्तक्षेप आवश्यक हो. विशेषाधिकार की सूचना लोकसभा अध्यक्ष अथवा सभापति के समक्ष 10 बजे प्रातः के पहले अवश्य पहुँच जाना चाहिए.

अध्यक्ष/सभापति की भूमिका

किसी विशेषाधिकार प्रस्ताव की जाँच सबसे पहले अध्यक्ष/सभापति ही करते हैं. वे अपने ही स्तर से विशेषाधिकार प्रस्ताव पर निर्णय ले सकते हैं अथवा उसे संसद की विशेषाधिकार समिति को भेज सकते हैं. यदि अध्यक्ष/सभापति नियम 222 के अंतर्गत अनुमति देते हैं तो सम्बंधित सदस्य को एक संक्षिप्त बयान देने का अवसर दिया जाता है.

विशेषाधिकार समिति की क्या है?

लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के गठन के लिए सभी दलों की सदस्य संख्या के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष 15 सदस्यों को  नामित करते हैं. इसके पश्चात् सदन में  इसपर विचार करने के लिए एक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाता है. प्रतिवेदन पर विचार के समय अध्यक्ष चाहें तो आधे घंटे की चर्चा की अनुमति दे सकते हैं. इसके उपरान्त अध्यक्ष अंतिम निर्णय सुना सकते हैं या उस प्रतिवेदन को सदन में रखने का निर्देश दे सकते हैं. तत्पश्चात् विशेषाधिकार उल्लंघन के विषय में एक संकल्प लाया जाता है जिसका सर्वसम्मति से पारित होना अनिवार्य होता है.

जहाँ तक राज्यसभा की बात है वहाँ की विशेषाधिकार समिति में 10 सदस्य होते हैं और उसकी अध्यक्षता उप-सभापति करते हैं.


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Central welfare database of citizens

संदर्भ

पिछले दिनों बजट सत्र के दौरान प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने नागरिकों के कल्याण के विषय में एक केन्द्रीय डाटाबेस की अभिकल्पना की है.

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प्रस्तावित केन्द्रीय नागरिक कल्याण डाटाबेस क्या है?

  • यह डाटाबेस अलग-अलग मंत्रालयों एवं विभागों के द्वारा संधारित हो रहे डाटा को मिलाकर तैयार किया जाएगा.
  • इस डाटाबेस का प्रयोग नागरिकों, विशेषकर निर्धनों, के जीवन को सुगम बनाने के लिए किया जाएगा.
  • प्रस्ताव है कि निजी क्षेत्र एक विशेष शुल्क जमा करके इस डाटा को प्राप्त कर सकते हैं.
  • इस डाटाबेस में इन विषयों के सम्बन्ध में जानकारियाँ होंगी – जन्म एवं मृत्यु अभिलेख, पेंशन और कर के अभिलेख, विवाह से सम्बंधित अभिलेख, जनगणना के आँकड़े, राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण के आँकड़े, ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार आँकड़े, UPI आँकड़े, संस्थागत आँकड़े और रोगियों के विषय में सार्वजनिक अस्पतालों के आँकड़े.

माहात्म्य

सरकार के पास पहले से ही नागरिकों से सम्बंधित प्रचुर मात्रा में प्रशासनिक सर्वेक्षण विषयक, संस्थागत एवं लेन-देन से सम्बंधित आँकड़े हैं, किन्तु वर्तमान में ये आँकड़े अनेक सरकारी निकायों में बिखरे पड़े हैं. इन सभी आँकड़ों का विलय कर उन्हें एक जगह लाने से अनेक लाभ होंगे और इनके प्रयोग की कोई सीमा नहीं होगी.

सरकार इन आँकड़ों का प्रयोग नागरिकों के जीवन को अधिक सुगम बनाने में कर सकती है. साथ ही, इन आँकड़ों के आधार पर ऐसी नीतियाँ गढ़ीं जा सकती हैं जो साक्ष्यों से समर्थित होंगी. यह समेकित डाटाबेस कल्याण योजनाओं के लिए लक्ष्य निर्धारित करने, जिन आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया जा सका है उनका पता लगाने, विखंडित बाजार को एकात्म करने, सार्वजनिक सेवाओं में अधिक उत्तरदायित्व लाने तथा प्रशासन में नागरिकों की प्रतिभागिता को बढ़ाने में सहायता कर सकता है.


GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : Coral Rehab Programme

संदर्भ

पिछले दिनों राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (National Centre for Coastal Research’s – NCCR) ने प्रस्ताव दिया है कि समुद्र के अन्दर पिघली हुई प्लास्टिक की चट्टानें अथवा बड़े-बड़े टुकड़े गिराए जाएँ जिससे कि वहाँ पर प्रवाल भित्तियाँ निर्मित हो सकें और साथ ही प्लास्टिक कचरे के निष्पादन की समस्या का समाधान हो सके. परन्तु, मन्नार खाड़ी के सामुद्रिक राष्ट्रीय उद्यान ने इस प्रस्ताव की आलोचना की है. विदित हो कि सामुद्रिक राष्ट्रीय उद्यान 2002 से प्रवाल पुनर्वास कार्यक्रम चला रहा है.

मामला क्या है?

  • राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र का सुझाव है कि प्लास्टिक कचरे को बांधकर बड़े-बड़े खंड बनाए जाएँ और उनको समुद्र में डालकर प्रवाल बस्तियाँ बनने में सहायता पहुँचाई जाए.
  • परन्तु शोधकर्ताओं को डर है कि NCCR के इस नवाचार कदम से समुद्र में पहले से स्थित प्रवाल भित्ति बस्तियाँ नष्ट हो सकती हैं.
  • मन्नार खाड़ी के प्रवाल पहले से ही संकट में हैं क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण उनका रंग उतर रहा है. ऐसे में NCCR के इस प्रस्ताव से सारी प्रवाल भित्तियाँ समाप्त हो जाएँगी.

प्रवाल पुनर्वास कार्यक्रम क्या है?

  • मन्नार खाड़ी सामुद्रिक राष्ट्रीय उद्यान 2002 से प्रवाल पुनर्वास कार्यक्रम चला रहा है.
  • इसने अभी तक मन्नार खाड़ी क्षेत्र में 8 वर्ग किलोमीटर के उस क्षेत्र में पुनर्वास का काम पूरा कर लिया है जहाँ जलवायु परिवर्तन और उच्च तापमान के कारण प्रवाल भित्तियों का रंग उतर रहा था और उनका क्षरण हो रहा था.
  • इस कार्यक्रम में कंक्रीट खंडों की पद्धति अपनाई जाती है.
  • कंक्रीट खंडों के प्रयोग के 60 दिनों के अंदर प्रवाल उगने लगते हैं. इन खंडों के ऊपर एकरोपोरा (acropora) प्रवाल प्रजाति प्रत्येक वर्ष 10 से 12 cm बढ़ जाती है.

GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : What are Core Investment Companies (CICs)?

संदर्भ

भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक कार्यदल गठित किया है जो मुख्य निवेशक कम्पनियों (Core Investment Companies – CICs) के लिए निर्मित विनियामक एवं पर्यवेक्षणात्मक ढाँचे की समीक्षा करेगा.

  • इस कार्यदल में छह सदस्य होंगे इसकी अध्यक्षता सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष तपन राय करेंगे. विदित हो कि तपन राय पहले निगम मामलों के मंत्रालय के सचिव थे.
  • इस कार्यदल को यह काम सौंपा गया है कि वह मुख्य निवेशक कम्पनियों के लिए वर्तमान में लागू विनियामक ढाँचे की समीक्षा कर बताये कि इस ढाँचे का प्रत्येक अवयव पर्याप्त कारगर और प्रभावशाली है अथवा नहीं और साथ ही उसमें सुधार का सुझाव भी दे.

पृष्ठभूमि

मुख्य निवेशक कम्पनियों के लिए अभी जो अलग ढाँचा बना हुआ है वह RBI द्वारा अगस्त, 2010 में लागू किया गया था क्योंकि उसका मानना था कि अन्य गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों की तुलना में किसी होल्डिंग कम्पनी का व्यावसायिक मॉडल अलग होता था.

मुख्य निवेशक कम्पनियाँ (CICs) क्या हैं?

CIC भी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ होती हैं, परन्तु इनकी संपदा 100 करोड़ रु. या उससे अधिक होती है और ये कुछ शर्तों के अधीन शेयरों, सिक्यूरिटी के अधिग्रहण का व्यवसाय करती है.

इन्हें सार्वजनिक धनराशि स्वीकार करने की अनुमति मिली हुई होती है, परन्तु इनकी विशुद्ध संपदा का कम-से-कम 90% इन चीजों में निवेश के रूप में होता है – इक्विटी शेयर, प्राथमिकता शेयर, बांड, डिबेंचर अथवा ग्रुप कंपनियों में ऋण.

इक्विटी शेयरों में CIC का निवेश उसकी विशुद्ध सम्पदा के 60% से कम नहीं होना चाहिए.

छूट : जिन CIC की सम्पदा 100 करोड़ रु. से कम होती है उनको RBI के पंजीकरण और विनयमन से छूट मिलती है, परन्तु तभी जब वे वित्तीय क्षेत्र में विदेश में निवेश करना चाहती हैं.

सार्वजनिक धनराशि में क्या-क्या वस्तुएँ आती हैं? क्या ये सार्वजनिक जमा के समतुल्य हैं?

सार्वजनिक धनराशि और सार्वजनिक जमा एक जैसे नहीं होते हैं. वस्तुतः सार्वजनिक जमा सार्वजनिक धनराशि का ही एक हिस्सा होता है. इसके साथ-साथ कई अन्य प्रकार की धनराशियाँ सार्वजनिक धनराशि के अंतर्गत आती हैं, जैसे – अंतर-निगम जमा (inter-corporate deposits), बैंक फाइनेंस और सभी ऐसी धनराशियाँ जो प्रत्यक्ष रूप से बाहरी स्रोतों से प्राप्त होती हैं, यथा – वाणिज्यिक कागजात, डिबेंचर आदि के निर्गमन से उगाही गई धनराशि. परन्तु यद्यपि सार्वजनिक धनराशि के अन्दर सार्वजनिक जमा भी आ जाता है तथापि यह उल्लेखनीय है कि CICs सार्वजनिक जमा स्वीकार नहीं कर सकतीं.


Prelims Vihsesh

Centre and IBM to jointly study on using AI in Agriculture :-

  • पिछले दिनों भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने IBM इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक रूचिपत्र (Statement of Intent – SoI) पर हस्ताक्षर किये हैं जिसके अंतर्गत देश के चुनिन्दा जिलों में कृषि के लिए कृत्रिम बुद्धि (AI) तथा मौसम तकनीक सोल्यूशनों को उपयोग में लाने का प्रायोगिक अध्ययन किया जाएगा.
  • यह प्रायोगिक भारत के तीन जिलों में किया जाएगा, जो हैं – भोपाल (मध्य प्रदेश), राजकोट (गुजरात) एवं नांदेड (महाराष्ट्र)

Turnover ratio :-

  • विश्व बैंक के अनुसार भारत का टर्न-ओवर अनुपात 2018 में 58 रहा जबकि 2004 में यह 101 था.
  • इस प्रकार इस अनुपात 43% की गिरावट देखी गई.
  • ज्ञातव्य है कि टर्न-ओवर अनुपात सम्पदा अथवा दायित्व की उस मात्रा को कहते हैं जिसमें कोई कम्पनी अपनी विक्रय से बदलाव लाती है.

About Export Credit Guarantee Corporation :-

  • निर्यात साख प्रतिभूति निगम (ECGC) एक निर्यात साख देने वाली भारत सरकार की एजेंसी है जो देश के निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए राष्ट्रीय साख बीमा सेवा उपलब्ध कराती है.
  • यह एजेंसी निर्यातकों को साख बीमा योजनाओं का प्रस्ताव देती है. यह बीमा निर्यातकों को होने वाले उस घाटे से बचाती है जो विदेशी क्रेताओं के द्वारा राजनीतिक अथवा वाणिज्यिक कारणों से भुगतान करने में देरी करने से होता है.

Ashadhi Beej :

  • आसाढ़ी बीज एक पर्व है जो भारत में, विशेषकर गुजरात, उत्तर प्रदेश आदि में किसानों द्वारा एक शुभ दिन के रूप में मनाया जाता है.
  • ऐसा माना जाता है कि इस पर्व को मनाने से अच्छी वर्षा होती है.

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