Sansar डेली करंट अफेयर्स, 05 June 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 05 June 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Parliament and State Legislatures – structure, functioning, conduct of business, powers & privileges and issues arising out of these.

Table of Contents

Topic : Disqualification shadow on 7 Nagaland MLAs

संदर्भ

गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने नागालैंड विधान सभा के अध्यक्ष शरिंगेन लॉन्गकुमर को निर्देश दिया है कि वह विपक्षी दल नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) के सात विधायकों के विरुद्ध चल रही निर्योग्यता कार्यवाही को जून 2 से लेकर अगले छह सप्ताह के भीतर समाप्त करते हुए समुचित आदेश पारित करें.

विवाद क्या है?

2019 के लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस के प्रत्याशी को समर्थन देने के लिए NPF ने सामूहिक निर्णय लिया था. परन्तु उसके सात विधायकों ने इस निर्णय की अवहेलना की. अतः NPF ने इनको निलम्बित कर दिया और इनको निर्योग्य ठहराने के लिए न्यायालय में अप्रैल 24, 2019 को याचिका दायर की.

NPF का दावा था कि इन सात विधायकों ने जानबूझकर पार्टी की अपनी सदस्यता त्याग दी थी और इस प्रकार उन पर संविधान की दसवीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) के उल्लंघन के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए.

इन विधायकों का तर्क था कि कांग्रेस के प्रत्याशी को समर्थन देने का NPF द्वारा किया गया निर्णय क्षेत्रीयता के सिद्धांत के विरुद्ध था. विदित हो कि इस चुनाव में NPF का कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं हुआ था.

संविधान की दसवीं अनुसूची क्या है?

राजनीतिक दल-बदल लम्बे समय से भारतीय राजनीति का एक रोग बना हुआ था और 1967 से ही राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक (anti-defection law) लगाने की बात उठाई जा रही थी. अन्ततोगत्वा आठवीं लोकसभा के चुनावों के बाद 1985 में संसद के दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से 52वाँ संशोधन पारित कर राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक लगा दी. इसे संविधान की दसवीं अनुसूची (10th Schedule) में डाला गया जिसके आधार पर चुने हुए सदस्यों को अयोग्य घोषित किया जा सकता है.

दल-परिवर्तन विरोधी कानून के बारे में

  1. दल-परिवर्तन विरोधी कानून को पद संबंधी लाभ या इसी प्रकार के अन्य प्रतिफल के लिए होने बाले राजनीतिक दल-परिवर्तन को रोकने हेतु लाया गया था.
  2. इसके लिए, वर्ष 1985 में 52वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान में दसवीं अनुसूची जोड़ी गई थी.
  3. यह उस प्रक्रिया को निर्धारित करता है जिसके द्वारा विधायकों/सांसदों को सदन के किसी अन्य सदस्य द्वारा दायर याचिका के आधार पर विधायिका के पीठासीन अधिकारी द्वारा दल-परिवर्तन के आधार पर निर्योग्य ठहराया जा सकता है.
  4. इसके अंतर्गत किसी विधायक/सांसद को निर्योग्य माना जाता है, यदि उसने-
  • या तो स्वेच्छा से अपने दल की सदस्यता त्याग दी है; या
  • सदन में मतदान के समय अपने राजनीतिक नेतृत्व के निर्देशों की अनुज्ञा की है. इसका तात्पर्य यह है कि यदि कोई सदस्य किसी भी मुद्दे पर पार्टी के व्हिप के विरुद्ध (अर्थात्‌ निदेश के विरुद्ध मतदान करता है या मतदान से विरत रहता है) कार्य करता है तो वह सदन की अपनी सदस्यता खो सकता है.
  1. यह अधिनियम संसद और राज्य विधानमंडलों दोनों पर लागू होता है.

इस अधिनियम के तहत अपवाद

सदस्य निम्नलिखित कुछ परिस्थितियों में निर्योग्यता के जोखिम के बिना दल परिवर्तन कर सकते हैं.

  • यह अधिनियम एक राजनीतिक दल को अन्य दल में विलय की अनुमति देता है, यदि मूल राजनीतिक दल के दो-तिहाई सदस्य इस विलय का समर्थन करते हैं.
  • यदि किसी व्यक्ति को लोक सभा का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अथवा राज्य सभा का उपसभापति या किसी राज्य की विधान सभा का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अथवा किसी राज्य की विधान परिषद्‌ का सभापति या उपसभाषपति चुना जाता है, तो वह अपने दल से त्यागपत्र दे सकता है या अपने कार्यकाल के पश्चात्‌ अपने दल की सदस्यता पुनः ग्रहण कर लेता है.

हाल की घटनाएँ

  • नवीनतम मामला मणिपुर के एक कांग्रेस विधायक की निर्योग्यता से संबंधित है, जो वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव के ठीक बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गया था. कांग्रेस पार्टी ने मणिपुर के विधान सभा अध्यक्ष को उस विधायक को निर्योग्य घोषित करने के लिए कहा था, लेकिन अध्यक्ष इस मामले पर कार्रवाई करने में विफल रहे और यात्रिका को लंबित रखा गया.
  • हाल ही में, उच्चतम न्यायालय को कर्नाटक के कुछ विधायकों को अध्यक्ष द्वारा निर्योग्य ठहराए जाने के मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था. इस वाद में उच्चतम न्यायालय ने यह कहा कि “जो अध्यक्ष अपने राजनीतिक दल के दबावों और इच्छाओं से मुक्त होकर कार्य नहीं कर सकता है, वह अध्यक्ष के पद पर आसीन होने के योग्य नहीं है”.
  • आंध्र प्रदेश में, विगत तीन वर्षों में विपक्षी दल के 23 विधायक दल-परिवर्तन कर सत्तारूढ़ दल में सम्मिलित हो गए. इस घटनाक्रम ने अध्यक्ष की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह आरोपित किया है.

अध्यक्ष की भूमिका में परिवर्तन की आवश्यकता क्‍यों है?

अध्यक्ष के पद की प्रकृति: चूँकि अध्यक्ष के पद का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है, इसलिए अध्यक्ष पुन: निर्वाचित होने के लिए अपने राजनीतिक दल पर निर्भर रहता है. अतः यह स्थिति अध्यक्ष को स्वविवेक के बजाए सदन की कार्यवाही को राजनीतिक दल की इच्छा से संचालित करने का मार्ग प्रशस्त करती है.

पद से संबंधित अंतर्निहित विरोधाभास: उल्लेखनीय है कि जब अध्यक्ष किसी विशेष राजनीतिक दल से या तो नाममात्र (डी ज्यूर) या वास्तविक (डी फैक्टो) रूप से संबंधित होता है तो उस स्थिति में एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के तौर पर उसे (अध्यक्ष) निर्योग्यता संबंधी याचिकाएं सौपना युक्तिसंगत और तार्किक प्रतीत नहीं होता है.

दल-परिवर्तन विरोधी कानून के तहत निर्योग्यता के संबंध में अध्यक्ष द्वारा किए जाने वाले निर्णय से संबंधित विलंब पर अंकुश लगाने हेतु: अध्यक्ष के समक्ष लंबित निर्योग्यता संबंधी मामलों के निर्णय में विलंब के कारण, प्राय: ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां सदस्यों को अपने दलों से निर्योग्य घोषित किए जाने पर भी वे सदन के सदस्य बने रहते हैं.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

  • द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की “शासन में नैतिकता” नामक शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में और विभिन्न अन्य विशेषज्ञ समितियों द्वारा सिफारिश की गई है कि सदस्यों को दल-परिवर्तन के आधार पर निर्योग्य ठहराने के मुद्दों के संबंध में निर्णय राष्ट्रपति/राज्यपाल द्वारा निर्वाचन आयोग की सलाह पर किया जाना चाहिए.
  • जैसा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है, जब तक कि “असाधारण परिस्थितियां” उत्पन्न नहीं हो जाती हैं, दसवीं अनुसूची के तहत निर्योग्यता संबंधी याचिकाओं पर अध्यक्ष द्वारा तीन माह के भीतर निर्णय किया जाना चाहिए.
  • संसदीय लोकतंत्र के अन्य मॉडलों/उदाहरणों का अनुसरण करते हुए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अध्यक्ष तटस्थ रूप से निर्णय कर सके. उदाहरण के लिए, ब्रिटेन में यह परिपाटी रही है कि आम चुनावों के समय राजनीतिक दल अध्यक्ष के विरुद्ध निर्वाचन हेतु किसी भी उम्मीदवार की घोषणा नहीं करते हैं और जब तक अन्यथा निर्धारित नहीं हो जाता, अध्यक्ष अपने पद पर बना रहता है. वहां यह भी परिपाटी है कि अध्यक्ष अपने राजनीतिक दल की सदस्यता से त्याग-पत्र दे देता है.
  • वर्ष 1951 और वर्ष 1953 में, भारत में विधान मंडलों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में इस ब्रिटिश मॉडल को अपनाने हेतु एक प्रस्ताव पारित किया गया था.
  • हालाँकि, पहले से ही विधायिका के पीठासीन अधिकारियों के मध्य इस बात पर चर्चा चल रही है कि विशेष रूप से सदस्यों के दल परिवर्तन से संबंधित मामलों में, अध्यक्ष के पद की “गरिमा” को कैसे सुरक्षित किया जाए. इस संदर्भ में, लोकतांत्रिक परंपरा और विधि के शासन को बनाए रखने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा सुझाए गए उपायों को अपनाने की तत्काल आवश्यकता है. उल्लेखनीय है कि एक सतर्क संसद, दक्षतापूर्ण कार्य करने वाले लोकतंत्र की नींव का निर्माण करती है और पीठासीन अधिकारी इस संस्था की प्रभावकारिता को सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

  • दिनेश गोस्वामी समिति : वर्ष 1990 में चुनावी सुधारों को लेकर गठित दिनेश गोस्वामी समिति ने कहा था कि दल-बदल कानून के तहत प्रतिनिधियों को अयोग्य ठहराने का निर्णय चुनाव आयोग की सलाह पर राष्ट्रपति/राज्यपाल द्वारा लिया जाना चाहिये.संबंधित सदन के मनोनीत सदस्यों को उस स्थिति में अयोग्य ठहराया जाना चाहिये यदि वे किसी भी समय किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होते हैं.
  • विधि आयोग की 170वीं रिपोर्ट: वर्ष 1999 में विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में कहा था कि चुनाव से पूर्व दो या दो से अधिक पार्टियाँ यदि गठबंधन कर चुनाव लड़ती हैं तो दल-बदल विरोधी प्रावधानों में उस गठबंधन को ही एक पार्टी के तौर पर माना जाए. राजनीतिक दलों को व्हिप (Whip) केवल तभी जारी करनी चाहिये, जब सरकार की स्थिरता पर खतरा हो. जैसे- दल के पक्ष में वोट न देने या किसी भी पक्ष को वोट न देने की स्थिति में अयोग्य घोषित करने का आदेश.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Law against mob lynching

संदर्भ

पिछले मई  महीने में एक सप्ताह के भीतर असम में दो लोगों को भीड़ ने जान से मार दिया था. इसको ध्यान में रखते हुए एक अखिल पूर्वोत्तर कानूनी समूह ने माँग की है कि एक ऐसा कानून बनाया जाए जो विशेष कर के सामूहिक नरसंहार (मॉब लिंचिंग) के लिए हो.

मुख्य तथ्य

  • विदित हो कि पुलिस और विधि व्यवस्था राज्य के विषय हैं इसलिए यह राज्य सरकारों का कर्त्तव्य है कि वे इस प्रकार के अपराधों पर नियंत्रण रखें.
  • केंद्र सरकार इस विषय में चिंतित है और समूह द्वारा हत्या की घटना की निंदा करती है.
  • ऐसे में केंद्र और राज्य दोनों को मिल-जुलकर काम करने की आवश्यकता है.

मॉब लिंचिंग क्या है?

  • जब अनियंत्रित भीड़ द्वारा किसी दोषी को उसके द्वारा किये गये किसी अपराध के लिये या कभी-कभी मात्र अफवाहों के आधार पर ही बिना अपराध किये भी तत्काल दंड दिया जाए अथवा उसे पीट-पीट कर जान से मार डाला जाए तो इसे भीड़ द्वारा कृत हिंसा या मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) कहा जाता है. इस प्रकार की हिंसा में किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता.
  • इसका सबसे ताजा उदाहरण महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं समेत 3 लोगों की निर्मम हत्या है.

सामूहिक नरसंहार के मामले अभी किस प्रकार देखे जाते हैं?

  1. CrPC में भी इस संबंध में कुछ स्पष्ट तौर पर नहीं कहा गया है. इसलिए इन घटनाओं पर धारा- 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 323 (जान बूझकर घायल करना), 147-148 (दंगा-फसाद), 149 (आज्ञा के विरुद्ध इकट्ठे होना) तथा धारा- 34 (सामान्य आशय) के अन्दर सुनवाई होती है.
  2. भीड़ द्वारा किसी की हत्या किये जाने पर IPC की धारा 302 और 149 को संयुक्त रूप से पढ़ा जाता है और इसी तरह भीड़ द्वारा किसी की हत्या की कोशिश करने पर धारा 307 और 149 को मिलाकर पढ़ा जाता है तथा इसी के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है.
  3. भीड़ द्वारा की गई हिंसा की प्रकृति और उत्प्रेरण सामान्य हत्या से भिन्न होते हैं. इसके बाद भी वर्तमान में भारत में इसके लिये अलग से कोई कानून उपलब्ध नहीं है.

प्रभाव

  • मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएँ पूर्णतः गैर-कानूनी और संविधान में निहित मूल्यों के विरुद्ध होती हैं. ऐसे में यदि इन कृत्यों पर पर रोक नहीं लगाई जाती है तो आम जनता का संविधान और न्यायपालिका पर विश्वास रह ही नहीं जाएगा.
  • विदित हो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 में प्रत्येक व्यक्ति को जीवन जीने का अधिकार दिया गया है. लिंचिंग का शिकार बने व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होता है.
  • इसके साथ-साथ राज्य की कानून व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह लग जाता है. विदित हो कि वर्ष 2019 के वैश्विक शान्ति सूचकांक में भारत को 163 देशों में से 141वें स्थान पर रखा गया था.
  • यह समाज की एकजुटता और विविधता में एकता के विचार को प्रभावित करता है और आम लोगों के मध्य असंतोष तथा अशांति की भावना को जन्म देता है. इससे समाज में बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक का वातावरण पैदा होता है और जाति, वर्ग तथा सांप्रदायिक घृणा को बढ़ावा मिलता है.
  • यह विदेशी और घरेलू निवेश दोनों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है और इससे हमारी अर्थव्यवस्था को काफी क्षति होती है. कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने भारत को भीड़ द्वारा की जाने वाली घटनाओं के विरुद्ध चेतावनी दी है.
  • इससे आंतरिक प्रवास को प्रोत्साहन मिलता है और अर्थव्यवस्था प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती है.
  • इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिये सार्वजनिक संसाधनों की भी बहुत ही अधिक बर्बादी होती है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

वर्तमान में भीड़ द्वारा हत्या के विषय में कोई कानून नहीं है. भारतीय दंड संहिता में गैरकानूनी जमावड़े, दंगे और हत्या के बारे में प्रावधान तो हैं पर यदि लोगों का एक समूह मिलकर हत्या करता है तो इसको संज्ञान में लेने का कोई प्रावधान नहीं है.

अभी तक आम हत्या और भीड़ द्वारा की गई हत्या को कानून की दृष्टि में समान माना जाता है, आवश्यक है कि इन दोनों को कानून की दृष्टि से अलग-अलग परिभाषित किया जाए. भीड़ द्वारा की गई हत्या या मॉब लिंचिंग की पहचान कर उसके लिये दहेज रोकथाम अधिनियम और पॉस्को की भाँति एक कठोर और असरदायक कानून बनाया जाए. सोशल मीडिया और इंटरनेट के प्रसार से भारत में अफवाहों के प्रसार में तीव्रता देखी गई है जिससे समस्या और भी गंभीर हो गई है. एक अनुसंधान के अनुसार, 40% पढ़े-लिखे युवा खबर की सच्चाई को नहीं परखते और उसे अग्रसारित कर देते हैं, इस संदर्भ में व्यापक जागरूकता की आवश्यकता है.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

नॉट इन माय नेम (#NotInMyName) : तीन साल पहले जब आईएसआईएस (ISIS) का आतंक चरम पर था और उसने इस्लाम के नाम पर इसे न्यायोचित ठहराना शुरू किया तो इसका बुरा प्रभाव समस्त इस्लामिक जगत पर पड़ने लगा. अतः शेष समाज के पूर्वाग्रह से बचने और खुद को आतंकी इस्लाम से अलग दर्शाने के लिये ब्रिटेन के मुस्लिम युवाओं द्वारा चलाया गया यह (#NotInMyName) एक ऑनलाइन अभियान था. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य यह संदेश देना था कि धर्म के नाम पर की जाने वाली हत्याओं का संबंध सिर्फ कुछ धर्मांध लोगों या समूहों से ही है, न कि पूरे धार्मिक समुदाय से.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability, e-governance- applications, models, successes, limitations, and potential.

Topic : TULIP – Urban Learning Internship Program

संदर्भ

मानव संसाधन विकास मंत्रालय, आवास एवं शहरी कार्य राज्‍य मंत्री एवं भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने द अर्बन लर्निंग इंटर्नशिप प्रोग्राम (TULIP) या शहरी अध्‍ययन प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए संयुक्त रूप से एक ऑनलाइन पोर्टल की शुरूआत की है.

TULIP परियोजना क्या है?

  • वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने ‘आकांक्षापूर्ण भारत’ के अंतर्गत वर्ष 2020-21 के बजट के अनुरूप ट्यूलिप की कल्पना की गई.
  • ट्यूलिप शहरी क्षेत्र में नए स्नातकों को अनुभव के साथ अध्‍ययन के अवसर प्रदान करने का एक कार्यक्रम है.
  • TULIP परियोजना एक ऐसा कार्यक्रम है जो देश भर के सभी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) और स्मार्ट शहर मिशन के अंतर्गत आने वाले शहरों में नए स्नातकों को प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करेगा.

TULIP परियोजना के लाभ

  • ट्यूलिप भारत के स्नातकों के बाज़ार मूल्‍य को बढ़ाने में मदद करेगा और शहरी नियोजन, परिवहन इंजीनियरिंग, पर्यावरण, नगरपालिका वित्त आदि जैसे विविध क्षेत्रों में एक संभावित प्रतिभा पूल बनाने में मदद करेगा.
  • इससे न केवल संभावित शहर प्रबंधकों बल्कि प्रतिभाशाली निजी / गैर-सरकारी क्षेत्र के पेशेवरों के सृजन में तेजी आएगी.
  • ट्यूलिप से यूएलबी और स्मार्ट शहरों को अत्यधिक लाभ होगा. यह भारत की शहरी चुनौतियों के समाधान के लिए सह-निर्माण में युवाओं को जोड़ने के साथ नए विचारों और ऊर्जा के प्रसार को बढ़ावा देगा.
  • इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह सामुदायिक भागीदारी और सरकार-शिक्षा-उद्योग-नागरिक समाज के संबंधों को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रयासों को आगे बढ़ाएगा.
  • इस प्रकार ट्यूलिप- “द अर्बन लर्निंग इंटर्नशिप प्रोग्राम” भारत के यूएलबी और स्मार्ट शहरों के कामकाज में नई ऊर्जा और विचारों को विकसित करने के साथ-साथ प्रशिक्षुओं के सीखने के अनुभव के दोहरे लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

यह हमारे प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम है जिनका दृढ़ विश्‍वास है कि युवाओं की शक्ति और उनकी क्षमता न केवल हमारे देश में बल्कि दुनिया में सकारात्मक बदलाव ला सकती है. प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा है कि भारत के युवाओं को हमारे देश के भविष्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी है.

इस तरह के कार्यक्रम से भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ लेने में मदद मिलेगी, क्योंकि आने वाले वर्षों में यह दुनिया की काम करने वाली उम्र की सबसे बड़ी आबादी होगी. भारत में तकनीकी स्नातकों का पर्याप्त पूल है, जिनको उनके पेशेवर विकास के लिए वास्तविक दुनिया की परियोजना कार्यान्वयन और नियोजन तक पहुंचाना आवश्यक है. सामान्य शिक्षा समाज में मौजूद उपयोगी ज्ञान की गहराई को नहीं दर्शा सकती है. शिक्षा को, अध्‍ययन से कार्य के बजाय, हमारे समाज के लिए आवश्‍यक है कि वह ‘कार्य से अध्‍ययन’ के रूप में शिक्षा की नये सिरे से कल्‍पना करे.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

कन्याश्री योजना : यह पश्चिम बंगाल सरकार की एक बालिका छात्रवृत्ति योजना है. इस योजना के तहत सरकार 18 वर्ष की आयु में पहुँचने पर बालिका को 25,000 रुपए की वित्तीय सहायता देती है.

राष्ट्रीय रक्षा निधि : राष्ट्रीय रक्षा प्रयासों को बढ़ावा देने हेतु नकद एवं वस्तुओं के रूप में प्राप्त स्वैच्छिक दान की जिम्मेदारी लेने और उसके प्रयोग पर निर्णय लेने के लिए राष्ट्रीय रक्षा कोष स्थापित किया गया था. इस कोष का इस्तेमाल सशस्त्र बलों (अर्द्ध सैनिक बलों सहित) के सदस्यों और उनके आश्रितों के कल्याण के लिए किया जाता है. यह कोष एक कार्यकारिणी समिति के प्रशासनिक नियंत्रण में होता है.

पिछले वर्ष प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय रक्षा निधि के तहत मृत रक्षाकर्मियों के आश्रितों के लिये प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना में परिवर्तन को मंज़ूरी दी थी. छात्रवृत्ति की दरें बालकों के लिये प्रतिमाह 2000 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए और बालिकाओं के लिये प्रतिमाह 2250 रुपए से बढ़ाकर 3000 रुपए कर दी गई है, छात्रवृत्ति योजना के दायरे में अब ऐसे राज्‍य पुलिसकर्मियों के बच्‍चों को भी लाया गया है, जो आतंकी/नक्‍सल हमलों के दौरान शहीद हो गए.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability, e-governance- applications, models, successes, limitations, and potential.

Topic : SWADES: Skill Mapping Exercise for Returning Citizens

संदर्भ

देश में फैली महामारी के कारण देश वापस लौटने वाले हमारे कुशल कर्मचारियों के सर्वश्रेष्‍ठ उपयोग के लिए, भारत सरकार ने वंदे भारत मिशन के तहत लौटने वाले नागरिकों का कौशल मानचित्रण करने के लिए एक नई पहल स्‍वदेस (स्किल्ड वर्कर्स अराइवल डेटाबेस फॉर एम्प्लॉयमेंट सपोर्ट) शुरू की है.

स्वदेस योजना क्या है?

  • यह कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की एक संयुक्त पहल है, जिसका उद्देश्य भारतीय और विदेशी कम्‍पनियों की मांग को समझने और उसे पूरा करने के लिए उनके कौशल और अनुभव के आधार पर योग्य नागरिकों का एक डेटाबेस बनाना है.
  • लौटने वाले नागरिकों को एक ऑनलाइन स्‍वदेस कौशल कार्ड भरना आवश्यक है. यह कार्ड राज्य सरकारों, उद्योग संघों और नियोक्ताओं सहित प्रमुख हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के जरिये रोजगार के उपयुक्त अवसरों के साथ लौटने वाले नागरिकों को प्रदान करने के लिए एक रणनीतिक ढांचा प्रदान करेगा.
  • फॉर्म में कार्यक्षेत्र, नौकरी का शीर्षक, रोजगार, अनुभव के वर्षों से संबंधित विवरण शामिल हैं. फॉर्म भरने से संबंधित किसी भी प्रश्न के लिए नागरिकों को सहयोग देने के लिए एक टोल फ्री कॉल सेंटर सुविधा भी स्थापित की गई है.
  • एकत्रित जानकारी को देश में नियोजन के उपयुक्त अवसरों के लिए कंपनियों के साथ साझा किया जाएगा.

चिंता का विषय

दुनिया भर में कोविड-19 के फैलने से हजारों श्रमिकों पर जबरदस्‍त आर्थिक प्रभाव पड़ा है, जिससे हजारों श्रमिकों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी हैं और दुनिया भर में सैकड़ों कंपनियां बंद हो रही हैं. भारत सरकार के वंदे भारत मिशन के माध्यम से देश लौटने वाले हमारे अनेक नागरिक अपने भविष्य के रोजगार के अवसरों को लेकर अनिश्चितता का सामना कर सकते हैं.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

आँकड़े यह बताते हैं कि जहां से नागरिक वापस लौट रहे हैं, उन शीर्ष देशों में संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कतर, कुवैत और सऊदी अरब शामिल हैं. कौशल मानचित्रण के अनुसार, इन नागरिकों को मुख्य रूप से तेल और गैस, निर्माण, पर्यटन और आतिथ्य, मोटर वाहन और विमानन जैसे क्षेत्रों में नियोजित किया गया था. आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि जिन राज्यों ने सबसे ज्यादा श्रमिकों के लौटने की जानकारी दी है, वे हैं- केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना.

यह परीक्षा की घड़ी है और यह आवश्यक है कि पूरा देश एक साथ आए और कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्‍यवस्‍था में आई गिरावट से उत्‍पन्‍न चुनौतियों से निपटने के लिए केन्‍द्र के प्रयासों में सहयोग करे. केंद्र सरकार द्वारा सभी के लिए सुरक्षा और विकास के दृष्टिकोण से प्रेरित, स्‍वदेस कौशल कार्ड के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों से नागरिकों को नौकरी की संभावनाएं दिलाने और मांग-आपूर्ति के अंतर को पाटने में मदद मिलेगी.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

सरकारी की ओर से तीन रंग के पासपोर्ट निर्गत किए जाते हैं. इसमें नीला, लाल और सफेद रंग शामिल हैं.

  • नियमित पासपोर्ट में नेवी ब्लू रंग का कवर होता है और यह साधारण यात्रा के लिए जारी किया जाता है, जैसे- अवकाश और व्‍यापार संबंधी दौरे.
  • डिप्‍लोमेटिक पासपोर्ट पर मरून रंग का कवर होता है और यह भारतीय डिप्‍लोमेट, वरिष्‍ठ स्‍तर के सरकारी अधिकारियों और डिप्‍लोमेटिक अधिकारियों को जारी किया जाता है.
  • शासकीय पासपोर्ट पर सफेद रंग का कवर होता है और यह आधिकारिक कार्य से जाने वाले भारतीय अधिकारियों को जारी किया जाता है.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Issues of buffer stocks and food security.

Topic : The Farming Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Ordinance, 2020

संदर्भ

आत्‍मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में सुधारों के लिए भारत सरकार द्वारा ऐतिहासिक फैसलों की घोषणा के बाद, भारत के राष्ट्रपति ने कृषि और सहायक कार्यों में लगे किसानों के लिए ग्रामीण भारत को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से निम्नलिखित अध्यादेशों को जारी कर दिया है –   

  • कृषि उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सुविधा) अध्‍यादेश 2020
  • मूल्‍य आश्‍वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्‍यादेश 2020

पृष्ठभूमि

केन्‍द्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से कृषि विपणन में दक्षता और प्रभावशीलता प्रदान करने के लिए व्यापक हस्तक्षेप कर रही है. कृषि उपज के विपणन के समग्र विकास को रोकने वाली अड़चनों को पहचानकर, सरकार ने राज्‍यों द्वारा अपनाए जाने के लिए मॉडल कृषि उत्पाद और पशुधन विपणन (एपीएलएम) कानून 2017 और मॉडल कृषि उत्पाद और पशुधन संविदा कानून, 2018 का मसौदा तैयार किया और उसे प्रचारित किया.

कृषि उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सुविधा) अध्‍यादेश 2020” के मुख्य तथ्य

  • एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा जहां किसानों और व्यापारियों को किसानों की उपज की बिक्री और खरीद से संबंधित पसंद की स्वतंत्रता का आनंद मिलता है जो प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार प्रणाली के माध्यम से पारिश्रमिक मूल्‍यों की सुविधा देता है.
  • यह विभिन्न राज्य कृषि उपज बाजार कानूनों के तहत अधिसूचित वास्‍तविक बाजार परिसरों या जिनको बाजार बनाया जाएगा उनके बाहर किसानों की उपज के कुशल, पारदर्शी और बाधा रहित अंतर-राज्य और राज्‍य के भीतर व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देगा.
  • इसके अलावा, अध्यादेश इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग और जुड़े हुए मामलों या आकस्मिक उपचार के लिए एक सुविधाजनक ढांचा प्रदान करेगा.

मूल्‍य आश्‍वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्‍यादेश 2020के मुख्य तथ्य

  • कृषि समझौतों पर एक राष्ट्रीय ढांचा प्रदान करेगा जो कृषि-व्यवसाय फर्मों, प्रोसेसर, थोक व्यापारी, निर्यातकों या कृषि सेवाओं के लिए बड़े खुदरा विक्रेताओं और आपस में सहमत पारिश्रमिक मूल्य ढांचे पर भविष्य में कृषि उपज की बिक्री के लिए स्‍वतंत्र और पारदर्शी तरीके से और इसके अतिरिक्‍त एक उचित रूप से संलग्न करने के लिए किसानों की रक्षा करेगा और उन्हें अधिकार प्रदान करेगा.
  • उपरोक्त दो उपाय कृषि उपज में बाधा मुक्त व्यापार को सक्षम बनाएंगे, और किसानों को उनकी पसंद के प्रायोजकों के साथ जुड़ने के लिए भी सशक्त बनाएंगे. किसान की स्वतंत्रता, जो सर्वोपरि है, इस प्रकार प्रदान की गई है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

कोविड-19 संकट के दौरान जब कृषि और उससे संबद्ध गतिविधियों के पूरे पारिस्थितिकी प्रणाली की जांच की गई, तो इसमें इस बात की एक बार फिर पुष्टि हुई कि केन्‍द्र सरकार की सुधार प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिए और इसमें एक राष्‍ट्रीय कानूनी सुविधाजनक प्रणाली होनी चाहिए ताकि राज्‍य के भीतर और दो राज्‍यों के बीच कृषि उपज के व्‍यापार में सुधार हो सके. भारत सरकार ने इस बात को मान्‍यता दी कि किसान बेहतर मूल्‍य पर अपनी फसल को अपनी पसंद के स्थान पर अपने कृषि उत्पाद बेच सकता है जिससे संभावित खरीदारों की संख्‍या में बढ़ोतरी होगी. खेती के समझौतों के लिए एक सुविधाजनक ढांचा भी आवश्यक माना गया और इसलिए ही इन दो अध्यादेशों को लाया गया है.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

किसान रथ : कृषि उत्पादों के परिवहन में सुगमता लाने के उद्देश्य से किसान रथ मोबाइल एप को लांच किया गया था. किसान रथ एप के जरिए किसान और व्यापारी आसानी से फसलों की खरीद और बिक्री कर सकते हैं.


Prelims Vishesh

Missile Park ‘Agneeprastha’ to be set up at INS Kalinga :-

  • भारतीय नौजलयान INS कलिंग पर “अग्निप्रस्थ” नामक एक मिसाइल पार्क बनाने की योजना है जहाँ 1981 में स्थापना से लेकर आज तक इस जलयान के मिसाइल इतिहास की झलकियाँ दिखाई जाएँगी.
  • इस पार्क का मुख्य आकर्षण P-17 “Ametist” नामक जलयान भेदक मिसाइल होगा जो 1988-91 में “चक्र” (चार्ली – 1) नामक पनडुब्बी से छोड़ा गया था.
  • ज्ञातव्य है कि INS कलिंग पूर्वी नौसेना कमांड के अंतर्गत विशाखापत्तनम – भीमुनिपत्तनम पर स्थित है.

Mahesh Navmi :-

  • प्रत्येक वर्ष जेठ के महीने के शुल्क पक्ष की 9वीं तिथि को महेश नवमी मनाने का प्रचलन है.
  • यह पर्व विशेषकर राजस्थान के माहेश्वरी समुदाय द्वारा मनाया जाता है.
  • इस बार महेश नवमी मई 31 को पड़ी.

“My Life – My Yoga” contest :

  • अपने मासिक मन की बात संबोधन में प्रधानमंत्री ने एक विडियो ब्लॉगिंग प्रतियोगिता घोषित की है जिसे My Life – My Yoga अथवा जीवन योग का नाम दिया गया है.
  • इस प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय और तृतीय आने वाले भारतीय प्रत्याशी को क्रमशः एक लाख, पचास हजार और पच्चीस हजार रूपये दिए जायेंगे.
  • यह प्रतियोगिता वैश्विक स्तर पर भी होगी.

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