Sansar डेली करंट अफेयर्स, 07 June 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 07 June 2019


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Fixed Dose Combinations (FDCs)

संदर्भ

औषधियों के विषय में परामर्श देने वाले एक निकाय की उपसमिति ने दवा बनाने वाली कंपनियों को कहा है कि वे यह सिद्ध करें कि उनके द्वारा बनाई जाने वाली 324 मिश्रित दवाइयाँ रोगियों के लिए सुरक्षित और कारगर हैं. यदि ये दवाइयाँ सुरक्षित और कारगर हैं तभी इनको भारत में आगे बेचने दिया जाएगा.

पृष्ठभूमि

  • स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा 2014 में गठित एक विशेषज्ञ समिति ने घोषित कर दिया था कि मिश्रित दवाएँ “तर्कहीन” हैं.
  • फिर भी दवा निर्माताओं को 324 मिश्रित दवाओं का बचाव करने के लिए अवसर देते हुए उपसमिति ने उन्हें यह अनुमति दी थी कि वे जून 30 तक सटीक आँकड़ों के साथ अपना पक्ष रखें.

चिंता का विषय 

  • जो FDC अनुमोदित नहीं हैं उनका दुष्प्रभाव निजी क्षेत्री में उपचार कराये जा रहे लोगों पर मुख्य रूप से होगा.
  • भारत में दवाइयों के बारे में निगरानी तन्त्र कमजोर है, अतः इन औषधियों के चलते होने वाले दुष्प्रभाव की घटनाओं के बारे में कोई आँकड़ा उपलब्ध नहीं है.
  • CDSCO के अनुमोदन की प्रक्रिया में बहुत सारी त्रुटियाँ हैं. CDSCO में कर्मचारियों की कमी है, कर्मचारियों में कौशल की कमी है और अवसरंचना भी पर्याप्त नहीं है. सबसे बड़ा दोष यह है कि CDSCO के प्रमुख महा-औषधि नियंत्रक (Drug Controller General of India – DCG) के पूर्वानुमोदन के बिना ही राज्य के लाइसेंस प्राधिकरण दवाओं के निर्माण का लाइसेंस निर्गत कर देते हैं.

FDC क्या है?

नियत डोज के सम्मिश्रण (FDC) वाली दवाएँ दो या अधिक सक्रिय औषधीय तत्त्वों को एक नियत अनुपात  में मिलाकर तैयार की जाती हैं. अमेरिका के स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने वाली संस्था IMS Health के अनुसार 2014 में भारत में जितनी दवाएँ बिक रही थीं, उनमें आधी FDC ही थी. इस प्रकार भारत ऐसी दवाओं का प्रचालन विश्व भर में सबसे ज्यादा है.

FDC भारत में लोकप्रिय क्यों?

भारत में FDC की लोकप्रियता के मुख्य कारण हैं – बढ़ी हुई प्रभावशीलता, घटे हुए दाम और वितरण में सुविधा. FDC दवाएँ उन रोगों के उपचार में कारगर हैं जो संक्रामक होते हैं, जैसे – HIV, मलेरिया, तपेदिक आदि. ये पुरानी बीमारियों में भी काम आती हैं, विशेषकर उन बीमारियों में जिनमें एक से अधिक विकृतियाँ साथ-साथ होती हैं.

FDC के खतरे

जब एक ही उपचार से जुड़ी अनेक दवाएँ, जैसे – एंटी-बायटिक सम्मिश्रित कर दी जाती हैं तो इसके कारण प्रतिरोध (resistance) उत्पन्न हो सकता है. पिछले दिनों सार्वजनिक विज्ञान पुस्तकालय की पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार भारत में बाजार में उपलब्ध 70% NSAID (non-steroidal anti-inflammatory drug) सम्मिश्रण, जिनका प्रयोग दर्द निवारक के रूप में होता है, बिना भारत सरकार की अनुमति के बेची जा रही हैं.

CDSCO क्या है?

  • केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अंतर्गत एक राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण है.
  • औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम (Drugs and Cosmetics Act) के अनुसार CDSCO इन कार्यों के लिए उत्तरदायी है – नई औषधियों का अनुमोदन, चिकित्सकीय परीक्षण, औषधियों के लिए मानक का निर्धारण, आयात की गई औषधियों की गुणवत्ता पर नियंत्रण एवं राज्यों के औषधि नियंत्रण संगठनों के कार्यकलाप का समन्वयन.
  • CDSCO औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने में समरूपता लाने के लिए राज्य औषधि नियंत्रण संगठनों को विशेषज्ञतापूर्ण परामर्श मुहैया करता है.
  • इसके अतिरिक्त CDSCO और राज नियामक निकाय रक्त एवं रक्त उत्पादों, I.V. द्रवों, टीकों और सीरम जैसी महत्त्वपूर्ण दवाओं की विशेष श्रेणियों के लिए लाइसेंस देने हेतु संयुक्त रूप से उत्तरदायी होते हैं.

GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : New START (Strategic Arms Reduction Treaty)

संदर्भ

रूस ने चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका वैश्विक अस्त्र नियंत्रण प्रणाली को ध्वस्त करना जारी रखता है तो रूस अमेरिका के साथ होने वाले नई स्टार्ट संधि (New START treaty) का विचार का त्याग देगा.

रूस का आरोप है कि अमेरिका नई स्टार्ट संधि के विषय में बात करने में रूचि नहीं दिखा रहा है. विदित हो कि इस संधि का उद्देश्य दोनों देशों में आणविक अस्त्रों की संख्या को शीतयुद्ध के समय की संख्या से बहुत नीचे ले आना है.

नई स्टार्ट संधि क्या है?

  • START का पूरा नाम है – Strategic Arms Reduction Treaty.
  • यह संधि अमेरिका और रूस के बीच आणविक अस्त्रों की संख्या घटाने से सम्बंधित है.

संधि में निहित प्रस्ताव

  • सामरिक आणविक मिसाइल लांचरों की संख्या आधी कर दी जायेगी.
  • SORT प्रणाली के स्थान पर जाँच और सत्यापन की एक नई प्रणाली स्थापित की जायेगी.
  • तैनात रणनीतिक आणविक अस्त्रों की संख्या 1,550 तक सीमित कर दी जायेगी. विदित हो कि यह संख्या मूल स्टार्ट संधि में प्रस्तावित संख्या से लगभग 2/3 कम है और 2002 की मास्को संधि में प्रस्तावित संख्या से 10% कम है.
  • नई स्टार्ट संधि तैनात अथवा गैर-तैनात दोनों प्रकार के अंतरमहादेशीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) लौन्चरों, पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) लौन्चरों तथा आणविक अस्त्रों से युक्त भारी बमवर्षकों की संख्या घटाकर 800 कर देगी.

लक्ष्य प्राप्ति के लिए निर्धारित संधि

नई स्टार्ट संधि में प्रस्ताव है कि जिस दिन यह संधि प्रभावशील होगी उस दिन से सात वर्षों के भीतर ऊपर वर्णित किये गये सभी प्रस्ताव लागू हो जाने चाहिएँ. स्वयं यह संधि दस वर्षों तक चलेगी और यदि रूस और अमेरिका दोनों सहमत हों तो इसे अगले पाँच वर्षों के लिए नया भी किया जा सकता है.


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : NITI Aayog

संदर्भ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग के पुनर्गठन का अनुमोदन कर दिया है.

नीति आयोग क्या है?

राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्था (The National Institution for Transforming India : NITI आयोग) का गठन 1 जनवरी, 2015 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल के एक प्रस्ताव के माध्यम से किया गया था. यह भारत के एक प्रमुख नीतिगत “थिंक टैंक” के रूप में उभरा है, जो सहकारी संघवाद की भावना को बढ़ावा देता है.

कार्य

  • राष्ट्रीय उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों तथा रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना.
  • सशक्त राज्य ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकता है इस तथ्य की महत्ता को स्वीकारते हुए राज्यों के साथ सतत आधार पर संरचनात्मक सहयोग की पहल और तन्त्र के माध्यम से सहयोगपूर्ण संघवाद (federalism) को बढ़ावा देना.

अन्य उद्देश्य

  • ग्रामीण स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने के लिए तन्त्र (mechanism) विकसित करना.
  • आर्थिक प्रगति के लाभों से वंचित समाज के वंचित वर्गों पर विशेष ध्यान केन्द्रित करना.
  • रणनीतिक और दीर्घकालिक नीति की रूपरेखाओं का निर्माण तथा उनकी प्रगति एवं क्षमताओं की निगरानी करना.
  • राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, पेशेवरों तथा अन्य हितधारकों के एक सहयोगात्मक समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवाचार और उद्यमिता समर्थन प्रणाली का सृजन करना.

नीति आयोग की बनावट

  1. इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हुआ करते हैं.
  2. इसकी प्रशासी परिषद् में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र प्रशाषित क्षेत्रों के उप-राज्यपाल होते हैं.
  3. इसमें सम्बंधित विषयों के विशेषज्ञ, ज्ञाता, पेशेवर प्रधानमन्त्री द्वारा आमंत्रित किये जाते हैं.
  4. विशिष्ट कार्यकाल निर्धारित करते हुए विशेष मामलों और एक से अधिक राज्यों से सम्बंधित आवश्यक मुद्दों पर विचार करने के लिए क्षेत्रीय प्राशासी परिषदें (Regional Councils) भी गठित की जाती हैं.
  5. क्षेत्रीय परिषद् को प्रधानमन्त्री आहूत करते हैं.
  6. क्षेत्रीय परिषद् नीति आयोग के अध्यक्ष अथवा उनके द्वारा नामित व्यक्ति (nominee) होते हैं.

नीति आयोग के मुख्यालय में निम्नलिखित व्यक्ति कार्यरत होते हैं

  • उपाध्यक्ष: प्रधानमन्त्री द्वारा नामित
  • सदस्य: पूर्णकालिक
  • अंश-कालिक सदस्य: अधिकतम दो (शीर्षस्थ विश्वविद्यालय संस्थानों आदि से चयनित). ये सभी पदेन सदस्य होंगे और इनकी नियुक्ति चक्रीय पद्धति (rotational basis) से होगी.
  • पदेन सदस्य: प्रधानमन्त्री द्वारा नामित केन्द्रीय मंत्रिमंडल के अधिकतम 4 मंत्री.
  • मुख्य प्रशासी अधिकारी: निश्चित कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री द्वारा नामित भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी.
  • सचिवालय: जैसा आवश्यक समझा जाए.

GS Paper  3 Source: PIB

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Topic : Shanta Kumar Committee

संदर्भ

पिछले दिनों भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री रामविलास पासवान ने भारतीय खाद्य निगम के लिए भावी कार्ययोजना का उद्घाटन किया.

इस कार्ययोजना में शांता कुमार समिति की अनुशंसाओं के अनुरूप भारतीय खाद्य निगम की कार्य पद्धति को सही दिशा में लाने और तीव्र करने के प्रयास को प्राथमिकता दी गई है.

पृष्ठभूमि

शांता कुमार समिति की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया था. इस समिति को यह सुझाव देना था कि किस प्रकार भारतीय खाद्य निगम के वित्तीय प्रबंधन तथा अनाज के क्रय, भण्डारण  और वितरण में संचालनात्मक कौशल कैसे लाया जाए.

शांता कुमार समिति के मुख्य सुझाव

  • खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अधीन लाभार्थियों की संख्या को वर्तमान के 67% से घटाकर 40% किया जाए.
  • निजी प्रतिष्ठानों को अनाजों के क्रय एवं भंडारण की अनुमति दी जाए.
  • राज्यों द्वारा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दिया जाने वाला बोनस बंद किया जाए.
  • नकद स्थानान्तरण प्रणाली अपनाई जाए जिससे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और खाद्य सब्सिडी की राशि किसानों एवं खाद्य सुरक्षा लाभार्थियों के खातों में सीधे जमा हो सके.
  • भारतीय खाद्य निगम अनाज की खरीद उन्हीं राज्यों में करे जहाँ बहुत कम मात्रा में ऐसी खरीद हो पाती है. कहने का अभिप्राय यह हुआ कि जो राज्य क्रय के मामले में अच्छा काम कर रहे हैं, जैसे – हरियाणा, पंजाब, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा, वहाँ खरीद का काम राज्य सरकारें ही करें.
  • सरकारी लेवी चावल की नीति समाप्त कर दे. ज्ञातव्य है कि लेवी चावल वह चावल है जो सरकार मिलों से अनिवार्य रूप से ले लेती है. सरकार के द्वारा लिया जाने वाला चावल अलग-अलग राज्यों में उन उत्पादन का 25 से 75 प्रतिशत होता है. नियम यह है कि लेवी चावल दे देने के बाद बचे चावल को ही मिल खुले बाजार बेच सकते हैं.
  • खाद्य प्रक्षेत्र का नियमन बंद कर दिया जाए अर्थात् उसे मुक्त छोड़ दिया जाए तथा किसानों को प्रति हेक्टेयर 7,000 रु. की नकद सब्सिडी दी जाए.
  • शांता कुमार समिति ने आह्वान किया है कि गोदाम रसीद की परक्राम्य प्रणाली (negotiable warehouse receipt – NWR) स्थापित की जाए. नई प्रणाली में किसान अपनी पैदावार पंजीकृत गोदामों में जमा कर सकेंगे और बैंकों से अपनी पैदावार पर 80% का अग्रिम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के आधार पर ले सकते हैं.
  • समिति का सुझाव है कि बफर भंडार के लिए एक स्पष्ट और पारदर्शी तरलता नीति अपनाई जाए और इसके लिए भारतीय खाद्य निगम को अपना काम करने में अधिक लचीलापन दिया जाए. निगम को चाहिए कि वह आवश्यकतानुसार अधिकायी भंडार को निर्यात में लगाया करें.

Prelims Vishesh

World Food Safety Day :-

  • जून 7 को पहला विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है.
  • इसके लिए 2018 में ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प किया था.
  • इस पहले विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के लिए चुनी गई थीम है – खाद्य सुरक्षा, सब का सरोकार/ ‘Food Safety, everyone’s business’
  • विश्व-भर में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए किये जाने वाले प्रयासों के लिए संयुक्त राष्ट्र ने अपनी इन दो एजेंसियों का चयन किया है – खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO).

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