Sansar डेली करंट अफेयर्स, 04 September 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 04 September 2019


GS Paper 1 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Population and associated issues, poverty and developmental issues, urbanization, their problems and their remedies.

Topic : State of the World Population 2019

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nations Population Fund – UNFPA) ने 2019 का अपना वह प्रतिवेदन प्रकाशित कर दिया है जिसमें विश्व की जनसंख्या की स्थिति दर्शायी गई है.

भारत से सम्बंधित निष्कर्ष

  • 2019 में विश्व की जनसंख्या का 1/6 से अधिक अंश भारत में रहता है. (7.71 बिलियन में से 1.37 बिलियन).
  • 2010 से 2019 के बीच भारत की जनसंख्या 2% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ी है जो वैश्विक दर के लगभग समान है.
  • भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 69 वर्ष है जबकि इस विषय में विश्व की औसत 72 वर्ष है.
  • प्रसव के समय स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता के संदर्भ में भारत वैश्विक औसत से आगे है. साथ ही किशोरावस्था में प्रजनन की दर भारत में बहुत कम है.
  • 2015 में भारत में जच्चा मृत्यु अनुपात 174 मृत्यु प्रति लाख जीवित नवजात था. विदित हो कि 1994 में यह संख्या 448 थी. वैश्विक स्तर पर यह अनुपात 2015 में 216 था.
  • वर्ष 2019 में विश्व-भर में स्त्री प्रजनन दर 5 है जबकि भारत में यह 2.3 है.

2027 में सबसे बड़ी जनसंख्या वाले छह देश कौन होंगे?

  1. भारत – 5 बिलियन
  2. चीन – 1 बिलियन
  3. नाइजीरिया – 733 मिलियन
  4. अमेरिका – 434 मिलियन
  5. पकिस्तान – 403 मिलियन

आगे खड़ी चुनौतियाँ

  • भारत में बाल विवाह अभी भी होते हैं जिस कारण स्त्री सशक्तीकरण और बेहतर प्रजनन अधिकार के समक्ष सांस्कृतिक अड़चन उपस्थित होती हैं.
  • प्रजनन और यौन अधिकार स्त्रियों के पास नहीं होने से उनकी शिक्षा, आय और सुरक्षा विपरीत प्रभाव पड़ता है और और वे अपना भविष्य स्वयं बनाने में असमर्थ रहती हैं.
  • 2019 में लगभग 35 मिलियन स्त्रियों, बालिकाओं और युवाओं को जीवन रक्षक यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएँ देनी होंगी और स्त्रियों पर होने वाली हिंसा के लिए भी आवश्यक मानवतापूर्ण उपाय करने की अपेक्षा होगी.
  • पूरे विश्व में जनसंख्या में बूढ़ों का अनुपात बढ़ता जा रहा है और उनमें भी 65 और ऊपर वाले समूह में यह वृद्धि सबसे अधिक तेज है. इस प्रकार संभावना है कि 2050 तक हर छह व्यक्तियों में एक व्यक्ति इसी समूह का होगा. प्रतिवेदन में बताया गया है कि 2019 में 11 में से 1 व्यक्ति 65 से ऊपर का है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Functions and responsibilities of the Union and the States, issues and challenges pertaining to the federal structure, devolution of powers and finances up to local levels and challenges therein.

Topic : Nationalism and subnationalism in separate Kannada flag

संदर्भ

वर्तमान कर्नाटक सरकार ने यह संकेत दिया है कि पिछली सरकार के द्वारा राज्य के लिए एक अलग झंडे हेतु केंद्र सरकार को भेजे गये प्रस्ताव पर आगे की कोई कार्रवाई नहीं करेगी.

इस विषय में संवैधानिक स्थिति

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि संविधान में किसी राज्य को अपना झंडा रखने की मनाही नहीं है. परन्तु राज्य के झंडे को इस तरह नहीं फहराना चाहिए कि राष्ट्रीय झंडे का अपमान हो.

संविधान की सातवीं अनुसूची में वर्णित समवर्ती सूची में झंडे का उल्लेख नहीं है. परन्तु अनुच्छेद 51A यह निर्देश करता है कि सभी नागरिक संविधान का पालन करेंगे और इसके आदर्शों एवं संस्थानों, राष्ट्रीय झंडे और राष्ट्रगीत का सम्मान करेंगे.

2002 की भारतीय झंडा संहिता (Flag Code of India) क्या कहती है?

यह संहिता राज्य के अलग झंडे का निषेध नहीं करता है. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अन्य झंडे इस शर्त पर फहराए जा सकते हैं कि उन्हें उसी डंडे में नहीं लगाया जाए जिसमें भारतीय झंडा लगा हो अथवा उन्हें राष्ट्रीय झंडे से अधिक ऊँचे स्थान पर नहीं लगाया जाए.  

किसी राज्य के लिए अलग झंडा स्वीकृत करने का निहितार्थ

एक राज्य को अपना झंडा रखने की छूट मिलेगी तो शेष अन्य राज्य भी अपना-अपना झंडा माँगने लगेंगे. कुछ लोग यह तर्क देते हैं कि जर्मनी और अमेरिका में राज्यों को अलग-अलग झंडा मिला हुआ है इसलिए भारत में भी ऐसा होना चाहिए. परन्तु भारत और उन देशों के बीच बहुत अंतर है क्योंकि उन देशों की तुलना में भारत का संघीय स्वरूप अधिक प्रबल है और यहाँ के राज्य उतने स्वतंत्र नहीं हैं जितने कि उन देशों में.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : US Space Command

संदर्भ

अमेरिका ने हाल ही में अपने स्पेस कमांड का अनावरण किया है. अमेरिकी सैन्य बल का यह सबसे नया युद्धक कमांड होगा.

अन्तरिक्ष सैन्य बल

  • अमेरिकी अन्तरिक्ष सैन्य बल का मुख्य लक्ष्य अन्तरिक्ष में अमेरिका के वर्चस्व को सुनिश्चित करना है. अभी यह अन्तरिक्ष सेना नौसेना के अंदर ही होगी जिस प्रकार सामुद्रिक सेना अमेरिका के नौसेना का एक भाग है.
  • अन्तरिक्ष सेना अपने सैनिकों का संगठन करेगी तथा इसके लिए आवश्यक शाश्त्र, उपकरण आदि की व्यवस्था करेगी.

पृष्ठभूमि

अमेरिका जल, थल और आकाश के बाद अन्तरिक्ष में भी अपना सैन्य-दल तैनात करने की तैयारी कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2020 तक ‘यूएस स्पेस फोर्स’ बनाने का फैसला किया है. यह फोर्स अमेरिका की बाकी सेनाओं से अलग होगी. विदित हो कि US Space Force अमेरिका की छठी सैन्य सेवा होगी.

क्यों पड़ी जरूरत?

Space Force के जरिए अमेरिका अपने प्रतिद्वंद्वियों चीन और रूस की मंशा पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहा है. ज्ञातव्य है कि 2007 में चीन ने अपने ही उपग्रहों को अन्तरिक्ष में नष्ट कर दिया था. रूस ने भी मिसाइल का सफल परीक्षण किया है जिसका उपयोग उपग्रहों को ट्रैक और नष्ट करने के लिए किया जा सकता है. इसलिए अमेरिका को डर है कि अब ये देश उसके उपग्रहों को भी जब चाहे नष्ट कर सकते हैं इसलिए USA को अब एक स्पेस फ़ोर्स की जरूरत महसूस हो रही है.

क्या अंतरिक्ष में सैन्य कार्रवाई कानून के अनुकूल होगी?

  • अमेरिका, रूस और चीन समेत सभी देशों ने 1967 की आउटर अंतरिक्ष संधि (Outer Space Treaty) पर हस्ताक्षर किए थे.
  • समझौते के अनुसार कोई भी देश अंतरिक्ष में क्षेत्राधिकार नहीं दिखा सकता.
  • यह समझौता किसी भी देश को पृथ्वी की कक्षा या उससे बाहर परमाणु हथियार या हथियार रखने से रोकता है.
  • चंद्रमा और मंगल जैसे ग्रहों, जहाँ मानव की पहुँच हो सकती है, के संदर्भ में यह संधि और भी कठोर है. इन ग्रहों में कोई भी देश सैन्य अड्डों का निर्माण नहीं कर सकता है या किसी भी प्रकार का सैन्य संचालन नहीं कर सकता है या किसी अन्य प्रकार के पारंपरिक हथियारों का परीक्षण नहीं कर सकता है.
  • पर साथ ही साथ यह संधि बैलिस्टिक मिसाइलों के अंतर-महाद्वीपीय प्रयोग को प्रतिबंधित नहीं करती है जो लक्ष्य को भेदने के लिए पृथ्वी की कक्षा से बाहर भी चले जाते हैं.
  • इस संधि की इस चूक का लाभ उठाकर कोई देश अन्तरिक्ष का युद्ध के लिए उपयोग कर सकता है.

सैन्य बल की स्थापना पर उठाये जा रहे सवाल

  • पहले से चल रही पाँच-पाँच सेनाओं के अलावे एक छठी सेना बनाने से अमेरिकी रक्षा विभाग की संगठनात्मक चुनौतियाँ बढ़ जाएँगी.
  • नई सेना को सुदृढ़ करने के प्रयास से अन्तरिक्ष में भेजे जाने वाले असैन्य अभियानों में कटौती करनी पड़ सकती है.
  • नई सेना के कारण भविष्य में बजटीय आवंटन बहुत अधिक बढ़ सकता है.
  • अन्तरिक्ष सेना होने से संयुक्त सैनिक कार्रवाई के समय अमेरिकी प्रयासों को धक्का लग सकता है.
  • यद्यपि अन्तरिक्षयानों को ईंधन की खपत की दृष्टि से कम खर्च वाला बनाने का प्रयास चल रहा है, परन्तु इस काम में अभी भी ऊर्जा की भयंकर आवश्यकता होती है. अन्तरिक्ष सैन्य बल स्थापित हो जाने के बाद इस खर्च में बहुत बड़ा उछाल आएगा.
  • अन्तरिक्ष में अधिक से अधिक अन्तरिक्षयान छोड़े जाने के कारण उनका मलबा बढ़ने की भी आशंका है.

GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : CAMPA

संदर्भ

भारत सरकार ने विभिन्न राज्यों को वनीकरण के लिए CAMPA कोष से 47,436 करोड़ रु. निर्गत किये हैं.

CAMPA क्या है?

  • यह एक कोष है जिसकी स्थापना 2006 में क्षतिपूरक वनीकरण के प्रबंधन के लिए की गई थी.
  • CAMPA का पूरा नाम है –  Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority (क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण)

पृष्ठभूमि

  • 2002 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिपण्णी की थी कि वनीकरण के लिए राज्यों को दिए गये कोष का पर्याप्त उपयोग नहीं हो रहा था और इसलिए उसने आदेश किया कि इन कोशों को केन्द्रीय स्तर पर समेकित करके एक क्षतिपूरक वनीकरण कोष बनाया जाए.
  • इस निर्देश को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने एक अधिनियम पारित किया जिसका नाम था – क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण अधिनियम (CAMPA Act).

CAMPA Act क्या है?

  • इस अधिनियम का मुख्य ध्येय वन क्षेत्रों में होने वाली कमी के बदले प्राप्त राशि का संधारण और उसका वनीकरण में फिर से निवेश करना है.
  • अधिनियम के अंतर्गत केन्द्रीय स्तर पर एक राष्ट्रीय क्षतिपूरक वनीकरण कोष  (National Compensatory Afforestation Fund)  तथा राज्यों में राज्य क्षतिपूरक वनीकरण कोष  State Compensatory Afforestation Fund) बनाये गये हैं जो सम्बन्धित लोकलेखा के अधीन रहेंगे.
  • इन कोषों का पैसा इन स्रोतों से आएगा – क्षतिपूर्ति वनीकरण, वन का शुद्ध वर्तमान मूल्य (net present value of forest – NPV) और अन्य परियोजनावार भुगतान.
  • प्राप्त राशियों का 10% अंश राष्ट्रीय कोष में जाएगा और शेष 90% राज्यों के कोषों में जाएगा.
  • अधिनियम के प्रावधानानुसार जो कम्पनी किसी जंगल के भूमि को उपयोग में लाना चाहती है तो उसे इसके बदले किसी उतनी ही बड़ी भूमि पर क्षतिपूरक वनीकरण का काम करना पड़ेगा.
  • जंगल लेने वाली कम्पनी सरकार द्वारा दी गई वैकल्पिक भूमि पर नए पेड़ लगाने का खर्च वहन करेगी.
  • राज्य सरकार उसी भूमि को वनीकरण के लिए देगी जो कम्पनी द्वारा ली जा रहे जंगल से सटी हुई हो जिससे कि नये वन का प्रबंधन सरलता से हो सके. परन्तु यदि ऐसी कोई सटी हुई नहीं मिली तो वनीकरण के लिए उन जंगलों को चुना जाएगा जो क्षरण की अवस्था में हैं.

CAMPA से सम्बंधित चिंताएँ

  • उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों में खनन का काम इतने बड़े पैमाने पर होता है कि वनरोपण के लिए गैर-जंगली भूमि ढूँढना कठिन हो जाता है.
  • कई राज्य CAMPA कोष को ठीक से उपयोग में नहीं ला रहे हैं. उदाहरण के लिए, पंजाब में कानूनी पचड़े के कारण कैम्पा कोष में से सरकार ने 86 लाख रु. मुकदमेबाजी में खर्च कर दिए.
  • ऐसे कई मामले आये हैं जिनमें देसी प्राकृतिक प्रजातियों के पेड़ कम्पनियों ने काट तो डाले, परन्तु उनको जो भूमि वनीकरण के लिए दी गई वहाँ ऐसी प्रजातियों के पेड़ लगा दिए गये जो देसी नहीं हैं. फलत: वर्तमान पारिस्थितिकी तन्त्र को खतरा पहुँच रहा है.

आगे की राह

  • अधिनियम की भावना को देखते हुए CAMPA कोष का पैसा उसी मद में खर्च होना चाहिए जिसके लिए ये दिया जाता है अर्थात् वनीकरण एवं वन्यजीव संरक्षण के लिए.
  • कैम्पा कोष का पैसा राज्य सरकारों को किश्तों में दिया जाना चाहिए और प्रत्येक अगली किश्त के पहले इसकी जाँच हो जानी चाहिए कि पहले दिया गया पैसा सही ढंग से खर्च हुआ अथवा नहीं. दूसरे शब्दों में कैम्पा कोष के लिए परिणामी बजट (outcome budgeting) की अवधारण अपनाई जानी चाहिए.

GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Disaster and disaster management.

Topic : International Coalition for Disaster Resilient Infrastructure

संदर्भ

केन्द्रीय मंत्रिमंडल आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure – CDRI) के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन की स्थापना की मंजूरी दे दी है. 23 सितम्बर, 2019 को भारतीय प्रधानमंत्री न्यूयॉर्क में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के समय  इस गठबंधन का औपचारिक अनावरण करेंगे.  

CDRI क्या है?

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय मंच होगा जहाँ आपदा एवं जलवायु परिवर्तन के प्रतिरोध के विभिन्न पहलुओं के विषय में जानकारी साझा की जायेगी.
  • यह मंच विभिन्न देशों को अपने-अपने जोखिम और आर्थिक आवश्यकताओं के अनुरूप आपदा प्रबंधन से सम्बंधित क्षमताओं को उत्प्रेरित करने और बेहतर प्रथाओं को अपनाने में सहायता करेगा.

CDRI के लाभ

  • इससे समाज के सभी वर्गों को लाभ मिलेगा. विदित हो कि आपदाओं का सर्वाधिक दुष्प्रभाव स्त्रियों और बच्चों तथा समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों पर पड़ता है. अतः आपदा प्रतिरोधी व्यवस्था के निर्माण से सम्बंधित ज्ञान एवं व्यवहार में सुधार उन्हें लाभान्वित करेगा.
  • जिन क्षेत्रों में आपदा के जोखिम अधिक हैं उनको भी इससे लाभ पहुंचेगा. भारत में पूर्वोत्तर और हिमालयी क्षेत्र में भूकम्प अधिक होते हैं तथा तटीय क्षेत्रों में च्रकवात और सुनामी की सम्भावना बनी रहती है. साथ ही मध्य प्रायद्वीपीय क्षेत्र में सूखे पड़ते रहते हैं. ये सभी भूभाग CDRI से लाभाव्नित होंगे.

माहात्म्य

आपदा प्रतिरोधी अवसरंचना के लिए एक वैश्विक गठजोड़ होने से उन समस्याओं के समाधान को बल मिलेगा जो समान रूप से विकासशील और विकसित दोनों प्रकार के देशों तथा छोटी और बड़ी दोनों प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं से सम्बन्ध रखती हैं. आपदा ऐसी वस्तु है जो कहीं भी उपस्थित हो सकती है, चाहे कोई देश अवसरंचना के विकास में आगे बढ़ा हुआ हो अथवा पीछे रह गया हो. हाँ, यह हो सकता है कि आपदा का जोखिम कहीं बहुत अधिक तो कहीं सामान्य हो सकता है.


Prelims Vishesh

GI Tag for Dindigul lock and Kandangi saree :-

  • तमिलनाडु के डिंडिगुल ताले (Dindigul lock) और कंडंगी साड़ी (Kandangi Saree) को चेन्नई स्थित भौगोलिक संकेत पंजीकरण कार्यालय के द्वारा भागौलिक संकेत (GI Tag) दिया गया है.
  • ज्ञातव्य है कि डिंडिगुल के ताले विश्व-भर में अपनी गुणवत्ता और टिकाऊपन के लिए जाने जाते हैं. यहाँ तक कि इनके कारण ही डिंडिगुल को ताला नगर भी कहते हैं.
  • कंडंगी साड़ियाँ तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के अन्दर कराइकुड़ी ताल्लुक में तैयार होती हैं जो अपने बॉर्डर के लिए जानी जाती हैं. इनके ऐसी कुछ साड़ियों में बॉर्डर इतने चौड़े होते हैं कि उनसे साड़ी का दो-तिहाई भाग भर जाता है.

Shagun :-

  • भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पिछले दिनों विश्व के सबसे बड़े शिक्षा पोर्टलों में से एक पोर्टल का अनावरण किया है जिसे “शगुन” नाम दिया गया है.
  • यह पोर्टल विद्यालयी शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की विभिन्न गतिविधियों से सम्बंधित जितने भी ऑनलाइन पोर्टल और वेबसाइट हैं, सब के लिए यह एक जंक्शन के रूप में काम करता है.
  • इस पोर्टल का नाम “शाला (Shala)” और “गुणवत्ता (Gunvatta)” इन दो शब्दों के प्रथम तीन-तीन अक्षरों को जोड़कर दिया गया है.

Special Tiger Force for Corbett Tiger Reserve :-

उत्तराखंड सरकार ने कॉर्बेट व्याघ्र आश्रयणी (Corbett Tiger Reserve – CTR) के लिए एक विशेष व्याघ्र बल (Special Tiger Force) बनाने का निर्णय लिया है जिसका काम आश्रयणी के निकट स्थित ग्रामीण बस्तियों से लोगों को आश्रयणी में घुसने से रोकना होगा.


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