Sansar डेली करंट अफेयर्स, 08 October 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 08 October 2018


GS Paper 1 Source: The Hindu

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Topic : “Future of Work in India” survey by WEF

संदर्भ

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum – WEF) ने हाल ही में “भारत में कामकाज का भविष्य” विषय पर अपना सर्वेक्षण प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है. इस सर्वेक्षण में WEF ने भारत की 770 कंपनियों का सर्वेक्षण किया था, जो इन प्रक्षेत्रों से सम्बंधित थीं – कपडा, उद्योग, बैंकिंग और वित्तीय सेवाएँ, परिवहन और ढुलाई तथा खुदरा व्यापार.

प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य एवं निष्कर्ष

भारतीय कॉर्पोरेट कर्मियों में बड़ा लैंगिक अंतर : पाँच खुदरा प्रतिष्ठानों में चार में 10% से भी कम महिला कर्मी हैं. सबसे अधिक वृद्धि वाली भारतीय कंपनियाँ स्त्री के बदले पुरुष को काम पर रखना पसंद करती हैं. तकनीकी से जुड़ी नौकरियों में होने वाली वृद्धि से स्त्रियों के बदले पुरुषों को अधिक लाभ पहुँचता है. तीन में से एक कम्पनी पुरुषों को रखना चाहती हैं तथा 10 कंपनियों में से मात्र एक ही अधिक स्त्रियों को रखना चाहती हैं.

आँकड़े : प्रतिवेदन से पता चलता है कि मात्र 2.4% कंपनियाँ ही ऐसी हैं जहाँ आधी या आधी से अधिक स्त्रियाँ हैं. 71% कंपनियों में स्त्रियों की संख्या 10% से कम है. इन 71% कंपनियों में से 30% ऐसी हैं जहाँ एक भी महिला कर्मी नहीं है और 32% ऐसी हैं जहाँ 5% से कम महिलाएँ हैं. यदि प्रक्षेत्रवार देखा जाए तो पता चलता है कि खुदरा प्रक्षेत्र में 79% कंपनियों तथा परिवहन और ढुलाई प्रक्षेत्र में 77% कंपनियों में महिलाएँ 10% से कम हैं. बैंकिंग एवं वित्तीय कंपनियों में महिलाओं की भागीदारी 61% और कपड़ा उद्योग में 64% है.

वैश्विक प्रतिस्पर्धा : भारत में महिला कर्मियों की संख्या 27% मात्र है जो वैश्विक औसत से 25% कम है. भारत में वृद्धि की दर सर्वाधिक है, पर फिर भी मात्र 26% की दर से महिलाओं को काम पर रखा जा रहा है. सच पूछा जाए तो अभी जिस दर से महिलाओं को नौकरी दी जा रही है वह कार्यालय में उनकी वर्तमान भागीदारी की दर से भी कम है.

WEF क्या है?

  • विश्व आर्थिक मंच सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए निर्मित एक अंतर राष्ट्रीय संगठन है.
  • इस मंच पर अग्रणी राजनैतिक व्यवसायी और समाज के अन्य नेता इकठ्ठा लेकर वैश्विक, क्षेत्रीय और औद्योगिक एजेंडा को आकर देते हैं.
  • इसकी स्थापना 1971 में लाभ रहित फाउंडेशन के रूप में हुई थी. इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा में स्थित है.
  • यह स्वतंत्र, निष्पक्ष और किसी विशेष हित से नहीं जुड़ी हुई संस्था है.
  • यह संगठन प्रशासन के उच्चतम मानकों का पालन करते हुए वैश्विक जनहित में उद्यमिता के विकास के लिए कार्यशील है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Task force for closing skills gap in India

संदर्भ

भारत सरकार ने विश्व आर्थिक मंच के सहयोग से भारत में कौशल के स्तर को सुधारने के लिए एक कार्यदल का गठन किया है.

  • यह कार्यदल व्यवसाय, सरकार, सिविल सोसाइटी, शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रक्षेत्रों के अग्रणियों को एक मंच पर लाएगा और देश की शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण-विषयक प्रणालियों को भविष्य के योग्य बनाने की दिशा में तेजी लाने का प्रयास करेगा.
  • इस कार्यदल का लक्ष्य होगा एक ऐसी कार्ययोजना बनाना जो भारत में विद्यमान कौशल की कमियों का समाधान करेगा तथा भारतीय कार्यदल को भविष्य में उत्पन्न होने वाले रोजगारों के योग्य बनाएगा.

महत्त्व

भारत में आधी से अधिक जनसंख्या कामकाज करने वाली उम्र की है. इसलिए देश में टिकाऊ समावेशी वृद्धि एवं विकास के लिए कौशल विकास अत्यंत आवश्यक है.

WEF की कौशल अंतराल को समाप्त करने की परियोजना

इस परियोजना का उद्देश्य वैश्विक एवं राष्ट्रीय मंच तैयार करना है जिससे वर्तमान में कौशल के अंतरालों (skill gap) को दूर किया जा सके और भविष्य के लिए शिक्षा एवं प्रशिक्षण को नए सिरे से गढ़ा जा सके. यह राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर काम करेगा.

  • राष्ट्रीय स्तर : राष्ट्रीय स्तर पर कार्यदल एक ऐसे मंच का प्रावधान करेगा जिसमें सभी हितधारकों के सहयोग से जहाँ-जहाँ कौशल की कमी है, वहाँ-वहाँ उसको दूर किया जायेगा और लोगों को भविष्य के कामकाज के लिए तैयार किया जायेगा.
  • वैश्विक स्तर : वैश्विक स्तर पर कौशल की कमी को दूर करने वाला एक अनौपचारिक वैश्विक संघ होता है जो व्यवसाय, सरकार, सिविल सोसाइटी, शिक्षा और प्रशिक्षण के प्रक्षेत्रों में अग्रणी विशेषज्ञों को आमंत्रित करता है और सर्वसहमति बनाने, विचारों का आदान-प्रदान करने तथा अच्छे मॉडलों और सर्वोत्तम प्रथाओं की पहचान करने में मदद करता है.

वैश्विक व्यावसायिक प्रतिबद्धताएँ

आज श्रम बाजार में रोजगार चाहने वालों की भरमार है तथा श्रमिकों को नए-नए कौशल सिखाने की आवश्यकता अनुभव की जा रही है. इस कारण बहु-राष्ट्रीय कंपनियाँ भी अपने कर्मचारियों के लिए कौशल विकास का प्रयत्न कर रही हैं. इसका समुदाय और जन-सामान्य पर भी अच्छा प्रभाव होगा. यदि कौशल विकास का काम का रणनीतिक रूप से किया जाए तो यह प्रभावकारी सिद्ध होगा और कम्पनियों तथा कर्मचारियों के लिए एक-समान लाभकारी होगा. इस दिशा में पहला कदम उठाते हुए यह मंच वैश्विक, व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं को सुदृढ़ कर रहा है जिससे जनवरी, 2020 तक इसकी पहुँच 10 मिलियन लोगों तक हो सके.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Parker Solar Probe

संदर्भ

सूर्य के रहस्यों के उद्घाटन के लिए नासा द्वारा छोड़े गए ऐतिहासिक पार्कर सौर खोजी यान (Parker Solar Probe) ने अक्टूबर 3, 2018 को सफलतापूर्वक शुक्र गृह को पार कर लिया है.

शुक्र को पार करते समय इस यान की उस ग्रह से दूरी 1,500 मील थी. शुक्र के पास से इतनी दूरी पर गुजरने से यह लाभ होगा कि यह अन्तरिक्षयान अपने परिक्रमा पथ को धीरे-धीरे सूरज के नजदीक ले आएगा. इस प्रक्रिया को ग्रेविटी असिस्ट (gravity assist) कहते हैं. अपने यात्रा के दौरान यह अन्तरिक्षयान शुक्र से छह और ग्रेविटी असिस्ट का सहारा लेगा.

NASA ने हाल ही में अपना पहला ऐसा अंतरिक्ष यान छोड़ा है जो सूर्य के वायुमंडल और उसके सबसे बाहरी भाग अर्थात् Corona का अध्ययन करेगा. Parker Solar Probe नामक यह अन्तरिक्ष यान बनाने में 1.5 billion dollar का खर्च आया है.

मुख्य तथ्य

  • NASA पहले भी इस तरह का मिशन सूर्य के वायुमंडल में भेजा चुका है, पर इस बार का मिशन सूरज के और भी निकट जाएगा जिसके कारण इसे प्रचंड ताप एवं विकिरण का सामना करना पड़ेगा.
  • सूर्य के निकट के पहुँचने के लिए यह मिशन शुक्र के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करेगा.
  • यह मिशन अंत में सूर्य से 3.9 मिलियन miles तक नजदीक पहुँच जाएगा.
  • इस प्रकार यह पिछले किसी भी मिशन की तुलना में सूर्य के सात गुणा अधिक निकट पहुँच जायेगा. उस समय वह बुध के परिक्रमा पथ के भीतर रहेगा.
  • इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य सौर कोरोना (solar corona) में उर्जा एवं ताप की गतिविधियों, सौर पवनों की गति में वृद्धि के कारणों तथा सौर ऊर्जा कणों के विषय में जानकारी लेना है.

कोरोना के अध्ययन की आवश्यकता क्यों?

Corona में सूर्य के धरातल की तुलना में अधिक गर्मी होती है. इसी के चलते सूर्य से सौर पवन निकलते हैं जो पूरे सौरमंडल में लगातार छाते रहते हैं. कभी-कभी यह सौर पवन पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को प्रभावित कर देते हैं जिसके चलते हमारी संचार व्यवस्थाओं को क्षति पहुँचती है. NASA को उम्मीद है कि Corona के अध्ययन से हम इनकी भविष्यवाणी करने में सक्षम हो जायेंगे.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Gaganyaan 2022

संदर्भ

gaganyan mission

संदर्भ

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO एवं रूस के Roscosmos State Corporation for Space Activities (ROSCOSMOS) ने एक स्मृति पत्र हस्ताक्षरित किया है जिसके अनुसार दोनों गगनयान कार्यक्रम के लिए साथ-साथ काम करेंगे.

इस स्मृतिपत्र के अनुसार ROSCOSMOS ने यह प्रस्ताव दिया है कि किसी भारतीय अन्तरिक्ष यात्री को अपने सोयुज़ नामक अंतरिक्षयान (Soyuz spacecraft) पर स्थित अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (International Space Station – ISS) तक लघु प्रशिक्षण हेतु 2022 में ले जाएगा.

गगनयान मिशन के बारे में

भारत के 72वें स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि भारत 2022 में अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्री भेजेगा. इस मिशन को गगनयान मिशन नाम दिया गया है.

भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम

  • इस कार्यक्रम (Gaganyaan mission) का उद्देश्य पृथ्वी कक्ष में एक ऐसा अन्तरिक्ष यान प्रक्षेपित करना है जिसमें दो अथवा तीन अन्तरिक्षयात्री सवार हों.
  • इसके लिए शुरू में अन्तरिक्ष में पृथ्वी के ऊपर 400km की दूरी पर स्थित परिक्रमा पथ पर 2-3 अन्तरिक्ष यात्रियों को 7 दिन के लिए भेजा जाएगा.
  • इसके लिए भारत सरकार ने पिछले बजट में 12.4 billion की राशि निर्धारित कर दी है.
  • इस अंतरिक्षयान का प्रक्षेपण जीएसएलवी मार्क III द्वारा किया जाएगा.

तकनीकी चुनौतियाँ

ISRO को तीन प्रमुख क्षेत्रों में ध्यान देने की जरूरत है – i) पर्यावरण नियंत्रण और जीवनरक्षक प्रणाली (ECLS system) ii) चालक दल सुरक्षा प्रणाली और iii) फ्लाइट सूट सुविधा. इन चुनौतियों के समाधान करने के लिए सरकार ने आवश्यक तैयारी हेतु 145 करोड़ रूपए स्वीकृत किये हैं.

हाल ही में किये गए तकनीकी प्रयोग

  • पिछले महीने ISRO ने “PAD ABORT” अर्थात् अन्तरिक्ष यात्री उद्धार प्रणाली का सफल परीक्षण किया था.
  • इस प्रणाली के माध्यम से यदि कभी प्रक्षेपण विफल हो जाता है तो उस समय अन्तरिक्ष यात्री उससे बाहर निकलकर अपने प्राण बचाने में समर्थ हो जाते हैं.
  • यह परीक्षण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अन्तरिक्ष केंद्र में हुआ था.
  • विदित हो कि अगर भारत इस मिशन (गगनयान मिशन) को सफलतापूर्वक लौंच करता है, तो यह संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा करने वाला चौथा राष्ट्र बन जायेगा.

सफल मानव अन्तरिक्ष यात्रा के लिए आवश्यक है कि हम यात्रा के पश्चात् अन्तरिक्ष यात्रियों को सकुशल पृथ्वी पर वापस ला सकें और साथ ही यह अन्तरिक्ष यान ऐसा हो कि उसमें बैठे अन्तरिक्षयात्री पृथ्वी जैसी दशाओं में रह सकें.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : National Dolphin Research Centre (NDRC)

संदर्भ

बिहार के पटना में स्थित पटना विश्वविद्यालय परिसर में गंगा नदी के तट पर एशिया का सबसे पहला डॉलफिन अनुसंधान केंद्र स्थापित किया जायेगा. इस केंद्र को राष्ट्रीय डॉलफिन अनुसंधान केंद्र (National Dolphin Research Centre – NDRC) नाम दिया गया है.

इस आशय की घोषणा डॉलफिन दिवस (अक्टूबर 5) के अवसर पर की गई. विदित हो कि बिहार हर वर्ष डॉलफिन दिवस का आयोजन करता है जिसका उद्देश्य गंगा नदी में मिलने वाली डॉलफिन की सुरक्षा और संरक्षण करना तथा संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने के प्रति जागरूकता का सृजन करना है.

NDRC की भूमिका

राष्ट्रीय डॉलफिन अनुसंधान केंद्र (NDRC) गंगा नदी में पाए जाने वाले डॉलफिन के संरक्षण और उसके विषय में अनुसंधान के लिए एक बड़ी भूमिका निभाएगा. ज्ञातव्य है कि देश-भर में पाए जाने वाले 3,000 डॉलफिनों में आधे बिहार में ही पाए जाते हैं.

गंगा के डॉलफिन (Gangetic Dolphins)

  • गंगा नदी में मिलने वाले डॉलफिनों को स्थानीय भाषा में “सूँस” कहते हैं. ये सूँस नेपाल, भारत एवं बांग्लादेश की गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना तथा कर्णफूली-संगू नदी-प्रणालियों में निवास करते हैं.
  • IUCN ने इस प्रजाति को संकटग्रस्त श्रेणी में रखा है.
  • यह जानने योग्य बात है कि गंगा के डॉलफिनों के अतिरिक्त मीठे पानी (नदी और झील) के डॉलफिन की अन्य तीन ही प्रजातियाँ हैं – बैजी (जो चीन के Yangtze नदी में होता था, पर अब लुप्त हो गया है), भूलन (पाकिस्तान में सिन्धु नदी में होता है) तथा बोतो (जो लैटिन अमेरिका में अमेज़न नदी में मिलता है).
  • गंगा का डॉलफिन स्तनपायी जीव है जो पानी में साँस नहीं ले सकता है और उसको हर 30-120 सेकंड में पानी से ऊपर साँस लेने के लिए आना पड़ता है. पानी के बाहर निकलकर जब यह साँस लेता है तो एक आवाज़ आती है जिसके कारण इसे सूँस नाम दिया गया है.

डॉलफिन पर खतरे

गंगा नदी के डॉलफिन पर कई खतरे हैं. कई बार मछली मारने वाले गलती से इन्हें फँसा लेते हैं जिससे इनकी मृत्यु हो जाती है. इसके अलावा और कई खतरे हैं, जैसे – डॉलफिन का तेल निकालने के लिए इनका शिकार. इस तेल का उपयोग औषधि के लिए तथा मछलियों को आकर्षित करने के लिए किया जाता है. जल विकास परियोजनाएँ (जैसे – पानी निकासी और बराज/ऊँचा बाँध/सामान्य बाँध), औद्योगिक कचरे, कीटनाशक पदार्थ, शहरों में नाली से पानी नदी में गिरने और नावों-जहाजों के आने-जाने से उत्पन्न होने वाली आवाज़ डॉलफिनों की संख्या कम होने के अन्य कारण हैं. मछली मारने की मशीन भी डॉलफिनों की मृत्यु का एक कारण है क्योंकि इसकी बनावट ऐसी होती है कि इसमें साधारण मछलियों के साथ-साथ डॉलफिन भी पकड़ में आ जाते हैं.

IUCN

  • आईयूसीएन की स्थापना अक्टूबर, 1948 में फ्रांस के फॉन्टेनबेलाऊ शहर में आयोजित हुए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रकृति के संरक्षण के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संघ ( International Union for the Protection of Nature or IUPN) के रूप में की गई थी.
  • 1956 में इस संघ का नाम IUPN से बदलकर IUCN कर दिया गया है अर्थात् अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature and Natural Resources)
  • आईयूसीएन दुनिया का पहला वैश्विक पर्यावरण संगठन है और आज के दिन में यह सबसे बड़ा वैश्विक संरक्षण नेटवर्क है.
  • इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड में जेनेवा के निकट Gland में है.
  • IUCN मानव का प्रकृति के साथ जो व्यवहार है उसका अध्ययन करता है और दोनों के बीच संतुलन को संरक्षित करता है.
  • यह जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ टिकाऊ विकास और खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों पर विचार करता है.

Prelims Vishesh

Tiny spheres to trap water contaminants developed :-

  • वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे-ऐसे छोटे गोले बनाए हैं जो पानी को प्रदूषित करने वाले रसायन bisphenol A (BPA) को पकड़ सकते हैं और उन्हें नष्ट कर सकते हैं. ज्ञातव्य है कि BPA का प्रयोग प्लास्टिक बनाने में होता है.
  • इस रसायन का प्रयोग खाद्य-पदार्थ के डिब्बों, बोतल के ढक्कनों और पानी के पाइपों के भीतरी भाग में परत लगाने में होता है.
  • पहले इसका प्रयोग बच्चों के बोतलों में भी किया जाता था.

JIMEX :-

  • JIMEX उस नौ-सैनिक अभ्यास का नाम है जो भारत और जापान की नौसेनाएँ मिलकर करती हैं.
  • यह 2012 में शुरू हुआ था. अभी हाल में इस प्रकार का तीसरा अभ्यास आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में चल रहा है.

Nobel Peace Prize :-

  • Dr. Denis Mukwege और Nadia Murad को संयुक्त रूप से 2018 का नोबेल शान्ति पुरस्कार दिया गया है.
  • यह पुरस्कार उनके द्वारा यौन हिंसा को युद्ध और सैनिक संघर्ष में एक हथियार के रूप में प्रयोग करने के चलन को समाप्त करने की दिशा में किये गये उनके कार्यों के लिए दिया गया है.
  • ज्ञातव्य है कि नोबेल शान्ति पुरस्कार नोर्वे की संसद् के द्वारा चुनी गई एक समिति देती है.

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