Sansar डेली करंट अफेयर्स, 07 February 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 07 February 2020


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Table of Contents

Topic : Purified Terephthalic Acid (PTA)

संदर्भ

सरकार ने घोषणा की है कि वह “सार्वजनिक हित” के लिए PTA नामक एक रसायन के आयात पर लगने वाली एंटी-डंपिंग शुल्क को समाप्त कर रही है.

सरकार के इस निर्णय का प्रभाव

पॉलिएस्टर के घरेलू निर्माताओं ने सरकार के इस निर्णय की सराहना की है और कहा है कि सरकार के इस कदम से पॉलिएस्टर विनिर्माताओं को बड़ी राहत मिली है. वे साढ़े चार साल से शुल्क हटाने की माँग कर रहे थे.

सरकार का यह निर्णय कैसे आया?

  1. पॉलिएस्टर के घरेलू निर्माताओं की सदा यह माँग रही थी कि उनको उस PTA सस्ती दर में लेने की छूट मिले चाहे इसके लिए आयत ही क्यों न करना पड़े.
  2. उनके मतानुसार यदि उनको PTA जैसी अत्यावश्यक सागरी सही दाम पर मिल जायेगी तो इससे कपड़ा उद्योग में भयंकर संभावनाओं का रास्ता निकल आएगा और रोजगार के अवसर भी अच्छे-खासे बढ़ेंगे.
  3. चीन, ताइवान, मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, कोरिया और थाईलैंड जैसे देशों से PTA आयात करने पर आयातकों को शुल्क के कारण प्रति 1,000 किलोग्राम पर अलग से $27-$160 का खर्च बैठता था.
  4. यह शुल्क हटाने से PTA का उपयोग करने वाले अंतर्राष्ट्रीय बाजार से इसे मँगा सकेंगे और उनके लिए PTA प्रति 1,000 किलोग्राम $30 अधिक सस्ता हो जायेगा.

PTA क्या है?

  • PTA का पूरा नाम है – Purified Terephthalic Acid.
  • प्यूरीफाइड टेरेफ्थिक एसिड (पीटीए) एक कच्चा माल है जिसका प्रयोग पॉलिएस्टर कपड़ों सहित विभिन्न उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है, जैसे – खिलाड़ियों द्वारा पहने जाने वाले वस्त्र, स्विमसूट, कपड़े, पतलून, पर्दे, सोफा कवर, जैकेट, कार की सीट कवर और बेड शीट में पॉलिएस्टर का एक निश्चित अनुपात होता है.
  • PTA किसी ​​पॉलिएस्टर उत्पाद का लगभग 70-80% हिस्सा बनाने में सहायक होता है.

डंपिंग क्या है? एंटी डंपिंग शुल्क क्यों अध्यारोपित की जाती है?

  • किसी देश द्वारा दूसरे देश में अपने उत्पादों को लागत से भी कम दाम पर बेचने को डंपिंग कहा जाता है.
  • इसके फलस्वरूप घरेलू उद्योगों का सामान महंगा पड़ने के कारण वे बाजार में पिट जाते हैं.
    सरकार इसे रोकने के लिए निर्यातक देश में उत्पाद की लागत और अपने यहां मूल्य के अंतर के बराबर शुल्क लगा देती है. इसे ही डंपिंगरोधी शुल्क यानी एंटी डंपिंग शुल्क कहा जाता है.
  • अगर एक देश के किसी उत्पाद की क़ीमत 100 रुपए है तो वह उसी क़ीमत पर दूसरे देश को निर्यात कर सकता. अगर वह 70 या 80 रुपए में उसे निर्यात करेगा तो उसपर आयात करने वाले देश की सरकार ऐंटी डंपिंग शुल्क लगा सकती है. जिससे देश की उन इकाइयों को नुक़सान न हो जो उस तरह का माल तैयार कर रही हैं.
  • एंटी-डंपिंग शुल्क लागू होने की तिथि से 5 वर्ष के लिये वैध होता है. यह अवधि पूर्ण होने पर इसे WTO के डंपिंग रोधी समझौते (Anti-Dumping Agreement) के अनुच्छेद 11.3 के अनुसार सनसेट समीक्षा के पश्चात् पाँच साल के लिये और बढ़ाया जा सकता है.

पृष्ठभूमि

विश्व व्यापार को खोलने के उद्देश्य से विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों के बीच एक समझौता हुआ जिसके अधीन सदस्य देश अपना माल एक दूसरे के यहां निर्यात कर सकें. इसके लिए अनुकूल सुविधाएं प्रदान करना, कस्टम शुल्क कम करना और प्रतिबंध हटाना शामिल था. लेकिन उदारीकरण के साथ-साथ कुछ शर्तें भी तय की गईं जिससे कोई देश इसका नाजायज़ फ़ायदा न उठा सके.


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : East Asia Summit

संदर्भ

पूर्व एशियाई देशों के शिखर सम्मेलन (East Asia Summit) के तत्त्वाधा में चौथे समुद्री सुरक्षा सम्मेलन की मेजबानी 06-07 फरवरी को भारत चेन्नई में करेगा.

विदित हो कि इस सम्मेलन का आयोजन ऑस्ट्रेलिया औऱ इंडोनेशिया की साझेदारी में किया जा रहा है. इस सम्मेलन के आयोजन में भारत के नेशनल मेरीटाइम फाउंडेशन और रिसर्च एंड इनफार्मेशन सिस्टम्स (आऱ आई एस) को ज्ञान साझेदार बनाया गया है.

पृष्ठभूमि

इस सम्मेलन का आयोजन दिल्ली में 2015 में किया गया था. उसके बाद 2016 में गोवा, 2018 में भुबनेश्वर में इस सम्मेलन का आयोजन किया गया. 2019 में इस सम्मेलन का आयोजन थाईलैंड के बैंकाक में किया गया था.

पूर्वी एशियाई शिखर सम्मलेन क्या है?

  • प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वालापूर्वी एशियाई शिखर सम्मलेन एक मंच है जिसमें आरम्भ में पूर्वी एशिया, दक्षिण पूर्वी एशिया एवं दक्षिणी एशिया के 16 देश शामिल हुए थे. बाद में सम्मलेन की 2011 में होने वाली बैठक में सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 18 कर दी गई और इसमें रूस और अमेरिका भी शामिल हो गये.
  • इस सम्मलेन की पहली बैठक 14 दिसम्बर, 2005 को मलेशिया के क्वालालम्पुर में हुई थी.
  • पूर्वी एशियाई शिखर सम्मलेन (East Asia Summit) में राजनैतिक सुरक्षागत एवं आर्थिक मामलों में विचारों का आदान-प्रदान और सहयोग किया जाता है. जिन विषयों में सहयोग को प्राथमिकता दी जाती है, वे हैं – पर्यावरण, ऊर्जा, शिक्षा, वित्त, वैश्विक स्वास्थ्य के मामले, सर्वव्यापी रोग, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन एवं ASEAN देशों के बीच आपस सम्पर्क.
  • 2017 के नवम्बर में मनीला, फिलीपींस में सम्पन्न बैठक में पूर्वी एशियाई शिखर सम्मलेन ने सामुद्रिक सहयोग को भी अपनी प्राथमिकताओं में शामिल कर लिया.

EAS का इतिहास

  • पूर्व-एशिया के देशों का समूह बनाने की अवधारणा सबसे पहले मलेशिया के प्रधानमंत्री Mahathir bin Mohamadने 1991 में प्रस्तुत की थी. आगे चलकर 2002 में पूर्व एशिया अध्ययन समूह ने एक अंतिम प्रतिवेदन दिया.  यह समूह ASEAN+3 देश (चीन, जापान और द.कोरिया) द्वारा गठित किया गया था. इस समूह ने पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन की अवधारणा को स्वरूप देने की अनुशंसा की थी.
  • जुलाई 26, 2005 कोVientiane में सम्पन्न ASEAN की मंत्रीस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पहले EAS में आसियान, चीन, जापान, द. कोरिया के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया, भारत और न्यूज़ीलैण्ड को शामिल किया जाए. कालांतर में बाली इंडोनेशिया में EAS की छठी बैठक में 19 नवम्बर, 2011 में रूस और अमेरिका को EAS के अन्दर औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गया.

GS Paper 3 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Major crops cropping patterns in various parts of the country, different types of irrigation and irrigation systems storage.

Topic : Locust attacks

संदर्भ

पिछले कुछ सप्ताहों से पश्चिम और दक्षिण एशिया तथा पूर्व अफ्रीका के कई देशों में टिड्डियों का आक्रमण (locust attacks) देखा जा रहा है.

इनसे कौन-से देश प्रभावित हो रहे हैं?

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने टिड्डियों के प्रकोप के तीन हॉटस्पॉट का पता लगाया है जहाँ परिस्थिति अत्यंत ही खतरनाक बताई जा रही है, ये हैं – हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका, लाल सागर क्षेत्र और दक्षिण-पश्चिम एशिया.

इन हॉटस्पॉट में स्थिति अभी क्या है?

  1. इन तीनों में हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका को दुष्प्रभावित क्षेत्र बताया जा रहा है जहाँ FAO के अनुसार, खाद्य सुरक्षा और रोजगार पर अभूतपूर्व खतरा मंडरा रहा है.
  2. यूथोपिया और सोमालिया से निकलर ये टिड्डी दल दक्षिण में केन्या और अफ्रीका 14 अन्य देशों तक चले गये हैं.
  3. लाल सागर क्षेत्र में इन टिड्डियों का प्रकोप सऊदी अरब, ओमान और यमन में देखा जा सकता है.
  4. दक्षिण-पश्चिम एशिया में इनसे ईरान, पाकिस्तान और भारत में क्षति की सूचना मिल रही है.
  5. पाकिस्तान और सोमालिया ने पिछले दिनों टिड्डियों के प्रकोप को देखते हुए आपातकाल घोषित कर दिया है.

टिड्डी क्या होते हैं?

टिड्डी छोटे श्रृंगों वाले ग्रासहोपर होते हैं जो उत्पाती भीड़ बनाकर लम्बी दूरी तक (1 दिन में 50 किलोमीटर तक) चले जाते हैं और इसी बीच उनकी संख्या तेजी से बढ़ती जाती है.

भारत में चार प्रकार के टिड्डे पाए जाते हैं –

  1. मरुभूमि टिड्डा (Schistocerca gregaria)
  2. प्रव्राजक टिड्डा (Locusta migratoria)
  3. बम्बई टिड्डा (Nomadacris succincta)
  4. पेड़ वाला टिड्डा (Anacridium)

टिड्डे कैसे क्षति पहुंचाते हैं?

ये हजारों के झुण्ड में आते हैं और पत्ते, फूल, फल, बीज, छाल और फुनगियाँ सभी खा जाते हैं और ये इतनी संख्या में पेड़ों पर बैठते हैं कि उनके भार से ही पेड़ नष्ट हो जाते हैं.

भारत और विश्व-भर में सबसे विध्वंसकारी कीट मरुभूमि टिड्डा होता है. इसका एक वर्ग किलोमीटर तक फैला छोटा झुण्ड एक दिन में उतना ही अनाज खा जाता है जितना 35,000 लोग खाते हैं.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : Sophisticated Analytical & Technical Help Institutes (SATHI)

संदर्भ

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology) ने परिष्कृत विश्लेषणात्मक और तकनीकी सहायता संस्थान (Sophisticated Analytical & Technical Help Institutes- SATHI) नामक एक योजना शुरू की.

विदित हो कि ‘साथी’ की स्थापना के लिए आईआईटी-दिल्ली का चयन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा किया गया है. अपने उत्कृष्ट अनुसंधान एवं विकास कार्यों, प्रबंधकीय तथा प्रशासनिक क्षमता और बुनियादी ढांचे की उपलब्धता के चलते आईआईटी-दिल्ली का चयन ‘साथी’ सुविधा केंद्र की स्थापना के लिए किया गया है.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने पहले ही देश में तीन ऐसे केंद्र स्थापित किये हैं जो IIT खड़गपुर, IIT दिल्ली और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में स्थित हैं.

लाभ

  • परिष्कृत विश्लेषणात्मक और तकनीकी सहायता संस्थान (साथी) नामक इस केंद्र को स्थापित करने का उद्देश्य शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए एक ही छत के नीचे उच्च दक्षता से युक्त तकनीकी सुविधाएं मुहैया कराना है.
  • इस सुविधा केंद्र का लाभ अकादमिक संस्थानों, स्टार्टअप कंपनियों, विनिर्माण इकाइयों, उद्योगों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं को मिल सकेगा.
  • इसका उद्देश्य शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिये एक ही छत के नीचे उच्च दक्षता से युक्त तकनीकी सुविधाएँ मुहैया कराना है जिससे शिक्षा, स्टार्ट-अप, विनिर्माण, उद्योग और आरएंडडी लैब आदि की ज़रूरतें आसानी से पूरी हो सकें.
  • इन केंद्रों में उच्च विश्लेषणात्मक परीक्षण द्वारा सामान्य सेवाएँ प्रदान करने के लिये प्रमुख विश्लेषणात्मक उपकरणों को विकसित किया जाएगा जिससे विदेशी उपकरणों पर निर्भरता में कमी आएगी.
  • इनका संचालन ओपन एक्सेस पॉलिसी के तहत पारदर्शी तरीके से किया जाएगा.

आगे की राह

सरकार द्वारा ‘साथी’ की स्थापना भारत में प्रयोगात्मक अनुसंधान कार्यों को नई ऊंचाई पर ले जाने में परिवर्तनकारी साबित हो सकती है. इस परियोजना के अंतर्गत स्थापित सुविधाओं के अलावा, संस्थान में उपलब्ध अन्य अनुसंधान सुविधाओं का लाभ भी ‘साथी’ केंद्र में मिल सकेगा. छात्रों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों से जुड़ी वैज्ञानिक एवं तकनीकी कठिनाइयों को दूर करने में आईआईटी-दिल्ली के संकाय सदस्य और शोधकर्ता इस सुविधा केंद्र में उनकी मदद के लिए तैयार रहेंगे.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : Global Go To Think Tank Index

संदर्भ

पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय ने प्रत्येक वर्ष की भाँति इस बार भी ग्लोबल गो टू थिंक टैंक सूचकांक प्रकाशित कर दिया है. विदित हो कि विश्व में अधिकांश देशों में कई ऐसे संगठन होते हैं जो सरकार आदि को नीति-निर्माण में सहायता पहुंचाते हैं. इन्हें थिंक टैंक कहा जाता है. सबसे अधिक थिंक टैंक अमेरिका में (1,871) हैं. इसके बाद भारत का स्थान (509) आता है.

ग्लोबल गो टू थिंक टैंक सूचकांक क्या है?

  • यह सूचकांक 2008 से प्रतिवर्ष निर्गत होता आया है.
  • यह सूचकांक सार्वजनिक नीति संशोधन से सम्बंधित विश्लेषण और संग्लन संगठनों का मूल्यांकन करता है. इस मूल्यांकन से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय विषयों से सम्बंधित नीति उन्मुख शोध, विश्लेषण और परामर्श का सृजन होता है.
  • इस सूचकांक का दावा है कि इसके बल पर नीति निर्माता और जन साधारण सार्वजनिक नीति के विषय में सोचे-समझे निर्णय लेते हैं.

थिंक टैंकों की रैंकिंग कैसे होती है?

इस सूचकांक में थिंक टैंकों के नामांकन और रैंकिंग के लिए निम्नलिखित मानदंडों पर विचार होता है – नेतृत्व, कर्मचारियों की प्रतिष्ठा, किये गये शोध एवं विश्लेषण की गुणवत्ता एवं प्रसिद्धि, उत्कृष्ट विद्वानों और विश्लेषकों की नियुक्ति और उनको अपने संग बनाए रखने की क्षमता, शैक्षणिक प्रदर्शन और ख्याति, नीति निर्माताओं पर थिंक टैंक के अनुसंधान एवं कार्यक्रमों की छाप तथा नीति निर्माताओं के बीच इसका सम्मान.

थिंक टैंकों का वैश्विक प्रदर्शन

  1. सूचकांक में शीर्षस्थ स्थान अमेरिका के Carnegie Endowment for International Peace को मिला है और उसके पश्चात् बेल्जियम के Bruegel and French Institute of International Relations (IFRI) का स्थान है.
  2. यूनाइटेड किंगडम के Chatham House को सूची में छठी रैंकिंग दी गई है.

भारतीय थिंक टैंकों का प्रदर्शन

  • भारत की दृष्टि से सर्वोच्च रैंकिंग पाने वाला संस्थान Centre for Science and Environment (CSE) है जिसे इस बार 16वाँ स्थान मिला है जबकि पिछली बार इसका स्थान 18वाँ रहा था. सर्वश्रेष्ठ स्वतंत्र थिंक टैंकों की श्रेणी में CSE तीन स्थान ऊपर चढ़कर 123वें पर पहुँचा है. ऊर्जा एवं संसाधन नीति के प्रति समर्पित 60 संगठनों में CSE को 41वाँ स्थान मिला है.
  • इस सूचकांक में भारत के Observer Research Foundation (ORF) ने 90 स्थानों की छलांग लगाई है और उसे 176 वैश्विक थिंक टैंकों में 27वाँ रैंक दिया गया है.
  • जहाँ तक राजनीतिक दल से सम्बद्ध थिंक टैंकों का प्रश्न है, भारत के थिंक टैंकों में सबसे ऊँचा स्थान श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन को मिला है. वैसे वैश्विक सूची में इसका स्थान 38 संस्थानों में 31वाँ है.
  • इस सूचकांक में 36वाँ और 37वाँ स्थान क्रमशः इंडिया फाउंडेशन तथा विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन को मिला है.

सूचकांक प्रतिवेदन में वर्णित कुछ बातें

इस प्रतिवेदन में बताया गया है कि आज विश्व में थिंक टैंकों को कुछ खतरों का सामना करना पड़ रहा है. प्रतिवेदन में आह्वान किया गया है कि थिंक टैंकों को चाहिए कि वे राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भागीदारी विकसित करें तथा ऐसे नये और नवाचारी मंचों का सृजन करें जिनके माध्यम से सदा विस्तृत होते नागरिक श्रोता वर्ग, नीति निर्माताओं और व्यवसाय जगत को लाभ मिल सके.


Prelims Vishesh

Bhutan’s new tourism fee :-

  • भूटान ने हाल ही में क्षेत्रीय पर्यटकों के लिए एक नई प्रणाली शुरू की है. इस प्रणाली को ‘सतत विकास शुल्क’ कहा गया है.
  • यह शुल्क ना केवल भारत बल्कि मालदीव, बांग्लादेश के पर्यटकों को भी देना होगा.
  • भूटान सरकार ने यह फैसला भूटान में तेजी से बढ़ते पर्यटकों की संख्या को देखते हुए नई पर्यटन नीति के तहत लिया है. यह फैसला भूटान सरकार की ओर से पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु लिया गया है.

Longest Spaceflight by a Woman: Christina Koch :-

  • लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड कायम करने के बाद अमेरिकी अंतरिक्षयात्री क्रिस्टिना कोच (Christina Koch) गुरुवार को वापस पृथ्‍वी पर लौट आईं.
  • वहां उन्‍होंने रिकॉर्ड 328 दिन बिताए. विदित हो कि उन्‍होंने वर्ष 2019 में महिलाओं के दल का स्‍पेसवॉक में नेतृत्‍व किया था.
  • पिछला रिकॉर्ड अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी विटसन (Peggy Whitson) के नाम था. विटसन ने वर्ष 2016-17 के दौरान स्टेशन कमांडर के तौर पर 288 दिन तक अंतरराष्‍ट्रीय अंतरिक्ष स्‍टेशन में रहीं थी.

Lucknow Declaration :

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी 5 फरवरी, 2020 को लखनऊ, उत्‍तर प्रदेश में डेफएक्‍सपो 2020 के उद्घाटन समारोह की अध्‍यक्षता करेंगे.
  • द्विवार्षिक विशाल रक्षा प्रदर्शनी डेफएक्‍सपो का यह 11वां संस्‍करण है, जिसमें 1000 राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय कंपनियां अपना सामान प्रदर्शित करेंगी, भारत में यह अब तक का सबसे बड़ा डेफएक्‍सपो है.
  • एक्‍सपो की थीम है : ‘भारत: उभरता हुआ रक्षा निर्माण केन्‍द्र’.
  • इस प्रदर्शनी का उद्देश्‍य रक्षा क्षेत्र की महत्‍वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को एक स्‍थान पर लाना और सरकार, निजी निर्माताओं तथा स्‍टार्टअप को अनगिनत अवसर प्रदान करना है.

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