Sansar डेली करंट अफेयर्स, 05 November 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 05 November 2020


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Women related issues.

Topic : Guidelines for Marital Affairs

संदर्भ

हाल ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक निर्णय में वैवाहिक मामलों में गुजारा भत्ता के भुगतान पर दिशानिर्देश जारी किए गए है.

महाराष्ट्र के एक वैवाहिक मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत द्वारा यह निर्णय सुनाया गया. इस मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत पत्नी और बेटे के लिए गुजारा भत्ते का प्रश्न उठाया गया था.

सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार (संक्षिप्त अवलोकन)

  1. परित्यक्त पत्नियां और बच्चे, अदालत में आवेदन करने की तारीख से, अपने पति से गुजारा भत्ता / भरण-पोषण के हकदार हैं.
  2. इस निर्देश का उल्लंघन करने पर सिविल कारावास की सजा हो सकती है तथा परिसंपत्ति को पीड़ित के नाम किया जा सकता है.
  3. पति द्वारा किसी आय-श्रोत नहीं होने की दलील, यदि वह अपाहिज नहीं है और पढ़ा-लिखा है, तो तथ्यतः उसे पत्नी की जिम्मेदारी उठाने के नैतिक कर्तव्य से मुक्त नहीं करेगी.
  4. आवेदन करने वाली पत्नी और जबाबदेह पति, दोनों को, गुजरा-भत्ता संबंधी मामले में अपनी संपत्तियों और देनदारियों का खुलासा करना होगा. यदि किसी अन्य कानून के तहत इनके ऊपर पहले से कोई न्यायिक मामला लंबित है, तो उसे भी अदालत में घोषित करना होगा.
  5. बच्चों के खर्च, उनकी शिक्षा, बुनियादी आवश्यकताओं और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को अदालतों द्वारा गुजारा भत्ता की गणना करते समय सम्मिलित किया जाना चाहिए.
  6. “महंगाई दर और जीवन यापन की उच्च लागत” जैसे अन्य कारकों पर विचार किया जाना चाहिए. पत्नी को वैवाहिक घर में उपयोग किये जाने वाले जीवन-मानकों के अनुकूल गुजारा भत्ता मिलना चाहिए.

आवश्यकता

पतियों द्वारा परित्यक्त महिलाएँ कठोर परिस्थिति में छोड़ दी जाती हैं. प्रायः उनके पास स्वयं को और अपने बच्चों को पालने के लिए कोई साधन नहीं होते है और वे तंगहाली में जीवन-यापन करने को मजबूर होती हैं.

निहितार्थ

महिलाओं द्वारा उनके विरक्त पतियों से गुजारे-भत्ते की मांग करने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पारिवारिक अदालतों, मजिस्ट्रेटों और निचली अदालतों इन एकसमान और व्यापक दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए.


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Social empowerment, communalism, regionalism & secularism.

Topic : The Miyas of Assam and their char-chapori culture

संदर्भ

हाल ही में, असम के ‘चार-चपोरी’ क्षेत्र के निवासियों की संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करने हेतु एक ‘मिया संग्रहालय’ (Miya Museum) की स्थापना के प्रस्ताव से राज्य में विवाद उत्पन्न हो गया है.

कुछ असमवासियों की आपत्ति का कारण

‘मिया संग्रहालय’ को श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र, गुवाहाटी के परिसर में बनाने का प्रस्ताव किया गया है, यह कलाक्षेत्र, गुवाहाटी में एक सांस्कृतिक परिसर है, जिसका नाम नव-वैष्णव सुधारक श्रीमंत शंकरदेव के नाम पर रखा गया है.

  1. आपत्ति करने वालों का कहना है, कि श्रीमंत शंकरदेव कालक्षेत्र जो असमिया संस्कृति का प्रतीक है और इसमें किसी अन्य संस्कृति को सम्मिलित नहीं किया जा सकता.
  2. श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र की स्थापना असम समझौते (Assam Accord) के अनुच्छेद-6 के तहत किया गया था. अनुच्छेद-6 में, असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषायी पहचान और धरोहर का संरक्षण करने तथा उसे बढ़ावा देने के लिये उचित संवैधानिक, विधायी तथा प्रशासनिक उपाय करने का प्रावधान किया गया है.

मिया’ कौन हैं?

‘मिया’ समुदाय में पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) से असम में आए हुए मुस्लिम प्रवासियों के वंशज शामिल हैं. इन्हें अक्सर अपमानजनक तरीके से ‘मियां’ कहा जाता है.

  1. इस समुदाय का असम में पलायन कई बार में हुआ है- इसका प्रारम्भ 1826 में असम पर अंग्रेजों द्वारा कब्ज़ा किये जाने के बा धुआ, और 1947 में हुए विभाजन और 1971 में हुए बांग्लादेश मुक्ति युद्ध तक चलता रहा. इस कारण राज्य के इस क्षेत्र की जनसांख्यिकीय संरचना में परिवर्तन भी हुआ है.
  2. गत वर्षों में, इसने रूढ़िबद्ध तरीके से ‘मिया’ कहा जाने लगा और अक्सर ‘बंगलादेशी’ कहकर इनका उपहास किया जाता है.

चार-चापोरी’ क्या हैं?

  • चार (Char) एक तैरता हुआ द्वीप है, जबकि चापोरी (Chapori) निम्न तटीय बाढ़ग्रस्त नदी किनारे हैं.
  • ये (चार) आकृतियाँ बदलते रहते हैं, ब्रह्मपुत्र नदी में जलस्तर के घटने एवं बढ़ने के साथ इनका परिवर्तन चापोरी में भी हो जाता है.
  • चार क्षेत्रों के विकास निदेशालय (Directorate of Char Areas Development) की वेबसाइट में दिये गए आँकड़ों में बताया गया है कि वर्ष 2002-03 में सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, इनकी जनसंख्या 24.90 लाख थी.
  • क्षेत्र में बाढ़ एवं मिट्टी के कटाव के कारण यह क्षेत्र कम विकसित है. यहाँ की 80% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे निवास करती है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Arbitration and Conciliation (Amendment) Ordinance, 2020

संदर्भ

राष्ट्रपति ने माध्यस्थम्‌ और सुलह (संशोधन) अध्यादेश, 2020 (Arbitration and Conciliation (Amendment) Ordinance, 2020) प्रख्यापित किया.

इस अध्यादेश द्वारा माध्यस्थम्‌ और सुलह अधिनियम 1996 में संशोधन किया गया है.

प्रमुख संशोधन

  • ऐसे सभी मामले जिनमें माध्यस्थम्‌ करार या अनुबंध “धोखाघड़ी अथवा भ्रष्टाचार” से प्रेरित है, उनमें माध्यस्थम्‌ पंचाट (award) के प्रवर्तन पर बिना किसी शर्त के स्थगन का अवसर प्राप्त हो सकेगा.
  • अब तक, एक माध्यस्थम्‌ पंचाट किसी न्यायालय में उसके विरुद्ध अपील दायर होने के उपरांत भी प्रवर्तनीय था.
  • इस अधिनियम की 8वीं अनुसूची का लोप कर दिया गया है, जिसमें माध्यस्थों के प्रत्यायन के लिए आवश्यक अहर्ताएं शामिल थीं. अब माध्यस्थों के प्रत्यायन के लिए अहर्ता, अनुभव और मानदंड उन विनियमों के अनुसार सार निर्दिष्ट किए जाएंगे, जिन्हें भारतीय माध्यस्थम्‌ परिषद (Arbitration Council of India) {माध्यस्थम और सुलह (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत प्रस्तावित) द्वारा निर्धारित किया जाएगा.

लाभ

  • अहर्ता संबंधी मानदंडों को समाप्त करने के कारण विदेशी माध्यस्थों को लाभ होगा.
  • सभी हितघारक पक्षों को माध्यस्थम्‌ पंचाट के प्रवर्तन पर बिना किसी शर्त के स्थगन का अवसर प्राप्त हो सकेगा.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests

Topic : Paris Climate Declaration

संदर्भ

संयुक्त राज्य अमेरिका जलवायु परिवर्तन के नियंत्रण पर लक्षित पेरिस जलवायु समझौते से औपचारिक रूप से पृथक हो गया है. अमेरिका आधिकारिक रूप से पेरिस समझौते को त्यागने वाला विश्व का प्रथम देश बन गया है.

 अमेरिका ने पिछले वर्ष इस समझौते से पृथक होने की प्रक्रिया आरंभ की थी, जो आधिकारिक रूप से नोटिस दिए जाने के एक वर्ष उपरांत प्रभावी हो गई है.

मुख्य तथ्य

  • पेरिस समझौते का अनुच्छेद-28 देशों को इस समझौते को त्यागने की अनुमति प्रदान करता है और त्याग करने की प्रक्रिया का निर्धारण भी करता है.
  • अमेरिका द्वारा यह निर्णय समझौते के तहत किए गए करार में अमेरिकी कर्मियों, व्यवसायों और करदाताओं पर डाले गए अनुचित आर्थिक बोझ के कारण लिया गया है.
  • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) के तहत पेरिस समझौते को वर्ष 2016 में हस्ताक्षर उपरांत प्रभावी किया गया था. यह समझौता वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगीकरण स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने और तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का प्रयास करता है.
  • इस समझौते में शामिल प्रत्येक देश ने लक्षित कार्य योजनाओं को लागू करने का संकल्प लिया है, जो उनके ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करेगा.
  • यह समझौता समृद्ध और विकसित देशों द्वारा विकासशील विश्व को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने का प्रावधान करता है.

समझौते से पृथक होने का प्रभाव

  • यह वैश्विक तापमान वृद्धि को नियंत्रित रखने के विश्व के उद्देश्य को खतरे में डाल सकता है, क्योंकि अमेरिका विश्व में ग्रीनहाउस गैसों का दूसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है.
  • अमेरिका वैश्विक स्तर पर वित्तीय संसाधनों को जुटाने में एक प्रमुख भूमिका का निर्वहन करता है, इस कारण जलवायु संबंधी कार्रवाइयों को सक्षम करने के लिए वित्तीय प्रवाह प्रभावित होगा.

क्या है पेरिस समझौता?

  • पेरिस समझौता एक महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय समझौता है जिसे जलवायु परिवर्तन और उसके नकारात्मक प्रभावों से निपटने के लिये वर्ष 2015 में दुनिया के लगभग प्रत्येक देश द्वारा अपनाया गया था.
  • इस समझौते का उद्देश्य वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी हद तक कम करना है, ताकि इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर (Pre-Industrial level) से 2 डिग्री सेल्सियस कम रखा जा सके.
  • इसके साथ ही आगे चलकर तापमान वृद्धि को और 1.5 डिग्री सेल्सियस रखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. ज्ञातव्य है कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये प्रत्येक देश को ग्रीनहाउस गैसों के अपने उत्सर्जन को कम करना होगा, जिसके संबंध में कई देशों द्वारा सराहनीय प्रयास भी किये गए हैं.
  • यह समझौता विकसित राष्ट्रों को उनके जलवायु से निपटने के प्रयासों में विकासशील राष्ट्रों की सहायता हेतु एक मार्ग प्रदान करता है.

Prelims Vishesh

Gulf Cooperation Council : GCC :-

  • हाल ही में, भारत ने GCC के सदस्यों से आग्रह किया है, कि वे सतत “ट्रैवल बबल” व्यवस्था के माध्यम से खाड़ी देशों में कार्य करने वाले भारतीय श्रमिकों की इन देशों में पुनः वापसी की सुविधा प्रदान करें.
  • GCC वस्तुत: खाड़ी से संलग्न अरब राष्ट्रों का एक राजनीतिक एवं आर्थिक संघ है, जिसमें 6 देश शामिल हैं, यथा- संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर, ओमान, कुवैत और बहरीन.
  • इसका उद्देश्य अरब और इस्लामी संस्कृतियों में निहित अपनी समान राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पहचान के आधार पर परिषद के सदस्यों के मध्य एकता स्थापित करना है.
  • GCC के सदस्य राष्ट्र भारत के लिए ऊर्जा और वार्षिक विप्रेषणों के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से हैं.

Supreme Court lays down maintenance rules :-

  • उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया है कि परित्यक्त पत्नी और बालक, पति से गुजारा/भरण-पोषण भत्ता प्राप्त करने के तब से अधिकारी हैं, जिस तिथि पर भत्ते के लिए न्यायालय में आवेदन किया गया था.
  • इससे विभिन्‍न विधानों के तहत उपलब्ध भरण-पोषण की प्रदायगी की एकरूपता सुनिश्चित होगी.
  • साथ ही, इससे हिन्दू विवाह अधिनियम और हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम में मौजूद कमियों, जैसे– मरण-पोषण आदेश कब से प्रवर्तनीय होगा के संबंध में अस्पष्टता आदि का भी निवारण होगा.

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