Sansar डेली करंट अफेयर्स, 05 March 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 05 March 2020


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions.

Topic : SC frees trade in cryptocurrencies, annuls RBI curb

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में बैंकिंग लेनदेन में क्रिप्टोकरेंसी और बिटक्वाइन आदि पर पूर्णतः रोक लगाने वाले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सर्कुलर को निरस्त कर दिया है. इस प्रकार अब सर्वोच्च न्यायालय ने क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेड की स्वीकृति प्रदान कर दी है. 

पृष्ठभूमि

RBI ने 6 अप्रैल, 2018 को एक सर्कुलर से निर्देश जारी किया था कि इसके द्वारा विनियमित सभी इकाईयाँ आभासी मुद्रा (virtual currency) में सौदा नहीं करेंगी या किसी व्यक्ति या इकाई को इससे संबंधित सेवाएँ प्रदान नहीं करेंगी.

RBI के इस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने चुनौती दी और एक याचिका दाखिल की. याचिका में IAMAI ने अपना पक्ष रखा कि रिज़र्व बैंक के इस कदम से क्रिप्टोकरेंसी में होने वाली वैध कारोबारी गतिविधियों पर प्रभावी रूप से पाबंदी लग गई है. कालांतर में प्रत्युत्तर देते हुए RBI ने न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया. रिज़र्व बैंक ने कहा था कि उसने क्रिप्टोकरेंसी पर रोक इसलिए लगाई क्योंकि इससे मनी लाउंड्रिंग और टेरर फंडिंग की संभावना बहुत बढ़ जाती है.

क्या है क्रिप्टोकरेंसी ?

  • क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी करेंसी है जिसे आप देख नहीं सकते इसलिए इसे आभासी मुद्रा भी कहते हैं.
  • सरल शब्दों में आप इसे डिजिटल रुपया या डिजिटल करेंसी भी कह सकते हैं.
  • क्रिप्टोकरेंसी को कोई बैंक जारी नहीं करती है.
  • इसको जारी करने वाले ही इसका नियंत्रण और संचालन करते हैं. इसका प्रयोग डिजिटल दुनिया में ही होता है.
  • इस मुद्रा में कोडिंग तकनीक का प्रयोग होता है. इस तकनीक के माध्यम से करेंसी के लेन-देन का सम्पूर्ण लेखा-जोखा होता है.
  • इसको हैक करना बहुत कठिन होता है. यही वजह है कि क्रिप्टोकरेंसी में धोखाधड़ी की संभावना न के बराबर होती है.
  • इंटरनेट पर इस आभासी मुद्रा का प्रारम्भ जनवरी 2009 में बिटकॉइन के नाम से हुआ था.

विश्व-भर में विभिन्न नाम से क्रिप्टोकरेंसी

वर्तमान समय में पूरे विश्व में कई प्रकार के वर्चुअल करेंसी हैं. विश्व-भर में बिटकॉइन, रिप्लड, एथेरम और कार्डनो जैसे तकरीबन 2,116 क्रिप्टो करेंसियाँ प्रचलित हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण 119.46 अरब डॉलर के बराबर है.

  • दुबई (UAE) – Emcash
  • वेनेजुएला – Petro
  • एस्टोनिया – Estcoin
  • रूस – Crypytoruble
  • स्वीडेन – E-Krona
  • जापान – J-Coin

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.

Topic : National Anti-Profiteering Authority (NAPA)

संदर्भ

दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण (National Anti-Profiteering Authority – NAPA) के जॉनसन एण्ड जॉनसन को अवैध रूप से हासिल 230 करोड़ रुपये की राशि जमा कराने के आदेश को स्थगित कर दिया.

NAPA का क्या आरोप था?

नापा के अनुसार, कंपनी ने जीएसटी के तहत 306 वस्तुओं पर शुल्क दर घटाये जाने का लाभ उत्पादों के दाम घटाने के जरिये आगे जनता तक नहीं पहुँचाया. इनमें शिशुओं के लिए उपयोग में आने वाले उत्पाद भी सम्मिलित हैं. 

न्यायालय का क्या कहना है?

उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण और केन्द्र सरकार को कंपनी के विरुद्ध किसी तरह की जुर्माने की कार्रवाई करने से दूर रहने को कहा है. न्यायालय ने कहा कि शुरुआती नजर में ऐसा लगता है कि नापा ने मुनाफाखोरी का पता लगाने के लिये जो उपाय अपनाया है वह ‘‘दोषपूर्ण” है. न्यायालय ने इस मामले में केन्द्र सरकार, नापा और मुनाफाखोरी-रोधी महानिदेशक को नोटिस भेजकर उनसे कंपनी की याचिका पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.

राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण क्या है?

  • केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 171 के अंतर्गत राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण (NAA) का गठन किया गया है.
  • राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण GST कानून के तहत एक संस्थागत तंत्र है जिसका गठन व्यापार समुदाय की अनुचित लाभ बनाने वाली गतिविधियों को नियंत्रण में रखने हेतु किया गया है.
  • इस प्राधिकरण का उद्देश्‍य यह सुनिश्‍चित करना है कि वस्तु एवं सेवा कर दरों में की गई कटौती का लाभ अंतिम उपभोक्‍ता तक कीमतों में कटौती के माध्‍यम से पहुँच पाए.

संगठन

  1. राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण की अध्यक्षता भारत सरकार के सचिव के स्तर के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जाएगी.
  2. इसमें केंद्र और / या राज्यों के चार तकनीकी सदस्य भी शामिल होंगे.
  3. इसके अतिरिक्त इसके संस्‍थागत ढाँचे में एक स्‍थायी समिति, प्रत्‍येक राज्‍य में छानबीन समितियाँ और केन्‍द्रीय उत्‍पाद एवं सीमा शुल्‍क बोर्ड में सेफ गार्डस महानिदेशालय को भी शामिल किया जाएगा.

प्राधिकरण की शक्तियाँ और कार्य

  • प्रथम दृष्‍टया यदि किसी उपभोक्ता को ऐसा प्रतीत होता है कि उसे सरकार द्वारा वस्तु एवं सेवा कर में किये गए संशोधनों का लाभ नहीं मिल रहा है तो वह उस राज्य की स्‍थायी समिति के सामने मामले की विस्तारपूर्वक जाँच के लिए आवेदन कर सकता है.
  • यदि समिति द्वारा उक्त मामले की जाँच में मुनाफाखोरी की बात सामने आती है तो समिति द्वारा मामले की विस्तृत जाँच के लिये सी.बी.ई.सी. [केन्‍द्रीय उत्‍पाद एवं सीमा शुल्‍क बोर्ड (सी.बी.ई.सी.) में सेफ गार्डस महानिदेशालय] को भेजी जा सकती है, जोकि अपनी जाँच रिपोर्ट राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण को भेजेगी.
  • यदि राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण यह पुष्टि करता है कि मुनाफाखोरी विरोधी उपायों को लागू करने की जरूरत है तो इसे आपूर्तिकर्त्ता/संबंधित व्‍यवसाय को वस्तुओं की कीमत को कम करने अथवा उपभेाक्‍ता को वस्‍तुओं या सेवाओं को ब्याज सहित अधिक लाभ पर लौटाने का आदेश देने का अधिकार प्राप्‍त है.
  • यदि उस अतिरिक्त लाभ को उपभोक्‍ता तक नहीं पहुँचाया जा सकता है तो इसे उपभोक्‍ता कल्‍याण निधि में जमा करने का आदेश दिया जा सकता है. 
  • बहुत विरल स्थिति में, न केवल राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण को चूककर्त्ता व्‍यावसायिक प्रतिष्‍ठान पर जुर्माना लगाने का अधिकार है बल्कि वस्तु एवं सेवा कर के अंतर्गत उसका पंजीकरण रद्द करने का भी अधिकार है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Amid din, Lok Sabha approves tax resolution Bill

संदर्भ

लोकसभा ने प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, 2020‘ को स्वीकृति दे दी है. इस विधेयक का उद्देश्य लंबित कर विवादों का समाधान करना है. अनेक अदालतों में प्रत्यक्ष कर से जुड़े 9.32 लाख करोड़ रुपये के 4.83 लाख मामले लंबित हैं. इस योजना के अंतर्गत करदाताओं को केवल विवादित टैक्स राशि का भुगतान करना होगा. उन्‍हें ब्याज और जुर्माने पर पूरी छूट मिलेगी. शर्त यह होगी कि वे 31 मार्च, 2020 तक इसका भुगतान कर दें.

विवाद से विश्वास योजना के मुख्य तथ्य

  • यह एक माफ़ी योजना है जो उन विवादों से सम्बंधित है जो आय कर अपीलीय ट्रिब्यूनल (Income Tax Appellate Tribunals – ITAT), उच्च न्यायालयों, सर्वोच्च न्यायालय तथा अंतर्राष्ट्रीय पंचाटों में लंबित चले आ रहे हैं.
  • विवाद से विश्वास योजना के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति मार्च 31 तक अपने लंबित करों का भुगतान कर देता है तो उसको पूर्ण रूप से ब्याज और दंड से मुक्ति मिल जायेगी.
  • इस योजना का उद्देश्य उन करदाताओं को लाभ पहुँचाना है जिनके मामले अनेक मंचों पर फँसे पड़े हैं.
  • यदि करदाता मार्च 31 तक प्रत्यक्ष करों का भुगतान नहीं कर पायेगा तो उसको फिर जून 30 तक का समय दिया जाएगा. परन्तु इसके लिए उसे 10% अधिक कर देना होगा.
  • यदि मात्र ब्याज और दंड पर विवाद है तो करदाता को विवादित राशि का 25% मार्च 31 तक भुगतान करना पड़ेगा और उसके बाद 30% का भुगतान करना होगा.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.

Topic : Merger of Banks

संदर्भ

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार ‘बड़े बैंक’ बनाने की स्वीकृति दे दी है.

पृष्ठभूमि

बैंक के विलय की योजना सबसे पहले दिसंबर 2018 में पेश की गई थी, जब रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने कहा था कि अगर सरकारी बैंकों के विलय से बने बैंक इच्छित परिणाम प्राप्त कर लेते हैं तो भारत के भी कुछ बैंक वैश्विक स्तर के बैंकों में सम्मिलित हो सकता है.

मुख्य तथ्य

  • योजना के अनुसार, यूनाइडेट बैंक ऑफ इंडिया (UBI) तथा ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) का पंजाब नैशनल बैंक (PNB) में विलय होगा, जिससे PNB दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बन जाएगा.
  • वहीं, सिंडिकेट बैंक में केनरा बैंक, इलाहाबाद बैंक तथा इंडियन बैंक का विलय किया जाएगा.
  • इसी प्रकार, आंध्रा बैंक तथा कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) में विलय किया जाएगा.

जिस बैंक में होगा विलय

जिस बैंक का होगा विलय

पंजाब नैशनल बैंक

ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया

केनरा बैंक

सिंडिकेट बैंक

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया

आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक

इंडियन बैंक

इलाहाबाद बैंक

विलय-1
पंजाब नैशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स तथा यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (दूसरा सबसे बड़ा बैंक, कारोबार-17.95 लाख करोड़ रुपये)
विलय-2
केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक (चौथा सबसे बड़ा बैंक, कारोबार-15.20 लाख करोड़ रुपये)
विलय-3
यूनियन बैंक, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक (पांचवां सबसे बड़ा बैंक, कारोबार-14.6 लाख करोड़ रुपये)
विलय-4
इंडियन बैंक, इलाहाबाद बैंक (सातवां सबसे बड़ा बैंक, कारोबार-8.08 लाख करोड़ रुपये)

आगे की राह

विलय का उद्देश्य भारत में वैश्विक आकार के बड़े बैंक बनाना है. इस समय देश का सबसे बड़ा बैंक SBI है. आज की तिथि में देना बैंक और विजया बैंक के मिलने से बैंक ऑफ बड़ौदा इस वक्त देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है. परन्तु प्रस्तावित विलय लागू होने जाने के बाद PNB दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा और बैंक ऑफ बड़ौदा तीसरे स्थान पर आ जाएगा.

यह जरुर पढ़ें > भारत में बैंकों के विलय का इतिहास


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