Sansar डेली करंट अफेयर्स, 06 December 2019

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 06 December 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Development processes and the development industry the role of NGOs, SHGs, various groups and associations, donors, charities, institutional and other stakeholders

Topic : ‘Eat Right Movement’ Campaign

संदर्भ

मुंबई सेंट्रल रेलवे स्‍टेशन देश का पहला “सही खाओ स्‍टेशन” है, जिसे भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने प्रमाणित किया है.

  • इस स्टेशन को एफएसएसएआई ने 4 स्टार रेटिंग दी है.
  • यह उपलब्धि खाद्य सुरक्षा और खाने-पीने के सामान में स्वच्छता के पालन, हेल्दी फूड की उपलब्धता, रिटेल/सर्विंग प्‍वाइंट और खाद्य सुरक्षा पर जागरूकता फैलाने के लिए हासिल हुई है.
  • भारतीय रेलवे ने यात्रियों को स्‍वस्‍थ एवं सही आहार उपलब्ध कराने के लिए ‘ईट राइट स्‍टेशन’ अभियान शुरू किया, जो एफएसएसएआई द्वारा वर्ष 2018 में शुरू किए गए
    “सही खाओ आन्दोलन” का एक हिस्‍सा है.

सही खाओ आन्दोलन क्या है?

  • यह आन्दोलन भारत सरकार के अन्य जनस्वास्थ्य कार्यक्रमों से सम्बद्ध अभियान है, जैसे – पोषण अभियान, अनीमिया मुक्त भारत, आयुष्मान भारत योजना और स्वच्छ भारत मिशन.
  • इसका आरम्भ FSSAI ने किया है.
  • इस आन्दोलन का उद्देश्य अगले तीन वर्षों के भीतर नमक, चीनी और तेल की खपत को 30% घटा देना है.
  • इस कार्यक्रम में लोगों को बताया जाता है कि वे सही खान-पान का चुनाव करें और स्वास्थ्य में सुधार लाएँ.

सही खाओ आन्दोलन के मुख्य अवयव

  • इस आन्दोलन के लिए FSSAI ने तीन मुख्य लक्ष्य निर्धारित किये हैं – सुरक्षित खाओ, स्वास्थ्यकर खाओ और ऐसा भोजन खाओ जो सतत उपलब्ध हो.
  • उपयोग में लाये हुए खाद्य तेल को फिर से उपयोग में लाने से होने वाली हानियों से लोगों को बचाने के लिए ने FSSAI ने खाद्य तेल में कुल ध्रुवीय यौगिकों (Total Polar Compounds – TPC) की अधिकतम सीमा 25% कर दी है.

TPC क्या है?

  • कई देशों में तेल की गुणवत्ता को मापने के लिए Total Polar Compounds – TPC का उपयोग किया जाता है. ज्ञातव्य है कि बार-बार तेल को गरम किये जाने से TPC का स्तर बढ़ जाता है. कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि भोजन के बिना तेल को गर्म करने के दौरान TPC का स्तर कम होता है जबकि यदि भोजन के साथ तेल को गर्म या फ्राई किया जाए तो TPC का स्तर बढ़ जाता है.
  • विदित हो कि यदि दैनिक प्रयोग में लाये जाने वाले तेल में TPC का स्तर ऊँचा हो तो इससे उच्च रक्तचाप, धमनी से सम्बंधित रोग, अल्जाइमर रोग और जिगर की बीमारी जैसी स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं.

FSSAI क्या है ?

  1. FSSAI का full form है – Food Safety and Standards Authority of India.
  2. इसकी स्थापना खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत की गई है.
  3. 2006 के पहले खाद्य सुरक्षा से सम्बंधित कई अधिनियम एवं आदेश थे जो विभिन्न मंत्रालयों द्वारा निर्गत किये गये थे. इन सभी को समेकित कर 2006 में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 पारित किया गया था.
  4. इस अधिनियम के तहत स्वस्थ भोजन के लिए निर्माण, भंडारण, वितरण, विक्रय-निर्यात आदि सभी स्तरों पर खाद्य-पदार्थ के लिए विज्ञान पर आधारित मानक निर्धारित किये गये हैं.
  5. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार FSSAI का प्रशासनिक मंत्रालय है.
  6. इसका अध्यक्ष भारत सरकार के सचिव-स्तर का होता है.
  7. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes.

Topic : Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Bill, 2019

संदर्भ

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मातापिता और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण एवं भरणपोषण संशोधन विधेयक 2019 को हाल ही में मंजूरी दे दी.

पिता और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण एवं भरणपोषण संशोधन विधेयक 2019 के मुख्य तथ्य

  • इसमें वरिष्ठ नागरिकों की बुनियादी जरूरतों, सुरक्षा एवं कल्याण प्रदान करने की बात कही गई है.
  • विधेयक में वरिष्ठ नागरिकों के मकसद से आश्रय गृह के पंजीकरण एवं रख-रखाव के लिये न्यूनतम मानक सहित घरेलू सेवा प्रदाता एजेंसियों के पंजीकरण का प्रस्ताव किया गया है.
  • इसमें रखरखाव के लिए दी जाने वाली 10,000 रुपये की सीमा को अब हटा दिया जाएगा. साथ ही इस तरह के विवाद में किसी भी अपील को ट्रिब्यूनल में जाने के 90 दिन के भीतर निपटाने की व्यवस्था की गई है. अगर वरिष्ठ नागरिक की उम्र 80 साल से ज्यादा है तो उस स्थिति में ऐसे आवेदन को 60 दिन में निपटाना जरूरी होगा. विधेयक में जोड़ी गई कुछ विशेषताओं में 80 वर्ष से अधिक उम्र के उन वरिष्ठ नागरिकों की शिकायत को प्राथमिकता देने की बात कही गई है, जिनके बच्चे उनकी उपेक्षा करते हैं या सही ढंग से उनकी देखभाल नहीं करते हैं.
  • इसके साथ ही नए विधेयक में “देखभाल” शब्द को भी परिभाषित किया गया है जिसमें रहने का इंतजाम और सुरक्षा देने को सम्मिलित किया गया है. बुजुर्गों के लिए रखरखाव की राशि को वरिष्ठ नागरिक, परिजन, बच्चे और रिश्तेदारों की कमाई के आधार पर तय किया जाएगा.
  • बुजुर्गों तक पहुंच बनाने के लिए प्रत्येक पुलिस थाने को एक नोडल ऑफिसर नियुक्त करना होगा.
  • कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों के लिए जेल की सजा की अवधि बढ़ाने का प्रावधान भी इस बिल में शामिल है. इस कानून के उल्लंघन पर सजा की अवधि को तीन से बढ़ाकर छह माह किया गया है.
  • बुजुर्गों की देखभाल का जिम्मा सिर्फ उनके बच्चों पर ही नहीं होगा बल्कि इसके दायरे में बेटा-बेटी, नाती-नातिन और पोता-पोती भी देखभाल के लिए कानून तौर पर बाध्य होंगे.
  • नए संशोधन में जो ज्यादा कमाते हैं उन्हें अपने माता-पिता को देखभाल के लिए ज्यादा पैसे देने होंगे.
  • कानून का उल्लंघन करने वालों को कम से कम 5,000 रुपये का जुर्माना या तीन महीने की जेल या दोनों सजा हो सकती है.
  • अब सभी वरिष्ठ नागरिकों के घरों / होम केयर सर्विस एजेंसियों को संबंधित अधिकारियों के पास खुद को पंजीकृत करना होगा. विधेयक के मसौदे के अनुसार अब सीनियर सिटीजंस होम के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित होंगे. साथ ही हर राज्य को एक हेल्पलाइन नंबर बनाना होगा ताकि वरिष्ठ नागरिक अपनी समस्याएं साझा कर सकें.
  • विधेयक में ‘रखरखाव’ के अंतर्गत माता-पिता की सुरक्षा के अलावा उनके भोजन, कपड़े, आवास और स्वास्थ्य देखभाल दायित्वों को शामिल किया गया है. यदि बहू या दामाद द्वारा वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा की जाती है या उचित रखरखाव नहीं किया जाता तो वे न्याय के लिए मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल जा सकते हैं.

पृष्ठभूमि

स्थिति यह हो गयी है कि आज कहीं बेटा अपनी मां को बेआबरू कर रहा है तो कहीं पोता अपने दादा को लूटने से बाज नहीं आ रहा है. परिवारों में वृद्ध माता-पिता और दूसरे बुजुर्गों को बोझ समझा जाने लगा है. संपन्नता की सीढ़ियों पर आगे बढ़ रहे पुत्र-पुत्रियों और बहुओं और दामादों के आचरण के कारण आज घर की चारदीवारी के भीतर के विवाद अदालतों में पहुंचने लगे हैं. अदालतों में पहुंच रहे विवादों में अक्सर देखा जा रहा है कि संतानों ने माता-पिता की संपत्ति पर कब्जा करने के बाद उन्हें दर-बदर की ठोकर खाने या फिर असहाय होकर परिस्थितियों से समझौता करके खुद को भाग्य के सहारे छोड़ देने के लिए मजबूर कर दिया है.

आगे की राह

यह कानून आज बुजुर्ग माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के लिये सुरक्षा का बहुत बड़ा हथियार बन चुका है लेकिन यह स्थिति सुखद नहीं है. अपने ही देश, समाज और घर परिवार में बेगाने होते जा रहे बुजुर्गों की स्थिति से उच्चतम न्यायालय भी चिंतत है.

बिहार सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि माता-पिता की सेवा नहीं करने और उन पर अत्याचार करने वाली संतानों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी और उन्हें जेल भेजा जायेगा. यदि अन्य राज्य सरकारें भी इस कानून और इसके प्रावधानों को कठोरता से लागू करने का निर्णय कर लें तो निश्चित ही वृद्धजनों को अपने ही घरों में बेगानों जैसी जिंदगी गुजारने के लिये मजबूर नहीं होना पड़ेगा और संतानों द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न और घरेलू हिंसा से उन्हें प्रभावी तरीके से संरक्षण भी मिल सकता है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Centre stops online sale of medicines

संदर्भ

देश के दवा नियामक ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने कहा है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार वे ऑनलाइन फार्मेसी द्वारा दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगायें.

पृष्ठभूमि

इस समय देश में ऑनलाइन फार्मेसी बिना दवा लाइसेंस के कार्य कर रही हैं क्योंकि इस क्षेत्र के लिए अभी तक कोई नियम नहीं बनाए गए हैं. सरकार ने सितंबर में दिल्ली उच्च न्यायालय के दिए हलफनामे में कहा था कि वह सभी पक्षों की राय लेने के बाद ई-फार्मेसी को नियमति करने के लिए मसौदा नियमों को अंतिम रूप दे रही है.

विवाद क्या है?

दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के आलोचकों का कहना है कि इस प्रकार की अवैध बिक्री से दवाओं का दुरूपयोग हो सकता है और लत लगाने वाली दवाओं का प्रचलन हो सकता है.

वर्तमान में ऐसी बिक्री को नियंत्रित करने का कोई तंत्र नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य और जीवन पर खतरा हो सकता है जबकि संविधान का अनुच्छेद 21 सभी नागरिकों को निरापद और स्वस्थ जीवन बिताने का अधिकार देता है.

ऐसे दावों के प्रतितर्क के रूप में ई-फार्मेसी कम्पनियाँ कहती हैं कि उनको ऑनलाइन बिक्री के लिए लाइसेंस  की आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि वे ड्रग और प्रिस्क्रिप्शन दवाओं की बिक्री नहीं करती हैं, अपितु मात्र उनको घर तक पहुंचाती हैं, जैसे – स्विगी ऐप भोज्य सामग्री पहुँचाता है.

दवाओं की ऑनलाइन खरीद के जोखिम

  1. नकली और अवैध दवाओं की आपूर्ति
  2. नकली प्रिस्क्रिप्शन का संभावित प्रयोग
  3. दवा किसके हाथ में जा रही है, उसके सत्यापन का अभाव
  4. अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा
  5. ऑनलाइन रूप में प्राप्त आवश्यक स्वास्थ्य सम्बन्धी डाटा का दुरूपयोग
  6. दवाओं की आवाजाही के समय हेर-फेर

वर्तमान में भारत में ऑनलाइन फ़ार्मेसी कैसे चल रही हैं?

इस समय देश में ऑनलाइन फार्मेसी बिना दवा लाइसेंस के काम कर रही हैं क्योंकि इस क्षेत्र के लिए अभी तक कोई नियम नहीं बनाये गये हैं. बावजूद इसके दर्जनभर से ज्यादा ई-फार्मेसी कंपनियां हजारों करोड़ का कारोबार कर रही हैं. इनमें मेडलाइफ, नेटमेट्स, फार्मईजी और सिकोया की 1 एमजी जैसी कंपनियां शामिल हैं.


GS Paper 2 Source: Indian Express

indian_express

Topic : Bougainville and nationhood

संदर्भ

वर्तमान में बुगेनविल नामक प्रशांत सागरीय द्वीप में एक जनमत संग्रह चल रहा है जिसमें यह निर्णय होना है कि यह द्वीप पपुआ न्यू गिनी का एक अंग बना रहेगा अथवा स्वतंत्र देश हो जाएगा.

कोई भी भूभाग नया देश कैसे बनता है?

इसके लिए कोई बना-बनाया नियम नहीं है. यह इसपर निर्भर करता है कि देश बनने को इच्छुक भूभाग कितने देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को समझाबुझा कर उनकी मान्यता प्राप्त कर सकता है. किसी भूभाग के देश बनने की सबसे बड़ी शर्त यह है कि उसको संयुक्त राष्ट्र एक देश के रूप में मान्यता दे दे.

ऐसा इसलिए है कि संयुक्त राष्ट्र की मान्यता के कारण विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आदि संस्थाओं की सेवाएँ उसके लिए उपलब्ध हो जाती हैं. नए देश की मुद्रा को भी मान्यता मिल जाती है और उसका व्यापार चल निकलता है. इससे मूल देश की ओर से आक्रमण का खतरा नहीं रहता है.

1933 के मोंटविडियो संधि (Montevideo Convention) के अनुसार किसी भूभाग को स्वतंत्र देश बनना हो तो उसे निम्नलिखित ये चार शर्तें पूरी करनी चाहिएँ –

  1. एक सुपरिभाषित भूभाग
  2. जनसंख्या
  3. प्रशासन
  4. अन्य देशों के साथ सम्बन्ध बनाने की क्षमता

GS Paper 3 Source: PIB

pib_logo

UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.

Topic : Bharat Bond ETF

संदर्भ

केंद्र सरकार ने भारत बांड ETF नामक देश के पहले निगम बांड विनिमय वाणिज्य कोष (corporate bond exchange traded fund) की स्थापना की मंजूरी दे दी है.

पृष्ठभूमि

इसी साल के बजट में बांड बाजार का दायरा बढ़ाने का उल्लेख किया गया था. इसके अनुरूप यह फैसला हुआ है. इससे पहले भारत ईटीएफ के नाम से वर्ष 2014 और 2017 में एनएफओ लाया गया था, लेकिन यह ईटीएफ इक्विटी का था. अब बांड का ईटीएफ लाने का फैसला हुआ है.

भारत बांड ETF की मुख्य विशेषताएँ

  • यह बांड कई बांडों का एक गुच्छा है जिसमें केन्द्रीय लोक उपक्रम/प्रतिष्ठान अथवा किसी भी अन्य सरकारी संगठनों के द्वारा निर्गत शामिल होंगे.
  • इस कोष के शुरू होने पर सरकारी कंपनियों और अन्य सरकारी संगठनों के लिए अतिरिक्त धन जुटाने में मदद मिलेगी.
  • इसमें आम खुदरा निवेशक यूनिट के माध्यम से पैसा लगा सकेंगे. एक यूनिट एक हजार रुपये की होगी. इस राशि को सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी संगठनों के बांड में लगाया जाएगा.
  • इस बांड की परिपक्वता अवधि तीन और दस साल की होगी, जिस पर महज 0.0005 फीसदी की लागत आएगी.
  • जोखिम के आधार पर सूचकांक पर नजर रखी जाएगी.

निवेश के तरीके

  • निवेशक बांड ईटीएफ में एक्सचेंज के जरिये निवेश कर सकेंगे. इसे विभिन्न शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कराया जाएगा. इससे निवेशक जब चाहे, इसे बेच सकेंगे.
  • मार्केट मेकर के जरिये. शेयर बाजार में खरीदार या विक्रेता नहीं होने से मार्केट मेकर एक्सचेंज पर लिक्विडिटी प्रदान करेंगे. इसके लिए मार्केट मेकर को एक करोड़ रुपए तक की यूनिट रखने की अनुमति होगी.
  • एएमसी के जरिये. बड़े निवेशक एएमसी के जरिये बांड ईटीएफ की खरीद-बिक्री कर सकेंगे. लेकिन यह खरीद-बिक्री 25 करोड़ रुपए से अधिक की ही हो सकेगी.

लाभ

  • निवेशकों को सुरक्षा के साथ मिलेगा अच्छा रिटर्न, सरकार लेती है गारंटी
  • छोटे निवेशकों को कम लागत में बांड बाजार तक मिलेगी पहुंच
  • निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ कर में आएगी कमी
  • सरकारी कंपनियों को पूंजी जुटाने का मिलेगा अतिरिक्त स्रोत
  • कंपनियों के लिए कर्ज की तुलना में घटेगी पूंजी जुटाने की लागत.

Prelims Vishesh

Maharaja Duleep Singh :-

  • राज्यसभा में मंगलवार को कांग्रेस के एक सदस्य ने सिख साम्राज्य के अंतिम शासक दलीप सिंह के अवशेष ब्रिटेन से भारत लाने की मांग करते हुए कहा कि ‘‘इतिहास को सुधारा जाना चाहिए.”
  • महाराजा रणजीत सिंह के पुत्र महाराजा दलीप सिंह सिख साम्राज्य के अंतिम शासक था, जिनका जन्म लाहौर में 1838 में से हुआ था.
  • 1849 में अंग्रेजों ने सिखों को युद्ध में पराजित करने के बाद, सिंह को एक कानूनी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था, जिसमें लाहौर की संधि में संशोधन किया गया था, जिससे उन्हें न केवल इस क्षेत्र पर संप्रभुता का दावा छोड़ना पड़ा, बल्कि कोहिनूर हीरे से भी हाथ धोना पड़ा.
  • 1853 में वह ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गया और 1854 में ब्रिटेन में बस गया.

8th cyclone formed in the North Indian Ocean region :-

  • चक्रवात पवन  उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र में बना 8वाँ चक्रवात है.
  • यह वर्ष 1976 के बाद दूसरा सबसे अधिक चक्रवातों की संख्या वाला वर्ष है.
  • विदित हो कि 1976 में इस क्षेत्र में नौ चक्रवात आए थे.
  • इस वर्ष अन्य 7 चक्रवात जो इस क्षेत्र में आये हैं, वे हैं – बुलबुल, महा, क्यार, फेनी, वायु, हिक्का, पाबुक.

Alternative Nobel Prize :-

  • वर्ष वन के दलाई लामा कहे जाने वाले यानोमामी श्रमण दावी कोपेनावा को इस वर्ष का सही आजीविका पुरस्कार (Right Livelihood Award) मिला है जिसको वैकल्पिक नोबल पुरस्कार भी कहा जाता है.
  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार है जो उस व्यक्ति को मिलता है जिसने वर्तमान की विकटतम चुनौतियों के व्यावहारिक एवं उदाहरणयोग्य समाधान प्रस्तुत किया हो.
  • 1980 से दिए जाने वाले इस पुरस्कार की स्थापना जर्मन-स्वीडिश मूल के मानवतावादी जैकब-वोन-युक्सकुल ने की थी.

Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA

November, 2019 Sansar DCA is available Now, Click to Download

Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]