Sansar डेली करंट अफेयर्स, 09 August 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 09 August 2021


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : History of the world will include events from 18th century such as industrial revolution, world wars, redrawing of national boundaries, colonization, decolonization, political philosophies like communism, capitalism, socialism etc.- their forms and effect on the society.

Topic : Japan marks 76th Anniversary of Hiroshima Atomic Bombing

संदर्भ

76 साल पहले जापान का हिरोशिमा जिस परमाणु बम हमले से थर्राया था उसकी चपेट में आकर लगभग 1,40,000 लोगों की जान जाने का अनुमान है. जो लोग जीवित बचे वे आज भी उस धमाके की याद भर से थर्रा जाते हैं. अगस्त, 1945 की 76वीं वर्षगाँठ पर ऐसे ही कुछ पीड़ितों, उनके रिश्तेदारों और विदेशी मेहमानों के एक छोटे से समूह ने प्रार्थना और गीतों के साथ हिरोशिमा में घटना स्थल पर एक समारोह में हिस्सा लिया.

हिरोशिमा में परमाणु बम हमला

  1. 7 दिसंबर 1941 को जापान के सैकड़ों युद्धक विमानों ने पर्ल हार्बर में मौजूद अमेरिकी बेस का ज्यादातर हिस्सा तबाह कर दिया. इस हमले में हजारों सैनिकों की मौत हुई. इसके अगले ही दिन अमेरिका ने दूसरे विश्वयुद्ध में उतरने का एलान कर दिया.
  2. साल 1942 में अगस्त के महीने में अमेरिका ने आधिकारिक रूप से परमाणु बम बनाने के लिए एक बेहद खुफिया कार्यक्रम का फैसला किया. इस प्रोजेक्ट का नाम बाद में मैनहटन प्रोजेक्ट रखा गया. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने 2 अरब डॉलर का बजट दिया.
  3. 1945 में 9 और 10 मार्च को अमेरिका के लड़ाकू विमानों ने जापान में टोक्यो और दूसरे शहरों पर भारी बमबारी की. इस बमबारी ने केवल राजधानी में ही करीब एक लाख लोगों की जीवनलीला खत्म कर दी.
  4. 26 मार्च को ओकिनावा की लड़ाई शुरू हुई. अगले तीन महीने में इस लड़ाई में एक लाख से ज्यादा जापानी सैनिकों और इतनी ही संख्या में आम लोगों की बलि चढ़ गई. 12 हजार अमेरिकी सैनिक भी मारे गए. अमेरिकी अधिकारियों ने इस लड़ाई के आधार पर ही परमाणु बम के इस्तेमाल को न्यायोचित ठहराया. उनकी दलील थी कि जापान की मुख्य भूमि पर हमले में इससे भी ज्यादा लोगों की जान जाती.
  5. 12 अप्रैल को रूजवेल्ट की मौत हुई और हैरी ट्रूमैन अमेरिका के राष्ट्रपति बने. तब उन्हें अब तक बेहद खुफिया रहे मैनहटन प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी मिली.
  6. 8 मई को जर्मनी ने समर्पण कर दिया और इसके साथ ही दूसरे विश्वयुद्ध में यूरोप की लड़ाई खत्म हो गई. हालांकि इसके बाद भी एशिया और प्रशांत के क्षेत्र में युद्ध अभी जोरों पर चल रहा था. मई और जुलाई के बीच परमाणु बम के हिस्से टिनियान लाए गए. यह मारियाना चेन में वो द्वीप था जहां से बी-29 बॉम्बर विमान जापान पहुंच सकता था.
  7. 16 जुलाई को न्यू मेक्सिको के अलामोगोर्दो के पास सुबह 5.30 बजे ट्रिनिटी टेस्ट किया गया. इस टेस्ट में परमाणु बम की ताकत समझ में आई और परमाणु युग की शुरुआत हो गई.
  8. “ट्रिनिटी टेस्ट” के सफल होने के बाद 25 जुलाई को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन ने जापान पर परमाणु बम गिराने के मिशन को मंजूरी दे दी. इसमें उपलब्ध होते ही अतिरिक्त बमों को गिराने की मंजूरी भी शामिल थी.
  9. 26 जुलाई को पोट्सडाम घोषणा के बाद ब्रिटेन, चीन और अमेरिका ने जापान को चेतावनी दी कि वो या तो समर्पण करे या फिर “तुरंत और पूर्ण विनाश का” सामना करे. जापान ने इस चेतावनी की अनदेखी करने का फैसला किया हालांकि इसके लिए “मोकुसात्सु” शब्द का प्रयोग किया गया जिसका मतलब है “नो कमेंट.”
  10. 6 अगस्त को सुबह 8.15 बजे अमेरिकी बी29 बॉम्बर “इनोला गे” ने 9000 पाउंड का परमाणु बम हिरोशिमा पर गिराया. दिसंबर के महीने तक इसकी वजह से 1 लाख 40 हजार लोगों की मौत हो गई. ट्रूमैन ने जापानी नेताओं को कहा अगर वो समर्पण नहीं करेंगे तो वो हवा से बर्बादी की ऐसी बारिश देखेंगे जैसी पृथ्वी पर कभी नहीं देखी गई.
  11. 9 अगस्त को अमेरिका ने दूसरा परमाणु बम जापान के नागासाकी पर गिराया. समय हो रहा था सुबह 11.02 बजे का. परमाणु बम के इस हमले में 74000 लोगों की जान चली गई.
  12. 15 अगस्त को जापान के सम्राट हिरोहितो ने घोषणा की कि उनका देश युद्ध हार गया है. हालांकि इसके बाद भी वो देश के सम्राट बने रहे और युद्ध के बाद देश के पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभाई.
  13. हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरने के चार साल बाद 29 अगस्त 1949 को रूस ने अपने परमाणु बम का कजाखस्तान में परीक्षण किया और परमाणु बम रखने वाला दूसरा देश बन गया. विश्व युद्ध के अंतिम दिनों में उसने जापान पर हमला किया और उसके कई इलाकों पर कब्जा कर लिया. कुरील द्वीप उनमें से एक था.

मेरी राय – मेंस के लिए

जर्मनी जैसे विश्व के कई ताकतवर देशों की तरह ही जापान ने खुद भी इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं जिसे कई छोटे गैर-परमाणु शक्ति संपन्न देश 2017 में परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए लाए थे. कुछ आलोचकों का मानना है कि जापान खुद भी दुनिया का एकलौता परमाणु हमला झेलने वाला देश होने के बावजूद इस मामले में दोहरे मापदंड रखता है.

दूसरे विश्व युद्ध के बाद अपनी सेना खत्म होने के बाद से जापान अपनी सुरक्षा के लिए भी पूरी तरह अमेरिकी सेना पर ही निर्भर है. जापान में अमेरिका के करीब 50,000 सैनिक तैनात हैं और उसे अमेरिका के परमाणु हथियारों की छतरी के नीचे सुरक्षा मिली हुई है. जापान के शक्तिशाली पड़ोसी चीन और संभवत: उत्तर कोरिया खुद परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं. 

जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने इस अवसर पर “परमाणु हथियारों पर नियंत्रण और परमाणु निरस्त्रीकरण की कोशिश” करने की अपील की. मास ने कहा, “विश्व को कभी नहीं भूलना चाहिए कि हिरोशिमा और कुछ दिन बाद नागासाकी में क्या हुआ था और क्यों हुआ था.”

आशा है कि इस समारोह से पीड़ितों के कष्ट, कहानियों और बहादुरी से हम सबको एक होकर दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त बनाने के कदम उठाने की प्रेरणा मिलेगी.

अमेरिका ने इसके तीन दिन बाद 9 अगस्त को जापान के नागासाकी पर एक और परमाणु बम गिराया था, जिसके बाद 15 अगस्त 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था. इन दोनों परमाणु हमलों के लिए अमेरिका ने कभी माफी नहीं मांगी. अमेरिका का मानना रहा है कि केवल दूसरे विश्व युद्ध को रोकने का उनके पास केवल यही एक तरीका बचा था. 


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora- their structure, mandate.

Topic : Special Drawing Rights (SDR)

संदर्भ

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने सदस्य देशों के लिए 650 बिलियन डॉलर के IMF विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDR) के आवंटन को मंजूरी दी है. यह इस कोष में सदस्य देशों की मौजूदा कोटा हिस्सेदारी के अनुपात में है.

भारत का कोटा 2.75 प्रतिशत और चीन का कोटा 6.41 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका का कोटा 17.46 प्रतिशत है.

महत्त्व

  • इस आवंटन से सभी सदस्य देशों को लाभ होगा.
  • इससे भंडार की दीर्घकालिक वैश्विक आवश्यकता की पूर्ति की जा सकेगी.
  • साथ ही, विश्वास का निर्माण होगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लचीलेपन एवं स्थिरता में वृद्धि संभव हो सकेगी.
  • यह आवंटन सबसे सुभेद्य देशों को कोविड-19 संकट के प्रभाव से निपटने में सहायता करेगा.

विशेष आहरण अधिकार (SDR)

  • SDR को IMF द्वारा 1969 में अपने सदस्य देशों के लिये अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति के रूप में बनाया गया था.
  • आरंभ में SDR को 0.888671 ग्राम स्वर्ण के बराबर परिभाषित किया गया था, जो उस समय एक डॉलर के समतुल्य था, मगर ब्रेटन वुड्स प्रणाली (Bretton Woods System) के पतन के बाद SDR को मुद्राओं की एक बास्केट के रूप में फिर से परिभाषित किया गया था.
  • इस बास्केट में पाँच देशों की मुद्राएँ शामिल हैं- अमेरिकी डॉलर (Dollar), यूरोप का यूरो (Euro), चीन की मुद्रा रॅन्मिन्बी (Renminbi), जापानी येन (Yen), ब्रिटेन का पाउंड (Pound).

पढ़ें – SDR in Hindi


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Schemes for the welfare of vulnerable sections of the society.

Topic : Ministry for Social Justice launches ‘PM-DAKSH’ Portal

संदर्भ

केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री दक्षता एवं कुशलता सम्पन्न हितग्राही” (पीएम-दक्ष) मोबाइल एप्लीकेशन विकसित किया गया है. इसका उद्देश्य पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और सफाई कर्मचारियों के लक्षित समहों के लिए कौशल विकास योजनाओं को सरल बनाना है.

पीएम-दक्ष

  • इस पहल के माध्यम से लक्षित समूहों के युवा अब अधिक सरलता से कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ उठा सकेंगे.
  • ज्ञातव्य है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020-21 से प्रधानमंत्री दक्षता एवं कुशलता सम्पन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष) योजना लागू की जा रही है.
  • इस योजना के तहत पात्र लक्ष्य समूह को कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम (1) कौशल उन्‍नयन/पुन: कौशल (2) अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम (3) दीर्घकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम और (3) उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) पर उपलब्ध कराया जा रहा है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Role of external state and non-state actors in creating challenges to internal security.

Topic : Unlawful Activities Prevention Act – UAPA

संदर्भ

गृह मंत्रालय द्वारा संसद के समक्ष रखे गये आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 से लेकर अब तक, जम्म्‌- कश्मीर प्रशासन द्वारा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत 1,200 से अधिक मामलों में 2,300 तथा “जन सुरक्षा अधिनियम” (PSA) के तहत 954 से अधिक लोगों पर मामला दर्ज किये जा चुके हैं. इनमें से  गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के अंतर्गत गिरफ्तार किए गए 46% और “सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम” के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्तियों में से लगभग 30% व्यक्ति अभी भी जम्मू-कश्मीर के अंदर और बाहर की जेलों में बंद हैं.

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम क्या है?

  • यह कानून भारत में गैरकानूनी कार्य करने वाले संगठनों की कारगर रोकथाम के लिए बनाया गया है.
  • इसका मुख्य उद्देश्य देश विरोधी गतिविधियों के लिए कानूनी शक्ति का प्रयोग करना है.
  • इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई राष्ट्रद्रोही आन्दोलन का समर्थन करता है अथवा किसी विदेशी देश द्वारा किये गये भारत के क्षेत्र पर दावे का समर्थन करता है तो वह अपराध माना जाएगा.
  • UAPA 1967 में पारित हुआ था. बाद में यह पहले 2008 में और फिर 2012 में संशोधित हुआ था.

UAPA की धारा 15, 17 और 18

  1. यूएपीए ऐक्ट के सेक्शन 15 के अनुसार भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को संकट में डालने या संकट में डालने की संभावना के इरादे से भारत में या विदेश में जनता या जनता के किसी तबक़े में आतंक फैलाने या आतंक फैलाने की संभावना के इरादे से किया गया कार्य ‘आतंकवादी कृत्य’ है.
  2. धारा 17 के तहत आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाने पर दण्डित करने का प्रावधान किया गया है.
  3. धारा 18, के अंतर्गत ‘आतंकवादी कृत्य करने हेतु साजिश आदि रचने’ या आतंकवादी कृत्य करने हेतु तैयारी करने वाले किसी भी कार्य’ संबंधी अपराधों के लिए आरोपित किया जाता है.

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) विधेयक, 2019 के मुख्य तथ्य

  • इस विधेयक के माध्यम से 1967 के गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम को संशोधित किया जा रहा है.
  • आंतकवादी किसे कहेंगे? : मूल अधिनियम के अनुसार केंद्र सरकार किसी संगठन को आतंकवादी करार दे सकती है यदि यह : i) आतंक की कार्रवाई करता है अथवा उसमें शामिल होता है ii) आतंकवाद के लिए तैयारी करता है iii) आतंकवाद को बढ़ावा देता है, अथवा iv) किसी भी रूप में आतंकवाद से जुड़ा हुआ है.
  • पारित संशोधन में यह अतिरिक्त प्रावधान किया गया है कि सरकार चाहे तो इन्हीं आधारों पर किसी व्यक्ति विशेष को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है.
  • सम्पत्ति की जब्ती का अनुमोदन: विवेचना यदि राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (NIA) के अधिकारी ने की है तो सम्पत्ति की जब्ती का अनुमोदन NIA का महानिदेशक करेगा. इसके लिए उस सम्पत्ति का आतंकवाद से जुड़ा होना आवश्यक होगा.
  • NIA द्वारा अन्वेषण: मूल अधिनियम के अनुसार मामलों का अन्वेषण उपाधीक्षक अथवा सहायक पुलिस आयुक्त अथवा उससे ऊपर की श्रेणी का अधिकारी करेगा. नए संशोधन के अनुसारइनके अतिरिक्त NIA के अधिकारी भी अन्वेषण का कार्य कर सकते हैं यदि वे निरीक्षक की श्रेणी अथवा उससे ऊपर की श्रेणी के हों.
  • इसका मुख्य उद्देश्य देश विरोधी गतिविधियों के लिए कानूनी शक्ति का प्रयोग करना है.
  • अधिनियम में संधियों की अनुसूची जोड़ना: मूल अधिनियम में ऐसी संधियों की एक अनुसूची दी गई है जिसके उल्लंघन को भी आतंकी कार्रवाई के रूप में परिभाषित किया गया है. इस अनुसूची में सब मिलाकर 9 संधियाँ हैं जिनमें प्रमुख हैं – आतंकी बम विस्फोट को दबाने की संधि (1997) और बंधक बनाने के विरुद्ध संधि (1979). इस अनुसूची में अब एक नई संधि जुड़ गई है जिसका नाम है – आणविक आतंकवाद की कार्रवाई को दबाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संधि (2005) / International Convention for Suppression of Acts of Nuclear Terrorism (2005).

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2019 का विरोध क्यों?

  • आलोचकों का कहना है कि संशोधित अधिनियम में केन्द्रीय मंत्रालय के अधिकारियों को यह शक्ति दे दी गई है कि वे किसी भी व्यक्ति को बिना उचित प्रकिया अपनाए हुए आतंकी घोषित कर सकते हैं. इस घोषणा के पश्चात् उस व्यक्ति का नाम मूल अधिनियम में संशोधित के द्वारा जोड़ी गई “चौथी अनुसूची” में अंकित हो जाएगा. ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति के पास एक ही चारा बचेगा कि वह अपने आप को अनधिसूचित करवाने के लिए केंद्र सरकार को आवेदन दे जिसपर सरकार द्वारा ही गठित समीक्षा समिति विचार करेगी.
  • संशोधन यह नहीं बताता है कि यदि कोई व्यक्ति आतंकी घोषित हो गया तो उसका कानूनी परिणाम क्या होगा क्योंकि चौथी अनुसूची में नाम आ जाने मात्र से वह दंड, कारावास, अर्थदंड, निर्योग्यता अथवा किसी भी प्रकार के नागरिक दंड का भागी हो जाएगा. स्पष्ट है कि यह संशोधन मात्र किसी को आतंकी घोषित करने के लिए सरकार को शक्ति देने हेतु किया गया है.
  • किसी को सरकारी रूप से आतंकी घोषित करना उसे “नागरिक मृत्यु” देने के बराबर होगा क्योंकि इसके फलस्वरूप उसका सामाजिक बहिष्कार हो सकता है, उसे नौकरी से निकाला जा सकता है, मीडिया उसके पीछे पड़ सकती है अथवा किसी स्वघोषित सतर्कता समूह के व्यक्ति के द्वारा उस पर आक्रमण भी हो सकता है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Growth & Development, Mobilization of Resources, Liberalization and Investment Models.

Topic : Retrospective Tax

संदर्भ

केंद्र सरकार, आयकर कानून में संशोधन कर के पूर्वव्यापी कराधान (Retrospective Tax) को खत्म करने जा रही है.

पृष्ठभूमि

इस मामले का प्रारम्भ वर्ष 2007 में हुआ था. ये वही वर्ष था जब वोडाफोन का भारत में प्रवेश हुआ था. इसी वर्ष वोडाफोन ने हचिंसन एस्सार (जिसे हच के नाम से जाना जाता था) का अधिग्रहण किया था. वोडाफोन ने हचिंसन एस्सार की 67% हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था. वोडाफोन ने इस अधिग्रहण के लिए 11 अरब डॉलर से ज्यादा का भुगतान किया था. हचिंसन एस्सार भारत में काम करने वाली मोबाइल कंपनी थी.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पूंजीगत लाभ को आधार बनाते हुए कंपनी से टैक्स भरने की मांग की थी जिसे कंपनी ने चुकाने से मना कर दिया. कंपनी का तर्क था कि अधिग्रहण टैक्स के दायरे में ही नहीं आता है क्योंकि इस मामले में पूरा वित्तीय लेन-देन भारत में नहीं हुआ है. वहीं इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का कहना था कि वोडाफोन ने वैसी संपत्ति का अधिग्रहण किया जो भारत में मौजूद थी. 

यह मामला सर्वोच्च न्यायालय तक गया और न्यायालय ने वोडाफोन के पक्ष में निर्णय सुनाया. इस निर्णय के बाद तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट 2012-13 पेश करते हुए आयकर कानून 1961 को रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स के साथ संशोधित करने का प्रस्ताव रखा. यह प्रस्ताव इसलिए रखा गया ताकि वोडाफोन जैसे विलय व अधिग्रहण के विदेश में होने वाले सौदों पर टैक्स लगाया जा सके. इसके बाद वोडाफोन ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया. विदित हो कि वर्तमान में वोडाफोन का भारत में आइडिया के साथ गठजोड़ है. वोडाफोन—आइडिया देश की तीसरी बड़ी टेलीकॉम कंपनी है.

अब पूर्वव्यापी कर को वापस लेने का निर्णय क्‍यों लिया जा रहा है?

पूर्वव्यापी कर का कॉर्पोरेटों, विपक्ष और यहाँ तक कि सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों द्वारा प्रारम्भ से ही विरोध किया जा रहा था. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन जो उस वक्त विपक्ष में था, ने तब इस कर को “कर आतंकवाद (tax terrorism) की संज्ञा दी थी, लेकिन सत्ता में आने के 7 वर्षों बाद तक इसे हटाया नहीं. पिछले महीनों में पूर्वव्यापी कर से जुड़े एक मामले में ब्रिटिश कंपनी केयर्न एनर्जी भी भारत सरकार के विरुद्ध हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में गई, जहाँ उसके पक्ष में निर्णय हुआ है. हालाँकि भारत सरकार, करारोपण को भारत का संप्रभु अधिकार बताती आ रही है, लेकिन इस निर्णय से भारत का पक्ष कमजोर हुआ तथा सरकार पर पूर्वव्यापी कर को वापस लेने का दबाव बढ़ गया था. इसके अतिरिक्त इस समय सरकार को देश की आर्थिक वृद्धि दर बढ़ाने के लिए निवेश की भी जरूरत है, इसलिए सरकार निवेश के अनुकूल कर नीतियाँ बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है.

पूर्वव्यापी कराधान

  • यह एक देश को कुछ उत्पादों, वस्तुओं या सेवाओं और सौदों पर पूर्वव्यापी कर लगाने तथा कंपनियों पर पूर्वव्यापी दंड लगाने की अनुमति प्रदान करता है.
  • इस कानून के माध्यम से अनेक देशों ने अपने कराधान नीतियों की विसंगतियों को ठीक किया है जो किसी कंपनी को कमी का फायदा उठाने का अवसर प्रदान करती थी.
  • पूर्वव्यापी कराधान उन कंपनियों को नुकसान पहुँचाता है जिनके द्वारा जानबूझकर या अनजाने में कर नियमों की अलग-अलग व्याख्या की गई थी.
  • भारत के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया और इटली सहित कई देशों में पूर्वव्यापी टैक्स को लगाने वाली कंपनियाँ विद्यमान हैं.

मध्यस्थता का स्थायी न्यायालय (PERMANENT COURT OF ARBITRATION- PCA)

  • स्थापना: वर्ष 1899
  • इसका मुख्यालय हेग, नीदरलैंड्स में है.
  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जो विवाद समाधान के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सेवा प्रदान करने और राज्यों के बीच मध्यस्थता एवं विवाद समाधान के लिये समर्पित है.
  • PCA की संगठनात्मक संरचना तीन-स्तरीय होती है जिसमें –
  1. एक प्रशासनिक परिषद् होती है जो नीतियों और बजट का प्रबंधन करती है.
  2. एक स्वतंत्र संभावित मध्यस्थों का पैनल होता है जिसे न्यायालय के सदस्य के रूप में जाना जाता है.
  • इसके सचिवालय को अंतर्राष्ट्रीय ब्यूरो के रूप में जाना जाता है.
  • PCA का एक वित्तीय सहायता कोषहोता है जिसका उद्देश्य विकासशील देशों को अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता या PCA द्वारा विवाद निपटान में शामिल साधनों की लागत को पूरा करने में मदद करना है.

Prelims Vishesh

Use of Modern Technology for Crop Production Forecasting :-

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय फसल उत्पादन पूर्वानुमान के लिए विभिन्‍न परियोजनाओं का वित्तपोषण कर रहा है, जिसमें शामिल हैं; >

  • निम्नलिखित 9 फसलों के लिए फसल (FASAL) (अंतरिक्ष, कृषि-मौसम विज्ञान और भूमि आधारित अवलोकनों का उपयोग कर कृषि उत्पादन का पूर्वानुमान) योजना: चावल, गेहूं, तूर, रबी दलहन, रेपसीड और सरसों, रबी ज्वार, कपास, जूट और गन्ना
  • आलू, प्याज, टमाटर, मिर्च, आम, केला और खट्टे फलों के लिए चमन (भू-सूचना विज्ञान का उपयोग करके समन्वित बागवानी मूल्यांकन और प्रबंधन) योजना
  • फसलों के अनुमान में उपग्रह प्रौद्योगिकी की भूमिका के मूल्यांकन के लिए किसान परियोजना (KISAN project).
  • इसके अतिरिक्त सूखे के आकलन के लिए भी उपग्रह आधारित सूचकांकों का उपयोग किया जाता है.

Dragon Fruit :-

dragon fruit kamlam

  • गुजरात और पश्चिम बंगाल के किसानों द्वारा उगाए गए ड्रैगन फ्रूट प्रथम बार यूनाइटेड किंगडम और बहरीन को निर्यात किए गए हैं.
  • ड्रैगन फ्रूट, जिसे भारत में कमलम के नाम से भी जाना जाता है, कैक्टैसी कुल (Cactaceae family) से संबंधित एक उष्णकटिबंधीय फल है.
  • यह मूलतः मध्य अमेरिका की प्रजाति है.
  • यह फाइबर, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है.
  • इसकी तीन मुख्य प्रकार हैं- गुलाबी छिलके वाला श्वेत गूदा युक्त, गुलाबी छिलके वाला लाल गूदा युक्त और पीले छिलके वाला श्वेत गूदा युक्त फल.

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