Sansar डेली करंट अफेयर्स, 04 May 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 04 May 2020


GS Paper 2 Source : AIR

UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability, e-governance- applications, models, successes, limitations, and potential.

Topic : Bharat Market

संदर्भ

व्यापारियों के संगठन अखिल भारतीय व्यापारी संघ (CAIT) ने हाल ही में यह सूचना दी कि वह शीघ्र ही नेशनल ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस भारतमार्केट का अनावरण सभी खुदरा व्यापारियों के लिए करने जा रहा है.

भारतमार्केट क्या है?

  • भारतमार्केट में विभिन्न ऐसी प्रौद्योगिकी कम्पनियों की क्षमताओं का विवरण होगा जो मालढुलाई और माल को घर तक पहुँचाने की सेवा प्रदान करती हैं.
  • इस ई-वाणिज्य पोर्टल में खुदरा व्यापारियों की राष्ट्रीय प्रतिभागिता होगी.
  • लक्ष्य है कि देश के 95% खुदरा व्यापारी इस मंच से जुड़ जाएँ. ये व्यापारी ही इसके अंशधारक होते हैं और वे ही इसे चलाएंगे.

GS Paper 2 Source : AIR

UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.

Topic : Bay of Bengal Boundary Layer Experiment or BoBBLE

संदर्भ

बोबल (Bay of Bengal Boundary Layer Experiment – BoBBLE) के अंतर्गत मानसून, उष्णकटिबंधीय चक्रवात और मौसम से जुड़ी सटीक भविष्यवाणी के लिए बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान और यूनाइटेड किंगडम के ईस्ट एंगलिया विश्वविद्यालय ने मिलकर एक कार्ययोजना बनाई है.

BoBBLE क्या है?

  • BoBBLE एक संयुक्त भारत-यूनाइटेड किंगडम परियोजना है जो मानसून प्रणाली पर बंगाल की खाड़ी में चलने वाली सामुद्रिक प्रक्रियाओं के प्रभाव की जाँच करती है.
  • इस परियोजना के लिए वित्त का प्रावधान भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रलाय और यूनाइटेड किंगडम की प्राकृतिक शोध परिषद् के द्वारा किया जाता है.
  • ज्ञातव्य है कि दक्षिण-एशियाई क्षेत्र में मानसून के सन्दर्भ में बंगाल की खाड़ी एक आधारभूत भूमिका का निर्वाह करती है.

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दक्षिण बंगाल की खाड़ी में चलने वाली मुख्य प्रक्रियाएँ

  1. दक्षिण पश्चिम मानसून की नमकीन धारा (saline Southwest Monsoon Current) बंगाल की खाड़ी में नमक और समुद्री सतह के तापमान को नियंत्रित करने वाली एक प्रमुख धारा है जो स्वयं स्थानीय (पवन दबाव कर्ल) और दूरस्थ (विषुवतरेखीय लहर प्रसार) कारकों से नियंत्रित होती है. यह धारा हिन्द महासागर के व्यापक क्षेत्र में मौसम में होने वाले बदलाव से जुड़ी होती है.
  2. दक्षिण-पश्चिम मानसून धारा में नमक की अधिक मात्रा पश्चिमी विषुवतरेखीय हिन्द महासागर के कारण होती है, जो सोमालियाई धारा, विषुवतीय अंतर धारा तथा दक्षिण-पश्चिम मानसून धारा के माध्यम से बंगाल की खाड़ी से जुड़ा होता है.
  3. सोमालियाई धारा और दक्षिण-पश्चिम मानसून धारा जंक्शनों पर होने वाले मौसमी बदलाव रेल मार्ग की स्विच (railroad switches) के जैसा काम करते हैं और उत्तरी-हिन्द महासागर की अलग-अलग घाटियों की ओर जलप्रवाह को मोड़ देते हैं.
  4. दक्षिणी बंगाल की खाड़ी में पर्णहरित (Chlorophyll) कितना होगा यह मिश्रित परत प्रक्रियाओं और बाधा परत (barrier layer) की सुदृढ़ता से सीधे निर्धारित होता है.

मानसून क्या होता है?

  • मानसून उन मौसमी हवाओं को कहते हैं जो मौसम में बदलाव के साथ अपनी दिशा बदल देते हैं. गर्मी में ये हवाएँ समुद्र से धरती की ओर तथा जाड़े में धरती से समुद्र की ओर बहा करती हैं.
  • मानसून इन भूभागों में होता है – भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण-पूर्वी एशिया, मध्य-पश्चिम अफ्रीका के कुछ भाग आदि.
  • भारतीय मानसून में बड़े प्रमाण में ताप का संवहन होता है.
  • मानसून एल-नीनो जैसी प्रत्येक दूसरे से लेकर सातवें वर्ष होने वाली घटना और ला लीना से जुड़ा होता है.

एल-निनो और भारतीय मानसून

  • एल-निनो एक संकरी गर्म जलधारा है जो दिसम्बर महीने में पेरू के तट के निकट बहती है. स्पेनिश भाषा में इसे “बालक ईसा (Child Christ)” कहते हैं क्योंकि यह धारा क्रिसमस के आस-पास जन्म लेती है.
  • यह पेरूबियन अथवा हम्बोल्ट ठंडी धारा की अस्थायी प्रतिस्थापक है जो सामान्यतः तट के साथ-साथ बहती है.
  • यह हर तीन से सात साल में एक बार प्रवाहित होती है और विश्व के उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बाढ़ और सूखे की वहज बनती है.
  • कभी-कभी यह बहुत गहन हो जाती है और पेरू के तट के जल के तापमान को 10 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा देती है.
  • प्रशांत महासागर के उष्ण कटिबंधीय जल की यह उष्णता भूमंडलीय स्तर पर वायु दाब तथा हिन्द महासागर की मानसून सहित पवनों को प्रभावित करती है.
  • एल निनो के अध्ययन से यह पता चलता है कि जब दक्षिणी प्रशांत महासागर में तापमान बढ़ता है तब भारत में कम वर्षा होती है.
  • भारतीय मानसून पर एल-नीनो का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है और इसका प्रयोग मानसून की लम्बी अवधि के पूर्वानुमान के लिए किया जाता है.
  • मौसम वैज्ञानिकों का विचार है कि भारत में 1987 का भीषण सूखा एल-निनो के कारण ही पड़ा था.
  • 1990-1991 में एल-निनो का प्रचंड रूप देखने को मिला था. इसके कारण देश के अधिकांश भागों में मानसून के आगमन में 5 से 12 दिनों की देरी हो गई थी.

ला-निना

एल-निनो के बाद मौसम सामान्य हो जाता है. परन्तु कभी-कभी सन्मार्गी पवनें इतनी प्रबल हो जाती हैं कि वे मध्य तथा पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में शीतल जल का असामान्य जमाव पैदा कर देती हैं. इसे ला-निना कहते हैं जोकि एल-निनो के ठीक विपरीत होता है. ला-निना से चक्रवातीय मौसम का जन्म होता है. परन्तु भारत में यह अच्छा समाचार लाता है क्योंकि यह मानसून की भारी वर्षा का कारण बनता है.

यह पढ़ें > पूर्वोत्तर (शीतकालीन) मानसून


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.

Topic : Non-Aligned Movement summit

संदर्भ

कोविड संकट के विषय में होने वाली गुट-निरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement NAM) की एक विडियो कांफ्रेंस बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मिलित होने जा रहे हैं.

इस बार बैठक की थीम है – “कोविड-19 के विरुद्ध हम सभी एकजुट हैं”/ “We stand together against COVID-19”.

महत्त्व

  • 2014 में प्रधानमंत्री बनने के पश्चात् मोदी पहली बार NAM की किसी बैठक में सम्मिलित हो रहे हैं. पिछली बार 2012 में ऐसी बैठक में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह गये थे.
  • NAM की बैठक 2016 और 2018 में भी हुई थी, परन्तु उसमें भारत की ओर से यहाँ के उपराष्ट्रपति गये थे. गत वर्ष NAM का शिखर सम्मेलन अजरबैजान (Azerbaijan) में हुआ था.

पृष्ठभूमि

2019-2022 की अवधि के लिए अजरबैजान को अध्यक्ष बनाया गया है और वहाँ के राष्ट्रपति Ilham Aliyev इसका आयोजन संभालते हैं.

गुट-निरपेक्ष आंदोलन के बारे में

  • गुट निरपेक्ष आंदोलन की आन्दोलन 1961 में बेलग्रेड में की गयी थी, इसमें भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु तथा यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टिटो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
  • भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में देश ने फैसला किया कि वो इन दोनों में से किसी गुट का हिस्सा नहीं बनेगा. और इनसे इतर गुट निरपेक्षता की नीति अपनाएगा. यानी कि भारत न तो अमेरिका के पक्ष में रहेगा और न ही रूस के पक्ष में बल्कि इनसे अलग एक और गुट का निर्माण करेगा जो दुनिया में शांति कायम करने की कोशिश करेगा. नेहरू के इसी फलसफे के साथ गुट निरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत हुई. 1961 में युगोस्लाविया के बेलग्रेड शहर में गुट निरपेक्ष देशों का पहला सम्मेलन हुआ.
  • यह शीत युद्ध के दौरान अस्तित्व में आया था, इसका उद्देश्य नव स्वतंत्र देशों को किसी गुट (अमेरिका व सोवियत संघ) में शामिल होने के बजाय तटस्थ रखना था.
  • गुट निरपेक्ष आन्दोलन के 120 सदस्य तथा 17 पर्यवेक्षक हैं.
  • यह संगठन संयुक्त राष्ट्र के कुल सदस्यों की संख्या का लगभग 2/3 एवं विश्व की कुल जनसंख्या के 55% भाग का प्रतिनिधित्व करता है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Awareness in space.

Topic : Magnetosphere

संदर्भ

पृथ्वी के चुम्बकीय मंडल मैग्नेटोस्फीयर (Magnetosphere) अर्थात् पृथ्वी से सटे प्लाज्मा पर्यावरण में स्थित विद्युत् क्षेत्र के ढाँचों के अध्ययन के लिए भारतीय भूचुम्बकत्व संस्थान (Indian Institute of Geomagnetism – IIG) के वैज्ञानिकों ने एक एक-आयामी (one-dimensional) द्रव अनुकरण संहिता (fluid simulation code) तैयार की है. यह संहिता भविष्य में अन्तरिक्ष अभियानों की योजना में लाभकारी होगी.

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मैग्नेटोस्फीयर क्या है?

  1. मैग्नेटोस्फीयर पृथ्वी के चारों फैला वह क्षेत्र है जिसमें पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का विशेष प्रभाव रहता है.
  2. सौरमंडल के अन्य ग्रहों में भी इस प्रकार के चुम्बकीय मंडल होते हैं, किन्तु चट्टान से बने सभी ग्रहों में पृथ्वी का चुम्बकीय मंडल (मैग्नेटोस्फीयर) सबसे प्रबल होता है.

महत्त्व

मैग्नेटोस्फीयर सौर एवं ब्रह्मांडीय कण विकिरण से हमारी रक्षा करता है. साथ ही यह सौर पवनों से वायुमंडल में होने वाले अपक्षय से भी हमें बचाता है.

मैग्नेटोस्फीयर की उत्पत्ति कैसे होती है?

  • पृथ्वी के बाहरी भाग में स्थित सतह के बहुत नीचे पाए जाने वाले आवेशित एवं पिघले हुए लोहे के संवहन से मैग्नेटोस्फीयर की उत्पत्ति होती है.
  • सूर्य से लगातार आने वाले सौर पवन हमारे चुम्बकीय क्षेत्र के सूर्योन्मुखी भाग पर दबाव डालते हैं.
  • चुम्बकीय क्षेत्र का यह सूर्योन्मुखी भाग पृथ्वी की त्रिज्या से छह से लेकर दस गुनी दूरी तक फैला हुआ है.
  • मैग्नेटोस्फीयर का वह भाग जो सूर्यविमुख होता है वह एक विशाल चुम्बकीय पुच्छ (Magnetotail) की तरह दूर तक फैला हुआ होता है. इसकी लम्बाई एक जैसी नहीं रहती है और यह पृथ्वी की त्रिज्या के सैंकड़ों गुना तक आगे जाता है और यहाँ तक कि चंद्रमा के परिक्रमा कक्ष से भी बहुत दूर निकल जाता है.

मैग्नेटोस्फीयर का अध्ययन आवश्यक क्यों?

  • हमारे अन्तरिक्षीय परिवेश को समझने के लिए पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर को समझना आवश्यक होता है. इसके अध्ययन से हम लोग पूरे ब्रह्मांड में अन्तरिक्ष की जो प्रकृति होती है उसको बेहतर ढंग से जान पायेंगे.
  • इससे हमें अन्तरिक्षीय मौसम को भी समझने में सहायता मिलेगी. विदित हो कि हमारे ढेर सारे अन्तरिक्षयान चुम्बकीय क्षेत्र में विचरण करते हैं. मैग्नेटोस्फीयर (magnetosphere) की गतिविधियों से इन अन्तरिक्षयानों और संचार प्रणालियों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. मैग्नेटोस्फीयर की सम्यक जानकारी से इन दुष्प्रभावों से बचने के उपाय ढूँढने में सहायता मिलेगी.

Prelims Vishesh

Ruhdaar :-

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बम्बई (IIT Bombay) ने कोविड-19 से लड़ने के लिए 10,000 रु. प्रति इकाई के दर से रूहदार नामक मशीनी वेंटिलेटर बनाए हैं जोकि काफी सस्ता है.

HCARD :-

  • दुर्गापुर स्थित CSIR की प्रयोगशाला – केन्द्रीय यांत्रिक इंजिनियरिंग अनुसंधान संस्थान – ने HCARD नामक एक रोबोट तैयार किया है जो कोविड-19 के उपचार में लगे स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमित रोगी से दूरी रखने में सहायता पहुंचाएगा.
  • यह रोबोट चल सकता है और रोगियों को दवा और भोजन पहुंचाने के साथ-साथ नमूनों के संग्रहण और दृश्य-श्रव्य संचार करने में समर्थ होगा.

What are Estrogen and progesterone? :-

  • यौन व्यवहारों को नियंत्रित करने के लिए नारी शरीर में एस्ट्रोजेन नामक हार्मोन होता है. एस्ट्रोजेन से ही महिलाओं की शारीरिक विशेषताएँ विकसित होती हैं और उनकी प्रजनन प्रणाली का संधारण होता है.
  • इसके अतिरिक्त स्त्री के शरीर में बनने वाली एक तात्कालिक एंडोक्रीन ग्रन्थि से प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन का रिसाव होता है जो गर्भधारण के लिए शरीर को तैयार करता है.

Kerala govt brings out ordinance to enforce salary cut :-

  • कोविड-19 से लड़ने के लिए आर्थिक प्रावधान हेतु केरल की सरकार ने एक अध्यादेश निर्गत करने का निर्णय लिया है जो कर्मियों के वेतन से 25% अंश के भुगतान को टालने का प्रावधान करता है.
  • यह अध्यादेश इसलिए निकाला जा रहा है क्योंकि इस प्रकार के एक प्रस्ताव को वहाँ के उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था.

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