Sansar डेली करंट अफेयर्स, 09 April 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 09 April 2020


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.

Topic : National Wildlife Board

संदर्भ

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Wildlife Board) ने मुंबई-नागपुर राजमार्ग पर अपनी अंतिम अनुमति प्रदान कर दी है. तालाबंदी को देखते हुए यह अनुमति विडियो-कांफ्रेंस के माध्यम से दी गई.

पृष्ठभूमि

मुंबई-नागपुर राजमार्ग का पूरा नाम हिन्दू हृदय सम्राट बालासाहब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग है. 701 किलोमीटर लम्बा यह राजमार्ग दस जिलों, 26 तालुकों और 392 गांवों से होकर गुजरता है. मुंबई से नागपुर तक का यात्रा करने का समय अभी 15 घंटा है जो इस राजमार्ग के कारण 8 घंटा हो जाएगा.

इस परियोजना को पूरा करने के लिए एक लाख से अधिक पेड़ों को काटना होगा. इसके अतिरिक्त प्रस्तावित राजमार्ग काटेपूर्णा एवं करंज सोहल ब्लैक बक वन्यजीव आश्रयणियों के 10 किलोमीटर लम्बे पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र (eco-sensitive zone – ESZ) से गुजरेगा. यह राजमार्ग मुंबई महानगर क्षेत्र के निकट स्थित तांसा झील आश्रयणी के ESZ को भी पार करेगा.

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड क्या है?

  • राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Wildlife Board) एक वैधानिक संगठन है जिसकी स्थापना वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 के तहत हुई है.
  • यह बोर्ड राष्ट्रीय उद्यानों एवं आश्रयणियों में अथवा उनके आस-पास स्थित परियोजनाओं का अनुमोदन करने वाला तथा वन्यजीव से सम्बन्धित मामलों की समीक्षा करने वाला सर्वोच्च निकाय है.
  • राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के अध्यक्ष प्रधानमंत्री तथा उपाध्यक्ष भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री होते हैं.
  • इस बोर्ड प्रधानमन्त्री मिलकर कुल 47 सदस्य होते हैं.
  • इस बोर्ड में 15 गैर-सरकारी और 19 पदेन सदस्य एवं साथ ही सचिव-स्तर के 10 सरकारी अधिकारी सदस्य होते हैं.

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability, e-governance- applications, models, successes, limitations, and potential; citizens charters, transparency & accountability and institutional and other measures.

Topic : Online training platform- iGOT

संदर्भ

सरकार ने प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दीक्षा प्लेटफार्म पर ऑनलाइन प्रशिक्षण (iGOT) पोर्टल की शुरुआत की है.

पृष्ठभूमि

भारत सरकार कोविड-19 महामारी के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ रही है और उसके ​ अग्रिम पंक्ति में तैनात लोग पहले से ही कोविड-19 से जुड़े राहत कार्यों में लगे हुए हैं ,तथा सराहनीय काम कर रहे हैं. हालांकि, महामारी के अगले चरणों में बढ़ने वाले पोजिटिव मामलों से निबटने के लिए मौजूदा अग्रिम पंक्ति में तैनात लोगों की जगह लेने के लिए एक बड़े मानव संसाधन की आवश्यकता होगी.

ऑनलाइन प्रशिक्षण (iGOT) पोर्टल

  • सरकार ने अग्रिम पंक्ति में तैनात कर्मियों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऐसे लोगों के वास्ते मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दीक्षा पोर्टल पर ऑनलाइन प्रशिक्षण ‘(iGOT) पोर्टल की शुरुआत की है. 
  • यह प्रशिक्षण कार्यक्रम विशेष रूप से डॉक्‍टरों, नर्सों, पैरा मेडिकल स्‍टाफ, तकनीशियनों, सहायक नर्सिंग कर्मी (एएनएम), राज्य सरकार के अधिकारियों, नागरिक सुरक्षा अधिकारियों, विभिन्न पुलिस संगठनों, राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी), नेहरू युवा केंद्र संगठन, राष्ट्रीय सेवा योजना, भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी, भारत स्काउट और गाइड तथा स्वेच्छा से काम करने के इच्छुक अन्य लोगों के लिए प्रारम्भ किया गया है.
  • यह प्लेटफार्म किसी भी जगह, किसी भी समय प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करता है ताकि कोविड से प्रभावी तरीके से निबटने के लिए आवश्यक कार्यबल को और सशक्त बनाया जा सके.

दीक्षा पोर्टल क्या है?

  • दीक्षा प्लेटफार्म मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया छात्रों एवं शिक्षकों के प्रशिक्षण का प्लेटफॉर्म है.
  • यह शिक्षकों के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल माध्यम है.
  • ‘दीक्षा’ पोर्टल शिक्षक की शिक्षा के दायरे को गति देने के साथ-साथ और आगे विस्तारित करने का काम करता है.
  • मंत्रालय के अनुसार, पोर्टल का उद्देश्य कोविड-19 महामारी से प्रभावी ढ़ग से निबटने के लिए अग्रिम पंक्ति में तैनात लोगों की क्षमताओं को बढ़ाना है.

लाभ

  • यह प्लेटफॉर्म किसी भी जगह, किसी भी समय प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करता है ताकि कोविड-19 से प्रभावी तरीके से निबटने के लिए आवश्यक कार्यबल को और सशक्त बनाया जा सके.
  • दीक्षा पोर्टल पर अध्ययन सामग्री अपलोड करने वाले शिक्षकों को सीबीएसई से मिलने वाले “शिक्षक पुरस्कार” में भी वेटेज मिल सकती है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : UN Peacekeeping

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र ने कोरोना वायरस के संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए 30 जून तक अपने शान्ति रक्षकों (Peacekeeping) के रोटेशन और तैनाती को पूरी तरह निलंबित कर दिया गया है.

पृष्ठभूमि

संयुक्त राष्ट्र ने स्पष्ट किया है की उसकी प्राथमिकताएं सैनिकों की कोरोना वायरस से रक्षा सुनिश्चित करना और उस खतरे को कम करना है. विदित हो की संयुक्त राष्ट्र सैनिकों और पुलिस के साथ योगदान करने वाले देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है.

यू.एन. पीसकीपिंग और इसका महत्त्व

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा यू.एन. पीसकीपिंग का कार्य 1948 में संयुक्त राष्ट्र युद्ध विराम पर्यवेक्षण संगठन (UN Truce Supervision Organization – UNTSO) की स्थापना के साथ आरम्भ हुआ था.
  • सबसे पहला मिशन 1948 के अरब-इजराइल युद्ध के समय भेजा गया था.
  • संयुक्त राष्ट्र की शान्ति सेना उन देशों में शान्ति की स्थापना में सहायता पहुँचाने के लिए भेजी जाती है जहाँ गृह संघर्ष चल रहा होता है.
  • इतिहास साक्षी है कि संयुक्त राष्ट्र कई अवसरों पर अपनी शान्ति रक्षक सेनाओं को सम्बंधित देश के आग्रह पर भेजकर शान्ति को स्थापित करने में सफल रहा है.
  • शांति सेनाएँ विश्व के कोने-कोने से सैनिकों और पुलिस को इकठ्ठा करके तथा सम्बंधित देश के अपने घरेलू नागरिक के साथ हर प्रकार से समन्वय करते हुए शान्ति स्थापित करने का कार्य करती है.
  • यू.एन. पीसकीपिंग का कार्य जिन मूलभूत सिद्धांतों का अनुसरण करता है, वे हैं – i) पक्षकारों की सहमति ii) निष्पक्षता iii) बल का प्रयोग उसी समय करना जब आत्म रक्षा एवं रक्षा की स्थिति उत्पन्न हो.

वैश्विक भागीदारी

यू.एन. पीसकीपिंग वास्तव में एक अनूठी वैश्विक भागीदारी होती है. अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए इसमें न केवल संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद् और संयुक्त राष्ट्र सचिवालय को ही एक स्थान पर लाया जाता है, अपितु इस कार्य में शान्ति सेना के लिए अपने सैनिक भेजने वाले देशों और इस सेना को आमंत्रित करने वाले देशों का भी मिला-जुला प्रयास होता है. शान्ति सेनाओं को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में ही वैधता दे दी गई है.

सुधार की आवश्यकता क्यों?

  • वर्तमान में यू.एन. पीसकीपिंग का कार्य एक ओर जहाँ विकट परिस्थतियों में शान्ति को स्थापित करना है, वहीं दूसरी ओर उस स्थापित शान्ति को बनाये रखना भी है.
  • शान्ति सेना के लिए सैनिक भेजने वाले देशों, सुरक्षा परिषद् और सचिवालय इन तीनों के बीच सहयोग अपेक्षा के अनुरूप नहीं होता है.

क्या-क्या सुधार हो सकते हैं?

  • महिला शान्ति रक्षक सैनिकों को शान्ति सेनाओं में शामिल होने के लिए उत्प्रेरण दिया जा सकता है. विदित हो कि जुलाई 2019 के आँकड़े के अनुसार, शान्ति सेनाओं में महिलाओं का प्रतिशत मात्र 6 है. संख्या की दृष्टि से कहा जाए तो 86,687 शान्ति रक्षकों में से मात्र 5,243 ही महिला रक्षक हैं.
  • शान्ति स्थापित करने के लिए की गई तैनाती में एक ही देश के सैनिकों को नहीं लगाकर कई देशों की मिली-जुली टुकड़ी भेजी जाएँ जिससे कि भागीदारी की वास्तविक भावना उत्पन्न हो सके.
  • भविष्य के कमांडरों और प्रबंधकों की क्षमता को विकसित करने के लिए तथा शान्ति रक्षक सैनिकों को संयुक्त राष्ट्र के आचारगत मानकों के प्रति शान्ति रक्षकों को जागरूक बनाने के लिए नवाचारी पहलों की आवश्यकता प्रतीत होती है.

GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Biotechnology related issues.

Topic : Bio fortified crops

संदर्भ

गुजरात के जूनागढ़ जिले के एक किसान-वैज्ञानिक और पद्मश्री से सम्मानित श्री वल्लभभाई वसरमभाई मरवानिया ने गाजर की एक जैव-सशक्त किस्म मधुबन गाजर को विकसित किया है, जिसमें बीटा कैरोटीन और लौह तत्व की उच्च मात्रा उपलब्ध है.

लाभ

इससे क्षेत्र के 150 से अधिक किसानों को लाभ मिल रहा है. जूनागढ़ के 200 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में इसकी खेती की गई है. इसकी औसत पैदावार लगभग 40-50 टन प्रति हेक्टेयर है. स्थानीय किसानों के लिए यह आमदनी का मुख्य स्रोत बन गया है. पिछले 3 सालों के दौरान गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल तथा उत्तर प्रदेश के लगभग 1000 हेक्टेयर में मधुबन गाजर की खेती की जा रही है.

मधुबन गाजर की खोज कैसे हुई?

  • 1943 के दौरान श्री वल्लभभाई वसरमभाई मरवानिया ने गौर किया कि गाजर की एक स्थानीय किस्म का प्रयोग दूध की गुणवत्ता में सुधार के लिए पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है.
  • इस किस्म के विकास के प्रारंभिक वर्षों के दौरान श्री वल्लभभाई ने बीज उत्पादन के लिए सबसे अच्छे पौधों को चुना और घरेलू खपत तथा विपणन को ध्यान में रखते हुए एक छोटे से क्षेत्र में इसकी कृषि की.
  • कालांतर में इस गाजर की मांग बढ़ी और 1950 के दशक में उन्होंने बड़े पैमाने पर इसकी खेती शुरू की.
  • 1970 के दशक में उन्होंने अपने गांव और आस-पास के गांवों के किसानों के बीच इसके बीज बांटे गये.
  • 1985 के दौरान उन्होंने बढ़े पैमाने पर बीजों का विक्रय शुरू किया. मधुबन गाजर की औसत उपज 40-50 टन प्रति हेक्टेयर है और गुजरात, महाराष्ट्र तथा राजस्थान में सफलतापूर्वक इसकी खेती की जा रही है.

मधुबन गाजर

  • मधुबन गाजर उच्च पौष्टिकता वाली गाजर की एक किस्म है.
  • इसमें बीटा-कैरोटीन (277.75 मिलिग्राम प्रतिकिलो) तथा लौह तत्व (276.7 मिलीग्राम प्रति किलो) मौजूद है.
  • इसे चयन प्रक्रिया द्वारा विकसित किया गया है. इसका उपयोग अन्य मूल्य वर्धित उत्पादों के लिए भी किया जाता है जैसे गाजर चिप्स, गाजर का रस और अचार.
  • जांच की गई सभी किस्मों में बीटा कैरोटीन और लौह तत्व की उच्च मात्रा पाई गई है.
  • उपज और अन्य गुणों के मामले में इस गाजर की किस्म बेहतर है.

जैव समृद्ध फसल क्या है?

  • जैव समृद्ध फसल (bio-fortified crops) चावल, दूध, नमक, आटा आदि खाद्य पदार्थों में लौह, आयोडिन, जिंक, विटामिन ए एवं विटामिन डी जैसे प्रमुख खनिज पदार्थ एवं विटामिन जोड़ने अथवा वृद्धि करने की प्रक्रिया है जिससे इन खाद्य पदार्थों के पोषण स्तर में वृद्धि हो जाती है.
  • इस प्रसंस्करण प्रक्रिया से पहले मूल खाद्य पदार्थों में ये पोषक तत्त्व उपस्थित हो भी सकते हैं और नहीं भी.
  • फोर्टिफिकेशन के माध्यम से अपनी खाद्य आदतों में परिवर्तन किये बिना पोषक तत्त्वों का उपभोग सुनिश्चित किया जा सकता है.

Prelims Vishesh

Operation Sanjeevani :-

  • पिछले दिनों ऑपरेशन संजीवनी के अंतर्गत भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान ने मालदीव को 6.2 टन दवाइयां और अस्पताल में खपत होने वाली सामग्रियां पहुंचाई.
  • इन दवाइयों में lopinavir और ritonavir नामक इन्फ्लुएंजा के टीके और विषाणु प्रतिरोधक औषधियां भी थीं जिनका प्रयोग COVID-19 के रोगियों के उपचार में होता है.

What is National Cadet Corps? :-

  • NCC एक युवा विकास कार्यक्रम है जो 1948 के National Cadet Corps Act XXXI से अस्तित्व में आया.
  • NCC के संचालन में भारतीय सेना के तीनों अंग – थल, वायु और नौ सेना – शामिल रहते हैं.

AarogyaSetu

आरोग्य सेतु एक मोबाइल एप है जिसके माध्यम से अपने ऊपर कोरोना विषाणु के संक्रमण के खतरे का मूल्यांकन स्वयं कर सकते हैं.


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