Sansar डेली करंट अफेयर्स, 09 December 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 09 December 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Table of Contents

Topic : Data Protection Bill

संदर्भ

व्यक्तिगत डेटा संरक्षण के लिये बनाये जाने वाले कानून के लिये तैयार विधेयक के मसौदा में सरकारी एजेंसियों को क्रेडिट स्कोर , कर्ज वसूली और सुरक्षा से जुड़े मामलों में बिना डेटा मालिक के सहमति के आंकड़ों का प्रसंस्करण करने की छूट दिये जाने का प्रावधान किया गया है.

विदित हो कि व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 का मसौदा कंपनियों को बिना सहमति के व्यक्तिगत आंकड़ों का प्रसंस्करण और उनके संग्रहण से रोकता है.

व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 के मुख्य तथ्य

  • यह प्रस्तावित विधेयक कुछ ” उचित उद्देश्यों ” के लिए आंकड़ों के प्रसंस्करण की छूट देता है.
  • इनमें धोखाधड़ी समेत अन्य गैर – कानूनी गतिविधियों का पता लगाना और रोकना , विलय एवं अधिग्रहण , नेटवर्क एवं सूचना की सुरक्षा, क्रेडिट स्कोर, कर्ज की वसूली , सार्वजनिक रूप से उपलब्ध व्यक्तिगत आंकड़ों के प्रसंस्करण और सर्च इंजन का संचालन शामिल हैं.
  • इस विधेयक में बच्चों के व्यक्तिगत एवं संवेदनशील आंकड़ों के प्रसंस्करण को लेकर नियमों को कड़ा किया गया है जबकि ‘ महत्वपूर्ण ‘ निजी डेटा या आंकड़ों को भारत में रखे जाने को अनिवार्य बनाया गया है.
  • केंद्र सरकार गैर – व्यक्तिगत डेटा के मामले में डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए नीति भी तैयार कर सकती है.
  • इसमें व्यक्तिगत आंकड़ों की सुरक्षा के लिए एक प्राधिकरण स्थापित करने और प्रावधानों का उल्लंघन होने पर कठोर दंड निर्धारित करने की भी बात कही गई है. उदाहरण के लिए, बच्चों के व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के मामले में उल्लंघन होने पर 15 करोड़ रुपये या वैश्विक कारोबार के 4 प्रतिशत तक का जुर्माने लगाने का प्रस्ताव है जबकि डेटा ऑडिट से जुड़े उल्लंघन में पांच करोड़ या वैश्विक कारोबार के दो प्रतिशत तक का जुर्माने का प्रस्ताव है.

डाटा की सुरक्षा आवश्यक क्यों?

भारत का ऑनलाइन बाजार चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. यहाँ 500 मिलियन वेब चलाने वाले सक्रिय यूजर हैं. ऐसे लोगों तथा उनकी ऑनलाइन आदतों के बारे में सूचना जमा करके आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है. इसके अतिरिक्त ये सूचनाएँ व्यक्तियों की अत्यंत निजी पहलुओं से सम्बंधित हो सकती हैं. कम्पनियाँ, सरकारें और राजनीतिक दल इन सूचनाओं के आधार पर प्रभावकारी ढंग से विज्ञापन निकाल सकते हैं.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to direct and indirect farm subsidies and minimum support prices; Public Distribution System objectives, functioning, limitations, revamping; issues of buffer stocks and food security; Technology missions; economics of animal-rearing.

Topic : Odisha’s Kalia to be merged with PM- KISAN

संदर्भ

ओडिशा सरकार ने वित्तीय बाधाओं के चलते अपनी प्रमुख योजना कालिया को केंद्र के प्रधानमंत्री किसान निधि (पीएम-किसान) योजना के साथ विलय करने का निर्णय किया है.

कालिया योजना के मुख्य तथ्य

  • कालिया का पूरा नाम है – Krushak Assistance for Livelihood and Income Augmentation.
  • इस योजना के अनुसार खरीफ और रबी दोनों मौसमों के आरम्भ में प्रत्येक कृषक परिवार को खेती करने में आर्थिक सहायता देने के लिए 5-5 हजार रु. (कुल 10,000 रु.) दी जाती है.
  • जो किसान बुढ़ापा, दिव्यांगता, रोग अथवा अन्य कारणों से खेती शुरू करने में असमर्थ हैं, इस राशि से उन्हें मदद मिलती है.
  • इस योजना में भूमिहीन परिवारों की आजीविका पर भी ध्यान दिया गया है. इस योजना से विशेषरूप से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति परिवारों को लाभ मिलता है.
  • किस परिवार को इस योजना का लाभ मिलेगा इसकी पहचान और चुनाव ग्राम पंचायत करती है.
  • दो वर्षों में इस योजना के तहत दस लाख घरबारों को सहायता प्रदान करने का लक्ष्य है.
  • योजना में जीवन बीमा का भी प्रावधान है. यह बीमा दो लाख रु. की होती है. इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत दुर्घटना के लिए भी 2 लाख रु. का इंतजाम है.
  • यह बीमा किसानों और भूमिहीन कृषि श्रमिकों को दी जाती है.इस प्रकार इससे 74 लाख घरबारों को लाभ मिलता है.

कालिया योजना की महत्ता

कालिया एक ऐतिहासिक पहल है जो ओडिशा राज्य में कृषि गत समृद्धि बढ़ाने और निर्धनता घटाने में बहुत सहायता पहुंचाती है. इसका दायरा बहुत बड़ा है और इसके द्वारा किये गये आर्थिक निवेश से उन किसानों और मजदूरों को प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ होता है जिन्हें पैसे की आवश्यकता रहती है. ये पैसे उन्हें प्रत्यक्ष लाभ स्थानान्तरण (Direct Benefit Transfer – DBT) दिए जाते हैं.

पीएम-किसान योजना

  • इस योजना के तहतदो हेक्‍टेयर त‍क के मिश्रित जोतों/स्‍वामित्‍व वाले पात्र छोटे और मध्यम किसान परिवारों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये की राशि प्रदान की जाएगी.
  • यह धनराशि प्रति 2000 रुपये की तीन किस्‍तों में प्रदान की जाएगी.

पीएम-किसान योजना के लाभ

  • योजना के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) की प्रक्रिया मानवीय हस्‍तक्षेप के बिना लाभार्थियों के बैंक खातों में पारदर्शी रूप से बिना किसी देर के डिजिटली प्रमाणिक भुगतान सुनिश्चित करती है.
  • भारत सरकार की योजनाओं के लिए समस्‍त भुगतान डीबीटी के जरिये किये जा रहे हैं.
  • पीएम-किसान योजना के अंतर्गत पब्लिक फाइनेंशियल मैंनेजमेंट सिस्टम (PFMS) द्वारा इतने कम अर्से में लाभार्थियों की विशाल संख्‍या के खातों में धनराशि के इलेक्‍ट्रॉनिक अंतरण का सफल परिचालन, पीएफएमएस की ऐतिहासिक उपलब्घि है, जिसने भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल को और ज्‍यादा मजबूती प्रदान की है.

GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : Head on Generation (HOG) technology

संदर्भ

अप्रैल 2018 और नवंबर 2019 के बीच लगभग 436 ट्रेनों में HOG तकनीक लगा दी गई है.

HOG तकनीक क्या है?

  • इस तकनीक में ट्रेन में लगे हुए एयर कंडीशन, बिजली, पंखों, रसोई यान आदि सुविधाओं के लिए बिजली पेंटोग्राफ के माध्यम से ट्रेन के ऊपर खिंची बिजली लाइनों से ली जायेगी.
  • ऊपर लगे तार के सिंगल फेज में 750 वॉल्ट बिजली होती है जिसे 945kVA की लपेट वाला ट्रांसफार्मर 750 वॉल्ट 50 हर्ट्ज़ (3-फेज) में बदल डालता है. तत्पश्चात् यह बिजली सभी बौगियों में पहुँचाई जाती है.

हॉग प्रणाली वर्तमान की EOG (END ON GENERATION) प्रणाली से अलग कैसे?

  • वर्तमान में ट्रेनों में बिजली के लिए EOG प्रणाली का प्रयोग होता है. इसके अंतर्गत प्रत्येक रेलगाड़ी के रैक में दो बड़े-बड़े डीजल के जनरेटर लगाये जाते हैं जो पूरी रेलगाड़ी में 750 वॉल्ट 50 हर्ट्ज़ (3-फेज) बिजली की आपूर्ति करते हैं.
  • EOG प्रणाली में प्रत्येक कोच प्राप्त बिजली को 60 KVA के ट्रांसफार्मर के माध्यम से 110 वॉल्ट में बदल देता है क्योंकि प्रत्येक कोच को इतने ही वॉल्ट की बिजली चाहिए होती है.
  • प्रत्येक रेलगाड़ी में जो दो जनरेटर कोच होते हैं वे ट्रेन के आगे और पीछे दो जगह लगाये जाते हैं. इसलिए इसका नाम एंड ऑन जनरेशन पड़ा है.

HOG अधिक लाभकारी कैसे?

  • हॉग वाली ट्रेन में दो डीजल जनरेटर लगाने नहीं पड़ते हैं. हाँ, एक जनरेटर अवश्य लगता है जो आपातकाल में काम आता है.
  • जनरेटर कोच कमने से जो जगह बचेगी उससे अधिक यात्रियों को ले जाने में सुविधा होगी.
  • इस अतिरिक्त कोच को दिव्यांग अथवा गार्ड कोच बनाया जा सकता है अथवा लगेज के अतिरिक्त डिब्बे के रूप में प्रयोग हो सकता है.
  • HOG प्रणाली लागत की दृष्टि से भी अच्छी है. अनुमान है कि यदि सभी ट्रेनों में सभी प्रणाली लग गई तो प्रत्येक वर्ष 1,390 करोड़ रु. की बचत हो सकती है.
  • हॉग प्रणाली में वायु एवं ध्वनि प्रदूषण नहीं होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अभी रेलगाड़ियों से 6 टन कार्बन डाइऑक्साइड और 7.48 टन नाइट्रोजन ऑक्साइड का प्रत्येक वर्ष उत्सर्जन होता है जो हॉग लगाने से घटकर शून्य पर आ जाएगा.
  • उत्सर्जन के घटने से पर रेलवे कार्बन क्रेडिट का दावा कर सकता है और उसे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेच सकता है.
  • ध्वनि-प्रदूषण करने वाले जनरेटरों को हटाने से ध्वनि प्रदूषण में भी कमी आएगी.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : Neutrino project

संदर्भ

भारत सरकार ने इस बात की दुबारा पुष्टि की है कि स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद तमिलनाडु राज्य के थेनी जिले में ही न्यूट्रिनो वेधशाला (Indian Neutrino Observatory – INO) बनाई जायेगी.

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न्यूट्रिनो वेधशाला परियोजना क्या है?

  • इस परियोजना का उद्देश्य भारत में नॉन-एक्सेलिरेटर आधारित उच्च ऊर्जा और आणविक भौतिकी में अनुसंधान के लिएधरातल की चट्टानों के लगभग 1,200 मीटर अन्दर एक विश्व-स्तरीय प्रयोगशाला बनाना है जिस कार्य में कई संस्थानों की सहायता ली जायेगी. इस परियोजना का मूल उद्देश्य न्यूट्रिनो का अध्ययन करना है.
  • इस विशाल वैज्ञानिक परियोजना के लिएनिधि का प्रावधान आणविक ऊर्जा विभाग और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग कर रहे हैं.

न्यूट्रिनो क्या हैं?

न्यूट्रिनो ब्रह्मांड में दूसरा सबसे पाया जाने वाला कण (particle) है जिसकी जानकारी सबसे पहले स्विट्ज़रलैंड के वैज्ञानिक वूल्फगैंग पॉली ने 1930 में दी थी. इससे अधिक पाया जाने वाला कण फोटोन है जिससे प्रकाश बनता है. वास्तव में हमारे बीच न्यूट्रिनो इतनी प्रचुर मात्रा में हैं कि प्रत्येक सेकंड 100 ट्रिलियन से अधिक न्यूट्रिनो हमारे शरीर के आर-पार आते-जाते रहते हैं और हम लोगों को पता भी नहीं चलता.

न्यूट्रिनो के प्रकार

न्यूट्रिनो उनके आयतन के अनुसार तीन प्रकार के होते हैं. अभी तक किये गये प्रयोग बताते हैं कि इनका आयतन बहुत छोटा (tiny mass) होता है, किन्तु इनके आयतन का क्रम अभी तक पता नहीं चला है और यह अभी तक रहस्य बना हुआ है. INO के सामने इस प्रश्न का समाधान सबसे बड़ी चुनौती होगी.

न्यूट्रिनो का महत्त्व

वैज्ञानिकों का विचार है कि ब्रमांड की उत्पत्ति तथा तारों में ऊर्जा की उत्पत्ति का रहस्य इन्हीं न्यूट्रिनों में छुपा हुआ है. इसके अतिरिक्त पृथ्वी के सबसे भीतरी (core) भाग में स्थित पिंड से लेकर धरातल तक की बनावट को समझने में भी न्यूट्रिनो काम आ सकता है क्योंकि ये ही ऐसे एकमात्र कण हैं जो पृथ्वी की गहराइयों में जाकर टोह ले सकते हैं.

प्रयोगशाला भूमि के अन्दर क्यों?

ब्रह्मांडीय किरणें और प्राकृतिक रेडियो-धर्मिता के कारण न्यूट्रिनो का धरती की सतह पर पता लगाना लगभग असंभव होता है इसलिए उनके अध्ययन के लिए बनाई गई सभी वेधशालाएँ धरातल के नीचे ही स्थापित की जाती हैं.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Global Climate Risk Index 2020

संदर्भ

जर्मनवाच नामक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण से सम्बंधित थिंकटैंक ने पिछले दिनों 2020 का वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक प्रकाशित कर दिया.

प्रतिवर्ष छपने वाले इस सूचकांक में यह दर्शाया जाता है कि आंधी, बाढ़, लू आदि मौसम से जुड़ी आपदाओं का विभिन्न देशों पर कितना दुष्प्रभाव पड़ा है.

ज्ञातव्य है कि जर्मनी के बॉन और बर्लिन नगरों से काम करने वाली संस्था जर्मनवाच विकास एवं पर्यावरण से जुड़ा एक ऐसा स्वतंत्र संगठन है जो सतत वैश्विक विकास के लिए काम करता है.

भारत के सन्दर्भ में मुख्य निष्कर्ष

  • जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से भारत विश्व का पाँचवा सर्वाधिक संकटग्रस्त देश है.
  • 2017 में भारत की रैंक 14वीं और 2018 में पाँचवी थी. इस प्रकार 2017 की तुलना में इस देश की रैंक खराब हुई है.
  • जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप हुई मौतों की संख्या सबसे अधिक भारत में दर्ज हुई.
  • आर्थिक क्षति की दृष्टि से भी 2018 में भारत दूसरा सबसे अधिक दुष्प्रभावित देश रहा.
  • भारत की रैंकिंग गिरने के पीछे कई कारण रहे, जैसे – भयंकर वृष्टिपात और उसके चलते आई विकट बाढ़ और भूस्खलन. इन सब कारणों से 1,000 लोगों को प्राण गंवाने पड़े.

विश्व के सन्दर्भ में मुख्य निष्कर्ष

  • 2018 में जलवायु परिवर्तन की मार सबसे अधिक जापान ने झेली थी.
  • जर्मनी और कनाडा भी जलवायु-विपदाओं से ग्रस्त होने वाले देश रहे.
  • विश्व-भर में जलवायु परिवर्तन से होने वाली क्षति का एक कारण लू का बढ़ता हुआ प्रकोप है.

जलवायु परिवर्तन विकट मौसम के लिए उत्तरदायी कैसे है?

  • कई अध्ययनों का यह निष्कर्ष है कि जलवायु प्रणाली के अधिक गर्म होने के कारण कुछ विकट जलवायवीय घटनाओं की बारंबारता, तीव्रता और अवधि में बढ़ोतरी हुई है.
  • उदाहरण के लिए, वैश्विक ताप वृद्धि से तापमान बढ़ जाता है और इससे जलचक्र में तीव्रता उत्पन्न होती है. इसका तात्पर्य यह है कि एक ओर जहाँ सूखे अधिक होंगे, वहीं सूखी मिट्टी और बढ़ी हुई आर्द्रता के कारण बाढ़ भी अधिक होगी.
  • जैसे-जैसे वैश्विक तापमान जलचक्र में तीव्रता लाता है, वैसे-वैसे अतिवृष्टि की संभावना बढ़ती जाती है.
  • समुद्रों की सतह का तापमान बढ़ने से आँधियों और अतिवृष्टि में बढ़ोतरी के साथ-साथ पवन की गति में वृद्धि देखी जाती है. जलवायु परिवर्तन के कारण भूमि का मरुस्थलीकरण और गुणवत्ता में क्षरण होता है. फलतः जैव विविधता को क्षति तो पहुँचती ही है, साथ ही दावानल अर्थात् जंगलों में आग लगने की संभावना भी प्रबल हो जाती है.

Prelims Vishesh

FrogPhone :-

  • फ्रॉग फोन सौर ऊर्जा से चलने वाला वह पहला दूर से संचालित सर्वेक्षण उपकरण है जिसे मेढ़क वाले किसी भी तालाब पर लगाया जा सकता है.
  • यह उपकरण 3G अथवा 4G से चलता है.
  • इसका निर्माण ऑस्ट्रेलिया के कई संस्थानों ने मिलकर किया है.
  • इसकी सहायता से मेढ़कों की आबादी पर नज़र रखी जा सकती है.

Victoria falls :

  • सर्वविदित है कि विक्टोरिया जलप्रपात 1 . 7 किलोमीटर चौड़ा और 108 मीटर ऊँचा है, परन्तु अक्टूबर 2018 से लगातार पड़ते भीषण सूखों के कारण इस जलप्रपात में जलप्रवाह अत्यंत ही संकुचित हो चुका है.
  • ज्ञातव्य है कि विक्टोरिया जलप्रपात में जाम्बेजी नदी का पानी आता है और यह जाम्बिया और जिम्बाववे के बीच सीमारेखा का काम करता है.
  • इस जलप्रपात को “गरजने वाला धुआँ” (The Smoke that Thunders) भी कहा जाता है.
  • यह UNESCO के विश्व धरोहर स्थलों में से एक है.

RailWire Wi-Fi :

  • देश के 5,500 रेलवे स्टेशनों पर निःशुल्क सार्वजनिक वाई-फाई लगाने का काम पूरा हो चुका है.
  • RailWire, RailTel का एक खुदरा ब्रॉडबैंड है. इसका उद्देश्य जनसाधारण तक ब्रॉडबैंड और सम्बद्ध सेवाओं को पहुँचाना है.
  • RailTel का लक्ष्य हॉल्ट स्टेशनों को छोड़कर देश के सभी स्टेशनों पर एक वर्ष के अन्दर तेज और निःशुल्क Wi-Fi की सुविधा देना है.
  • RailTel ने गूगल को तकनीकी भागीदार बनाया है.
  • विदित हो कि RailTel निगम रेलवे मंत्रालय के अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम है जिसे मिनिरत्न (श्रेणी I) की पदवी मिली हुई है. यह देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम सेवा है जिसके पास सभी शहरों और कस्बों तक पहुँचने वाला ऑप्टिक फाइबर का जाल है. साथ ही कई ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसकी पहुँच है. कुल मिलाकर इस जाल के अंतर्गत भारत की 70% जनसंख्या आ जाती है.

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